डॉक्टरों की हड़ताल और सूबे में राजनीतिक हिंसा पर केंद्र ने मांगी ममता सरकार से रिपोर्ट

नई दिल्‍ली/ कोलकाता पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों से मारपीट के मामले के बाद सूबे में चल रही चिकित्सकों की हड़ताल को लेकर केंद्र ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। यही नहीं गृह मंत्री अमित शाह ने ममता सरकार से 2016 से 2019 के बीच हुई राजनीतिक हिंसा को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है। केंद्र ने ममता सरकार से पूछा है कि आखिर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने और राजनीतिक हिंसा पर लगाम कसने के लिए उन्होंने अब तक क्या किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ममता सरकार से अब तक राजनीतिक हिंसा को रोकने, उसकी जांच और दोषियों को सजा दिलाने के लिए क्‍या कदम उठाए गए हैं, इस संबंध में एक रिपोर्ट देने को कहा है। गृह मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में लगातार हो रही हिंसा गंभीर चिंता का विषय है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 से 2019 के बीच चुनावी हिंसा, राजनीतिक हिंसा और लोगों के मारे जाने की बढ़ती घटनाओं की तरफ इशारा करते हुए राज्‍य सरकार को एक अडवाइजरी जारी की है। केंद्र सरकार ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में लगातार हो रही हिंसा गंभीर चिंता का विषय है।' केंद्र सरकार ने ममता सरकार से एक रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के वर्तमान हालात पर गंभीर चिंता जताई है। 2019 में ही अब तक 26 लोगों की मौत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसे मिली रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाएं वर्ष 2016 के 509 की अपेक्षा वर्ष 2018 में बढ़कर 1035 हो गई हैं। वर्ष 2019 में ही अब तक हिंसा की 773 घटनाएं हो चुकी हैं। राज्‍य में इस तरह की हिंसा में वर्ष 2016 में जहां 36 लोगों की मौत हुई थी वहीं वर्ष 2018 में मरने वालों का आंकड़ा 96 पहुंच गया। वर्ष 2019 में ही अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है। गृह मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2016 से जारी हिंसा का यह ट्रेंड दर्शाता है कि राज्‍य सरकार कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखने और लोगों में सुरक्षा का भाव पैदा करने में असफल रही है। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि वह अपनी रिपोर्ट में अब तक राजनीतिक हिंसा को रोकने, उसकी जांच और दोषियों को सजा दिलाने के लिए क्‍या कदम उठाए गए हैं, इसके बारे में बताए।

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