अमरिंदर ने खत लिख PM मोदी से मांगी मदद, हरसिमरत पर लगाया बरगलाने का आरोप

चंडीगढ़, 07 मई 2020, पंजाब सरकार में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के उस दावे को पूरी तरह से गलत बताया है, जिसमें केंद्र सरकार ने राज्य को खाद्य सामग्री भेजने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर खाद्य मंत्री रामविलास पासवान को गलत जानकारी दे रही हैं. हम लोग केंद्रीय कोटा से लोगों को गेंहूं भी नहीं बांट पा रहे हैं, क्योंकि हमारे स्टॉक में दाल नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में बांटने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कोई खाद्य सामाग्री नहीं भेजी गई है. सीएम ने कहा कि हमारी तरफ से लोगों को खाद्य सामग्री बांटने में देरी नहीं हुई है. केंद्र सरकार ने हमें जितना दाल देने का वादा किया था, उसका 50 प्रतिशत भी हमारे पास नहीं पहुंचा है. इसलिए केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए हम लोगों तक गेहूं भी नहीं बांट पा रहे हैं. सीएम ने, केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान के उस ट्वीट का जवाब देते हुए यह बात कही जिसमें राज्य सरकार से लोगों को खाद्य सामग्री बांटने में तेजी लाने को कहा गया था. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मदद की गुहार लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत भी लिखा है, जिसमें उन्होंने एक बार फिर से राज्य के लिए विशेष पैकेज देने की मांग की है. साथ ही यह भी बताया है कि लॉकडाउन की वजह से लगातार राज्य के रेवेन्यू में कमी आ रही है जबकि कोविड-19 के रिलीफ और स्वास्थ्य सुविधाओं पर सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा है कि देश को लॉकडाउन से बाहर निकालने को लेकर उनके पास क्या एग्जिट प्लान है और देश की आर्थिक स्थिति को फिर से खड़ा करने की उनके पास क्या तैयारी है? इसके साथ ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 15वें फाइनेंस कमिशन को इस साल की अपनी रिपोर्ट को रिव्यू करने की मांग की है क्योंकि अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मांग की है कि 15वें फाइनेंस कमीशन को फंड्स 1 अप्रैल 2021 से अगले 5 साल के लिए हस्तांतरण करने चाहिए ना कि 2020 की गणना के आधार पर. क्योंकि अब कोविड-19 की वजह से हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लगातार पंजाब के रेवेन्यू में 88% तक की कमी आई है और इसकी वजह से प्रदेश की आर्थिक हालत पूरी तरह बदल गई है और कई सेक्टर्स में लोगों के रोजगार जाने तक की नौबत आ गई है. ऐसे में केंद्र सरकार को अपने अलग-अलग विभागों के माध्यम से इस हालात से राज्यों और देश के लोगों को बाहर निकालने के लिए कई तरह के कदम उठाने होंगे. इससे पहले भी पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने केंद्र से विशेष पैकेज और जीएसटी बकाया जारी करने की मांग की थी. हालांकि इसके कुछ दिनों बाद ही केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए पंजाब को राशि और खाद्यान्न देकर मदद की है. इतना ही नहीं उन्होने अपने ट्विटर हैंडल पर केंद्र सरकार द्वारा पंजाब सरकार को भेजे गए धन का विवरण साझा करते हुए लिखा था, “केंद्र सरकार ने कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए पंजाब को राशि और खाद्यान्न देकर मदद की. मैं कैप्टन अमरिंदर सिंह को पूरा विवरण भेज रही हूं. लोग जानना चाहते हैं कि केंद्र से मिली वस्तुएं कहां गईं? उन्हें कोई राहत क्यों नहीं दी जा रही? बेहतर होगा कि इसका मुद्दा बनाने से पहले आप पहले लोगों में राहत सामग्री बांट दें.” उन्होंने लिखा, “कोविड-19 के फैलने यानी 20 मार्च के बाद जीएसटी क्षतिपूर्ति और बकाया के आधार पर 2,366 करोड़ रुपये सहित राज्य को 3,445 करोड़ रुपये का पैकेज, आरडीजी के रूप में 638 करोड़ रुपये, आपदा प्रबंधन के लिए 247 करोड़ रुपये, मनरेगा के लिए 72 करोड़ रुपये और एनएचएम के तहत 72 करोड़ रुपये दिए गए.” केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार को गेहूं और दालें भी भेजी हैं. हरसिमरत ने एक और ट्वीट में कहा, “इतना ही नहीं मुख्यमंत्री साहब! केंद्र ने राज्य की लगभग आधी आबादी यानी 1.4 करोड़ लोगों के लिए 15 किलो गेहूं और तीन किलो दाल भेजी थी. यह अनाज अभी तक पंजाब के गोदामों में पड़ा हुआ है. किसी भी परिवार के पास अब तक यह अनाज नहीं पहुंचा है. आपको नहीं लगता कि इन राहत कार्यों को प्राथमिकता देते हुए सबसे पहले आपको जरुरतमंदों तक इन सामग्रियों पहुंचाना चाहिए?”

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