taaja khabar..हनुमानगढ़ जन आशीर्वाद रैली में शामिल हुईं पूर्व सीएम राजे:भाजपा प्रत्याशी अमित सहू के लिए मांगे वोट..महाराष्ट्र पंचायत चुनाव: 600+ सीटें जीतकर बीजेपी नंबर वन, बारामती में चाचा शरद पर भारी पड़े अजित पवार..हिज्‍बुल्‍लाह ने अगर किया इजरायल पर हमला तो हम देंगे इसका जवाब...अमेरिका ने दी ईरान को खुली धमकी..भारत ने निभाया पड़ोसी धर्म तो गदगद हुआ नेपाल, राजदूत ने दिल खोलकर की मोदी सरकार की तारीफ..

हनुमानगढ़


हनुमानगढ़। तिजारा में मिली ऐतिहासिक विजय के उपलक्ष में टाउन स्थित थेड़ी नाथवाली में श्री बाबा मस्त नाथ गौशाला थेड़ी नाथावाली में समर्थकों एवं आमजन द्वारा उत्साह के साथ जश्न मनाया गया।समर्थकों ने राजस्थान से अपराध भ्रस्टाचार को मिटाने के लिए बाबा बालकनाथ को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की अपील भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन, प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा आदि से अपील की है। समर्थकों का कहना है कि राजस्थान के चौमुखी विकास के लिए महंत बाबा बालकनाथ को मुख्यमंत्री बनाना आवश्यक है और हमे विश्वाश है कि बाबा बालकनाथ समस्त प्रदेश वासियो की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। जीत के उपलक्ष्य में गौशाला में मिठाइयाँ बांटकर व रंग गुलाल उड़ाकर खुशियां मनाई गई। इस अवसर पर राजाराम महला, जगसीर सिंह बराड़, नाहर सिंह राठौड़, सुरेंद्र सिंह सियाग, बाबा हवाई सिंह,अमृत यादव, जोगेंद्र सिंह, विनोद यादव, सतीश डूडी, पंकज अग्रवाल, अर्जुन सोनी, भीम सेन कटारिया सहित भाजपा कार्यकर्ता व भारी संख्या में समस्त ग्रामवासी मौजूद थे।
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नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2019,जब से अमित शाह ने गृह मंत्री का कार्यभार संभाला है, तभी से गृह मंत्रालय हमेशा से ही चर्चा का विषय बना हुआ है. गृह मंत्रालय कब क्या कर रहा है, इसपर हर किसी की नज़र है. राष्ट्रपति भवन के पास नॉर्थ ब्लॉक में मौजूद गृह मंत्रालय के दफ्तर में अब चप्पे-चप्पे नज़र रखी जा रही है, दफ्तर में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. इस मामले में ताजा अपडेट ये है कि पिछले हफ्ते से CCTV कैमरे लगने की शुरुआत जो हुई है अभी तक मंत्रालय की अहम लोकेशन पर पूरी हो चुकी है. नॉर्थ ब्लॉक-साउथ ब्लॉक में मौजूद दफ्तरों पर सुरक्षा काफी कड़ी रहती है, इसी के तहत यहां पर इन सभी काम को किया जा रहा है. गृह मंत्रालय की पूरी सुरक्षा CISF के हाथ में है, जो कि इन CCTV कैमरों की मदद से हर किसी पर नजर रखेंगे. CISF ने इनके अलावा बॉडी कैमरा, एक्स-रे मशीन और मेटल डोर डिटेक्टर भी सुरक्षा में तैनात किए हुए हैं. इनमें काफी सीसीटीवी कैमरे पहले फ्लोर पर लगेंगे, जहां पर गृह मंत्री, गृह राज्य मंत्री, गृह सचिव, सीबीआई डायरेक्टर, IB चीफ, ज्वाइंट सेक्रेटरी रहते हैं. गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, इसे A रूटीन अपग्रेडशन कहा जाता है. ना सिर्फ गृह मंत्रालय बल्कि CCTV के कैमरे अब वित्त मंत्रालय में भी लगाए जा रहे हैं. CCTV से क्या होगा? साफ है कि इन कैमरों के लग जाने के बाद गृह मंत्रालय के हर कोने पर नज़र रहेगी और ये भी पता चलता रहेगा कि कौन किससे मिल रहा है. खास बात ये है कि मंत्रालय में मौजूद मीडिया रूम में भी कैमरे लगाए गए हैं, यानी कौन पत्रकार कब किससे मिल रहा है इसपर भी मंत्रालय की नज़र रहेगी. गृह मंत्रालय में हो रहे इस बदलाव पर मंत्रालय के अफसरों ने भी खुशी जताई है और इस बात का जिक्र किया है कि अब कौन-कब आ रहा है, इसपर आसानी से नज़र रखी जा सकेगी.
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राजस्थान


जयपुर,राजस्थान में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे ज्यादा एक ही बात की चर्चा है कि आखिर मुख्यमंत्री कौन होगा? इसका ठीक से जवाब तो किसी के पास नहीं है, क्योंकि सीएम का फैसला दिल्ली से ही होना है, लेकिन वसुंधरा राजे रिजल्ट के अगले ही दिन एक्टिव हो गई। मंगलवार को प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी भी सक्रिय हो गए। दिल्ली में भी हलचल तेज है। बाबा बालकनाथ, किरोड़ी मीणा भी काफी एक्टिव हैं। इसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं। क्या वसुंधरा राजे तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगी? क्या अर्जुन मेघवाल या किरोड़ी मीणा को बनाकर दलित या आदिवासी कार्ड खेला जाएगा? दैनिक भास्कर ने चुनाव परिणाम के बाद और पहले की स्थितियों की समीक्षा की तो सामने आया कि कई नेता दौड़ में आगे हैं, लेकिन उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं। 1. वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने की कितनी संभावना है? अभी सबसे प्रबल दावेदारों में इनका नाम शामिल हैं। दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्हें प्रशासनिक अनुभव भी हैं, लेकिन सबसे बड़ा संकट है कि वो अपने दो कार्यकाल में सरकार को रिपीट नहीं करवा पाई। दूसरा, पिछले पांच साल में केंद्र से उन्हें ज्यादा महत्व नहीं मिल पाया। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि इनकी 50-50 संभावना है। 2. वसुंधरा राजे कितनी ताकतवर है और इसके मायने क्या है? पहला : 60% विधायकों के समर्थन का दावा राजस्थान में भाजपा ने 115 सीटों पर जीत हासिल की है। समर्थकों का दावा है कि राजे को 60 प्रतिशत विधायकों का समर्थन है। इनके यहां डिनर पॉलिटिक्स में करीब 40 से ज्यादा विधायक शामिल हुए थे, हालांकि समर्थकों का 47 से अधिक का दावा है। तीन विधायकों ने राजे को ही सीएम बनाने की पैरवी भी की। मंगलवार को भी कई विधायकों ने मुलाकात की। ऐसे में संख्या बल के हिसाब से राजे मजबूत दिख रही हैं। निर्दलीय 6 विधायकों में से 4 उनके खेमे के ही हैं। दूसरा : 50 सभाएं, 36 जगह जीत वसुंधरा राजे ने करीब 50 सभाएं कीं, इनमें 36 जगहों पर भाजपा जीती। कुछ विधायकों ने ये तक कह दिया है कि राजे आईं इसलिए उनकी जीत हुई। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजे को शुरुआती एक डेढ़ साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया भी जा सकता है। तीसरा : टिकटों में भी दिखा था प्रभाव राजस्थान में भाजपा की 41 प्रत्याशियों की पहली सूची आई, लेकिन इसमें ज्यादातर वसुंधरा समर्थकों के नाम काट दिए गए। इसके बाद जिस तरह का विरोध सामने आया, केंद्रीय नेतृत्व बैकफुट पर आ गया। बाकी की सूचियों में राजे का प्रभाव नजर आया। चंद लोगों को छोड़ दे तो वसुंधरा अपने ज्यादातर लोगों को टिकट दिलाने में कामयाब रहीं। राजे के मुख्यमंत्री बनने में क्या अड़चन है? पहली : पिछले कार्यकाल में मोदी और शाह से तल्खियां पिछले कार्यकाल में जिस तरह वसुंधरा राजे और मोदी-शाह के बीच तल्खियां रहीं, वो कहीं न कहीं उनके रास्ते में अड़चन हैं। शायद ये ही कारण रहा कि पांच साल में उनको राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के अलावा राजस्थान में कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया। भाजपा ने चुनाव से पहले सीएम फेस भी घोषित नहीं किया, जबकि इससे पहले 2003 से 2018 तक के विधानसभा चुनावों में राजे लगातार भाजपा का सीएम फेस रहीं। दूसरा : 2014 में सांसदों काे लामबंद करने की कोशिश बतौर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में जब 2014 में राजस्थान की सभी 25 सीटें भाजपा को मिलीं और मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने सांसदों को दिल्ली में लामबंद करने का प्रयास किया था। राजे का कहना था कि राजस्थान को मोदी मंत्रिमंडल में उचित संख्या में प्रतिनिधित्व नहीं मिला था। उस समय की घटना ने काफी सुर्खियां भी बटोरी थीं। तीसरा : 'गहलोत-राजे एक दूसरे के सहयोगी' का परसेप्शन पिछले दो चुनाव के बाद ये धारणा बनी कि निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे का राजनीतिक रूप से एक दूसरे के सहयोगी हैं। गहलोत एक-दो बार इसका जिक्र कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने इसका खंडन भी किया था, लेकिन वसुंधरा से नाराज धड़ा हर बार इस बात को हवा देता है। 4. … और कौन नाम हो सकते हैं? अभी जो नाम सामने आ रहे हैं, इनमें सबसे प्रमुख तौर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, सांसद बाबा बालकनाथ, किरोड़ी मीणा, दीया कुमारी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अश्विवनी वैष्णव के नाम प्रमुख हैं। इसके अलावा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और छत्तीसगढ़ के चुनाव प्रभारी ओम माथुर का नाम भी दावेदार में शामिल माना जा रहे है। भाजपा की अन्य राज्यों की जीत को देखें, तो हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात जैसे प्रदेशों में वे नाम सीएम के रूप में सामने आए, जो मीडिया में तो क्या किसी के मन में भी नहीं चल रहे थे। ऐसे में राजस्थान में भी कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ जाए, तो आश्चर्य नहीं कहा जा सकता। 5. इनमें सबसे प्रबल दावेदार कौन है और क्यों… केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल : दलित फैक्टर भुना सकती है भाजपा जो परिस्थितियां दिख रही हैं, इसमें अर्जुनराम मेघवाल का नाम सबसे ऊपर हैं, क्योंकि वे दलित समुदाय से आते हैं। राजस्थान में करीब 18 प्रतिशत और देश में 20 फीसदी दलित हैं। भाजपा का कोर वोट बैंक दलितों से अछूता है। भाजपा का किसी प्रदेश में दलित सीएम नहीं है, तो भाजपा उनके नाम पर दांव खेलकर देशभर में लोकसभा चुनाव में इसे भुना सकती है। विधानसभा चुनाव में भी प्रधानमंत्री ने दलित समाज से मुख्य चुनाव आयुक्त(हीरालाल समारिया) होने की बात कहकर वाहवाही लूटी थी। दूसरा मेघवाल मोदी और शाह के करीबी हैं। तीसरा ब्यूरोक्रेट रह चुके हैं तो प्रशासनिक समझ भी है। राजस्थान के विधायकों को इनके नाम पर आपत्ति होने की आशंका भी कम है। नहीं बनाने का कारण क्या : राजस्थान में विधायकों पर पकड़ के हिसाब से वे कमजोर पड़ सकते हैं, क्योंकि राज्य राजनीति में वे जुड़े नहीं रहे। 2014 में चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने आईएएस पद से इस्तीफा दिया था। तब से वे लगातार सांसद हैं और मोदी टीम में मंत्री भी। उन्होंने अपना अधिकतर समय केंद्र की राजनीति में दिया है और इस बार भाजपा आलाकमान ने उन्हें राज्य में सक्रिय रखा है। लो प्रोफाइल भी रहते हैं। ऐसे में उनका संबंध भले ही लगभग सभी से अच्छा दिखाई देता है, लेकिन जब नेतृत्व की बात आएगी, उस समय के समीकरण उनका कितना साथ देंगे, ये देखने वाली बात रहेगी। ओम माथुर : संघ से आते हैं, मोदी के करीबी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, तब से मोदी के काफी करीबी हैं। वे संघ से आते हैं। राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। दूसरा, अभी छत्तीसगढ़ चुनाव में प्रभारी रह चुके हैं। यहां भाजपा के जीतने की संभावना नहीं के बराबर थी, ऐसे में उनकी रणनीति को इस जीत में काफी अहम माना जा रहा है। दूसरा, माथुर को बनाने से भाजपा को मारवाड़, मेवाड़ के राजनीतिक समीकरण भी साधने में काफी मदद मिलेगी। तीसरा वे कायस्थ समाज से आते हैं। राजस्थान में कायस्थ समाज की सभी जगह स्वीकार्यता है। नहीं बनाने का कारण क्या : माथुर को लेकर कहा जाता है कि ये जीतने मोदी के करीब हैं, उतने शाह के नहीं। ऐसे में ये अड़चन है। दूसरा जब माथुर प्रदेश में रहे थे, तब भी राजे और उनके मनमुटाव की खबरें आती रहती थीं। उस दौरान वे राजे के अलावा दूसरा पावर सेंटर माने जाते थे। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग राज्यों में ही जाकर काम किया है। राजस्थान की राजनीति में अधिक सक्रियता दिखाई नहीं दी है। गजेंद्र सिंह शेखावत और अश्विनी वैष्णव: केंद्रीय मंत्री और मोदी के करीबी दोनों केंद्रीय मंत्री हैं। मोदी और शाह के करीबी हैं। शेखावत की राजनीतिक पकड़ भी है। वे प्रदेशाध्यक्ष के दावेदार भी रहे हैं। टैक्नोक्रेट वैष्णव का प्रबंधन अच्छा माना जाता है। शेखावत के बनाने से राजपूत और वैष्णव को बनाने से ब्राह्मणों को साधा जा सकता है। वैष्णव के साथ कोई विवाद भी नहीं जुड़ा है। नहीं बनने का कारण : भाजपा पिछले लंबे समय से कोशिश कर रही है कि वह सवर्ण राजपूत, ब्राह्मण की छवि से बाहर निकलकर अन्य समुदायों पर फोकस करें। भाजपा ने पिछले चुनावों की तुलना में राजपूतों और ब्राह्मणों के टिकट घटाए हैं। ऐसे में संभवत: इनके नाम की लॉटरी मुश्किल से खुले। गहलोत सरकार में शेखावत को लेकर विवाद साथ चले हैं। किरोड़ी लाल मीणा : पेपर लीक जैसे मुद्दों पर गहलोत को घेरा फायर ब्रांड नेता हैं। पिछले चार साल से कमजोर पड़ी भाजपा को पेपर लीक और अन्य मुद्दे लाकर उन्होंने सक्रिय किया है। कई मुद्दे उठाए, जिससे गहलोत फंसे रहे। जातिगत आधार पर देखें तो एससी और एसटी दोनों समुदायों में इनकी बाबा की छवि है। जमीनी पकड़ के कारण प्रदर्शन और आंदोलन में आसानी से समर्थक जुटा लेते हैं। नहीं बनाने का कारण : पूर्वी राजस्थान के नेता है। सभी जगह प्रभाव नहीं है। एक संकट ये भी है कि वे दिमाग से कम दिल से ज्यादा सोचते हैं और करते हैं। इसे प्रशासनिक पकड़ के तौर पर कमजोरी मानी जाती है। सीपी जोशी : साफ छवि, किसी विवाद से नहीं जुड़े सांसद सीपी जोशी को इस विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने चौंकाया था। जोशी संघ से जुड़े हुए हैं। जोशी पहले भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। इस बार चंद्रभान सिंह आक्या ने टिकट वितरण को लेकर जरूर उन पर उंगली उठाई थी, लेकिन कोई विवाद उनसे जुड़ा हुआ नहीं है। नहीं बनाने का कारण : राजस्थान की राजनीति में एक जमीनी कार्यकर्ता के रूप में जुड़े रहे हैं। फिलहाल सभी क्षेत्रों या जातियों के हिसाब से देखें, तो उनका प्रभाव पूरे राजस्थान में नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश स्तरीय नेता की छवि नहीं होने से भी दिक्कत आ सकती है। इनके गृह जिले में चंद्रभान सिंह आक्या ने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय लड़कर जीत दर्ज की है। बालकनाथ और दीया कुमारी बाबा बालकनाथ की तुलना उत्तरप्रदेश के सीएम से तुलना की जा रही है। रोहतक में मठ है, हरियाणा, राजस्थान और आसपास के इलाकों में अच्छा प्रभाव माना जाता है। हिंदुत्व कार्ड में फिट बैठते हैं, भाजपा के लिए ध्रुवीकरण आसान हो जाएगा। साधु-संत को सीएम बनाने से जनता में पॉजिटिव मैसेज जाता है कि भ्रष्टाचार नहीं होगा। दीया कुमारी के साथ सबसे प्लस प्वाइंट ये कि वह केंद्रीय नेतृत्व की करीबी हैं। दूसरा वसुंधरा की जगह ऑप्शन बताया जा सकता है। तीसरा भाजपा महिला कार्ड खेलती है तो उसे फायदा मिलेगा। केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल लाई और भाजपा आलाकमान की ओर से महिला वर्ग को तवज्जो देने का मैसेज देने के लिए दीया कुमारी को भी सीएम बनाने की दिशा में सोचा जा सकता है। नहीं बनाने के समीकरण : वसुंधरा के प्रति बालकनाथ का सॉफ्ट कॉर्नर माना जाता है। जनसभा में कह भी चुके हैं कि वसुंधरा सीएम बनेंगी। राजस्थान की पॉलिटिकल तासीर के हिसाब से पूरी तरह फिट नहीं बैठते। योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने से पहले के उत्तर प्रदेश को देखें, तो राजस्थान में ऐसे हालात भी नहीं रहे हैं। उधर, दीया कुमारी की छवि सॉफ्ट है। अभी राजनीतिक रूप से पार्टी ने उन्हें ज्यादा जगह परखा भी नहीं है। sabhar db
करणी सेना अध्यक्ष की 5 दिन ​​​​​​​रेकी के बाद हत्या:एक आरोपी रेपिस्ट, लग्जरी गाड़ियों का शौकीन; दूसरा फौजी, छुट्‌टी लेकर आया था
सीएम पद के लिए वसुंधरा का शक्ति प्रदर्शन:सुबह से रात तक 30 से ज्यादा विधायक मिलने पहुंचे, समर्थकों का दावा- 47 आए
राजस्थान की 23 सीटों पर महिलाओं ने की बंपर वोटिंग:
भाजपा सरकार होती तो क्या कन्हैयालाल की हत्या होती?':योगी आदित्यनाथ बोले- जब-जब विपदा आती है कोई इटली चला जाता है तो कोई जयपुर

बहुत कुछ


नई दिल्ली,मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 21 सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें से 12 सांसद चुनाव जीते जबकि 9 हार गए। जीते हुए 12 सांसदों में से 11 ने बुधवार को लोकसभा सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। सिर्फ राजस्थान से चुनाव जीतने वाले बालकनाथ ने अभी इस्तीफा नहीं दिया है। संसद सदस्यता छोड़ने वालों में मध्य प्रदेश से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, राकेश सिंह, उदय प्रताप और रीति पाठक हैं। वहीं छत्तीसगढ़ से अरुण साव, रेणुका सिंह और गोमती साय जबकि राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा शामिल हैं। तेलंगाना में विधानसभा चुनाव जीते कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्‌डी ने भी संसद सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। रेवंत कल तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। राजस्थान में 7 सांसदों ने चुनाव लड़ा, 4 जीते, 3 का इस्तीफा राजस्थान से बीजेपी की तरफ से सात सांसदों ने चुनाव लड़ा। जिनमें बाबा बालकनाथ, किरोड़ीलाल मीणा, दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, भागीरथ चौधरी, नरेंद्र खीचड़ और देवजी पटेल शामिल थे। इन सात में से सिर्फ चार ही चुनाव जीत सके। चुनाव जीतने वालों में राज्यवर्धन, बालकनाथ, दीया कुमारी और किरोड़ीलाल का नाम है। जिन्होंने इस्तीफा दिया उनका क्या... राजस्थान से जिन तीन सांसदों ने इस्तीफा दिया है, वे संसद सदस्यता छोड़कर विधानसभा की सदस्यता लेंगे। पार्टी इन तीनों विधायकों को मंत्री पद दे सकती है। जबकि राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को CM पद का दावेदार माना जा रहा है। इस्तीफा नहीं देने वाले राजस्थान से बाबा बालकनाथ ने सांसद पद से इस्तीफा अभी लोकसभा स्पीकर को नहीं सौंपा है। ऐसे में वह या तो आने वाले दिनों में इस्तीफा देंगे। अगर नहीं देते हैं तो उन्हें विधायक पद छोड़ना पड़ेगा। जहां पर उपचुनाव कराए जाएंगे।
शाह ने लोकसभा में नेहरू की चिट्ठी पढ़ी:बोले- नेहरू ने खुद शेख अब्दुल्ला से कहा था, कश्मीर मुद्दा UN ले जाना गलती थी
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में से 41 श्रमिकों को बीती रात सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। दिवाली के पर्व के दिन टनल का एक हिस्सा ढ़ह जाने से श्रमिक उसी के भीतर फंसे रह गए थे। हालांकि, मजदूरों ने 17 दिनों तक हार नहीं मानी और प्रशासन की कोशिशों से आखिरकार बाहर आ गए। सुरंग से बाहर आए श्रमिकों से पीएम मोदी ने भी फोन पर बातचीत की। श्रमिकों ने पीएम मोदी को कई अहम जानकारियां दी हैं। पीएम मोदी ने दी बधाई पीएम मोदी ने श्रमिकों को फोन पर बधाई दी कि वे सकुशल सुरंग से बाहर आ गए। उन्होंने कहा कि ये केदारनाथ बाबा और बद्रीनाथ भगवान की कृपा है कि सभी सकुशल बार आ गए। पीएम ने कहा कि सबसे बड़ बात है कि श्रमिकों ने एक-दूसरे का हौसला बनाए रखा और हिम्मत नहीं हारी। ये बात काबिले तारीफ है। पीएम ने कहा कि ये मजदूरों और उनके परिवारजनों का पुण्य है कि सभी श्रमिक वापस आए हैं। अंदर क्या करते थे श्रमिक? पीएम मोदी से बात करते हुए श्रमिकों ने बताया कि उन्होंने अलग-अलग राज्यों का होकर भी एक-दूसरे का ध्यान रखा। उन्हें जो खाना मिलता था वे सभी एक साथ मिलजुल कर खाते थे। श्रमिकों ने बताया कि अंदर फंसे होने के कारण उनके पास कोई काम नहीं था। इसलिए सभी श्रमिक मॉर्निंग वॉक और योगा किया करते थे। श्रमिकों ने उत्तराखंड सरकार और सीएम पुष्कर धामी को धन्यवाद किया। श्रमिकों को सीएम धामी का तोहफा सुरंग में बचाव अभियान के सफल होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कई बड़े ऐलान किए हैं। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सभी 41 श्रमिकों को उत्तराखंड सरकार 1-1 लाख रुपए की राहत राशि देगी। इसके साथ ही वह इन श्रमिकों की कंपनियों से अनुरोध करेंगे कि इन्हें 15 या 30 दिन के लिए बिना तनख्वाह काटे अवकाश भी दिया जाए। मजदूरों के सफल रेस्क्यू पर ​क्या बोला विदेशी मीडिया? बीबीसी ने ऑपरेशन का अपडेट जारी करते हुए कहा, "सुरंग के बाहर, पहले व्यक्ति के सुरंग से बाहर आने की खबर पर जश्न मनाया जा रहा है।" बीबीसी ने अपनी वेबसाइट पर एक फोटो भी अपलोड की, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सुरंग से बचाए गए पहले मजदूर से मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं। 'सुरक्षित निकालने के लिए वेल्डेड पाइपों से बनाया मार्ग' वहीं दूसरी ओर सीएनएन ने बताया, "घटनास्थल के वीडियो फुटेज में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को श्रमिकों से मुलाकात करते हुए देखा जा सकता है। मशीन के टूट जाने के बाद हाथों से खुदाई कर के मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है।' इसी तरह कतर के समाचार चैनल अल-जजीरा की रिपोर्ट में कहा गया, "12 नवंबर को सुरंग धंसने से शुरू हुई कठिन परीक्षा को खत्म करने के बाद बचावकर्मियों ने मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया। मजदूरों को लगभग 30 किमी दूर एक अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कई एम्बुलेंस सुरंग के मुहाने पर खड़ी थीं। मजदूरों को वेल्डेड पाइपों से बने मार्ग से बाहर निकाला जा रहा है।" ब्रिटिश अखबार ने लिखा 'मानव की मशीन पर विजय' ब्रिटिश दैनिक 'द गार्जियन' ने बताया कि सिल्कयारा-बारकोट सुरंग के प्रवेश द्वार से स्ट्रेचर पर पहले लोगों के निकलने का नाटकीय दृश्य 400 घंटे से अधिक समय के बाद आया, जिसके दौरान प्रमुख बचाव अभियान में कई बाधाएं, देरी और आसन्न बचाव के झूठे वादे शामिल थे। अखबार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा, "मानव श्रम ने मशीनरी पर विजय प्राप्त की। क्योंकि मजदूरों तक पहुंचने के लिए मलबे के अंतिम 12 मीटर मलबे को मैन्युअल रूप से ड्रिल करने में रेस्क्यू टीम कामयाब रही। एक 'एस्केप पैसेज' पाइप डाला गया था, जिससे बचाव दल - व्हील वाले स्ट्रेचर और ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाने में सक्षम हुए। लंदन स्थित दैनिक 'द टेलीग्राफ' ने अपनी मुख्य खबर में कहा कि सैन्य इंजीनियरों और खनिकों ने एक पेचीदा ऑपरेशन पूरा करने के लिए मलबे के माध्यम से 'रैट हॉल' ड्रिल किया।
कांग्रेस सरकार के लिए भ्रष्टाचार से बड़ा कुछ नहीं, परिवारवाद ही सबकुछ:पीएम मोदी
नए भारत का उदय, मोदी है तो मुमकिन है... 4 ट्रिलियन डॉलर के पार जीडीपी सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की जमकर तारीफ
राजस्थान में मोदी ने कहा- लाल डायरी बढ़-चढ़कर बोल रही:कमल का बटन ऐसे दबाओ, जैसे उन्हें फांसी दे रहे हो
भारत ने निभाया पड़ोसी धर्म तो गदगद हुआ नेपाल, राजदूत ने दिल खोलकर की मोदी सरकार की तारीफ

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taaja khabar...काला धनः भारत को स्विस बैंक में जमा भारतीयों के काले धन से जुड़ी पहली जानकारी मिली...SPG सिक्यॉरिटी पर केंद्र सख्त, विदेश दौरे पर भी ले जाना होगा सिक्यॉरिटी कवर, कांग्रेस बोली- निगरानी की कोशिश....खराब नहीं हुआ था इमरान का विमान, नाराज सऊदी प्रिंस ने बुला लिया था वापस ....करीबियों की उपेक्षा से नाराज हैं राहुल गांधी? ताजा घटनाक्रम और कुछ कांग्रेस नेता तो इसी तरफ इशारा कर रहे हैं....2 राज्यों के चुनाव से पहले राहुल गांधी गए कंबोडिया? पहले बैंकॉक जाने की थी खबर...2019 में चिकित्सा क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार का ऐलान, 3 वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से मिला...चीन सीमा पर तोपखाने की ताकत बढ़ा रहा भारत, अरुणाचल प्रदेश में तैनात करेगा अमेरिकी तोप....J-K: पुंछ में PAK ने की फायरिंग, सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब ...राफेल में मिसाइल लगाने वाली कंपनी बोली, ‘भारत को मिलेगी ऐसी ताकत जो कभी ना थी’ ..

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