Desh-Videsh

नई दिल्ली,इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ADR समेत अन्य वकीलों और चुनाव आयोग की 5 घंटे दलीलें सुनी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मौजूद थे। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश की। इसमें आरोप था कि केरल में मॉक पोलिंग के दौरान भाजपा को ज्यादा वोट जा रहे थे। इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि ये कितना सही है। सिंह ने कहा कि ये खबरें झूठी और बेबुनियाद है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने कहा- वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोग कैसे कर सकते हैं, हम नहीं कह सकते। कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में चुनाव आयोग के वकील से EVM और VVPAT की पूरी प्रक्रिया समझी। साथ ही कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता कायम रहनी चाहिए। शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान करने की मांग की थी। उस समय, चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का VVPAT मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते है।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की शुरुआत में कुछ ही समय बाकी है। ऐसे में रामनवमी की सुबह पीएम मोदी ने पहले चरण में चुनाव लड़ रहे सभी बीजेपी और एनडीए उम्मीदवारों को लेटर लिखा है। पीएम मोदी का फोकस इस पत्र को क्षेत्रीय भाषाओं में भी पहुंचाने पर है। यह पत्र पाकर प्रत्याशियों में उत्साह है। उन्होंने इस पत्र को अपने क्षेत्र के प्रत्येक मतदाता तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
गुवाहाटी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज असम के नलबाड़ी एक जनसभा को संबोधित करते हुए जहां कांग्रेस पर जमकर हमला बोला वहीं उन्होंने कहा कि उम्मीद और विश्वास के बाद वे गारंटी लेकर नॉर्थ ईस्च में आए हैं। वहीं पीएम मोदी ने कहा कि 4 जून को नतीजा क्या होने जा रहा है, ये साफ दिखाई दे रहा है। इसलिए लोग कहते हैं- 4 जून, 400 पार! फिर एक बार मोदी सरकार। जो कांग्रेस के 60 वर्षों में नहीं हुआ, हमने 10 साल में कर दिखाया-मोदी प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा, "आज पूरे देश में मोदी की गारंटी चल रही है और नॉर्थ ईस्ट तो खुद ही मोदी की गारंटी का गवाह है। जिस नार्थ ईस्ट को कांग्रेस ने सिर्फ समस्याएं दी थी, उसे भाजपा ने संभावनाओं का स्रोत बना दिया। कांग्रेस ने अलगाववाद को खाद पानी दिया, मोदी ने पूर्वोत्तर को गले लगाने का काम किया। मोदी ने शांति और सुरक्षा के लिए प्रयास किए। जो कांग्रेस के 60 वर्षों में नहीं हुआ, वो मोदी ने 10 साल में कर दिखाया। क्योंकि मेरा लिए आपका सपना ही मेरा संकल्प है।" उम्मीद, विश्वास के बाद गारंटी लेकर आया हूं-मोदी पीएम मोदी ने कहा, "2014 में मोदी आपके बीच एक उम्मीद लेकर आया था। 2019 में मोदी जब आया एक विश्वास लेकर आया और 2024 में जब मोदी असम की धरती पर आया है तब मोदी गारंटी लेकर आया है। 'मोदी की गारंटी' यानी गारंटी पूरा होने की गारंटी।" विकास के नए रिकॉर्ड बना रहे असम-मोदी उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सियासी फायदे के लिए इन क्षेत्रों को अपने पंजे में फंसा कर रखा था। कांग्रेस के पंजे ने नॉर्थ ईस्ट को इसलिए जकड़ कर रखा था ताकि उनके लिए भ्रष्टाचार और लूट के दरवाजे खुले रहें। अब ये पंजा खुल गया है तो असम में सबका साथ, सबका विकास का मंत्र लागू हुआ है। असम आज केवल दूसरे राज्यों की बराबरी नहीं कर रहा, बल्कि विकास के नए रिकॉर्ड बना रहा है। जिस असम में सड़के नहीं होती थी, वहां 10 साल में 2,500 किलोमीटर नेशनल हाईवे बने हैं, आज देश का सबसे बड़ा ब्रिज भूपेन हजारिका सेतु असम में है, आज देश का सबसे लंबा बोगीबील ब्रिज असम में है, अब गुवाहाटी में असम का अपना एम्स खुल चुका है। असम के पांच जिलों में कैंसर अस्पताल खोलने की योजना में भी तेजी से काम चल रहा है।
नई दिल्ली,आजादी के बाद पूर्वोत्तर राज्य दशकों तक हाशिए पर रहे। कांग्रेस सरकारों ने यहां के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया। हमने इस धारणा को बदला कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है। आज पूर्वोत्तर न दिल्ली से दूर है और न दिल से दूर है। पूर्वोत्तर ने दुनिया को दिखाया है कि जब नीयत सही होती है, तो नतीजे भी सही होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'द असम ट्रिब्यून' को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं। उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट की चुनौतियों और उससे निपटने के लिए केंद्र की पहल पर चर्चा की। उन्होंने असम में उग्रवाद, अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के दावे, मणिपुर हिंसा, नगालैंड में राजनीतिक संघर्ष और मिजोरम में घुसपैठ की समस्या पर बात की। मोदी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है और रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। मणिपुर हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि वहां की स्थिति से संवेदनशीलता से निपटना होगा। यह हम सबकी जिम्मेदारी है। PM ने बताया कि पिछले 10 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट के विकास के लिए क्या कदम उठाए। सवाल: प्रधानमंत्री के रूप में आपने 10 साल के कार्यकाल में पूर्वोत्तर की किन-किन समस्याओं का समाधान किया? आप कई बार यहां के राज्यों का दौरा कर चुके हैं। आप यहां की समस्याओं और चुनौतियों से परिचित होंगे। PM का जवाब: कांग्रेस की पूर्व सरकारों ने यहां के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया क्योंकि उन्हें चुनावी फायदा कम मिलता था। वे कहते थे कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है और इसके विकास के लिए काम करना मुश्किल है। मैं पिछले 10 सालों में लगभग 70 बार पूर्वोत्तर आया हूं। यह आंकड़ा पूर्वोत्तर में मुझसे पहले के सभी प्रधानमंत्रियों की कुल यात्राओं से भी ज्यादा है। 2015 के बाद से हमारे केंद्रीय मंत्री 680 से अधिक बार पूर्वोत्तर आए हैं। हमने इस धारणा को बदला है कि पूर्वोत्तर बहुत दूर है। आज पूर्वोत्तर न दिल्ली से दूर है और ना दिल से दूर है। पूर्वोत्तर ने दुनिया को दिखाया है कि जब नीयत सही हो तो नतीजे भी सही होते हैं। पिछले 5 साल में हमने यहां के विकास के लिए कांग्रेस या पिछली किसी भी सरकार के फंड से लगभग 4 गुना ज्यादा निवेश किया है। हमने लंबे समय से पेंडिंग बोगीबील ब्रिज और भूपेन हजारिका सेतु जैसे कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को पूरा किया। कनेक्टिविटी बढ़ने से लोगों का जीवन आसान हुआ है। हमने पूर्वोत्तर के युवाओं के लिए शिक्षा, खेल, उद्यमिता और कई अन्य क्षेत्रों में दरवाजे खोले। 2014 के बाद से पूर्वोत्तर में उच्च शिक्षा के लिए 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं। मणिपुर में देश का पहला स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी खोला गया। हम पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में 200 से अधिक खेलो इंडिया केंद्र बना रहे हैं। पिछले दशक में इस क्षेत्र से 4 हजार से अधिक स्टार्टअप उभरे हैं। यहां कृषि फल-फूल रही है। फलों के निर्यात, जैविक खेती और मिशन ऑयल पाम से काफी समृद्धि आ रही है। आज पूर्वोत्तर सभी क्षेत्रों में सबसे आगे है। सवाल: पूर्वोत्तर में उग्रवाद एक बड़ी समस्या है। आपके कार्यकाल में असम सहित पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के उग्रवादी समूहों ने हथियार डाल दिए हैं। उग्रवाद को जड़ से खत्म करने के लिए आप क्या कदम उठा रहे हैं? PM का जवाब: विद्रोह, घुसपैठ और संस्थागत उपेक्षा का एक लंबा इतिहास रहा है। हमने उग्रवाद को काफी हद तक कंट्रोल किया है। हम अपने लोगों का विश्वास जीतने और शांति कायम करने में भी सफल रहे हैं। पिछले 10 सालों में कुल 11 शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह पिछली किसी भी सरकार में किए गए शांति समझौतों से ज्यादा है। 2014 से अब तक 9 हजार 500 से अधिक उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया और समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए। पूर्वोत्तर में 2014 के बाद से सुरक्षा स्थिति बेहतर हुई है। 2014 की तुलना में 2023 में उग्रवाद की घटनाओं में 71 फीसदी की कमी आई है। सुरक्षाबलों के शहीद होने की संख्या 60 फीसदी कम हुई है। नागरिकों की मौत के मामले 82 फीसदी कम हुए हैं। पूर्वोत्तर के अधिकांश हिस्सों से AFSPA हटा लिया गया है। हमने असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद का समाधान निकाला, जिससे 123 गांवों को लेकर लंबे समय से चल रहा विवाद खत्म हुआ। असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना विवाद हमने सुलझाया। बोडो और ब्रू-रियांग जैसे शांति समझौतों के कारण कई उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। सवाल: चीन सालों से अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर दावा करता आ रहा है। क्या अरुणाचल प्रदेश सुरक्षित है? राज्य का हर इंच भारत के भीतर रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कर रहे हैं ? PM का जवाब: अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है और रहेगा। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। आज सूरज की पहली किरण की तरह अरुणाचल और नॉर्थ-ईस्ट तक विकास के काम पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से पहुंच रहे हैं। पिछले महीने मैं 'विकसित भारत, विकसित पूर्वोत्तर' कार्यक्रम के लिए ईटानगर गया था। मैंने वहां 55 हजार करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का अनावरण किया, जो विकसित नॉर्थ-ईस्ट की गारंटी देती है। अरुणाचल में लगभग 35 हजार परिवारों को पक्के घर मिले। 45 हजार परिवारों को पेयजल आपूर्ति परियोजना का लाभ मिला। मैंने हाल ही में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बने सेला टनल का उद्घाटन किया, जो तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी देकर एक गेम-चेंजर की भूमिका निभाएगी। हमने अरुणाचल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए 2022 में डोनयी पोलो एयरपोर्ट का उद्घाटन किया। लगभग 125 गांवों के लिए नई सड़क परियोजनाएं और 150 गांवों में पर्यटन और अन्य बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाएं शुरू कीं। सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए की उन्नति योजना भी शुरू की है, जो उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में निवेश और नौकरियों के लिए नई संभावनाएं लाएगी।
नई दिल्ली,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ED भ्रष्टाचार के जितने मामलों की जांच कर रही है, उसमें सिर्फ 3% मामले राजनीतिक लोगों से जुड़े हैं। बाकी के 97% मामले अफसरों और अपराधियों के खिलाफ हैं। PM ने हिंदुस्तान अखबार को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ED ने कई भ्रष्ट अफसरों को गिरफ्तार किया है। अवैध फंडिंग से जुड़े अपराधियों और ड्रग डीलरों की हजारों करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है। जो लोग करप्ट सिस्टम में अपना फायदा देखते हैं, वहीं लोग ED की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। मोदी ने कहा- जिन लोगों पर ED की तलवार लटकी है, वे लोग ये नैरेटिव फैला रहे हैं कि हम सिर्फ राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। हम उन राज्यों में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं, जहां भाजपा सत्ता में है। PM बोले- ED ने पिछले 10 साल में 2 हजार करोड़ जब्त किए PM ने कहा- देश के लोगों को पहली बार भाजपा मॉडल और कांग्रेस मॉडल की तुलना करने का मौका मिला है। ED ने 2014 से पहले केवल 34 लाख रुपए कैश जब्त किए थे, जबकि भाजपा की सरकार में उसने 2,200 करोड़ रुपए से ज्यादा कैश जब्त किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा- 2014 से पहले ED ने केवल 5,000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। पिछले 10 सालों में यह राशि एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गई है। हमने 2014 में सरकार बनने के तुरंत बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ कई स्तर पर कदम उठाए। हमने केंद्रीय भर्तियों में ग्रुप सी और ग्रुप डी इंटरव्यू खत्म किए। हमने 10 करोड़ से अधिक फर्जी लाभार्थियों के नाम हटाए, जो थे ही नहीं। ऐसा करके सरकार ने 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचाए। मोदी बोले- लोगों में नहीं, विपक्ष में चुनाव को लेकर सुस्ती मोदी से इंटरव्यू में पूछा गया कि ऐसी धारणा है कि इस बार के चुनाव को लेकर मतदाताओं में उत्साह नहीं है। इस पर आप क्या कहेंगे? मोदी ने कहा- सुस्ती चुनाव में नहीं, विपक्ष में है। उन्हें पता है कि इस बार फिर से NDA की सरकार बनेगी। वे तो चुनाव प्रचार से भी कतरा रहे हैं। कई लोगों ने तो मतदान शुरू होने से पहले ही EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को दोष देना शुरू कर दिया है। भाजपा के तीसरे कार्यकाल को लेकर जमीनी स्तर पर लोगों में उत्साह दिख रहा है।2024 का चुनाव राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी अध्ययन का विषय होने वाला है।
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो टूक कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में चीन 'एक इंच' जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकता। उन्होंने दावा किया कि जनता कभी नहीं भूल सकती कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1962 में चीन हमले के दौरान असम और अरुणाचल प्रदेश को 'बाय-बाय' कह दिया था। अमित शाह ने कहा कि पहले असम की बांग्लादेश से लगती सीमा घुसपैठ के लिए खुली थी। तब केंद्र में मोदी सरकार और यहां हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार आई। अब हम कह सकते हैं कि घुसपैठ रूक गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि असम की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने राज्य के साथ अन्याय किया और बड़ी संख्या में युवा अलग-अलग हिंसक आंदोलनों और उग्रवादी घटनाओं में मारे गए। '1962 में नेहरु ने असम को बाय-बाय कर दिया था' असम के लखीमपुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर जमकर अटैक किए। उन्होंने कहा कि चीन की ओर से 1962 में किए गए हमले के दौरान तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने कहा था ‘बाय-बाय’ असम और अरुणाचल प्रदेश। इन राज्यों की जनता कभी इसे भूल नहीं सकती। लेकिन अब, चीन हमारी जमीन पर एक इंच भी कब्जा नहीं कर सकता। यहां तक डोकलाम में भी हमने उन्हें पीछे धकेल दिया।
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर चुनाव प्रचार करने के लिए पीएम मोदी महाराष्ट्र पहुंचे। यहां चंद्रपुर में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और इंडी गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की नीति विभाज की है। इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस को कड़वा करेला कहा और बोले कि वो कभी नहीं सुधरेंगे। चाहे घी में तलो या शक्कर में घोलो। पीएम मोदी ने कहा कि इंडी गठबंधन की केंद्र में जबतक सरकार रही, महाराष्ट्र की लगातार उपेक्षा होती रही। पीएम मोदी ने कहा कि कि जब ये जनादेश लूटकर सत्ता में पहुंचे, तब भी इन्होंने सिर्फ खुद का ही और परिवार का ही विकास किया। कांग्रेस पर पीएम मोदी ने साधा निशाना अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि इनका लक्ष्य एक ही था, कमीशन लाओ या काम पर ब्रेक लगाओ। हमारी सरकार ने सभी योजनाओं को फिर शुरू किया है। मोदी किसी शाही परिवार में पैदा होकर प्रधानमंत्री नहीं बना। कांग्रेस पार्टी खुद की समस्याओं की जननी है। देश का विभाजन मजहब के नाम पर किसने कराया। देश के आजाद होते ही कश्मीर की समस्या किसने पैदा की। उन्होंने कहा कि देश दशकों तक आतंकवाद का शिकार रहा। तुष्टिकरण के लिए आतंकवादियों को कौन संरक्षण देता था? वोटरों से पीएम मोदी की अपील चंद्रपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये नक्सलियों का लाल आतंक किसकी देन थी। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में भी मुस्लिम लीग वाली भाषा लिखी है। क्या कांग्रेस का घोषणापत्र आपको स्वीकार है? ये दक्षिण भारत को अलग करने की धमकी दे रहे हैं। ये सनातन को डेंगू और मलेरिया की बात कहकर खात्मे की बात करते हैं। नकली शिवसेना वालों के साथ कांग्रेस वाले रैली करते हैं। कश्मीर से मेरा क्या वास्ता वाले बयान पर भी पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा वोटरों से अपील करते हुए कहा कि मेरा आग्रह है कि हर पोलिंग बूथ अपने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को जबलपुर में रोड शो के साथ लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश में बीजेपी के प्रचार अभियान का आगाज किया। इस रोड शो में लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला है। रोड शो के दौरान लोगों ने अपने घरों के बाहर तख्तियां लगा रखी थीं। इन तख्तियों पर कई सारे स्लोगन लिखे थे। बता दें कि प्रधानमंत्री के रोड शो के दौरान उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री राकेश सिंह और पार्टी के जबलपुर से लोकसभा उम्मीदवार आशीष दुबे भी मौजूद रहे। रोड शो शाम करीब 6:30 बजे शहीद भगत सिंह चौराहे से शुरू हुआ और शाम 7:15 बजे यहां गोरखपुर इलाके में आदि शंकराचार्य चौराहे पर समाप्त हुआ।
बेंगलुरु,गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (2 अप्रैल) को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच कोई तुलना नहीं है। मोदी ने 23 साल में एक दिन भी अपने काम से छुट्टी नहीं ली। राहुल गांधी गर्मियां आते ही विदेश चले जाते हैं। कांग्रेस पार्टी उन्हें 6 महीने ढूंढती रहती है। शाह बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में आयोजित शक्ति केंद्र प्रमुख सम्मेलन में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- मोदी ने 23 साल तक मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। अब तक उन पर 25 पैसे के भ्रष्टाचार का भी आरोप नहीं लगा। शाह ने कहा- दूसरी तरफ, भ्रष्टाचार का यह घमंडिया गठबंधन है। मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के 10 साल के शासन के दौरान 12 लाख करोड़ रुपए का घोटाला और भ्रष्टाचार हुआ। शाह का दावा- कर्नाटक में भाजपा-JDS सभी सीटें जीतेंगी अमित शाह ने आगे कहा- मैं देश के करीब 60 प्रतिशत राज्यों में गया हूं। हर जगह लोग मोदी-मोदी के नारे लगा रहे हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि कर्नाटक में भाजपा-जनता दल सेक्युलर (JDS) सभी 28 लोकसभा सीटें जीतेंगी। हम राज्य में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुलने देंगे। शाह ने कहा- PM मोदी ने इस बार सभी भाजपा कार्यकर्ताओं के सामने 400 पार का लक्ष्य रखा है। 2014 के चुनाव में कर्नाटक की जनता ने 43 फीसदी वोट देकर हमें 17 सीटें दीं। 2019 में पार्टी ने 51 फीसदी वोट के साथ 25 सीटें जीतीं। इस बार लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मेरी अपील है कि भाजपा गठबंधन को सभी 28 सीटों पर जीत दिलाएं। शाह ने सूखे के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरा शाह ने कर्नाटक में सूखे की समस्या को लेकर कांग्रेस सरकार की आलोचना की। गृह मंत्री ने कहा- कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार विकास के लिए काम नहीं कर रही है। यहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार में से एक अपनी कुर्सी बचाने में व्यस्त है तो दूसरा कुर्सी छीनने में। कर्नाटक में सूखा है, लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने में तीन महीने की देरी की। आज केंद्र से फंड के लिए आवेदन चुनाव आयोग के पास है। कांग्रेस सरकार इस पर राजनीति कर रही है। कर्नाटक ने 240 में से 223 तालुकों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। इनमें से 196 तालुका गंभीर रूप से सूखा प्रभावित हैं। सिद्धारमैया ने केंद्र पर रिलीफ फंड नहीं देने के आरोप लगाए शाह से पहले CM सिद्धारमैया ने मैसूरु में मंगलवार (2 अप्रैल) को कहा कि- हमने सूखा राहत फंड के लिए केंद्र से पांच महीने पहले संपर्क किया था, लेकिन राज्य को एक रुपया भी नहीं दिया गया। अक्टूबर से अब तक तीन ज्ञापन दिए जा चुके हैं। क्या अमित शाह के पास कर्नाटक की जनता से वोट मांगने का अधिकार है? सिद्धारमैया ने कहा- मैं 19 दिसंबर 2023 को पीएम मोदी से मिला था। 20 दिसंबर को अमित शाह से मिला। शाह ने कहा था कि वे 23 दिसंबर को बैठक बुलाएंगे और फैसला करेंगे। तब से कितने दिन बीत गए? क्या उन्होंने फंड दिया? क्या अमित शाह अपने घर से पैसा दे रहे हैं? क्या यह भीख है? यह हमारा पैसा है, हमारे टैक्स का पैसा है।
नई दिल्ली: दिल्ली के कथित शराब घोटाला केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर जर्मनी और अमेरिका के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी टिप्पणी की है। हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इसका करारा जवाब दिया गया है। लेकिन, इन सवालों के बीच क्या आप जानते हैं कि अमेरिकी विदेश विभाग और संयुक्त राष्ट्र की प्रेस ब्रीफिंग में ये सवाल किसने उठाए थे? विदेश में अलग-अलग मंचों पर केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठाने वाले उस पत्रकार का नाम मुश्फिकुल फजल अंसारे है जो बांग्लादेशी नागरिक है और अमेरिका के वॉशिंगटन में रहता है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता से पूछा था ये सवाल अंसारे ने अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से सवाल पूछा था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार ‘भारत में लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष पर कार्रवाई तेज हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के संबंध में टिप्पणियों पर भारत द्वारा अमेरिकी राजनयिक को तलब करने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है, और आप विपक्षी पार्टी के बैंक खाते की हेराफेरी पर भारत में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल को कैसे देखते हैं?’ अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा था- हम नजर रखना जारी रखेंगे सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ‘हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी सहित इन कार्रवाईयों पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेंगे। हम कांग्रेस पार्टी के आरोपों से भी अवगत हैं कि कर अधिकारियों ने उनके कुछ बैंक खातों को इस तरह से फ्रीज कर दिया है जिससे आगामी चुनावों में प्रभावी ढंग से प्रचार करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा, और हम इनमें से प्रत्येक समस्या के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रियाओं की मांग करते हैं। हमें नहीं लगता कि किसी को इस पर आपत्ति होनी चाहिए।’ संयुक्त राष्ट्र में भी अंसारे ने उठाए थे सवाल मुश्फिकुल फज़ल ने 28 मार्च को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान वीडियो लिंक के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता से भी यही सवाल पूछा था। इस पर प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने जवाब दिया था कि हमें उम्मीद है कि ‘भारत में वैसा ही होगा, जैसा कि चुनाव वाले किसी भी देश में होता है। राजनीतिक और नागरिक अधिकारों सहित सभी के अधिकार सुरक्षित होते हैं और हर कोई ऐसे माहौल में स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान करने में सक्षम होता है।’ केजरीवाल के मामले में अंसारे को दिलचस्पी क्यों? यह जानना जरूरी है कि एक बांग्लादेशी पत्रकार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की खबर को उठाने में इतनी दिलचस्पी क्यों है? रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंसारे का भारत विरोधी बातें फैलाने का इतिहास रहा है और वह बांग्लादेश का भगोड़ा भी है। अंसारे अपने लेखों में अक्सर बांग्लादेश के राजनीतिक घटनाक्रम के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। मुश्फिकुल फज़ल अंसारे के फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार, वह साउथ एशिया पर्सपेक्टिव्स का कार्यकारी संपादक, राइट टू फ्रीडम का कार्यकारी निदेशक, जस्ट न्यूज बीडी के लिए व्हाइट हाउस संवाददाता है। राहुल गांधी से भी मिल चुका है मुश्फिकुल अंसारे बता दें कि मुश्फिकुल अपनी साख का इस्तेमाल कर कई बार अमेरिका को भारत के मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए उकसा चुका है। इसके साथ ही इस बात का भी दावा किया जाता रहा है कि जमात-ए-इस्लामी और बीएनपी मुश्फिकुल फजल अंसारे के संगठन ‘राइट टू फ्रीडम’ को फंड देते हैं। इसके साथ ही अपने विदेश दौरे के दौरान राहुल गांधी भी अंसारे से मिल चुके हैं।
इस्‍लामाबाद पाकिस्‍तान में मुस्लिम कट्टरपंथियों का एक घिनौना चेहरा सामने आया है। राजधानी इस्लामाबाद में बनने वाले पहले कृष्ण मंदिर के निर्माण पर रोक लगवाने के बाद अब कट्टरपंथियों ने मंदिर की जमीन पर जबरन अजान दी है। यही नहीं मंदिर की नींव को भी कुछ मजहबी गुटों ने पिछ‍ले दिनों ढहा दिया था। एक तरफ पाकिस्‍तानी कट्टरपंथियों ने इस मंदिर के निर्माण को रोकने के लिए अभियान चला रखा है, वहीं रियासत-ए-मदीना बनाने का वादा करने वाली इमरान खान सरकार ने पूरे मामले पर चुप्‍पी साध रखी है। कट्टरपंथियों की कायराना हरकत की अल्‍पसंख्‍यकों ने कड़ी आलोचना की है। उन्‍होंने कहा कि देश में अल्‍पसंख्‍यकों के खिलाफ असहिष्‍णुता बढ़ती जा रही है। बता दें कि इमरान सरकार ने दो दिन पहले ही मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवे के आगे घुटने टेकते हुए मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी थी। इस मंदिर का निर्माण पाकिस्‍तान के कैपिटल डिवेलपमेंट अथॉरिटी कर रही थी। पाकिस्‍तान सरकार ने अब मंदिर के संबंध में इस्‍लामिक ऑइडियॉलजी काउंसिल से सलाह लेने का फैसला किया है। धार्मिक पहलू देखने के बाद होगा फैसला धार्मिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने कहा कि धार्मिक पहलू को देखने के बाद मंदिर को बनाने पर फैसला लिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान अल्‍पसंख्‍यकों के पूजा स्‍थलों के लिए फंड जारी करने पर फैसला लेंगे। मंदिर के निर्माण पर रोक लगाने के बाद उन्‍होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्‍तान में अल्‍पसंख्‍यकों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। मंदिर निर्माण के खिलाफ फतवा जारी बता दें कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहला मंदिर बनाए जाने से पहले ही बवाल शुरू हो गया है। कई कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाओं ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे इस्लाम विरोधी करार दिया है। कुछ दिन पहले ही इस मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। इसके लिए इमरान खान सरकार ने 10 करोड़ रुपये देने की भी घोषणा की थी। मंदिर निर्माण के लिए सरकारी धन के खर्च पर बवाल मजहबी शिक्षा देने वाले संस्थान जामिया अशर्फिया ने मुफ्ती जियाउद्दीन ने कहा कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता। इसी संस्था ने मंदिर निर्माण को लेकर फतवा जारी करते हुए कहा कि अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) के लिए सरकारी धन से मंदिर निर्माण कई सवाल खड़े कर रहा है। 20 हजार वर्गफुट में बनाया जा रहा मंदिर बता दें कि भगवान कृष्‍ण के इस मंदिर को इस्‍लामाबाद के H-9 इलाके में 20 हजार वर्गफुट के इलाके में बनाया जा रहा है। पाकिस्‍तान के मानवाधिकारों के संसदीय सचिव लाल चंद्र माल्‍ही ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। इस दौरान मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए माल्‍ही ने बताया कि वर्ष 1947 से पहले इस्‍लामाबाद और उससे सटे हुए इलाकों में कई हिंदू मंदिर थे। इसमें सैदपुर गांव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल है। हालांकि उन्‍हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया और कभी इस्‍तेमाल नहीं किया गया।
किये नई दिल्ली भारत-चीन (India-China Conflict) के बीच सोमवार रिश्तों में आयी आंशिक सुधार के बीच भारत की सुनियोजित नीति ने काम किया। दिलचस्प बात है कि दोनों देशों ने उस दिन अपने रिश्ते में आयी तल्खी को कम करने की दिशा में हर जरूरी कदम उठाने का फैसला लिया जिस दिन दलाई लामा का जन्म दिन था। ऐसे समय जब चीन को एक सबक सिखाने के लिए एक बड़ा वर्ग दलाई लामा को भारत रत्न दिये जाने की मांग कर रहा था,उनके जन्म दिन पर चीन ने भारत के साथ 70 साल के पुराने रिश्ते का हवाला देकर इसे ठीक करने की पहल। भारत ने भी इसका सकारात्मक रिस्पांस दिया। हालांकि भारत चीन के पुराने रवैये को देखते हुए अभी पूरी तरह सतर्क मोड में रहेगा। दोनों देशों के बीच जारी तनातनी को कम करने में जिन 5 फैक्टर ने अहम भूमिका निभायी वह है- 1-भारत-चीन ने कूटनीतिक रास्ते खुले रखे भारत ने चीन पर दबाव बनाए रखा,सीमा पर सैन्य पोजिशन को मजबूत करता रहा है लेकिन कूटनीतिक रास्ते कभी बंद नहीं किये। कूटनीतिक स्तर पर भारत ने चीन के प्रति बहुत सख्ती नहीं दिखायी। चीन ने भी इस रास्ते को खुला रखा। दोनों देशों ने पूरे तनातनी के समय भी हमेशा कहा कि वे एक दूसरे से कूटनीतिक माध्यम से संपर्क में है। 15 जून को हुए हिंसक झड़क के बाद,जिसमें दोनों देशों के जवानों की जान गयी,भी कूटनीतिक स्तर पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार इस दौरान भले एक ही बार संयुक्त सचिव स्तर पर बातचीत हुई लेकिन दोनों देशों ने आपसी संपर्क बनाए रखा जिसके बाद सोमवार को एक तरह से इस विवाद को दूर करने की दिशा में बड़ी कामयबाी मिली। 2- पीएम मोदी का लेह दौरा और साफ संदेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लेह दौरा भी इस टकराव में अहम बिन्दु बना। चीन को दिया गया वह सख्त प्रतीकात्मक संदेश था। लेह जाकर चीन की विस्तारवादी पर दो टूक बात करना और कहना कि भारत किसी दबाव में आकर नहीं झुकेगा,चीन के लिए संदेश साफ था कि इस बार यहां बुलडोज करने वाली नीति नहीं चलेगी। भारत ने एक साथ राजनीतिक,कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर चीन ही नहीं पूरे विश्व को संदेश देने में कामयाबी पायी कि हालात को ठीक करने या बिगाड़ने की जिम्मेदाी अब चीन पर है। इसके बाद चीन को खासकर रूस ने समझाने में कुछ हद तक सफलता पायी कि भारत के टकराव से किसी का हित नहीं होने वाला है 3- कूटनीतिक रूप से चीन के अलग-थलग पड़ने की आशंका चीन को सबसे बड़ी चिंता इस बात को लेकर भी बढ़ रही थी कि ग्लोबल स्तर पर वह अलग-थलग पड़ रहा था। गलवान में हुए हिंसक झड़क के बाद भारत ने पहली बार चीन के प्रति हिचक ताेड़ी थी और वह खुलकर उसके विरुद्ध आया था। भारत अब तक इससे परहेज करता रहा था। चीन के लिए यह बात परेशानी पैदा कर सकती थी। तनाव के बीच वह इस बात को दोहराता रहा कि भारत अमेरिका के गुट का हिस्सा नहीं बने। हांगकांग का मसला भी भारत ने पहली बार उठाया। इसके बाद चीन को अहसास हुआ कि उसके लिए अभी हर जगह मोर्चा खोलना मुनासिब नहीं होगा। सोमवार को भी बातचीत के बाद चीन ने जो बयान जारी किये उसमें दोनों देशों के 70 साल पुराने संबंध का भी हवाला दिया। 4- चीन पर आर्थिक वार भारत-चीन के बीच हाल के समय में कई मौकों पर विवाद होते रहे हैं लेकिन भारत ने इस विवाद के बीच व्यापार को नहीं लाया। लगभग पचास साल बाद जब दोनों देशों के बीच रिश्तों का सबसे खराब दौर आया तब भारत ने कहा कि कमाई और लड़ाई साथ नहीं चलेगी। 59 चाइनीज एप को बंद किये। इसके बाद चीन को मिले कई ठेके को मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत देशी कंपनियों को काम दिये गये। चीनी कंपनियों में इसे लेकर चिंता सामने आयी। चीन सरकार ने इस कदम के बाद पहली बार नरम रूख अपनाया और भारत से आग्रह किया कि व्यापार के रिश्ते को वह कमजोर नहीं करे और इसमें दोनों देशों का हित जुड़ा है। 5- दोनों देशों के लिए अभी और भी है चुनौतियां अभी चीन एक साथ कई मोर्चे पर जूझ रहा है। भारत के साथ तनाव के बीच अमेरिका से उसके गंभीर टकराव हो रहे हैं। 12 देशों से सीमा विवाद चल रहा है। हांगकांग का मुद्दा गर्माया हुआ है। उसपर कोरोना के लिए पूरा विश्व उसे जिम्मेदार मान रहा है। इनके बीच एक और महामारी की आशंका चीन में पैदा हुई है। उधर भारत भी कोराेना के मोर्चे पर लड़ रहा है। आर्थिक संकट का सामना भारत भी कर रहा है। जानकारों के अनुसार दोनों देशों के लिए ऐसे हालात में युद्ध बहुत नुकसान कर सकते थे। इसकी समझ दोनों देशों के नेतृत्व को भी था और वे बीच का रास्ता तलाशते रहे।
भी वॉशिंगटन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर चीन पर भड़के हैं। कोरोना वायरस की महामारी दुनिया में फैलने को लेकर चीन पर आरोप मढ़ते आ रहे ट्रंप ने सोमवार को कहा है कि चीन ने अमेरिका और दुनिया का बहुत नुकसान किया है। इससे पहले अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने कहा था कि जब कुछ देशों से अमेरिकी खजाने में खरबों डालर आ रहा था, उसी समय देश चीन से आए वायरस से प्रभावित हो गया। लिखें कोरोना के बीच सैन्य टकराव भी ट्रंप ने सोमवार को ट्वीट किया,' चीन ने अमेरिका और पूरी दुनिया का बहुत नुकसान किया है।' फिलहाल उन्होंने यह बात किस संदर्भ में कही है, इसे कहना मुश्किल है। ट्रंप पहले भी अचानक चीन पर हमलावर हो चुके हैं। इस वक्त दोनों देशों के बीच कोरोना के साथ-साथ सैन्य टकराव भी गहराता जा रहा है। एक ओर जहां साउथ चाइना सी में दोनों देश शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं कुछ दिन पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने कहा था कि दक्षिण पूर्व एशिया में चीन से बढ़ते खतरे की वजह से यूरोप से सेना हटाकर एशिया में तैनात की जा रही है। 'चीन ने बीमारी को छिपाया' इससे पहले ट्रंप ने कहा था, 'अमेरिका में गाउन, मास्‍क और सर्जिकल सामान बन रहा है जो पहले केवल विदेशी जमीन खासतौर पर चीन में बनते थे, जहां से यह वायरस और अन्‍य चीजें आईं। चीन ने इस बीमारी को छिपाया जिससे यह पूरी दुनिया में फैल गई। चीन को इसके लिए निश्चित रूप से पूरी तरह से जिम्‍मेदार ठहराया जाना चाहिए।' कोरोना वायरस के टीके के बारे में ट्रंप ने कहा कि हम बहुत शानदार तरीके से प्रगति कर रहे हैं। सड़कों पर उतरे लोग चीन की आक्रामकता और विस्तारवादी नीतियों से तंग लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर भारतीय अमेरिकी, तिब्बती और ताइवानी नागरिकों ने चीन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान लोग बॉयकाट चाइना और स्टॉप चाइनीज एब्यूज जैसे पोस्टर भी लिए दिखे। दो दिन पहले शिकागो में भी चीन के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे।
परमाणु हथियारों से लैस अमेरिकी फाइटर जेट ने दक्षिण चीन सागर को घेरा, देखती रह गई चीनी सेनादक्षिण चीन सागर में जारी अमेरिकी युद्धाभ्‍यास में यूएस नेवी जोरदार शक्ति प्रदर्शन कर रही है। चीन की धमकी के बाद अमेरिका के 11 फाइटर जेट ने एक साथ साउथ चाइना सी के विवाद‍ित इलाके में उड़ान भरी। इस दौरान चीन केवल गीदड़भभकी देता रह गया। अमेरिका की इस आक्रामक कार्रवाई से भड़के चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने इसे शक्ति का खुला प्रदर्शन करार दिया। दक्षिण चीन सागर में एक साथ उड़े 11 फाइटर जेट परमाणु बम ले जाने में सक्षम अमेरिका के B-52H बमवर्षक विमान के साथ अमेरिका के 10 अन्‍य फाइटर जेट और निगरानी विमानों ने रविवार को एक साथ दक्षिण चीन सागर में उड़ान भरी। ये सभी विमान अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर निमित्‍ज से उड़ान भरे थे। यूएसएस निमित्‍ज के साथ यूएसएस रोनाल्‍ड रीगन एयरक्राफ्ट कैरियर भी युद्धाभ्‍यास में हिस्‍सा ले रहा है। अमेरिकी युद्धाभ्‍यास को चीन ने ताकत का प्रदर्शन बताया चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीन के युद्धाभ्‍यास के बीच अमेरिकी B-52H बमवर्षक विमान और युद्धाभ्‍यास को एक संयोग नहीं बल्कि शक्ति का खुला प्रदर्शन करार दिया है। अखबार ने कहा कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम B-52H बमवर्षक विमान का गुआम में तैनात करना और युद्धाभ्‍यास करना चीन को अपनी ताकत दिखाना है। अमेरिकी नौसेना ने ग्‍लोबल टाइम्‍स के लिए मजे उधर, दक्षिणी चीन सागर में अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर्स की तैनाती से भड़के चीन की पिट्ठू मीडिया की धमकियों पर अमेरिकी नौसेना ने मजा लिया है। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स की धमकी भरे ट्वीट को रिट्वीट करते हुए अमेरिकी नेवी ने कहा कि इसके बावजूद वे उस इलाके में तैनात हैं। रविवार को ही ग्लोबल टाइम्स ने चीन के मिसाइलों की तस्वीर ट्वीट करते हुए अमेरिका को धमकी दी थी।
भारत ने चीन की दुखती रग पर रखा हाथ, आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर पहुंचाई बड़ी चोटगलवान घाटी (Galwan Valley) में आखिरकार चीन को अपने कदम खींचने पड़े। भारत ने कूटनीतिक तरीके से चीन को सबक सिखा दिया। भारत की सख्ती और जबरदस्त कूटनीतिक कदमों को देखकर चीन ने अपने सैनिकों को गलवान घाटी से 1.5 किलोमीटर पीछे बुला लिया है। इससे पहले चीन बातचीत के जरिए केवल समय काटकर अपना दावा मजबूत करने की फिराक में था लेकिन भारत ने उसकी दुखती रगों पर हाथ रख दिया। भारत ने न केवल आर्थिक तौर पर चीन पर प्रहार किया बल्कि कोरोना की वजह से बदनाम चीन को करारा कूटनीतिक जवाब भी दिया। भारत की सख्ती का परिणाम यह हुआ की चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कुर्सी पर भी खतरा मंडराने लगा। ऐसे में अपनी नापाक हरकत पर पीछे हट जाने के अलावा चीन के पास कोई चारा नहीं बचा। ​कमांडर स्तर की बातचीत, भारत रहा अडिग चीन के साथ भारत ने कई बार कमांडर स्तर की बातचीत की लेकिन चीन मानने को तैयार नहीं था। हालांकि भारत भी अपनी बात पर अडिग रहा और किसी भी स्तर पर समझौता करने को तैयार नहीं है। भारत के शीर्ष नेतृत्व और सेना की ओर से संदेश साफ था कि भारत एक इंच जमीन पर भी समझौता नहीं करेगा। ऐसे में चीन का मकसद कामयाब होता नहीं दिखा और अंत में उसे अपने नापाक मंसूबे को छोड़ना ही पड़ा। ​बातचीत में समय काटना चाहता था चीन जानकारों के मुताबिक दिखावे की बातचीत में चीन सिर्फ समय काटना चाहता था। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य रह चुके प्रोफेसर ब्रह्म चेलानी ने कहा कि चीन आसानी से पीछे हटने वाला नहीं है। स्पष्ट है कि अड़ियल चीन को भारत की तरफ से जोरदार झटका लगा। कूटनीतिक जवाब के साथ भारत ने आर्थिक संकट से जूझ रहे चीन की दुखती रग पर हाथ रख दिया। पिछले एक हफ्ते में भारत सरकार और अनेक राज्यों में उसके आर्थिक नुकसान होने लगे, जिससे उसे भविष्य में बड़े नुकसान का खतरा दिखाई देने लगा। ​59 ऐप बैन, नुकसान से बौखला गया था चीन भारत सरकार ने चीन के 59 ऐप बैन कर दिए थे जिसके बाद चीन की बौखलाहट साफ देखी गई। चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से यह बयान भी आया था कि ये ऐप पूरी तरह से सुरक्षित हैं लेकिन भारत नियमों का उल्लंघन कर रहा है। दरअसल चीन के कई ऐप भारत में लोकप्रिय हो गए थे जिनसे वह मोटी कमाई कर रहा था। इस समय जब चीन आर्थिक संकट से जूझ रहा हो और कमाई का एक बड़ा जरिए बंद हो जाए तो उसे झटका लगना लाजमी था। ​भारत ने दिया चीन को बड़ा कारोबारी झटका उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर और आगरा मेट्रो के लिए चीनी कंपनी के करार को खत्म कर दिया। इससे चीन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी का एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया। यह कॉन्ट्रैक्ट 2016 में ही चीन की कंपनी बीजिंग नैशनल रेलवे रिसर्च ऐंड डिजाइन इंस्टिट्यूट को दिया गया था। बाद में यह भी कहा गया कि यह फैसला अप्रैल में ही ले लिया गया था। चीन भारत को बड़े बाजार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। हर साल उसे लगभग 60 अरब डॉलर का अधिशेष मिलता है। ऐसे में चीन को भारत की बड़ी जरूरत है। इसलिए भारत के जवाब को चीन सहन नहीं कर पाया। ​वैश्विक कूटनीति में भारी पड़ा भारत कोरोना संकट के दौरान बारत की छवि वैसे भी खराब हो गई है। अमेरिका से चल रहे व्यापार युद्ध की वजह से वह पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। इसी बीच कोरोना ने उसे और कमजोर बना दिया। गलवान घाटी के मुद्दे पर अमेरिका औऱ फ्रांस जैसे देश भी भारत के साथ हो लिए। पश्चिम के देशों से भी चीन के संबंध खराब हो गए हैं। वहीं समंदर में कानूनों का उल्लंघन करने के चलते जापान और अन्य पूर्वी देश भी उसे चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में चीन हर स्तर पर कमजोर पड़ गया और उसे अपने कदम वापस खींचने पड़े। ​पीएम मोदी का लेह दौरा, दिया स्पष्ट संदेश चीन की हरकत का जवाब देने और जवानों की हौसला आफजाई के लिए लेह पहुंचे थे। वहां उन्होंने अपने भाषण में चीन को करारा जवाब दिया और स्पष्ट संदेश दे दिया की भारत किसी भी स्तर पर कोई समझौता नहीं करेगा। घायल जवानों से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'भारत न कभी झुका है औऱ न ही झुकेगा।' इस दौरे के बाद ही चीन के तेवर ढीले होते नजर आए थे।
ैं नई दिल्ली लद्दाख (Ladakh Standoff) के गलवान घाटी (Galan Valley) से चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने सबसे मजबूत कूटनीतिक हथियार का प्रयोग किया था। केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) को मोर्चे पर लगा दिया था और उन्होंने रविवार को चीनी समकक्ष वांग यी के साथ करीब दो घंटे तक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक की थी। भारत के सख्त रुख के बाद चीन के पास पीछे हटने के अलावा कोई और चारा भी नहीं था। भारत ने ड्रैगन को चौतरफा घेर रखा है चीन के 59 ऐप्स पर बैन के बाद पेइचिंग पूरी तरह से हिल गया था। इसी बातचीत में गलवान में तनाव कम करने पर सहमति बनी। ऐक्शन में डोभाल, झुका चीन डोभाल ने वांग यी के साथ बातचीत में तमाम मुद्दों पर बातचीत की। लद्दाख सीमा पर दोनों पक्षों के सैनिकों के हटने के पीछे की वजह यही बातचीत है। गलवान घाटी (Galwan Valley News) में 15 जून को दोनों पक्षों के बीच खूनी संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के 40 सैनिक मारे गए थे। डोभाल की बातचीत के बाद चीन ने गलवान घाटी में संघर्ष वाली जगह से 1.5 किलोमीटर अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है। बता दें कि दोनों देश तनाव को कम करने के लिए कई दौर की कमांडर स्तर की बातचीत कर चुके हैं। दोबारा न हो गलवान, इसपर भी चर्चा डोभाल ने कल वीडियो कॉल पर चीनी विदेश मंत्री और स्टेट काउंसलर वांग यी के साथ बातचीत की। दोनों पक्षों के बीच बातचीत काफी सौहार्दपूर्ण और दूरदर्शी रही। दोनों के बीच बातीचत में भविष्य में गलवान घाटी जैसी घटनाओं को रोकने के लिए शांति बनाए रखने पर बातचीत हुई ताकि आगे इस तरह की विकट स्थिति पैदा न हो। विवादित क्षेत्र से सेना हटाने पर सहमति बातचीत के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत दिखे कि जल्दी से जल्दी से विवादित क्षेत्र से सेनाएं पीछे हट जाएं और वहां शांति बहाली हो जाए। दोनों पक्ष इसके लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब मौजूद सैनिकों के जल्द हटाने पर भी हामी भरी। भारत और चीन ने चरणबद्ध तरीके से LAC के करीब से सैनिकों को हटाने की बात कही। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी की दोनों पक्ष LAC का उल्लंघन नहीं करेंगे और कोई भी पक्ष वहां यथास्थिति बदलने के लिए कोई एकपक्षीय कार्रवाई नहीं करेगा। आगे भी जारी रहेगी बातचीत बातचीत के दौरान दोनों प्रतिनिधियों ने सैन्य अधिकारियों के बीच तय मैकनिजम के तहत बातचीत जारी रखने पर भी सहमति जताई। इस बात पर भी सहमति जताई गई कि दोनों विशेष प्रतिनिधि भारत-चीन सीमा पर शांति स्थापित होने तक बातचीत आगे भी जारी रखेंगे। भारत की सख्ती के कारण चीन झुका लद्दाख में भारत की सख्ती और जोरदार जवाब के कारण चीन के आक्रामक रुख में अब नरमी दिखने लगी है। भारत ने ड्रैगन को सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक तीनों मोर्चो पर जबरदस्त पटखनी दी है। भारत ने चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगा दिया है। इसके अलावा लद्दाख में भारत के हजारों सैनिक तैनात हैं। यहीं नहीं, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देश भी भारत को अपने समर्थन का भरोसा दे चुके हैं। भारत का सदाबहार दोस्त रूस भी जल्दी से जल्दी हथियार मुहैया करा रहा है।
पेइचिंग चीन के विस्तारवादी नीतियों और भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर उसके अपने ही अब जिनपिंग सरकार पर सवाल उठाने लगे हैं। चीनी सामरिक मामलों के एक विशेषज्ञ ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी ने भारत की सामरिक शक्ति को गलत आंका है। जिसने भारत के 1962 के जख्मों को भी ताजा कर दिया है। भारत, अमेरिका, जापान, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस से एक साथ तनाव बढ़ाकर चीनी नीति नियंताओं ने भारी गलती की है। तनाव कम होने के आसार नहीं चीन के सामरिक विशेषज्ञ शी जियांगताओ ने एक लेख में कहा कि भले ही भारत और चीन ने सीमा पर तनाव कम करने को लेकर रूचि दिखाई है। लेकिन इसका कोई संकेत नहीं मिल रहा कि यह तनाव जल्द खत्म होने वाला है। दोनों ही देश सीमावर्ती इलाकों में अपने सैनिकों और हथियारों की तैनाती को लगातार बढ़ा रहे हैं। पेइचिंग और दिल्ली के बीच बढ़ी दूरी उन्होंने कहा कि चीन के इस कदम से पेइचिंग और नई दिल्ली के बीच दूरी और बढ़ रही है, जिससे वैश्विक स्तर पर चीन के लिए बुरे हालात बनने वाले हैं। भारत और अमेरिका अपने सामरिक सहयोग को तेजी से बढ़ा रहे हैं। इससे चीन के लिए खतरा और बढ़ता जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर चीन ने सीमा पर तनाव नहीं बढ़ाया होता तो भारत और अमेरिका के बीच सहयोग इतनी तेजी से नहीं बढ़ता। भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके शीर्ष राजनयिकों ने पिछले दो वर्षों में भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ाया था। लेकिन, सीमा पर बढ़ते तनाव से दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी आई है जिसका असर आर्थिक संबंधों पर भी देखने को मिल रहा है। इसलिए चीन ने भारत से लिया पंगा शी जियांगताओ ने कहा कि क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत का उदय, भारत और पाकिस्तान के बीच शक्ति संतुलन और अमेरिका के साथ भारत का गठबंधन ने चीन को कड़े कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, इस दौरान चीनी नीति नियंता भारत की ताकत का सही अंदाजा नहीं लगा सके।
नई दिल्ली अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध (Trade War) और फिर कोरोना की वजह से चीन की आर्थिक हालत (China Economy) खराब हो गई है। ऐसे में वह अपनी सैन्य ताकत या व्यापारिक पकड़ की धमक दिखाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि जानकारों का कहना है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की राजनीतिक और कूटनीतिक पकड़ कमजोर हो रही है और उन्हें बड़ा झटका लगा है। भारत की जवाबी कार्रवाई से भी चीन के सुप्रीम लीडर पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसा कोई भी संकेत नजर नहीं आ रहा है जिससे पता चले की शी जिनपिंग का कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रभावी नियंत्रण है। इस बार न केवल चीन की हालत खराब हो रही है बल्कि राष्ट्रपति के हाथ से भी हालात निकलते नजर आ रहे हैं। 2015-16 के स्लोडाउन में चीनी राष्ट्रपति की छवि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन यह समय उनपर भारी पड़ रहा है। उस समय राष्ट्रपति ने बिना ज्यादा मेहनत किए अपनी शाख बचा ली थी। मंदी का सामना कर रहे चीन को इस बार पश्चिमी देशों के भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है जो कि पहले कई मामलों में चीन के साथ रहते थे।कोरोना की वजह चीन की छवि खऱाब हो गई है। चीन के एलीट लोग अकसर पढ़ाई या फिर पर्यटन के लिए पश्चिमी देशों की यात्रा किया करते थे जो कि अब अपने ही देश में रहने को मजबूर हैं। BRI प्रॉजेक्ट को भी लगा धक्का चीन का महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को भी जोरदार धक्का लगा है। इस प्रॉजेक्ट के माध्य्म से वह अपने राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करना चाहता था। चीन पर आरोप है कि उसने खतरनाक कोरोना वायरस को छिपाया और पूरे विश्व में फैला दिया। अब देश बीआरआई के मामले में भी कर्ज की रीशेड्यूलिंग की मांग कर रहे हैं। समंदर के कानूनों पर चीन को चेतावनी कई कड़वे अनुभवों के बावजूद शी जिनपिंग संस्कृति क्रांति के समय से ही कम्युनिस्ट पार्टी के वफादार माने जाते रहे हैं और उन्होंने अपने प्रयासों से पार्टी को पुनर्जीवित किया। शी ने अपने देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ भी क्रूर अभियान चलाया और विरोधियों को सख्त से सख्त सजा दी। स्पष्ट है कि चीन अपनी ताकत से पड़ोसियों को धमकाना चाहता था लेकिन भारत की जबरदस्त जवाबी कार्रवाई की उसको उम्मीद नहीं थी। चीन समंदर में भी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहा है लेकिन जापान समेत कई देशों ने उसे कानूनों का पालन करने की चेतावनी दे दी है। वर्चस्व को चुनौती हॉन्ग कॉन्ग में लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से भी शी जिनफिंग को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। एक छोटे समय के लिए राष्ट्रवाद का ज्वार उनको बचाए रखने में कामयाब हो सकता है लेकिन लंबे समय के लिए यह भी कारगर नहीं होगा। इस समय शी जिनपिंग के लिए अपनी जनता की नजरों में पार्टी का वर्चस्व बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है।
है नई दिल्ली गलवान घाटी में चीन की नापाक हरकत के बाद भारत ने भी उसे हर स्तर पर जवाब देना शुरू कर दिया है। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में सलाहकार रह चुके प्रोफेसर ब्रह्म चेलानी का मानना है कि भारत को चीन की आक्रामकता का आर्थिक और कूटनीतिक, हर मोर्चे पर जवाब देना चाहिए। उनके मुताबिक चीन अतिक्रमण किए गए हमारे क्षेत्र को आसानी से खाली नहीं करने वाला है। इस पर अपने दावे को मजबूत करने के लिए वह बातचीत के बहाने समय काटना चाहता है। चेलानी ने यह भी कहा कि लेह जाकर प्रधानमंत्री ने अपने पहले के बयान को सुधारने का काम किया है जिसका इस्तेमाल चीन करने लगा था। मोदी ने जवानों का मनोबल ऊंचा किया' प्रोफेसर चेलानी ने कहा, 'मोदी के लद्दाख के अग्रिम मोर्चे के दौरे ने चीन की आक्रामकता और अतिक्रमण के खिलाफ भारत की मजबूती और आक्रामकता को दिखाया है। हालांकि, हिमालयी क्षेत्र में चल रही तनातनी और चीन के अतिक्रमण को कई हफ्ते तक कम करके बताने का संगठित सरकारी प्रयास हुआ। लेकिन मोदी के इस दौरे ने युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहे भारत के लिए सबका ध्यान खींचने में मदद की। उनका दौरा और उनका संबोधन जवानों का मनोबल ऊंचा करने वाला था। मोदी ने विस्तारवाद का जिक्र किया, चीन की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा के खिलाफ बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता की भावना का समर्थन करता है।' लद्दाख जाकर मोदी ने सुधारी गलतीः ब्रह्म चेलानी ब्रह्म चेलानी ने कहा कि चीन का नाम लिए बगैर मोदी ने चीन को साफ संदेश दे दिया। यह तो उनके भाषण पर चीन की प्रतिक्रिया से ही विदित है। उन्होंने कहा, 'अगर किसी देश का नाम लिए बगैर संदेश उस तक पहुंचाया जा सकता है तो फिर उसका नाम लिए जाने की आवश्यता ही क्या है। लद्दाख के दौरे से दो हफ्ते पूर्व हालांकि प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में अपने संबोधन से भ्रामक स्थिति पैदा कर दी थी। उनके 19 जून के बयान ने चीन को दुष्प्रचार का मौका दिया। चीन की सरकारी मीडिया ने इसे इस तरह प्रसारित किया कि मोदी चीन के साथ आगे कोई टकराव नहीं चाहते। लद्दाख जाकर उन्होंने अपनी इस गलती में सुधार किया।' हर मोर्चे पर देना चाहिए चीन को जवाब उन्होंने कहा कि भारत को चीन की आक्रामकता का हर मोर्चे पर जवाब देना चाहिए, चाहे वह आर्थिक हो या कूटनीतिक। भारत को चीन के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक आक्रामकता दिखानी चाहिए। दुर्भाग्यवश, हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर भारत की ओर से दिया गया बयान बेहद कमजोर रहा। चीन को भारत से व्यापार अधिशेष के रूप में सालाना लगभग 60 अरब डॉलर मिलते हैं। हालांकि भारत में उसका प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बहुत कम है। चीन ने निवेश की बजाय अपने सामान को भारत में खपाने को ज्यादा तवज्जो दी। भारत के नीति निर्धारकों को यह बात कब समझ आएगी कि चीन को भारत की अत्यधिक जरूरत है, न कि भारत को चीन की। पश्चिमी देशों से केवल कूटनीतिक समर्थन चेलानी ने कहा कि भारत पश्चिम के देशों से कूटनीतिक समर्थन की उम्मीद तो कर सकता है लेकिन सैन्य समर्थन की नहीं। भारत और अमेरिका सामरिक साझेदार हैं, न कि सैन्य साझेदार। अमेरिका से भारत की सैन्य साझेदारी होती भी है तो इससे बहुत अंतर नहीं पड़ने वाला है। साल 2012 में जब चीन ने फिलीपीन से स्कारबोरो शोल छीना था तब अमेरिका ने कुछ नहीं किया जबकि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग संबंधी समझौता है। कुछ शाब्दिक समर्थन के अलावा अमेरिका, चीन की सैन्य शक्ति के बारे में कुछ गोपनीय जानकारी ही भारत को मुहैया करा सकता है। भारत को खुद से ही चीन की आक्रामकता का जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि चीन ने छल-कपट से अतिक्रमण करते हुए लद्दाख में यथास्थिति को बदल दिया है। भारत चाहता है कि यथास्थिति बरकरार रहे। इस बात की कम ही संभावना है कि चीन शांतिपूर्वक पीछे हटे। इस पृष्ठभूमि में भारत को ऐसे उपाय करने चाहिए कि चीन को उसकी आक्रामकता भारी पड़े। इसके लिए भारत को उसे आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर घेरना होगा। चीनी आक्रामकता की ओर दुनिया का ध्यान केंद्रित रखने के लिए भारत को इस सैन्य गतिरोध को लंबा खींचना चाहिए। साथ ही भारत को अपनी 'वन-चाइना' नीति समाप्त करनी चाहिए।
चीन से आने वाले निवेश (Chinese investments), चाइनीज कंपनी, चाइनीज ऐप्स (Banned 59 chinese apps), चीन से आने वाले एफडीआई (FDI from china) और किसी तरह के प्रॉजेक्ट में परोक्ष रूप से चाइनीज एंट्री पर सरकार की पैनी नजर है। भारत की इस कार्रवाई से चीन तिलमिला गया है और वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन और फ्री ट्रेड के नियम कानून की बात करने लगा है। जोमैटो में निवेश रोका पिछले दिनों मोदी सरकार ने चीने से आने वाले FDI के नियम में बदलाव किया था। चीन से आने वाले निवेश को सरकार की मंजूरी की जरूरत है। चाइनीज मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि भारत सरकार ने फूड डिलिवरी स्टार्टअप Zomato में चीन के निवेशक ऐंट फाइनैंशल (Ant Financial अलीबाबा ग्रुप की सहयोगी कंपनी है) द्वारा 150 मिलियन डॉलर में से आखिरी 100 मिलियन डॉलर (750 करोड़ के करीब) के निवेश को रोक दिया है। इस ट्वीट के जरिए ग्लोबल टाइम्स कहना चाहता है कि किस तरह नई FDI पॉलिसी अपने ही कंपनियों को नुकसान पहुंचा रही है। 59 चाइनीज ऐप्स बैन इकनॉमिक सर्जिकल स्ट्राइक के तहत चीन को कई और बड़े झटके लगे हैं। इस सप्ताह सरकार ने 59 चाइनीज ऐप्स बैन कर दिए। इसमें बाइटडांस का टिकटॉक, अलीबाबा का यूसी न्यूज, शेयर इट जैसे ऐप्स शामिल हैं। सरकार के फैसले के बाद वहां की कंपनी को काफी नुकसान की संभावना है। चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने ल‍िखा है क‍ि बाइटडांस जो क‍ि ट‍िकटॉक की मदर कंपनी है उसे बैन की घटना से 6 ब‍िल‍ियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। कंपनी लगातार सफाई दे रही है कि उसका डेटा सेंटर सिंगापुर में है और वह चाइनीज सरकार के साथ डेटा साझा नहीं की है। हाइवे प्रॉजेक्ट्स में चाइनीज कंपनी की एंट्री बैन परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हाइवे प्रॉजेक्ट में चाइनीज एंट्री बंद की जाएगी। इसके अलावा MSME सेक्टर में भी आने वाले निवेश पर रखी जाएगी कि कहीं वह चीन से तो नहीं आ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वर्तमान में कोई चाइनीज कंपनी जॉइंट वेचर में भारती हाइवे प्रॉजेक्ट में घुसी होगी तो टेंडर कैंसल कर नया टेंडर जारी किया जाएगा। हीरो साइकिल ने 900 करोड़ का झटका दिया हीरो साइकिल ने भी एक बड़ा फैसला लेते हुए 900 करोड़ रुपये का चीन से व्यापार रद्द कर दिया है। यह व्यापार अगले तीन महीनों में किया जाना था। आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाते हुए कंपनी लुधियाना में साइकिल के पुर्जे बनाने वाली छोटी कंपनियों की मदद के लिए आगे बढ़ी है और उन्हें खुद में मर्ज करने का ऑफर दे रही है। JSW ग्रुप ने 3000 करोड़ का झटका दिया JSW ग्रुप की सहयोगी कंपनी जेएसडब्ल्यू सीमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ जिंदल ने कहा कि उनकी कंपनी हर साल चीन से 3000 करोड़ का आयात करती है। वह अगले दो सालों में इसे घटाकर शून्य पर ले आएंगे। उन्होंने #BoycottChina के साथ ट्वीट किया और कहा, 'चीन के सौनिकों द्वारा हमारे जवानों पर अकारण किया गया हमला आंखें खोलने वाला है और स्पष्ट कार्रवाई की जरूरत बताता है। हम (जेएसडब्ल्यू समूह) चीन से सालाना 40 करोड़ डॉलर का शुद्ध आयात करते हैं। हम इसे अगले 24 महीने में शून्य पर लाने का संकल्प लेते हैं।' कानपुर-आगरा मेट्रो के लिए चाइनीज कंपनी रिजेक्ट उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UPMRC) ने तकनीकी खामियों के चलते कानपुर, आगरा मेट्रो के लिये चीनी कंपनी के टेंडर को रिजेक्ट कर दिया। मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजनाओं हेतु मेट्रो ट्रेनों (रोलिंग स्टॉक्स) की आपूर्ति, परीक्षण और चालू करने के साथ-साथ ट्रेन कंट्रोल और सिग्नलिंग सिस्टम का ठेका बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया है। BSNL ने टेंडर कैंसल किया BSNL और MTNL से कुछ दिन पहले सरकार ने कहा था कि वह 4G अपग्रेड में चीनी इक्विपमेंट्स का इस्‍तेमाल न करे। बीएसएनएल की तरफ से इसकी घोषणा कर दी गई है। BSNL ने 23 मार्च 2020 को जारी टेंडर वापस ले लिया। एक नया टेंडर फ्लोट किया जाएगा जिसमें 'मेक इन इंडिया' को प्रिफरेंस दी जाएगी। रेलवे ने थर्मल कैमरा का टेंडर कैंसल किया इसके अलावा रेलवे ने भी थर्मल कैमरा खरीदने के लिये टेंडर को रद्द कर दिया है। विभिन्न विक्रेताओं से मिली प्रतिक्रिया के बाद यह कदम उठाया गया है। उनका कहना था कि उपकरण की खरीद को लेकर जो चीजें मांगी गई हैं, उससे चीनी कंपनियों को लाभ होगा। रेलवे का उपक्रम रेल टेल ने पिछले महीने 800 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी कैमरे के लिये टेंडर जारी किया था। माना जा रहा है कि उससे चीन की कंपनी हिकविजन को लाभ मिल सकता है। हिकविजन दुनिया की सबसे बड़ी वीडियो निगरानी कंपनी है। कंपनी का फिलहाल भारत के CCTV बाजार पर दबदबा है। महाराष्ट्र सरकार ने 5 हजार करोड़ के प्रॉजेक्ट्स ठंडे बस्ते में डाला चीन को महाराष्ट्र सरकार से बड़ा झटका लगा। वहां उद्धव सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ साइन तीन अग्रीमेंट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। ये तीन प्रॉजेक्ट करीब 5 हजार करोड़ के थे। इन्हें हाल ही में मैग्नेटिक महाराष्ट्र 2.0 इंवेस्टर समिट में साइन किया गया था। इस बारे में इंडस्ट्री मिनिस्टर सुभाष देसाई ने बताया कि ये अग्रीमेंट गलवान हिंसा से पहले साइन हुए थे। केंद्र सरकार को इसकी जानकारी दे दी गई है। विदेश मंत्रालय ने फिलहाल चीन के साथ कोई और अग्रीमेंट साइन नहीं करने की सलाह दी है। 471 करोड़ का रेलवे का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल गलवान में झड़प के तुरंत बाद रेलवे ने भी चीनी कंपनी का ठेका रद्द किया था। यह प्रॉजेक्ट करीब 471 करोड़ का था। यह चीनी कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजायन इंस्टीट्यूट के पास था। इसमें कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल और दूरसंचार का काम होना था। रेलवे ने कहा कि ठेका काम की स्लो स्पीड की वजह से रद्द किया जा रहा है।
नई दिल्ली चीन से साथ पूर्वी लद्दाख सीमा पर चल रही तनातनी को देखते हुए सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम तेज कर दिया है। इनमें कई हाइवे परियोजनाएं भी शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में बन रही कई परियोजनाओं पर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और National Highways and Infrastructure Development Corporation (एनएचआईडीसीएल) काम कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक 17 स्टैटजिक हाइवे-कम-एयरस्ट्रिप पर भी काम चल रहा है जिनमें से तीन का काम पूरा हो चुका है। इन पर जरूरत पड़ने पर विमान को उतारा जा सकता है। उन्होंने साथ ही कहा कि उत्तराखंड के चारों धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को ऑल वेदर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए भी 12,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना का काम जोरशोर से चल रहा है। गडकरी ने कहा कि बीआरओ ने ऋषिकेश-धरासू नेशनल हाइवे पर चंबा शहर के नीचे 440 मीटर लंबी सुरंग खोदकर बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसके लिए ऑस्ट्रिया की अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इसे तय समय से तीन महीने पहले ही अक्टूबर में ट्रैफिक के लिए खोल दिया जाएगा। हाइवे पर एयरस्ट्रिप गड़करी ने कहा, 'हमने 17 स्ट्रैटजिक प्रोजेक्ट्स में से तीन परियोजनाएं पूरी कर रही हैं। इनमें से अधिकांश सीमावर्ती इलाकों में हैं। बाकी परियोजनाओं पर भी काम तेजी से चल रहा है। इनमें एयरस्ट्रिप भी बनाई जा रही हैं।' उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं को रक्षा मंत्रालय के सहयोग से बनाया जा रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर सीमावर्ती इलाकों में हाइवे को एयरस्ट्रिप में बदला जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह के स्ट्रिप पर ट्रैफिक को रेलवे की तरह के इलेक्ट्रॉनिक गेट सिस्टम में कंट्रोल किया जाएगा। इससे जरूरत पड़ने पर वहां विमान उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया था जिसमें हाइवे और डिफेंस मिनिस्ट्री के अधिकारियों को शामिल किया गया था। गडकरी ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए भारतमाला परियोजना के तहत कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। ये परियोजनाएं राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर में शुरू की गई हैं। इसका मकसद सीमावर्ती इलाकों का सर्वांगीण विकास करना है। इससे वहां इंडस्ट्री जाएगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना के पहले चरण में 34,800 किमी लंबी सड़कें बनाई जा रही हैं जिन पर 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। उन्होंने कहा कि बेहतर बुनियादी संरचना उद्योग और रोजगार लाता है। इसके साथ ही, यह सीमावर्ती क्षेत्रों में कृषि और अन्य उपज के मूल्य को बढ़ावा देगा। धारचुला-लिपेलेख सड़क उन्होंने कहा कि कुछ सबसे कठिन इलाकों में बीआरओ काम कर रहा है और महत्वपूर्ण परियोजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रहा है। हाल ही में बीआरओ ने धारचुला से लिपुलेख तक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क पूरी की है, जिसे कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के रूप में जाना जाता है। नवनिर्मित 80 किलोमीटर की सड़क चीन की सीमा के साथ 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रा को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रा को धारचुला से जोड़ती है। इस परियोजना के पूरा होने से कैलाश मानसरोवर यात्रा अधिक सुगम हो जाएगी। धारचुला-लिपुलेख सड़क पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटीबाग मार्ग का विस्तार है। यह घाटीबाग से निकलती है और कैलाश मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे पर समाप्त होती है। 80 किलोमीटर की इस सड़क में ऊंचाई 6,000 फुट से 17,060 फुट हो जाती है। इस सड़क के निर्माण में बीआरओ ने कई जानें गंवाईं और काली नदी में गिरने के बाद 25 उपकरण भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार देश के समग्र बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 22 ग्रीन एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है।
वॉशिंगटन/लंदन भारत समेत एशिया में पड़ोसी देशों के साथ चीन की बढ़ती दादागिरी को देखते हुए अमेरिका ने ड्रैगन से मुकाबले के लिए कमर कस ली है। अमेरिका अपने हजारों सैनिकों को जापान से लेकर ऑस्‍ट्रेलिया से तक पूरे एशिया में तैनात करने जा रहा है। डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इंडो-पैसफिक इलाके में शीत युद्ध के बाद यह सबसे महत्‍वपूर्ण भूराजनैतिक चुनौती है। इस तैनाती के बाद अमेरिकी सेना अपने वैश्विक दबदबे को फिर से कायम करेगी। उधर, ब्रिटेन भी अपने हजारों कमांडो स्‍वेज नहर के पास तैनात कर रहा है। अमेरिका जर्मनी में तैनात अपने हजारों सैनिकों को एशिया में तैनात करने जा रहा है। ये सैनिक अमेरिका के गुआम, हवाई, अलास्‍का, जापान और ऑस्‍ट्रेलिया स्थिति सैन्‍य अड्डों पर तैनात किए जाएंगे। जापान के निक्‍केई एशियन रिव्‍यू की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की प्राथमिकता बदल गई है। शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के रखा विशेषज्ञों का मानना था कि सोवियत संघ पर नियंत्रण रखने के लिए यूरोप में बड़ी तादाद में सेना को रखना जरूरी है। अमेरिका के निशाने पर आया चीन रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 के दशक में अमेरिका का फोकस मुख्‍य रूप से आतंकवाद पर था और उसने इराक तथा अफगानिस्‍तान में आतंकवाद के खिलाफ जंग छेड़ा था। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने पिछले महीने अपने एक लेख में कहा था, 'चीन और रूस जैसी दो महाशक्तियों के साथ प्रतिस्‍पर्द्धा के लिए अमेरिकी सेना को निश्चित रूप से अग्रिम इलाके में पहले के मुकाबले ज्‍यादा तेजी से सेना को तैनात करना होगा।' इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए अमेरिका जर्मनी से अपने सैनिकों संख्‍या 34500 से घटाकर 25 हजार करने जा रहा है। इन 9500 अमेरिकी सैनिकों को इंडो- पैसफिक इलाके में तैनात किया जाएगा या फिर उन्‍हें अमेरिका में स्थित सैन्‍य अड्डे पर भेजा जाएगा। अमेरिका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, 'एशिया में अमेरिका और हमारे सहयोगी देश कोल्‍ड वार के बाद सबसे बड़ी भूराजनीतिक चुनौती का सामना कर रहे हैं।' उधर, चीन लगातार अपनी सेना पर भारी खर्च कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक चीन रूस के मुकाबले तीन गुना ज्‍यादा पैसा रक्षा पर खर्च कर रहा है। चीन की रणनीति है कि अमेरिकी जंगी जहाजों और फाइटर जेट को अपने करीब न आने दे। इसके लिए चीन अपनी मिसाइल क्षमता को बढ़ा रहा है। साथ ही रेडार क्षमता को और ज्‍यादा आधुनिक बना रहा है। अमेरिकी सेना ने बदल दी अपनी रणनीति विश्‍लेषकों का मानना है कि अमेरिकी सेना के वैश्विक संचालन में तीन बदलाव आए हैं। पहला-अमेरिकी सेना का ध्‍यान अब यूरोप और पश्चिम एशिया से हटकर एशिया प्रशांत इलाके पर हो गया है। दूसरा-अमेरिकी सेना का जमीनी जंग की बजाय समुद्र और हवा में युद्ध पर फोकस हो गया है। तीसरा: ट्रंप प्रशासन अब अमेरिकी सेना पर होने वाले खर्च को घटाना चाहता है। अमेरिक तेल की चाहत में पश्चिम एशिया गया था लेकिन अब यह खुद उसके यहां भी पैदा होने लगा है। चीन से निपटने के लिए अब अमेरिकी सेना एयर और समुद्र में जंग लड़ने पर अपना फोकस कर रही है। अमेरिकी सेना का मानना है कि अगर चीन से साउथ चाइना सी, ईस्‍ट चाइना सी या हिंद महासागर में युद्ध लड़ना पड़ा तो यह क्षमता बेहद जरूरी होगी। वर्ष 1987 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के 1,84,000 सैनिक थे लेकिन वर्ष 2018 में यह घटकर 1,31,000 हो गए। ट्रंप प्रशासन अब दक्षिण कोरिया और जापान के साथ सैनिकों को लेकर वार्ता कर रहा है। चीन से निपटने के लिए ब्रिटेन एशिया में भेज रहा सैनिक फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के खतरे से निपटने लिए अमेरिका का करीबी सहयोगी ब्रिटेन भी एशिया में अपने सैनिक भेज रहा है। ब्रिटेन की सेना का मानना है कि एशियाई सहयोगी देशों के साथ नजदीकी संबंध रखकर, कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता का इस्‍तेमाल करके और स्‍वेज नहर के पास और ज्‍यादा सैनिक तैनात करके चीन पर नकेल कसा जा सकता है। इसके लिए ब्रिटेन के तीनों ही सेनाओं के प्रमुख मंत्रियों से मिले थे। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस के खात्‍मे के बाद दुनिया में आर्थिक संकट, विवाद और लड़ाई बढ़ जाएगी। ब्रिटेन के सेना प्रमुखों की बैठक में चीन के खतरे पर सबसे ज्‍यादा चर्चा हुई। ब्र‍िटेन में चीन के साथ संबंधों को नए सिरे से पारिभाषित करने पर जोर दिया जा जा रहा है। इसके अलावा ताइवान के साथ संबंध को मजबूत करने जोर दिया जाएगा। इसके लिए ब्रिटेन दक्षिण कोरिया और जापान के साथ संबंध को और ज्‍यादा मजबूत करेगा। ब्रिटेन की शाही नौसेना ने ऐलान किया है कि वह स्‍थायी रूप से स्‍वेज नहर के पूर्व में कुछ हजार कमांडो हमेशा के लिए तैनात कर रही है। इन्‍हें संकट के समय कभी भी तैनात किया जा सकेगा। बता दें कि स्‍वेज नहर दुनिया का सबसे व्‍यस्‍त मार्ग है और चीन का बड़े पैमाने पर सामान इसी रास्‍ते से यूरोप जाता है।
पेइचिंग चीन ने आधिकारिक तौर पर पहली बार स्‍वीकार किया है कि उसका भूटान के साथ पूर्वी इलाके में सीमा विवाद है। चीन की यह स्‍वीकारोक्ति के भारत के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण है। दरअसल, भूटान की पूर्वी अरुणाचल प्रदेश से लगती है और इसी इलाके में अब चीन सीमा विवाद का दावा कर रहा है। चीन ने कहा है क‍ि उसका भूटान के साथ कभी सीमा विवाद सुलझा नहीं है। हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने कहा कि भूटान के साथ उसका लंबे समय से पूर्वी, मध्‍य और पश्चिमी इलाके में सीमा विवाद है। चीन ने भारत की ओर इशारा करते हुए कहा कि किसी तीसरे पक्ष को चीन-भूटान सीमा विवाद में उंगली नहीं उठानी चाहिए। चीन और भूटान ने वर्ष 1984 से लेकर 2016 के बीच में अब तक 24 दौर की बातचीत की है। इस दौरान बातचीत में केवल पश्चिम और मध्‍य इलाके के विवाद पर चर्चा हुई थी। पूर्वी इलाके में कभी भी सीमा विवाद को लेकर बातचीत नहीं भूटान के सूत्रों के मुताबिक चीन और भूटान के बीच पूर्वी इलाके में कभी भी सीमा विवाद को लेकर बातचीत नहीं हुई थी। दोनों पक्षों ने मध्‍य और पश्चिमी इलाके में सीमा विवाद को माना था। यहां कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक पैकेज पर सहमति बनी थी। यदि चीन को पूर्वी सेक्‍शन में अपनी स्थिति वैधानिक लग रही थी कि तो उसे यह मुद्दा पहले उठाना चाहिए था।' उधर, भूटान के एक विशेषज्ञ का कहना है कि यह पूरी तरह से चीन का नया दावा है। दोनों पक्षों के जिन दस्‍तावेजों पर साइन हुए हैं, उनमें केवल पश्चिमी और मध्‍य हिस्‍से में विवाद की बात कही गई थी।' चीन के इस नए दावे पर भारत ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने भूटान के साथ पूर्वी इलाके में वास्‍तविक विवाद के बारे में विस्‍तृत जानकारी नहीं दी। वन्‍यजीव अभयारण्य की जमीन को 'विवादित' बताया इससे पहले चीनी ड्रैगन ने भूटान की एक नई जमीन पर अपना दावा ठोका था। चीन ने ग्‍लोबल इन्‍वायरमेंट फसिलिटी काउंसिल की 58वीं बैठक में भूटान के सकतेंग वन्‍यजीव अभयारण्य की जमीन को 'विवादित' बताया। साथ ही इस परियोजना को होने वाली फंडिंग का 'विरोध' करने का प्रयास किया। भूटान ने चीन के इस कदम का कड़ा विरोध किया और जमीन को अपना अभिन्‍न अंग बताया था। चीन के दावे के उलट वास्‍तविकता यह है कि पिछले वर्षों में अभ्‍यारण्‍य की जमीन को लेकर कभी विवाद नहीं रहा था। हालांकि भूटान और चीन के बीच अभी सीमाकंन नहीं हुआ है। चीन की इस नापाक चाल पर भूटान ने कड़ा विरोध किया। भूटान ने चीन के इस दावे पर आपत्ति जताते हुए कहा, 'साकतेंग वन्‍यजीव अभयारण्य भूटान का अभिन्‍न और संप्रभु हिस्‍सा है।'
नई दिल्ली, 05 जुलाई 2020, भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव चल रहा है. इस बीच दक्षिण चीन सागर में चीनी नौसेना के युद्धाभ्यास की तस्वीरें भी सामने आई हैं. ग्लोबल टाइम्स ने 1 जुलाई से चल रहे युद्धाभ्यास की तस्वीरों के साथ लिखा है कि चीन के दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी थिएटर कमांड्स ने दक्षिणी चीन सागर, पीला सागर और पूर्वी चीन सागर में अपना नौसैनिक कौशल दिखाया है. भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव चल रहा है. इस बीच दक्षिण चीन सागर में चीनी नौसेना के युद्धाभ्यास की तस्वीरें भी सामने आई हैं. ग्लोबल टाइम्स ने 1 जुलाई से चल रहे युद्धाभ्यास की तस्वीरों के साथ लिखा है कि चीन के दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी थिएटर कमांड्स ने दक्षिणी चीन सागर, पीला सागर और पूर्वी चीन सागर में अपना नौसैनिक कौशल दिखाया है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इस युद्धाभ्यास में 054 ए फ्रिगेट्स और 052 डी गाइडेड मिसाइल्स डिस्ट्रॉयर्स का बखूबी इस्तेमाल किया गया. भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन से आ रही इन तस्वीरों को अपनी शक्ति दिखाने का उपक्रम कहा जा रहा है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञ इसे चीन की विस्तारवादी सोच का नमूना मान रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की नजर केवल गलवान पर नहीं, दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर भी है. दरअसल, दक्षिण चीन सागर में लगभग 250 द्वीप हैं. इन सभी पर चीन कब्जा करना चाहता है. दुनिया का करीब एक तिहाई लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर का व्यापार इसी समुद्री रास्ते से होता है.चीन की मंशा है कि इन द्वीपों पर कब्जा कर यहां से गुजरने वाले हर जहाज पर नजर रखे, उन्हें रोके-टोके. रक्षा विशेषज्ञ एसपी सिन्हा ने आजतक से कहा कि चीन को सख्ती से रोकना होगा. चीन को अभी नहीं रोका गया तो कोरोना से हालात सामान्य होते ही वह इन सभी द्वीपों पर कब्जा कर लेगा. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जमीन पर विस्तारवाद को आजमाने के बाद चीन समुद्र में भी इसी रवैये को आगे बढ़ा रहा है. चीन, दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता रहा है. उसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी इस मुद्दे पर मुंह की खानी पड़ी थी. जापान और वियतनाम दक्षिण चीन सागर में चीन की मौजूदगी का विरोध करते रहे हैं. दक्षिण चीन सागर का फ्री रहना जापान और ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय व्यापार के लिहाज से भी जरूरी है. बता दें कि अमेरिका ने मिसाइलों से लैस अपने तीन जंगी जहाज इंडो पैसिफिक सी में भेजा है. अमेरिका के ये जंगी जहाज जापान, वियतनाम, दक्षिण कोरिया के अपने ठिकानों के पास अभ्यास करेंगे. बता दें कि भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर तनावपूर्ण माहौल है. पीएम मोदी ने भी लद्दाख का दौरा कर सैन्य अधिकारियों से हालात की जानकारी ली थी.
हॉन्‍ग कॉन्‍ग हुवावे के बल पर वर्ष 2030 तक डिजीटल तकनीक की दुनिया पर राज करने का सपना देख रहे चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग को बड़ा झटका लगा है। दुनिया में चीन की 'ताकत' का प्रतीक कहे जानी वाली हुवावे कंपनी पर अमेरिका ने ताजा प्रतिबंध लगा दिया है। इससे हुवावे की अमेरिकी तकनीकों तक पहुंच बहुत सीमित हो गई है। इन प्रतिबंधों के बाद के अब हुवावे के 5G तकनीक मुहैया कराने के वादे पर सवाल उठने लगे हैं। संकट की इस घड़ी में भारत और पूरी दुनिया में बढ़ रहे चीन विरोधी माहौल ने हुवावे की मुश्किलों को और बढ़ा दिया है सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक हुवावे इस समय बहुत ज्‍यादा दबाव में है। उसकी अमेरिकी तकनीकों तक पहुंच इससे पहले इतनी कम कभी नहीं थी। अब दुनियाभर में मोबाइल कंपनियां यह सवाल कर रही हैं कि क्‍या हुवावे समय पर अपने 5G तकनीक मुहैया कराने के वादे को पूरा कर पाएगी या नहीं। यही नहीं लद्दाख में सीमा पर चल रहे भारी तनाव से दुनिया के विशालतम बाजारों में से एक भारत में चीनी कंपनी के लिए संकट पैदा हो गया है। यही नहीं पूरे विश्‍व में चीन विरोधी भावनाएं तेज होती जा रही हैं। हुवावे के खिलाफ यूरोप में बदलाव की शुरुआत अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पिछले महीने घोषणा की थी कि 'हुवावे के खिलाफ माहौल बहुत खराब हो गया है क्‍योंकि दुनियाभर में लोग चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के सर्विलांस स्‍टेट के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।' पोम्पियो ने चेक रिपब्लिक, पोलैंड और इस्‍टोनिया जैसे देशों की तारीफ की जो केवल 'विश्‍वसनीय वेंडर्स' को ही अनुमति दे रहे हैं। पोम्पियो ने पिछले दिनों भारत की टेलिकॉम कंपनी जियो की भी तारीफ की थी जिसने हुवावे की तकनीक को नहीं लिया है। वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक न्‍यू अमेरिकन सिक्‍यॉरिटी की शोधकर्ता कारिसा नेइश्‍चे ने कहा कि यूरोप में बदलाव की शुरुआत हो गई है। उन्‍होंने कहा कि यूरोप के देश और मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियां इस बात से बहुत चिंतित हैं कि अमेरिकी प्रतिबंधों से हुवावे के बिजनस को बहुत बड़ा झटका लगा है और वह सही समय पर 5G तकनीक मुहैया नहीं करा पाएगी। दरअसल, अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में ताइवान की कंपनी टीएसएमसी भी आ गई है जो हुवावे को चिप और अन्‍य जरूरी उपकरण मुहैया कराती है। चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी से हुवावे के संबंध: अमेरिका विशेषज्ञों के मुताबिक टीएसएमसी के चिप की मदद के बिना हुवावे 5G बेस स्‍टेशन और अन्‍य उपकरण नहीं बना पाएगी। इससे हुवावे का 5G बिजनस गंभीर खतरे में पड़ गया है। उनका कहना है कि अगर अमेरिका और चीन के बीच तनाव कम नहीं हुआ तो हुवावे 5G उपकरण मुहैया नहीं करा पाएगी। उधर, हुवावे ने दावा किया है कि उसे उनके ग्राहकों से पूरा सहयोग मिल रहा है। हालांकि कंपनी ने माना कि अमेरिकी प्रतिबंधों से उसे बहुत ज्‍यादा संकट का सामना करना पड़ रहा है। ब्रिटेन में इसकी शुरुआत हो गई है और पीएम बोरिस जॉनसन हुवावे से किनारा करने जा रहे हैं। अमेरिका हुवावे को संदेह की दृष्टि से देखता है और उसका मानना है कि कंपनी के चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी से गहरे संबंध हैं। उधर, हुवावे का दावा है कि वह एक निजी फर्म है और उसके हजारों कर्मचारी उसे चलाते हैं। आलोचकों का कहना है कि चीन हुवावे को अन्‍य देशों में जासूसी करने के लिए भी दबाव डाल सकता है। हुवावे का कहना है कि ऐसा कभी नहीं हुआ है और कभी ऐसे आदेश आते हैं तो वह उसे ठुकरा देगी। भारत बन रहा चीन के लिए चिंता का सबब सीएनएन के मुताबिक चीन का अमेरिका के साथ चल ही रहा है और इस बीच अब भारत और यूरोपीय देशों से ताजा तनाव ने उसकी चिंता को और ज्‍यादा बढ़ा दिया है। भारतीय विदेश नीति के व‍िशेषज्ञ चैतन्‍य गिरी कहते हैं कि भारत अब विचार कर रहा है कि क्‍या उसे 5G नेटवर्क में हुवावे के उपकरणों के साथ जाना चाहिए या नहीं। इससे पहले भारत ने हुवावे को 5G नेटवर्क के लिए ट्रायल में भाग लेने की अनुमति दी थी। हालांकि गलवान घाटी में 20 नागरिकों की निर्मम हत्‍या के बाद अब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। गिरी कहते हैं कि चीन पर कोरोना वायरस को फैलाने का आरोप लगा है जिससे भारत में उसके खिलाफ लोगों को अभियान तेज हो गया है। भारत सरकार ने चीन के टिक टॉक समेत 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा द‍िया है। अब भारत का अगला कदम हुवावे हो सकता है। जनता में भी यह माहौल बन रहा है कि चीनी सामानों का बहिष्‍कार करना है। दुनिया के बड़े लोकतंत्र एक सुर में बोल रहे हैं और वे जानते हैं कि क्‍या दांव पर लगा है।
नई दिल्ली LAC पर चीन के साथ तनाव के बीच भारत ने सीमा पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। भारतीय वायुसेना ने पहले ही अपने युद्धक विमानों को सीमा के पास एयरबेस पर तैनात कर दिया था। अब एयरफोर्स के सुखोई Su-30MKI और मिग 29 विमानों के साथ अपाचे हेलिकॉप्टर भी सीमा पर उड़ान भरते नजर आते हैं। भारतीय सेना चीन सीमा पर एयर ऑपरेशन कर रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत चीन को संदेश दे चुका है कि किसी भी मामले में थोड़ा भी समझौता नहीं किया जाएगा। गलवान घाटी में चीन की नापाक हरकत और हिंसक झड़प के बाद भारत ने कमर कस ली है। चीन की हेकड़ी को देखते हुए भारत ने सीमा पर अपने विमान तैनात कर दिए। सीमा पर मिग, सुखोई और हरक्युलिस विमान पहले से तैनात थे लेकिन अब अकसर ये सीमा के पास उड़ान भरते देखे जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि तीनों सेनाओं से किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। LAC पर तैनात एक स्कॉड्रन लीडर ने कहा कि सभी बेस पर भारतीय वायुसेना पूरी तरह से तैयार है और किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। उन्होंने कहा, जवानों का जोश हमेशा हाइ रहता है औऱ आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए वे तैयार रहते हैं। बता दें कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी भी जवानों की हौसला आफजाई और चीन को कड़ा संदेश देने के लिए लेह पहुंचे थे। उन्होंने विस्तारवादी चीन को लताड़ा भी और घायल जवानों से मुलाकात के दौरान कहा कि भारत न किसी के सामने कभी झुका है और न ही झुकेगा। अपाचे हेलिकॉप्टर की खासियत ये युद्धक हेलिकॉप्टर अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाए हैं। इसका कुल वजन 6838 किलोग्राम के आसपास होता है। ये अधिकतम 279 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकते हैं। इसमें दो टर्बोशाफ्ट इ्ंजन होते हैं ज। इसमें एयर टु एयर मिसाइलें, रॉकेट और गन की क्षमता होती है। इसकी ऊंचाई लगभग 15.24 फीट होती है और पंख 17.15 फीट तक फैले होते हैं। सेना के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय वायुसेना युद्ध के दौरान बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। युद्ध के साथ ही सेना के सहयोग का काम भी करती है और जरूरी सामान को भी पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि सेना किसी भी स्थिति के लिए तैयार है।
नई दिल्ली दुनिया की सबसे बड़ी नोडल हेल्थ एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत की कोरोना वायरस के खिलाफ जंग के प्रयासों की प्रशंसा की है। साथ ही WHO का कहना है कि भारत को अब कोरोना वायरस से जुड़े डेटा मैनेजमेंट पर भी फोकस करना चाहिए। WHO का मानना है कि भारत की सबसे बड़ी समस्या विशाल जनसंख्या और भौगोलिक विविधता है। इसलिए डेटा इकट्ठा करना और जरूरी हो जाता है। राजनीतिक नेतृत्व को सराहा WHO ने भारत सरकार की मजबूत राजनीतिक नेतृत्व की तारीफ की। भारत ने कोरोना वायरस की महामारी में टेस्टिंग से लेकर उसे बड़े स्तर तक ले जाने तक अच्छी भूमिका अदा की है। साथ ही भारत ने कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन लगाया और फिर उसी तरीके से अनलॉक किया है। लेकिन अब हम नए चरण में पहुंच गए हैं, इसलिए भारत और इसके जैसे दूसरे देशों को एक लंबी रणनीति के बारे में सोचना चाहिए। भारत टेस्टिंग के मामले में आत्मनिर्भर न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि आज भारत प्रतिदिन 2 लाख से अधिक कोरोनो टेस्ट कर रहा है। साथ ही भारत टेस्टिंग किट भी विकसित कर रहा है। ये भारत के लिए बड़ी सफलता है कि भारत टेस्टिंग के मामले में आत्मनिर्भर हुआ है। और इसे आगे बढ़ा भी रहा है। मगर अब भारत को कोरोना से जुड़े डेटा पर भी खास फोकस करना होगा, व्यवस्थित रूप से डेटा को इकट्ठा करना होगा। डेटा के लिए नेशनल गाइलाइन जरूरी डेटा कैसे इकट्ठा किया जाए इस पर WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कोरोना वायरस से जुड़े डेटा को कैसे रिपोर्ट करना है इसको लेकर नेशनल गाइडलाइन होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो आप डेटा की तुलना नहीं कर पाएंगे। हर इकाई अपने तरीके से चीजों को रिपोर्ट कर रही है। डब्ल्यूएचओ ने कुछ तरीके भी बताए हैं, जिसे सरकार अपना सकती है। देश में तेजी से फैल रहा है वायरस बता दें कि भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश में संक्रमित मरीजों की संख्या साढे 6 लाख के करीब पहुंच गया है। वहीं अभी तक 18,655 लोगों की मौत भी हो चुकी है। पिछले 24 घंटे में ही 442 लोगों की मौत हो गई है और 22771 नए केस सामने आए हैं।
इस्लामाबाद चीन के समर्थन को लेकर पाकिस्तानी विदेश विभाग ने प्रधानमंत्री इमरान खान को सीधी चेतावनी दी है। विदेश विभाग ने सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान ने चीन का समर्थन करना नहीं छोड़ा तो उसे वैश्विक स्तर पर अलगाव का सामना करना पड़ेगा। हाल में ही चीन के कहने पर पाकिस्तान ने लद्दाख से लगी सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती को बढ़ाया है। पाक को वैश्विक स्तर पर होगा नुकसान विदेश विभाग ने कहा कि भारत से तनातनी और कोरोना संकट के कारण चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना कर रहा है। ऐसी स्थिति में अगर पाकिस्तान चीन के साथ अपनी नीतियों की समीक्षा नहीं करता है तो वह विश्व की आर्थिक महाशक्तियों के गुस्से को भड़काएगा। ये महाशक्तियां भारत के साथ टकराव के बाद चीन को विश्व स्तर पर अलग-थलग करने के लिए काम कर रही हैं। यूरोपीय यूनियन ने दिया पहला झटका चीन की विस्तारवादी नीतियों और हठधर्मिता का अमेरिका समेत यूरोप के कई देश खुले तौर पर विरोध कर रहे हैं। चीन का आंख मूंदकर समर्थन कर रहे पाकिस्तान को पहला झटका तब लगा जब यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन ने पाकिस्तानी एयरलाइंस के विमानों के उड़ान भरने के लिए प्रतिबंधित कर दिया। पाकिस्तान ने यूरोपीय देशों के यह समझाने का भरसक प्रयास किया कि उसके पास योग्य पायलट हैं लेकिन इन देशों ने अपने फैसले को नहीं बदला। पाकिस्तान में भी चीन के खिलाफ विद्रोह चीन के खिलाफ केवल वैश्विक स्तर पर ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे और गिलगित-बाल्टिस्तान में भी जमकर विरोध हो रहा है। यहां के नागरिकों का आरोप है कि चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में स्थानीय नागरिकों को कोई भागीदारी नहीं दी गई है। जबकि यहां से रिसोर्स का जमकर दोहन किया जा रहा है। इस परियोजना में काम करने के लिए चीन से सस्ते श्रमिक बुलाए जा रहे हैं। चीन यहां की परंपराओं की भी सम्मान नहीं कर रहा। चीन का मोहरा बनने को तैयार पाकिस्‍तान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि 'एक जैसी चुनौतियों के आगे दोनों देशों के बीच एक-दूसरे का समर्थन करने की परंपरा रही है।' भारत-चीन के बीच सीमा विवाद के बीच कुरैशी ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से शुक्रवार को फोन पर बात की। इसमें मुख्‍य रूप से चर्चा लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पर बने हालात पर ही हुई। पाकिस्‍तान ने फिर से 'वन चाइना' पॉलिसी का समर्थन किया है और कहा कि वह 'हांग कांग, ताइवान, तिब्‍बत और जिनझियांग में' चीन का समर्थन करता है। दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पैंतरेबाजी शुरू कर दी है। उन्‍होंने मिलिट्री और इंटेलिजेंस के टॉप अधिकारियों की मीटिंग बुलाई जिसका एजेंडा भारत-चीन सीमा विवाद के इर्द-गिर्द ही रहा।
नई दिल्ली भारत में बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक सोशल मीडिया यूजर की संख्या देश में 50 करोड़ से भी ज्यादा है। इसके बावजूद सोशल मीडिया के बाजार में विदेश कंपनियों का बोलबाला है। रविवार को देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पहले देसी सोशल मीडिया ऐप अलाइमेंट्स (Elyments) को लॉन्च करने जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर डेटा प्रिवेसी को लेकर अकसर सवाल उठते रहे हैं। इस मामले में विदेश कंपनियां फेल दिखाई देती हैं। इसलिए इस सोशल मीडिया ऐप में प्रमुख तौर पर डेटा प्रिवेसी को आगे रखा गया है। रविवार को लॉन्चिंग के कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर भी मौजूद रहेंगे। ऐप लॉन्चिंग के समय योगगुरु रामदेव, अयोध्या राम रेड्डी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु भी मौजूद रह सकते हैं। बताया जा रहा है कि Elyments ऐप में यूजर का डेटा सुरक्षित रहेगा और बिना अनुमति को कोई तीसरी पार्टी नहीं ले सकेगी। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर पर अब भी मौजूद है औऱ लाखों लोग डाउनलोड कर चुके हैं। हालांकि इसकी आधिकारिक लॉन्चिंग नहीं हुई थी जो कि कल होने जा रही है। यह ऐप 8 भाषाओं में उपलब्ध होगा और इसमें ऑडियो-विडियो कॉलिंग की भी सुविधा दी जाएगी। भारत ऐप और सोशल मीडिया के मामले में भी आत्मनिर्भर बनने की कवायद कर रह है। पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ हुई हिंसक झड़प और हेकड़ी दिखाने के बाद भारत ने चीन के 59 ऐप बैन कर दिए थे। वहीं पीएम मोदी ने देश के लोगों को ऐप बनाने के लिए चैलेंज भी दे दिया है। इससे देश की आगे की नीति स्पष्ट है। भारत दुनिया के लिए सोशल मीडिया और तकनीक के मामले में भी बड़ा बाजार है। इसका फायदा भारत भी उठा सकता है।
न्यूयॉर्क चीन की आक्रामकता और विस्तारवादी नीतियों से तंग लोग अब दुनियाभर में सड़कों पर उतर रहे हैं। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर भारतीय अमेरिकी, तिब्बती और ताइवानी नागरिकों ने चीन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान लोग बॉयकाट चाइना और स्टॉप चाइनीज एब्यूज जैसे पोस्टर भी लिए दिखे। दो दिन पहले शिकागो में भी चीन के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे। टाइम्स स्क्वॉयर पर जुटे लोग ऐतिहासिक टाइम्स स्क्वॉयर पर बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी लोगों ने चीन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भारत माता की जय और अन्य देशभक्ति नारे लगाये। साथ ही, उन्होंने भारत के खिलाफ चीन की आक्रमकता को लेकर उसका (चीन का) आर्थिक बहिष्कार करने और उसे राजनयिक स्तर पर अलग-थलग करने की भी मांग की। बॉयकाट चाइना से गूंजा टाइम्स स्क्वॉयर न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी में रह रहे भारतीयों और भारतीय संघों के परिसंघ (एफआईए) के अधिकारियों ने बॉयकाट चाइना, भारत माता की जय और चीनी आक्रामकता को रोको जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर चेहरे पर मास्क पहनकर प्रदर्शन किया। उनके हाथों में हम शहीद जवानों को सलाम करते हैं के पोस्टर थे। तिब्बती और ताइवानी लोग भी हुए शामिल प्रदर्शन में तिब्बती और ताइवानी समुदाय के सदस्य भी शामिल हुए। उन्होंने तिब्बत भारत के साथ खड़ा है, मानवाधिकारों, अल्पसंख्यक समुदायों के धर्मों, हांगकांग के लिए न्याय, चीन मानवता के खिलाफ अपराध रोके और बॉयकाट चाइना के पोस्टर ले रखे थे। समुदाय के नेताओं, प्रेम भंडारी और जगदीश सहवानी ने शुक्रवार को इस प्रदर्शन का आयोजन किया। लोग बोले- चीन को देंगे करारा जवाब जयपुर फुट यूएसए के अध्यक्ष भंडारी ने कहा कि आज का भारत 1962 के भारत से अलग है। हम चीनी आक्रामकता और इसकी अंतरराष्ट्रीय धौंस को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम चीन के अहंकार का करारा जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय समुदाय पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ एक हिसंक झड़प में 20 (भारतीय) जवानों के शहीद होने से बहुत व्यथित हैं।
नई दिल्ली चीन की हरकतों का जवाब देने के लिए भारत सरकार ने न सिर्फ 59 चीनी ऐप्स को बैन कर दिया है बल्कि अब इस मामले में भी भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने की योजना है। प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को ट्वीट करके कहा कि वह आत्मनिर्भर भारत ऐप इनोवेशन चैलेंज लॉन्च करने जा रहे हैं। मोदी ने लिखा, 'आज मेड इन इंडिया ऐप्स बनाने के लिए तकनीकी और स्टार्टअप समुदाय के बीच अपार उत्साह है। इसलिए @GoI_MeitY और @AIMtoInnovate मिलकर इनोवेशन चैलेंज शुरू कर रहे हैं।' पीएम मोदी ने कहा कि अगर आपके पास कोई ऐसा प्रोडक्ट है या फिर आपको लगता है कि कुछ अच्छा करने का दृष्टिकोण और क्षमता है तो टेक कम्युनिटी के साथ जुड़ जाइए। प्रधानमंत्री मोदी ने लिंक्डइन पर अपने विचार रखे हैं। भारत सरकार ने चीन के कई ऐसे ऐप बैन कर दिए हैं जो कि भारत में बेहद लोकप्रिय हो गए थे और मोटी कमाई कर रहे ते। सीमा पर चीन की हेकड़ी देखने के बाद और इन ऐप में कमियां पाए जाने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया। भारत के फैसले के बाद चीन बौखला उठा। भारत द्वारा चीन की जिन ऐप पर रोक लगाई गई है उनमें टिकटॉक और यूसी ब्राउजर भी शामिल हैं, जो भारत में काफी लोकप्रिय हैं। पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा विवाद के बीच यह रोक लगाई है।
जिनेवा कोरोना वायरस को सतर्क नहीं करने पर दुनियाभर में आलोचना का शिकार हो रहे विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने पलटी मारी है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने कहा है कि वुहान में निमोनिया जैसे मामलों के बारे में सबसे पहले चीन में उसके ऑफ‍िस ने सूचना दी थी न कि खुद चीन ने। डब्‍ल्‍यूएचओ का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब विश्‍वभर में कोरोना के प्रसार को लेकर चीन और डब्‍ल्‍यूएचओ की भूमिका की जांच की मांग तेज हो गई है। डब्‍ल्‍यूएचओ पर अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप लगातार हमला बोलते रहे हैं। उन्‍होंने आरोप लगाया कि संयुक्‍त राष्‍ट्र की यह संस्‍था महामारी की सूचनाओं को मुहैया कराने में असफल रही और चीन को खुश करने में लगी रही। डब्‍ल्‍यूएचओ ने इस आरोप का खंडन किया है। इन आलोचनाओं के बाद डब्‍ल्‍यूएचओ ने 9 अप्रैल को शुरुआती संवाद का आंशिक टाइमलाइन जारी किया था। इस महामारी से अब तक 5 लाख से ज्‍यादा लोग मारे जा चुके हैं। क्रोनोलॉजी में डब्‍ल्‍यूएचओ ने केवल इतना बताया है कि वुहान म्‍यूनिशिपल हेल्‍थ कमिशन ने 31 दिसंबर को निमोनिया का मामला दर्ज किया था। यूएन संस्‍था ने यह नहीं बताया था कि किसने उसने जानकारी दी थी। 20 अप्रैल को डब्‍ल्‍यूएचओ के चीफ डॉक्‍टर टेड्रोस ने कहा था कि चीन से पहला मामला सामने आया था। हालांकि उन्‍होंने यह नहीं बताया था कि इस रिपोर्ट को चीनी अधिकारियों ने भेजा था या किसी अन्‍य सूत्र ने। उधर, डब्‍ल्‍यूएचओ की ओर से इस सप्‍ताह जारी टाइमलाइन में इसका ज्‍यादा विवरण मिलता है। इसमें संकेत मिलता है कि डब्‍ल्‍यूएचओ के चीन ऑफ‍िस ने 31 दिसंबर को 'वायरल निमोनिया' के बारे में उसे जानकारी दी थी। डब्‍ल्‍यूएचओ के चीन ऑफिस को वुहान के हेल्‍थ कमिशन की वेबसाइट से इसकी जानकारी मिली थी। उसी दिन डब्‍ल्‍यूएचओ को अंतरराष्‍ट्रीय संक्रामक रोग सर्विलांस नेटवर्क प्रोमेड से भी जानकारी मिली थी कि वुहान में अज्ञात कारणों से निमोनिया के मामले सामने आए हैं। इसके बाद डब्‍ल्‍यूएचओ ने जब चीन से दो बार पूछा तो उसने तीन जनवरी को जवाब दिया। शुक्रवार को डब्‍ल्‍यूएचओ के आपातकालीन मामलों के डायरेक्‍टर माइकल रायन ने कहा था कि चीन ने पुष्टि होने के बाद उन्‍हें तत्‍काल इसकी सूचना दी थी। बता दें कि डब्‍ल्‍यूएचओ के कथित लापरवाही और चीन के समर्थन करने से अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने उसकी फंडिंग रोक दी है।
कोलकाता भारत की पड़ोसी देश नीति में पश्चिम बंगाल इस वक्त बड़ी अड़चन बनकर सामने है। ममता सरकार ने मार्च महीने से पेट्रापोल और बेनापोल सीमा के रास्ते बांग्लादेश से आयात पर रोक लगा दी थी। इस वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को भारी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अब बुधवार से बांग्लादेश ने भारतीय ट्रकों से सामान के निर्यात पर एक बार फिर रोक लगा दी है। इस गतिरोध के चलते सीमा पर सैकड़ों ट्रक फंसे हुए हैं और उनमें रखा सामान भी खराब हो रहा है। भारत से निर्यात का विरोध कर रहे बांग्लादेशी व्यापारियों का कहना है कि जब तक भारत-बांग्लादेश से आयात की मंजूरी नहीं देता है, वे भारत से निर्यात की अनुमति नहीं देंगे। दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन के कारण पश्चिम बंगाल की पेट्रापोल सीमा से बांग्लादेश के साथ होने वाला सीमा व्यापार भी बंद था। आयात पर रोक से बांग्लादेशी व्यापारी नाराज पिछले दिनों केंद्र सरकार के आदेश के बाद निर्यात को अनुमति दे दी गई थी लेकिन आयात पर पश्चिम बंगाल सरकार ने अभी भी रोक लगा रखी है। इसके चलते बांग्लादेशी व्यापारी नाराज हैं। इसके चलते बांग्लादेश के साथ व्यापार अप्रैल और मई में घटकर 424 मिलियन डॉलर पर सिमट गया। 2019 से तुलना करें तो इन्हीं महीनों में 2 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ था। 2019 क शुरुआती पांच महीने (जनवरी से मई) 4.1 अरब डॉलर का मुनाफा हुआ था लेकिन 2020 में यह आंकड़ा सिर्फ 2.9 अरब डॉलर ही रहा। मार्च महीने में ममता सरकार ने लगाई थी रोक लॉकडाउन से एक दिन पहले 23 मार्च से पश्चिम बंगाल ने पेट्रोपोल-बेनापोल सीमा से बांग्लादेश में आयात- निर्यात पर रोक लगा दी थी। 29 अप्रैल को सीमा से आवाजाही दोबारा शुरू हुई लेकिन 2 मई को कुछ स्थानीय विरोध प्रदर्शन के चलते इसे फिर से रोक दिया गया। 7 जून से केंद्र के आग्रह पर पश्चिम बंगाल सरकार ने सिर्फ निर्यात को अनुमति दी थी। इससे एक दिन में करीब 250 ट्रक बांग्लादेश जाने लगे थे हालांकि आयात पर रोक से बांग्लादेश व्यापारियों में गुस्सा पनप रहा था। व्यापार का मुख्य जरिया है पेट्रापोल-बेनापोल बॉर्डर इस पूरे मसले में दिलचस्प यह है कि पश्चिम बंगाल ने त्रिपुरा होते हुए बांग्लादेश से आने वाले सामानों पर कोई रोक नहीं लगाई है लेकिन चूंकि दोनों देशों के बीच व्यापार का मुख्य केंद्र पेट्रापोल-बेनापोल सीमा है जिस पर व्यवधान के चलते काफी नुकसान हुआ। इस सीमा से करीब 70 फीसदी व्यापार होता है। केंद्र ने ममता सरकार को लगाई फटकार सूत्रों के अनुसार, बंगाल ने राज्य से होते हुए नेपाल और भूटान जाने वाले ट्रकों पर भी रोक लगाई थी। अप्रैल में गृह मंत्रालय ने ममता बनर्जी सरकार से इन देशों में ट्रकों की आवाजाही को अनुमति देने को कहा क्योंकि ये देश निर्यात को लेकर भारत पर निर्भर हैं और यह भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता का हिस्सा भी है। केंद्र ममता सरकार से स्पष्ट तौर पर कह चुका है कि उसका यह ऐक्शन आपदा प्रबंधन ऐक्ट 2005 के तहत जारी गृह मंत्रालय के आदेशों का सीधा उल्लंघन है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 253, 256 और 257 का भी उल्लंघन है। बता दें कि कोविड-19 संकट के दौरान भी केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच तनातनी देखने को मिल चुकी है। दूसरे विकल्प देख रही केंद्र सरकार व्यापार में इस तरह के गंभीर व्यवधान से द्विपक्षीय समझौते के दूसरे पहलुओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अब केंद्र पेट्रापोल-बेनापोल इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) से बाईपास के दूसरे विकल्प देख ही है।
तोक्‍यो चीन की विस्‍तारवादी नीतियों का शिकार बन रहा जापान चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग की करीब 12 साल बाद हो रही तोक्‍यो की आधिकारिक यात्रा को रद्द कर सकता है। यह राजकीय यात्रा इससे पहले अप्रैल में होनी थी लेकिन कोरोना वायरस को देखते हुए इसे स्‍थगित कर दिया गया था। अब शी जिनपिंग की यात्रा को लेकर जापान में सत्‍तारूढ़ लिबरल डेमोक्रैट‍िक पार्टी के अंदर ही भारी विरोध हो रहा है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय से तनाव है लेकिन ताजा घटना में पार्टी के सांसदों ने औपचारिक रूप से अनुरोध किया है कि हॉन्‍ग कॉन्‍ग में राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने को देखते हुए शी जापान यात्रा को रद्द किया जाए। जापान के सांसद हॉन्‍ग कॉन्‍ग में चीन की कार्रवाई से बेहद नाराज हैं। उन्‍हें यह डर सता रहा है कि इस कानून से हॉन्‍ग कॉन्‍ग में काम कर रहे जापानी लोगों के अध‍िकारों का उल्‍लंघन होगा। हॉन्‍ग कॉन्‍ग जापान के कृषि उत्‍पादों का सबसे बड़ा आयातक जापान ने आरोप लगाया है कि चीन कोरोना वायरस महामारी का इस्‍तेमाल आक्रामक कूटनीति को आगे बढ़ाने के लिए कर रहा है। साथ हॉन्‍ग कॉन्‍ग पर अपनी पकड़ को मजबूत कर लिया है जो दुनिया का वित्‍तीय केंद्र है और जापान के हित भी जुड़े हुए हैं। हॉन्‍ग कॉन्‍ग में जापान की 1400 कंपनियां काम कर रही हैं। हॉन्‍ग कॉन्‍ग जापान के कृषि उत्‍पादों का सबसे बड़ा आयातक है। जापान का बिजनस समुदाय चीन के इस नए कानून से काफी चिंतित है। जापान ने हॉन्‍ग कॉन्‍ग में उठाए कदमों पर चीन की कड़ी आलोचना की है। जापान ने कहा कि यह हॉन्‍ग कॉन्‍ग की स्‍वतंत्रता को कमजोर करता है। जबकि वर्ष 1997 में चीन ने 50 साल तक हॉन्‍ग कॉन्‍ग को पूर्ण स्‍वायत्‍तता देने का ब्रिटेन से वादा किया था। यही नहीं हाल के दिनों में जापान और चीन के बीच सेनकाकू द्वीप समूहों को लेकर भी टकराव बढ़ता जा रहा है। चीन के जंगी जहाज लगातार जापानी इलाके में प्रवेश कर रहे हैं। इससे जापान काफी नाराज है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेह गए थे और यहां लेह हॉस्पिटल (Pm modi leh ladakh hospital visit) जाकर उन घायल सैनिकों से भी मिले जो 15 जून को गलवान में हुई हिंसक झड़प में घायल हो गए थे। पीएम की इन सैनिकों से मिलने की तस्वीरों पर सोशल मीडिया में कई सवाल उठाए जा रहे हैं। मेडिकल इक्विपमेंट क्यों नहीं है, पानी की बोतल कहां है से लेकर चप्पल तक नहीं दिख रही जैसे कई सवाल उठे। आर्मी ने इस मसले पर सफाई देते हुए बताया है कि यह बॉर्ड जनरल हॉस्पिटल कॉम्पलेक्स का ही हिस्सा है। हमने की सीनियर आर्मी ऑफिसर्स से बात कर सोशल मीडिया पर उठ रहे सभी सवालों का जवाब जाना। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेह गए थे और यहां लेह हॉस्पिटल (Pm modi leh ladakh hospital visit) जाकर उन घायल सैनिकों से भी मिले जो 15 जून को गलवान में हुई हिंसक झड़प में घायल हो गए थे। पीएम की इन सैनिकों से मिलने की तस्वीरों पर सोशल मीडिया में कई सवाल उठाए जा रहे हैं। मेडिकल इक्विपमेंट क्यों नहीं है, पानी की बोतल कहां है से लेकर चप्पल तक नहीं दिख रही जैसे कई सवाल उठे। आर्मी ने इस मसले पर सफाई देते हुए बताया है कि यह बॉर्ड जनरल हॉस्पिटल कॉम्पलेक्स का ही हिस्सा है। हमने की सीनियर आर्मी ऑफिसर्स से बात कर सोशल मीडिया पर उठ रहे सभी सवालों का जवाब जाना। सवाल– यह हॉस्पिटल जैसा नहीं लग रहा? सब आर्मी हॉस्पिटल में कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखना है। इसलिए फैसिलिटी को बढ़ाया गया ताकि ज्यादा बेड उपलब्ध हो सकें। इसके लिए हॉस्पिटल कैंपस के अंदर जितने भी टेंपरेरी स्ट्रक्चर सहित दूसरे स्ट्रक्चर को भी वॉर्ड में कंवर्ट किया गया है ताकि मरीजों के लिए ज्यादा बेड उपलब्ध हो सकें। लेह में भी फैसिलिटी बढ़ाई गई। फोटो में जो वॉर्ड दिख रहा है जिसमें पीएम घायल सैनिकों से मुलाकात कर रहे हैं, वह सामान्य समय में (कोविड से पहले) ऑडियो-विडियो ट्रेनिंग हॉल की तरह भी इस्तेमाल होता था। सभी आर्मी हॉस्पिटल में सामान्य समय की जो फैसलिटी थी वह सभी वॉर्ड में तब्दील की हैं। सवाल- क्या यह सच में हॉस्पिटल हैं? प्रोजेक्टर किस वॉर्ड में होता है? सामान्य समय में इस हॉल का इस्तेमाल ऑडियो-विडियो ट्रेनिंग हॉल की तरह होता रहा है। इसलिए तस्वीरों में प्रो्जेक्टर भी दिख रहा है। जब से ये सैनिक हॉस्पिटल में एडमिट हुए हैं तब से वह इसी वॉर्ड में हैं। एक अधिकारी ने कहा कि अगर किसी को यह लगता है कि हॉस्पिटल इतना अच्छा कैसे दिख रहा है तो उन्हें यह समझना होगा कि आर्मी के सारे हॉस्पिटल इसी तरह हैं। दिल्ली में ही देखें तो दिल्ली पुलिस ने अपने कोविड मरीजों को किसी भी प्राइवेट हॉस्पिल में एडमिट कराने् की बजाय आर्मी बेस हॉस्पिटल में एडमिट कराया। जबकि कई बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल ने दिल्ली पुलिस को ऑफर किया था कि वह पुलिसकर्मियों का इलाज करेंगे। सवाल- कोई मेडिकल इक्विपमेंट नहीं दिख रहा? जरूरत के हिसाब से मेडिकल इक्विपमेंट लगाया जाता है। 15 जून को घायल हुए यह सैनिक अब ठीक हो गए हैं और जल्दी ही ड्यूटी जॉइन कर लेंगे। किसी को फिलहाल ऑक्सीजन देने या ड्रिप चढ़ाने की जरूरत नहीं है। साथ ही सिक्योरिटी प्रोटोकॉल की वजह से भी कुछ चीजों को हटाया जाता है। ​सवाल- कोई टेबल नहीं दिख रहा, न ही पानी की बोतल दिख रही है? तस्वीरों में सैनिकों के बेड के किनारे टेबल दिख रही है। जिसे कवर भी किया गया है। जरूरी नहीं की पानी की बोतल टेबल के ऊपर ही दिखे। इसी जगह पर 23 जून को आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे भी इन घायल सैनिकों से मिलने गए थे। उसमें एक तस्वीर में पानी की बोतल साफ दिख रही थी। यह गरम पानी की बोतल थी। क्योंकि लेह में ठंडा पानी नहीं पी सकते और गरम पानी ही पीना होता है। ऐसे में पानी की बोतल के अलावा पानी के डिसपेंसर भी लगे हैं। एम एम नरवणे भी यहीं मिले थे दूसरी तरफ आज रक्षा मंत्रालय ने भी सफाई दी है। बताया गया है कि जब आर्मी चीफ एम एम नरवणे और आर्मी कमांडर वहां पहुंचे थे तो वे भी जवानों से उसी जगह पर मिले थे।
नई दिल्ली जब से सीमा पर भारत चीन के सैनिकों में खूनी संघर्ष हुआ है और 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं, तब से चीन का हर मोर्चे पर विरोध हो रहा है और चीनी सामान के बहिष्कार की बातें हो रही हैं। मोदी सरकार ने भी चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगा दिया है। कई कंपनियां भी चीन के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट तोड़ रही हैं। इसी बीच हीरो साइकिल ने भी एक बड़ा फैसला लेते हुए 900 करोड़ रुपये का व्यापार रद्द कर दिया है। बता दें कि हाल ही में हीरो साइकिल ने सरकार को 100 करोड़ रुपये दान में दिए थे। कोरोना काल में जहां बाकी कंपनियां नुकसान झेल रही हैं, वहीं हीरो साइकिल इस दौर में भी आगे ही बढ़ती जा रही है। हीरो साइकिल ने एक ओर चीन का बहिष्कार करते हुए उसके साथ 900 करोड़ का बिजनेस रद्द कर दिया, जो आने वाले 3 महीनों में किया जाना था। दूसरी ओर हीरो कंपनी लुधियाना में साइकिल के पुर्जे बनाने वाली छोटी कंपनियों की मदद के लिए आगे बढ़ी है और उन्हें खुद में मर्ज करने का ऑफर दे रही है। हीरो साइकिल ने चीन के साथ हर तरह का व्यापार बंद कर दिया है और उम्मीद की जा रही है कि अब हीरो साइकिल जर्मनी में प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है। जर्मनी के इस प्लांट से पूरे यूरोप में हीरो साइकिल की सप्लाई की जाएगी। कंपनी के मुताबिक पिछले दिनों में हीरो साइकिल की मांग काफी बढ़ी है और हीरो साइकिल ने भी अपनी क्षमता बढ़ाई है। हालांकि, ये ध्यान देने वाली बात है कि इस दौरान बहुत सी छोटी कंपनियों को नुकसान हुआ है। अब हीरो साइकिल उन छोटी कंपनियों के नुकसान की भरपाई कर रही है।
लेह (लद्दाख), 03 जुलाई 2020, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन सीमा पर तैनात जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए बिना किसी जानकारी और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के शुक्रवार सुबह लेह से करीब 25 किलोमीटर दूर न्योमा पहुंचे. इस दौरान पीएम मोदी के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी मौजूद थे. शुक्रवार सुबह 7:00 बजे लेह हवाई अड्डे पर वायुसेना के विशेष विमान से उतरने के बाद प्रधानमंत्री मोदी हेलिकॉप्टर में सवार होकर सीधे न्योमा पहुंचे. वहां नॉर्दर्न कमांड के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी ने पीएम मोदी को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ मतभेदों को लेकर जमीनी हालात की जानकारी दी. यहां सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी के बॉर्डर दौरे के लिए न्योमा को ही क्यों चुना गया? दरअसल, एक तरफ जहां न्योमा में सेना की ब्रिगेड हेडक्वॉर्टर के साथ-साथ कई सैन्य रेजिमेंट के बटालियन हेडक्वॉर्टर हैं, वहीं यह जगह भारत के इतिहास के साथ जुड़ी सिंधु नदी के किनारे पर है. यही कारण था कि प्रधानमंत्री मोदी को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के सभी हालात की जानकारी सैन्य कमांडर द्वारा सिंधु नदी के किनारे पर दी गई. हर साल जून या जुलाई के महीने में सिंधु दर्शन के मेले का आयोजन भी होता है, जिसकी शुरुआत नब्बे के दशक में भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने की थी. हालांकि इस साल कोरोना वायरस के चलते इस मेले का आयोजन नहीं हो पाया. न्योमा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के जवानों को भी संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने बिना नाम लिए चीन पर निशाना भी साधा था. पीएम मोदी ने कहा कि विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है. अब विकासवाद का समय आ गया है. तेजी से बदलते हुए समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है. विकासवाद के लिए अवसर है और विकासवाद ही भविष्य का आधार है.
नई दिल्ली, 04 जुलाई 2020,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल बौद्ध सम्मेलन के दौरान इशारों-इशारों में चीन पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बुद्ध के विचार चुनौतियों से निपटने में मददगार साबित होंगे. पीएम ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षा समाज और देशों को कल्याण का रास्ता दिखाता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि बौद्ध धर्म लोगों को सम्मान करना करना सिखाता है, लोगों का सम्मान, गरीब का सम्मान, महिलाओं का सम्मान, शांति और अहिंसा का सम्मान बौद्ध धर्म हमें सिखाता है. इसलिए बौद्ध धर्म की शिक्षाएं स्थायी हैं. पीएम ने कहा कि भगवान बुद्ध ने हमें दो चीजों के बारे में बताया उम्मीद और उद्देश्य. उन्होंने इन दोनों के बीच गहरा रिश्ता देखा था. उम्मीद से किसी उद्देश्य की दिशा में काम करने की ताकत आती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं 21वीं सदी को लेकर बहुत आशान्वित हूं. यह उम्मीद मेरे युवा मित्रों - युवाओं से है. यदि आप एक उदाहरण देखना चाहते हैं कि आशा और करुणा किस प्रकार पीड़ा को दूर कर सकती है, तो यह हमारे युवाओं द्वारा शुरू किया गया हमारा स्टार्ट-अप सेक्टर है. पीएम ने कहा कि युवा दिमाग वैश्विक समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं. भारत में इस समय दुनिया का सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है. वर्चुअल बैद्ध सम्मेलन में बोले पीएम मोदी ने हम बौद्ध स्थलों से कनेक्टिविटी पर ध्यान देना चाहते हैं. कुछ दिन पहले भारतीय कैबिनेट ने घोषणा की थी कि कुशीनगर एयरपोर्ट इंटरनेशनल होगा. इससे बहुत सारे लोग, तीर्थयात्री और पर्यटक आएंगे. आज दुनिया एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी चुनौतियों से लड़ रही है. इन चुनौतियों के लिए स्थायी समाधान भगवान बुद्ध के आदर्शों से आ सकते हैं. वे अतीत में प्रासंगिक थे, वे वर्तमान में प्रासंगिक हैं और वे भविष्य में प्रासंगिक बने रहेंगे.
नई दिल्ली, 04 जुलाई 2020,केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मध्यप्रदेश के चंबल-ग्वालियर क्षेत्र को बड़ी सौगात देते हुए चंबल एक्सप्रेस-वे के निर्माण का फैसला किया है. 8,250 करोड़ की लागत से बनने वाला 404 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा और कानपुर को दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर से सीधे जोड़ेगा. जाहिर है चंबल के इलाके को देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक माना जाता है. यहां पर कई जनजाति के लोग निवास करते हैं. ऐसे में परिवहन मंत्री को उम्मीद है कि चंबल एक्सप्रेस-वे के बनने से सभी की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आएगा. केंद्रीय मंत्री ने अपने फेसबुक पेज पर चंबल एक्सप्रेस वे निर्माण की जानकारी देते हुए लिखा, 'मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. हमने कोटा राजस्थान को भिंड मध्य प्रदेश से जोड़ने वाले चंबल एक्सप्रेस-वे के निर्माण का फैसला लिया है.' उन्होंने आगे लिखा कि 8250 करोड़ की लागत से बनने वाला 404 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा और कानपुर को दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर से सीधे जोड़ेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चंबल नदी के साथ बनने वाले इस एक्सप्रेस वे का सबसे बड़ा फायदा तीनों राज्यों के गरीब किसानों को होगा. जो दिल्ली-मुंबई के बाजार में अपनी उपज सीधे बेच सकेंगे. गडकरी ने आगे लिखा, 'चंबल के इलाके को देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक माना जाता है. शियोपुर, मुरैना और आस पास के इलाकों में सहरिया जैसी कई जनजाति के लोग रहते हैं. उनकी जिंदगी बेहतर करने में यह सड़क बेहद कारगर सिद्ध होगी. इस रोड के बनने से इन इलाकों में आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी, उद्योग और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे.' पिछले महीने ही किया था ऐलान केंद्रीय मंत्री ने पिछले महीने ही ऐलान करते हुए कहा था कि यदि राज्य सरकारें 'चंबल एक्सप्रेस वे' के लिए तीन महीने में भूमि अधिग्रहण कर लेती हैं तो केंद्र भूमि पूजन कर इस पर कार्य शुरू कर देगा. इस 'एक्सप्रेस वे' के दोनों ओर औद्योगिक क्लस्टर, फूड क्लस्टर एवं अलग—अलग प्रकार के क्लस्टर बनाएंगे, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. भोपाल में आयोजित मध्यप्रदेश जन संवाद डिजिटल रैली को नागपुर से संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, ''मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब फिर से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने चंबल एक्सप्रेस वे बनाने की बात मुझसे की. केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मुझसे बार-बार कहा कि मेरे क्षेत्र में यह विकास का मार्ग बन सकता है.'' उन्होंने कहा,''शिवराज चौहान आप भूमि अधिग्रहण का काम पूरा करें. अगर आपने... भूमि देने का काम तीन महीने के अंदर कर दिया, तो मैं आपको आश्वासन देता हूं कि इसके भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री को बुलाकर एक्सप्रेस-वे के कार्य का हम शुभारंभ करेंगे. ये आपको वचन देता हूं.'' उन्होंने कहा कि एक समय डकैती के लिए प्रसिद्ध चंबल क्षेत्र में लाखों नौजवानों को रोजगार मिलेगा. बता दें, शिवराज सिंह चौहान के पिछले कार्यकाल में ‘चंबल एक्सप्रेस वे’ बनाने का फैसला लिया गया था.
नई दिल्ली, 04 जुलाई 2020,नेपाल में राजनीतिक संकट और भी गहरा गया है. आज होने वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की बैठक टल गई है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से नहीं मिलने पहुंचे हैं. इसी के साथ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी विभाजन की ओर बढ़ती दिख रही है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है. 6 जुलाई तक टली स्थायी समिति की बैठक प्रचंड और ओली के बीच शुक्रवार को तीन घंटे बैठक तक बैठक हुई थी, इसके बाद भी दोनों के बीच कोई समझौता नहीं हुआ था. आज सुबह 9 बजे से प्रधानमंत्री और प्रचंड के बीच बैठक होनी थी. इसके बाद 11 बजे पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होनी थी. अब ये बैठक सोमवार 6 जुलाई को होगी. एक व्यक्ति एक पद प्रणाली की मांग बता दें कि मौजूदा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड दोनों ही नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड का गुट चाहता है कि केपी शर्मा कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दें और पार्टी के अपने तरीके से चलाने दें. लेकिन केपी शर्मा ओली कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा नहीं देना चाहते हैं. प्रचंड कई बार यह कह चुके हैं कि सरकार और पार्टी के बीच समन्वय का अभाव है. साथ ही, वह एनसीपी द्वारा ‘एक व्यक्ति एक पद’ प्रणाली का पालन किये जाने पर जोर दे रहे हैं.
मीटिंग इस्‍लामाबाद पाकिस्‍तान ने चीन की धुन पर नाचने का मन बना लिया है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि 'एक जैसी चुनौतियों के आगे दोनों देशों के बीच एक-दूसरे का समर्थन करने की परंपरा रही है।' भारत-चीन के बीच सीमा विवाद के बीच कुरैशी ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से शुक्रवार को फोन पर बात की। इसमें मुख्‍य रूप से चर्चा लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पर बने हालात पर ही हुई। पाकिस्‍तान ने फिर से 'वन चाइना' पॉलिसी का समर्थन किया है और कहा कि वह 'हांग कांग, ताइवान, तिब्‍बत और जिनझियांग में' चीन का समर्थन करता है। दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पैंतरेबाजी शुरू कर दी है। उन्‍होंने मिलिट्री और इंटेलिजेंस के टॉप अधिकारियों की मीटिंग बुलाई जिसका एजेंडा भारत-चीन सीमा विवाद के इर्द-गिर्द ही रहा। पाकिस्‍तान के साथ मिलकर कोई साजिश रच रहा चीन! चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत में कुरैशी ने कहा कि 'भारत के विस्‍तारवादी रवैये से क्षेत्र की शांति भंग हो रही है।' पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री ने एक बार फिर कश्‍मीर राग अलापते हुए कहा कि 'कब्‍जाई गई जमीन पर भारत डेमोग्रफी में चेंज करने की कोशिश कर रहा है।' कुरैशी ने वांग को लाइन ऑफ कंट्रोल के हालात के बारे में भी बताया। दोनों विदेश मंत्रियों के बीच, संकट के वक्‍त एक-दूसरे का समर्थन करने पर फिर सहमति बनी। चीन और पाकिस्‍तान मिलकर भारत के खिलाफ दोहरा मोर्चा खोल सकते हैं। दोनों देशों के नेताओं को लगता है कि ऐसा करके वह भारतीय सेना पर बढ़त पाने में कामयाब हो जाएंगे। घबराए इमरान, फौरन बुला ली मीटिंग बॉर्डर पर भारत ने जिस तरह चीनी फौज के आगे खूंटा गाड़ रखा है, उससे इमरान के दिल में डर बैठ गया है। उन्‍हें लगता है कि कहीं LAC पर तनाव के बहाने भारत LOC वाला फ्रंट न खोल दे। शुक्रवार को उन्‍होंने इस्‍लामाबाद में मिलिट्री और इंटेलिजेंस के टॉप अधिकारियों की बैठक बुलाई। यह मीटिंग चीन और पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रियों की फोन पर बातचीत के बाद हुई। बाद में जारी बयान में कहा गया कि 'पाकिस्‍तान की संप्रभुता की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी। पाकिस्‍तान पड़ोसियों के साथ शांति बनाए रखने में यकीन रखता है मगर हमारे पास अपने लोगों और क्षेत्रीय संप्रुभता को बचाने की इच्‍छाशक्ति और ताकत, दोनों है।'
सीमा विवाद पर अकेला पड़ा चीन, भारत के साथ खड़ी हुईं ये महाशक्तियांभारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है जो तय नहीं है। चीन ने कभी सीमांकन को लेकर गंभीरता दिखाई नहीं। ऊपर से घुसपैठ करके जमीन हथियाने की उसकी चालें भी अब दुनिया खुली आंखों से देख रही है। पूर्वी लद्दाख में जिस तरह से चीन ने अतिक्रमण करने की कोशिश की और भारी-भरकम फौज का दम दिखाकर भारत को दबाव में लाना चाहा, उससे चीन को कूटनीतिक नुकसान हुआ। पूरी दुनिया में चीन की थू-थू हो रही है। भारत इस पूरे विवाद में मैच्‍योर और सेंसिबल बनकर उभरा है। दुनिया की महाशक्तियां उसके पक्ष में खड़ी हैं और चीन अलग-थलग नजर आ रहा है। जापान ने शुक्रवार को साफतौर पर भारत का पक्ष लेते हुए चीन को आड़े हाथों लिया। उससे पहले अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम जैसे कई बड़े देश भारत को सपोर्ट कर चुके हैं। डोकलाम के बाद लद्दाख... जापान हमेशा साथ जापान ने शुक्रवार को भारत का साथ दिया और कहा कि वह 'LAC पर यथास्थिति में किसी तरह के एकतरफा बदलाव' का विरोध करता है। जापानी राजदूत सतोशी सुजुकी ने भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला से बातचीत के बाद ट्वीट कर भारत को सपोर्ट किया। जापान ने 2017 डोकलाम विवाद के दौरान भी भारत का साथ दिया था। खुद अपने यहां समुद्र इलाकों में चीनी जहाजों की मौजूदगी को लेकर उसका चीन से विवाद चल रहा है। LAC पर चीन की हरकतों से दिखा CCP का असली रंग : अमेरिका व्‍हाइट हाउस ने बुधवार को पूरी तरह से सीमा पर तनाव का जिम्‍मेदार चीन को ठहराया। राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के हवाले से प्रेस सेक्रेटरी ने कहा, "भारत-चीन सीमा पर चीन का आक्रामक रुख दुनिया के बाकी हिस्‍सों में चीनी आक्रामकता के बड़े पैटर्न से मेल खाता है। और ऐसी कार्रवाइयां असल में चीनी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (CCP) का असली रंग दिखाती हैं। भारत के 59 चीनी ऐप्‍स पर बैन लगाने का भी अमेरिका ने स्‍वागत और सपोर्ट किया है। फ्रांस ने दिया सपोर्ट का भरोसा फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह को भरोसा दिलाया था कि वह 'त्‍वरित और मैत्रीपूर्ण समर्थन' देंगे। 29 जून को लिखी एक चिट्ठी में फ्लोरेंस ने गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत पर शोक भी प्रकट किया था। फ्लोरेंस ने राजनाथ से आगे भारत में मुलाकात की इच्‍छा भी जताई थी। दोनों देशों के बीच में यह ऐसे वक्‍त में हुआ जब फ्रेंच नेवी ने हिन्‍द महासागर में भारत के साथ मिलकर युद्धाभ्‍यास और पैट्रोलिंग बढ़ाने पर जोर दिया है। चीन से पहले ही खार खाए बैठा ब्रिटेन हॉन्ग कॉन्‍ग के लिए नए सुरक्षा कानून को लेकर चीन का ब्रिटेन से पहले ही पंगा चल रहा है। यूनाइटेड किंगडम ने कहा है कि 'हिंसा किसी के हित में नहीं है।' ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने हॉन्ग कॉन्‍ग को लेकर चीन को काफी भला-बुरा कहा है। LAC पर तनाव को लेकर ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्‍ता चिंता जता चुके हैं। उन्‍होंने दोनों देशों से बात करने की अपील की थी। ऑस्‍ट्रेलिया बन सकता है भारत का बड़ा सहयोगी ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने हाल ही में LAC पर तनाव का संदर्भ दिया था। बुधवार को देश का डिफेंस प्‍लान पेश करते हुए उन्‍होंने कहा था कि 'भारत और चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में तनाव बढ़ रहा है।' उन्‍होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक एरिया रणनीतिक प्रतियोगिता का केंद्र है और जरा सी चूक भारी पड़ सकती है। उन्‍होंने कहा कि इस इलाके की शांति सिर्फ चीन और अमेरिका पर निर्भर नहीं, भारत, जापान, साउथ कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और वियतनाम पर भी जिम्‍मा है। हिन्‍द महासागर में ऑस्‍ट्रेलिया और भारत के बीच रक्षा रिश्‍ते और मजबूत हुए हैं। चीन की वजह से इनमें और बेहतरी की उम्‍मीद है। चीन से तंग आ चुके हैं आसियान देश आसियान देशों ने भारत-चीन तनाव पर सीधे तो कुछ नहीं कहा है। मगर एक बयान में ये जरूर साफ कर दिया कि वे चीन की दादागीरी बर्दाश्‍त नहीं करेंगे। मामला दक्षिण चीन सागर का है जहां चीन जबरन समुद्री इलाके पर कब्‍जे की कोशिश में लगार है। आसियान देशों ने साफ कहा कि चीन संयुक्‍त राष्‍ट्र की संधि का पालन करे। दक्षिण चीन सागर में इस वक्त अमेरिका के जंगी जहाज भी मौजूद हैं।
लंदन हॉन्ग-कॉन्ग के नागरिकों को नागरिकता की पेशकश करने के ब्रिटेन के फैसले पर चीन ने नाराजगी जताई है। चीन ने गुरुवार को चेतावनी दी कि ब्रिटेन के इस फैसले का वह इसके 'अनुरूप जवाब' देगा। चीन ने इस हफ्ते ही हॉन्ग-कॉन्ग में नैशनल सिक्यॉरिटी लॉ को लागू किया है। बता दें कि पहले हॉन्ग-कॉन्ग ब्रिटेन के ही अधीन था। चीन ने कहा है कि वह इस कदम का कड़ा विरोध करता है और इसके हिसाब से कदम उठाने का अधिकार रखता है। यही नहीं, चीन ने यह भी कहा है कि लंदन अपने फैसले पर दोबारा विचार करे और 'हॉन्ग-कॉन्ग के मसलों में दखल देने से बचे।' 'अपनी स्थिति, नियमों को नुकसान पहुंचा रहा ब्रिटेन' चीनी दूतावास ने लंदन में इस बात पर जोर दिया कि हॉन्ग-कॉन्ग में रह रहे सभी चीनी चीन के ही नागरिक हैं। दरअसल, ब्रिटेन के प्लान में हॉन्ग-कॉन्ग के ऐसे 30 लाख लोग आते हैं जिनके पास ब्रिटिशन नैशनल ओरसीज पासपोर्ट हैं या अप्लाई करने के लिए योग्य हैं। चीन का कहना है कि ये लोग चीन के ही नागरिक हैं। दूतावास ने बयान जारी कर कहा है, 'अगर ब्रिटेन एकपक्षीय बदलाव करता है तो वह अपनी स्थिति और वादों, अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के पालन के नियमों को नुकसान पहुंचाएगा।' PM बोरिस जॉनसन ने की थी नागरिकता की पेशकश इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि नए सुरक्षा कानून के जरिए हॉन्ग कॉन्ग की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जा रहा है। इससे प्रभावित लोगों को हम ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज स्टेटस के जरिए ब्रिटिश नागरिकता देंगे। बता दें कि हॉन्ग कॉन्ग के लगभग 3 लाख 50 हजार लोगों को पहले ही ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त है जबकि, 26 लाख अन्य लोग भी इस कानून के तहत नागरिकता पाने के हकदार हैं। चीन को 1997 में ब्रिटेन सौंपा गया था। तब चीन ने गारंटी दी थी कि वह शबर की न्यायिक और विधायिकी स्वायत्ता को कायम रखेगा। अमेरिका ने भी कड़ा कर रखा है हॉन्ग-कॉन्ग पर रुख अमेरिकी व‍िदेश मंत्री ने कहा, 'चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के हॉन्‍ग कॉन्‍ग की स्‍वतंत्रता को खत्‍म करने के फैसले ने ट्रंप प्रशासन को हॉन्‍ग कॉन्‍ग को लेकर अपनी नीतियों को फिर मूल्‍यांकन करने का मौका दिया है। चूंकि चीन राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून को पारित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए अमेरिका हॉन्‍ग कॉन्‍ग को अमेरिकी मूल के रक्षा उपकरणों को रोक रहा है।'
पेइचिंग भारत के साथ लद्दाख में सीमा विवाद बढ़ा रहे चीन ने अब रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर अपना दावा किया है। चीन के सरकारी समाचार चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने दावा किया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था जिसे रूस से एकतरफा संधि के तहत चीन से छीन लिया था। यूं तो चीन और रूस के बीच सैन्य संबंध अच्छे माने जाते रहे हैं लेकिन अब उसे लेकर ड्रैगन का रवैया रुखा होने लगा है। खासकर तब जब भारत और रूस के बीच सैन्य संबंध गहरा रहे हैं। सीजीटीएन के संपादक की टिप्पणी इतनी अहम क्यों चीन में जितने भी मीडिया संगठन हैं सभी सरकारी हैं। इसमें बैठे लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर ही कुछ भी लिखते और बोलते हैं। कहा जाता है कि चीनी मीडिया में लिखी गई कोई भी बात वहां के सरकार के सोच को दर्शाती है। ऐसी स्थिति में शेन सिवई का ट्वीट अहम हो जाता है। हाल के दिनों में रूस के साथ चीन के संबंधों में खटास भी आई है। पनडुब्बी से जुड़ी सीक्रेट फाइल चुराने का आरोप रूस ने कुछ दिन पहले ही चीन के खुफिया एजेंसी के ऊपर पनडुब्बी से जुड़ी टॉप सीक्रेट फाइल चुराने का आरोप लगाया था। इस मामल में रूस ने अपने एक नागरिक को गिरफ्तार भी किया था जिसपर देश द्रोह का आरोप लगाया गया है। आरोपी रूस की सरकार में बड़े ओहदे पर था जिसने इस फाइल को चीन को सौंपा था। एशिया में किन-किन देशों को चीन से खतरा एशिया में चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत को सबसे ज्यादा खतरा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण लद्दाख में चीनी फौज के जमावड़े से मिल रहा है। इसके अलावा चीन और जापान में भी पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है। हाल में ही जापान ने एक चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से खदेड़ा था। चीन कई बार ताइवान पर भी खुलेआम सेना के प्रयोग की धमकी दे चुका है। इन दिनों चीनी फाइटर जेट्स ने भी कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। वहीं चीन का फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया के साथ भी विवाद है। रूस का बड़ा नौसैनिक अड्डा है व्लादिवोस्तोक रूस का व्हादिवोस्तोक शहर प्रशांत महासागर में तैनात उसके बेड़े का प्रमुख बेस है। रूस के उत्तर पूर्व में स्थित यह शहर प्रिमोर्स्की क्राय राज्य की राजधानी है। यह शहर चीन और उत्तर कोरिया की सीमा के नजदीक स्थित है। व्यापारिक और ऐतिहासिक रूप से व्लादिवोस्तोक रूस का सबसे अहम शहर है। रूस से होने वाले व्यापार का अधिकांश हिस्सा इसी पोर्ट से होकर जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध मे भी यहां जर्मनी और रूस की सेनाओं के बीच भीषण युद्ध लड़ा गया था।
रंगून भारत और जापान को जंग की धमकी दे रहे चीन के खिलाफ अब म्यांमार ने जमकर भड़ास निकाली है। म्यांमार आर्मी चीफ ने तल्ख लहजे में चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह यहां के आतंकी समूहों को हथियार न दे। जनरल ने इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग की भी मांग की। बता दें कि दक्षिण पूर्व एशिया में म्यांमार चीन का सबसे करीबी पड़ोसी माना जाता है। म्यांमार के आर्मी चीफ ने चीन को बताया दोषी रूस के सरकारी चैनल Zvezda को दिए गए इंटरव्यू में म्यांमार आर्मी चीफ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने कहा कि उनकी धरती पर जो आतंकी समूह सक्रिय हैं उनके पीछे मजबूत ताकतें मौजूद हैं। उन्होंने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भी मांग की। बता दें कि जनरल के 'मजबूत ताकतों' को चीन के परिपेक्ष्य में जोड़कर देखा जा रहा है। अराकान आर्मी को हथियार देता है चीन म्यांमार के सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जॉ मिन टुन ने बाद में म्यांमार के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ द्वारा की गई टिप्पणी पर विस्तार से बताया। प्रवक्ता ने कहा कि सेना प्रमुख अराकान आर्मी (एए) और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) का जिक्र कर रहे थे। यह दोनों आतंकी संगठन चीन से सटे पश्चिमी म्यांमार में राखिन राज्य में सक्रिय संगठन हैं। आतंकियों को हथियार देने के पीछे यह कारण चीन चाहता है कि म्यांमार उसके बेल्ट एंड रोड प्रोजक्ट की कई परियोजनाओं को मंजूर करे। इसके लिए म्यांमार सरकार पर दबाव बनाने के लिए वह इन आतंकी समूहों को हथियार देता है। जबकि म्यांमार इसमें शामिल होने से इनकार करता रहा है। इतना ही नहीं, चीन भारत के भी आतंकी समूहों को कश्मीर में हमले करने के लिए उकसा रहा है। छापे में आतंकियों के पास मिले सरफेस टू एयर मिसााइल उन्होंने कहा कि अराकान आर्मी के पीछे विदेशी देश का हाथ है। 2019 से इस आतंकी संगठन ने चीन निर्मित हथियारों और लैंड माइन के जरिए म्यांमार आर्मी पर हमला कर रहे हैं। नवंबर 2019 में म्यांमार सेना ने एक छापे के दौरान प्रतिबंधित टांग नेशनल लिबरेशन आर्मी से बड़ी संख्या में हथियारों को जब्त किया था। इसमें सरफेस टू एयर मिसाइल्स भी शामिल थीं।बताया जाता है कि इस छापे के दौरान मिले मिसाइलों की कीमत 70000 से 90000 अमेरिकी डॉलर के आसपास थी। ये हथियार मेड इन चाइना थे। म्यांमार के आतंकी चीनी हथियारों का करते हैं इस्तेमाल म्यांमार में सक्रिय आतंकी संगठन सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए चीन के बने हथियारों का प्रयोग करते हैं। कहा जाता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी म्यांमार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इन आतंकी समूहों को हथियार सप्लाई करवाती है। इन आतंकी समूहों के चीनी सेना के साथ भी घनिष्ठ संबंध हैं। आरोपों को चीन करता है खारिज इन आरोपों को चीन हमेशा से खारिज करता रहा है कि वह म्यांमार में सशस्त्र विद्रोही समूहों को हथियार सप्लाई करता है। लेकिन, म्यांमार में चीन के इन दावों पर हमेशा संदेह किया जाता है। इस साल जनवरी में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी करते समय वरिष्ठ जनरल हलिंग ने इन हथियारों के बारे में म्यांमार की चिंताओं को बताया था।
नई दिल्ली सीमा पर भारत समेत बाकी पड़ोसी देशों को हेकड़ी दिखा रहे चीन को अब दोहरी मार पड़नी शुरू हो चुकी है। एक तरफ कोरोना वायरस को लेकर वह पहले से साइडलाइन है। अब दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की जुगलबंदी के आगे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बेबस नजर आ रहे हैं। चीन को सबक सिखाने के भारतीय प्लान पर शुरू हो चुका। चीनी सामान के बहिष्कार की इस योजना में भारत को अब अमेरिका का भी साथ मिल रहा है। अब एक तरफ अमेरिका अपने यहां चीनी सामान के इस्तेमाल नहीं करने की बात कह रहा है वहीं दूसरी तरफ वह भारत में निवेश भी बढ़ाने की शुरुआत कर रहा है। ग्रेटर नोएडा में अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट का निवेश चीन की कंपनियों के बहिष्कार के बीच यूपी से बुधवार को बड़ी खबर आई। बताया गया कि माइक्रोसॉफट यूपी के ग्रेटर नोएडा में बड़ा कैंपस बनाने वाली है। इसमें 4 हजार के करीब कर्मचारी होंगे। यूपी सरकार ने उम्मीद जताई है कि वक्त के साथ इनकी संख्या में इजाफा ही होगा। 59 चीनी ऐप हटाए जाने का अमेरिका ने किया स्वागत भारत ने चीन के 59 ऐप्स को हटाने का फैसला लिया था। इसका अमेरिका ने भी स्वागत किया। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने इसे ठीक कदम बताया। वह बोले कि, 'हम कुछ मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाने के भारत के कदम का स्वागत करते हैं।' पॉम्पिओ ने इन ऐप्स को CCP के सर्विलांस का अंग बताया और कहा कि भारत के ऐप्स के सफाए के कदम से भारत की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा जैसा भारत की सरकार ने खुद भी कहा है। अमेरिका ने ZTE और हुआवे को बताया राष्ट्रीय खतरा दूसरी तरफ अमेरिका भी चीन के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत कर चुका है। US फेडरल कम्युनिकेशन कमिशन ने चीन की टेक कंपनी हुआवे और ZTE को राष्ट्रीय खतरा बताया है। इतना ही नहीं अमेरिकी कंपनियों को इक्विपमेंट खरीदने को लेकर मिलने वाले 8.3 अरब डॉलर के फंड को ट्रंप सरकार ने रोक दिया है। साफ कहा गया है कि टेलिकॉम कंपनियों को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर से इन दोनों चाइनीज कंपनियों के इक्विपमेंट्स को हटाना होगा। 59 ऐप पर बैन से पहले भी भारत ने चीनी कंपनियों के अलग-अलग प्रॉजेक्ट कैंसल किए थे। इसमें रेलवे, महाराष्ट्र सरकार आदि के प्रॉजेक्ट शामिल थे। चीनी मीडिया और सरकार इसपर आग-बबुला है। लेकिन साथ ही साथ बेबस भी।
नई दिल्ली लद्दाख की पैंगोंग झील में भारतीय सैनिकों का रास्ता रोके बैठे चीन को सबक सिखाने की तैयारी चल रही है। झील में चीन की बड़ी नावों को टक्कर देने के लिए सरकार ने हाई स्पीड वाली इंटरसेप्टर बोट्स (नाव) पैंगोंग झील भेजने का मन बनाया है। इस प्लान को जल्द फाइनल किया जाएगा। इन नावों में निगरानी रखने के तमाम नए उपकरण होंगे। भारतीय सेना के सूत्रों से जानकारी मिली है कि अभी वहां भारत के पास 17 QRT (क्विक रिऐक्शन टीम) बोट्स हैं जो झील में पट्रोलिंग का काम करती हैं। भारत को ये नाव करीब 8 साल पहले मिली थीं। लेकिन अभी चीन वहां तैनाती बढ़ा रहा है, बड़ी नावें भी ले आया है। चीनी सैनिक अभी भारी 928B टाइम बोट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनसे टक्कर के लिए भारत को नई नावें भेजनी होंगी। चुनौतियां भी कम नहीं सूत्र ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती नावों को वहां तक पहुंचाने की है। ऐसी ऊंचाई वाली जगह पर इन नावों को किसी भी चीज से भेजना इतना आसान नहीं है। फिलहाल प्लानिंग यह है कि इन्हें डिसमेंटल (अलग) करके सी-17 ग्लोबमास्टर प्लेन से लेह तक भेजा जाए। फिर वहां से इन्हें आगे लेकर जाया जाए। हालांकि, इसमें कुछ वक्त तो लगेगा ही। चीन ने रोक लिया है फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक का रास्ता बता दे कि पैंगोंग झील करीब 134 किलोमीटर लंबी है। इसका दो-तिहाई हिस्सा चीन के कंट्रोल में है। फिर जहां से यह तिब्बत से भारत की तरफ आ रही है, उसपर चीन की निगाहें हैं। भारत और चीन के बीच 15 जून को गलवान में हुई हिंसक घटना से पहले झड़प पैंगोंग झील के पास ही हुई थी। 5-6 मई को हुई इस झड़प की वजह चीनी सैनिकों की मनमानी थी। उन्होंने अभी फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का 8 किलोमीटर के रास्ते को रोक लिया है। ऊंची जगहों पर उसने अपने सैनिक बैठा दिए हैं। अपनी (चीन) सीमा में उसका निर्माण कार्य भी जारी है।
नई दिल्ली, 02 जुलाई 2020,सुरक्षा परिषद ने कराची स्थित पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज में हुए आतंकी हमले की निंदा की है. 29 जून को हुए इस आतंकी हमले में 4 आतंकी समेत 11 लोग मारे गए थे. सुरक्षा परिषद ने कहा कि आतंकवाद अपने किसी भी रूप में अतंरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने कहा कि आतंकवाद के हर रूप की सख्त आलोचना होनी चाहिए और से दुनिया के लिए गंभीर खतरा है. हर तरह का आतंकवाद आपराधिक कृत्य सुरक्षा परिषद ने दोहराया कि आतंकवाद का कोई भी कृत्य आपराधिक है और इसे माफ नहीं किया जाना जा सकता. सुरक्षा परिषद ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि इस कृत्य का उद्देश्य क्या है, इसे किसने किया है और कब किया है. सुरक्षा परषिद ने कहा कि दुनिया के सभी देश अपने पास मौजूद सभी साधनों के द्वारा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और दूसरे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक आतंकवाद से लड़े. जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दों की हिंसा को कथित आजादी की लड़ाई से जोड़ने वाले पाकिस्तान के लिए सुरक्षा परिषद का ये वक्तव्य कड़ा संदेश है. सुरक्षा परिषद ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंक सिर्फ आतंक है और इसके मकसद के आधार पर इसे वैधता का जामा नहीं पहनाया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक हो सजा सुरक्षा परिषद ने इस आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिवारवालों के साथ गहरी संवेदना व्यक्त की और इस हमले में घायल हुए लोगों के जल्द ठीक होने की कामना की. सुरक्षा परिषद ने कहा कि इस आतंकी हमले को अंजाम देने वाले, इसकी साजिश रचने वाले और इसके स्पॉन्सर का पता लगाया जाना चाहिए और उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक सजा देनी चाहिए.
नई दिल्ली, 02 जुलाई 2020,भारत के पड़ोसी देश नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम काफी तेजी से बदल गया है. लगातार उठ रही इस्तीफे की मांग के बीच गुरुवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राष्ट्रपति से मुलाकात की, फिर आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में नेपाल संसद के मौजूदा बजट सेशन को रद्द करने का फैसला लिया गया. अब शाम को नेपाली पीएम केपी ओली अपने देश की जनता को संबोधित करेंगे, खबर है कि वो कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं. भारत विरोध पड़ गया भारी? गौरतलब है कि नेपाल में राजनीतिक संकट की शुरुआत तब हुई थी जब नेपाल की ओर से नया नक्शा जारी किया गया. नेपाल ने संसद में नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें उत्तराखंड के तीन गांवों को अपने देश की ज़मीन बताया गया. इस नक्शे का भारत ने पुरजोर विरोध किया, लेकिन नेपाल बाज नहीं आया और नक्शा जारी कर दिया. इसके बाद कई मौकों पर केपी ओली को भारत विरोधी बयान देते हुए सुना गया, जिसमें कोरोना वायरस से खतरनाक वायरस भारत से आने वाला वायरस जैसा बयान या फिर भारत पर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाना हो. हालांकि, हर मौके पर भारत ने केपी ओली के बयानों का खंडन ही किया. प्रचंड ने संभाला मोर्चा इस सबके बीच नेपाल का चीन के प्रति मोह बढ़ता गया और लगातार वह चीन की चाल में फंसता गया. इसी बीच पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड भी एक्टिव हुए और लगातार केपी ओली पर हमला तेज कर दिया. पहले उन्होंने नेपाली पीएम से ये साबित करने को कहा कि भारत ने किस तरह उनकी सरकार को अस्थिर किया, कहा कि ऐसे बयान भारत से संबंध बिगाड़ सकते हैं. इतना ही नहीं प्रचंड ने साफ कहा कि भारत नहीं बल्कि वो उनका इस्तीफा चाहते हैं. आपको बता दें कि नेपाल में दो कम्युनिस्ट पार्टियों ने साथ में आकर सरकार बनाई थी, जिसमें एक-एक कार्यकाल के हिसाब से प्रधानमंत्री पद तय हुआ था. इस बीच जब केपी ओली से प्रधानमंत्री पद का इस्तीफा मांगा गया, तो पार्टी में भी उनके लिए विरोध शुरू हो गया और पार्टी के प्रमुख पद से इस्तीफा मांगा गया. क्या था नक्शा विवाद? दरअसल, कुछ वक्त पहले नेपाल सरकार ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है. नेपाल कैबिनेट की बैठक में भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का यह संशोधित नक्शा जारी किया था. इसका बैठक में मौजूद कैबिनेट सदस्यों ने समर्थन किया था. हुआ यूं कि 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था. इसको लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी. इसके बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी करने का फैसला किया था और इसमें भारत के क्षेत्रों को भी अपना बताकर दिखाया है.
नई दिल्ली, 02 जुलाई 2020,भारत की ओर से लगातार चीन को आर्थिक झटके दिए जा रहे हैं. सड़क निर्माण और डिजिटल क्षेत्र में झटके के बाद अब बारी बिजली क्षेत्र की है. केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि पावर प्रोजेक्ट के लिए चीन से जो भी इम्पोर्ट होता था, अब सरकार उसे रेगुलेट कर सकती है. इस क्षेत्र में कस्टम ड्यूटी को बढ़ाया जा सकता है. आजतक को दिए इंटरव्यू में आरके सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से कस्टम ड्यूटी को बढ़ाया जाएगा, ताकि आसानी से होने वाले आयात को सख्त किया जाए. चीनी कंपनियों को रोकने के लिए कस्टम के साथ-साथ नियमों में सख्ती बरती जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत इतनी ताकत रखता है कि हम आर्थिक लेवल के साथ-साथ युद्ध क्षेत्र में भी चीन को धकेल सके. आज पूरी दुनिया भारत के साथ है, इसमें भारत के मजबूत नेतृत्व का हाथ है. चीनी निवेश थमने के बाद भारत में पड़ने वाले असर को लेकर उन्होंने कहा कि हम अपने देश में आपूर्ति को अपने दम पर पूरा कर सकते हैं. पहले सामान इसलिए मंगाया जाता था, क्योंकि चीन सस्ते दाम पर अपना प्रोडक्ट दे देता था. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आत्मनिर्भर भारत की शुरुआत की गई है. आरके सिंह ने कहा कि अब घर के सामान पर निर्भरता बढ़ेगी, क्योंकि हर भारतीय चाहता है कि चीन को कड़ा सबक सिखाया जाए. आपको बता दें कि इससे पहले बुधवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बयान दिया था कि भारत में बड़े हाइवे प्रोजेक्ट्स में अब चीनी कंपनियों को बैन किया जाएगा, इतना ही नहीं अगर वो किसी के साथ पार्टनरशिप में आती हैं तो भी उसपर रोक लगाई जाएगी. दूसरी ओर MSME सेक्टर में भी चीन पर नकेल कसी जाएगी. इससे पहले सरकार ने चीन की 59 मोबाइल ऐप्स पर बैन लगा दिया था, जिसमें टिकटॉक भी शामिल थी. वहीं रेलवे ने चीन की कंपनी को दिया ठेका भी रद्द कर दिया था.
02 जुलाई 2020संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और जर्मनी ने भारत के साथ मजबूती से आकर पाकिस्तान और चीन को बड़ा संदेश दे दिया है. कराची स्टॉक एक्सचेंज पर सोमवार को हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान की तरफ से चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बयान जारी करने का प्रस्ताव लाया था. हालांकि, अमेरिका ने दखल देते हुए चीन प्रायोजित बयान को तुरंत पास नहीं होने दिया. इससे पहले, जर्मनी की वजह से भी प्रस्ताव अटका रहा. दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हमले के लिए भारत को दोषी ठहराया है. अमेरिका और जर्मनी यह सुनिश्चित करना चाह रहे थे कि कहीं बयान में भारत के खिलाफ कोई जिक्र तो नहीं किया गया है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में आतंकी हमलों की निंदा करते हुए बयान जारी करना सामान्य बात है लेकिन चूंकि प्रस्ताव चीन की तरफ से पेश किया गया था इसलिए भारत विरोधी किसी साजिश की आशंका से अमेरिका ने पूरे बयान को पढ़ने के लिए वक्त मांगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद में कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हुए आतंकी हमले के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया था. इमरान खान ने कहा था कि इसमें कोई शक नहीं है कि इस हमले के पीछे भारत का हाथ है. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी कहा था कि भारत को पाकिस्तान की शांति बर्दाश्त नहीं हो रही है इसलिए वो ऐसे हमले करवा रहा है. हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद यूएनएससी के बयान में भारत का कोई जिक्र नहीं हुआ. पाकिस्तान के आरोपों के बाद संयुक्त राष्ट्र में आतंकी हमले पर बयान लाने के पीछे के मकसद को समझे बगैर इसे पास कर देना भारत को मुश्किल में डाल सकता था. पाकिस्तान-चीन के गठजोड़ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए अमेरिका ने आगे बढ़कर भारत की मदद की और प्रस्ताव पास करने से पहले और वक्त मांग लिया. चीन की ओर से यह प्रस्ताव 'साइलेंट प्रोसीजर' के तहत लाया गया था. इसमें प्रस्ताव लगभग पास ही माना जाता है जब तक कि किसी सदस्य देश की तरफ से तय समयसीमा के अंदर आपत्ति ना आए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मामले में सबसे पहले जर्मनी ने हस्तक्षेप किया और प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 1 जुलाई को सुबह 10 बजे तक का समय मांगा. इसके बाद, अमेरिका ने भी और समय मांगा जिससे डेडलाइन दोपहर 1 बजे तक के लिए आगे बढ़ गई. सूत्रों के मुताबिक, चीनी यूएन प्रतिनिधिदल ने इस देरी का विरोध किया था. हालांकि, बयान में सिर्फ कराची स्टॉक एक्सचेंज हमले की निंदा की गई थी और किसी देश को निशाना नहीं बनाया गया था इसलिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसे पास कर दिया गया. कूटनीतिज्ञों का कहना है कि भले ही बयान पास हो गया लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका का चीन और पाकिस्तान को आईना दिखाना एक बड़ा संकेत है.
नई दिल्ली देश के यूजर्स की प्रिवेसी और डेटा की सिक्यॉरिटी के चलते भारत सरकार की ओर से 59 चाइनीज ऐप्स को बैन कर दिया गया है और इनमें TikTok भी शामिल है। शॉर्ट विडियो शेयरिंग ऐप TikTok को भारत में करोड़ों लोग यूज कर रहे थे लेकिन यह चाइनीज ऐप खुद अपने देश में ही बैन है। हो सकता है यह बात आपको हैरान करे लेकिन यही सच है। चाइनीज नागरिक ग्लोबल TikTok ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सकते और इस ऐप पर अकाउंट बनाने का ऑप्शन उन्हें नहीं मिलता। चीन अपने यूजर्स की ऑनलाइन ऐक्टिविटी को लेकर काफी अलर्ट रहता है और वहां के साइबर स्पेस पर ढेरों बंदिशें लगाई गई हैं। चीन में फेसबुक से लेकर वॉट्सऐप और टिकटॉक तक सारे ग्लोबल सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर बैन है। चीन के यूजर्स फेसबुक की जगह Weibo, गूगल की जगह Baidu, यूट्यूब की जगह Youku और वॉट्सऐप की जगह WeChat का इस्तेमाल करते हैं। ग्लोबली करोड़ों यूजर्स वाला टिकटॉक भी चीन में हमेशा से ही बैन है, जबकि यह खुद एक चाइनीज ऐप है। TikTok की जगह यह ऐप टिकटॉक के विकल्प के तौर पर चीन के यूजर्स Douyin नाम के ऐप का इस्तेमाल करते हैं। इस ऐप में टिकटॉक जैसे फीचर्स मिलते हैं लेकिन इसे चीन से बाहर इस्तेमाल या ऐक्सेस नहीं किया जा सकता। चाइनीज कंपनी ByteDance का ही होने के बावजूद TikTok को चीन में बैन किए जाने की वजह यह है कि चीन की सरकार अपने नागरिकों के विडियो ग्लोबल यूजर्स के साथ शेयर नहीं होने देना चाहती। Douyin बेशक टिकटॉक का चाइनीज वर्जन माना जाता हो लेकिन इसे केवल चीन के लोग यूज कर सकते हैं। चाइनीज ऐप्स को बढ़ावा अगर चीन में कोई यूजर अपना TikTok अकाउंट बनाना चाहे या ऐप यूज करना चाहे तो उसके पास चीन से बाहर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर होना चाहिए। इसी तरह अगर चीन से बाहर का कोई यूजर Douyin ऐक्सेस और यूज करना चाहे तो उसका नंबर चीन में रजिस्टर्ड होना चाहिए। हालांकि, चीन में ग्लोबल ऐप्स और सोशल मीडिया ऐक्सेस करने पर सजा का प्रावधान नहीं है लेकिन देश ने साइबर स्पेस ही इस तरह तैयार किया है कि यूजर्स चाइनीज ऐप्स ही इस्तेमाल करें। यूजर्स को सीमित विकल्प अपने देश के डेटा को लेकर चीन का रवैया किसी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा सख्त है। यहां यूजर्स जिन सोशल मीडिया ऐप्स, या फिर सर्च इंजन्स का इस्तेमाल करते हैं, वे सभी चाइनीज भाषा में हैं। इसके अलावा सॉफ्टवेयर भी चाइनीज भाषा में ऑफर किए जाते हैं। ऐसे में भले ही चीन अपने यहां डिवेलप ऐप्स दुनियाभर में ऑफर करता हो लेकिन वहां के नागरिकों को सीमित विकल्प ही दिए गए हैं।
काठमांडू नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर खतरे के बादल मडराने लगे हैं। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की बैठक के अंतिम दिन इस्तीफे की मांग के डर से पीएम ओली शामिल नहीं हुए। जिसके बाद पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पीएम ओली की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक कदम बताया। जिस पार्टी ने नेपाल के मानचित्र में संशोधन को लेकर पीएम ओली की तारीफों के पुल बांधे थे उसी ने उन्हें सबसे विफल प्रधानमंत्री करार दिया। भारत नेपाल तनाव के लिए ओली जिम्मेदार बैठक के आखिरी दिन भारत-नेपाल सीमा विवाद को लेकर चर्चा की गई। जिसमें स्थायी समिति के सभी सदस्यों ने भारत के साथ कूटनीतिक वार्ता में विफल रहने को लेकर ओली प्रशासन की आलोचना की। पार्टी ने आरोप लगाया कि पीएम ओली के कार्यकाल में भारत-नेपाल के संबंध सबसे ज्यादा निचले स्तर पर पहुंचे हैं। बैठक में नेपाल में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में ओली सरकार के फेल होने का आरोप भी लगाया गया। बैठक से ओली का किनारा, पार्टी ने मंशा पर उठाए सवाल बैठक के दौरान सबको आशा थी कि पीएम ओली जरूर शामिल होंगे। पार्टी महासचिव बिष्णु पोडेल ने बैठक में बताया कि प्रधानमंत्री अपने काम में व्यस्त हैं और वह बाद में शामिल होंगे, लेकिन बैठक खत्म होने तक वो नहीं आए। जिसके बाद सदस्यों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने समय बाद हो रही पार्टी की बैठक को पीएम ओली ने नजरअंदाज कर दिया है। शुक्रवार को बोलने वाले 18 नेताओं में, एस्टा लक्ष्मी शाक्य, भीम रावल और ओली के अपने आदमी रघुबीर महासेठ सहित कई लोगों ने महत्वपूर्ण बैठक की अनदेखी करने के लिए प्रधानमंत्री की मंशा पर सवाल उठाया। 44 में से 15 सदस्य ही ओली के साथ ओली को पता है कि 44 सदस्यी स्थायी समिति में केवल 15 सदस्य ही उनके पक्ष में हैं। जिससे अगर वह बैठक में शामिल होते हैं तो उनपर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ जाएगा। बैठक के पहले दिन ही ओली और प्रचंड के बीच तीखी नोंकझोक देखने को मिली थी। प्रचंड ने जहां सरकार के हर मोर्चे पर फेल होने का आरोप लगाया वहीं ओली ने कहा कि वह पार्टी को चलाने में विफल हुए हैं। पहले भी बैठक को टाल चुके हैं ओली दिसंबर 2019 में आयोजित पार्टी के स्थायी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण चर्चाओं को ओली ने टाल दिया था। उन्हें डर था कि कहीं बैठक के दौरान उनकी आलोचना न होने लगे। यही नहीं, 7 मई 2020 को होने वाली स्थायी समिति की बैठक को तो उन्होंने जबरदस्ती स्थगित करवा दिया था। नेपाल में मचे सियासी घमासान को लेकर पीएम ओली सीधे तौर पर भारत पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम में भारत के ऊपर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। वहीं, खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर भारत विरोधी सभी कदम उठा रहे हैं।
काठमांडू सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) में मचे घमासान के बीच नेपाल की सियासत में अचानक हलचल बढ़ गई है। पार्टी के अंदर से ही बगावत के 'प्रचंड' तूफान का सामना कर रहे ओली ने गुरुवार दोपहर अचानक राष्ट्रपति से मुलाकात की। वह आज देश को भी संबोधित करने वाले हैं। इससे तमाम तरह की अटकलें शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि वे आज प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं। इस बीच पार्टी में बगावत का बिगुल फूंकने वाले पूर्व प्रधानंमत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता पुष्प कमल 'दहल' ने भी सुबह पार्टी नेताओं की बैठक की। नेपाल के अखबार 'काठमांडू पोस्ट' के मुताबिक इसमें कुछ ओली के विश्वस्त भी मौजूद रहे। ओली सरकार ने बजट सत्र रद्द किया इस्तीफे की अटकलों के बीच नेपाली पीएम ओली ने अपने निवास पर कैबिनेट की एक इमरजेंसी बैठक की। जिसमें नो कॉन्फिडेंस मोशन से बचने के लिए संसद के बजट सत्र को विघटित किए बिना रद्द करने का फैसला किया गया। यह फैसला प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के ब्लूवाटर स्थित सरकारी आवास पर हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। ओली को डर है कि अगर संसद का सत्र चला तो उनके ऊपर इस्तीफे को लेकर और दबाव बढ़ेगा। दहल के निवास पर भी बैठकों का दौर कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन और ओली के विरोधी पुष्प कमल दहल के निवास पर भी बैठकों का दौर जारी है। गुरुवार सुबह उनके घर पार्टी महासचिव बिष्णु पोडेल, उप प्रधान मंत्री ईशोर पोखरेल, विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली, शंकर पोखरेल, प्रधान मंत्री ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल और उप संसदीय दल के नेता सुभाष नेमबांग पहुंचे। सभी नेताओं ने प्रचंड से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इसमें सरकार को लेकर बातचीत की गई। प्रचंड की दो टूक- पीएम पार्टी का करें सम्मान प्रचंड ने बैठक के दौरान नेताओं से दो टूक कहा कि प्रधानमंत्री ओली को पार्टी की प्रणाली, प्रक्रियाओं और उसके निर्णयों का पालन करना चाहिए। प्रचंड के अलावा माधव कुमार नेपाल, झलनाथ खनाल और बामदेव गौतम सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से सीधे तौर पर ओली से पीएम और पार्टी के दोनों पदों से इस्तीफा देने की मांग की है। कम्युनिस्ट पार्टी के स्टैंडिंग कमेटी की बैठक, पीएम शामिल नहीं कम्युनिस्ट पार्टी के स्टैंडिंग कमेटी की बैठक काठमांडू के ब्लूवाटर में चल रही है। इसमें भी पीएम ओली शामिल नहीं हुए हैं। इससे पहले भी जून के आखिरी हफ्ते में हुई बैठक में पीएम ओली शामिल नहीं हुए थे। दिसंबर 2019 में आयोजित पार्टी के स्थायी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण चर्चाओं को ओली ने टाल दिया था। उन्हें डर था कि कहीं बैठक के दौरान उनकी आलोचना न होने लगे। यही नहीं, 7 मई 2020 को होने वाली स्थायी समिति की बैठक को तो उन्होंने जबरदस्ती स्थगित करवा दिया था। 44 में से 15 सदस्य ही ओली के साथ ओली को पता है कि 44 सदस्यी स्थायी समिति में केवल 15 सदस्य ही उनके पक्ष में हैं। जिससे अगर वह बैठक में शामिल होते हैं तो उनपर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ जाएगा। बैठक के पहले दिन ही ओली और प्रचंड के बीच तीखी नोंकझोक देखने को मिली थी। प्रचंड ने जहां सरकार के हर मोर्चे पर फेल होने का आरोप लगाया वहीं ओली ने कहा कि वह पार्टी को चलाने में विफल हुए हैं। बैठक से ओली का किनारा, पार्टी ने मंशा पर उठाए सवाल बैठक के दौरान सबको आशा थी कि पीएम ओली जरूर शामिल होंगे। पार्टी महासचिव बिष्णु पोडेल ने बैठक में बताया कि प्रधानमंत्री अपने काम में व्यस्त हैं और वह बाद में शामिल होंगे, लेकिन बैठक खत्म होने तक वो नहीं आए। जिसके बाद सदस्यों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने समय बाद हो रही पार्टी की बैठक को पीएम ओली ने नजरअंदाज कर दिया है।
नई दिल्‍ली भारत सरकार ने जिन 59 चीनी ऐप्‍स को बैन करने का फैसला किया, उनमें से एक Weibo पर पीएम नरेंद्र मोदी का आधिकारिक अकाउंट है। बुधवार को लोग तब हैरान हो गए जब अकाउंट से फोटो, पोस्‍ट्स और कमेंट्स गायब हो गए। कई लोगों ने अंदाजा लगाया कि चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए Weibo से ऐसा करवाया जो कि सच नहीं। दरअसल पीएम मोदी ने चीनी ऐप्‍स बैन होने के बाद तय किया वे Weibo छोड़ देंगे। इसी के बाद उनके अकाउंट को डिलीट करने की प्रक्रिया शुरू हुई। वीआईपी अकाउंट्स के लिए Weibo छोड़ना बेहद जटिल प्रोसीजर है इसलिए आधिकारिक रूप से पूरा प्रोसेस शुरू किया गया। लिखें 115 में से 113 पोस्‍ट्स हो गई थीं डिलीट... चीन की तरफ से बेसिक परमिशन देने में भी देरी की गई। पीएम मोदी के Weibo अकाउंट पर कुल 115 पोस्‍ट्स थीं। तय हुआ कि इन्‍हें मैनुअली डिलीट किया जाएगा। काफी कोशिशों के बाद 113 पोस्‍ट्स डिलीट कर दी गईं। दो पोस्‍ट्स अब भी बाकी रह गई थीं जिनमें राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के साथ पीएम मोदी की तस्‍वीरें थीं। Weibo पर चीनी राष्‍ट्रपति वाली तस्‍वीरें हटाना मुश्किल है। खैर किसी तरह उसे भी हटाया गया। अब पीएम मोदी के अकाउंट पर कुछ भी नहीं है। हालांकि जब पोस्‍ट्स डिलीट करना शुरू किया गया, तब पीएम मोदी के 2,44,00 फॉलोअर्स थे। चीन की ऐसी हरकतों के चलते लगा बैन कुछ दिन पहले, चीन की मशहूर ऐप WeChat से भारतीय दूतावास के आधिकारिक अकाउंट से तीन भारतीय बयान डिलीट कर दिए गए थे। इनमें से एक प्रधानमंत्री मोदी का बयान भी था। चीन की ऐसी हरकतों और उनकी ऐप्‍स को लेकर सिक्‍योरिटी और प्राइवेसी से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए भारत सरकार ने सोमवार को TikTok, Weibo, Helo, WeChat जैसी 59 चीनी ऐप्‍स पर बैन लगा दिया था। अब यह ऐप्‍स गूगल प्‍ले स्‍टोर और ऐप्‍पल प्‍ले स्‍टोर से हटाई जा चुकी हैं।
पूर्वी लद्दाख से सटे बॉर्डर पर चीन पीछे हटने को तैयार नहीं। एक के बाद दूसरे और तीसरे राउंड की बातचीत में भी चीन शांति की भाषा नहीं समझ रहा। उसने लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल पर सेना की तैनाती बढ़ा दी है। भारत ने भी उसी लेवल पर फोर्सेज तैनात की हैं ताकि चीन की किसी भी हरकत का फौरन मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। तैयारियां परखने के लिए शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह जा रहे हैं। उनके साथ आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी होंगे। जनरल नरवणे एक हफ्ते पहले भी लेह-लद्दाख का दौरा कर चुके हैं। सीमा पर सुरक्षा हालात की करेंगे समीक्षा लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल पर चीन ने जिस तरह से आक्रामक रुख अपनाया है, उसे देखते हुए पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा के ताजा हालात क्‍या हैं, राजनाथ इसका जायजा लेंगे। वह आर्मी चीफ की पिछले दौरे की तरह लद्दाख में कई फारवर्ड पोस्‍ट्स पर जा सकते हैं। चीन को साफ संदेश होगा राजनाथ का दौरा रक्षा मंत्री का यह दौरा चीन के लिए साफ संदेश होगा। चीन का कोई भी बड़ा सैन्‍य अधिकारी हेडक्‍वार्टर से निकलकर जिनझियांग में नहीं आया है। न ही उनके किसी मंत्री ने सैनिकों की सुधि ली है। जबकि भारत की तरफ से एयरफोर्स चीफ और आर्मी चीफ जवानों के बीच जाकर उनका हौसला बढ़ा चुके हैं। अब रक्षा मंत्री का वहां जाना जवानों के हौसले को और मजबूत करेगा। राजनाथ सिंह भी फारवर्ड पोस्‍ट्स पा जाकर सैनिकों से मुलाकात कर सकते हैं। LAC पर पूरी है भारत की तैयारी बॉर्डर से सटी गलवान घाटी, पैंगोंग त्‍सो, डेपसांग प्‍लेन्‍स और हॉट स्प्रिंग्‍स में चीनी सेना ने आक्रामक तेवर दिखाए हैं। भारत की ओर से भी बॉर्डर एरियाज में चीनी तैनाती के बराबर सैनिक पोस्‍ट किए गए हैं। इसके अलावा चीन ने LAC के करीब इलाकों में जिस तरह से हथियार और युद्ध का साजोसामान जमा किया है, उसे देखते हुए भारत की तैयारी भी पूरी है। आर्मी चीफ बढ़ा चुके जवानों का हौसला सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे 23 जून को लेह के मिल‍िट्री हॉस्पिटल में इलाज करा रहे जवानों से मिले थे। इसके बाद वह लद्दाख के फारवर्ड बेसेज पर भी गए जहां मौजूद जवानों का उन्‍होंने हौसला बढ़ाया। जनरल नरवणे ने सैनिकों को भरोसा दिलाया कि जरूरत पड़ने पर पूरी सेना उनके साथ खड़ी है। पूर्वी लद्दाख में एयर डिफेंस सिस्‍टम तैनात सीमा पर चीन की हर हरकत पर नजर रखने और उससे निपटने के लिए एयरफोर्स तैयार है। पूरे सेक्‍टर में एडवांस्‍ड क्विक रिएक्‍शन वाला सरफेस-टू-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम मौजूद है जो किसी भी फाइटर जेट को कुछ सेकेंड्स में तबाह कर सकता है। आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में 'आकाश' मिसाइलें भी भेजी हैं। IAF के फाइटर एयरक्राफ्ट्स पहले से ही काफी सक्रिय हैं। मई से ही लद्दाख में तैनात है सुखोई पिछले महीने की शुरुआत में जब चीनी सेना ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ शुरू की, तभी IAF ने Su-30MKI को पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में भेज दिया था। चीनी लगातार भारतीय एयरस्‍पेस के आसपास मंडरा रहे थे। LAC के उसपर चीन ने अपने इलाकों में करीब 10 किलोमीटर दूर कई तरह के कंस्‍ट्रक्‍शन शुरू किए हैं। ये एयरक्राफ्ट उन इलाकों तक रूटीन उड़ानें भरते हैं। चीन पर नजर रखने के लिए एक से एक ड्रोन्‍स पूर्वी लद्दाख में जिन जगहों पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं, वहां ज्‍यादा से ज्‍यादा ड्रोन यूज करने के निर्देश भारतीय सेना को मिले हैं। भारतीय सेना अपने भरोसेमंद 'क्‍वाडकॉप्‍टर' का इस्‍तेमाल LAC पर भी कर रही है। इजरायल से भारत का मिला Heron मीडियम रेंज का ड्रोन है जो लंबे वक्‍त तक इस्‍तेमाल के लिए बना है। हेरॉन ड्रोन 35 हजार फीट तक की ऊंचाई से नजर रख सकता है। यही नहीं, 45 घंटे के बैटरी बैकअप के साथ यह ड्रोन एक हजार किलोमीटर तक की रेंज कवर कर सकता है। Pok में 20 हजार सैनिक, चीन-पाक की साजिश! लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच मौका देखते हुए पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में एलओसी के नजदीक सेना की दो डिविजनों को तैनात किया है। पाकिस्तानी सेना के एलओसी के नजदीक लगभग 20 हजार सैनिकों की तैनाती को भारत के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
नई दिल्ली गृह मंत्रालय ने बब्बर खालसा इंटरनैशनल के नेता वाधवा सिंह समेत 9 लोगों को आतंकवादी घोषित कर दिया। मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक, पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन सिख यूथ फेडरेशन के चीफ लखबीर सिंह को भी आतंकियों की लिस्ट में डाला गया है। इन 9 लोगों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA ऐक्ट, 1967) के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है। पिछले साल सितंबर में इसे लागू कर केंद्र सरकार ने चार लोगों को आतंकवादी घोषित किया था जिसमें मौलाना मसूद अजहर, हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम शामिल थे। बयान के मुताबिक, सभी 9 लोग सीमा पार और विदेशी धरती से आतंकवाद से जुड़ी अलग-अलग गतिविधियों में शामिल थे। देश में अस्थिरता के उनके नापाक प्रयासों में पंजाब में उग्रवाद बढ़ाने और खालिस्तान आंदोलन में शामिल होने जैसे कृत्य शामिल थे। इन 9 को किया आतंकवादी घोषित- 1. वाधवा सिंह बब्बर: पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन 'बब्बर खालसा इंटरनैशनल' का नेता 2. लखबीर सिंह: पाकिस्तान स्थित प्रमुख आतंकवादी संगठन 'इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन' चीफ 3. रणजीत सिंह: पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन 'खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स' का प्रमुख नेता 4. परमजीत सिंह: पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन 'खालिस्तान कमांडो फोर्स' का प्रमुख 5. भूपिंदर सिंह भिंडा: जर्मनी के आतंकवादी संगठन 'खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स' का प्रमुख सदस्य 6. गुरमीत सिंह बग्गा: जर्मनी के आतंकवादी संगठन 'खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स' का प्रमुख सदस्य 7. गुरपतवंत सिंह पन्नून: अमेरिका के गैरकानूनी असोसिएशन 'सिख फॉर जस्टिस' का प्रमुख सदस्य 8. हरदीप सिंह निज्जर: कनाडा में 'खालिस्तान टाइगर फोर्स' का प्रमुख 9. परमजीत सिंह: ब्रिटेन में 'बब्बर खालसा इंटरनैशनल' का चीफ
पेइचिंग पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव होने के बाद भारत ने चीन के 59 ऐप्स को बैन कर दिया। इस कदम से बौखलाया चीन भारत को परिणामों की धमकी देता रहा। उसने यहां तक कह दिया कि इससे चीन की अर्थव्यवस्था पर असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, अब उसने मान लिया है कि भारत में बैन होने से Tik Tok ऐप की पैरंट कंपनी को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है। '6 अरब डॉलर का हो सकता है नुकसान' चीन के प्रॉपगैंडा अखबार ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट किया है कि पिछले महीने लद्दाख में सीमा पर झड़प के बाद भारत सरकार के चीन की 59 ऐप बैन करने से Tik Tok की पैरंट कंपनी ByteDance को 6 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। सिर्फ एक ऐप के बैन होने से अगर इतने नुकसान का अंदाजा लगाया जा रहा है तो समझा जा सकता है कि 59 ऐप के बैन होने से चीन को कितना बड़ा आर्थिक झटका लगेगा। चीन के लिए बड़ा मार्केट रहा है भारत ग्लोबल टाइम्स भारत के फैसले को लेकर हमलावर रहा है। उसने कहा है कि भारत में चीनी प्रॉडक्ट बैन करने से भारत की अर्थव्यवस्था पर ही असर पड़ेगा, चीन पर नहीं। हालांकि, उसने माना है कि चीनी कंपनियों और निवेशकों के लिए भारत एक बड़ा मार्केट रहा है जिस पर पिछले तीन साल में उनकी नजर रही है। ऐसे में भारत के प्रतिकूल कदम का असर चीन की कंपनियों पर भी पड़ना तय है। इसलिए भारत बैन से चीन को डर डिजिटल इकोनॉमी पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि इन चीनी कंपनियों के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि अब भारत के नक्‍शे कदम पर दुनिया के अन्‍य देश भी चल सकते हैं। अमेरिकी कंपनियों गूगल और फेसबुक से इतर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के देश कुछ ऐसे बाजार थे जहां पर चीनी कंपनियां अपने देश के अलावा सफलता के लिए दांव लगा रही थीं। चीन विकसित होने के बाद इन कंपनियों ने दूसरे देशों में निवेश किया या सेवा शुरू की। पैर पसार चुका था टिक-टॉक एक अनुमान के मुताबिक भारत में वर्ष 2019 में टॉप 200 ऐप में 38 प्रतिशत चीन के हैं। चीनी ऐप भारत में विकसित ऐप के प्रतिशत 41 से मात्र कुछ ही पीछे थे। वर्ष 2018 में चीनी ऐप भारत से आगे थे। भारत में वर्ष 2019 में भारतीय लोगों ने 5.5 अरब घंटे टिक टॉक पर बिताया था। यह वर्ष 2018 की तुलना में करीब 5 गुना ज्‍यादा है। यह टिक टॉक की मूल कंपनी ByteDance के लिए बेहद अहम है जो जल्‍द ही आईपीओ लाने जा रही है। बायटेडेंस के पास ही हेलो ऐप भी है जो दुनिया का सबसे मूल्‍यवान स्‍टार्टअप (100 अरब डॉलर) है।
नई दिल्ली Chinese companies banned highway projects: चीन के खिलाफ आर्थिक कार्रवाई की दिशा में भारत तेजी से बढ़ रहा है। पहले 59 चाइनीज ऐप्स बैन किए गए। अब हाइवे प्रॉजेक्ट में भी चीनी कंपनियों की एंट्री बंद की जाएगी। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि भारत हाइवे प्रॉजेक्ट्स में चीनी कंपनियों की एंट्री को बंद करेगा। जॉइंट वेंचर के रास्ते भी एंट्री पर होगी नजर गडकरी ने कहा कि अगर कोई चाइनीज कंपनी जॉइंट वेंचर के रास्ते भी हाइवे प्रॉजेक्ट्स में एंट्री की कोशिश करेगी तो उसे भी रोक दिया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि MSME सेक्टर में चाइनीज इन्वेस्टर्स को एंटरटेन नहीं किया जाए। नई पॉलिसी जल्द लागू की जाएगी गडकरी ने कहा कि बहुत जल्द एक पॉलिसी लाई जाएगी जिसके आधार पर चाइनीज कंपनियों की एंट्री बंद होगी और भारतीय कंपनियों के लिए नियम आसान बनाए जाएंगे। भारतीय कंपनियों को पार्टिसिपेशन का ज्यादा से ज्यादा मौका मिले, इस पहलू को पॉलिसी बनाते समय ध्यान में रखा जाएगा। अगर चाइनीज वेंचर होगा तो टेंडर कैंसल होगा हाइवे प्रॉजेक्ट्स में वर्तमान में चाइनीज निवेश को लेकर गडकरी ने कहा कि कुछ ही ऐसे प्रॉजेक्ट्स हैं, जिनमें चाइनीज निवेश शामिल हैं। ऐसे में उन्होंने वर्तमान में इश्यू टेंडर को लेकर कहा कि अगर चाइनीज वेंचर होगा तो टेंडर की प्रक्रिया दोबारा अपनाई जाएगी। नए नियम को लेकर उन्होंने कहा कि यह वर्तमान और आने वाले टेंडर पर लागू होंगे। भारतीय कंपनियों के लिए नियम आसान किए जाएंगे गडकरी ने कहा कि हमने फैसला किया है कि हाइवे प्रॉजेक्ट्स में भारतीय कंपनियों को बेहतर मौका मिले, इसके लिए नियम आसान किए गए हैं। इसके लिए हाइवे सक्रेटरी और NHAI की एक संयुक्त बैठक होगी, जिसमें टेंडर को लेकर टेक्निकल और फाइनैंशल नॉर्म्स आसान किए जाने पर चर्चा होगी। उन्होंने साफ-साफ कहा कि नियम इस तरह बनाए जाएंगे कि भारतीय कंपनियों को टेंडर हासिल करने के लिए विदेशी कंपनियों का सहारा नहीं लेना पड़े। मेगा ब्रिज परियोजना का टेंडर कैंसल बॉयकॉट चीन मुहिम (Boycott China Campaign) को आगे बढ़ाते हुए बिहार (Bihar) में गंगा नदी (Ganga River) पर बनने वाले एक मेगा ब्रिज परियोजना के टेंडर को रद्द कर दिया है क्योंकि इसमें चीनी कंपनियां शामिल हैं। इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने दी। इस मेगा ब्रिज का निर्माण पटना में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के पास में होना था। पुल का टेंडर रद्द किए जाने की पुष्टि बिहार सरकार में सड़क निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने भी की। उन्होंने कहा कि प्रॉजेक्ट के लिए चुने गए चार कॉन्ट्रैक्टर में से दो के पार्टनर चाइनीज थे। 471 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल किया था गलवान घाटी की घटना के बाद #BoycottChina अभियान के तहत सबसे पहले इंडियन रेलवे ने बड़ा फैसला किया था। उसने चाइनीज कंपनी को मिले 471 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल कर दिया था। रेलवे ने चीन की कंपनी बीजिंग नैशनल रेलवे रिसर्च ऐंड डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल ऐंड कम्युनिकेशन लिमिटेड (Beijing National Railway Research and Design Institute of Signal and Communication Group) को दिए गए एक कॉन्ट्रैक्ट को कैंसल कर दिया था। यह घटना 18 जून की है। गलवान घाटी में 16 जून को हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। 417 किलोमीटर लंबा रेलवे कॉरिडोर का था कॉन्ट्रैक्ट बीजिंग नैशनल रेलवे रिसर्च ऐंड डिजाइन इंस्टिट्यूट को कानपुर-दीन दयाल उपाध्याय (DDU) सेक्शन बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। यह करीब 417 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर है। यह प्रॉजेक्ट 471 करोड़ का था। यह कॉन्ट्रैक्ट 2016 में दिया गया था। चार सालों में कामों में तेजी नहीं आने का कारण बताते हुए रेलवे ने यह कॉन्ट्रैक्ट कैंसल किया था।
नई दिल्ली, 01 जुलाई 2020, इस चीनी महिला राजनयिक की रणनीति से भारत-नेपाल के संबंध पटरी से उतरे? नेपाल के भारत से दूर जाने और चीन के नजदीक आने के पीछे कई राजनैतिक कारण हो सकते हैं. लेकिन नेपाल में चीन के पक्ष बनाने में चीन की नेपाल में राजनयिक होउ यान्की का योगदान भी कम नहीं है. नेपाल में चीनी राजदूत काफी सक्रिय रहती हैं और भारत के पड़ोसी देश में चीन की मौजूदगी अपनी कूटनीति से मजबूत कर रही हैं. राजदूत यान्की ने मंगलवार को ही इंडियन आर्मी चीफ मनोज नरवणे के नेपाल में चीन के दखल करने के आरोप का जवाब दिया. आर्मी चीफ ने कहा था कि नेपाल भारत के खिलाफ किसी और के इशारे पर कदम उठा रहा है. राइजिंग नेपाल को दिए इंटरव्यू में चीनी राजदूत होउ ने कहा, नेपाल की सरकार ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय संप्रुभता की सुरक्षा के लिए जनभावनाओं के तहत ये कदम उठाया. उन्होंने कहा कि कथित तौर पर चीन के इशारे पर नेपाल की कार्रवाई का आरोप बेबुनियाद है और ऐसे आरोप गलत मंशा से लगाए गए हैं. ऐसे आरोप सिर्फ केवल नेपाल की महत्वाकांक्षाओं का ही अपमान नहीं करते हैं, बल्कि चीन-नेपाल के संबंधों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगाए जा रहे हैं. चीनी राजदूत केवल बयान देने तक ही अपनी कूटनीति सीमित नहीं रखती हैं. वह नेपाल के कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वह स्थानीय युवतियों के साथ नृत्य भी करती हैं. साथ ही नेपाल के टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए फोटो सेशन भी करती हैं. इतना ही नहीं, नेपाल की राजनीति में भी उनकी बहुत रूचि है और कई बार वो ओली सरकार के लिए संकटमोचन का काम भी कर चुकी हैं. होउ यान्की 2018 से नेपाल में चीन की राजदूत है और ये देखा जा सकता है कि उनके आने के बाद नेपाल चीन के और करीब आ गया है. नेपाल और चीन की बढ़ती करीबी में चीनी राजदूत अहम भूमिका अदा कर रही हैं. भले ही कोरोना वायरस चीन से आया हो, लेकिन इस संक्रमण काल में जनता को राहत पहुंचाने के लिए हमेशा तत्पर रही हैं. उन्होंने कोरोना सहयोग के नाम पर सेना से लेकर सरकार और आम जनता तक सीधे पहुंच बनाई और संभव मेडिकल सामग्री पहुंचाई. यान्की का अधिकतर समय या तो नेपाल के विभिन्न मंत्रालयों में गुजरता है या फिर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न मंत्रालयों के काम काज में सहयोग के नाम पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में. लॉकडाउन के दौरान भी वह नेपाल के राजनैतिक दलों से लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ी रहीं. नेपाल में दोनों कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव से पहले गठबंधन करवाने और यूएमएल-माओवादी को एकजुट करवाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ओली सरकार पर जब-जब संकट आया है और जब-जब पार्टी विभाजन की कगार पर पहुंची है, तब-तब इन्होंने ही पार्टी को टूटने से बचाया है. होउ यान्की 1996 से चीन के विदेश विभाग में काम कर रही हैं. वो दक्षिण एशिया मामलों में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर रह चुकी हैं और लॉस ऐन्जलिस में चीन की कॉन्सुलेट जनरल रह चुकी हैं. नेपाल आने से पहले वह पाकिस्तान में भी चीन की राजदूत रह चुकी हैं. इंग्लिश और चीनी भाषा के अलावा वह हिन्दी और उर्दू भाषा का भी ज्ञान रखती हैं. यान्की नेपाली भाषा को समझकर उसका जवाब भी दे देती हैं. नेपाल को चीन के पाले में ले जाने के लिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं.
नई दिल्ली, 01 जुलाई 2020,भारत ने चीन को एक और झटका दिया है. बीएसएनएल और एमटीएनएल ने अपना 4G टेंडर रद्द कर दिया है. अब दोबारा नया टेंडर जारी किया जाएगा. सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को चीन की कंपनियों से सामान ना खरीदने का निर्देश दिया था, जिसके बाद टेंडर को निरस्त कर दिया गया है. भारत ने चीन को एक और झटका दिया है. बीएसएनएल और एमटीएनएल ने अपना 4G टेंडर रद्द कर दिया है. अब दोबारा नया टेंडर जारी किया जाएगा. सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को चीन की कंपनियों से सामान ना खरीदने का निर्देश दिया था, जिसके बाद टेंडर को निरस्त कर दिया गया है. भारत ने चीन को एक और झटका दिया है. बीएसएनएल और एमटीएनएल ने अपना 4G टेंडर रद्द कर दिया है. अब दोबारा नया टेंडर जारी किया जाएगा. सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को चीन की कंपनियों से सामान ना खरीदने का निर्देश दिया था, जिसके बाद टेंडर को निरस्त कर दिया गया है. भारत ने चीन को एक और झटका दिया है. बीएसएनएल और एमटीएनएल ने अपना 4G टेंडर रद्द कर दिया है. अब दोबारा नया टेंडर जारी किया जाएगा. सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल को चीन की कंपनियों से सामान ना खरीदने का निर्देश दिया था, जिसके बाद टेंडर को निरस्त कर दिया गया है. अब नए टेंडर में मेक इन इंडिया और भारतीय टेक्नॉलजी को प्रोत्साहन देने के लिए नए प्रावधान होंगे. गौरतलब है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल पर सबसे अधिक चीनी प्रोडक्ट खरीदने का आरोप लगा था. इसके बाद सरकार ने निर्देश जारी किया था कि सरकारी कंपनियां चीन की कंपियों से सामान खरीदने से परहेज करें. टेलीकॉम मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया था कि 4जी फैसिलिटी के अपग्रेडेशन में किसी भी चाइनीज कंपनियों के बनाए उपकरणों का इस्तेमाल न किया जाए. पूरे टेंडर को नए सिरे से जारी किया जाए. सभी प्राइवेट सर्विस आपरेटरों को निर्देश दिया जाएगा कि चाइनीज उपकरणों पर निर्भरता तेजी से कम की जाए. इससे पहले एमटीएनएल और बीएसएनएल ने 4जी नेटवर्क के लिए चीनी कलपुर्जे का इस्तेमाल नहीं करने का निर्णय लिया था. इसके अलावा चीन को झटका देने के लिए रेलवे ने 471 करोड़ रुपये का सिगनलिंग प्रोजेक्ट रद्द कर दिया था. साथ ही MMRDA ने मोनोरेल से जुड़ी चीन की 2 कंपनियों का टेंडर रद्द कर दिया. इसके अलावा MMRDA ने 10 मोनोरेल रैक्स बनाने की बोली भी रद्द कर दी. मेरठ रैपिड रेल का टेंडर चीनी कंपनी के पास था, इसे भी रद्द कर दिया गया. महाराष्ट्र सरकार ने तलेगांव में ग्रेट वॉल का टेंडर रद्द कर दिया. हरियाणा सरकार ने चीनी कंपनियों का 780 करोड़ रुपए का ऑर्डर रद्द कर दिया.
नई दिल्ली, 01 जुलाई 2020,लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर बढ़ते तनाव के बीच चीन ने अपनी तैनाती और बढ़ा दी है. चीन की ओर से सेना के दो डिविजन की तैनाती भारतीय सीमा पर की गई है. जवाब में भारतीय सेना ने भी तैनाती बढ़ाई है. इन सबके बीच भारतीय सेना को लगता है कि दोनों देशों के बीच तनाव अक्टूबर तक जारी रहेगा. खबर है कि चीन के तिब्बत और शिनजियांग प्रांत में मौजूद 10 हजार अतिरिक्त सैनिक बीते दिनों से युद्धाभ्यास कर रहे हैं. एलएसी पर चीन की हर गतिविधि पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर है. आजतक से बात करते हुए सरकार के सूत्रों ने एलएसी पर चीन की ओर से अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की पुष्टि की है. भारत ने ब्रिगेड जितने जवानों की तैनाती की इसके साथ ही गलवान घाटी, पेट्रोलिंग प्वाइंट-15, पैंगॉन्ग त्सो और फिंगर एरिया में भारतीय सेना ने तैनाती बढ़ा दी है. चीन से मुकाबले के लिए एक ब्रिगेड जितने जवानों की तैनाती की गई है. इसके साथ भारतीय सेना ने रणनीति प्वाइंट्स पर अपनी तैनाती और बढ़ा दी है और टैंक-हथियार को पहुंचाया जा रहा है. चीन ने 20 हजार जवानों की तैनाती की सरकार के आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि चीन ने सीमा पर 20 हजार जवानों की तैनाती की है. इसके साथ ही चीन ने नॉर्दन शिनजियांग प्रांत में अपने अतिरिक्त डिविजन को भी एलएसी पर लाने का फैसला किया है. चीनी सेना का अतिरिक्त डिविजन 48 घंटे में भारतीय पोजिशन पर पहुंच सकता है. चीन की हर गतिविधि पर रखी जा रही नजर सरकार के सूत्रों का कहना है कि हम चीन की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है. एलएसी पर चीनी सैनिकों की बढ़ती तैनाती से शक पैदा हो रहा है कि चीन कहीं कोई चाल तो नहीं चलने वाला है. बातचीत के दौरान चीन ने पीछे हटने का वादा किया था, लेकिन सीमा पर अपनी तैनाती बढ़ाते जा रहा है. भारतीय जवानों को दिए जा रहे हैं सभी जरूरी संसाधन एलएसी पर चीन की तैनाती बढ़ने के बाद भारत ने भी मिरर तैनाती की है. भारतीय सेना के दो अतिरिक्त डिविजन को एलएसी के पास तैनात किया गया है, ताकि चीनी सेना के किसी भी हिमाकत का जवाब दिया जा सकते. इसके साथ ही भारतीय जवानों को सभी संसाधन दिए जा रहे हैं, ताकि वह मौसम के अनुकूल पहरेदारी कर सके. टैंक और हथियारों को फ्रंट लाइन पर पहुंचाया जा रहा सूत्रों का कहना है कि चीन की बढ़ती तैनाती के बाद भारतीय सेना ने अतिरिक्त टैंक और सशस्त्र रेजिमेंट को लद्दाख में तैनात करने का फैसला किया, ताकि चीनी सेना को माकूल जवाब दिया जा सके. टैंक और हथियारों को फ्रंट लाइन पर पहुंचाया जा रहा है, जहां भारतीय सैनिक चीनी सेना के आमने-सामने खड़े हैं.
हरिद्वार पतंजलि की कोरोनिल दवा को लेकर उठे विवाद के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कोरोनिल को ताकतवर बताया है। उनके कोरोनिल को कोरोना की दवा कहे जाने पर उन्होंने पलटवार किया है। बाबा ने कहा कि पीएम जब कहते हैं कि कोरोना की दवा दो गज दूरी है तो उनकी कोरोनिल तो बहुत ज्यादा ताकतवर है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बाबा ने कहा कि शब्दों के मायाजाल में हमें नहीं पड़ना चाहिए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि कोरोना की एक ही दवाई है, दो गज की दूरी। जब दो गज की दूरी कोरोना की दवाई हो सकती है, कोरोनिल तो उससे बहुत ज्यादा ताकतवर है। बाबा ने कहा कि हम आज से बिना किसी कानूनन बाधा के कोरोनिल दवा को मार्केट में भेज रहे हैं। लोगों को हमारी दवा का इंतजार है। 'पतंजलि जान बचाने का काम करता है लेने का नहीं' बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोनिल में गिलोय,अश्वगंधा और तुलसी का संतुलित मात्रा में मिश्रण है। कोरोनिल और श्वसारि का संयुक्त ट्रायल किया हुआ है। हमने इसको अलग-अलग ट्राई नहीं किया है। पतंजलि जान बचाने का काम करता है, जान लेने का नहीं। मेरी जाति और धर्म को लेकर की गई टिप्पणियां' रामदेव ने कहा, 'मेरी जाति और धर्म को लेकर भी टिप्पणियां की गईं। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर यह बात भी फैला दी कि 7 दिनों में बाबा जेल चले जाएंगे। हमारी रिसर्च से ड्रग माफियाओं की चूलें हिल गईं। उनको लगता है कि कोट टाई पहनने वाले रिसर्च करते हैं ये भगवा पहने लंगोट वाले ने कैसे रिसर्च कर ली। मैं पूछता हूं कि क्या उन लोगों ने ठेका ले रखा है?
नई दिल्ली लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच मौका देखते हुए पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान में एलओसी के नजदीक सेना की दो डिविजनों को तैनात किया है। पाकिस्तानी सेना के एलओसी के नजदीक लगभग 20 हजार सैनिकों की तैनाती को भारत के ऊपर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान ऐसी हरकतें चीन के इशारों पर कर रहा है। आतंकी संगठनों से बात कर रहा चीन इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी अधिकारी जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़काने के लिए चरमपंथी समूह अल बदर से बातचीत कर रहे हैं, "जिससे से साफ संकेत मिलते हैं कि सीमा पर चीन और पाकिस्तान मिले हुए हैं। इसी कड़ी में पाक ने कश्मीर के पश्चिमी सीमा पर तनाव बढ़ाने के लिए 20 हजार सैनिकों को तैनात किया है। भारत के खिलाफ टू फ्रंट वॉर की साजिश सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार पाकिस्तान ने जितने सैनिकों को तैनात किया है वह बालाकोट एयर स्ट्राइक के दौरान की गई तैनाती से कहीं ज्यादा है। वहीं, पाकिस्तान के एयर डिफेंस रडार भी पूरे क्षेत्र पर 24 घंटे नजर बनाए हुए हैं। पाकिस्तान और चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती और आतंकवादियों को उकसाने के प्रयासों से भारत को दो फ्रंट और घाटी में आतंकवाद से लड़ना पड़ेगा। पाक और चीन के बीच कई बैठकें बताया जा रहा है कि हाल के दिनों में चीन और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुई हैं। जिसके बाद उत्तर में लद्दाख से सटे गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान ने अपने 20 हजार सैनिकों को तैनात किया है। कुछ दिनों पहले ऐसी रिपोर्ट आई थी कि इस क्षेत्र में स्थित पाकिस्तान के स्कर्दू हवाई अड्डे पर चीन का एयर रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट उतरा था। चीन-पाक से खतरा, बालाकोट वाला बम खरीद रहा भारत चीन के साथ बढ़ते तनाव (India China Tension) के बाद भारत जमीनी ठिकानों पर मार करने की अपनी क्षमता को और मजबूत करना चाहता है। ऐसे में भारत और स्पाइस बम खरीदने की योजना बना रहा है। जो बम भारत खरीदने की तैयारी कर रहा है वह स्पाइस-2000 (Spice-2000 Bombs) का अडवांस वर्जन होगा, जो कि क्षण भर में दुश्मनों की इमारतों और बंकरों को धूल मिला देगा।
India China Latest News: टीवी, एसी और 5जी... चीन को ऐसे 'शॉक' देने की तैयारी में भारतचीनी ऐप्‍स पर बैन लगाना तो महज एक शुरुआत है, भारत ने चीन के होश फाख्‍ता करने के लिए पूरा प्‍लान तैयार कर लिया है। आने वाले दिनों में कुछ ऐसे फैसले हो सकते हैं जो ड्रैगन को फूटी आंख नहीं सुहाएंगे। भारत ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों से चीनी इक्विपमेंट्स न यूज करने को कहा है। वहीं 5G को लकेर लेकर भी फैसला जल्‍द होने वाला है। भारत में 5G नेटवर्क के लिए चीनी कंपनियों के इक्विपमेंट्स यूज करने पर बैन लगाया जा सकता है। इसके अलावा, कारोबार के लिहाज से चीनी उत्‍पादों के इम्‍पोर्ट को कम करने के लिए भी नियम तैयार किए जा रहे हैं। इस बारे में सोमवार को टॉप मिनिस्‍टर्स की उस मीटिंग में भी चर्चा हुई जिसमें 59 चीनी ऐप्‍स बंद करने पर फैसला लिया गया। Huawei और अन्‍य चीनी कंपनियों पर बैन संभव सीनियर मंत्रियों की बैठक में हुआवे और अन्‍य चीनी कंपनियों के 5G स्‍पेक्‍ट्रम नीलामी में हिस्‍सा लेने पर चर्चा हुई। स्‍पेक्‍ट्रम की नीलामी कोरोना वायरस के चलते कम से कम सालभर के लिए टल चुकी है। मीटिंग में अन्‍य बिडर्स जैसे- वोडाफोन आइडिया पर भी चर्चा हुई। चीनी सेना से जुड़े होने का गहरा शक Huawei को डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में बैन कर रखा है। साथ ही अमेरिका इस कोशिश में भी है कि यूनाइटेड किंगडम और भारत जैसे सहयोगी भी इस चीनी कंपनी को बैन कर दें। Huawei के फाउंडर के चीन की पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) से सांठगांठ होने का शक हमेशा से रहा है। चीन से इम्‍पोर्ट पर लाइसेंसिंग की भी तैयारी सरकार 10-12 उत्‍पादों के इम्‍पोर्ट को लाइसेंस करने का भी सोच रही है। इस बारे में कई महीने पहले ही काम शुरू किया गया था लेकिन हालिया तनाव के बाद इसमें तेजी आई है। शुरू में इसमें अगरबत्‍ती, टायर और पाम ऑयल जैसे प्रॉडक्‍ट्स थे मगर अब इसमें एयरकंडीशनर और टेलीविजन जैसे महत्‍वपूर्ण उत्‍पाद शामिल किए गए हैं। किन-किन चीजों का इम्‍पोर्ट कम करने की तैयारी? सरकार का फोकस एयरकंडीशनर और इसके कम्‍पोनेंट्स का इम्‍पोर्ट कम करने की है ताकि डॉमिस्टिक प्रॉडक्‍शन को बढ़ाया जा सके। इसके अलावा स्‍टील, एल्‍युमिनियम, फुटवियर, आलू, संतरे उन उत्‍पादों में से हैं जिनकी लोकल मैनुफैक्‍चरिंग पर इन्‍सेंटिव देने की तैयारी है। कॉमर्स एंड इडस्‍ट्री मिनिस्‍ट्री ने तैयार की लिस्‍ट सरकार की तरफ से उन उत्‍पादों की लिस्‍ट तैयार की गई है जिनके घरेलू उत्‍पादन को बढ़ावा दिया जाना है। इसमें लिथियम आयन बैटरीज, ऐंटीबायोटिक्‍स, पेट्रोकेमिकल्‍स, ऑटो और मोबाइल पार्ट्स, खिलौने, स्‍पोर्ट्स गुड्स, टीवी सेट्स, सोलर इक्विपमेंट्स और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स इंटीग्रेटेड सर्किट्स शामिल हैं। इन तरीकों से रेगुलेट होता है इम्‍पोर्ट इम्‍पोर्ट को कंट्रोल करने के कई तरीके हैं। कभी कस्‍टम ड्यूटी बढ़ा दी जाती है तो कभी टेक्निकल पेंच फंसा दिए जाते हैं ताकि कुछ खास उत्‍पाद ही इम्‍पोर्ट किए जा सकें। लाइसेंसिंग एक टेक्निकल तरीका है। इससे चुनिंदा देशों से इम्‍पोर्ट को मंजूरी दी जा सकती है। साथ ही तय पोर्ट्स से सामान की एंट्री पर माल की निगरानी में मदद मिलती है।
लद्दाख बॉर्डर: पैंगोंग त्‍सो के पास चीनी सैनिकों की 'नक्‍शेबाजी', जमीन पर उकेरा बड़ा सा मैपबॉर्डर पर तनाव दूर करने में चीन की दिलचस्‍पी कम ही लगती है। हालिया सैटेलाइट तस्‍वीरें तो यही जाहिर करती हैं। पैंगोंग त्‍सो जहां पर चीनी सेनाओं ने घुसपैठ की है, वहां अब वे अपने कब्‍जे को जाहिर करने के नई तरकीबें लगा रहे हैं। ताजा तस्‍वीरें दिखाती हैं कि चीन ने पैंगोंग त्‍सो में फिंगर 4 और 5 के बीच अपने देश का बड़ा सा मैप उकेरा है। पास ही में एक निशान भी बनाया गया है जो सैटेलाइट ने कैप्‍चर किया है। हैरानी की बात ये है क‍ि चीन ये सारी हरकतें तब कर रहा है जब उसने एक तरफ बातचीत का स्‍वांग रचा हुआ है। पैंगोंग त्‍सो के नजदीक स्थित चुशूल में ही भारत और चीन को कॉर्प्‍स कमांडर्स की मीटिंग हो रही है। फिंगर 4 से 8 पर चीन का कब्‍जा झील के किनारे पर मौजूद पहाड़‍ियों को फिंगर्स कहते हैं। भारत के मुताबिक, फिंगर 1 से 8 तक पैट्रोलिंग का अधिकार उसके पास है जबकि चीन फिंगर 4 तक अपना इलाका मानता है। फिंगर 4 के पास दोनों सेनाएं कई बार भिड़ चुकी हैं। इस वक्‍त चीनी सेनाएं फिंगर 4 पर मौजूद हैं और उन्‍होंने पीछे अच्‍छी-खासी स्‍ट्रेन्‍थ तैयार कर ली है। चीन ने झील के पास बना लिया है बेस PlanetLabs की सैटेलाइट तस्‍वीरें दिखाती हैं कि चीन ने न सिर्फ झील के किनारों, बल्कि 8 किलोमीटर दूर स्थित रिजलाइन के पास भी अच्‍छी-खासी फोर्स जमा कर रखी है। टेंट, हट और कई तरह के शेल्‍टर डिटेक्‍ट किए गए हैं। फिंगर 4 से 8 के बीच कई जगह चीनी पोस्‍ट्स सैटेलाइट तस्‍वीरों में कैप्‍चर हुई हैं। सैटेलाइट तस्‍वीरें खोल रहीं चीन की पोल रोज सामने आ रहीं सैटेलाइट तस्‍वीरें चीन का मूवमेंट दिखाती हैं। फिंगर 5 (बाईं तरफ) आप साफ देख सकते हैं कि चीन ने कितने बड़े पैमाने पर कंस्‍ट्रक्‍शन किया है। फिंगर 4 के किनारे पर भी चीनी कंस्‍ट्रक्‍शन नजर आ रहा है। धीरे-धीरे चीन ने झील पर बढ़ाए सैनिक पैंगोंग त्‍सो में चीन की मौजूदगी छोटे-छोटे समूहों में बढ़ती जा रही है। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट Detresfa के मुताबिक, झील से 19 किमी दक्षिण में चीन की सपोर्ट पोजिशन दिख भी रही है। भारत का रुख है एकदम साफ भारत ने मिलिट्री लेवल मीटिंग्‍स और डिप्‍लोमेटिक स्‍तर पर साफ कह दिया है कि LAC में जैसी स्थिति 5 मई के पहले थी, वैसे ही होनी चाहिए।
ै नई दिल्ली भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच फ्रांस ने भारत की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पर्ले ने कहा गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में शहीद हुए भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ से मिलने की इच्छा जताई है। उन्होंने सोमवार को रक्षा मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है कि वह दोनों के बीच जारी बातचीत पूरी करने को इच्छुक हैं। पर्ले ने कहा कि भारत और फ्रांस अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने लिखा कि राजनाथ सिंह के निमंत्रण पर वह उनसे मिलने को तैयार हैं और बाकी की बची बातचीत को पूरी करना चाहती हैं। उन्होंने अपने पत्र में गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने लिखा, 'यह जवानों, उनके परिवारवालों और देश के लिए एक झटका है। इस मुश्किल घड़ी में मैं दोस्त भारत के प्रति फ्रांस सेना की तरफ से दोस्ती प्रकट करती हूं। मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप मेरी श्रद्धांजलि पूरी भारतीय सेना और शहीदों के परिवारवालों को दें।' बता दें कि भारत फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने का सौदा कर चुका है। 27 जुलाई को अंबाला एयरबेस में भारत को 6 राफेल विमान मिलने वाले हैं। बता दें कि पहले केवल 4 लड़ाकू विमान ही आने वाले थे लेकिन अब फुली लोडेड 6 राफेल आएंगे। भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के बीच यह काफी अहम माना जा रहा है।
पेइचिंग लद्दाख में सख्ती से चीन के साथ पेश आ रहे भारत ने अब उसे सामरिक के साथ आर्थिक मोर्चे पर घेरते हुए देश में 59 चीनी ऐप पर बैन लगा दिया है और गूगल को अपने प्ले स्टोर से उस सभी ऐप को हटाने का आदेश भी दे दिया है। भारत की इस कार्रवाई से चीन घबरा गया है और इसपर दुख जताते हुए स्थिति पर नजर रखने की बात करने लगा है। अभीतक गलवान में हेकड़ी दिखा रहे चीन भारत के इस ऐक्शन के बाद अब अंतरराष्ट्रीय कानून की दुहाई देने लगा है। लिखें भारत के ऐक्शन बाद चीन को हुई चिंता चीन के विदेश मंत्री के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने भारत के चीनी ऐप्स पर बैन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'चीन को काफी चिंता है और वह स्थिति की समीक्षा कर रहा है।' बता दें कि दोनों देशों के बीच लद्दाख में एक महीने से ज्यादा वक्त से तनाव चल रहा है। गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन के 40 जवान मारे गए थे। ड्रैगन को अब याद आया अंतरराष्ट्रीय कानून उन्होंने कहा, 'हम कहना चाहते हैं कि चीनी सरकार हमेशा से अपने कारोबारियों को अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय नियमों को पालन करने को कहती रही है। भारत सरकार को चीनी समेत सभी अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के कानूनी अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।' भारत ने कल 59 ऐप पर लगाया था बैन बता दें कि भारत सरकार ने सोमवार को 50 से ज्यादा चाइनीज ऐप्स को बैन करने का बड़ा फैसला लिया था। बैन किए गए ऐप्स की लिस्ट में ढेरों पॉप्युलर ऐप्स शामिल हैं और TikTok, UC Browser और ShareIt जैसे नाम हैं। ऐप्स को बैन किए जाने की वजह इनका चाइनीज होना ही नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा और एकता को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम मानते हुए ऐसा किया गया है। करीब 59 ऐप्स को जल्द ही गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर से हटा दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 4 बजे राष्‍ट्र को संबोधित करेंगे। कोरोना वायरस महामारी, भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव और 59 चीनी ऐप्‍स पर प्रतिबंध के फैसले के बीच पीएम का संबोधन हो रहा है। इसके साथ ही, 1 जुलाई ने अनलॉक 2.0 की गाइडलाइंस लागू हो रही हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री अपने संबोधन में कई पहलुओं पर बात कर सकते हैं। उन्‍होंने आखिरी बार, 12 मई को राष्‍ट्र को संबोधित किया था। तब उन्‍होंने लॉकडाउन से उबर रही अर्थव्‍यवस्‍था के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के वित्‍तीय पैकेज की घोषणा की थी। रविवार को 'मन की बात' में पीएम मोदी ने लद्दाख में तनाव से लेकर कोविड-19 तक का जिक्र किया था। आज शाम के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी से कुछ बड़े ऐलानों की उम्‍मीद है। अनलॉक 2.0 की गाइडलाइंस समझाएंगे पीएम अनलॉक 2.0 की गाइडलाइंस एक जुलाई से लागू हो रही हैं। गृह मंत्रालय ने पॉइंट-वाइज गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री कुछ गतिविधियों की छूट अब भी न दिए जाने की वजह बता सकते हैं। इसके अलावा, किन बातों को ध्‍यान में रखकर गाइडलाइंस तैयार की गई हैं, उनका मकसद क्‍या है, इस बारे में भी प्रधानमंत्री बता सकते हैं। कोरोना पर नागरिकों को देंगे सीख कोरोना वायरस के दौर में प्रधानमंत्री मोदी जब-जब लोगों से मुखातिब हुए हैं, उन्‍होंने सोशल डिस्‍टेंसिंग और मास्‍क का महत्‍व समझाया है। देश में जिस तरह संक्रमण के मामले बढ़े हैं, उसे देखते हुए प्रधानमंत्री एक बार फिर से जनता को समझा सकते हैं कि वैक्‍सीन न मिलने तक सावधानी ही कोरोना से बचने का उपाय है। चीनी ऐप्‍स के बैन पर बोलेंगे पीएम? केंद्र सरकार ने 59 चीनी ऐप्‍स को बैन करने का जो फैसला किया है, प्रधानमंत्री उसपर बोल सकते हैं। रविवार को 'मन की बात' में भी प्रधानमंत्री ने सीमा पर जारी तनाव का जिक्र किया था और कहा था कि भारत मां पर नजर डालने वालों को जवाब दे दिया गया है। चीनी ऐप्‍स को बैन करने के बाद का रास्‍ता क्‍या है, पीएम मोदी इसपर अपनी राय सामने रख सकते हैं। बच्‍चों से खासतौर से मुखातिब होंगे पीएम! लॉकडाउन की वजह से घरों में कैद बच्‍चों से पीएम मोदी सीधे मुखातिब हो सकते हैं। जुलाई वह महीना होता है जब अधिकतर स्‍कूल गर्मी की छुट्टियों के बाद खुलते हैं। फिलहाल एजुकेशन इंस्‍टीट्यूट्स बंद हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी बच्‍चों को घर से ही पढ़ाई के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ऑनलाइन क्‍लासेज का महत्‍व समझा सकते हैं, इस दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी दे सकते हैं। एयर ट्रेवल, रेल सेवाओं की बहाली पर बोलेंगे पीएम? सरकार ने घरेलू उड़ानों की परमिशन दे रखी है मगर इंटरनैशनल फ्लाइट्स अभी सिर्फ 'वंदे भारत मिशन' के तहत ही चलाई जाएंगी। इसके अलावा ट्रेनों को भी बंद रखने के निर्देश हैं। पीएम मोदी अपने संबोधन में अनलॉक 2.0 के दौरान यातायात के इन दो अहम साधनों को सीमित रखने के बारे में बता सकते हैं। सभी सेवाओं को कब तक खोलने की योजना है, पीएम इस बारे में भी जानकारी दे सकते हैं। चीन के लिए आ सकता है साफ संदेश राष्‍ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम मोदी चीन के साथ जारी तनाव पर बात कर सकते हैं। वह साफ कर चुके हैं कि भारत किसी भी घुसपैठ का मुंहतोड़ जवाब देगा और इसके लिए सेना को खुली छूट दी गई है। वह वर्तमान हालात पर देश को अपडेट भी दे सकते हैं। इसके अलावा, सरकार ने चीनी प्रभुत्‍व को कम करने के लिए क्‍या-क्‍या कदम उठाए हैं, उसकी भी जानकारी प्रधानमंत्री से मिल सकती है। 'आत्‍मनिर्भर' बनने की सीख दे सकते हैं पीएम चीन के साथ जारी तनाव के मद्देनजर भारत में चीनी उत्‍पादों के बायकॉट की मांग तेज हो रही है। प्रधानमंत्री सीधे तो चीनी बायकॉट की बात नहीं करेंगे मगर वह इशारों में जनता से 'आत्‍मनिर्भर' होने की अपील कर सकते हैं। वह ऐसा पहले भी कह चुके हैं कि हमें दूसरे देशों पर निर्भरता कम करनी चाहिए। वह देश में मैनुफैक्‍चरिंग को बढ़ावा देने के पक्ष में हैं और इस दिशा में किसी योजना की घोषणा भी कर सकते हैं। युवाओं से खास अपील करेंगे पीएम चीनी ऐप्‍स बंद करने का बड़ा असर भारतीय युवाओं पर होगा जो इन्‍हें खूब यूज करते थे। प्रधानमंत्री सीधे इन्‍हीं युवाओं को संबोधित करते हुए फैसले के पीछे की वजह समझा सकते हैं। इसके अलावा, वह युवा टेक्‍नोक्रेट्स से अपील भी कर सकते हैं कि भारतीय ऐप्‍स डेवलप करें ताकि दूसरे देशों से जासूसी का खतरा न रहे। वह पहले भी युवाओं से 'आत्‍मनिर्भर' बनने की अपील कर चुके हैं। आरोग्‍य सेतु को फिर कर सकते हैं प्रमोट कोरोना मरीजों के कॉन्‍टैक्‍ट ट्रेसिंग के लिए बनाई गई ऐप 'आरोग्‍य सेतु' के यूजर्स की संख्‍या तेजी से बढ़ी है। यह ऐप यूजर्स को कोविड-19 के रिस्‍क की जानकारी देती है। सरकार के लिए इस ऐप का डेटा कॉन्‍टैक्‍ट ट्रेसिंग में बड़े काम आता है। अभी बहुत से भारतीयों के स्‍मार्टफोन में यह ऐप नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री एक बार फिर लोगों से इस ऐप को डाउनलोड कर इस्‍तेमाल करने की अपील कर सकते हैं। ​अबतक क्‍या बोलते आए हैं पीएम मोदी मुख्‍यमंत्रियों संग अपनी हालिया बातचीत में पीएम मोदी ने उनसे अनलॉक 2 के बारे में सोचने को कहा था। 'मन की बात' में वह जनता से सावधान रहने की अपील कर चुके हैं। कोरोना महामारी फैलने के बाद, पीएम मोदी ने 19 मार्च को देश की जनता के सामने आए थे। तब उन्‍होंने 22 मार्च को 'जनता कर्फ्यू' का ऐलान किया था। इसके बाद, 24 मार्च को उन्‍होंने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की। फिर 14 अप्रैल को 3 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान भी पीएम ने ही किया। 3 अप्रैल को एक वीडियो मैसेज में कोरोना वॉरियर्स के लिए दीये जलाने की अपील की।
मीटिंग नई दिल्ली ईस्टर्न लद्दाख (Eastern Ladakh) में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (Line Of Actual Control) पर गतिरोध खत्म करने और तनाव दूर करने के लिए एक बार फिर भारत और चीन की सेना (India China) के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग होगी। चुशूल में होगी मीटिंग सूत्रों के मुताबिक इस बार मीटिंग चुशूल में होगी। यह भारत की तरफ बना बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग (बीपीएम) पॉइंट है। भारत की तरफ मीटिंग होने का यह मतलब है कि मीटिंग की पहल भारत की तरफ से की गई है और भारत ने मीटिंग बुलाई है। इससे पहले दो बार कोर कमांडर स्तर की मीटिंग हो चुकी हैं। दोनों बार मीटिग चुशूल के सामने मॉल्डो में हुई। मॉल्डो चीन की तरफ है। बातचीत के बाद भी गतिरोध खत्म नहीं 22 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में दोनों पक्षों ने तय किया था कि गतिरोध खत्म किया जाएगा और धीरे धीरे सैनिकों को एलएसी से पीछे किया जाएगा। इस पर कैसे आगे बढ़ना है इस पर फिर बातचीत करने की सहमति बनी थी। लेकिन इसके बाद एक हफ्ता गुजर गया लेकिन एलएसी पर हालात बदले नहीं। बल्कि इस बातचीत के बाद भी चीन की तरफ से सैनिकों की संख्या बढ़ाई जाती रही और पैंगोंग एरिया में फिंगर- 4 से फिंगर-8 के बीच चीनी सेना निर्माण काम भी करती रही। चीन ने किया दावा चीन गतिरोध खत्म करने के बजाय लगातार गलवान वैली पर अपना दावा जताता रहा। चीन ने डेपसांग प्लेन्स में भी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी और सैन्य साजो सामान का जमावड़ा लगा दिया। भारत ने भी पूरे एलएसी में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाई है। सूत्रों के मुताबिक चीन फिंगर-4 से पीछे हटने को तैयार नहीं है। भारत की ओर से कड़ा संदेश भारत की तरफ से भी कड़ा संदेश दिया गया कि गतिरोध खत्म करने की जिम्मेदारी चीन पर है क्योंकि चीन ने ही इसकी शुरूआत की। चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना की पट्रोलिंग में बाधा पैदा की और एलएसी पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की। भारत की तरफ से यह भी साफ किया गया है कि भारत अपने इलाके में निर्माण काम जारी रखेगा और चीन को इस पर आपत्ति जताने का कोई हक नहीं है। अमित शाह की बैठक केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठक में इन तीन मंत्रियों के बीच हुई चर्चा के विषयों के बारे में तत्काल पता नहीं चल सका है। लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच चल रहे गतिरोध के बीच यह बैठक हुई है।
नई दिल्ली, 29 जून 2020, सरकार ने लोकप्रिय चीनी ऐप टिकटॉक समेत 59 चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन चीनी ऐप से निजता की सुरक्षा का मामला माना जा रहा है. टिकटॉक के अलावा जिन अन्य लोकप्रिय ऐप को बैन का सामना करना पड़ा है उनमें शेयरइट, हैलो, यूसी ब्राउजर, लाइकी और वीचैट समेत कुल 59 ऐप भी शामिल हैं. सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, सरकार उन 59 मोबाइल ऐप पर बैन लगा दिया जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण थे. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 69 ए के तहत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत इसे लागू करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने (प्रोसिजर एंड सेफगार्ड्स फॉर ब्लॉकिंग ऑफ एक्सेस ऑफ इंफॉरमेशन बाई पब्लिक) नियम 2009 और खतरों की आकस्मिक प्रकृति को देखते हुए 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार के अनुसार इन 59 ऐप्स को ब्लॉक करने का फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि उपलब्ध जानकारी के मद्देनजर वे उन गतिविधियों में लगे हुए हैं जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण हैं. सरकार की ओर से कहा गया कि डेटा सुरक्षा से जुड़े पहलुओं और 130 करोड़ भारतीयों की गोपनीयता की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं. हाल ही में यह ध्यान दिया गया है कि इस तरह की चिंताओं से हमारे देश की संप्रभुता और सुरक्षा को भी खतरा है. सरकार ने जिन ऐप पर लगाई पाबंदी 1. TikTok 2. Shareit 3. Kwai 4. UC Browser 5. Baidu map 6. Shein 7. Clash of Kings 8. DU battery saver 9. Helo 10. Likee 11. YouCam makeup 12. Mi Community 13. CM Browers 14. Virus Cleaner 15. APUS Browser 16. ROMWE 17. Club Factory 18. Newsdog 19. Beutry Plus 20. WeChat 21. UC News 22. QQ Mail 23. Weibo 24. Xender 25. QQ Music 26. QQ Newsfeed 27. Bigo Live 28. SelfieCity 29. Mail Master 30. Parallel Space 31. Mi Video Call – Xiaomi 32. WeSync 33. ES File Explorer 34. Viva Video – QU Video Inc 35. Meitu 36. Vigo Video 37. New Video Status 38. DU Recorder 39. Vault- Hide 40. Cache Cleaner DU App studio 41. DU Cleaner 42. DU Browser 43. Hago Play With New Friends 44. Cam Scanner 45. Clean Master – Cheetah Mobile 46. Wonder Camera 47. Photo Wonder 48. QQ Player 49. We Meet 50. Sweet Selfie 51. Baidu Translate 52. Vmate 53. QQ International 54. QQ Security Center 55. QQ Launcher 56. U Video 57. V fly Status Video 58. Mobile Legends 59. DU Privacy
भारत का 'अग्निबाण', जिसमें है चीन को मिनटों में उड़ाने की ताकतभारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पैदा हुई तनावपूर्ण स्थिति ने अब नया मोड़ ले लिया है। चीन के फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर्स की सीमा पर ऐक्टविटी तेज होने के बाद इंडियन आर्मी ने भी अपने सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को यहां तैनात कर दिया है। सेना ने अपनी 'आकाश' मिसाइलें भी यहां भेज दी हैं जो किसी भी तेज रफ्तार एयरक्राफ्ट या ड्रोन को सेकेंड्स में खाक कर सकती हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, अमेरिका भी चीन के मंसूबों को समझ चुका है और उसने यूरोप से अपनी सेना हटाकर एशिया में तैनाती शुरू कर दी है। ऐसे हालात में भले ही ड्रैगन शक्ति प्रदर्शन करते हुए भारत समेत पूरी दुनिया को डराने की कोशिश कर रहा हो, भारत के पास कुछ ऐसे हथियार हैं जिनसे मिनटों में ही चीन को धूल चटाई जा सकती है। ...तो चीन के शहर आएंगे जद में भारत का सबसे खतरनाक हथियार न्यूक्लियर डिटरेंट अग्नि-5 मिसाइल सिस्टम। 5,000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाला ये मिसाइल सिस्टम परमाणु हथियार ले जा सकता है। अग्नि 5 कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी मारक क्षमता के दायरे में पूरा चीन आता है। यानी अगर भारत ने अग्नि-5 का इस्तेमाल किया तो चीन के किसी भी इलाके को टार्गेट किया जा सकता है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिसाइल से पेइचिंग, शंघाई, गुआंगझाऊ और हॉन्ग कॉन्ग जैसे शहरों को निशाना बनाया जा सकता है। चीन के ये शहर राजनीतिक और औद्योगिक नजरिए से बेहद खास हैं और अग्नि-5 समेत भारत की मिसालों अगर लद्दाख या गुवाहाटी से पूर्वोतर इलाके से दागी गईं तो ये पूरी तरह से तबाह हो सकते हैं। ​अग्नि-5 अग्नि-5 की ही बात करें तो इसका पहला टेस्ट 2012 में किया गया था और पूरी अग्नि सीरीज में यह सबसे आधुनिक हथियार है जिसमें नेविगेशन के लिए मॉडर्न टेक्नॉलजीज हैं और परमाणु हथियार ले जाने की इसकी क्षमता दूसरी मिसाइल प्रणालियों से कहीं ज्यादा बेहतर है। इस समय अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और नॉर्थ कोरिया के पास ही इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स हैं। अग्नि-1 अग्नि सीरीज की इससे पहले की मिसाइल्स में से अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल 700-1200 किलोमीटर की दूरी तक अपने लक्ष्य को भेद सकती है। इसे 2004 में सबसे पहले सेवा में लाया गया था। जमीन से जमीन पर वार करने वाली इस सिंगल-स्टेज मिसाइल को सॉलिड प्रॉपलैंट्स से बनाया गया है और यह एक टन पेलोड ले जा सकती है। इसके पेलोड अगर घटा दिया जाए तो इसकी रेंज को बढ़ाया जा सकता है। अग्नि-2 2,000 किलोमीटर तक की रेंज में सर्फेस टु सर्फेस दुश्मन को मार गिराने में ताकत रखने वाली अग्नि-2 बलिस्टिक मिसाइल भी न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम है। खास बात यह है कि इस मिसाइल की रेंज को जरूरत पड़ने पर 3,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। यह मिसाइल भी चीन के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों को अपनी जद में ले सकती है। 20 मीटर लंबी दो लेवल की बैलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपण वजन 17 टन है और यह 2000 किलोमीटर की दूरी तक 1000 किलोग्राम का पेलोड लेकर जा सकती है। यही नहीं, यह मिसाइल आधुनिक सटीक नौवहन सिस्टम से लैस है। ​अग्नि-3 मिसाइल मध्यम दूरी तक मार करने वाली है और इसकी मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है। इसकी लंबाई 17 मीटर, व्यास 2 मीटर और वजन करीब 50 टन है। इसमें 2 स्टेज का propellent सिस्टम है और यह 1.5 टन के हथियार को ले जाने में सक्षम है। अग्नि-3 मिसाइल हाइब्रिड नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम से लैस है। इसके अलावा इस पर अत्याधुनिक कंप्यूटर भी सेट है। अग्नि 4 परमाणु क्षमता से लैस अग्नि-4 भी स्रफेस टु सर्फेस 4000 किमी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल में उड़ान में किसी गड़बड़ी को खुद ही सही करने के काबिल है और नैविगेशन सिस्टम से भी लैस है। अडवांस्ट एवि‍योनिक्स, फिफ्थ जनरेशन ऑनबोर्ड कंप्यूटर और डिस्ट्रिब्यूटेड आर्किटेक्चर टेक्नीक का भी इस्तेमाल किया गया है।
नई दिल्ली, 29 जून 2020, केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने चीन की धोखेबाजी पर बड़ा बयान दिया है. वीके सिंह ने बताया कि गलवान घाटी में 15 जून की रात कैसे खूनी झड़प हुई? कैसे चीन ने चालबाजी की, लेकिन ये दाव चीन को उल्टा पड़ गया. वीके सिंह ने कहा कि हमारे जवान चीनी सेना के पोजिशन देखने गए थे. पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि 15 जून की शाम को हमारे कमांडिंग अफसर गलवान वैली में देखने गए थे कि चीन के लोग वापस गए या नहीं. कमांडिंग अफसर ने देखा कि चीन के लोग वापस नहीं गए हैं. वो पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 के नजदीक ही दिखाई दे रहे हैं. हमसे इजाजत लेकर चीनी सेना ने वहां तंबू लगया था. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के मुताबिक, चीनी सेना ने तंबू भारतीय सेना से इजाजत लेकर लगाया था, ताकि वो देख सके कि हम पीछे गए या नहीं. 15 जून की शाम को चीनी सेना ने यह तंबू नहीं हटाया था. इस दौरान दोनों सेनाओं के बीच कहासुनी हुई. हमारे कमांडिंग अफसर ने तंबू हटाने का आदेश दिया. चीनी सैनिक जब तंबू हटा रहे थे, तभी आग लग गई. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि चीनी सेना के तंबू में आग लगने के कारण झड़प हो गई. इस झड़प के दौरान हमारे लोग चीनी सेना के उपर हावी हो गए. चीन ने अपने और लोग बुलाए और हमारे लोगों ने भी अपने और लोग बुलाए. चीन के लोग जल्दी आ गए, फिर हमारे लोग आए. अंधेरे में 500 से 600 लोगों के बीच झड़प हुई. पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने कहा कि चीन के लोग सोचकर आए थे कि भारतीय सेना पर हावी हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पहले हमारे तीन लोग हताहत हुए थे. फिर हमारे और चीनी सैनिक नदी में गिर गए थे. चोट और नदी में गिर जाने के कारण हमारे और 17 जवान शहीद हो गए. 70 के करीब घायल हो गए थे. चीन पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि चीन कभी नहीं बताएगा कि कितने लोग हताहत हुए. कितने लोग मरे या नहीं मरे. जिस तरीके से हमारे लोगों ने चीनी सैनिकों को जवाब दिया था, उससे लगता है कि शुरू में 40 से अधिक चीनी सैनिकों के हताहत की जो संख्या आई थी, वह संख्या सही थी. उससे ज्यादा हो सकते हैं. मौजूदा हालात के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि अभी भी चीन के सैनिक पीपी-14 के उस तरफ हैं और हमारे सैनिक भी इस तरफ हैं. दोनों ओर से तैनाती है. हमारी सेना की कोशिश है कि चीन के आगे नहीं आने देना है और श्योक के साथ-साथ की सड़क पर उनकी नजर न पड़ने देना है. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि चीन की एक खासियत रही है कि वह हमेशा अपने क्लेम लाइन को आगे बढ़ा-चढ़ाकर बताता है. उनके प्रधानमंत्री ने 1959 में हमारे प्रधानमंत्री को एक नक्शा दिया था. इस नक्शे को आप जमीन पर उतारने की कोशिश करेंगे तो दिक्कत होती है. पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने कहा कि गर्मियों के मौके पर जब पेट्रोलिंग ज्यादा होती है तो दोनों देश की सेनाएं कई बार आमने-सामने आती रहती हैं. पिछले 5-6 साल से धक्कामुक्की शुरू हो गई है. वह कहते हैं कि हमको आगे जाना है तो हमारे लोग रोकते हैं. चीन हमेशा धक्का-मुक्की करता रहता है.
नई दिल्ली, 29 जून 2020,केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने चीन की धोखेबाजी पर बड़ा खुलासा किया है. वीके सिंह ने बताया कि कैसे गलवान घाटी में कैसे झड़प हुई. गलवान में 15 जून की रात क्या हुआ था. इसके साथ वीके सिंह ने कहा कि यह 1962 का भारत नहीं है. मौजूदा राजनीतिक नेतृ्त्व हर विकल्प के लिए तैयार है. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि चीन की हमेशा से खासियत रही है कि वो अपने क्लेम लाइन को आगे बढ़ा-चढ़ाकर बताता है. उनके प्रधानमंत्री ने 1959 में हमारे प्रधानमंत्री को जो नक्शा दिया था, उस नक्शे पर उन्होंने क्लेम लाइन मार्क कर रखी थी. नक्शे को जमीन पर उतारेंगे तो कहीं न कहीं गड़बड़ है, जिसका वो फायदा उठाते हैं. पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह ने कहा कि दोनों देश की सेनाएं अपने क्लेम लाइन तक जाने की कोशिश करती हैं, इसलिए गर्मियों के मौसम में पेट्रोल आमने-सामने आते हैं. झड़प नहीं होता था, लेकिन आमने-सामने आ जाते थे. पिछले 5-6 साल से धक्का-मुक्की शुरू हो गई है. वह चाहते हैं कि हमें अपने क्लेम लाइन तक जाना है. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि चीनी सेना क्लेम लाइन तक आकर फोटो खींचती है और दिखाती है कि यह हमारा इलाका है. यह चीनी सेना के काम करने का तरीका है. चीन ने तीन साल पहले अपने कमांड सेक्टर को रि-ऑर्गनाइज किया है. पहले उनकी सात कमांड होती थी, अब वेस्टर्न थियेटर कमांड बना दिया है. चीनी सेना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि वेस्टर्न थियेटर कमांड के जनरल चीनी राष्ट्रपति शी जिपनिंग के इलाके से हैं और उनका सेना में बहुत बड़ा नाम है. लोगों का मानना था कि उनकी बड़ी पदोन्नति होगी. पदोन्नति के लिए जरनल ने कुछ ऐसा करके दिखाने की कोशिश की, जिससे चीन के लोगों को लगे कि यह बड़ा अच्छा जनरल है. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि सीमा विवाद के पीछे एक आदमी की महत्वकाक्षाएं हैं. कोई भी देश युद्ध नहीं चाहता है. चाहे वह चीन हो या भारत. चीन ने देख लिया है कि 1962 वाली भारतीय सेना नहीं है, जो लोग छोड़कर भाग जाएंगे. आज नेतृत्व उस तरह का नहीं है. आज हमारे जवानों के पास सभी संसाधन है. वीके सिंह ने कहा कि 1962 में अगर हमने एअरफोर्स का इस्तेमाल किया होता तो आज नतीजा कुछ और होता, लेकिन उस समय का राजनीति नेतृत्व कुछ और सोचता था, लेकिन आज हमारे पास जो राजनीतिक नेतृत्व है, अगर जरूरत पड़ी तो सभी तरह से विकल्प के लिए तैयार है.
नई दिल्ली, 29 जून 2020, कराची स्थित पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर हमले की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली है. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के माजिद बिग्रेड ने आतंकी हमले को अंजाम दिया. उसका कहना है कि सभी आतंकी सुसाइड बॉम्बर थे. कराची पुलिस और रेंजर्स ने चारों आतंकियों को मार गिराया है. सोमवार को कराची स्थित पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर आतंकी हमला हुआ. चार आतंकी पार्किंग एरिया में फायरिंग करते हुए और उन्हें मेन गेट पर ग्रेनेड हमला किया. इस दौरान सुरक्षाबलों से संघर्ष में दो आतंकी मारे गए. कुछ देर बाद बाकी बचे दोनों आतंकियों को भी कराची पुलिस और पाकिस्तानी रेंजर्स ने मार गिराया. हालांकि, आतंकियों की फायरिंग के दौरान 6 लोगों के मारे जाने की खबर है. इसमें चार गार्ड और एक पुलिसकर्मी शामिल है. कराची पुलिस ने पूरी इमारत को खाली करा लिया है और आस-पास के इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. पाकिस्तानी पुलिस के द्वारा पास के रेलवे कॉलोनी में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. सिंध प्रांत की राजधानी कराची में आतंकी हमला होना एक बड़ी खबर है, क्योंकि इसे पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. कराची पुलिस की ओर से सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और कार मालिक की तलाश की जा रही है. इस बीच बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने हमले की जिम्मेदारी ले ली है. हाल के दिनों में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है. यह आतंकी संगठन बलूचिस्तान की पाकिस्तानी से आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहा है. यह आतंकी संगठन 2000 में उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब इसने पाकिस्तान में सिलसिलेवार धमाके किए थे.
नई दिल्ली, 29 जून 2020,लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव के बीच भारत के लिए अच्छी खबर है. भारतीय वायुसेना को राफेल लड़ाकू विमान की पहली खेप 27 जुलाई को मिलेगी. बताया जा रहा है कि 4 से 6 राफेल विमान अंबाला एयरबेस पर पहुंच जाएंगे. गेमचेंजर हथियारों की डिलिवरी का सिलसिला शुरू हो गया है. Scalp और Meteor मिसाइल की डिलिवरी शुरू हो गई है. भारतीय वायुसेना की गोल्डन एरो स्क्वाड्रन अगस्त में राफेल विमानों के साथ मोर्चा संभाल लेगी. बताया जा रहा है कि फ्रांस से भारतीय पायलट राफेल को भारत ला रहे हैं. राफेल विमानों को भारत लाने के लिए वन स्टॉप का इस्तेमाल किया जा रहा है. यानी फ्रांस से उड़ान भरने के बाद यूएई के अल डाफरा एयरबेस पर राफेल विमान उतरेंगे. यहां पर फ्यूल से लेकर बाकी सभी टेक्निकल चेकअप के बाद राफेल विमान सीधे भारत के लिए उड़ान भरेंगे. वह सीधे अंबाला एयरबेस पर आएंगे. सभी 36 राफेल विमानों की डिलिवरी 2022 में हो जाएगी. राफेल विमान का पहला स्क्वाड्रन अंबाला में तैनात होगा, जबकि दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हसीमारा में तैनात किया जाएगा. माना जा रहा था कि कोरोना संकट के कारण राफेल विमानों की डिलिवरी देरी से होगी, लेकिन फ्रांस ने टाइम पर डिलिवरी देने का फैसला किया था. इस बाबत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2 जून को फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले से बात की थी. इस दौरान फ्रांस की ओर से भरोसा दिया गया था कि भारत को मिलने वाले राफेल लड़ाकू विमान की डिलीवरी वक्त पर होगी, कोरोना महासंकट का असर इस पर नहीं पड़ेगा.
श्रीनगर एक ऑडियो मेसेज जारी करके कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने हुरियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। छोटे से ऑडियो मेसेज में गिलानी ने कहा है कि उन्होंने अपने फैसले के बारे में सभी तो बता दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि हुर्रियत के मौजूदा हालात को देखते हुए उन्होंने यह फैसला किया है। ऑडियो मैसेज में गिलानी ने कहा, 'हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंने हर तरह से अलग होने का फैसला किया है। फैसले के बारे में हुर्रियत के सारे लोगों को चिट्ठी लिखकर कर सूचना दे दी गई है।' 90 साल के अलगाववादी नेता गिलानी की सेहत भी पिछले दिनों से ठीक नहीं है। वह इसी साल फरवरी में अस्पताल में भर्ती हुए थे। कई बार उनकी सेहत को लेकर अफवाहें भी उड़ीं। पिछले साल वायरल हुआ था वीडियो पिछले साल गिलानी का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें वह 'हम पाकिस्तानी हैं और पाकिस्तान हमारा है' कहते सुने जा रहे थे। यह वीडियो गिलानी के नाम से ही मौजूद एक गैर-वेरिफायड ट्विटर अकाउंट से मई में शेयर किया गया था। क्या है हुर्रियत कॉन्फ्रेंस बात करें हुर्रियत की तो 9 मार्च 1993 को 26 अलगाववादी संगठनों ने मिलकर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसके पहले चेयरमेन बने मीरवाइज मौलवी उमर फारुक। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में 6 सदस्यीय कार्यकारी समिति भी बनाई गई थी। इस समिति का फैसला अंतिम माना जाता रहा है। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी ने मतभेदाें के चलते 7 अगस्त 2004 काे अपने समर्थकाें के साथ हुर्रियत का नया गुट बनाया था। इसके साथ ही हुर्रियत दो गुटाें में बंट गई। गिलानी के नेतृत्व वाली हुर्रियत को कटटरपंथी गुट और मीरवाइज मौलवी उमर फारुक की अगुआई वाले गुट को उदारवादी गुट कहा जाता रहा है।
नई दिल्ली ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भारत-चीन सेना के तनाव (India-China tension) के बीच चीन तिब्बत में अपने सैनिकों को ट्रेंड करने के लिए मार्शल आर्ट ट्रेनर ( Martial arts trainer) भेज रहा है। 15 जून से पहले भी चीन ने मार्शल आर्ट लड़ाकों को तिब्बत भेजा था। चीन इसके जरिए भले ही माइंड गेम खेलने की कोशिश कर रहा हो लेकिन भारतीय सेना में 'घातक' कमांडो पहले से तैनात हैं। भारतीय सेना के घातक कमांडो बिना हथियारों की लड़ाई में माहिर हैं और दुश्मन को आमने सामने की लड़ाई में चित कर सकते हैं। चीन ने भेजे 20 ट्रेनर चीनी मीडिया में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक चीन अपनी फोर्स को ट्रेंड करने के लिए 20 मार्शल आर्ट ट्रेनर तिब्बत भेज रहा है। 15 जून को हुई खूनी झड़प से पहले भी चीन ने तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती लड़ाकों को सेना की डिविजन में तैनात किया था। भारत और चीन के बीच 1996 में हुए समझौते के मुताबिक एलएसी से दो किलोमीटर के दायरे में न फायरिंग की जाएगी न ही किसी भी तरह के खतरनाक रसायनिक हथियार, बंदूक, विस्फोट की इजाजत होगी। इसलिए यहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 15 जून को हुई खूनी झड़प के दौरान भी दोनों तरफ से किसी ने भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया। भारत के पास हैं 'घातक' चीन भले ही मार्शल आर्ट लड़ाकों की बात कर रहा है लेकिन भारतीय सेना में घातक कमांडो पहले से मौजूद हैं। सेना की हर यूनिट में घातक कमांडो होते हैं, जो हथियारों के साथ लड़ाई के अलावा बिना हथियारों की लड़ाई में भी माहिर होते हैं। यह इस तरह ट्रेंड होते हैं कि अपने से मजबूत शरीर वाले दुश्मन को भी धूल चटा सकते हैं। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक इनकी 43 दिन की कमांडो स्कूल में ट्रेनिंग होती है। जिसमें करीब 35 किलो का भार लेकर बिना रूके 40 किलोमीटर तक दौड़ना भी शामिल है। यह ट्रेनिंग इन्हें शारीरिक तौर पर मजबूत करती है। इन्हें हर तरह के हथियारों की ट्रेनिंग के साथ ही गुत्थम गुत्था की लड़ाई के लिए भी ट्रेंड किया जाता है। यह मार्शल आर्ट में भी माहिर होते हैं। कमांडो स्कूल की ट्रेनिंग के बाद भी जब यह यूनिट में तैनात होते हैं तो वहां भी इनकी ट्रेनिंग होती है। हाई एल्टीट्यूट वाले इलाकों के लिए अलग तरह की ट्रेनिंग और रेगिस्तानी इलाकों के लिए अलग ट्रेनिंग होती है। बैकअप टीम हमेशा तैयार एक अधिकारी ने बताया कि वैसे तो एक यूनिट में घातक टीम में एक ऑफिसर, एक जेसीओ सहित करीब 22 जवान होते हैं लेकिन लगभग एक पूरी घातक टीम बैकअप में भी होती है। इस तरह एक यूनिट में हर वक्त 40-45 घातक कमांडो होते हैं। भारतीय सेना में हर इंफ्रेंट्री ऑफिसर को घातक कमांडो ट्रेनिंग करनी होती है और चुने हुए जवानों को यह ट्रेनिंग दी जाती है। हर यूनिट में हर साल 30-40 नए जवान आते हैं और फिर घातक कमांडो टीम में भी नए जवानों से कुछ को रखा जाता है। ये घातक कमांडो टीम में से जिन जवानों को रिप्लेस करते हैं, वह भी यूनिट में रहते हैं। इस तरह घातक कमांडो टीम के अलावा भी यूनिट में लगभग 50 पर्सेंट जवान ऐसे होते हैं जो इसमें माहिर होते हैं।
चीन के S-400 से खतरा, भारत को रक्षा कवच देगा इजरायल!लद्दाख में 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। दोनों देशों की सेनाओं ने एक दूसरे के खिलाफ एडवांस हथियारों को सीमाई इलाके में तैनात कर दिया है। एलएसी के पास चीनी एयरफोर्स की एक्टिविटी को देखते हुए भारत ने स्वदेशी आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम की भी तैनाती कर दी है। भारत ने साफ संदेश दिया है कि अगर चीनी लड़ाकू विमानों ने भारतीय एयरस्पेस में घुसने की कोशिश की तो उन्हें तुरंत मार गिराया जाएगा। वहीं, एक बड़ी खबर आ रही है कि संकट के इस समय में भारत अपने पुराने दोस्त इजरायल एक एयर डिफेंस सिस्टम खरीद सकता है। बराक-8 LRSM को खरीदने की तैयारी में भारत चीन की हर हरकत का माकूल जवाब देने के लिए भारत इजरायल से बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के खरीद के लिए बातचीत कर रहा है। बता दें कि दोनों देशों के बीच इस मिसाइल के नेवी वर्जन को खरीदने के लिए साल 2018 में एक डील की गई थी। हाल के दिनों में देश पर दुश्मनों की नापाक नजर को देखते हुए इसके जमीनी एयर लॉन्च वर्जन को भी खरीदने की प्रक्रिया को तेज किया गया है। इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने 2018 में यह जानकारी दी थी कि भारत से उसने 777 मिलियन डॉलर (करीब 5687 करोड़ रुपये) की बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील की है। क्या होता है LRSM बराक-8 मिसाइल एलआरएसएएम श्रेणी के तहत काम करता है। दरअसल मिसाइल कई श्रेणियों में आती हैं जैसे कुछ जमीन या सतह से हवा में मार करने वाली तो कोई हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल होती हैं। इसके अलावा इनमें लंबी दूरी, मध्यम दूरी और छोटी दूरी की मिसाइल होती हैं। यह जो मिसाइल है वह लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। एलआरएसएएम का पूरा नाम लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (Long range surface to air missile-LRSAM) है। 2018 में हुई इस डील में सरकारी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड मुख्य कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर काम करेगी। चीन के लिए 'काल' बनेगी यह मिसाइल बराक-8 लंबी दूरी का सर्फेस टु एयर मिसाइल सिस्टम हैं। हथियारों और तकनीकी अवसंरचना, एल्टा सिस्टम्स और अन्य चीजो के विकास के लिए इजरायल का प्रशासन जिम्मेदार होगा। जबकि भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) मिसाइलों का उत्पादन करेगी। यह जहाजों के लिए एक सुरक्षित वाहक और लॉन्च मिसाइल है और इसे लंबवत रूप से लॉन्च किया जा सकता है। चीन की हिंद महासागर में बढ़ती सक्रियता के मद्देजनजर यह बराक-8 भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। बराक-8 ही क्यों खरीद रहा भारत किसी भी हथियार को खरीदने और उसे पूरी तरह से कॉम्बेट रोल में उतारने के बीच लंबा समय लगता है। जिसमें उस हथियार की टेस्टिंग, मेंटिनेंस और तैनाती को लेकर ढेर सारी तैयारियां की जाती है। किसी दूसरे देश के मिसाइल सिस्टम जैसे अमेरिका की थाड या पैट्रियॉट, रूस की एस-400 को तुरंत तैनात नहीं किया जा सकता है। जबकि, बराक-8 के साथ ऐसी दिक्कत नहीं है। भारतीय सेना बराक श्रेणी की कई मिसाइलों को पहले से ही ऑपरेट कर रही है। 2017 में, भारत और इजरायल ने इस मिसाइल का जमीनी वर्जन की डील को 2 बिलियन डॉलर में साइन किया था। जिसे एमआरएसएएम के नाम से जाना जाता है। कहां तैनात की जाएगी बराक-8 मिसाइल इससे पहले भारत ने रूस के साथ एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम की डील साइन की थी, जो देश को होस्टाइल जेट, बम, ड्रोन और मिसाइलों से बचा सकता है। भारत इसे पाकिस्तान और चीन से लगी सीमा पर तैनात कर सकता है। यह डील इसी महीने के पहले हफ्ते में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान फाइनल हुई थी। एस-400 एक साथ 36 जगह टारगेट बना सकती है। एक साथ 72 मिसाइल लॉन्च कर सकती है।
काठमांडू नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर खतरे के बादल मडराने लगे हैं। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी समिति की बैठक के अंतिम दिन इस्तीफे की मांग के डर से पीएम ओली शामिल नहीं हुए। जिसके बाद पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने पीएम ओली की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक कदम बताया। जिस पार्टी ने नेपाल के मानचित्र में संशोधन को लेकर पीएम ओली की तारीफों के पुल बांधे थे उसी ने उन्हें सबसे विफल प्रधानमंत्री करार दिया। भारत नेपाल तनाव के लिए ओली जिम्मेदार शुक्रवार को बैठक के आखिरी दिन भारत-नेपाल सीमा विवाद को लेकर चर्चा की गई। जिसमें स्थायी समिति के सभी सदस्यों ने भारत के साथ कूटनीतिक वार्ता में विफल रहने को लेकर ओली प्रशासन की आलोचना की। पार्टी ने आरोप लगाया कि पीएम ओली के कार्यकाल में भारत-नेपाल के संबंध सबसे ज्यादा निचले स्तर पर पहुंचे हैं। बैठक में नेपाल में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में ओली सरकार के फेल होने का आरोप भी लगाया गया। बैठक से ओली का किनारा, पार्टी ने मंशा पर उठाए सवाल बैठक के दौरान सबको आशा थी कि पीएम ओली जरूर शामिल होंगे। पार्टी महासचिव बिष्णु पोडेल ने बैठक में बताया कि प्रधानमंत्री अपने काम में व्यस्त हैं और वह बाद में शामिल होंगे, लेकिन बैठक खत्म होने तक वो नहीं आए। जिसके बाद सदस्यों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने समय बाद हो रही पार्टी की बैठक को पीएम ओली ने नजरअंदाज कर दिया है। शुक्रवार को बोलने वाले 18 नेताओं में, एस्टा लक्ष्मी शाक्य, भीम रावल और ओली के अपने आदमी रघुबीर महासेठ सहित कई लोगों ने महत्वपूर्ण बैठक की अनदेखी करने के लिए प्रधानमंत्री की मंशा पर सवाल उठाया। 44 में से 15 सदस्य ही ओली के साथ ओली को पता है कि 44 सदस्यी स्थायी समिति में केवल 15 सदस्य ही उनके पक्ष में हैं। जिससे अगर वह बैठक में शामिल होते हैं तो उनपर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ जाएगा। बैठक के पहले दिन ही ओली और प्रचंड के बीच तीखी नोंकझोक देखने को मिली थी। प्रचंड ने जहां सरकार के हर मोर्चे पर फेल होने का आरोप लगाया वहीं ओली ने कहा कि वह पार्टी को चलाने में विफल हुए हैं। पहले भी बैठक को टाल चुके हैं ओली दिसंबर 2019 में आयोजित पार्टी के स्थायी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण चर्चाओं को ओली ने टाल दिया था। उन्हें डर था कि कहीं बैठक के दौरान उनकी आलोचना न होने लगे। यही नहीं, 7 मई 2020 को होने वाली स्थायी समिति की बैठक को तो उन्होंने जबरदस्ती स्थगित करवा दिया था।
काठमांडू नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी पर खतरे के बादल लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में मचे घमासान और देश में सरकार के खिलाफ जारी गुस्से से ध्यान भटकाने के लिए पीएम ओली अब उग्र राष्ट्रवाद का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी में मचे घमासान को लेकर भारत पर इशारों-इशारों में आरोप लगाते हुए कहा कि एक दूतावास मेरी सरकार के खिलाफ होटल में साजिश रच रहा है। लिखें भारत पर इशारों में ओली ने लगाया आरोप मदन भंडारी की 69 वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि भले ही उन्हें पद से हटाने का खेल शुरू हो लेकिन यह असंभव है। प्रधानमंत्री ओली ने दावा किया था कि काठमांडू के एक होटल में उन्हें हटाने के लिए बैठकें की जा रही है और इसमें एक दूतावास भी सक्रिय है। बता दें कि ओली का इशारा भारत की तरफ है। ओली बोले नेपाल की राष्ट्रीयता कमजोर नहीं उन्होंने दावा किया कि भारतीय जमीन को नेपाली नक्शे में दिखाने वाले संविधान संशोधन के बाद से उनके खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं। मुझे पद से हटाने के लिए खुली दौड़ हो रही है। ओली ने कहा कि नेपाल की राष्ट्रीयता कमजोर नहीं है। किसी ने सोचा नहीं था कि नक्शे को छापने के लिए किसी प्रधानमंत्री को पद से हटा दिया जाएगा। ओली की पार्टी में 'प्रचंड' तूफान प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी अब टूट के कगार पर पहुंच गई है। नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी चेयरमैन पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने पीएम ओली की आलोचना के बाद उनसे अब इस्तीफे की मांग की है। प्रचंड ने ओली को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर पीएम ने इस्तीफा नहीं दिया तो वह पार्टी को तोड़ देंगे। कुर्सी के लिए सेना का सहारा ले रहे ओली प्रचंड ने खुलासा किया कि पीएम ओली खुद की कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ओली प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए नेपाली सेना का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि पीएम ओली सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तानी, अफगानी या बांग्लादेशी मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस तरह के प्रयास नेपाल में सफल नहीं होंगे। प्रचंड बोले- मुझे जेल भेजने की तैयारी में ओली प्रचंड ने ओली को चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी हमें भ्रष्टाचार के नाम पर जेल नहीं भेज सकता है। सेना की मदद से देश पर शासन करना आसान नहीं है। प्रचंड ने ओली पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के साथ गठबंधन करके या पार्टी को विभाजित कर सरकार चलाना संभव नहीं है। पीएम ओली के इस्तीफे की मांग तेज कम्युनिस्ट पार्टी के स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने पीएम ओली से इस्तीफे की मांग की है। वहीं ओली ने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है। दोनों नेताओं ने एक दूसरे के ऊपर बैठक के दौरान जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं। प्रचंड ने जहां सरकार के फेल होने की बात कही, वहीं ओली ने कहा कि प्रचंड ने पार्टी को बर्बाद कर दिया है।
श्रीनगर भारत और चीन (India China Border Dispute) के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद से तनाव बढ़ रहा है। ऐसे में जम्मू कश्मीर सरकार के दो महीने के लिए एलपीजी सिलेंडर का स्टॉक करने के आदेश से स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ गई है। इसके साथ ही सुरक्षाबलों के लिए स्कूली इमारतों को खाली करने के आदेश अलग से जारी किया गया है। सरकार के दो आदेशों से कश्मीर घाटी के लोगों के चेहरे पर चिंता की झलक साफ देखी जा सकती है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल जी.सी. मुर्मू ने 23 जून को एक बैठक की थी। इसके बाद जारी एक आदेश में कहा गया है कि कश्मीर घाटी में एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स कम से कम दो महीने के लिए सिलेंडर का स्टॉक कर लें, क्योंकि भूस्खलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने के कारण सप्लाई प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा उपराज्यपाल की ओर से दूसरा आदेश भी जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि कारगिल से सटे गांदरबल इलाके में सुरक्षाबलों के लिए स्कूल की इमारतों को खाली कर दिया जाए। उमर अब्दुल्ला ने किया ट्वीट उपराज्यपाल के दो आदेशों के बाद से कश्मीर घाटी के लोगों की चिंता बढ़ गई है। इस बीच पूरे मामले लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट किया है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार के आदेश के बाद से कश्मीर में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। ऑपरेशन बालाकोट व विशेष दर्जे को रद्द करने पर दिए थे ऐसे आदेश बता दें कि कश्मीर घाटी में इस तरह के आदेश के बाद बड़े घटनाक्रम हुए हैं। पिछले साल फरवरी में पाकिस्तान के अंदर ऑपरेशन बालाकोट और पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के पहले भी सरकार ने इसी तरह के आदेश जारी किए थे।
पेइचिंग लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। इस बीच खुलासा हुआ है कि इस झड़प से कुछ दिन पहले ही चीन ने अपनी माउंटेन डिविजन और मार्शल आर्ट में माहिर हत्यारों को सीमा के नजदीक तैनात किया था। चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, पीएलए के इस डिवीजन में तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती किए गए लड़ाकों के अलावा चीनी सेना के नियमित सैनिक भी शामिल थे। ऐसे 5 डिवीजन को चीन ने किया तैनात आधिकारिक सैन्य समाचार पत्र चाइना नेशनल डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 15 जून के पहले ही तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीनी सेना ने पांच नए मिलिशिया डिवीजन को तैनात किया था। इस डिवीजन में चीन के माउंट एवरेस्ट ओलंपिक टॉर्च रिले टीम के पूर्व सदस्यों के अलावा मार्शल आर्ट क्लब के लड़ाके शामिल हैं। माना जाता है कि इन्हीं के करतूतों के कारण सीमा पर हिंसक वारदातें देखने को मिलीं। माउंटेन वॉरफेयर और मार्शल आर्ट के जानकार चीनी हत्यारे सेना में माउंट एवरेस्ट ओलंपिक टॉर्च रिले टीम के सदस्य जहां पहाड़ों पर चढ़ाई करने में माहिर हैं, वहीं मार्शल आर्ट क्लब के लड़ाके घातक हत्यारे होते हैं। चीनी सेना ने लद्दाख में अपनी नीतियों को बदलते हुए बड़ी संख्या में मार्शल आर्ट में माहिर लड़ाकों को भर्ती किया है। चीन जानता है कि सीमा पर वह युद्ध के जरिए भारत से नहीं जीत सकता, इसलिए उसने इन लड़ाकों के जरिए भारत से भिड़ने की कोशिश की है। परंपरागत युद्ध में माहिर होते हैं तिब्बती लड़ाके ये लड़ाके मार्शल आर्ट लाठी-भाले, डंडा और रॉड के जरिए युद्ध करने में माहिर होते हैं। ऐसे ही सैनिकों के भरोसे चीन अब भारत से युद्ध करने की तैयारी कर रहा है। पीपुल्स डेली की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत के पठार इलाके में रहने वाले ये लड़ाके चीनी सेना को नुकीली चीज या लाठी, डंडों से लड़ने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। छद्म युद्ध में माहिर चीन अब इन भाड़े के लड़ाकों के जरिए सीमा विवाद को बढ़ाने के फिराक में है। सीमा पर हथियारों के बिना लड़ने का समझौता भारत और चीन ने दोनों देशों की बीच विश्वास बढ़ाने के लिएच 1996 और 2005 में एक समझौता किया था। जिसके मुताबिक दोनों पक्ष गश्त के दौरान आमना-सामना होने पर एक दूसरे पर गोली नहीं चला सकते हैं। साथ ही दोनों देश एलएसी के दो किमी के दायरे में गश्त के दौरान अपने रायफल के बैरल को भी जमीन की ओर झुकी रखते हैं। इसके अलावा दोनों देशों ने बिना सूचना के एलएसी के 10 किलोमीटर के भीतर सैन्य पेइचिंग लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। इस बीच खुलासा हुआ है कि इस झड़प से कुछ दिन पहले ही चीन ने अपनी माउंटेन डिविजन और मार्शल आर्ट में माहिर हत्यारों को सीमा के नजदीक तैनात किया था। चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, पीएलए के इस डिवीजन में तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती किए गए लड़ाकों के अलावा चीनी सेना के नियमित सैनिक भी शामिल थे। ऐसे 5 डिवीजन को चीन ने किया तैनात आधिकारिक सैन्य समाचार पत्र चाइना नेशनल डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, 15 जून के पहले ही तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीनी सेना ने पांच नए मिलिशिया डिवीजन को तैनात किया था। इस डिवीजन में चीन के माउंट एवरेस्ट ओलंपिक टॉर्च रिले टीम के पूर्व सदस्यों के अलावा मार्शल आर्ट क्लब के लड़ाके शामिल हैं। माना जाता है कि इन्हीं के करतूतों के कारण सीमा पर हिंसक वारदातें देखने को मिलीं। माउंटेन वॉरफेयर और मार्शल आर्ट के जानकार चीनी हत्यारे सेना में माउंट एवरेस्ट ओलंपिक टॉर्च रिले टीम के सदस्य जहां पहाड़ों पर चढ़ाई करने में माहिर हैं, वहीं मार्शल आर्ट क्लब के लड़ाके घातक हत्यारे होते हैं। चीनी सेना ने लद्दाख में अपनी नीतियों को बदलते हुए बड़ी संख्या में मार्शल आर्ट में माहिर लड़ाकों को भर्ती किया है। चीन जानता है कि सीमा पर वह युद्ध के जरिए भारत से नहीं जीत सकता, इसलिए उसने इन लड़ाकों के जरिए भारत से भिड़ने की कोशिश की है। परंपरागत युद्ध में माहिर होते हैं तिब्बती लड़ाके ये लड़ाके मार्शल आर्ट लाठी-भाले, डंडा और रॉड के जरिए युद्ध करने में माहिर होते हैं। ऐसे ही सैनिकों के भरोसे चीन अब भारत से युद्ध करने की तैयारी कर रहा है। पीपुल्स डेली की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत के पठार इलाके में रहने वाले ये लड़ाके चीनी सेना को नुकीली चीज या लाठी, डंडों से लड़ने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। छद्म युद्ध में माहिर चीन अब इन भाड़े के लड़ाकों के जरिए सीमा विवाद को बढ़ाने के फिराक में है। सीमा पर हथियारों के बिना लड़ने का समझौता भारत और चीन ने दोनों देशों की बीच विश्वास बढ़ाने के लिएच 1996 और 2005 में एक समझौता किया था। जिसके मुताबिक दोनों पक्ष गश्त के दौरान आमना-सामना होने पर एक दूसरे पर गोली नहीं चला सकते हैं। साथ ही दोनों देश एलएसी के दो किमी के दायरे में गश्त के दौरान अपने रायफल के बैरल को भी जमीन की ओर झुकी रखते हैं। इसके अलावा दोनों देशों ने बिना सूचना के एलएसी के 10 किलोमीटर के भीतर सैन्य विमानों के उड़ान को भी प्रतिबंधित किया था। nbt
नई दिल्ली, 28 जून 2020, लद्दाख में भारत और चीन के बीच उपजे तनाव को देखते हुए इस इलाके में मौजूद दौलत बेग ओल्डी का इलाका एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के सबसे ऊंचे इलाके के रूप में मशहूर DBO को सामरिक महत्व के सबसे महत्वपूर्ण इलाके के रूप में जाना जाता है। मौजूद है दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी पूर्वी लद्दाख के इस इलाके में दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप भी मौजूद है, जिसपर भारत का आधिपत्य है। चीन से संघर्ष की स्थितियों में मालवाहक जहाजों से लेकर लड़ाकू विमानों की पहुंच के लिए इस स्ट्रिप को सामरिक रूप में बेहद खास माना जाता है। इंडियन एयरफोर्स का अडवांस लैंडिंग ग्राउंड दौलत बेग ओल्डी यानि डीबीओ का ये इलाका दुनिया से इसी एयरस्ट्रिप के लिए मशहूर है। इस इलाके में तीन साल पहले भारतीय वायुसेना के बिग साइज विमानों की लैंडिंग कराई गई थी। अपने सामरिक महत्व के कारण श्योक और काराकोरम के बीच मौजूद दौलत बेग ओल्डी को इंडियन एयरफोर्स के एक अडवांस लैंडिंग ग्राउंड के रूप में जाना जाता है। 1962 में बनाई गई थी ये हवाई पट्टी 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान बनाई गई दौलत बेग ओल्डी की हवाई पट्टी पर कुछ साल पहले भारतीय वायु सेना के सुपर हरक्युलिस विमान उतारे गए थे। इसके अलावा यहां पर कई बड़े लड़ाकू जहाजों की भी लैंडिंग करा गई थी। ऐसे में इस एयरस्ट्रिप पर लैंडिंग और ऑपरेशन के पुराने अनुभवों के कारण एयरफोर्स को युद्ध के दौरान बड़ा एडवांटेज मिल सकता है। 16000 फीट पर बनी सड़क होगी मददगार दौलत बेग ओल्डी के इस इलाके को श्योक वैली और दारबुक से जोड़ने वाली सड़क को DSDBO रोड के नाम से जाना जाता है। करीब 16600 फीट पर बनी इस सड़क से लेह और काराकोरम आपस में जुड़ते हैं। LAC के समानांतर बनी सड़क है DSDBO रोड DSDBO रोड की लंबाई करीब 254 किलोमीटर है और इस सड़क के जरिए ही लद्दाख का इलाका चीन से अलग होता है। इसी इलाके में दौलत बेग ओल्डी भी स्थित है, जहां से वास्तविक नियंत्रण रेखा की कुल दूरी सिर्फ 7 किलोमीटर है।
नई दिल्ली आज के दौर में चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकनॉमी है और वह खुद को एक सुपरपावर मानता है। लेकिन अगर 40 साल पीछे जाएं तो पता चलता है कि चीन की स्थिति भारत के बिल्कुल समान थी। भले ही बात आमदनी की हो, आयु सीमा की हो या फिर रेलवे की हो। 1980 में हुए रिफॉर्म की बदौलत आज चीन की स्थिति काफी बेहतर हो गई है। लेकिन अभी भी बहुत देर नहीं हुई है, हम काफी बेहतर कर सकते हैं। अगर कुछ सालों तक लगातार कोशिश की जाए तो हम ये 5 लड़ाइयां जीत सकते हैं। भारत के सामने सिर्फ गलवान घाटी में चीन से जंग (India China ladakh tension) नहीं जीतनी है, बल्कि 5 और मोर्चों पर भारत को खरा उतरना होगा। 1- प्रति व्यक्ति आय फिर से करनी होगी बेहतर 1980 में चीन की 191 अरब डॉलर की इकनॉमी भारत की 186 अरब डॉलर की इकनॉमी से बस थोड़ी ही आगे थी। हालांकि, चीन की इकनॉमी काफी बड़ी थी, इसलिए भारतीय 40 फीसदी अमीर थे। यहां पर प्रति व्यक्ति 267 डॉलर की आमदनी थी, जबकि चीन में 195 डॉलर प्रति व्यक्ति आमदनी थी। चीन में इकनॉमिक रिफॉर्म के बाद सब कुछ बदल गया। 2018 तक इसकी प्रति व्यक्ति आय 50 फीसदी तक बढ़कर 9771 डॉलर तक पहुंच गई। वहीं भारत में लोगों की प्रति व्यक्ति आय सिर्फ 2000 रुपये हुई है। बात अगर जीडीपी की करें तो चीन की जीडीपी 13.6 ट्रिलियन डॉलर हो गई है, जबकि भारत की जीडीपी सिर्फ 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक ही पहुंची है। 1987 में चीन की 66 फीसदी आबादी गरीब थी, जो रोजाना 1.90 डॉलर कमाती थी, जबकि भारत की सिर्फ 49 फीसदी आबादी गरीब थी। अब चीन में सिर्फ 0.5 फीसदी लोग गरीब हैं, जबकि भारत में अभी भी 20 फीसदी से अधिक लोग गरीब हैं। 2- शिक्षा दें और शहरीकरण करें हम शहरीकरण में पिछड़ गए हैं। अभी 60 फीसदी से अधिक चीनी लोग शहरों में रहते हैं, जबकि भारत में सिर्फ 35 फीसदी लोग ही शहरों में रहते हैं। जब दोनों देश आजाद हुए थे, तब सिर्फ 12 फीसदी चीनी ही शहरों में रहते थे, जबकि 17 फीसदी भारतीय शहरों में रहा करते थे। उस वक्त भारत में अधिक इंडस्ट्रियल सेंटर थे। इतना ही नहीं, 80 के दशक में चीन में शिक्षा की दर भारत से अच्छी थी। वहां के दो तिहाई लोग शिक्षित थे, जबकि भारत की सिर्फ 2/5 आबादी ही शिक्षित थी। अब भारत में शिक्षा की दर 74 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि चीन में शिक्षा की दर 97 फीसदी हो गई है। 3- बेहतर रेल और हवाई नेटवर्क 1974 में चीन में सिर्फ 7 लाख यात्री ही हवाई यात्रा करते थे, जबकि भारत में करीब 30 लाख लोगों की हवाई यात्रा का इंतजाम था। अभी भारत की तुलना में चीन के करीब 4 गुने लोग हवाई यात्रा करते हैं। 2018 में भारत के लिए ये आंकड़ा 16.4 करोड़ था, जबकि चीन के लिए यही आंकड़ा 61.14 करोड़ था। 1980 में भारत का रेल नेटवर्क 61,240 किलोमीटर का था, जबकि चीन का सिर्फ 51,700 किलोमीटर ही था। 2017-18 तक भारत का रेल नेटवर्क बढ़कर 68,442 किलोमीटर हो गया है, जबकि चीन का नेटवर्क दोगुने से भी अधिक 1.27 लाख किलोमीटर हो चुका है। 4- स्वस्थ बच्चे, लंबी उम्र 1969 में भारत में बच्चे के मरने की दर काफी अधिक थी। हर 1000 में से 145 बच्चे मर जाते थे। उस समय चीन में ये दर 84 थी। अब भारत में ये दर घटकर 30 पर आ गई है, जबकि चीन में ये दर महज 7 रह गई है। बता दें कि ये दर विकसित अर्थव्यवस्था की होती है, जैसे अमेरिका में ये दर 2018 में सिर्फ 5.6 फीसदी थी। चीन में लोगों की औसत उम्र 77.6 साल है, जबकि भारत में उम्र 69.2 साल है। मतलब कि हर चीनी व्यक्ति औसतन एक भारतीय की तुलना में करीब 7 दिन अधिक जीता है। 50 और 60 के दशक में ये अंतर और भी कम था। 5- इंडस्ट्रियल पावर आजादी के वक्त भारत में चीन से अधिक इंडस्ट्रियल सेंटर थे, लेकिन आज चीन दुनिया की फैक्ट्री बन चुका है। दोनों देशों में कारों का प्रोडक्शन एक अंदाजा लागने में मदद कर रहा है। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ मोटर व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स का आंकड़ा दिखाता है कि हम 1999 में लगभग बराबरी पर थे, जब भारत ने 5.3 लाख कारें बनाईं, जबकि चीन ने लगभग 5.7 लाख कारें बनाईं। लेकिन पिछले साल भारत ने सिर्फ 36.2 लाख कारें बनाईं, जबकि चीन ने 2.1 करोड़ कारें बना डालीं।
नई दिल्ली मन की बात (pm modi mann ki baat updates) कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख मसले पर बात की। मोदी ने कहा कि भारत की जमीन पर आंख उठाकर देखनेवालों को करारा जवाब मिला है। मन की बात में पीएम मोदी ने यह भी कहा कि संकट आने की वजह से पूरे साल को खराब मानना ठीक नहीं है। पीएम ने कार्यक्रम में मॉनसून, कोरोना संकट पर भी बात की। मोदी ने एकबार फिर आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया। लद्दाख में दिया करारा जवाब: मोदी लद्दाख में भारत-चीन झड़प पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला। मोदी ने कहा, 'भारत, मित्रता निभाना जानता है, तो, आँख-में-आँख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है।' मोदी बोले कि शहीद हुए 20 जवानों ने दिखाया कि वे मां भारती पर कभी आंच नहीं आने देंगे। 2020 पर बोले, पूरा साल खराब नहीं मोदी ने कहा कि लोग अकसर बोलते दिखे कि ये साल कब बीतेगा। फोन पर लोग यही बात करते हैं कि साल कब बीतेगा। लोग कह रहे साल अच्छा नहीं, यह शुभ नहीं। लोग चाहते हैं कि यह साल जल्द बीत जाए। मोदी ने कहा कि इस साल देश ने कोरोना संकट देखा। उस बीच अम्फान, निसर्ग तूफान भी आए। फिर टिड्डी दल और भूकंप के इतने झटके। इस बीच पड़ोसी देशों से तनातनी भी हुई। लेकिन इस सब के बावजूद साल को खराब कहना ठीक नहीं। मोदी बोले कि मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं लेकिन आपदाओं की वजह से साल को खराब मानना ठीक नहीं। यह सोच लेना कि पूरा साल ही ऐसा है ठीक नहीं। एक साल में एक चुनौती या 50 चुनौती उससे साल खराब नहीं होता। मोदी ने आगे देशवासियों को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी। कहा कि यह सैनिकों की मदद होगी। मोदी ने कहा कि ऐसे कई लोगों के संदेश उन्हें मिलते हैं कि वे लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं। मोदी मे आगे कहा कि कोरोना संकट काल में देश लॉकडाउन से बाहर निकल आया है। अनलॉक में कोरोना को हराना और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर जोर देना है। मोदी ने मास्क पहनने, दो गज की दूरी का पालन करने को कहा। -मोदी ने स्पेस सेक्टर के सुधार का जिक्र किया। कहा कि इससे आत्मनिर्भर भारत के अभियान को तेजी मिलेगी। -मोदी ने हर घर के बच्चों से गुजारिश की। जब टाइम मिले तो घर के बुजुर्गों का वीडियो इंटरव्यू करें। उनसे पूछे कि बचपन में क्या खेलते थे, छुट्टियों में क्या करते थे। त्योहार कैसे मनाते थे। बुजुर्ग भी इससे खुश होंगे। 40-50 साल पहले क्या होता था, भारत कैसा था बच्चों को भी जानने को मिलेगा। -मॉनसून पर बोले मोदी कि इसबार बारिश अच्छी होने की उम्मीद है। इसके बाद मोदी ने 80-85 साल के कामेगौड़ा का जिक्र किया। उन्होंने जानवरों को चराते हैं लेकिन अपने इलाके में नए तालाब बनाने का काम करते हैं। -मोदी ने कहा कि गणेश चतुर्थी पर इको-फ्रैंडली मूर्ति बनाने की कोशिश होनी चाहिए जिससे वह नदी में संकट पैदा न करें। -पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा को याद किया। कहा कि वह अनेक भाषओं को जानते थे। जो भारत के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक थे। वह 17 की उम्र से ही अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। मोदी की मन की बात ये पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार से सवाल किया था। मन की बात कार्यक्रम पर सवाल करते हुए उन्होंने लिखा था कि राष्ट्र रक्षा और सुरक्षा की बात कब होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह 66वीं मन की बात है। पिछले मन की बात यानी मई वाले ऐडिशन में पीएम मोदी ने कोरोना अनलॉक 1.0 पर बात की थी। बताया था कि अब देश लॉकडाउन से अनलॉक की तरफ जा रहा है।
मनीला दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों (ASEAN) के नेताओं ने दक्षिण चीन सागर (South China Sea) को लेकर चीन के खिलाफ सख्‍त टिप्‍पणी की है। सदस्‍य देशों के नेताओं ने कहा कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के आधार पर दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण किया जाना चाहिए। चीन ऐतिहासिक आधार पर दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपना दावा करता है। उसके खिलाफ दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं की यह अब तक की सबसे सख्त टिप्‍पणियों में से एक है। समुद्री कानून की संधि को आधार माने चीन' ASEAN नेताओं ने अपना रुख साफ करते हुए शनिवार को वियतनाम में दस देशों के संगठनों की ओर से बयान जारी किया। कोरोना वायरस के चलते ASEAN नेताओं का शिखर सम्मेलन शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित किया गया। लंबे समय से क्षेत्रीय संप्रभुता को लेकर चल रहा विवाद एजेंडे में शीर्ष पर रहा। आसियान के बयान में कहा गया, ‘‘हम दोहराते हैं कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि समुद्री अधिकार, संप्रभुता, अधिकार क्षेत्र और वैधता निर्धारित करने के लिए आधार है।" चीन के खिलाफ एकजुट हो रहे ASEAN देश UN की अंतरराष्ट्रीय संधि में देशों के समुद्र पर अधिकार, सीमांकन और विशेष आर्थिक क्षेत्र को परिभाषित किया गया है। दक्षिण चीन सागर में इसी आधार पर मछली पकड़ने और संसाधनों का दोहन करने का अधिकार मिलता है। आसियान के बयान में कहा गया, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की समुद्री क़ानून संधि ने कानूनी ढांचा मुहैया कराया है जिसके अंतर्गत सभी समुद्री गतिविधियां होनी चाहिए।’’ चीनी अधिकारी इस बयान पर टिप्पणी करने के लिए तत्काल उपलब्ध नहीं हो सके। दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के तीन राजनयिकों ने बताया कि एशिया में लंबे समय से संघर्ष के केंद्र रहे इस क्षेत्र में कानून का राज स्थापित करने के लिए इस क्षेत्रीय संगठन ने अपने रुख को मजबूत करने का संकेत दिया है। वियतनाम के चलते तीखे हुए ASEAN के तेवर इस साल आसियान संगठन का नेतृत्व कर रहे वियतनाम ने इस अध्यक्षीय बयान का मसौदा तैयार किया है। इसपर चर्चा नहीं होती बल्कि राय-मशविरा के लिए सदस्य देशों को भेजा जाता है। वियतनाम समुद्री विवाद के मुद्दे पर चीन के खिलाफ सबसे मुखर रहा है। चीन ने पिछले कुछ सालों में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस समुद्री क्षेत्र पर दावे को लेकर आक्रमक रुख अपनाया है। उसके द्वारा जिन इलाकों पर दावा किया जा रहा है, उससे आसियान सदस्य देशों वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन और ब्रुनेई के क्षेत्र में अतिक्रमण होता है। ताइवान ने भी विवादित क्षेत्र के बड़े हिस्से पर दावा किया है। ट्रिब्‍यूनल से खारिज हो चुका चीन का दावा जुलाई 2016 में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने संयुक्त राष्ट्र की समुद्री क़ानून संधि के आधार पर चीन के ऐतिहासिक दावे को अस्वीकार कर दिया था। चीन ने इस सुनवाई में शामिल होने से इनकार कर दिया और फैसले को शर्मनाक करार देते हुए खारिज कर दिया। चीन ने हाल में संबंधित क्षेत्र में मौजूद सात टापुओं को मिसाइल सुरक्षित सैन्य ठिकानों में तब्दील किया है जिनमें से तीन द्वीपों पर सैन्य हवाई पट्टी भी बनाई गई है और वह लगातार इसका विकास कर रहा है जिससे प्रतिद्वंद्वी देशों की चिंता बढ़ गई है। चीन के इस कदम से अमेरिका के एशियाई और पश्चिमी सहयोगी भी चिंतित हैं।
नई दिल्ली भारत और चीन सीमा विवाद के बीच Hawkish (हॉकिश) चीनी सैन्य रणनीतिकारों ने बीजिंग से भारत के साथ अपने सीमा विवाद में बढोत्तरी को लेकर बेहतर रूप से तैयार रहने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि दोनों परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र संघर्ष की संभावना बढ़ रही है। दरअसल, लद्दाख और चीनी नियंत्रित अक्साई चीन के बीच गलवान घाटी में 2 सप्ताह पहले चीन और भारत के बीच तनाव बढ़ गया था। लिखें इस झड़प में भारतीय सेना ने कहा कि उसके 20 सैनिक, चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने की लड़ाई में मारे गए। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर झड़प और वादों को तोड़ने का आरोप लगाया है। चीनी सेना के कई रिटायर्ड सदस्य बीजिंग का साथ देने की तैयारी कर रहे हैं। जिसमें भारतीय सेना की घुसपैठ का जवाब देने के लिए गैर-घातक हाई-टेक हथियार जैसे लेजर गन के साथ सीमा पर तैनाती शामिल है। चीन के रिटायर्ड आर्मी अफसर दे रहे हैं साथ चीनी सेना के कई रिटायर्ड सदस्य चीन को युद्ध की स्थिति में सहायता करने की पहल कर रहे हैं। इसके तहत भारतीय सेना द्वारा घुसपैठ का जवाब देने के लिए अपने सीमावर्ती सैनिकों को अधिक शक्ति प्रदान करना है। एक रियाटर्ड वायु सेना के प्रमुख जनरल और सैन्य सिद्धांतकार किओ लिआंग ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक सर्व-युद्ध की संभावना कम है, चीन को एक सशस्त्र संघर्ष में वृद्धि के लिए तैयारी करने की आवश्यकता है। भारत की प्रतिक्रिया को नजरअंदाज न करे चीन We Chat अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक लेख में, Qiao ने कहा, हमें भारत की प्रतिक्रिया को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, लेकिन हमें अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सीमा पर सैन्य संघर्ष बढ़ता है तो चीन को पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें छोटे-छोटे युद्दों के जरिए अपने विरोधियों को दर्द पहुंचाना चाहिए। चीन अपने सीमाओं पर निगरानी को बढाए चीनी नौसैनिक विशेषज्ञ और रिटायर्ड पीएलए नौसेना अधिकारी वांग युनफेई ने कहा कि बीजिंग को सीमावर्ती सैनिकों के सहयोग के लिए सेना बढ़ानी चाहिए। जिससे उन्हें चीनी सरकार की परमिशन के बिना घुसपैठ को रोकने की शक्ति मिल सके। उन्होंने कहा कि हमें सीमा क्षेत्र की निगरानी को मजबूत करना चाहिए और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत सेना की हर कार्रवाई का तुरंत जवाब देना चाहिए। वांग ने यह रक्षा उद्योगों और प्रौद्योगिकियों पर आधारित एक चीनी पत्रिका ऑर्डनेंस इंडस्ट्री साइंस टेक्नोलॉजी में प्रकाशित लेख में कहा है। आंसू गैस के गोलों के साथ सीमा पर तैनात रहे सैनिक वांग ने यह भी कहा है कि भारतीय सेना ने बार-बार सीमा पार करके चीनी शिविरों, सड़कों और अन्य सैन्य सुविधाओं को नष्ट कर दिया है। यदि ऐसा दोबारा होता है, तो चीनी पक्ष को विरोधी पक्ष की सुविधाओं और उपकरणों को नष्ट करने के लिए और अधिक शक्तिशाली उपायों का उपयोग करना चाहिए । वांग ने यह भी कहा कि चीनी सैनिकों को गैर-घातक हथियारों जैसे आंसू गैस और अचेत हथगोले के साथ सीमा पर तैनात रहना चाहिए।
नई दिल्ली, 27 जून 2020, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की ओर से भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स की प्रतिक्रिया में वीडियो और क्लिप्स जारी किए जा रहे हैं जो और कुछ नहीं माइंडस्पेस को भरने के लिए महज प्रोपगेंडा कवायद है. उदाहरण के लिए, जब इंडिया टुडे ने भारतीय सेना के इंजीनियरों की ओर से बनाए गए बेली ब्रिज की खबर को ब्रेक किया तो PLA प्रोपगेंडा मशीनरी 72 घंटे के अंदर ही अपने इंजीनियरों की ओर से 40 मिनट में 180 मीटर लंबे पुल बिछाने की कहानी के साथ सामने आ गई. चीनी प्रोपगेंडा मशीनरी ने एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की. एक तो चीन के लोगों को भरोसा दिया जाए कि चीन का हाथ ऊपर है, और दूसरा भारतीय लोगों को भ्रमित किया जाए. भारतीय मीडिया को इतनी आसानी से नहीं लिया जा सकता, ये जानते हुए कि प्रोपगेंडा कैसे काम करता है. भारतीय लोगों के मन में डर बैठाने की कोशिश से जुड़ी चीनी रणनीति को कहीं से कोई भाव नहीं मिलने वाला. इंडिया टुडे ने पुल बिछाने की प्रक्रिया वाली तस्वीर को जियो-लोकेट किया. सैटेलाइट तस्वीर की डिटेल से पाया कि ये पुल बिछाने की प्रक्रिया शांति-काल में की गई है. पुल बिछाने वाली यूनिट साफ तौर पर चीनी सेना की 85वीं इंजीनियरिंग ब्रिगेड की 15 इंजीनियरिंग रेजिमेंट है. ये ब्रिगेड तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के तहत आती है. पिछले तीन महीनों की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि यह यूनिट ल्हासा के पास ब्रह्मपुत्र नदी के साथ अपने निर्धारित ट्रेनिंग एरिया में है. ये ल्हासा-शिगात्से सड़क के साथ है. ये यूनिट वहां कम से कम 19 अप्रैल, 2020 से आज तक मौजूद है. ये यूनिट ल्हासा आने के बाद से इस विशेष क्षेत्र में पुलों के बिछाने का काम कर रही है. इस प्रैक्टिस के दौरान कुछ भी नया या असाधारण नहीं ऑब्जर्व किया गया. चाइना मिलिट्री ऑनलाइन साइट के मुताबिक ऐसी ही ड्रिल पहले भी, संभवत: 22 मई, 2020 को की गई थी. सैटेलाइट तस्वीरों से खुली चीनी दावे की पोल outlook-gi4wqwpm_062720055806.png इसी निर्धारित ट्रेनिंग एरिया में सेंटिनेल के ओपन सोर्स की ओर से 8 जून 2020 की सैटेलाइट तस्वीरों में पॉन्टून पुल बिछाए जाने की प्रक्रिया को कैप्चर किया गया. 180 मीटर के पुल को नदी पर पांच रिग्स की मदद से बिछाते देखा गया. इन रिग्स को ट्रकों की मदद से नदी के किनारे तक पहुंचाते और पानी में खिसकाते देखा जा सकता है. सैटेलाइट तस्वीर से संकेत मिलता है कि बड़ी संख्या मे सपोर्ट वाहन लगभग 1-2 किलोमीटर दूरी पर पार्क किए गए. बैंड्स 8, 4 और 3 का कॉम्बिनेशन कम रेजोल्यूशन पर भी पुल को बहुत साफ इंगित करता है. outlook-fzf2gihk_062720055836.png हालांकि इससे पहले 3 जून और बाद में 13 जून की सैटेलाइट तस्वीरों में पुल नजर नहीं आता. इसके मायने हैं कि संभवत: पुल को उसी दिन नष्ट भी कर दिया गया. ऐतिहासिक तस्वीरें ऐतिहासिक (पुरानी) तस्वीरों के अध्ययन के लिए, समान साइट का कम से कम पिछले 20 वर्षों से लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है. बुनियादी जमीनी काम (Earth Work) की तैयारियां की जाती हैं और वो करीब करीब हमेशा एक जैसी ही रहती हैं. ये अर्थ वर्क लंबा वक्त लेता है और भारी पुल के लोड्स को ले जाने वाले ट्रकों को सुरक्षित नदी तक ले जाने के लिए जरूरी होता है. outlook-ghd4jyhg_062720055919.png outlook-njrwwpfi_062720055953.png यह मजबूत आधार के लिए भी जरूरी है जिससे कि उभयचर रिग के एप्रोच पैनल और पुल के ऊपर से गुजरने वाले वाहनों का बोझ को सहन कर सके. संघर्ष के दौरान पुल बिछाना पूरी तरह से अलग ही मामला हो जाता है, जब दूसरे पक्ष की हर वक्त नजर रहती है. PLA की ओर से घरेलू स्तर को टारगेट करके, छाती थपथपाने की कवायद वहां शायद देशप्रेम की भावना बढ़ा सकती हैं लेकिन ऐसी स्पष्ट क्षमता जाहिर नहीं करती जो भारतीय मीडिया को किसी भी सूरत में प्रभावित कर सके.
नई दिल्‍ली पूर्वी लद्दाख में बॉर्डर के पास चीनी सेना ने जैसी घेराबंदी कर रखी है, उसके इरादे जल्‍द वापस जाने के नहीं लगते। लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) के उसपार चीन ने अपनी एयरफोर्स को तैनात रखा है। हाल के दिनों में चीन के सर्विलांस एयरक्राफ्ट LAC के बेहद पास तक उड़ते देखे गए हैं। पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) एयरफोर्स पर नजर रखने और किसी भी हरकत का फौरन माकूल जवाब देने के लिए भारतीय वायुसेना (IAF) ने मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम तैनात कर दिया है। अब पूरे सेक्‍टर में ऐडवांस्‍ड क्विक रिएक्‍शन वाला सरफेस-टू-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम मौजूद है जो PLAAF के किसी भी फाइटर जेट को कुछ सेकेंड्स में तबाह कर सकता है। LAC पार चीन की हरकतें ठीक नहीं लग रहीं पिछले दो हफ्तों में चीनी एयरफोर्स ने सुखोई-30 और अपने स्‍ट्रेटीजिक बॉम्‍बर्स को LAC के पीछे तैनात किया है। उन्‍हें LAC के पास 10 किलोमीटर के दायरे में उड़ान भरते देखा गया है। जिसके बाद एयर डिफेंस सिस्‍टम की तैनाती का फैसला हुआ। सरकारी सूत्रों ने एएनआई से कहा, "सेक्‍टर में बढ़ते बिल्‍ड-अप के बीच, इंडियन आर्मी और इंडियन एयरफोर्स, दोनों के एयर डिफेंस सिस्‍टम तैनात कर दिए गए हैं ताकि चीनी एयरफोर्स या PLA चॉपर्स की किसी गलत हरकत से निपटा जा सके।" भारत हर मिसाइल को नेस्‍तनाबूत करने में सक्षम आर्मी ने पूर्वी लद्दाख में 'आकाश' मिसाइल भी भेजी है जो किसी भी तेज रफ्तार एयरक्राफ्ट या ड्रोन को सेकेंड्स में खाक कर सकती है। इसमें कई मॉडिफिकेशंस और अपग्रेड किए गए हैं ताकि इसे पहाड़ी इलाकों में भी उसी एक्‍युरेसी के साथ यूज किया जा सके। भारत को जल्‍द ही रूस से S-400 मिलने वाला है। उसके बाद भारत पूरे इलाके की आसानी से हवाई निगरानी कर सकता है। पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में IAF के फाइटर एयरक्राफ्ट्स पहले से ही काफी सक्रिय हैं। तनाव वाले पॉइंट्स पर उड़ान भर रहे चीनी विमान सूत्रों के मुताबिक, चीनी एयरक्राफ्ट्स को भारतीय LAC के बेहद पास उड़ते देखा गया है। यह पैटर्न उन सभी इलाकों में है जहां भारत और चीन के बीच इस वक्‍त तनाव की स्थिति है। चाहे वह सब सेक्‍टर नॉर्थ (दौलत बेग ओल्‍डी सेक्‍टर) हो या गलवान घाटी का पैट्रोलिंग पॉइंट 14, 15, 17 और 17A (हॉट स्प्रिंग्‍स)। इसके अलावा पैंगोंग त्‍सो और फिंगर एरिया के पास भी चीनी सेना के विमान उड़ते नजर आए हैं। भारत ने सर्विलांस में जो कमी थी, उसे दूर कर लिया है और अब कोई इलाका सुरक्षा बलों की नजर से अछूता नहीं है। मई से ही लद्दाख में तैनात है सुखोई पिछले महीने की शुरुआत में जब चीनी सेना ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ शुरू की, तभी IAF ने Su-30MKI को पूर्वी लद्दाख सेक्‍टर में भेज दिया था। चीनी लगातार भारतीय एयरस्‍पेस के आसपास मंडरा रहे थे। LAC के उसपर चीन ने अपने इलाकों में करीब 10 किलोमीटर दूर कई तरह के कंस्‍ट्रक्‍शन शुरू किए हैं। ये एयरक्राफ्ट उन इलाकों तक रूटीन उड़ानें भरते हैं।
पिथौरागढ़ उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित मुनस्यारी में 6 दिन पहले टूटा बैली ब्रिज (bailey bridge) दोबारा बनकर तैयार हो गया है। मुन्स्यारी से मिलम जाने वाले रूट पर धापा के पास सेनर नाले पर बना बैली ब्रिज (bailey bridge pithoragarh) उस वक्त टूट गया था जब सड़क कटिंग के लिए बड़े ट्रक पर पोकलैंड मशीन ले जाई जा रही थी। हादसे में दो लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने कड़ी मेहनत से सिर्फ 6 दिन में ही नया ब्रिज तैयार कर लिया है। इसे बनाने में बीआरओ को कई विषम भौगोलिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, मगर बीआरओ ने रात-दिन काम किया और महज 6 दिन के रेकॉर्ड टाइम में ब्रिज बनाकर तैयार कर दिया। 70 मजदूरों ने 6 दिन में तैयार किया 120 फीट लंबा ब्रिज बैली ब्रिज तैयार होने से सेना और आईटीबीपी के जवानों को चीन सीमा तक पहुंचने में काफी राहत मिलेगी। सैन्य जरूरत का सामान भी आसानी से मिलम तक जा सकेगा। बीआरओ ने 120 फीट लम्बे बैली ब्रिज को बनाने के लिए 70 मजदूरों के साथ एक पोकलैंड मशीन का इस्तेमाल किया। ब्रिज के जरिए चीन सीमा तक रोड के लिए पहुंचाया जा रहा था सामान मुनस्यारी के धापा में बना यह ब्रिज सामरिक रूप से बेहद अहम है और सीमावर्ती गांव मिलम को बाकी उत्तराखंड से जोड़ता था। मिलम से चीन सीमा तक इन दिनों 65 किमी लंबी रोड बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए पहाड़ों को काटने और मलबा हटाने के काम में आने वाली भारी भरकम मशीनों और कन्स्ट्रक्शन के सामान को मिलम पहुंचाया जा रहा है। ब्रिज टूटने से चीन को जोड़ने वाली सड़क काटने का काम कुछ प्रभावित हुआ, मगर बीआरओ ने 6 दिन के अंदर इस ब्रिज को तैयार कर बड़ी राहत दी है।
नई दिल्ली, 27 जून 2020,राजीव गांधी फाउंडेशन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कांग्रेस पर हमलावर है. बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को गांधी परिवार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चीन की तरफ से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा क्यों दिया गया? साथ ही उन्होंने 10 सवाल भी पूछे हैं. जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने देश के साथ विश्वासघात किया है. जेपी नड्डा ने कहा कि मैं सोनिया गांधी को ये कहना चाहता हूं कि कोरोना के कारण या चीन की स्थिति के कारण मूल प्रश्नों से बचने का प्रयास न करें. भारत की फौज देश की और हमारी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश सुरक्षित है. 'कांग्रेस ने विश्वासघात किया' बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि 130 करोड़ देशवासी जानना चाहते हैं कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए क्या-क्या काम किया और किस तरह से आपने देश के विश्वास के साथ विश्वासघात किया है. कुछ दिन पहले ट्वीट करके राजीव गांधी फाउंडेशन पर प्रश्न उठाए थे, आज पी. चिदंबरम कहते हैं कि फाउंडेशन पैसे लौटा देगा. जेपी नड्डा ने कहा कि देश के पूर्व वित्त मंत्री जो खुद बेल पर हों, उसके द्वारा ये स्वीकारना होगा कि देश के अहित में फाउंडेशन ने नियम की अवहेलना करते हुए फंड लिया. 'INC और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच क्या संबंध' जेपी नड्डा ने कहा कि RCEP भारतीय किसानों, MSME क्षेत्र और कृषि के हित में नहीं है और इस तरह पीएम मोदी इसमें शामिल नहीं हुए. बीजेपी अध्यक्ष ने कांग्रेस से सवाल किया कि RCEP का हिस्सा बनने की क्या जरूरत थी? चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 1.1 बिलियन अमेरीकी डॉलर से बढ़कर 36.2 बिलियन अमेरीकी डॉलर कैसे हो गया? उन्होंने पूछा कि INC और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच क्या संबंध है? देश जानना चाहता है. बीजेपी अध्यक्ष ने पूछा कि देश यह जानना चाहेगा कि 2005-2008 के बीच प्रधानमंत्री राहत कोष से आरजीएफ पैसा क्यों डायवर्ट किया गया? यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों, सेल, गेल, एसबीआई, अन्य पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया. देश की जनता इसका कारण जानना चाहती है. जेपी नड्डा ने कांग्रेस से सवाल किया कि पीएम नेशनल रिलीफ फंड का ऑडिटर कौन है? ठाकुर वैद्यनाथन एंड अय्यर कंपनी ऑडिटर थी. रामेश्वर ठाकुर इसके फाउंडर थे. वो राज्य सभा के सांसद थे और 4 राज्यों के राज्यपाल रहे. कई दशकों तक उसके ऑडिटर रहे. देश जानना चाहता है कि ऐसे लोगों ऑडिटर बनाकर क्या सरकार करना चाह रही थी. पीएम नेशनल रिलीफ फंड में एक ट्रस्टी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी है.
नई दिल्ली पाकिस्तान ने शनिवार को बताया कि महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के मौके पर वह सोमवार यानी 29 जून से करतारपुर कॉरिडोर खोलने के लिए तैयार है। कोरोना महामारी के चलते यह कॉरिडोर पिछले तीन महीने से अस्थायी रूप से बंद है। हालांकि पाकिस्तान करतारपुर जैसे आस्था से जुड़े मामले में भी चालबाजी करने से बाज नहीं आया। कॉरिडोर खोलने की अनुमति के नाटक की पोल खोली है। विदेश मंत्रालय सूत्रों ने एएनआई से बताया कि 29 जून से करतारपुर कॉरिडोर खोलने का प्रस्ताव रखकर पाकिस्तान दुनिया के सामने अपना नेकी से भरा चेहरा दिखाना चाहता है। हालांकि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक, उसे कॉरिडोर खोलने की सूचना 7 दिन पहले देनी चाहिए थे। इससे भारत को शॉर्ट नोटिस पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू करनी होगी। 'रावी पर पुल नहीं बना, भारत देखेगा श्रद्धालुओं की सुरक्षा' सूत्रों ने बताया, 'इसके अलावा पाकिस्तान ने अपनी तरफ रावी नदी के ऊपर पुल भी नहीं बनाया है। द्विपक्षीय समझौते में उसने इसे जल्द से जल्द बनवाने की बात की थी। मॉनसून को देखते हुए भारत पहले यह देखेगा कि श्रद्धालुओं का उधर जाना सुरक्षित रहेगा या नहीं।' सूत्रों ने साफ किया कि कोरोना के खतरे को देखते हुए क्रॉस बॉर्डर मूवमेंट पर पूरी तरह प्रतिबंध जारी रहेगा। 16 मार्च से बंद था यह कॉरिडोर भारत ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के मद्देनजर 16 मार्च को पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारा के लिए तीर्थयात्रा और पंजीकरण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। एफओ ने कहा कि विश्वभर में धार्मिक स्थल फिर से खोले जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान ने भी सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने के आवश्यक प्रबंध किए हैं। भारत-पाक में तनाव जारी भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को बड़े पैमाने पर कमतर करते हुए उससे मंगलवार को कहा था कि वह यहां अपने उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या अगले सात दिनों के अंदर 50 प्रतिशत घटाए। साथ ही, विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में इसी अनुपात में अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करने की भी घोषणा की है।
कोलंबो लद्दाख में जारी तनाव के बीच चीन ने भारत को घेरने के लिए बड़े पैमाने पर तैयरियां शुरू कर दी हैं। एक तरफ जहां चीन की शह पाकर नेपाल आंख दिखा रहा है वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान एलओसी से सटे इलाकों में लगातार सीजफायर का वॉयलेशन कर रहा है। इन सबके बीच चीन ने अब बांग्लादेश और श्रीलंका को भी साधने की कोशिशों को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए चीन आर्थिक और डोनेशन डिप्लोमेसी का सहारा ले रहा है। डोनेशन डिप्लोमेसी से साध रहा श्रीलंका श्रीलंका ने जून के मध्य में कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीनी निर्मित फेस मास्क और चिकित्सा उपकरण का एक और खेप प्राप्त किया है। जो इस बात का सबूत है कि श्रीलंका बीजिंग की विदेश नीति और डोनेशन डिप्लोमेसी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आर्थिक कर्ज से श्रीलंका को बेदम करने के बाद चीन खुद ही वायरस को फैलाकर अब उसका इलाज कर रहा है। हिंद महासागर में चीन के विस्तार का केंद्र है श्रीलंका चीन की इंडो पैसिफिक एक्सपेंशन और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में चीन ने श्रीलंका को भी शामिल किया है। श्रीलंका ने चीन का कर्ज न चुका पाने के कारण हंबनटोटा बंदरगाह चीन की मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी को 1.12 अरब डॉलर में साल 2017 में 99 साल के लिए लीज पर दे दिया था। हालांकि अब श्रीलंका इस पोर्ट को वापस चाहता है। अमेरिका के साथ श्रीलंका ने कम किया संबंध 2017 से पहले श्रीलंका और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंध थे। इस दौरान अमेरिकी समर्थक सिरिसेना-विक्रीमेसिंघे प्रशासन ने अमेरिका के साथ Acquisition and Cross-Servicing Agreement (ACSA) को अगले 10 साल के लिए बढ़ा दिया था। इससे अमेरिका को हिंद महासागर क्षेत्र में अपने ऑपरेशन के लिए रसद आपूर्ति, ईंधन भरने और ठहराव की सुविधा मिली थी। लेकिन अब गोटबाया प्रशासन ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को कमतर कर दिया है। महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में चीन से बढ़ी नजदीकियां महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका और चीन के बीच नजदीकियां खूब बढ़ी। श्रीलंका ने विकास के नाम पर चीन से खूब कर्ज लिया। लेकिन, जब उसे चुकाने की बारी आई तो श्रीलंका के पास कुछ भी नहीं बचा। जिसके बाद हंबनटोटा पोर्ट और 15,000 एकड़ जगह एक इंडस्ट्रियल जोन के लिए चीन को सौंपना पड़ा। अब आशंका जताई जा रही है कि हिंद महासागर में अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए चीन इसे बतौर नेवल बेस भी प्रयोग कर सकता है। गोटभाया राजपक्षे के सत्ता में आते ही बदले समीकरण साल 2019 में जब श्रीलंका की राजनीति में गोटभाया राजपक्षे ने सत्ता संभाली तब से चीन के साथ संबंध कमतर हुए हैं। क्योंकि श्रीलंका को डर है कि अगर वह चीन से कर्ज लेता रहा तो वह ड्रैगन का सैटेलाइट स्टेट बनकर रह जाएगा।
लखनऊ भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus Updates India) के बढ़ते मामलों के बीच कुछ बातें सुकून देने वाली हैं। इसमें से एक है इटली के डॉक्टर दावा, जिसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस का असर अब कम हो रहा है। मतलब यह कि म्यूटेशन के बाद बना नया कोरोना वायरस (Coronavirus Latest News India) अब उतना प्रभावी नहीं है, जितना शुरुआती स्तर पर था। वहीं, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित लोकबंधु अस्पताल में आयुर्वेद के पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ. आदिल रईस भी कहते हैं कि महामारी में सावधानी बरतने की जरूरत है, ख्याल रखने की जरूरत है। डॉ. आदिल रईस का कहना है, 'कोरोना से डरने या परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि कुछ बातों का ख्याल रखकर मरीज ठीक हो रहे हैं। आयुर्वेद के जरिए कुछ मरीजों का इलाज किया गया और यह बहुत प्रभावी भी नजर आया।' इस तरह से की गई रीसर्च डॉ. आदिल कहते हैं, 'हम लगातार रिसर्च कर रहे हैं। हमने कोरोना के प्रारंभिक लक्षणों वाले मरीजों के तीन ग्रुप बनाए। इनमें कोई भी गंभीर हालत में नहीं था। हमने तीन ग्रुपों के नाम क्रमश: ग्रुप A,ग्रुप B,ग्रुप C दिए। प्रत्येक ग्रुप में 30 मरीजों को रखा गया। ग्रुप ए के 30 में से 28 मरीजों की रिपोर्ट 5वें दिन निगेटिव आई। वहीं, ग्रुप बी में 30 मरीजों में से 26 मरीजों की रिपोर्ट 5वें दिन निगेटिव आई और ग्रुप C में 30 में से 17 लोगों की रिपोर्ट 5वें दिन निगेटिव आई। ग्रुप ए और ग्रुप बी में सभी 30 पेशंट्स 7वें दिन निगेटिव मिले। हालांकि, ग्रुप C में सातवें दिन 20 मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई।' मरीजों को दी गईं ये दवाएं खैर, अब सवाल यह उठता है कि इन तीनों ग्रुप के मरीजों को क्या दिया गया। इसके बारे में डॉ. आदिल रईस कहते हैं, 'ग्रुप ए को हमने व्याघ्रयादि काशय और समशामणि वटी दी। ग्रुप बी के मरीजों को हमने रसोन कल्क और शुंठी चूर्ण (सोंठ का पाउडर) दिया। ग्रुप सी को हमने दोनों यानी समूह ए और समूह बी से तुलनात्मक अध्य्यन के लिए रखा था। ग्रुप सी को हमने विटमिन सी की गोलियां दीं। हां, सभी मरीजों को हल्का भोजन (आसानी से पचने वाला), गरम पानी दिया गया। साथ ही नमक वाले गरम पानी से गरारे कराए गए। इसके बाद के नतीजे आपके सामने हैं।' 'हमारी कोशिश सफल हो रही है' डॉ. आदिल बताते हैं, 'अबतक की गई रिसर्च में जो परिणाम सामने आए हैं, उनको देखकर एक बात तो साफ है कि इस महामारी से घबराने की जरूरत नहीं है। अगर हम इम्युनिटी को बेहतर कर लें तो आसानी से कोरोना को मात दी जा सकती है।' डॉ. आदिल कहते हैं, 'डायरेक्टर डॉ. डीएस नेगी, सीएमएस डॉ. अमिता यादव और नैशनल हेल्थ मिशन (NHM) के डॉ. रामजी वर्मा, डॉ. हिमांशु आर्या का हमें बहुत सपॉर्ट मिल रहा है। उम्मीदों के मुताबिक, हमारी कोशिश सफल हो रही है।'
नई दिल्ली सरकार ने कोरोना के इलाज के लिए सस्ती स्टेरॉयड ड्रग डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। यह दवा मिथाइलप्रेड्निसोलोन के विकल्प का काम करेगी और इसे मॉडरेट तथा गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए एक संसोधित प्रोटोकॉल जारी किया है। यह कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए है। इस महीने मंत्रालय ने कोरोना के लक्षणों की सूची को संशोधित किया था। गंध और स्वाद महसूस नहीं होने को भी कोरोना के लक्षणों में शामिल किया गया था।
नई दिल्ली,लद्दाख के पैंगोंग झील में फ्लैश प्वाइंट को भारतीय सेना एक 'सेमी-परमानेंट फेस-ऑफ' के तौर पर डील कर रही है. सेना की उम्मीद के मुताबिक ये स्थिति महीनों नहीं तो हफ्तों तक खिंच सकती है. भव्य पैंगोंग झील के किनारे की मौजूदा स्थिति को लेकर सैन्य नेतृत्व कैसे देख रहा है, इस पर पहली बार इंडिया टुडे से जानकारी साझा करते हुए टॉप सेना अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना को पर्याप्त से अधिक मोबलाइज किया गया है जिससे कि सेक्टर में किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. सेक्टर में चीन का बड़ा बिल्ड-अप अधिक साफ दिखता है. सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने इस हफ्ते दो दिन लद्दाख में बिताए. उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पूर्वी लद्दाख में 832 किलोमीटर लंबे फ्रंटियर पर चीनी सेना के साथ स्थिति की जानकारी दी. लद्दाख में सेना प्रमुख पैंगोंग क्षेत्र में तैनात यूनिट्स के सैनिकों से मिले. इनमें वो जवान भी शामिल थे जिनका 5 मई की रात को चीनी सैनिकों के साथ हिंसक टकराव हुआ था. उस घटना से ही मौजूदा गतिरोध शुरू हुआ जिसे अब 51 दिन बीत चुके हैं. जबकि भारतीय सेना पैंगोंग सेक्टर में चीनी कार्रवाइयों को पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति बदलने की अधिक साफ दिखाई देने वाली कोशिश के तौर पर ले रही है, सूत्रों का कहना है कि आंतरिक तौर पर इसे डोकलाम गतिरोध के समांतर देखा जा रहा है, जो 70 से अधिक दिन चला था. भारतीय सेना को उम्मीद है कि चीनी वापस लौट जाएंगे, लेकिन उसका दृष्टिकोण जल्दी तनाव घट जाने जैसी किसी संभावना को लेकर यथार्थवादी है. इंडिया टुडे हालांकि इस बात की पुष्टि कर सकता है कि 22 जून को चुशुल-मोल्डो में कोर कमांडर स्तर की बैठक के बाद रिज-लाइन पोजीशन पर चीनी सैनिकों की तैनाती में ‘थोड़ी किंतु दिखने वाली’ कमी आई है. जिस जगह ये बैठक हुई थी वो फिंगर 4 फेस-ऑफ प्वाइंट से दक्षिण में 20 किलोमीटर की दूरी पर है. सेना इस तरह चीनी सैनिकों की संख्या में कमी को किसी माइलस्टोन की तरह नहीं ले रही है बल्कि 22 जून की बैठक में हुई सहमति के आधार पर उठाए एक कदम के तौर पर देख रही है. पिछले 10 दिनों में सैटेलाइट तस्वीरों और उनके विश्लेषण ने स्थापित किया है कि फिंगर 4 की रिज-लाइन के साथ न केवल चीनी तंबू और कैम्प बल्कि पिलबॉक्स (हथियारों के स्थाई बंकर्स), सुरक्षा पटरियां भी उभर आई हैं. सेना के सूत्रों ने कहा कि उन्होंने रिजलाइन पर संगर्स (छाती की ऊंचाई तक सुरक्षा दीवार) की मौजूदगी पर गौर किया है. वीडियो साक्षात्कार में, इंडिया टुडे ने उस विश्लेषक से बात की, जिसने पैंगोंग त्सो के फिंगर 4 में चीनी तैनाती की प्रकृति को कैप्चर करने वाली सैटेलाइट तस्वीरों को पहली बार प्रकाशित किया था. इस हफ्ते की तस्वीरों के विश्लेषण ने रिज-लाइन के पीछे के क्षेत्रों में, और साथ ही झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सपोर्ट पोजीशंस का पता लगाया. 'भारतीय सेना पैंगोंग झील में चीनियों के जवाब में पर्याप्त रूप से मोबलाइज नहीं हुई और उसने उस क्षेत्र में जमीनी पहुंच खो दी, जहां वो पहले पेट्रोल करती थी'? इस ‘अवधारणा’ को लेकर ग्राउंड पर सेना के सूत्रों ने स्थिति स्पष्ट की. सूत्रों ने कहा, “वास्तविकता ये है कि सेना 'किसी भी स्थिति का सामना करने' के लिए पर्याप्त रूप से मोबलाइज हुई है, इसमें फिंगर 4 रिज-लाइन के पास का भी क्षेत्र है. यह तब है जबकि ये क्षेत्र सामान्य बार्डर मैनेजमेंट मुद्रा के हिस्से तौर पर भारतीय सेना की भारी तैनाती नहीं देखता है.” सूत्रों ने बताया कि 'मोबिलाइजेशन इस तरह किया गया है कि चीनी किसी भी दिशा से तनाव बढ़ाने की सीढ़ी पकड़ें, वहीं भारतीय सेना की ओर से पर्याप्त प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके.' न सिर्फ रिज-लाइन के दो किलोमीटर पश्चिम में स्थित ITBP कैम्प को मजबूत किया गया है बल्कि भारतीय सेना ने रिजलाइन के पश्चिम में एक नई पोजीशन भी सेटअप की है. सेना ने इसे 'फेस-ऑफ मौजूदगी' बताया है. दरअसल 17-18 मई से इस क्षेत्र में चीनी कैंप दिखने शुरू हो गए थे. चीनी रिज-लाइन पोजीशंस अब भारतीय पोजीशंस से आधे किलोमीटर से कम की दूरी पर सीधे नजर आती है. चिंता का एक कारण यह भी है कि पैंगोंग झील में चीजें पहले से ही अस्थिर हैं. 5-6 मई को टकराव के दौरान दोनों पक्षों में कई लोग घायल हुए. इसके बाद 14 मई और फिर 31 मई को सैनिकों में झड़प हुई. 31 मई की घटना का वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वहीं शांति बनाए रखने के लिए कोशिशें जारी हैं. सेना का आकलन साफ है कि इसका मौजूदा मिरर मोबिलाइजेशन और तैनाती किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए पर्याप्त है. इस आकस्मिकता में स्थानीय स्तर पर झड़प की संभावना भी शामिल है. कम से कम दो पूर्व सेना प्रमुख - जनरल वीपी मलिक और जनरल दीपक कपूर – इसे एक संभावना के रूप में देखते हैं. ऐसी स्थिति में जब चीन ने 22 जून को सैनिकों की तैनाती में हल्की कमी लाने से पहले लगातार बिल्ड-अप किया. सोशल मीडिया पर गुरुवार को सितंबर 2019 का एक वीडियो सामने आया जिसके फिंगर 4-8 के बीच पैंगोंग झील के तट से होने की पुष्टि हुई. वीडियो में देखा जा सकता है कि एक चीनी पेट्रोल को भारतीय सेना के एक दल की ओर से चुनौती दी गई और रोका गया. बताया जा रहा है कि ये वीडियो जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और लद्दाख सहित दो नए केंद्र शासित प्रदेशों के निर्माण के कुछ ही हफ्तों के बाद का है. हालांकि, पेट्रोलिंग टकराव वर्षों से होते रहे हैं, लेकिन इस वीडियो में देखा जा सकता है कि चीनी किस तरह सामान्य से अधिक सैनिकों और यूटिलिटी वाहनों के जरिए ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे गौर करने लायक हिस्सा वो है जिसमें चीनी नौकाएं उकसाने वाली मुद्रा में दिखती है. जबकि इंडिया टुडे ने देपसांग और दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) क्षेत्रों में चीनी मोबिलाइजेशन पर रिपोर्ट दी है, असल में सेना वहां के घटनाक्रमों को मौजूदा गतिरोध से अलग देख रही है, जो पैंगोंग-हॉट स्प्रिंग्स-गलवान तक सीमित है. सेना के सूत्रों का कहना है कि देपसांग-डीबीओ के घटनाक्रम को चीन की ओर से क्षेत्र में मोबिलाइजेशन के लिए वर्षों की कोशिशों के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है, ऐसी कोशिशें जिसे भारतीय सेना के अग्रिम मोबिलाइजेशन से नाकाम किया जाता रहा है. इंडिया टुडे की जानकारी में है कि क्षेत्र में पेट्रोलिंग अतिक्रमण दोनों पक्षों से होते हैं, हालांकि एलएसी के भारतीय पक्ष की तरफ चीन की कोई पोजीशन्स सामने नही आई हैं.यह इलाका संवेदनशील बना हुआ है, भारतीय वायु सेना की ओर से लेह से लेकर डीबीओ तक एयर ब्रिज की पहले ही स्थापना की जा रही है जिससे कि जरूरत पड़ने पर शॉर्ट नोटिस पर बड़ी संख्या में सैनिकों को पहुंचाया जा सके.
बीजिंग, 27 जून 2020,भारत ने चीन को दो टूक कहा है कि ये पूरी तरह से चीन पर निर्भर है कि वो द्विपक्षीय संबंधों को किस दिशा में ले जाना चाहता है. चीन को इस पर सावधानी से विचार करना चाहिए. चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव न हो इसका एक मात्र उपाय ये है कि चीन LAC पर नए निर्माण करना तुरंत बंद करे. समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में विक्रम मिस्री ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि चीन इस बाबत अपने दायित्वों को समझेगा और एलएसी पर तनाव को दूर करेगा और वहां से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि चीन को बॉर्डर पार कर भारत की सीमा में आने और भारतीय जमीन पर निर्माण करने की अवैध हरकत को तुरंत बंद करना चाहिए. गलवान पर दावा कर कोई फायदा नहीं भारत के राजदूत ने गलवान घाटी पर चीन के किसी भी तरह के दावे को खारिज करते हुए कहा कि गलवान घाटी पर चीन की ओर से संप्रभुता का दावा बिल्कुल ही असमर्थनीय है और इस तरह बढ़ा चढ़ाकर दावा करने से चीन को किसी तरह का फायदा नहीं होने वाला है. LAC पर यथास्थिति बदलने का असर द्विपक्षीय रिश्तों पर विक्रम मिस्री ने ये साफ कर दिया कि एलएसी पर यथास्थिति बदलने की चीन की कोशिश का असर दोनों देशों के बीच के वृहद द्विपक्षीय संबंधों पर हो सकता है. अपनी हरकतों से रिश्तों में दरार पैदा कर चुका है चीन भारतीय राजदूत ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आए, इसके लिए ये जरूरी है कि सीमा पर शांति और सौहार्द्र कायम रहे. उन्होंने कहा कि चीनी सेना की हरकतों ने द्विपक्षीय संबंधों में अच्छी खासी दरार पैदा कर दी है, अब चीनी सेना को भारत की सेना की सामान्य पेट्रोलिंग गतिविधियों के लिए बाधा बननी नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अपनी सीमा में ही किसी प्रकार की गतिविधि की है.
लद्दाख, 27 जून 2020, लद्दाख में भारतीय सेना चीन की हर चाल का जवाब देने को तैयार है. ताकि अगर चीन किसी तरह की हिमाकत करता है तो उसे सबक सिखाया जा सके. भारत की तैयारियां सिर्फ गोले बारूद और हथियारों की तैनाती से ही नहीं हो रही हैं. भारत अब लद्दाख में सरहद के तमाम इलाकों को कनेक्ट करने, वहां संचार के माध्यमों को चुस्त-दुरुस्त करने में जुटा है. भारत की ये मुहिम भी सैन्य तैयारी जैसी ही है. लद्दाख के सीमावर्ती गांवों में संचार सुविधा को मजबूत करने के केंद्र सरकार ने नया प्लान तैयार किया गया है. सरकार ने लद्दाख में 134 डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल स्थापित करने की योजना बनाई गई है. लद्दाख के एग्जिक्यूटिव काउंसलर कुनचोक स्टांजी ने बताया कि लद्दाख के 57 गांवों में तेजी से संचार तंत्र को मजबूत किया जाएगा. इसके लिए आठ साल से कोशिश की जा रही थी. कुनचोक स्टांजी के मुताबिक लेह के लिए 24 मोबाइल टावर की अनुमति मिल गई है, लेकिन अभी 25 और मोबाइल टावर की जरूरत है. पूरे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कनेक्टिविटी पर 336.89 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. अगर सिर्फ लद्दाख की बात करें तो इस पर 57.4 करोड़ रुपये की लागत आएगी. इससे जम्मू-कश्मीर के भी कई गांवों में लोग फोन सुविधा का फायदा उठा सकेंगे. लद्दाख में जिन महत्वपूर्ण इलाकों को सैटेलाइट फोन कनेक्शन मिलेगा, उनमें गलवान घाटी, दौलत बेग ओल्डी, हॉट स्प्रिंग्स, चुशूल शामिल है. ये सभी इलाके वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे हैं. गलवान घाटी में ही हाल में चीन से संघर्ष हुआ है, जबकि दौलत बेग ओल्डी में भारत का सैन्य ठिकाना है. यहां पर संचार व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. लद्दाख के एग्जिक्यूटिव काउंसलर कुनचोक स्टांजी ने कहा कि चीन ने अपनी सीमा में फोन नेटवर्क का विस्तार किया है. उनके यहां नेटवर्क की स्थिति अच्छी है. भारत ने भी इस दिशा में अब काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि यहां की विषम भौगोलिक परिस्थिति की वजह से हर गांव में एक मोबाइल टावर की जरूरत पड़ती है. इस लिहाज से यहां अभी और टावर की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बॉर्डर से सटे कई गांवों में अभी भी नेटवर्क की समस्या रहती है. उम्मीद की जा रही है नए मोबाइल नेटवर्क से यहां के लोगों की समस्या दूर होगी.
पिथौरागढ़,भारत के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच नेपाल ने बॉर्डर पर सड़क तैयार करना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले से सटे बॉर्डर के पास धारचूला-तिनकर रोड के निर्माण का काम तेज कर दिया है। नेपाल ने इस काम के लिए अपनी सेना को तैनात किया है। इसके साथ ही सीमा के पास एक हेलिपैड भी तैयार कर लिया है। इस सड़क के निर्माण से चीन की सीमा तक नेपाल की पहुंच आसान हो जाएगी। लिखें नेपाल ने 'महाकाली कॉरिडोर' के नाम से धारचूला-तिनकर रोड का निर्माण कार्य तेज कर दिया है। सूत्रों के अनुसार नेपाल सरकार की तरफ से यह कदम 'भारतीय सड़कों पर नेपाली नागरिकों की निर्भरता को कम करने के लिए' उठाया गया है। कई सारे नेपाली नागरिकों को अपने गांवों तक पहुंचने के लिए भारत की सीमा में सड़कों का इस्तेमाल करना पड़ता है। चीन बॉर्डर तक आसान होगी पहुंच इस सड़क के निर्माण से नेपाली सशस्त्र पुलिस के लिए पेट्रोलिंग करना भी आसान हो जाएगा। नेपाल ने बॉर्डर के इलाकों में कई सारे आउटपोस्ट बनाए हैं। इसके साथ ही बड़ा फायदा चीन की सीमा तक पहुंचने में हो जाएगा। इस रोड के लास्ट पॉइंट तिनकर के बाद चीन की सीमा लगती है। सूत्रों के अनुसार कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को ले जाने में नेपाल के टूर ऑपरेटर्स को भी फायदा मिलेगा। तेजी से सड़क निर्माण में जुटी नेपाली सेना सूत्रों के अनुसार नेपाल सरकार ने कुछ महीने पहले 134 किलोमीटर लंबी इस सड़क को पूरा करने के लिए सेना को तैनात किया था। पिछले एक दशक में इस सड़क का केवल 43 किलोमीटर हिस्सा ही पूरा हो सका है। पिथौरागढ़ के धारचूला में सरकारी अधिकारियों ने टीओआई से बातचीत में बताया कि नेपाल की सेना प्राथमिकता के आधार पर इस सड़क को तैयार कर रही है। घाटियाबागर में हेलिपैड भी तैयार धारचूला के एसडीएम ने बताया, 'हमें इस बात की जानकारी मिली है कि नेपाल में सीमा के पास घाटियाबागर इलाके में सड़क निर्माण के लिए सामानों की आवाजाही के लिए एक हेलिपैड भी तैयार किया गया है।' टीओआई ने नेपाल के धारचूला के चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर शरद कुमार पोखरेल से इस संबंध में बात की, जिन्होंने सड़क निर्माण की पुष्टि। हालांकि उन्होंने आगे कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सीमा के पास बसे लोगों में चिंता सड़क निर्माण की यह प्रक्रिया भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद की वजह से बढ़े तनाव के बीच सामने आई है। उत्तराखंड में स्थित कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के इलाकों पर नेपाल ने अपना दावा किया है। वहां की संसद में संशोधित नक्शे को भी पास कर दिया गया है। फिलहाल सीमा के पास रहने वाले लोगों में चिंता है।

Top News