हनुमानगढ़


हनुमानगढ़, 01 जून। प्रचण्ड गर्मी तथा हीटवेव में कोचिंग जाकर पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को राहत मिलेगी। अब जिले में कोचिंग कक्षाएं ऑनलाइन मोड पर ही संचालित की जाएगी। जिला कलेक्टर श्री काना राम ने प्रमुख शासन सचिव शिक्षा जयपुर के निर्देश पर शनिवार को इस सम्बंध में एक आदेश जारी किया है। जिला कलेक्टर ने जिले के समस्त कोचिंग संचालकों को निर्देशित किया है कि वे आगामी आदेशों तक कोचिंग कक्षाओं का संचालन यथासंभव ऑनलाइन मोड से ही करना सुनिश्चित करेंगे। अपरिहार्य स्थिति में यदि कुछ कक्षाएं ऑफलाइन मोड पर संचालित करना अतिआवश्यक हो तो भी सुबह 11 बजे से 2 बजे के मध्य ऑफलाइन मोड में कक्षाएं संचालित नहीं की करें। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। उल्लेखनीय है कि हीट वेव और प्रचंड गर्मी में बाहर जाने पर परिजनों को भी बच्चों के बीमार होने की चिंता लगी रहती थी। अब उनकी चिंता भी दूर होगी। बच्चे घर पर रहकर पढ़ाई कर सकेंगे।
मनस्वी ने दसवीं कक्षा में अर्जित किए 97.83 अंक
- ओआरएस पैकेट का वितरण, टेंट लगाकर दी जा रही छाया
प्रभारी सचिव ने किया जिला चिकित्सालय का निरीक्षण
हनुमानगढ़, 29 मई। बीकानेर संभाग के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त श्री ओपी बिश्नोई मंगलवार को जिले के रावतसर ब्लॉक में दौरे पर रहे। इस अवसर पर उन्होंने एसडीएम श्री संजय अग्रवाल के साथ धन्नासर में आपणी योजना का निरीक्षण किया। निरीक्षण में हैण्ड वर्क्स के फिल्टर प्रोसेस के सुचारू रूप से कार्यशील नहीं मिलने पर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ने आपणी योजना के अधिशाषी अभियंता को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। गौरतलब है कि चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर, हैड वर्क्स धन्नासर में भण्डारण का मुख्य स्त्रोत है। हैड वर्कस से रावतसर, सरदारशहर, रतनगढ़, सुजानगढ़, लक्ष्मणगढ़ एवं फतेहपुर तहसील क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की जाती है। धन्नासर से 74 गांवों में पेयजल सप्लाई किया जाता है। जिसमें रावतसर के 70, नोहर के 02 एवं सरदारशहर के 02 गांवों को पेयजल मिलता है। निरीक्षण दौरान पल्लू तहसीलदार सुश्री दिव्या चावला, पीएचईडी (आपणी योजना) नोहर अधिशाषी अभियंता श्री विजय कुमार वर्मा, आपणी योजना धन्नासर प्रोजेक्ट एईएन श्री राकेश विश्नोई मौजूद रहे। पल्लू में रात्रि चौपाल, परिवादों को त्वरित निस्तारण के निर्देश अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पल्लू में आयोजित रात्रि चौपाल कर जनसुनवाई की। जनसुनवाई में परिवादियों ने घनियासर में पानी की पाइपलाइन डालने, मोटेर में पानी की सुचारू सप्लाई, शेखचूलिया में 11 केवी जीएसएस बनाने, सीएचसी पल्लू में ईसीजी मशीन ऑपरेटर उपलब्ध करवाने जैसे परिवाद दिए। श्री बिश्नोई ने जनसुनवाई में उपस्थित सभी अधिकारियों को सभी परिवादों को त्वरित निस्तारण करने के निर्देश दिए। सीएचसी इंचार्ज से मांगा स्पष्टीकरण, अनुपस्थित दो कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ने मंगलवार रात को पल्लू के डिस्कॉम कार्यालय, सीएसची पल्लू एवं 132 केवी जीएसएस राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम दूधली का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण दौरान 132 केवी जीएसएस में एक कर्मचारी, सीएचसी में एक नर्सिंग कर्मी के अनुपस्थित मिलने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए। निरीक्षण दौरान सीएचसी में हीटवेव के मरीजों के उपचार हेतु आवश्यक तैयारी नहीं मिलने पर सीएचसी इंचार्ज को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है।

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बॉलीवुड के बीते जमाने के स्टार जीतेंद्र आज 82 साल के हो गए। तकरीबन चार दशक लंबे करियर में जीतेंद्र ने 'तोहफा', 'हिम्मतवाला', 'कारवां', 'परिचय', 'मवाली' समेत कई हिट फिल्मों में काम किया है। अपने अनोखे डांसिंग स्टाइल की वजह से लोग उन्हें जंपिंग जैक बुलाते थे। जीतेंद्र ने करीब 121 हिट फिल्में दीं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कभी बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड नहीं मिला। कभी 8 साल में 60 फिल्मों में काम करने वाले जीतेंद्र तकरीबन 23 साल पहले एक्टिंग छोड़ चुके हैं। 2001 में उन्हें फिल्म ‘कुछ तो है’ में देखा गया था। इसके बाद वो कुछ टीवी सीरियलों और वेब सीरीज में चंद मिनट के लिए ही नजर आए हैं। एक इंटरव्यू में जीतेंद्र ने तो ये तक कहा था कि उन्हें याद ही नहीं है कि वे कभी एक्टर थे। वैसे, एक्टिंग के अलावा जीतेंद्र ने प्रोडक्शन हाउस से भी मोटी कमाई की, लेकिन फिल्में प्रोड्यूस करते हुए जीतेंद्र दो बार दिवालिया भी हो गए थे। जीतेंद्र ने तब भी हार नहीं मानी और आज उनकी संपत्ति 1512 करोड़ रुपए है। जन्मदिन के मौके पर जानते हैं जीतेंद्र की लाइफ के कुछ दिलचस्प किस्से… राजेश खन्ना थे जीतेंद्र के क्लासमेट जीतेंद्र का जन्म 7 अप्रैल 1942 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। उनका असली नाम रवि कपूर है। जीतेंद्र के पिता अमरनाथ फिल्म इंडस्ट्री में नकली ज्वेलरी सप्लाई करने का काम करते थे, इसलिए पूरी फैमिली अमृतसर से मुंबई आकर बस गई थी। जीतेंद्र की शुरुआती पढ़ाई सेंट सेबेस्टियन गोअन हाई स्कूल, मुंबई में हुई थी। इसी स्कूल में उनके साथ राजेश खन्ना भी पढ़ते थे और दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। जीतेंद्र ने आगे की पढ़ाई मुंबई के सिद्धार्थ कॉलेज से पूरी की। ज्वेलरी सप्लाई करते-करते बने बॉडी डबल जीतेंद्र जब बड़े हुए तो अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे। इसी सिलसिले में एक दिन वे फिल्ममेकर वी शांताराम से मिले। फिर अक्सर ज्वेलरी सप्लाई के सिलसिले में जीतेंद्र का शांताराम की फिल्म कंपनी में आना-जाना लगा रहता था। इसी दौरान उनके मन में हीरो बनने की इच्छा जाग गई। उन्होंने वी शांताराम से किसी फिल्म की शूटिंग देखने की इच्छा जताई। शांताराम ने कहा-सिर्फ शूटिंग देखने से काम नहीं चलेगा। काम करोगे? जीतेंद्र ने तुरंत हामी भर दी। फिल्म 'नवरंग' की शूटिंग के दौरान जीतेंद्र को छोटे-मोटे काम मिल जाया करते थे। लेकिन एक दिन ऐसा आया जब जीतेंद्र की किस्मत चमक गई। ये किस्सा उन्होंने खुद 'द कपिल शर्मा शो' के दौरान सुनाया था। जब कपिल शर्मा ने उनसे पूछा था कि क्या आप स्ट्रगल के दिनों में हीरोइन के बॉडी डबल बने थे? इस पर जीतेंद्र ने कहा था, हां, मैं फिल्म 'सेहरा' की शूटिंग के दौरान जूनियर आर्टिस्ट था। मुझे शांताराम जी की चमचागिरी करनी पड़ती थी, मैं उस वक्त कुछ भी करने को तैयार था। तो एक दिन बीकानेर में शूटिंग के वक्त हीरोइन संध्या जी की कोई बॉडी डबल नहीं मिल रही थी। शांताराम जी ने मुझे संध्या जी का बॉडी डबल बना दिया और इस तरह मेरी फिल्मों में एंट्री हुई। पहली फिल्म की फीस थी 100 रु. शुरुआत में जीतेंद्र को काम तो मिला लेकिन छह महीने तक कोई फीस नहीं मिली। उनसे वी. शांताराम ने वादा किया था कि जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर उन्हें हर महीने 105 रु. दिए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर जब वी.शांताराम ने जीतेंद्र को 1964 में फिल्म 'गीत गाया पत्थरों ने' से ब्रेक दिया और तब अपनी पहली फिल्म की फीस के तौर पर जीतेंद्र को 100 रु. मिले। 'गीत गाया पत्थरों ने' से जीतेंद्र को ब्रेक तो मिला, लेकिन फिल्म फ्लॉप रही। ऐसे में जीतेंद्र को फिर छोटे-मोटे रोल करके गुजारा करना पड़ा। हालांकि, उनके मन में अब भी सोलो लीडिंग स्टार बनने की तमन्ना थी। 1967 में रिलीज हुई ‘फर्ज’ जीतेंद्र के करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई, लेकिन बतौर लीड स्टार फिल्म इंडस्ट्री में जमना उनके लिए आसान नहीं था। सोलो लीड हीरो बनाने से पहले डायरेक्टर ने रखी जीतेंद्र के सामने शर्त एक बार फिल्ममेकर सुबोध मुखर्जी ने जीतेंद्र से कहा कि वो उन्हें लेकर एक सोलो हीरो फिल्म बनाना चाहते हैं। जीतेंद्र खुश हो गए, लेकिन तभी सुबोध ने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा- मैं फिल्म तभी बनाऊंगा, जब हेमा मालिनी इस फिल्म में काम करेंगी। दरअसल, उस दौर में हेमा मालिनी का स्टारडम किसी मेल सुपरस्टार से कम नहीं था। हेमा जिस फिल्म में होती थीं, उसके सफल होने की गारंटी 100% रहती थी। जीतेंद्र भी ये बात भांप गए कि अगर हेमा उनकी हीरोइन बन जाएं तो उनकी भी नैया पार लग जाएगी और वो भी बतौर हीरो स्थापित हो जाएंगे। मगर ये इतना आसान नहीं था। उस समय हेमा के करियर के फैसले उनकी मां जया चक्रवर्ती लेती थीं। जब जीतेंद्र ने उन्हें फिल्म के बारे में बताया तो उन्होंने मना कर दिया। जीतेंद्र उनके पीछे पड़ गए और कहा-आपकी बेटी अगर मेरे साथ फिल्म कर लेगी तो मेरा करियर बन जाएगा। आखिरकार जया मान गईं। जीतेंद्र ने ये बात सुबोध मुखर्जी को बताई और उन्होंने झट से हेमा को फिल्म में साइन कर लिया। हेमा को साइन करके डायरेक्टर ने जीतेंद्र को किया फिल्म से बाहर आगे मामले में ट्विस्ट तब आया जब सुबोध मुखर्जी ने फिल्म में जीतेंद्र के बजाए शशि कपूर को हीरो के तौर पर साइन कर लिया। ये बात जानकर जीतेंद्र के पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उन्होंने सुबोध से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'फिल्म के प्रोड्यूसर और फाइनेंसर ने कहा है कि जब हीरोइन हेमा मालिनी है तो हीरो भी बड़ा कास्ट करो, जीतेंद्र को लेने की क्या जरूरत। इसलिए मैंने शशि कपूर के साथ फिल्म अनाउंस कर दी।' जीतेंद्र ने जब सुबोध से कहा कि हेमा मेरी वजह से फिल्म में आई हैं तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि हम यहां बिजनेस करने बैठे हैं। जीतेंद्र इस बात से मायूस हो गए लेकिन इसी दौरान एल.वी प्रसाद ने उन्हें फिल्म 'जीने की राह' का ऑफर दिया। ये फिल्म सुपरहिट हो गई और जीतेंद्र चमक गए जबकि हेमा और शशि कपूर स्टारर फिल्म 'अभिनेत्री' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। हेमा की मां जीतेंद्र से करवाना चाहती थीं बेटी की शादी जब जीतेंद्र बड़े स्टार बन गए तो हेमा की मां जया चक्रवर्ती को वे अपनी बेटी के लिए परफेक्ट लगे। जया, हेमा की उनसे शादी करवाना चाहती थीं। दरअसल, तब हेमा का अफेयर धर्मेंद्र से चल रहा था और संजीव कुमार भी हेमा से शादी का प्रस्ताव उनके घरवालों के सामने रख चुके थे। हेमा की मां को न संजीव कुमार पसंद थे और न ही धर्मेंद्र। वे नहीं चाहती थीं कि हेमा की इन दोनों में से किसी स्टार से शादी हो जबकि जीतेंद्र उन्हें बेटी के लिए पसंद थे। जया चक्रवर्ती ने बेटी हेमा की शादी जीतेंद्र से फिक्स कर दी थी और चेन्नई में दोनों सात फेरे भी लेने वाले थे। तभी धर्मेंद्र शादी के मंडप में जीतेंद्र की गर्लफ्रेंड शोभा को लेकर पहुंच गए और हेमा से उनकी शादी तुड़वा दी थी। इसके कुछ साल बाद जीतेंद्र ने 1974 में गर्लफ्रेंड शोभा से लव मैरिज कर ली थी। श्रीदेवी के साथ हर फिल्म में काम करना चाहते थे जीतेंद्र 1983 में जीतेंद्र ने फिल्म 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी के साथ पहली बार काम किया था। दोनों की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। यही वजह है कि एक दौर ऐसा आया जब जीतेंद्र हर फिल्म में केवल श्रीदेवी के साथ ही काम करना चाहते थे। शक्ति कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'जीतेंद्र को 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी का काम इतना पसंद आया था कि उन्होंने डायरेक्टर राघवेंद्र से कहा कि वे अपनी सभी फिल्मों में उनके अपोजिट केवल श्रीदेवी को बतौर हीरोइन साइन करें।' यही वजह थी कि 'हिम्मतवाला' के बाद राघवेंद्र राव ने जब 'जानी दोस्त' (1983), 'जस्टिस चौधरी' (1983), 'तोहफा' (1984), 'सुहागन' (1986), 'धर्माधिकारी' (1986) और 'दिल लगाके देखो' (1988) फिल्में बनाईं तो उन्होंने इनमें श्रीदेवी को ही लिया। जीतेंद्र को रेखा ने दी थी श्रीदेवी के साथ काम करने की सलाह एक इंटरव्यू में जीतेंद्र ने फिल्म 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी के साथ काम करने के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था, 'श्रीदेवी के साथ काम करने की सलाह मुझे रेखा ने दी थी। एक दिन मैं और रेखा, श्रीदेवी की कोई तेलुगु फिल्म देख रहे थे। रेखा ने मुझसे कहा, 'तुम्हें श्रीदेवी के साथ जरूर काम करना चाहिए। उस वक्त रेखा के पास 'हिम्मतवाला' के लिए डेट्स नहीं थी। वे फिल्म में काम करने से मना कर चुकी थीं। ऐसे में मैंने राघवेंद्र राव को श्रीदेवी को कास्ट करने का सुझाव दिया और वे मान गए। इस तरह 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी की एंट्री हुई। श्रीदेवी का डांस में कोई मुकाबला नहीं था। जब 'हिम्मतवाला' की शूटिंग के दौरान डांस मास्टर हमें स्टेप्स सिखाते थे तो श्रीदेवी केवल दो रिहर्सल में ही स्टेप्स सीख जाती थीं और मैं कई बार प्रैक्टिस करता था लेकिन वे भी मेरे साथ तब तक रिहर्सल करती थीं, जब तक मैं अपना डांस स्टेप परफेक्ट तरीके से न कर लूं।' 8 साल में 60 फिल्मों में काम किया 1975 के आसपास जब जीतेंद्र को बतौर हीरो फिल्में मिलना बंद हो गईं तो उनकी फाइनेंशियल कंडीशन काफी खराब हो गई थी। इसके बाद जीतेंद्र दूसरी बार तब दिवालिया हुए जब उन्होंने फिल्म प्रोड्यूस करने के बारे में सोचा। 1982 में उन्होंने फिल्म 'दीदार-ए-यार' बनाई जो कि फ्लॉप साबित हुई। इससे जीतेंद्र को काफी नुकसान हुआ। खराब आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए जीतेंद्र ने 8 साल में 60 फिल्मों में काम किया। जीतेंद्र के इतनी फिल्में करने पर लोग उन्हें इनसिक्योर एक्टर तक कहने लगे थे, लेकिन जीतेंद्र को इसमें कुछ गलत नहीं लगता। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मैंने 8 साल में लगातार 60 फिल्में इसलिए कीं, क्योंकि ये सच है कि 1980 के दौर में मैं काफी इनसिक्योर था। मैं गोरेगांव की चॉल से उठा व्यक्ति हूं। मैंने वो समय देखा है, जब मेरे घर में पंखा लगा था तो पूरी चॉल के लोग उसे देखने के लिए आए थे। मैंने बुरा दौर करीब से देखा है, इसलिए मैं पागलों की तरह काम करता था।' मैं जॉबलैस हूं' जीतेंद्र 23 साल से फिल्मों से दूर हैं, लेकिन इसके बावजूद वे 1512 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने प्रोडक्शन हाउस बालाजी टेलीफिल्म्स, ऑल्ट बालाजी और बालाजी मोशन पिक्चर के जरिए उनकी सालाना कमाई 300 करोड़ रु. तक है। जीतेंद्र ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था, '20 से ज्यादा साल हो गए, मैं जॉबलैस एक्टर हूं। मैंने अपना एक रुपया नहीं कमाया है। शोभा (पत्नी) और एकता (बेटी) सब काम संभालती हैं। मेरा योगदान केवल इतना है कि मैंने उस पैसे को सही जगह इन्वेस्ट किया है जो कि उन्होंने कमाया है और वो सारे इन्वेस्टमेंट मेरे लिए फायदेमंद साबित हुए हैं।' शराब-सिगरेट को 22 साल से हाथ नहीं लगाया जीतेंद्र ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे पहले खूब सिगरेट और शराब पीते थे, लेकिन 22 साल पहले ये सब छोड़ चुके हैं। जीतेंद्र ने कहा था-जवानी के दिनों में मैंने अपनी हेल्थ के साथ जितने खिलवाड़ करने थे, सब कर चुका। लेकिन जब मैं 60 साल का हुआ तो मैंने ये सब छोड़ दिया। लोग मुझे इस उम्र में भी फिट होने पर कॉम्प्लीमेंट देते हैं तो मैं उन्हें भी ये सब छोड़ने की सलाह देता हूं। आज के दौर में मुझे सलमान खान और ऋतिक रोशन की फिटनेस बहुत अच्छी लगती है।
9 फिल्‍में और दांव पर 600 करोड़, अक्षय-अजय देवगन के लिए ईद पर सलमान का रिकॉर्ड तोड़ पाना लगभग नामुमकिन!
‘बिग बॉस देख रहे हैं’: गृह मंत्रालय के चप्पे-चप्पे पर अब तीसरी आंख से नजर
66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का ऐलान, अंधाधुन बेस्ट हिंदी फिल्म, आयुष्मान और विकी कौशल बेस्ट ऐक्टर
विवादित वीडियो मामला: मुश्किल में एजाज खान, कोर्ट ने 1 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा

राजस्थान


कोटा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शहर सेवा प्रमुख सत्यनारायण खटाणा की हत्या मामले में एक्शन लिया गया है और 2 आरोपियों फैजान और जीशान को गिरफ्तार किया गया है। गौरतलब है कि 7 दिन पहले कोटा के किशोरपुरा में सत्यनारायण की हत्या हुई थी। कैसे हुई थी हत्या? सत्यनारायण की हत्या उनके सीने पर मुक्का मारकर हुई थी। सीसीटीवी से इस हत्याकांड का खुलासा हुआ था। दरअसल मुक्का लगने की वजह से सत्यनारायण को ब्रेन हेमरेज हुआ था। इस घटना में 2 लोग अभी भी फरार हैं। इसमें एक आरोपी पीएफआई से जुड़ा हुआ था। इस हंगामे की शुरुआत मंदिर का रास्ता रोकने को लेकर हुई थी, जिसके बाद वर्ग विशेष के लोगों ने आकर सत्यनारायण की पिटाई की थी। हत्या का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था। मिली जानकारी के मुताबिक, फिरोज नाम का एक आरोपी अभी फरार है, उसी के कहने पर बाकी लोगों ने बुजुर्ग की पिटाई की थी। फिरोज पीएफआई का सदस्य बताया जा रहा है।
10 साल बाद कांग्रेस को इन 4 सीटों पर मिलेगी गुड न्यूज़, लोकसभा चुनाव परिणाम से पहले पढ़ें राजस्थान के एग्जिट पोल वाला रिजल्ट
Exit Poll: राजस्थान की 25 सीटों पर किसकी होगी जीत?
राजस्थान का ट्रांसजेंडर समुदाय खुश, OBC लिस्ट में हुए शामिल, इन्हें मिला पहला प्रमाणपत्र
‘OBC लिस्ट में शामिल मुस्लिम जातियों की होगी समीक्षा’, कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान सरकार का बड़ा ऐलान

बहुत कुछ


महज कुछ घंटों का और इंतजार। कल यानी 4 जून की सुबह 8 बजे से EVM का पिटारा खुल जाएगा। उसमें दर्ज जनता के वोटों की गिनती से तय होगा कि देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनेगी या नहीं? इससे पहले शनिवार को कांग्रेस नेता अजय माकन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- 'उम्मीदवारों के एजेंट्स को ARO के टेबल पर पहली बार अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर यह सच है तो कथित EVM धांधली से भी बड़ा है।' इसका खंडन करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, 'RO और ARO की टेबल पर उम्मीदवारों के काउंटिंग एजेंटों को जाने की अनुमति है।' आपके मन में भी सवाल होगा कि कैसे होती है वोटों की गिनती, काउंटिंग हॉल में कौन-कौन मौजूद होता है, एक साथ कितने EVM खुलते हैं, कोई गड़बड़ी होने पर कहां शिकायत करें; सवाल 1: वोटों की गिनती कहां होती है और कौन करवाता है? जवाब: लोकसभा क्षेत्र में चुनाव कराने और वोटों की गिनती की जिम्मेदार एक रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO की होती है। राज्य सरकार की सलाह पर इलेक्शन कमीशन हर लोकसभा क्षेत्र में एक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करता है। यह एक सरकारी अधिकारी होता है। आमतौर पर लोकसभा चुनाव में जिलाधिकारी को ही RO बनाया जाता है। हर लोकसभा क्षेत्र के RO ही मतगणना के लिए सही जगह चुनते हैं। मतगणना की तारीख इलेक्शन कमीशन तय करता है। सवाल 2: मतगणना कब शुरू होती है और कितना समय लगता है? जवाब: इलेक्शन कमीशन के मुताबिक वोटों की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होती है। किसी विशेष परिस्थिति में रिटर्निग ऑफिसर के निर्देश पर समय में बदलाव भी किया जा सकता है। सबसे पहले बैलेट पेपर और ETPBS यानी इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के जरिए दिए गए वोटों की गिनती होती है। इस माध्यम से आमतौर पर सरकारी कर्मचारी वोट करते हैं। सर्विस वोटर में सैनिक, चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी और प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग होते हैं। इस प्रक्रिया में करीब आधे घंटे का समय लगता है। साढ़े आठ बजे के बाद सभी टेबलों पर एक साथ EVM के वोटों की काउंटिंग शुरू होती है। मतगणना केंद्र पर मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO प्रत्येक राउंड की गिनती के बाद रिजल्ट बताते हैं और इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपडेट किया जाता है। मतों की गिनती का पहला रुझान सुबह 9 बजे से आना शुरू हो जाता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, EVM के वोटों के अंतिम 2 राउंड की गिनती तभी की जा सकती है, जब निर्वाचन क्षेत्र के सभी डाक मतपत्र पहले ही गिने जा चुके हों। साफ है कि EVM पर वोटों की गिनती में लगने वाला समय वास्तव में इस बात पर भी निर्भर करता है कि मैनुअली डाक मतपत्रों की गिनती में कितना समय लगता है। सवाल 3: क्या मतगणना का कोई सरकारी प्रोटोकॉल भी होता है? जवाब: रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 के सेक्शन 128 और 129 के मुताबिक, मतगणना से जुड़ी जानकारी को गुप्त रखना बहुत जरूरी है। मतगणना से पहले कौन से अधिकारी किस निर्वाचन क्षेत्र की और कितने नंबर के टेबल पर गिनती करेंगे, ये सारी जानकारी पहले नहीं बताई जाती है। सुबह 5 से 6 बजे के बीच सभी अधिकारियों को मतगणना सेंटर पहुंचना होता है। इसके बाद जिले के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और मतगणना केंद्र के रिटर्निंग ऑफिसर रैंडम तरीके से सुपरवाइजर और कर्मचारी को हॉल नंबर और टेबल नंबर अलॉट करते हैं। किसी एक मतगणना हॉल में काउंटिंग के लिए 14 टेबल और 1 टेबल रिटर्निंग अधिकारी के लिए लगी होता है। किसी हॉल में 15 से ज्यादा टेबल लगाने के नियम नहीं है। हालांकि, विशेष परिस्थिति में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर टेबल की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जैसे- मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के बाद इंदौर-2 में काउंटिंग के लिए 21 टेबल लगाई गईं थीं। लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही 4 राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हुआ है। इन राज्यों में वोटों की गिनती के लिए काउंटिंग रूम बाकी राज्यों से अलग हो सकता है। चुनावी राजनीति पर रिसर्च करने वाली संस्था 'PRS INDIA' के मुताबिक किसी निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ होने पर एक काउंटिंग हॉल में 7 टेबल विधानसभा चुनाव की काउंटिंग और 7 टेबल लोकसभा चुनाव की काउंटिंग के लिए लगाए जाते हैं, जो आप नीचे की स्लाइड में देख सकते हैं। सवाल 4: हर उम्मीदवार के कितने एजेंट हॉल में मौजूद रह सकते हैं? जवाब: मतगणना के दौरान सभी टेबलों पर हर उम्मीदवार की ओर से एक एजेंट होता है। वहीं एक एजेंट रिटर्निंग ऑफिसर के पास बैठता है। इस तरह एक हॉल में किसी भी उम्मीदवार की ओर से 15 से ज्यादा एजेंटों को मौजूद रहने की अनुमति नहीं दी जाती है। विशेष परिस्थिति में टेबल की संख्या बढ़ाए जाने पर एजेंटों की संख्या बढ़ सकती है। सवाल 5: क्या एक लोकसभा क्षेत्र के लिए एक ही काउंटिंग सेंटर होता है? जवाब: हां, एक विधानसभा क्षेत्र के लिए एक ही काउंटिंग सेंटर होता है। संसदीय क्षेत्र के लिए मतगणना एक से ज्यादा जगहों पर भी की जा सकती है। एक लोकसभा में कई विधानसभा क्षेत्र होते हैं। ऐसे में काउंटिंग हॉल में भीड़भाड़ कम हो, इसके लिए रिटर्निंग ऑफिसर के अलावा एक अन्य सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति होती है। चुनाव आयोग से परमिशन लेकर सहायक रिटर्निंग ऑफिसर विधानसभा स्तर पर भी एक काउंटिंग हॉल बनाकर वोटों की गिनती करवा सकते हैं। आखिर में पूरे संसदीय क्षेत्र के सभी काउंटिंग सेंटर के वोटों को जोड़ दिया जाता है। सवाल 6: मतगणना के दौरान उम्मीदवारों के एजेंटों की नियुक्ति कौन करता है? जवाब: उम्मीदवार खुद अपने एजेंट चुनता है और स्थानीय निर्वाचन अधिकारी से अप्रूव करवाता है। निर्वाचन संचालन अधिनियम 1961 के प्रारूप- 18 में इस तरह के नियुक्ति की बात कही गई है। मतगणना एजेंटों की लिस्ट नाम और फोटो सहित काउंटिंग की तारीख से तीन दिन पहले जारी की जाती है। सवाल 7: मतगणना के दौरान हॉल के अंदर गड़बड़ी न हो, इसके लिए क्या नियम होते हैं? जवाब: किसी गड़बड़ी को रोकने के लिए कुछ सावधानियां बरती जाती हैं। जैसे… काउंटिंग के समय रिटर्निंग अधिकारी चाहें तो किसी भी एजेंट की तलाशी ले सकते हैं। हर उम्मीदवार के एजेंट को एक तरह के बैज दिए जाते हैं, ताकि उन्हें देखकर समझ आ जाए कि वो किस उम्मीदवार के एजेंट हैं। एक बार हॉल में आने वाले एजेंट को गिनती खत्म होने तक बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है। रिटर्निंग अधिकारी हॉल से किसी भी व्यक्ति को निर्देश नहीं मानने पर बाहर कर सकते हैं। हॉल के पास ही पीने का पानी, टॉयलेट, भोजन आदि की व्यवस्था रहती है। मतगणना में तैनात कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के अलावा किसी को भी हॉल में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होती है। हॉल में मौजूद पर्यवेक्षक अधिकारी हर राउंड की गिनती के बाद रैंडम किसी दो टेबल को सेलेक्ट करके दोनों टेबल के वोटों का मिलान करता है। जब रिजल्ट का सही से मिलान हो जाता है तभी इसे डन कर वेबसाइट पर इसे अपडेट किया जाता है। सवाल 8: मतगणना क्षेत्र के आसपास कुछ गड़बड़ दिखे तो क्या करें? जवाब: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के मुताबिक, अगर मतगणना क्षेत्र के आसपास यानी 50 मीटर के अंदर ये 4 परिस्थितियां दिखें तो रिटर्निंग ऑफिसर से शिकायत कर सकते हैं… अगर कोई व्यक्ति मतगणना क्षेत्र में घुसने की कोशिश करे या फिर घुस जाए। मतगणना क्षेत्र के आसपास अगर किसी व्यक्ति की एक्टिविटी पर आपको शक हो। अगर किसी व्यक्ति के पास आपने कोई हथियार देखा है। रिजल्ट से खुश नहीं हैं और आपको लग रहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM में कोई गड़बड़ थी। सवाल 9: अगर रिटर्निंग ऑफिसर शिकायत पर एक्शन नहीं लेता है तो क्या करें? जवाब: मतगणना के दिन किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत वहां मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर से करें। वह शिकायत पर एक्शन नहीं लेते हैं तो जिला निर्वाचन अधिकारी के पास फोन के जरिए, लिखित, फैक्स या फिर ईमेल से शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग से सीधे तौर पर शिकायत कर सकते हैं। शिकायत के लिए दिल्ली स्थित इलेक्शन कमीशन के ऑफिस में एक कंट्रोल रूम भी बना है। सवाल 10: क्या इन बातों की शिकायत कुछ दिन बाद भी की जा सकती है? जवाब: नहीं, इसकी शिकायत फौरन करनी चाहिए। आपको जैसे ही गड़बड़ी की आशंका हो ऑन द स्पॉट बताएं। देर करने का कोई मतलब नहीं। चुनाव आयोग ने इसके लिए 24 घंटे के अंदर का वक्त तय किया है। यानी 4 जून को लोकसभा चुनाव की काउंटिंग है। उस दिन सुबह 8 बजे से दूसरे दिन यानी 5 जून की सुबह 8 बजे तक ही शिकायत कर सकते हैं। एक बार रिजल्ट आ गया और नतीजों से आप खुश नहीं हैं तो उस रिजल्ट को सिर्फ कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। सवाल 11: मान लीजिए मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हूं। काउंटिंग वाले दिन किसी काम से दिल्ली में था। मुझे अपने राज्य की मतगणना में कुछ गड़बड़ होने की बात पता चली, तब भी क्या मैं शिकायत कर सकता हूं? जवाब: हां, ऐसा आप कर सकते हैं। जिस व्यक्ति ने आपको इसकी सूचना फोन पर दी है, उसे सबसे पहले शिकायत ऑन द स्पॉट करनी चाहिए। वैसे तो आप देश-दुनिया के किसी भी हिस्से से इसकी शिकायत कर सकते हैं। बस इसके लिए आपकी सिटिजनशिप भारत की होनी चाहिए। सवाल 12: मतगणना केंद्र पर काउंटिंग में गड़बड़ी के दोषी पाए गए तो क्या होगा? जवाब: रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 के सेक्शन 136 के तहत मतगणना केंद्र पर गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी और नागरिक दोनों के लिए सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने वाले को 6 महीने से 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है। सवाल 13: वोटिंग मशीन के बदलने या उससे छेड़छाड़ की शिकायत मिलने पर क्या होता है? जवाब: किसी केंद्र पर वोटिंग मशीन बदलने या उसमें छेड़छाड़ की शिकायत मिलती है तो रिटर्निंग ऑफिसर तुरंत इसकी जांच करता है। अगर यह साबित हो जाता है कि वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ की गई है तो उसे अलग रखा जाता है। उसमें रिकॉर्ड मतों की गिनती नहीं की जाती है। इसकी सूचना राज्य और केंद्र के चुनाव आयोग कार्यालय को दी जाती है। पूरी तरह से मतगणना को रोकना जरूरी नहीं है। सिर्फ जिस मशीन को लेकर शिकायत मिली है, उसे ही अलग रखा जाता है। सवाल 14: मतगणना के बाद EVM का क्या होता है? जवाब: नतीजों की घोषणा होने और विजेता उम्‍मीदवार को रिटर्निंग ऑफिसर के जरिए जीत का सर्टिफिकेट देने के बाद EVM को फिर से स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। काउंटिंग के 45 दिनों बाद तक EVM को उसी स्टोर रूम में रखी रहती है, जिसके बाद उसे वहां से बड़े स्टोर रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। चुनाव आयोग के अनुसार, इन EVM में अगले 6 महीने तक डेटा को संभाल के रखा जाता है और इन्हें किसी अन्य चुनाव के लिए उपयोग में भी नहीं लाया जाता है। इसके बाद इनके डेटा को सुरक्षित तरीके से डंप करके EVM को आगे के चुनावों के लिए इस्तेमाल करने लायक बना दिया जाता है।
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा 370 और एनडीए 400 पार का नारा दिया था, तो उस समय इस लक्ष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे थे। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़े अगर चार जून को सही साबित हुए, तो एक बार फिर से यह सिद्ध हो जाएगा कि नरेंद्र मोदी बतौर नेता देश की जनता के नब्ज और राजनीतिक मिजाज को अच्छी तरह समझते हैं। कई एग्जिट पोल ने एनडीए गठबंधन को 400 या इससे भी अधिक सीटें मिलने का दावा किया है। वहीं जो एग्जिट पोल एनडीए गठबंधन को 400 से नीचे दिखा रहे हैं, वे भी प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर से एनडीए सरकार बनने का दावा कर रहे हैं। अगर एग्जिट पोल के ये अनुमान 4 जून की मतगणना में सही साबित हुए, तो नरेंद्र मोदी, जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री बनने वाले देश के दूसरे नेता बन जाएंगे। न्यूज़-24 टुडेज चाणक्य ने अपने एग्जिट पोल में एनडीए गठबंधन को 400 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। वहीं इंडिया टीवी-सीएनएक्स एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक एनडीए गठबंधन के खाते में 371 से 401 सीटें आ सकती हैं। इंडिया टुडे- एक्सिस माई इंडिया ने भी एनडीए गठबंधन को 361 से 401 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। एबीपी- सी वोटर्स के एग्जिट पोल में एनडीए गठबंधन को 353 से 383 सीटें मिलने का दावा किया गया है। टाइम्स नाउ-ईटीजी के एग्जिट पोल में एनडीए को 358 सीटें मिलने की बात कही गई है। रिपब्लिक भारत मैट्राइज ने अपने एग्जिट पोल में एनडीए गठबंधन को 353 से 368 सीटें मिलने का दावा किया है।
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