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बॉलीवुड के बीते जमाने के स्टार जीतेंद्र आज 82 साल के हो गए। तकरीबन चार दशक लंबे करियर में जीतेंद्र ने 'तोहफा', 'हिम्मतवाला', 'कारवां', 'परिचय', 'मवाली' समेत कई हिट फिल्मों में काम किया है। अपने अनोखे डांसिंग स्टाइल की वजह से लोग उन्हें जंपिंग जैक बुलाते थे। जीतेंद्र ने करीब 121 हिट फिल्में दीं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कभी बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड नहीं मिला। कभी 8 साल में 60 फिल्मों में काम करने वाले जीतेंद्र तकरीबन 23 साल पहले एक्टिंग छोड़ चुके हैं। 2001 में उन्हें फिल्म ‘कुछ तो है’ में देखा गया था। इसके बाद वो कुछ टीवी सीरियलों और वेब सीरीज में चंद मिनट के लिए ही नजर आए हैं। एक इंटरव्यू में जीतेंद्र ने तो ये तक कहा था कि उन्हें याद ही नहीं है कि वे कभी एक्टर थे। वैसे, एक्टिंग के अलावा जीतेंद्र ने प्रोडक्शन हाउस से भी मोटी कमाई की, लेकिन फिल्में प्रोड्यूस करते हुए जीतेंद्र दो बार दिवालिया भी हो गए थे। जीतेंद्र ने तब भी हार नहीं मानी और आज उनकी संपत्ति 1512 करोड़ रुपए है। जन्मदिन के मौके पर जानते हैं जीतेंद्र की लाइफ के कुछ दिलचस्प किस्से… राजेश खन्ना थे जीतेंद्र के क्लासमेट जीतेंद्र का जन्म 7 अप्रैल 1942 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। उनका असली नाम रवि कपूर है। जीतेंद्र के पिता अमरनाथ फिल्म इंडस्ट्री में नकली ज्वेलरी सप्लाई करने का काम करते थे, इसलिए पूरी फैमिली अमृतसर से मुंबई आकर बस गई थी। जीतेंद्र की शुरुआती पढ़ाई सेंट सेबेस्टियन गोअन हाई स्कूल, मुंबई में हुई थी। इसी स्कूल में उनके साथ राजेश खन्ना भी पढ़ते थे और दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। जीतेंद्र ने आगे की पढ़ाई मुंबई के सिद्धार्थ कॉलेज से पूरी की। ज्वेलरी सप्लाई करते-करते बने बॉडी डबल जीतेंद्र जब बड़े हुए तो अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाने लगे। इसी सिलसिले में एक दिन वे फिल्ममेकर वी शांताराम से मिले। फिर अक्सर ज्वेलरी सप्लाई के सिलसिले में जीतेंद्र का शांताराम की फिल्म कंपनी में आना-जाना लगा रहता था। इसी दौरान उनके मन में हीरो बनने की इच्छा जाग गई। उन्होंने वी शांताराम से किसी फिल्म की शूटिंग देखने की इच्छा जताई। शांताराम ने कहा-सिर्फ शूटिंग देखने से काम नहीं चलेगा। काम करोगे? जीतेंद्र ने तुरंत हामी भर दी। फिल्म 'नवरंग' की शूटिंग के दौरान जीतेंद्र को छोटे-मोटे काम मिल जाया करते थे। लेकिन एक दिन ऐसा आया जब जीतेंद्र की किस्मत चमक गई। ये किस्सा उन्होंने खुद 'द कपिल शर्मा शो' के दौरान सुनाया था। जब कपिल शर्मा ने उनसे पूछा था कि क्या आप स्ट्रगल के दिनों में हीरोइन के बॉडी डबल बने थे? इस पर जीतेंद्र ने कहा था, हां, मैं फिल्म 'सेहरा' की शूटिंग के दौरान जूनियर आर्टिस्ट था। मुझे शांताराम जी की चमचागिरी करनी पड़ती थी, मैं उस वक्त कुछ भी करने को तैयार था। तो एक दिन बीकानेर में शूटिंग के वक्त हीरोइन संध्या जी की कोई बॉडी डबल नहीं मिल रही थी। शांताराम जी ने मुझे संध्या जी का बॉडी डबल बना दिया और इस तरह मेरी फिल्मों में एंट्री हुई। पहली फिल्म की फीस थी 100 रु. शुरुआत में जीतेंद्र को काम तो मिला लेकिन छह महीने तक कोई फीस नहीं मिली। उनसे वी. शांताराम ने वादा किया था कि जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर उन्हें हर महीने 105 रु. दिए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर जब वी.शांताराम ने जीतेंद्र को 1964 में फिल्म 'गीत गाया पत्थरों ने' से ब्रेक दिया और तब अपनी पहली फिल्म की फीस के तौर पर जीतेंद्र को 100 रु. मिले। 'गीत गाया पत्थरों ने' से जीतेंद्र को ब्रेक तो मिला, लेकिन फिल्म फ्लॉप रही। ऐसे में जीतेंद्र को फिर छोटे-मोटे रोल करके गुजारा करना पड़ा। हालांकि, उनके मन में अब भी सोलो लीडिंग स्टार बनने की तमन्ना थी। 1967 में रिलीज हुई ‘फर्ज’ जीतेंद्र के करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई, लेकिन बतौर लीड स्टार फिल्म इंडस्ट्री में जमना उनके लिए आसान नहीं था। सोलो लीड हीरो बनाने से पहले डायरेक्टर ने रखी जीतेंद्र के सामने शर्त एक बार फिल्ममेकर सुबोध मुखर्जी ने जीतेंद्र से कहा कि वो उन्हें लेकर एक सोलो हीरो फिल्म बनाना चाहते हैं। जीतेंद्र खुश हो गए, लेकिन तभी सुबोध ने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा- मैं फिल्म तभी बनाऊंगा, जब हेमा मालिनी इस फिल्म में काम करेंगी। दरअसल, उस दौर में हेमा मालिनी का स्टारडम किसी मेल सुपरस्टार से कम नहीं था। हेमा जिस फिल्म में होती थीं, उसके सफल होने की गारंटी 100% रहती थी। जीतेंद्र भी ये बात भांप गए कि अगर हेमा उनकी हीरोइन बन जाएं तो उनकी भी नैया पार लग जाएगी और वो भी बतौर हीरो स्थापित हो जाएंगे। मगर ये इतना आसान नहीं था। उस समय हेमा के करियर के फैसले उनकी मां जया चक्रवर्ती लेती थीं। जब जीतेंद्र ने उन्हें फिल्म के बारे में बताया तो उन्होंने मना कर दिया। जीतेंद्र उनके पीछे पड़ गए और कहा-आपकी बेटी अगर मेरे साथ फिल्म कर लेगी तो मेरा करियर बन जाएगा। आखिरकार जया मान गईं। जीतेंद्र ने ये बात सुबोध मुखर्जी को बताई और उन्होंने झट से हेमा को फिल्म में साइन कर लिया। हेमा को साइन करके डायरेक्टर ने जीतेंद्र को किया फिल्म से बाहर आगे मामले में ट्विस्ट तब आया जब सुबोध मुखर्जी ने फिल्म में जीतेंद्र के बजाए शशि कपूर को हीरो के तौर पर साइन कर लिया। ये बात जानकर जीतेंद्र के पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उन्होंने सुबोध से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, 'फिल्म के प्रोड्यूसर और फाइनेंसर ने कहा है कि जब हीरोइन हेमा मालिनी है तो हीरो भी बड़ा कास्ट करो, जीतेंद्र को लेने की क्या जरूरत। इसलिए मैंने शशि कपूर के साथ फिल्म अनाउंस कर दी।' जीतेंद्र ने जब सुबोध से कहा कि हेमा मेरी वजह से फिल्म में आई हैं तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि हम यहां बिजनेस करने बैठे हैं। जीतेंद्र इस बात से मायूस हो गए लेकिन इसी दौरान एल.वी प्रसाद ने उन्हें फिल्म 'जीने की राह' का ऑफर दिया। ये फिल्म सुपरहिट हो गई और जीतेंद्र चमक गए जबकि हेमा और शशि कपूर स्टारर फिल्म 'अभिनेत्री' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। हेमा की मां जीतेंद्र से करवाना चाहती थीं बेटी की शादी जब जीतेंद्र बड़े स्टार बन गए तो हेमा की मां जया चक्रवर्ती को वे अपनी बेटी के लिए परफेक्ट लगे। जया, हेमा की उनसे शादी करवाना चाहती थीं। दरअसल, तब हेमा का अफेयर धर्मेंद्र से चल रहा था और संजीव कुमार भी हेमा से शादी का प्रस्ताव उनके घरवालों के सामने रख चुके थे। हेमा की मां को न संजीव कुमार पसंद थे और न ही धर्मेंद्र। वे नहीं चाहती थीं कि हेमा की इन दोनों में से किसी स्टार से शादी हो जबकि जीतेंद्र उन्हें बेटी के लिए पसंद थे। जया चक्रवर्ती ने बेटी हेमा की शादी जीतेंद्र से फिक्स कर दी थी और चेन्नई में दोनों सात फेरे भी लेने वाले थे। तभी धर्मेंद्र शादी के मंडप में जीतेंद्र की गर्लफ्रेंड शोभा को लेकर पहुंच गए और हेमा से उनकी शादी तुड़वा दी थी। इसके कुछ साल बाद जीतेंद्र ने 1974 में गर्लफ्रेंड शोभा से लव मैरिज कर ली थी। श्रीदेवी के साथ हर फिल्म में काम करना चाहते थे जीतेंद्र 1983 में जीतेंद्र ने फिल्म 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी के साथ पहली बार काम किया था। दोनों की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। यही वजह है कि एक दौर ऐसा आया जब जीतेंद्र हर फिल्म में केवल श्रीदेवी के साथ ही काम करना चाहते थे। शक्ति कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'जीतेंद्र को 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी का काम इतना पसंद आया था कि उन्होंने डायरेक्टर राघवेंद्र से कहा कि वे अपनी सभी फिल्मों में उनके अपोजिट केवल श्रीदेवी को बतौर हीरोइन साइन करें।' यही वजह थी कि 'हिम्मतवाला' के बाद राघवेंद्र राव ने जब 'जानी दोस्त' (1983), 'जस्टिस चौधरी' (1983), 'तोहफा' (1984), 'सुहागन' (1986), 'धर्माधिकारी' (1986) और 'दिल लगाके देखो' (1988) फिल्में बनाईं तो उन्होंने इनमें श्रीदेवी को ही लिया। जीतेंद्र को रेखा ने दी थी श्रीदेवी के साथ काम करने की सलाह एक इंटरव्यू में जीतेंद्र ने फिल्म 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी के साथ काम करने के बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था, 'श्रीदेवी के साथ काम करने की सलाह मुझे रेखा ने दी थी। एक दिन मैं और रेखा, श्रीदेवी की कोई तेलुगु फिल्म देख रहे थे। रेखा ने मुझसे कहा, 'तुम्हें श्रीदेवी के साथ जरूर काम करना चाहिए। उस वक्त रेखा के पास 'हिम्मतवाला' के लिए डेट्स नहीं थी। वे फिल्म में काम करने से मना कर चुकी थीं। ऐसे में मैंने राघवेंद्र राव को श्रीदेवी को कास्ट करने का सुझाव दिया और वे मान गए। इस तरह 'हिम्मतवाला' में श्रीदेवी की एंट्री हुई। श्रीदेवी का डांस में कोई मुकाबला नहीं था। जब 'हिम्मतवाला' की शूटिंग के दौरान डांस मास्टर हमें स्टेप्स सिखाते थे तो श्रीदेवी केवल दो रिहर्सल में ही स्टेप्स सीख जाती थीं और मैं कई बार प्रैक्टिस करता था लेकिन वे भी मेरे साथ तब तक रिहर्सल करती थीं, जब तक मैं अपना डांस स्टेप परफेक्ट तरीके से न कर लूं।' 8 साल में 60 फिल्मों में काम किया 1975 के आसपास जब जीतेंद्र को बतौर हीरो फिल्में मिलना बंद हो गईं तो उनकी फाइनेंशियल कंडीशन काफी खराब हो गई थी। इसके बाद जीतेंद्र दूसरी बार तब दिवालिया हुए जब उन्होंने फिल्म प्रोड्यूस करने के बारे में सोचा। 1982 में उन्होंने फिल्म 'दीदार-ए-यार' बनाई जो कि फ्लॉप साबित हुई। इससे जीतेंद्र को काफी नुकसान हुआ। खराब आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए जीतेंद्र ने 8 साल में 60 फिल्मों में काम किया। जीतेंद्र के इतनी फिल्में करने पर लोग उन्हें इनसिक्योर एक्टर तक कहने लगे थे, लेकिन जीतेंद्र को इसमें कुछ गलत नहीं लगता। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मैंने 8 साल में लगातार 60 फिल्में इसलिए कीं, क्योंकि ये सच है कि 1980 के दौर में मैं काफी इनसिक्योर था। मैं गोरेगांव की चॉल से उठा व्यक्ति हूं। मैंने वो समय देखा है, जब मेरे घर में पंखा लगा था तो पूरी चॉल के लोग उसे देखने के लिए आए थे। मैंने बुरा दौर करीब से देखा है, इसलिए मैं पागलों की तरह काम करता था।' मैं जॉबलैस हूं' जीतेंद्र 23 साल से फिल्मों से दूर हैं, लेकिन इसके बावजूद वे 1512 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने प्रोडक्शन हाउस बालाजी टेलीफिल्म्स, ऑल्ट बालाजी और बालाजी मोशन पिक्चर के जरिए उनकी सालाना कमाई 300 करोड़ रु. तक है। जीतेंद्र ने कुछ साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था, '20 से ज्यादा साल हो गए, मैं जॉबलैस एक्टर हूं। मैंने अपना एक रुपया नहीं कमाया है। शोभा (पत्नी) और एकता (बेटी) सब काम संभालती हैं। मेरा योगदान केवल इतना है कि मैंने उस पैसे को सही जगह इन्वेस्ट किया है जो कि उन्होंने कमाया है और वो सारे इन्वेस्टमेंट मेरे लिए फायदेमंद साबित हुए हैं।' शराब-सिगरेट को 22 साल से हाथ नहीं लगाया जीतेंद्र ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे पहले खूब सिगरेट और शराब पीते थे, लेकिन 22 साल पहले ये सब छोड़ चुके हैं। जीतेंद्र ने कहा था-जवानी के दिनों में मैंने अपनी हेल्थ के साथ जितने खिलवाड़ करने थे, सब कर चुका। लेकिन जब मैं 60 साल का हुआ तो मैंने ये सब छोड़ दिया। लोग मुझे इस उम्र में भी फिट होने पर कॉम्प्लीमेंट देते हैं तो मैं उन्हें भी ये सब छोड़ने की सलाह देता हूं। आज के दौर में मुझे सलमान खान और ऋतिक रोशन की फिटनेस बहुत अच्छी लगती है।
9 फिल्‍में और दांव पर 600 करोड़, अक्षय-अजय देवगन के लिए ईद पर सलमान का रिकॉर्ड तोड़ पाना लगभग नामुमकिन!
‘बिग बॉस देख रहे हैं’: गृह मंत्रालय के चप्पे-चप्पे पर अब तीसरी आंख से नजर
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विवादित वीडियो मामला: मुश्किल में एजाज खान, कोर्ट ने 1 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा

राजस्थान


जयपुर: पिछले दिनों जब राज्य सरकार ने अंग्रेजी मीडियम की सरकारी स्कूलों पर समीक्षा करने के लिए मंत्रिमंडलीय कमेटी का गठन किया तो स्कूलों को बंद किए जाने के सवाल उठने लगे। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासन में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों का संचालन शुरु किया गया था। पूर्ववर्ती सरकार के इस फैसले पर समीक्षा के लिए कमेटी बनाई गई तो कांग्रेसी नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई नेताओं ने कहा कि भजनलाल सरकार बच्चों के भविष्य को बर्बाद करना चाहती है। स्कूलें बंद करने का विचार करना ही बच्चों के भविष्य के खिलाफ है। गहलोत के इस बयान के बाद सरकार के मंत्री जोगाराम पटेल ने पलटवार किया है। पटेल ने कहा कि सभी स्कूलों को बंद नहीं कर रहे हैं। समीक्षा से वस्तु स्थिति आएगी सामने कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सरकार इंग्लिश मीडियम की सभी स्कूलों को बंद नहीं करने जा रही है लेकिन इस पर समीक्षा करना जरूरी है। समीक्षा से सरकारी अंग्रेजी मीडियम की स्कूलों की वास्तविक स्थिति सामने आएगी। पटेल ने कहा कि अधिकतर स्कूलों में केवल इंग्लिश मीडियम के बोर्ड लगाए गए हैं। योग्य टीचर और पाठ्य सामग्री को लेकर कई तरह की शिकायतें सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों की स्थिति सही है, उन्हें बरकरार रखा जाएगा। कई स्कूलें ऐसी भी हैं जहां पर दक्ष शिक्षकों की व्यवस्था नहीं है। वहां अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो रही है। ऐसी स्कूलों पर केवल अंग्रेजी मीडियम का बोर्ड लगाना उचित नहीं है। केवल राजनैतिक लाभ के लिए लगा दिए बोर्ड पटेल ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कई फैसले राजनैतिक लाभ के लिए लिये थे। यह किसी से छिपा नहीं है। इंग्लिश मीडियम स्कूलें भी बिना किसी तैयारी के खोल दी गई। कांग्रेस ने इस बात का बिल्कुल ध्यान रखा कि अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढाई का स्तर और गुणवत्ता भी सुधारनी है। कई स्कूलें ऐसी भी हैं जहां स्टूडेंट्स का एडमिशन भी नहीं हो रहा है। वहां अभिभावक खुद चाहते हैं कि उन्हें हिंदी मीडियम स्कूल चाहिए। इन्हीं को देखते हुए सरकार ने समीक्षा के लिए कमेटी बनाई है।
राजस्थान: इंग्लिश मीडियम स्कूल बंद होंगे ? संसदीय कार्य मंत्री ने बताया भजनलाल सरकार का प्लान
जयपुर में 'PM मोदी के खिलाफ कैंपेन', बीजेपी IT सेल के संयोजक दिलीप सिंह राव ने किया बड़ा खुलासा
सुखदेव सिंह की हत्या लॉरेंस बिश्नोई ने कराई थी! राज शेखावत के दावे ने फिर मचाई खलबली, एनकाउंटर पर रखा 1 करोड़ से ज्यादा का इनाम
बागी राजेंद्र भांबू को BJP ने उपचुनाव में दिया टिकट

बहुत कुछ


नई दिल्लीः भारत ने अपनी सुरक्षा को और भी मजबूत कर लिया है। देश में ही बने आकाश मिसाइल सिस्टम ने कमाल कर दिखाया है। इस सिस्टम ने पाकिस्तान की तरफ से हो रहे ड्रोन हमलों को नाकाम कर दिया है। 8 और 9 मई की रात को भारतीय सेना ने एक बड़ी सफलता हासिल की। पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर में पश्चिमी सीमा और LoC पर ड्रोन से कई बार घुसपैठ करने की कोशिश की। लेकिन, भारतीय सेना ने उन सभी कोशिशों को नाकाम कर दिया। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि भारत में बना आकाश मिसाइल सिस्टम बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है। इसने पाकिस्तानी हमलों को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय सेना और वायु सेना, दोनों ने ही इस मिसाइल सिस्टम को पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया है। रक्षा अधिकारियों ने कहा, भारत में बने आकाश मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल भारतीय सेना ने पाकिस्तान के हमलों को रोकने के लिए किया है। भारतीय सेना और वायु सेना, दोनों के पास यह मिसाइल सिस्टम पाकिस्तान की सीमा पर मौजूद है। आकाश डिफेंस सिस्टम एक आधुनिक मिसाइल सिस्टम है। यह हवा में मौजूद खतरों से सुरक्षा करता है। यह मिसाइल सिस्टम कम दूरी की मारक क्षमता रखता है। यह चलते-फिरते सैनिकों के साथ-साथ जरूरी जगहों को भी सुरक्षा प्रदान करता है। पढ़िए आकाश डिफेंस मिसाइल सिस्टम की कुछ खास बातें हैं: यह एक कम दूरी का surface-to-air missile (SAM) है। मतलब यह जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह हवा में होने वाले हमलों से सुरक्षा मुहैया कराती है। इसमें कई आधुनिक फीचर्स हैं और यह अलग-अलग जगहों पर आसानी से जा सकती है। इस मिसाइल का मुख्य काम दुश्मन के विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों से जरूरी जगहों और चीजों को बचाना है। यह सिस्टम एक साथ कई खतरों से निपट सकता है। यह ग्रुप में या अकेले भी काम कर सकता है। यह अलग-अलग सेंसर से जानकारी लेता है और खतरों का पता लगाता है। इससे यह एक ही समय में कई खतरों को निशाना बना सकता है। आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम 4.5 किमी से 25 किमी तक की दूरी तक मार कर सकता है। यह मीडियम रेंज का सतह से हवा में मार करने वाला सिस्टम है। यह मध्यम दूरी तक हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह सैनिकों को हवाई हमलों से बचाता है। यह मिसाइल 100 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। यह सिस्टम बहुत ही लचीला है और इसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है। यह ग्रुप में या अकेले भी काम कर सकता है। यह कमांड गाइडेंस का इस्तेमाल करता है। इसे कमांड देकर चलाया जाता है। यह मिसाइल को लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए phased array guidance radar का इस्तेमाल करता है। यह रडार मिसाइल को तब तक गाइड करता है जब तक कि वह लक्ष्य को भेद नहीं देती। आकाश मिसाइल 5.87 मीटर लंबी है, इसका व्यास 350 मिलीमीटर है और इसका वजन लगभग 710 किलोग्राम है। यह पूरा सिस्टम मोबाइल प्लेटफॉर्म पर लगा हुआ है। यानी इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसे सड़क और रेल के जरिए ले जाया जा सकता है और इसे जल्दी से तैनात किया जा सकता है। यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। यह अपने आप ही खतरों का पता लगाता है और उन्हें मार गिराता है। इसमें Electronic Counter-Counter Measures (ECCM) लगे हुए हैं। यह जैमिंग को रोकने में सक्षम है। जैमिंग का मतलब है कि दुश्मन मिसाइल के सिग्नल को जाम करने की कोशिश करता है। इसका ओपन सिस्टम आर्किटेक्चर है। इसका मतलब है कि इसे मौजूदा और भविष्य के एयर डिफेंस नेटवर्क में आसानी से जोड़ा जा सकता है। इस मिसाइल सिस्टम के आने से भारत की सुरक्षा और भी मजबूत हो गई है। यह दुश्मन के ड्रोन और विमानों को मार गिराने में सक्षम है। इससे भारत की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी।
जंग से 'विश्व गुरु' नहीं बन सकता भारत, जम्मू और कश्मीर के मंत्री ने पहलगाम हमले का बताया यह समाधान
विदेशी श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा महाकुंभ, यूएस-रूस और सेंट्रल एशिया के तीर्थ यात्रियों ने लगाई संगम में डुबकी
भारत बनेगा दुनिया का मैनपावर सप्लायर, बजट में मोदी सरकार रख देगी नींव
जदयू सांसद अजय मंडल की गुंडागर्दी, सवाल पूछने पर पत्रकारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, मोबाइल भी छीना

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वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। हालांकि, भारत ने आधिकारिक रूप से इस दावे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने समझौते की पुष्टि की है। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दोनों देशों से बात की थी इसके बाद से माना जा रहा था कि दोनों देशों में शायद तनाव कम हो। ट्रंप ने क्या बताया? ट्रंप ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, " संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात तक चली बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों को सामान्य बुद्धि और महान बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के लिए बधाई। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद।" अमेरिकी विदेश मंत्री ने बताया कैसे हुई डील पिछले 48 घंटों में, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और मैंने वरिष्ठ भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ बातचीत की है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर, सेनाध्यक्ष असीम मुनीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और असीम मलिक शामिल हैं। मुझे यह घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गई हैं तथा तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर वार्ता शुरू करने पर सहमत हो गई हैं। हम शांति का मार्ग चुनने में प्रधानमंत्री मोदी और शरीफ की बुद्धिमत्ता, विवेक और कूटनीति की सराहना करते हैं।
सिंधु समझौता रद्द होने से चमकेगी पंजाब की किस्मत, जम्मू-कश्मीर बन जाएगा भारत का पावर हाउस
मोदी की दो टूक:एक-एक आंसू का होगा हिसाब, गुनाहगारों की कल्पना से बड़ा हगा इंतकाम.
पीएम हाउस पर CCS की बैठक शुरू, पहलगाम हमले के आतंकियों को लेकर होगा बड़ा फैसला!
टिकट खरीदा, बच्चों के साथ किया सफर... PM मोदी ने किया 'नमो भारत' कॉर‍िडोर के दिल्ली रूट का उद्घाटन

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