हनुमानगढ़


हनुमानगढ़। गायत्री परिवार हनुमानगढ़ द्वारा ड्रीम लैण्ड कॉलोनी स्थित हनुमानगढ़ मन्दिर के 13 वें स्थापना दिवस व हनुमान जयंती के उपलक्ष में आयोजित हनुमान महोत्सव का समापन बुधवार को नो हवनयज्ञ में पूर्णाहुति के साथ हुआ। गायत्री परिवार के उपजोन प्रभारी धन्ने सिंह राठौड़ ने बताया कि मन्दिर के सेवादार शिव कुमार यादव, गोरीशंकर, ओपी शेखावत, नेतराम, ओपी बिश्नोई, इन्द्राज सिहाग ने सपत्नी के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने क्षेत्र की सुख स्मृद्धि व खुशहाली की कामना को लेकर हवन यज्ञ में पूर्णाहुति डाली। धन्ने सिंह राठौड़ ने बताया कि शांतीकुंज हरिद्वार के सृजन सैनिक संदीप भाम्भू, मनीषा गर्ग, प्रमिला कच्छवाहा, सुरेन्द्र सैन, सुरेश सैनी द्वारा यज्ञ का संचालन किया। हनुमानगढ़ के सृजन सैनिक ओमप्रकाश शर्मा, जयकिशन, देवीलाल सैनी, बिहारीलाल, श्रीगंगानगर के विमल गर्ग, सुरेन्द्र कच्छवाहा के साथ ड्रीमलेण्ड कॉलोनी की सुनीता गर्ग की महिला टोली ने नौ कुण्डीय यज्ञ एवं यज्ञ के पश्चात खीर व जलेबी के प्रसाद की व्यवस्था संभाली। इस मौके पर श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित साहित्य की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
कार्यों में पारदर्शिता और सुशासन के लिए ई-फाइल जरूरी जिला कलक्टर नहीं लेंगे आॅफलाइन फाइल
शिकायत के आधार पर दो प्राइवेट अस्पतालों का औचक निरीक्षण, एक पर मिली अनेक अव्यवस्थाएं, दिया जाएगा नोटिस
- जिला कलक्टर श्री काना राम ने मंगलवार को अनाज मंडियों का किया निरीक्षण
खेतों में आगजनी एवं जनहानि को रोकने की सावधानियां बरतने के लिए जिला कलक्टर की अपील

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बॉलीवुड के बीते जमाने के स्टार जीतेंद्र आज 82 साल के हो गए। तकरीबन चार दशक लंबे करियर में जीतेंद्र ने 'तोहफा', 'हिम्मतवाला', 'कारवां', 'परिचय', 'मवाली' समेत कई हिट फिल्मों में काम किया है। अपने अनोखे डांसिंग स्टाइल की वजह से लोग उन्हें जंपिंग जैक बुलाते थे। जीतेंद्र ने करीब 121 हिट फिल्में दीं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कभी बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड नहीं मिला। कभी 8 साल में 60 फिल्मों में काम करने वाले जीतेंद्र तकरीबन 23 साल पहले एक्टिंग छोड़ चुके हैं। 2001 में उन्हें फिल्म ‘कुछ तो है’ में देखा गया था। इसके बाद वो कुछ टीवी सीरियलों और वेब सीरीज में चंद मिनट के लिए ही नजर आए हैं। एक इंटरव्यू में जीतेंद्र ने तो ये तक कहा था कि उन्हें याद ही नहीं है कि वे कभी एक्टर थे। वैसे, एक्टिंग के अलावा जीतेंद्र ने प्रोडक्शन हाउस से भी मोटी कमाई की, लेकिन फिल्में प्रोड्यूस करते हुए जीतेंद्र दो बार दिवालिया भी हो गए थे। जीतेंद्र ने तब भी हार नहीं मानी और आज उनकी संपत्ति 1512 करोड़ रुपए है। जन्मदिन के मौके पर जानते हैं जीतेंद्र की लाइफ के कुछ दिलचस्प किस्से… राजेश खन्ना थे जीतेंद्र के क्लासमेट जीतेंद्र का जन्म 7 अप्रैल 1942 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। उनका असली नाम रवि कपूर है। जीतेंद्र के पिता अमरनाथ फिल्म इंडस्ट्री में नकली ज्वेलरी सप्लाई करने का काम करते थे, इसलिए पूरी फैमिली अमृतसर से मुंबई आकर बस गई थी। जीतेंद्र की शुरुआती पढ़ाई सेंट सेबेस्टियन गोअन हाई स्कूल, मुंबई में हुई थी। इसी स्कूल में उनके साथ राजेश खन्ना भी पढ़ते थे और दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। जीतेंद्र ने आगे की पढ़ाई मुंबई के सिद्धार्थ कॉलेज से पूरी की। ज्वेलरी सप्लाई करते-करते बने बॉडी डबल जीतेंद्र जब बड़े हुए तो अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे। इसी सिलसिले में एक दिन वे फिल्ममेकर वी शांताराम से मिले। फिर अक्सर ज्वेलरी सप्लाई के सिलसिले में जीतेंद्र का शांताराम की फिल्म कंपनी में आना-जाना लगा रहता था। इसी दौरान उनके मन में हीरो बनने की इच्छा जाग गई। उन्होंने वी शांताराम से किसी फिल्म की शूटिंग देखने की इच्छा जताई। शांताराम ने कहा-सिर्फ शूटिंग देखने से काम नहीं चलेगा। काम करोगे? जीतेंद्र ने तुरंत हामी भर दी। फिल्म 'नवरंग' की शूटिंग के दौरान जीतेंद्र को छोटे-मोटे काम मिल जाया करते थे। लेकिन एक दिन ऐसा आया जब जीतेंद्र की किस्मत चमक गई। ये किस्सा उन्होंने खुद 'द कपिल शर्मा शो' के दौरान सुनाया था। जब कपिल शर्मा ने उनसे पूछा था कि क्या आप स्ट्रगल के दिनों में हीरोइन के बॉडी डबल बने थे? इस पर जीतेंद्र ने कहा था, हां, मैं फिल्म 'सेहरा' की शूटिंग के दौरान जूनियर आर्टिस्ट था। मुझे शांताराम जी की चमचागिरी करनी पड़ती थी, मैं उस वक्त कुछ भी करने को तैयार था। तो एक दिन बीकानेर में शूटिंग के वक्त हीरोइन संध्या जी की कोई बॉडी डबल नहीं मिल रही थी। शांताराम जी ने मुझे संध्या जी का बॉडी डबल बना दिया और इस तरह मेरी फिल्मों में एंट्री हुई। पहली फिल्म की फीस थी 100 रु. शुरुआत में जीतेंद्र को काम तो मिला लेकिन छह महीने तक कोई फीस नहीं मिली। उनसे वी. शांताराम ने वादा किया था कि जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर उन्हें हर महीने 105 रु. दिए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर जब वी.शांताराम ने जीतेंद्र को 1964 में फिल्म 'गीत गाया पत्थरों ने' से ब्रेक दिया और तब अपनी पहली फिल्म की फीस के तौर पर जीतेंद्र को 100 रु. मिले। 'गीत गाया पत्थरों ने' से जीतेंद्र को ब्रेक तो मिला, लेकिन फिल्म फ्लॉप रही। ऐसे में जीतेंद्र को फिर छोटे-मोटे रोल करके गुजारा करना पड़ा। हालांकि, उनके मन में अब भी सोलो लीडिंग स्टार बनने की तमन्ना थी। 1967 में रिलीज हुई ‘फर्ज’ जीतेंद्र के करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई, लेकिन बतौर लीड स्टार फिल्म इंडस्ट्री में जमना उनके लिए आसान नहीं था। सोलो लीड हीरो बनाने से पहले डायरेक्टर ने रखी जीतेंद्र के सामने शर्त एक बार फिल्ममेकर सुबोध मुखर्जी ने जीतेंद्र से कहा कि वो उन्हें लेकर एक सोलो हीरो फिल्म बनाना चाहते हैं। जीतेंद्र खुश हो गए, लेकिन तभी सुबोध ने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा- मैं फिल्म तभी बनाऊंगा, जब हेमा मालिनी इस फिल्म में काम करेंगी। दरअसल, उस दौर में हेमा मालिनी का स्टारडम किसी मेल सुपरस्टार से कम नहीं था। हेमा जिस फिल्म में होती थीं, उसके सफल होने की गारंटी 100% रहती थी। जीतेंद्र भी ये बात भांप गए कि अगर हेमा उनकी हीरोइन बन जाएं तो उनकी भी नैया पार लग जाएगी और वो भी बतौर हीरो स्थापित हो जाएंगे। मगर ये इतना आसान नहीं था। उस समय हेमा के करियर के फैसले उनकी मां जया चक्रवर्ती लेती थीं। जब जीतेंद्र ने उन्हें फिल्म के बारे में बताया तो उन्होंने मना कर दिया। जीतेंद्र उनके पीछे पड़ गए और कहा-आपकी बेटी अगर मेरे साथ फिल्म कर लेगी तो मेरा करियर बन जाएगा। आखिरकार जया मान गईं। जीतेंद्र ने ये बात सुबोध मुखर्जी को बताई और उन्होंने झट से हेमा को फिल्म में साइन कर लिया। हेमा को साइन करके डायरेक्टर ने जीतेंद्र को किया फिल्म से बाहर आगे मामले में ट्विस्ट तब आया जब सुबोध मुखर्जी ने फिल्म में जीतेंद्र के बजाए शशि कपूर को हीरो के तौर पर साइन कर लिया। ये बात जानकर जीतेंद्र के पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उन्होंने सुबोध से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'फिल्म के प्रोड्यूसर और फाइनेंसर ने कहा है कि जब हीरोइन हेमा मालिनी है तो हीरो भी बड़ा कास्ट करो, जीतेंद्र को लेने की क्या जरूरत। इसलिए मैंने शशि कपूर के साथ फिल्म अनाउंस कर दी।' जीतेंद्र ने जब सुबोध से कहा कि हेमा मेरी वजह से फिल्म में आई हैं तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि हम यहां बिजनेस करने बैठे हैं। जीतेंद्र इस बात से मायूस हो गए लेकिन इसी दौरान एल.वी प्रसाद ने उन्हें फिल्म 'जीने की राह' का ऑफर दिया। ये फिल्म सुपरहिट हो गई और जीतेंद्र चमक गए जबकि हेमा और शशि कपूर स्टारर फिल्म 'अभिनेत्री' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। हेमा की मां जीतेंद्र से करवाना चाहती थीं बेटी की शादी जब जीतेंद्र बड़े स्टार बन गए तो हेमा की मां जया चक्रवर्ती को वे अपनी बेटी के लिए परफेक्ट लगे। जया, हेमा की उनसे शादी करवाना चाहती थीं। दरअसल, तब हेमा का अफेयर धर्मेंद्र से चल रहा था और संजीव कुमार भी हेमा से शादी का प्रस्ताव उनके घरवालों के सामने रख चुके थे। हेमा की मां को न संजीव कुमार पसंद थे और न ही धर्मेंद्र। वे नहीं चाहती थीं कि हेमा की इन दोनों में से किसी स्टार से शादी हो जबकि जीतेंद्र उन्हें बेटी के लिए पसंद थे। जया चक्रवर्ती ने बेटी हेमा की शादी जीतेंद्र से फिक्स कर दी थी और चेन्नई में दोनों सात फेरे भी लेने वाले थे। तभी धर्मेंद्र शादी के मंडप में जीतेंद्र की गर्लफ्रेंड शोभा को लेकर पहुंच गए और हेमा से उनकी शादी तुड़वा दी थी। इसके कुछ साल बाद जीतेंद्र ने 1974 में गर्लफ्रेंड शोभा से लव मैरिज कर ली थी। श्रीदेवी के साथ हर फिल्म में काम करना चाहते थे जीतेंद्र 1983 में जीतेंद्र ने फिल्म 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी के साथ पहली बार काम किया था। दोनों की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। यही वजह है कि एक दौर ऐसा आया जब जीतेंद्र हर फिल्म में केवल श्रीदेवी के साथ ही काम करना चाहते थे। शक्ति कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'जीतेंद्र को 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी का काम इतना पसंद आया था कि उन्होंने डायरेक्टर राघवेंद्र से कहा कि वे अपनी सभी फिल्मों में उनके अपोजिट केवल श्रीदेवी को बतौर हीरोइन साइन करें।' यही वजह थी कि 'हिम्मतवाला' के बाद राघवेंद्र राव ने जब 'जानी दोस्त' (1983), 'जस्टिस चौधरी' (1983), 'तोहफा' (1984), 'सुहागन' (1986), 'धर्माधिकारी' (1986) और 'दिल लगाके देखो' (1988) फिल्में बनाईं तो उन्होंने इनमें श्रीदेवी को ही लिया। जीतेंद्र को रेखा ने दी थी श्रीदेवी के साथ काम करने की सलाह एक इंटरव्यू में जीतेंद्र ने फिल्म 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी के साथ काम करने के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था, 'श्रीदेवी के साथ काम करने की सलाह मुझे रेखा ने दी थी। एक दिन मैं और रेखा, श्रीदेवी की कोई तेलुगु फिल्म देख रहे थे। रेखा ने मुझसे कहा, 'तुम्हें श्रीदेवी के साथ जरूर काम करना चाहिए। उस वक्त रेखा के पास 'हिम्मतवाला' के लिए डेट्स नहीं थी। वे फिल्म में काम करने से मना कर चुकी थीं। ऐसे में मैंने राघवेंद्र राव को श्रीदेवी को कास्ट करने का सुझाव दिया और वे मान गए। इस तरह 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी की एंट्री हुई। श्रीदेवी का डांस में कोई मुकाबला नहीं था। जब 'हिम्मतवाला' की शूटिंग के दौरान डांस मास्टर हमें स्टेप्स सिखाते थे तो श्रीदेवी केवल दो रिहर्सल में ही स्टेप्स सीख जाती थीं और मैं कई बार प्रैक्टिस करता था लेकिन वे भी मेरे साथ तब तक रिहर्सल करती थीं, जब तक मैं अपना डांस स्टेप परफेक्ट तरीके से न कर लूं।' 8 साल में 60 फिल्मों में काम किया 1975 के आसपास जब जीतेंद्र को बतौर हीरो फिल्में मिलना बंद हो गईं तो उनकी फाइनेंशियल कंडीशन काफी खराब हो गई थी। इसके बाद जीतेंद्र दूसरी बार तब दिवालिया हुए जब उन्होंने फिल्म प्रोड्यूस करने के बारे में सोचा। 1982 में उन्होंने फिल्म 'दीदार-ए-यार' बनाई जो कि फ्लॉप साबित हुई। इससे जीतेंद्र को काफी नुकसान हुआ। खराब आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए जीतेंद्र ने 8 साल में 60 फिल्मों में काम किया। जीतेंद्र के इतनी फिल्में करने पर लोग उन्हें इनसिक्योर एक्टर तक कहने लगे थे, लेकिन जीतेंद्र को इसमें कुछ गलत नहीं लगता। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मैंने 8 साल में लगातार 60 फिल्में इसलिए कीं, क्योंकि ये सच है कि 1980 के दौर में मैं काफी इनसिक्योर था। मैं गोरेगांव की चॉल से उठा व्यक्ति हूं। मैंने वो समय देखा है, जब मेरे घर में पंखा लगा था तो पूरी चॉल के लोग उसे देखने के लिए आए थे। मैंने बुरा दौर करीब से देखा है, इसलिए मैं पागलों की तरह काम करता था।' मैं जॉबलैस हूं' जीतेंद्र 23 साल से फिल्मों से दूर हैं, लेकिन इसके बावजूद वे 1512 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने प्रोडक्शन हाउस बालाजी टेलीफिल्म्स, ऑल्ट बालाजी और बालाजी मोशन पिक्चर के जरिए उनकी सालाना कमाई 300 करोड़ रु. तक है। जीतेंद्र ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था, '20 से ज्यादा साल हो गए, मैं जॉबलैस एक्टर हूं। मैंने अपना एक रुपया नहीं कमाया है। शोभा (पत्नी) और एकता (बेटी) सब काम संभालती हैं। मेरा योगदान केवल इतना है कि मैंने उस पैसे को सही जगह इन्वेस्ट किया है जो कि उन्होंने कमाया है और वो सारे इन्वेस्टमेंट मेरे लिए फायदेमंद साबित हुए हैं।' शराब-सिगरेट को 22 साल से हाथ नहीं लगाया जीतेंद्र ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे पहले खूब सिगरेट और शराब पीते थे, लेकिन 22 साल पहले ये सब छोड़ चुके हैं। जीतेंद्र ने कहा था-जवानी के दिनों में मैंने अपनी हेल्थ के साथ जितने खिलवाड़ करने थे, सब कर चुका। लेकिन जब मैं 60 साल का हुआ तो मैंने ये सब छोड़ दिया। लोग मुझे इस उम्र में भी फिट होने पर कॉम्प्लीमेंट देते हैं तो मैं उन्हें भी ये सब छोड़ने की सलाह देता हूं। आज के दौर में मुझे सलमान खान और ऋतिक रोशन की फिटनेस बहुत अच्छी लगती है।
9 फिल्‍में और दांव पर 600 करोड़, अक्षय-अजय देवगन के लिए ईद पर सलमान का रिकॉर्ड तोड़ पाना लगभग नामुमकिन!
‘बिग बॉस देख रहे हैं’: गृह मंत्रालय के चप्पे-चप्पे पर अब तीसरी आंख से नजर
66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का ऐलान, अंधाधुन बेस्ट हिंदी फिल्म, आयुष्मान और विकी कौशल बेस्ट ऐक्टर
विवादित वीडियो मामला: मुश्किल में एजाज खान, कोर्ट ने 1 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा

राजस्थान


राजस्थान की आदिवासी बहुल बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर चुनावी लड़ाई रोचक हो गई है, जहां कांग्रेस लोगों से अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को वोट न देने की अपील कर रही है। कांग्रेस ने राजस्थान में काफी उतार-चढ़ाव के बाद भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के साथ गठबंधन करने का फैसला किया, जिसके बाद दोनों दलों ने संयुक्त उम्मीदवार राजकुमार रोत को मैदान में उतारा। हालांकि कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार अरविंद डामोर ने नामांकन वापस लेने से इनकार कर दिया। कांग्रेस ने गठबंधन की घोषणा से ठीक पहले डामोर को उम्मीदवार घोषित किया था। BJP उम्मीदवार को हो सकता है फायदा बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर, जो मुकाबला भाजपा और कांग्रेस-बीएपी गठबंधन के बीच माना जा रहा था, वह अब डामोर के अड़ जाने से त्रिकोणीय मुकाबले में तब्दील हो गया है। डामोर के चुनाव मैदान में कूदने से ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के वोट बंटेंगे, जिसका फायदा भाजपा के उम्मीदवार महेंद्रजीत सिंह मालवीय को मिल सकता है। कांग्रेस के स्थानीय नेता लोगों से पार्टी उम्मीदवार के बजाय रोत को वोट देने की अपील कर रहे हैं। वहीं डामोर ने दावा किया है कि उन्हें पार्टी के कई ऐसे नेताओं का समर्थन प्राप्त है, जो बीएपी के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं। अपने ही उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार कर रही कांग्रेस स्थानीय नेता व कांग्रेस विधायक अर्जुन बामनिया के बेटे विकास बामनिया ने कहा कि पार्टी रोत का समर्थन कर रही है। उन्होंने कहा,''हमारा रुख स्पष्ट है, हम बीएपी उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं।'' बामनिया ने कहा कि हम लोगों की भावनाओं और पार्टी से मिले निर्देशों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहे हैं। एक अन्य स्थानीय कांग्रेस नेता ने कहा कि रोत कांग्रेस-बीएपी गठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवार हैं। नेता ने कहा, “हम लोगों से स्पष्ट रूप से कांग्रेस उम्मीदवार (डामोर) को वोट नहीं देने के लिए कह रहे हैं।” कई स्थानीय लोगों ने कहा कि मुकाबला तो मुख्य रूप से मालवीय और रोत के बीच है। हालांकि कुछ का मानना था कि डामोर के पार्टी निर्देशों का पालन नहीं करना कांग्रेस के लिए शर्मनाक है। बांसवाड़ा में 26 अप्रैल को वोटिंग बीएपी की स्थापना 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले हुई। पार्टी के तीन विधायकों में रोत भी शामिल हैं। बांसवाड़ा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोकसभा सीट है और यहां 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मतदान होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां एक रैली को संबोधित किया था। रैली में मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आती है तो वह लोगों की संपत्ति मुसलमानों में समान रूप से पुनर्वितरित कर देगी। मोदी ने इस संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उस टिप्पणी का हवाला दिया कि देश के संसाधनों पर 'पहला हक' अल्पसंख्यक समुदाय का है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं मालवीय वहीं, अपने प्रचार के दौरान मालवीय, रोत पर बांसवाड़ा के लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मालवीय ने कहा,''ये लोग हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों को कहां ले जायेंगे? वे आदिवासी समुदाय को गुमराह कर रहे हैं। एक व्यक्ति का घर बनाने से पूरे समुदाय को फायदा नहीं होता।'' उन्होंने दावा किया कि भाजपा यह सीट भारी मतों के अंतर से जीतेगी और कांग्रेस-बीएपी का गठबंधन नहीं चलेगा। वहीं रोत ने कहा कि भाजपा उम्मीदवार आदिवासी समुदाय को ''बांट'' रहे हैं और उनका दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा,''मालवीय जिस तरह के बयान दे रहे हैं...वह आदिवासी समुदाय को गाली है। भाजपा आदिवासी समुदाय को बांटने की कोशिश कर रही है। हमारे आदिवासी लोग किसी भी पार्टी से जुड़े हों, चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस, लेकिन उन्हें एकजुट करना हमारी जिम्मेदारी है। हम पार्टी से ऊपर सोचते हैं, हम आदिवासी लोगों के लिए सोचते हैं।'
18-19 साल के 45 फीसदी युवा वोट देने नहीं पहुंचे:राजस्थान में फर्स्ट टाइम वोटर्स का मतदान पांच महीने में 22% गिरा; करौली-धौलपुर में 50% से कम वोटिंग
राजस्थान में 12 सीटों पर 57.87 फीसदी मतदान:पिछली बार से 6% कम वोटिंग; नागौर में मिर्धा-बेनीवाल समर्थक भिड़े, चूरू में पोलिंग एजेंट पर हमला
बीजेपी कार्यकर्ता को 'सर तन से जुदा' की धमकी:घर के बाहर मिला कागज, लिखा- 'तुझे नहीं छोड़ने वाले' ; भाजपा ने की सुरक्षा की मांग
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बहुत कुछ


नई दिल्ली,लोकसभा चुनाव के बीच 'विरासत टैक्स' पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई। इस बीच इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का भी इस पर एक बयान बुधवार को सामने आया। उन्होंने कहा कि भारत में विरासत टैक्स लगाने पर बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है। उसके मरने के बाद 45% संपत्ति उसके बच्चों को मिलती है, जबकि 55% पर सरकार का मालिकाना हक हो जाता है। यह बड़ा ही दिलचस्प कानून है। इसके बाद पीएम मोदी, अमित शाह समेत भाजपा के कई नेताओं ने अपनी-अपनी रैलियों में कांग्रेस पर हमला बोला। उधर कांग्रेस ने सैम के बयान से किनारा कर लिया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह उनके निजी विचार हैं। इसका पार्टी से कोई मतलब नहीं है। राहुल गांधी ने आज सुबह नई दिल्ली में एक पार्टी इवेंट में कहा कि मैंने ये नहीं कहा कि हम इस पर कोई एक्शन लेंगे। मैं सिर्फ ये कहा रहा हूं कि हमें ये देखना चाहिए कि कितना अन्याय हुआ है। 'विरासत टैक्स' पर राजनीति: शाह बोले- कांग्रेस की मंशा सामने आई, पीएम ने कहा- कांग्रेस का पंजा आपसे सब छीन लेगा अमित शाह: सैम पित्रोदा के बयान के बाद कांग्रेस की असली मंशा सामने आ गई है। सबसे पहले, कांग्रेस के मेनिफेस्टो में सर्वे का जिक्र, मनमोहन सिंह का पुराना बयान जिसमें उन्होंने बताया था कि इस देश की संपदा पर माइनॉरिटी का पहला हक है और अब सैम पित्रोदा का बयान जिसमें उन्होंने कहा है कि अमेरिका की तरह संपत्ति का बंटवारा होना चाहिए। जब पीएम ने इस मुद्दे को उठाया था, तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी बैकफुट पर आ गई थी, कि ऐसी मंशा नहीं थी। लेकिन, सैम पित्रोदा के बयान ने सब साफ कर दिया है। वे लोगों की निजी संपत्ति का सर्वे करना चाहते हैं, उसे सरकारी संपत्ति बनाकर उसे UPA की पिछली सरकार की तरह बांटना चाहते हैं। कांग्रेस को या तो इस मेनिफेस्टो को वापस ले लेना चाहिए या ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि वे यही चाहते हैं। मैं चाहता हूं कि लोग सैम पित्रोदा के स्टेटमेंट को गंभीरता से लें। मल्लिकार्जुन खड़गे: देश में एक संविधान है। हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है। पत्रकारों से कहा कि आप उनके (पीएम मोदी के) आइडिया पर हमारा नाम क्यों लगा रहे हैं। सिर्फ वोट की खातिर पीएम मोदी ये सारे खेल खेल रहे हैं। राहुल गांधी: राहुल गांधी ने नई दिल्ली में एक पार्टी इवेंट में कहा, 'मैं कह रहा हूं हिंदुस्तान में आज 90% लोगों के साथ न्याय हो रहा है। आजतक मैंने यह भी नहीं कहा कि, हम कोई एक्शन लेंगे। मैंने बस ये कहा कि, पता लगाते हैं कि कितना न्याय हो रहा है। इस पर तो कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए।' पीएम मोदी: पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कहा कि कांग्रेस कहती है कि वो माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी। आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हैं, वो आपके बच्चों को नहीं मिलेगी। वो भी कांग्रेस का पंजा आपसे छीन लेगा। कांग्रेस का ये मंत्र आपकी संपत्ति छीन लेगा, आपको लूट लेगा। कांग्रेस का मंत्र है, जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी। जब तक आप जीवित रहेंगे, कांग्रेस आपको ज्यादा टैक्स से मारेगी। जिन लोगों ने पूरी कांग्रेस पार्टी पैतृक संपत्ति मानकर अपने बच्चों को दे दी, वो नहीं चाहते कि सामान्य भारतीय अपने बच्चों को दें। BJP बोली- कांग्रेस ने भारत को बर्बाद करने की ठान ली है सैम पित्रोदा के बयान के बाद भाजपा ने उनकी आलोचना शुरू कर दी है। BJP आईटी सेल चीफ अमित मालवीय ने ट्वीट करके कहा है कि कांग्रेस ने भारत को बर्बाद करने की ठान ली है। अब सैम पित्रोदा संपत्ति वितरण के लिए 50 फीसदी विरासत कर की वकालत करते हैं। इसका मतलब यह है कि हम अपनी सारी मेहनत से जो कुछ भी बनाएंगे, उसका 50 फीसदी छीन लिया जाएगा। इसके अलावा अगर कांग्रेस जीतती है तो हम जो भी टैक्स देते हैं, वह भी बढ़ जाएगा।
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण की वोटिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कांग्रेस पर लगाए गए गंभीर आरोप ने पूरे देश में खलबली मचा दी है। आरोप इतने गंभीर हैं कि कांग्रेस पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुकी है और सफाई देने में जुट गई है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस के मंसूबों का खुलासा किया है। पीएम मोदी ने ये भी बताया है कि कांग्रेस का खतरनाक मंसूबा उनके घोषणापत्र में भी दिखाई दे रहा है। आइए, सबसे पहले जानते हैं कि पीएम मोदी ने चुनावी सभा के दौरान कांग्रेस के किस खतरनाक इरादे का खुलासा किया और क्या कहा.... पीएम मोदी ने कांग्रेस पर क्या गंभीर आरोप लगाए पीएम मोदी ने सबसे पहले राजस्थान के बांसवाड़ा में जनसभा के दौरान कांग्रेस की नीयत और नीति पर सवाल उठाया और फिर 22 अप्रैल, सोमवार को अलीगढ़ में भी अपने भाषण के दौरान कांग्रेस की मंशा के बारे में बताया। पीएम मोदी ने कहा, "कांग्रेस की नजर आम लोगों की मेहनत की कमाई पर है, प्रॉपर्टी पर है, महिलाओं के मंगलसूत्र पर है। कांग्रेस ने इरादा जाहिर कर दिया है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों के घरों, प्रॉपर्टी और गहनों का सर्वे कराएगी। फिर लोगों की कमाई कांग्रेस के पंजे में होगी। कांग्रेस की नजर देश की महिलाओं के गहनों पर है, माताओं-बहनों के मंगलसूत्र पर है। वो उसे छीन लेना चाहती है। कांग्रेस के मैनिफेस्टो में उसके इरादे साफ-साफ लिखे हैं। कांग्रेस जानना चाहती है कि किसके पास कितनी प्रॉपर्टी है, कितनी जमीन है, कितने मकान हैं, किसकी कितनी सैलरी है और बैंक में कितना फिक्स्ड डिपॉजिट है। अगर कांग्रेस की सरकार आई तो लोगों के बैंक अकाउंट में झांकेगी, लॉकर खंगालेगी, जमीन-जायदाद का पता लगाएगी और फिर सबकुछ छीनकर, उसपर कब्जा करके, उसे पब्लिक के बीच बांट देगी। सवाल सिर्फ गहनों का ही नहीं है, कांग्रेस पार्टी लोगों की प्रॉपर्टी भी हथियाना चाहती है, उसपर कब्जा करना चाहती है। अगर कांग्रेस की सरकार आई तो जिसके पास दो घर हैं, उसका एक घर छिन जाएगा, क्योंकि इंडी अलायंस के लोग देश में उस कम्युनिस्ट सोच को लागू करना चाहते हैं, जिसने कई देशों को बर्बाद कर दिया।" पीएम मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में अपनी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि ये लोग संपत्ति इकट्ठा करके उन लोगों को बांटेंगे, जिनके ज्यादा बच्चे हैं। यह संपत्ति उनको बांटेंगे, जिन्हें मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। कांग्रेस के घोषणापत्र को डिकोड करने में राहुल गांधी ने कैसे की पीएम मोदी की मदद आइए, अब ये जानते हैं कि कांग्रेस के 'न्याय पत्र' को डिकोड करने में पीएम मोदी की मदद किसने की? प्रधानमंत्री की मदद किसी और ने नहीं, बल्कि कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी ने अपने भाषण के जरिए खुद की। कांग्रेस ने जब यह घोषणापत्र जारी किया, तो राहुल गांधी ने खुद अपने भाषण के जरिए इसके सार को समझाया। अब राहुल गांधी ने अपने भाषण में क्या कहा, ये आप भी जान लीजिए। राहुल गांधी ने 6 अप्रैल, 2024 को कहा, "देश का एक्स-रे कर देंगे। दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। पिछड़े वर्ग को, दलितों को, आदिवासियों को, गरीब जनरल कास्ट के लोगों को, माइनॉरिटी को पता लग जाएगा कि इस देश में उनकी भागीदारी कितनी है। इसके बाद हम फाइनेंशियल और इंस्टीट्युशनल सर्वे करेंगे। ये पता लगाएंगे कि हिंदुस्तान का धन किसके हाथों में है, कौन से वर्ग के हाथ में है और इस ऐतिहासिक कदम के बाद हम क्रांतिकारी काम शुरू करेंगे। जो आपका हक बनता है, वो हम आपके लिए आपको देने का काम करेंगे।" राहुल गांधी के इसी बयान के कारण पीएम मोदी को कांग्रेस के खिलाफ बोलने का मौका मिला। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में क्या वादा किया? कांग्रेस ने 5 अप्रैल को अपना घोषणापत्र जारी किया और देशव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना का वादा किया। घोषणापत्र में कहा गया है, "कांग्रेस जातियों, उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना करेगी। आंकड़ों के आधार पर, हम सकारात्मक कार्रवाई के एजेंडे को मजबूत करेंगे।" कांग्रेस ने घोषणापत्र में कहा है: कांग्रेस गारंटी देती है कि वह एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत बढ़ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पारित करेगी। हम नीतियों में उपयुक्त बदलावों के माध्यम से धन और आय की बढ़ती असमानता को संबोधित करेंगे। कांग्रेस के घोषणापत्र के कुछ हिस्से 'अल्पसंख्यक' वर्ग से हम अल्पसंख्यक छात्रों और युवाओं को शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, सेवाओं, खेल, कला और अन्य क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित और सहायता करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले। मुसलमानों को रिजर्वेशन देने पर अड़ी कांग्रेस आइए, अब आपको ये समझाते हैं कि मुसलमानों के प्रति कांग्रेस का तथाकथित प्रेम कब प्रायोरिटी में बदल गया। दरअसल, इस 'पायलट प्रोजेक्ट' की शुरुआत 2004 से आंध्र प्रदेश में हुई, जब कांग्रेस की सरकार बनी। आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 2004 से 2010 के बीच मुसलमानों को खास रिजर्वेशन देने के लिए 4 बार प्रयास किया गया और हर बार आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा इसे असंवैधानिक बताकर ब्रेक लगा दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम को टाइमलाइन के जरिए समझते हैं: 12 जुलाई, 2004: आंध्र प्रदेश में वाईएसआर रेड्डी के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मुसलमानों के लिए 5% आरक्षण शुरू करने के अपने फैसले की घोषणा की। 21 सितंबर, 2004: आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय ने मुस्लिम आरक्षण के आदेश को रद्द कर दिया। नवंबर, 2004: कांग्रेस मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी ने नवंबर 2004 में डी. सुब्रमण्यम आयोग का गठन किया. 14 जून, 2005: न्यायमूर्ति डी. सुब्रमण्यम आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और मुसलमानों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने की सिफारिश की। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि यह सिफारिश लागू की जाती, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण के लिए निर्धारित 50% की सीमा का उल्लंघन हो जाता। 20 जून, 2005: आंध्र प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में 5% मुस्लिम आरक्षण के लिए एक अध्यादेश जारी किया। 25 अक्टूबर, 2005: आंध्र प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग (APBC) द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट के आधार पर, राज्य ने अध्यादेश को एक अधिनियम में परिवर्तित करने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया था। 21 नवंबर, 2005: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने माना कि मुसलमानों के लिए आरक्षण असंवैधानिक है। 14 दिसंबर, 2005: आंध्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. 4 जनवरी, 2006: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर सीमित अंतरिम रोक लगा दी। जो लोग आरक्षण अधिनियम के आधार पर पहले ही भर्ती हो चुके थे उन्हें तो रहने की अनुमति दे दी गई लेकिन भविष्य में आरक्षण के आधार पर होने वाली सभी भर्तियों पर रोक लगा दी गई। 2006 में डॉ. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में शामिल श्री अर्जुन सिंह ने भी दोहराया था कि मुसलमानों को आरक्षण दिया जा सकता है। 17 अप्रैल, 2007: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने माना कि आंध्र प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग (APBC) की सिफारिशें अवैज्ञानिक थीं और इसका जमीनी हकीकत से कोई संबंध नहीं था। आंध्र सरकार ने इस मामले को नए सिरे से पिछड़ा वर्ग आयोग और सेवानिवृत्त सिविल सेवक पी.एस. कृष्णन की अध्यक्षता में एक अन्य समूह में भेजा। 11 जून, 2007: पी.एस. कृष्णन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मुसलमानों में 14 पिछड़े वर्ग हैं। 3 जुलाई, 2007: आंध्र प्रदेश पिछड़ा आयोग ने मुसलमानों के 15 वर्गों के लिए 4% आरक्षण की सिफारिश की। 7 जुलाई, 2007: ABPC की नई सिफ़ारिश के आधार पर आंध्र सरकार ने फिर से मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का आदेश जारी कर दिया। 8 फरवरी, 2010: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की 7 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 5:2 के बहुमत के फैसले से ये माना कि राज्य में पिछड़े वर्ग के मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला कानून टिकाऊ नहीं था और अनुच्छेद 14, 15(1) और 16(2) का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि आरक्षण धर्म विशिष्ट है और संभावित रूप से धार्मिक रूपांतरण को प्रोत्साहित करता है। 25 मार्च, 2010: सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए 4% आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा और मामले को अंतिम निर्णय के लिए संवैधानिक पीठ को भेज दिया। 22 दिसंबर, 2011: इसके बाद यूपीए सरकार ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण में से मुसलमानों के लिए 4.5 प्रतिशत का सबकोटा तैयार किया। ऐसा करने से ओबीसी का कोटा सीधे तौर पर कम हो गया। आपको बता दें कि यह फैसला जब लिया गया, तब उसके तुरंत बाद 2012 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे। 29 मई, 2012: आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस नवीनतम 4.5% मुस्लिम आरक्षण वाले कदम को भी रद्द कर दिया। 13 जून, 2012: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपीए का आरक्षण आदेश पूरी तरह से धार्मिक विचार पर आधारित था और संविधान द्वारा समर्थित नहीं था। 5 जून, 2013: यूपीए सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान ने फिर कहा कि यूपीए 4.5% मुस्लिम कोटा लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। फरवरी, 2014: यूपीए सरकार मुस्लिम आरक्षण की गुहार लगाने सुप्रीम कोर्ट फिर से गई. सुप्रीम कोर्ट यूपीए सरकार के सेंट्रल मुस्लिम कोटा को आंध्र प्रदेश मुस्लिम कोटा मामले के साथ जोड़ने और संवैधानिक पीठ के माध्यम से मामले की सुनवाई करने पर सहमत हुआ। कर्नाटक मुस्लिम रिजर्वेशन केस : 2023 में भाजपा के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने 4 प्रतिशत का मुस्लिम कोटा खत्म कर दिया और लिंगायत और वोक्कालिगा का कोटा 2-2 प्रतिशत बढ़ा दिया। हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सत्ता में वापस आने पर मुस्लिम कोटा बहाल करने का वादा किया। मौजूदा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के इस रिकॉर्ड को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य बीजेपी नेता कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोल रहे हैं. कांग्रेस को अब अपने पुराने ट्रैक रिकॉर्ड और कार्यों पर आत्ममंथन करने की जरूरत है।
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