श्रीलंका में बुर्के पर बैन: बुर्का-नकाब बैन विश्व में लोकप्रिय हो रहा यह विकल्प?

कोलंबो श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने सोमवार को सार्वजनिक स्थानों में चेहरा छुपानेवाले परिधानों के पहनने पर बैन लगा दिया है। ईस्टर के दिन हुए धमाके के बाद श्रीलंका की सरकार ने यह फैसला लिया है। इस हमले की जिम्मेदारी आईएस के साथ देस के 2 अन्य इस्लामिक आतंकी संगठनों ने ली है। श्रीलंका के इस्लामिक विद्वानों का कहना है कि थोड़े समय के लिए इसे समर्थन कर रहे हैं, लेकिन बुर्का के खिलाफ किसी तरह के कानूनी आदेश का विरोध करेंगे। मानवाधिकार से जुड़ी कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने श्रीलंका सरकार के इस कदम की आलोचना की है। बुर्का बैन विश्व में हो रहा है लोकप्रिय बुर्का बैन कुछ वक्त पहले तक घोर दक्षिणपंथी लोगों के बीच लोकप्रिय था, लेकिन पिछले कुछ वक्त में वैश्विक स्तर पर यह प्रचलन बढ़ा है। नीदरलैंड्स से लेकर ऑस्ट्रिया तक और कनाडा के कुछ हिस्सों में बुर्का बैन लागू किया गया है। पिछले कुछ वक्त में कई देशों में प्रशासन ने चेहरा ढंकने वाले परिधानों के प्रयोग पर बैन का कानून बनाया है। यहां तक कि मुस्लिम मुल्क इजिप्ट में भी इसे लागू किया गया है। मुस्लिम भाईचारे को परे रखकर इजिप्ट में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों पर कार्रवाई के तौर पर फैसला लिया है। अफ्रीका और फ्रांस के कई देशों में बुर्के पर बैन अफ्रीका के गैबन, चाड और कॉन्गो के साथ यूरोप में बेल्जियम और फ्रांस ने भी चेहरा ढंकने वाले परिधानों के प्रयोग पर पाबंदी लगाई है। फ्रांस ने बुर्के पर बैन लगाने से पहले सार्वजनिक स्कूलों में किसी भी धार्मिक पहचान के चिह्न के पहनने जैसे सिर पर स्कार्फ, नेकलेस आदि पर भी बैन लगाया था। फ्रेंच बोलनेवाले कुछ दूसरे देशों में भी बैन आंशिक तौर पर लगाया गया है जैसे नीदरलैंड्स में चेहार ढंकने वाले परिधान के प्रयोग पर बैन लगाया है। बुर्का बैन से महिलाओं पर घरेलू पाबंदी हो सकती है और सख्त बुर्का बैन पर दक्षिणपंथी मानवाधिकार संगठन भी कई बार आपत्ति जताते हैं। इस तरह के बैन के विरोध के पीछे प्रमुख तर्क है कि ऐसे परिधानों पर बैन लगाने का दुष्प्रभाव महिलाओं पर ही नजर आता है। इन प्रतिबंधों का नतीजा यह हो सकता है कि ऐसे परिवारों में महिलाओं के सार्वजनिक स्थलों पर जाने और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी को पूरी तरह से रोक लगा दिया जाए। एमनेस्टी इंटरनैशनल भी बुर्का बैन के विरोध में है और इस संगठन का तर्क है कि महिलाओं के सशक्तिकरण का उद्देश्य उनके लिए मौजूदा विकल्पों को बढ़ाना है न कि मौजूद विकल्पों को भी और सीमित कर देना। डेनमॉर्क में बुर्के के विरोध में काफी प्रदर्शन भी हुए थे। इस प्रदर्शन में कई महिलाएं फैसले के विरोध में सिर और चेहरा ढंकनेवाले परिधान में सार्वजनिक स्थलों पर निकली थीं।

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