जल्दी आपकी जेब के लिए प्रोत्साहन पैकेज ला सकती है सरकार

आर्थिक सुस्ती गहराने के साथ ही इससे मुकाबले को सरकार की ओर से घोषणाओं में तेजी आ रही है। हालांकि, पिछले 10 दिनों में सरकार की ओर से घोषित उपाय संस्थाओं और कंपनियों से संबंधित हैं, जैसे विदेशी निवेश के लिए नियमों में बदला या 10 सरकारी बैंकों का 4 में विलय। अर्थशास्त्री निजी उपभोग और मांग में भारी गिरावट को लेकर सावधान कर रहे हैं और कंज्यूमर सेंटिमेंट में सुधार पर जोर दे रहे हैं, क्योंकि जब उपभोक्ताओं की मनोदशा नकारात्मक होती है तो वे कम खर्च करते हैं। अब सरकार कुछ ऐसे कदमों की घोषणाएं कर सकती है जिनका आपकी जेब पर सीधा असर होगा। पिछले सप्ताह जारी जीडीपी के आंकड़ों ने भी दिखाया कि वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में निजी उपभोग पर खर्च, जो अर्थव्यवस्था में मांग को दर्शाता है, महज 3.14 % की गति से बढ़ा। यह 17 तिमाहियों में सबसे निचला स्तर है। अब आपकी बारी? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि सरकार अगली जीएसटी काउंसिल बैठक में ऑटोमोबाइल्स के लिए जीएसटी कटौती का प्रस्ताव रखेंगी, ताकि कम मांग की वजह से सुस्ती का सामना कर रहे ऑटो सेक्टर को राहत मिले। इसका मतलब है कि त्योहारी सीजन से पहले गाड़ियां सस्ती हो जाएंगी। रियल एस्टेट के लिए भी इसी तरह के पैकेज की चर्चा है। पैसे की है दिक्कत उपभोग में सुस्ती का संकेत जीएसटी कलेक्शन में गिरावट से भी मिला है। अगस्त में ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन जुलाई के मुकाबले 1.02 लाख करोड़ रुपये से घटकर 98,202 करोड़ रुपये रहा। सरकार ने जीएसटी कलेक्शन के अनुमान को बजट में 7.6 लाख करोड़ से घटाकर 6.63 लाख करोड़ कर दिया था। खराब नीतियां जिम्मेदार? छह साल में जीडीपी के सबसे निचले स्तर पर रहने की रिपोर्ट जारी होने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुस्ती के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, 'घरेलू मांग कम है और उपभोग वृद्धि 18 महीने के निचले स्तर पर है। नाममात्र जीडीपी विकास 15 साल के निचले स्तर पर है। टैक्स रेवेन्यू में गैप बढ़ रह है। टैक्स में उछाल मायावी बना हुआ है, क्योंकि छोटे बड़े कारोबारी टैक्स आतंकवाद से पीड़ित हैं। निवेशकों का भाव उदास है। ये सब इकॉनमी को उबारने वाले मूल नहीं हैं।'

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