taaja khabar..के. कविता ने केजरीवाल-सिसोदिया के साथ मिलकर शराब नीति में कराया बदलाव', ईडी का बड़ा दावा..फिर से मोदी' के नारों से गूंजा कोयंबटूर, फूलों की बारिश के बीच प्रधानमंत्री ने किया रोड शो..लोकसभा चुनाव में संतों को प्रतिनिधित्व की मांग

बहुत कुछ

पटनाः बिहार में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए ने सीट बंटवारे का ऐलान कर दिया। राज्य में बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू 16 सीटों पर लड़ेगी। वहीं चिराग पासवान की लोजपा-रामविलास को 5 सीटें, जीतन राम मांझी की हम को 1 सीट और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 1 सीट मिली है। नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में पांचों दलों के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े ने सीट बंटवारे का ऐलान किया। इस मौके पर बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और जेडीयू के वरिष्ठ नेता संजय झा समेत अन्य दलों के नेता मौजूद थे। पशुपति पारस की रालोजपा का पत्ता कटा बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने बताया कि पांच दलों के बीच बंटी सीटों की लिस्ट जारी की। इस घोषणा से साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की रालोजपा का पत्ता कट गया है। पुरानी लोजपा के कब्जे वाली नवादा लोकसभा सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी। इस सीट से पशुपति पारस की पार्टी के चंदन सिंह सांसद हैं। चंदन लोजपा के कद्दावर नेता सूरजभान सिह के भाई हैं। बीजेपी इन 17 सीटों पर लड़ेगी चुनाव बिहार में बीजेपी के खाते में 17 सीटें गई हैं। इनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगूसराय, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर और सासाराम लोकसभा सीट शामिल हैं।
नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति घोटाला केस में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने बीआरएस नेता के. कविता को हिरासत में ले रखा है। उनके साथ लगातार पूछताछ की जा रही है। इसी बीच ईडी की टीम ने बयान जारी किया है। इसमें एजेंसी ने शराब नीति घोटाला केस में गिरफ्तार के. कविता के साथ अरविंद केजरीवाल का भी नाम लिया है। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने दावा किया कि के. कविता ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर शराब नीति में बदलाव करवाए। के. कविता की गिरफ्तारी के ईडी का बयान ईडी ने दिल्ली शराब नीति मामले में के. कविता की गिरफ्तारी के बाद ये बयान जारी किया। इसमें जांच एजेंसी ने बताया कि एक्साइज पॉलिसी में फेवर पाने के लिए के. कविता ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर साजिश रची थी। इसके बदले में 100 करोड़ रुपये का पेमेंट भी किया गया था। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार और साजिश का पता चला। बाद में ये पॉलिसी कैंसिल कर दी गई थी।
नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने चुनावी बॉण्ड को लेकर नया डेटा रविवार को सार्वजनिक कर दिया। यह डेटा आयोग ने सीलबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय को सौंपा था। न्यायालय ने बाद में आयोग से यह डेटा सार्वजनिक करने के लिए कहा था। माना जा रहा है कि ये विवरण 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि से संबंधित हैं। आयोग ने पिछले सप्ताह उपरोक्त तारीख के बाद के चुनावी बॉण्ड से संबंधित विवरण को सार्वजनिक किया था। बता दें कि चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद डेटा जारी किया। वेबसाइट पर अपलोड किया डाटा आयोग ने एक बयान में कहा कि राजनीतिक दलों ने उच्चतम न्यायालय के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के अनुसार सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉण्ड से संबंधित डेटा दाखिल किया था। आयोग ने कहा कि "राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय में जमा किया गया था। 15 मार्च, 2024 के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए न्यायालय की रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ भौतिक प्रतियां वापस कर दीं। आयोग ने आज चुनावी बॉण्ड को लेकर उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री से डिजिटल रूप में प्राप्त डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।” चुनाव आयोग के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार- भाजपा ने कुल 6,986.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड भुनाए। इसमें पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2,555 करोड़ रुपये मिले। कांग्रेस पार्टी ने चुनावी बॉण्ड के जरिए कुल 1,334.35 करोड़ रुपये भुनाए। बीजद (BJD) ने 944.5 करोड़ रुपये, वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) ने 442.8 करोड़ रुपये, तेदेपा (TDP) ने 181.35 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड भुनाए चुनावी बॉण्ड के माध्यम से तृणमूल कांग्रेस को 1,397 करोड़ रुपये मिले BRS ने 1,322 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड भुनाए सपा को चुनावी बॉण्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपये अकाली दल को 7.26 करोड़ रुपये अन्नाद्रमुक को 6.05 करोड़ रुपये नेशनल कॉन्फ्रेंस को 50 लाख रुपये मिले शिवसेना को 60.4 करोड़ रुपये मिले राजद को 56 करोड़ रुपये मिले अन्नाद्रमुक को 6.05 करोड़ रुपये मिले मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कहा है कि उसे चुनावी बांड के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है। इसके साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीआई (एम) ने कहा कि उसे भी चुनावी बांड के माध्यम से चंदा नहीं मिला।
रायपुर,महादेव सट्‌टा ऐप केस में EOW (आर्थिक अनुसंधान शाखा) ने ED की शिकायत पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत 21 आरोपियों पर FIR दर्ज की है। इसमें ऐप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल समेत कई अज्ञात पुलिस अफसर और कारोबारियों के नाम भी शामिल हैं। ED की ओर से दर्ज कराई गई FIR में कहा गया है कि महादेव ऐप प्रमोटर्स को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त था। ऐप के प्रमोटर्स की ओर से कार्रवाई रोकने के लिए इन आरोपियों को बड़ी राशि नियमित रूप से प्रोटेक्शन मनी के रूप में दी गई। हवाला के जरिए दी जाती थी प्रोटेक्शन मनी ED का आरोप है कि महादेव बुक के ऑपरेटरों के जरिए हवाला से पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं तक प्रोटेक्शन मनी पहुंचाई जाती थी। इन अफसरों और नेताओं ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रमोटर्स से आर्थिक लाभ प्राप्त करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की। ED ने कई अचल संपत्तियों को प्रोविजनल अटैच किया है। इन धाराओं के तहत अपराध दर्ज EOW में इन सभी आरोपियों पर 4 मार्च को आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी में धारा 120 बी, 34, 406, 420, 467, 468 471 धारा 7, 11 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) अधिनियम 2018 का अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया।
नई दिल्ली,चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से 16 मार्च को मिला इलेक्टोरल बॉन्ड का नया डेटा रविवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। नए डेटा में फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के बॉन्ड्स की जानकारी शामिल है। आयोग ने 14 मार्च को 763 पेज की दो लिस्ट में अप्रैल 2019 के बाद खरीदे या कैश किए गए बॉन्ड की जानकारी​​ वेबसाइट पर ​​​​​अपलोड की थी। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी, जबकि दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 14 मार्च को बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को दी थी। इसमें बॉन्ड के यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स नहीं थे। कोर्ट ने 15 मार्च को SBI को नोटिस जारी कर 18 मार्च तक जवाब मांगा है। चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, भाजपा ने कुल 6 हजार 986 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड कैश कराए हैं। पार्टी को 2019-20 में सबसे ज्यादा 2 हजार 555 करोड़ रुपए मिले हैं। वहीं, DMK को इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से 656.5 करोड़ रुपए मिले, जिसमें लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। राजनीतिक पार्टियों ने मांगे बॉन्ड्स के यूनीक नंबर्स आयोग की वेबसाइट पर मौजूद डेटा के मुताबिक कुछ पार्टियों ने SBI से बॉन्ड्स के यूनीक नंबर्स मांगे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि उसे नंबर्स चाहिए ताकि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर सके। भारतीय जनता पार्टी ने SBI से ऐसी कोई अपील नहीं की है, बल्कि उसने पूरा डेटा दिया है। बहुजन समाज पार्टी ने कहा कि उसे चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई चंदा नहीं मिला है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी कहा कि उसे भी इलेक्टोरल बॉन्ड्स से चंदा नहीं मिला। कांग्रेस ने कहा कि वह SBI द्वारा चुनाव आयोग को दिया गया डेटा जारी करेगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित मामले में भी पूछताछ के लिए समन जारी किया है. इस केस में उन्हे.18 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. दिल्ली सरकार में शिक्षा विभाग की मंत्री और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने बताया कि सीएम को यह समन शनिवार शाम को भेजा गया था दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले से संबंधित केस में भी ईडी का सामना कर रहे हैं. एजेंसी ने इस केस में उन्हें आज ही 9वीं बार समन भेजा है और 21 मार्च को पेश होने के लिए कहा है. केंद्रीय एजेंसी ने इस केस में सीएम को 21 नवंबर, , 3 जनवरी, 18 जनवरी, 2 फरवरी, 19 फरवरी, 26 फरवरी और 4 मार्च को समन जारी किया था. ईडी समन के उल्लंघन मामले में मिली जमानत सीएम अरविंद केजरीवाल शनिवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट ने उन्हें केंद्रीय एजेंसी कीशिकायत पर नोटिस जारी किया था. शिकायत पर एक सुनवाई के लिए केजरीवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बेंच के सामने पेश हुए थे लेकिन दूसरी सुनवाई के लिए कोर्ट ने उन्हें अदालत में मौजूद रहने को कहा था. मसलन, अदालत ने यह मानते हुए कि सीएम के खिलाफ लगाए गए आरोप जमानती हैं, उन्हें कुल 50 हजार रुपये के दो अलग-अलग बॉन्ड पर जमानत दे दी दिल्ली जल बोर्ड केस में ईडी की छापेमारी-गिरफ्तारी दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित केस में फरवरी महीने में ईडी ने सीएम के निजी एसिस्टेंट बिभव कुमार, आम आदमी पार्टी के ट्रीजरर और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ छापेमारी की थी. दिल्ली जल बोर्ड के सदस्य शलभ कुमार पर भी रेड की गई थी.... एजेंसी ने बोर्ड के चीफ इंजीनियर जगदीश अरोड़ा और एक अनिल कुमार को गिरफ्तार भी किया था. 38 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम का मामला दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित केस की ईडी जांच सीबीआई की एक एफआईआर पर आधारित है, जिसमें दावा किया गया था कि जगदीश अरोड़ा ने किसी एनकेजी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 38 करोड़ रुपये से ज्यादा का कॉन्ट्रेक्ट दिया था, जो टेक्निकिल रूप से उसके पात्र नहीं थे. ईडी का दावा है कि एनकेजी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने फर्जी दस्तावेज सबमिट करके कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया था. आरोप यह भी है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर ने अनिल कुमार अग्रवाल की स्वामित्व वाली कंपनी इंटीग्रल स्क्रूज को काम का सब-कॉट्रेक्ट दिया था. इसके बदले अरोड़ा को तीन करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें कुछ कैश और .कुछ बैंक ट्रांसफर किया गया था. एजेंसी का दावा है कि अरोड़ा के करीबी लोगों को भी कैश भेजे गए थे.
नई दिल्ली :दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के चुनावों की तारीख का ऐलान हो गया है। भारत में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होगा और 1 एक जून तक वोटिंग होगी। सात फेज़ में इलेक्शन होंगे और 4 जून को नतीजे आएंगे। लेकिन ये बात भी गौर करने वाली है कि इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया 44 दिनों में पूरी होगी जो 1951-52 के पहले ससंदीय चुनाव के बाद मतदान की सबसे लंबी अवधि होगी। बता दें कि पहले चुनाव में वोटिंग 4 महीने से अधिक समय तक चली थी। इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा से लेकर मतगणना होने तक तक चुनाव प्रक्रिया कुल 82 दिनों में पूरी होगी। 1951 में शुरू 1952 में हुए थे खत्म लेकिन इस मौके पर हम आपको आजाद भारत के पहले संसदीय चुनाव से जुड़ी कुछ रोचक बाते बताते हैं। देश का पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर, 1951 से लेकर 21 फरवरी 1952 तक चला था। यानी कि भारत का पहला लोकसभा चुनाव शुरू होकर खत्म होने में साल तक बदल चुका था। ये समयावधि के हिसाब से भारत का सबसे लंबा चुनाव था। वहीं देश में सबसे कम समय में आम चुनाव 1980 में हुए थे, जब महज चार दिनों में मतदान पूरा हो गया था। पहले चुनाव में वोटिंग 4 महीने से अधिक समय तक चली थी। 1951 में भी था दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव साल 1951 में हुए भारत के आम चुनावों में दुनिया की आबादी का करीब 17 फ़ीसदी हिस्सा मतदान करने वाला था। भारत का पहला लोकसभा चुनाव तब भी यह उस समय का सबसे बड़ा चुनाव था और आज भी दुनिया का सबसे बड़ा मतदान है। उस दौरान अलग-अलग तारीखों को मिलाकर कुल 17 दिन मतदान हुआ था। तब चुनाव आयोग ने पूरे देश में 1,96,084 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे। सुकुमार सेन ने कराया था पहला पहला चुनाव भारत के पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन थे, जिन्होंने आजाद भारत का पहला आम चुनाव कराया था। यहां ये बात भी गौर करनी चाहिए कि 1951 में हुए इस देश के पहले चुनाव के दौरान ना तो देश के मतदाताओं के पास चुनाव का कोई पूर्व अनुभव था और ना ही निर्वाचन आयोग के पास कोई बुनियादी ढांचा। भारत में पहला लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर, 1951 को शुरू हुआ था और इसके बाद 17 अप्रैल 1952 को देश में पहली लोकसभा का गठन हुआ था। तब जवाहर लाल नेहरू पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने और इसके बाद उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का गठन किया था। 499 सीटों के लिए हुआ था पहला चुनाव साल 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भारत की कुल जनसंख्या लगभग 36 करोड़ थी। पहले आम चुनाव में 10 करोड़ 59 लाख मतदाताओं ने वोट डाला था। 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में कुल 45.67 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इस चुनाव में देशभर में 499 सीटों के लिए वोट डाले गए थे और 1874 उम्मीदवार मैदान में थे । 1951-52 के आम चुनाव में कुल 53 पार्टियां चुनाव मैदान में थीं, जिसमें 14 राष्ट्रीय पार्टियां और 39 क्षेत्रीय पार्टियां थीं।
दुनिया के सबसे बड़े चुनावों की तारीख का ऐलान हो गया है। भारत में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होगा और 1 एक जून तक वोटिंग होगी। सात फेज़ में इलेक्शन होंगे और 4 जून को नतीजे आएंगे। लेकिन ये बात भी गौर करने वाली है कि इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया 44 दिनों में पूरी होगी जो 1951-52 के पहले ससंदीय चुनाव के बाद मतदान की सबसे लंबी अवधि होगी। बता दें कि पहले चुनाव में वोटिंग 4 महीने से अधिक समय तक चली थी। इस बार निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा से लेकर मतगणना होने तक तक चुनाव प्रक्रिया कुल 82 दिनों में पूरी होगी। 1951 में शुरू 1952 में हुए थे खत्म लेकिन इस मौके पर हम आपको आजाद भारत के पहले संसदीय चुनाव से जुड़ी कुछ रोचक बाते बताते हैं। देश का पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर, 1951 से लेकर 21 फरवरी 1952 तक चला था। यानी कि भारत का पहला लोकसभा चुनाव शुरू होकर खत्म होने में साल तक बदल चुका था। ये समयावधि के हिसाब से भारत का सबसे लंबा चुनाव था। वहीं देश में सबसे कम समय में आम चुनाव 1980 में हुए थे जब महज चार दिनों में मतदान पूरा हो गया था। पहले चुनाव में वोटिंग 4 महीने से अधिक समय तक चली थी। 1951 में भी था दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव साल 1951 में हुए भारत के आम चुनावों में दुनिया की आबादी का करीब 17 फ़ीसदी हिस्सा मतदान करने वाला था। भारत का पहला लोकसभा चुनाव तब भी यह उस समय का सबसे बड़ा चुनाव था और आज भी दुनिया का सबसे बड़ा मतदान है। उस दौरान अलग-अलग तारीखों को मिलाकर कुल 17 दिन मतदान हुआ था। तब चुनाव आयोग ने पूरे देश में 1,96,084 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे। सुकुमार सेन ने कराया था पहला पहला चुनाव भारत के पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन थे, जिन्होंने आजाद भारत का पहला आम चुनाव कराया था। यहां ये बात भी गौर करनी चाहिए कि 1951 में हुए इस देश के पहले चुनाव के दौरान ना तो देश के मतदाताओं के पास चुनाव का कोई पूर्व अनुभव था और ना ही निर्वाचन आयोग के पास कोई बुनियादी ढांचा। भारत में पहला लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर, 1951 को शुरू हुआ था और इसके बाद 17 अप्रैल 1952 को देश में पहली लोकसभा का गठन हुआ था। तब जवाहर लाल नेहरू पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने और इसके बाद उन्होंने अपने मंत्रिमंडल का गठन किया था। 499 सीटों के लिए हुआ था पहला चुनाव साल 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भारत की कुल जनसंख्या लगभग 36 करोड़ थी। पहले आम चुनाव में 10 करोड़ 59 लाख मतदाताओं ने वोट डाला था। 1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में कुल 45.67 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इस चुनाव में देशभर में 499 सीटों के लिए वोट डाले गए थे और 1874 उम्मीदवार मैदान में थे । 1951-52 के आम चुनाव में कुल 53 पार्टियां चुनाव मैदान में थीं, जिसमें 14 राष्ट्रीय पार्टियां और 39 क्षेत्रीय पार्टियां थीं।
चुनाव आयोग ने गुरुवार (14 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया। वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की गई हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल है। दोनों लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया। इस बीच सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान की एक Hub Power Company नाम की एक कम्पनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। दावा यह भी किया गया कि यह चंदा भारतीय जनता पार्टी को दिया गया। समाजवादी पार्टी से जुड़े वेरिफाइड एक्स यूजर कुलदीप यादव ने ट्वीट किया- शहीदों के नाम पर बीजेपी का चंदा। साथ ही सवाल किया- एक पाकिस्तानी कंपनी से आखिर चंदा क्यों लिया, अब पता चला पुलवामा हमले की जांच क्यों नहीं हुई। नहीं चाहिए भाजपा। वेरिफाइड एक्स यूजर अंकित मयंक ने लिखा- शॉकिंग खुलासा, पाकिस्तानी हब पावर कंपनी ने पुलवामा हमले के कुछ सप्ताह बाद चुनावी बॉन्ड डोनेट किए ! खबर लिखे जाने तक अंकित की पोस्ट को 18 हजार से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं। वहीं, पोस्ट को 8 हजार बार रीट्वीट किया गया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक्स यूजर SayantaniI ने ट्वीट करके पूछा- क्या ये सच है पाकिस्तानी HUB POWER COMPANY ने बीजेपी को पुलवामा हमले के बाद चंदा दिया था? समाजवादी पार्टी से जुड़े संतोष कुमार यादव ने ट्वीट किया- पाकिस्तानी Hub Power Company ने साल 2019 चुनाव के समय अप्रैल में BJP को 95 लाख रुपए चंदा दिया! इसी समय पुलवामा में अटैक भी हुआ था। पाकिस्तानी कंपनियों से भाजपा को इतना प्यार क्यों? आश्चर्यजनक रूप से शिवसेना के सांसद संजय राउत और आरजेडी के सांसद मनोज झा ने भी इसी तरह के सवाल उठाए।पर सच्चाई क्या है!क्या सवाल उठाने वाले लोग इलेक्टोरल बांड के बारे में कुछ जानकारी रखते हैं।या महज झूठ का रायता फैला पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश में लगे हैं। जब इलेक्टोरल बांड किस कम्पनी ने किसे दिए ,इसकी जानकारी ही नहीं है तो कैसे पता चला कि पुलवामा हमले के बाद हब पावर ने जो बॉन्ड खरीदे वो भाजपा को दिए गए।ये भी तो हो सकता है ,पुलावमा को लेकर भाजपा और मोदी की छवि खराब करने के लिए ये बॉन्ड विपक्ष को दिए गए हों।सवाल उठता है कि जब चुनाव होने जा रहे हैं तो धूल में लट्ठ क्यों चलाए जा रहे हैं। सबसे पहले तो इस बात को समझना होगा कि इलेक्टोरल बांड को केवल भारतीय नागरिक और भारतीय कम्पनी ही खरीद सकती है।किसी बाहरी व्यक्ति या कम्पनी को बॉन्ड नहीं दिए जा सकते।ऐसे में हब पावर अगर पाकिस्तानी कम्पनी है तो उसे बॉन्ड कैसे मिले।दूसरा अगर उसे मिल गए तो इसका पता कैसे चला कि ये भाजपा को ही दिए गए।कांग्रेस या किसी अन्य दल को नहीं दिए गए।ये भी तो हो सकता है कि जो नेता और यूजर्स जिन दलों से जुड़े हैं ,उन्हीं की पार्टियों को ये बॉन्ड मिले हों और वे पुलवामा हमले की सच्चाई पर पर्दा डालने के लिए भाजपा पर आरोप लगा रहे हों। भास्कर,एबीपी ,टाइम्स नाउ सहित कई चैनल ने जब वायरल होते इस दावे की पड़ताल के लिए SBI के Electoral Bond Scheme - 2018 से जुड़े FAQs सेक्शन को देखा। इसमें प्रश्न क्रमांक 4 में सवाल था- चुनावी बॉन्ड कौन खरीद सकता है और इससे जुड़ी पात्रता क्या है ? इसका जवाब है- भारत का नागरिक या भारत में निगमित (INCORPORATED) कोई निकाय (BODY) इसे खरीदने के लिए पात्र होगा। यहां, Date of Purchase: 18/April/2019 और Purchaser Name : HUB POWER COMPANY देखकर एक बात स्पष्ट होती है कि जिस HUB POWER COMPANY की बात की जा रही है ,वो हकीकत में पाकिस्तानी नहीं बल्कि भारतीय कंपनी है। जांच के दौरान जब कंपनी से जुड़ी और डिटेल्स को खंगाला गया तो पता चला कि यह दिल्ली की एक कंपनी है। कंपनी की रजिस्ट्रेशन तारीख- 12/11/2018 है। वहीं, GST पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह कंपनी रवि मेहरा के नाम पर रजिस्टर्ड है। कंपनी का GST नंबर 07BWNPM0985J1ZX है। यह कंपनी LED लाइट्स से जुड़ा काम करती है, इंडिया मार्ट वेबसाइट पर कंपनी को GST नंबर से सर्च करने पर इससे जुड़ी जानकारी देखी जा सकती है। स्पष्ट है कि पाकिस्तानी कंपनी के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने का मामला पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। जिस कंपनी HUB POWER COMPANY की बात की जा रही है वो दिल्ली की है। वहीं यह कहना भी गलत है कि चंदा भाजपा को दिया गया क्योंकि SBI से जारी लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया है।जाहिर है कि हताश विपक्षी पार्टियां पीएम मोदी और भाजपा सरकार को बदनाम कर वोट की जुगाड़ करना चाहती हैं और इसीलिए इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर झूठा प्रोपोगेंडा का रायता फैलाया जा रहा है।
नई दिल्ली: आज मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। 19 अप्रैल से 1 जून तक 7 चरणों में लोकसभा चुनाव होंगे। वोटों की गिनती 4 जून को होगी। चुनावों की तारीख ऐलान करने के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से जुड़े तमाम सवालों और दावों को खारिज करते हुए कहा कि वोटिंग मशीनें शत प्रतिशत सुरक्षित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश की अदालतों ने 40 बार ईवीएम को लेकर दी गई चुनौतियों को खारिज किया है और अब तो अदालतें जुर्माना भी लगाने लगी हैं। सीईसी के अनुसार, '40 बार इस देश की संवैधानिक अदालतों ने ईवीएम से जुड़ी चुनौतियों को देखा है...कहा गया था कि ईवीएम हैक हो सकती है, चोरी हो जाती है, खराब हो सकती हैं, नतीजे बदल सकते हैं...हर बार संवैधानिक अदालतों ने इसे खारिज कर दिया।' उन्होंने कहा, 'अदालतों ने कहा कि इसमें वायरस नहीं हो सकता, छेड़छाड़ नहीं हो सकती...अब तो अदालत ने जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।' कुमार ने एक किताब दिखाते हुए कहा, 'थोड़ा पढ़ने की कोशिश करिये। हमारी वेबसाइट पर है...कोई भी विशेषज्ञ बन जाता है। उन्होंने कहा कि ईवीएम के युग में कई छोटे राजनीतिक दल अस्तित्व में आए, जबकि मतपत्रों के दौर में ऐसा नहीं था। कुमार का कहना था कि उम्मीदवारों के सामने 'मॉक पोल' होता है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, 'अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं, वफा खुद से नहीं होती खता ईवीएम की कहते हो। बाद में गोया परिणाम आता है तो उस पर कायम नहीं रहते।' उन्होंने कहा, 'ईवीएम 100 प्रतिशत सुरक्षित हैं। हमने बहुत सारे सुधार किए हैं। एक-एक ईवीएम का नंबर उम्मीदवारों को दिया जाएगा।'
देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव 2024 का पूरा कार्यक्रम जारी कर दिया है। देश के सभी राज्यों में 7 चरणों में वोटिंग कराई जाएगी। पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा। आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होगा। मतों की गणना 04 जून को की जानी है। बता दें कि भारत में पहले आम चुनाव अक्टूबर 1951 से मार्च 1952 के बीच हुए थे। तब से लेकर अब तक 72 वर्षों में चुनाव के मद्देनजर क्या कुछ बदला है। आइये आपको कई दिलचस्प जानकारियों से अवगत कराते हैं। उल्लेखनीय है कि देश के पहले लोकसभा चुनाव में 401 निर्वाचन क्षेत्रों की कुल 489 सीटों के लिए मतदान हुआ था। तब वोटरों की कुल संख्या 17 करोड़ 32 लाख के करीब थी। भारत के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे। तब बैलेट पेपर पर चुनाव हुआ करता था। मगर ब 72 वर्षों में बहुत कुछ बदल चुका है। इस दौरान में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से वोट डाले जा रहे हैं। पहले लोकसभा चुनाव में 25 राज्यों की 489 सीटों के लिए कुल 1949 उम्मीदवार मैदान में थे। इस मतदान में जम्मू-कश्मीर राज्य शामिल नहीं था। 72 वर्षों में हुए कई अहम बदलाव वर्ष 1952 के पहले आम चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक पहुंचते-पहुंचते देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव हो चुके हैं। सबसे बड़ा बदलाव मतदाताओं की उम्र और उनकी संख्या को लेकर हुआ है। पहले लोकसभा चुनाव के दौरान 21 वर्ष की उम्र तक के लोगों को ही वोट देने का अधिकार था। मगर अब 18 वर्ष तक की आयु के लोग मतदान के लिए पात्र होते हैं। तब से लेकर अब तक मतदाताओं की संख्या में 80 करोड़ वोटरों का भारी इजाफा हुआ है। भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार वर्ष 2024 में मतदाताओं की कुल संख्या 97 करोड़ पहुंच चुकी है। जबकि पहले चुनाव के दौरान सिर्फ 17 करोड़ मतदाता थे। अब बैलेट पेपर की जगह ईवीएम ने ले ली है। 68 चरणों में हुआ था देश का पहला चुनाव जटिल चुनावी परिस्थितियों और कठिन चुनौतियों के चलते देश का पहला चुनाव 68 चरणों में कराना पड़ा था। वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव के लिए भारत में पहला वोट हिमाचल प्रदेश की चीनी तहसील में वर्ष 1951 में डाला गया था। मौसम और बर्फबारी को ध्यान में रखते हुए यहां सबसे पहले चुनाव कराए गए थे। देश के अन्य राज्यों में वर्ष 1952 की लोकसभा के लिए आम चुनाव फरवरी व मार्च के महीने में हुए थे। अब पिछले कुछ वर्षों से देश के सभी राज्यों में 7 चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं। कांग्रेस ने दर्ज की थी एकतरफा जीत देश के पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 489 में से 364 सीटें हासिल हुई थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू तब कांग्रेस की ओर से आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। पहले चुनाव में देश की कुल 53 पार्टियों ने चुनाव लड़ा था। वहीं 533 निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे। इस चुनाव में कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार थे, जिन्होंने कुल 37 सीटें जीती थी। वहीं भाकपा को 16 और जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीटों पर जीत मिली थी। इस राज्य में थीं सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें सीटों की संख्या के लिहाज से तब उत्तर प्रदेश ही सबसे बड़ा राज्य था और अभी भी है। इस राज्य में पहले लोकसभा की 86 सीटें थीं। मौजूदा वक्त में यहां 80 लोकसभा सीटें हैं। सीटों की संख्या के मामले में तब मद्रास 75 और बिहार 55 सीटों वाले राज्य थे। बीआर आंबेडकर को मिली थी हार इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि देश के पहले कानून मंत्री बनाए गए संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर 1952 का पहला लोकसभा चुनाव हार गए थे। वह बॉम्बे (उत्तर मध्य) से अनुसूचित जाति महासंघ के उम्मीदवार थे। उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार नारायण सदोबा काजरोलकर ने 14 हजार से अधिक मतों से हरा दिया था। डॉ. आंबेडकर को 1,23,576 औक नारायण सदोबा को 1,38,137 मत हासिल हुए थे। बाद में डॉ. बीआर आंबेडकर को राज्यसभा से संसद का सदस्य बनाया गया।
नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इस बार 543 सीटों के लिए लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। वोटों की गिनती 4 जून को होगी। 19 अप्रैल को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। 26 अप्रैल को दूसरे चरण का मतदान होगा। तीसरे चरण के लिए 7 मई को वोट डाले जाएंगे। 13 मई को चौथे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। पांचवे चरण का मतदान 20 मई को होगा। 25 मई को छठे चरण और 1 जून को सातवें और अंतिम चरण का चुनाव होगा। लोकसभा चुनाव के साथ ही चार राज्यों में ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि इससे पहले निर्वाचन आयोग ने कहा कि हम चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस बार युवा वोटर अच्छी संख्या में हैं। 18 से 19 साल की 85 लाख महिला वोटर हैं। 19-29 साल के 19.74 करोड़ वोटर हैं। 1.8 करोड़ वोटर पहली बार वोट डालेंगे। इसस बार 85 साल के वोटर घर से ही वोट दे सकेंगे। करीब 97 करोड़ वोटर इस बार करीब 96.88 करोड़ वोटर 12 लाख से अधिक मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसमें 49 करोड़ 72 लाख पुरुष मतदाता हैं। वहीं, 47.1 करोड़ महिला वोटर हैं। भारत में अमेरिका की तुलना में लगभग चार गुना अधिक वोटर हैं। देश में कुल वोटरों की संख्या यूरोप के देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक है। इस बार वोटर लिस्ट में 2.3 करोड़ नए मतदाता जुड़े हैं। इस बार लोकसभा चुनाव कराने में 55 लाख ईवीएम का इस्तेमाल किया जाएगा। लोकसभा चुनाव 2024 की प्रमुख तारीखें चरण चुनाव की तारीख पहला 19 अप्रैल दूसरा 26 अप्रैल तीसरा 7 मई चौथा 13 मई पांचवा 20 मई छठा 25 मई सातवां 1 जून लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल : फेज 1 - 102 लोकसभा सीट फेज-1 तारीख नोटिफिकेशन 20 मार्च नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 27 मार्च नामांकन पत्रों की जांच 28 मार्च मतदान 19 अप्रैल रिजल्ट 4 जून लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल: फेज 2 - 89 लोकसभा सीट फेज-2 तारीख नोटिफिकेशन 28 मार्च नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 4 अप्रैल नामांकन पत्रों की जांच 5 अप्रैल मतदान 26 अप्रैल रिजल्ट 4 जून लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल: फेज 3 - 94 लोकसभा सीट फेज-3 तारीख नोटिफिकेशन 12 अप्रैल नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 19 अप्रैल नामांकन पत्रों की जांच 20 अप्रैल मतदान 7 मई रिजल्ट 4 जून लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल : फेज 4 -96 लोकसभा सीट फेज-4 तारीख नोटिफिकेशन 18 अप्रैल नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 25 अप्रैल नामांकन पत्रों की जांच 26 अप्रैल मतदान 13 मई रिजल्ट 4 जून लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल: फेज 5- 49 लोकसभा सीट फेज-5 तारीख नोटिफिकेशन 26 अप्रैल नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 3 मई नामांकन पत्रों की जांच 4 मई मतदान 20 मई रिजल्ट 4 जून लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल: फेज 6 - 57 लोकसभा सीट फेज-6 तारीख नोटिफिकेशन 29 अप्रैल नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 6 मई नामांकन पत्रों की जांच 7 मई मतदान 25 मई रिजल्ट 4 जून लोकसभा चुनाव 2024 शेड्यूल: फेज 7- 57 लोकसभा सीट फेज-7 तारीख नोटिफिकेशन 7 मई नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 14 मई नामांकन पत्रों की जांच 15 मई मतदान 1 जून रिजल्ट 4 जून 26 विधानसभा में उपचुनाव होंगे चुनाव आयोग ने 26 विधानसभा में उपचुनाव होने की घोषणा की। बिहार गुजरात हरियाणा झारखंड, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, तमिलनाडु राज्य शामिल हैं। चार राज्यों में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। सिक्किम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश में चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होगें। इन राज्यों में लोकसभा के लिए ही वोटिंग होगी। आंध्र प्रदेश में 18 अप्रैल को नोटिफिकेशन होगी। 22 राज्यों में एक फेज, 3 राज्यों में 7 चरण में चुनाव देश के 22 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में एक चरण में चुनाव होंगे। अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल, लक्षद्वीप, लद्दाख, मिजोरम, मेघालय, नगालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, पंजाब, तेलंगाना और उत्तराखंड में एक चरण में वोट डाले जाएंगे। कर्नाटक, राजस्थान, त्रिपुरा और मणिपुर में दो चरण में वोटिंग होगी। छत्तीसगढ़ और असम में तीन चरणों में मतदान होगा। ओडिशा, मध्य प्रदेश और झारखंड में 4 चरणों में चुनाव होंगे। महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में 5 चरणों में मतदान होगा। यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में 7 चरणों में वोटिंग होगी।
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED के समन की अनदेखी मामले में थोड़ी राहत मिली है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 15 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। दिल्ली शराब घोटाला मामले में लगातार 8 बार ईडी के समन की केजरीवाल अनदेखी कर चुके हैं, इसके खिलाफ एजेंसी ने अदालत में दो याचिकाएं दायर की थी। आज अदालत ने केजरीवाल को इन दोनों मामलों में जमानत ही। यानी अब उन्हें नियमित पेशी के लिए नहीं आना पड़ेगा। लेकिन ये मामला अभी भी कोर्ट में चलेगा। केजरीवाल की तरफ से उनके वकील अपना पक्ष रखेंगे। वहीं अरविंद केजरीवाल की आगे की राह क्या होगी और ED इस मामले में अब क्या करेगा? आइए समझते हैं। केस खत्म नहीं हुआ, केवल पेशी से राहत मिली सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि आज अदालत ने सीएम केजरीवाल को केवल नियमित पेशी से जमानत दी है। यानी यह मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है। अदालत में केजरीवाल के वकील ने दलील दी कि सीएम के खिलाफ जो भी धाराएं हैं, वो जमानती हैं। वहीं वो एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं और एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख भी हैं। ऐसे में उनके पास कई जिम्मेदारी हैं। लेकिन अदालत के आदेश का पालन करते हुए वो आज कोर्ट में पेश हुए। इसके बाद अदालत ने उनकी जमानत की अर्जी मंजूर कर ली और 15 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। क्या केजरीवाल को शराब घोटाले मामले में राहत मिली? दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज ED की उन याचिकाओं पर सुनवाई की, जो एजेंसी ने सीएम केजरीवाल के द्वारा समन की अनदेखी करने पर दायर की थी। अदालत ने केजरीवाल को अदालत में पेश होने का समन जारी किया था। यानी केजरीवाल कोर्ट के समन का जवाब देने के लिए अदालत में पेश हुए थे। जहां उन्हें नियमित पेशी से राहत मिली। लेकिन शराब घोटाले मामले में वो अभी भी आरोपी हैं। वहीं ED के समन की अनदेखी को लेकर फिलहाल अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी, जिसमें सीआरपीसी की धारा 207 (आरोपी को पुलिस रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की प्रति की आपूर्ति) के तहत केजरीवाल की अर्जी पर सुनवाई करेगी। क्या ED फिर केजरीवाल को समन भेज सकती है? दिल्ली शराब घोटाले मामले में पूछताछ के लिए ED अब तक 8 बार केजरीवाल को समन भेज चुकी है। हर बार उन्होंने ईडी के समन को गैर संवैधानिक बताया और पेश नहीं हुए। ED ने इसके खिलाफ अदालत में दो बार याचिका दायर की। खास बात ये थी जब ये मामला कोर्ट में था, तब भी ईडी ने केजरीवाल को समन भेजे। वहीं आज की सुनवाई में भी अदालत ने ईडी को समन न भेजने जैसा कोई निर्देश नहीं दिया है। यानी ऐसा हो सकता है कि जांच एजेंसी सीएम केजरीवाल को आगे भी समन भेजे।
मदन अरोड़ा।शनिवार को दोपहर बाद 3 बजे लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होने जा रही है।इससे पहले ज़ी न्यूज़ और मैट्रीज़ ने एक सर्वे में देश की जनता का मूड क्या है बताया।सर्वे के अनुसार तीसरी बार लगातार मोदी सरकार आ रही है और नेहरू के बाद मोदी लगातार तीसरी बार पीएम बनने जा रहे हैं।यह चुनाव पूर्व का आखिरी सर्वे है।चुनाव की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाएगी और सर्वे भी प्रतिबंधित हो जाएंगे।सर्वे के अनुसार एनडीए को 390 ,इंडी गठबंधन को 96 जबकि अन्य को 57 सीट मिलने जा रही हैं।तमिलनाडु में भी भाजपा का खाता खुलने जा रहा है।अन्य सर्वों की तरह इस सर्वे में भी यूपी से एनडीए को 80 में से 78 सीट मिल रही हैं और इंडी गठबंधन को 2 जबकि ये दोनों सीट सपा को जा रही हैं और कांग्रेस का खाता नहीं खुल रहा है। भाजपा को राजस्थान में सभी 25,गुजरात की सभी 26,दिल्ली की सभी 7,उत्तराखंड की सभी 5,छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीट मिल रही हैं।बिहार में एनडीए को 37 जबकि इंडी को 3।कर्नाटक में एनडीए को 23 और इंडी को 5।झारखंड में एनडीए को 13 और इंडी को 1,तेलंगाना में एनडीए को 5,इंडी को 9 और बीआरएस को 2,आंध्रप्रदेश में एनडीए को 13 जबकि वाई एस आर को 12,केरल में सभी 20 सीट इंडी के दोनों गठबंधनों को।तमिलनाडु में एनडीए को 1, इंडी को 36 और अन्य को 2 सीट मिलती दिख रही हैं।पश्चिम बंगाल में एनडीए को 17 और टीएमसी को 24 और इंडी को 1 सीट।इसी प्रकार जेके में bjp को 2,इंडी को 1 जबकि अन्य को 2 और लद्दाख में भाजपा को 1 सीट मिल सकती है।दादर नगर हवेली में bjp 1,दमन और दीप में bjp को 1,लक्षद्वीप में कांग्रेस को 1सीट,पुंडुचेरी में कांग्रेस को 1,गोवा में bjp को 2 सीट।इसी तरह महाराष्ट्र में एनडीए को 45 और इंडी को 3 सीट,गुजरात की सभी 26 सीट bjp को मिल रही हैं।एमपी में bjp को 28 जबकि कांग्रेस को 1 सीट,छत्तीसगढ़ में bjp को सभी 11 सीट जाती दिख रही हैं।ओडिशा में bjp को 11 जबकि बीजेडी को 10 सीट मिल रही हैं।इस तरह पूर्वोत्तर की 11 में से एनडीए को 10 और इंडी को 1 सीट,असम की 11 सीट एनडीए जबकि इंडी 1 और अन्य को 2 सीट जा रही हैं।दिल्ली की सभी 7 सीट bjp के खाते में जा रही हैं।जबकि कांग्रेस और आप को शून्य मिल रहा है।हरियाणा की 9 सीट bjp जबकि 1 सीट कांग्रेस को मिल रही है।चंडीगढ़ की सीट पर भी bjp का कब्जा बरक़रार रहेगा।हिमाचल की 3 सीट bjp और 1 सीट कांग्रेस को मिल रही है।उत्तराखंड की सभी 5 और राजस्थान की भी सभी 25 सीट एक बार फिर bjp को जा रही हैं।पंजाब की 13 सीट में से 3 एनडीए,इंडी 8,अकाली 1 और अन्य को 1 सीट मिल रही है। इसी तरह दिल्ली का ताज पहनाने वाली यूपी में 78 सीट एनडीए जबकि 2 सीट सपा को मिल रही हैं।
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने ED के समन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने ईडी के समन को नजरअंदाज करने के लिए अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने अरविंद केजरीवाल को ईडी के समन को नजरअंदाज करने के मामले में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट पाने के लिए मजिस्ट्रेट के पास जाने को कहा।
चुनाव आयोग ने गुरुवार (14 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर जारी कर दिया। वेबसाइट पर 763 पेजों की दो लिस्ट अपलोड की गई हैं। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी है। दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल है। दोनों लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया। इस बीच सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान की एक Hub Power Company ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। दावा यह भी किया गया कि यह चंदा भारतीय जनता पार्टी को दिया गया। समाजवादी पार्टी से जुड़े वेरिफाइड एक्स यूजर कुलदीप यादव ने ट्वीट किया- शहीदों के नाम पर बीजेपी का चंदा। साथ ही सवाल किया- एक पाकिस्तानी कंपनी से आखिर चंदा क्यों लिया, अब पता चला पुलवामा हमले की जांच क्यों नहीं हुई। नहीं चाहिए भाजपा। वेरिफाइड एक्स यूजर अंकित मयंक ने लिखा- शॉकिंग खुलासा, पाकिस्तानी हब पावर कंपनी ने पुलवामा हमले के कुछ सप्ताह बाद चुनावी बॉन्ड डोनेट किए ! खबर लिखे जाने तक अंकित की पोस्ट को 18 हजार से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं। वहीं, पोस्ट को 8 हजार बार रीट्वीट किया गया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक्स यूजर SayantaniI ने ट्वीट करके पूछा- क्या ये सच है पाकिस्तानी HUB POWER COMPANY ने बीजेपी को पुलवामा हमले के बाद चंदा दिया था? समाजवादी पार्टी से जुड़े संतोष कुमार यादव ने ट्वीट किया- पाकिस्तानी Hub Power Company ने साल 2019 चुनाव के समय अप्रैल में BJP को 95 लाख रुपए चंदा दिया! इसी समय पुलवामा में अटैक भी हुआ था। पाकिस्तानी कंपनियों से भाजपा को इतना प्यार क्यों? वायरल होते इस दावे की पड़ताल के लिए हमने SBI के Electoral Bond Scheme - 2018 से जुड़े FAQs सेक्शन को देखा। इसमें प्रश्न क्रमांक 4 में सवाल था- चुनावी बॉन्ड कौन खरीद सकता है और इससे जुड़ी पात्रता क्या है ? इसका जवाब है- भारत का नागरिक या भारत में निगमित (INCORPORATED) कोई निकाय (BODY) इसे खरीदने के लिए पात्र होगा। यहां, Date of Purchase: 18/April/2019 और Purchaser Name : HUB POWER COMPANY देखकर एक बात स्पष्ट होती है कि जिस HUB POWER COMPANY की बात की जा रही है वो पाकिस्तानी नहीं बल्कि भारतीय कंपनी है। जांच के दौरान हमने GST पोर्टल पर HUB POWER COMPANY कंपनी से जुड़ी डिटेल्स को खंगाला तो पता चला कि यह दिल्ली की एक कंपनी है। कंपनी की रजिस्ट्रेशन डेट- 12/11/2018 है। वहीं, GST पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक यह कंपनी रवि मेहरा के नाम पर रजिस्टर्ड है। कंपनी का GST नंबर 07BWNPM0985J1ZX है। यह कंपनी LED लाइट्स से जुड़ा काम करती है, इंडियामार्ट वेबसाइट पर कंपनी को GST नंबर से सर्च करने पर हमें इससे जुड़ी जानकारी मिली। स्पष्ट है कि पाकिस्तानी कंपनी के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने का मामला पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। जिस कंपनी HUB POWER COMPANY की बात की जा रही है वो दिल्ली की है। वहीं यह कहना भी गलत है कि चंदा भाजपा को दिया गया क्योंकि SBI से जारी लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया है।bhaskar
नई दिल्ली,इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि 11 मार्च के फैसले में स्पष्ट कहा गया था कि बॉन्ड की पूरी डिटेल खरीदी की तारीख, खरीदार का नाम, कैटेगरी समेत दी जाए, लेकिन SBI ने यूनीक अल्फा न्यूमेरिक नंबर्स का खुलासा नहीं किया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा चुनाव आयोग (ECI) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि SBI 18 मार्च तक नंबर की जानकारी नहीं दिए जाने का जवाब दे। कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि चुनाव आयोग (EC) से मिले डेटा को 16 मार्च की शाम 5 बजे तक स्कैन और डिजिटलाइज किया जाए। प्रोसेस पूरी होने के बाद ओरिजनल कॉपी आयोग को लौटा दी जाए।एक कॉपी कोर्ट में रखी जाए और फिर इस डेटा को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर 17 मार्च तक अपलोड किया जाए। EC का कहना है कि उसने सुप्रीम कोर्ट को दो किश्तों में दस्तावेज दिए हैं। जिसमें अप्रैल 2019 से नवंबर 2023 तक का डेटा था। पहली किश्त में 106 सीलबंद लिफाफे और दूसरी किश्त में 523 सीलबंद लिफाफे वाले बक्से थे। आयोग का कहना है कि वापस मिलने के बाद ही यह डेटा अपलोड हो सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने SBI से 12 मार्च तक डीटेल देने और ECI को 15 मार्च तक वेबसाइट पर इसे पब्लिश करने कहा था। इसके अलावा 30 जून तक का समय देने की SBI की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी थी। इलेक्टोरल बॉन्ड्स से जुड़े केस में अब तक क्या हुआ... 11 मार्च 2024 : इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। SBI ने कोर्ट से कहा था- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा था- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया? पूरी खबर पढ़ें... 4 मार्च 2024 : SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इलेक्टोरल बॉन्ड्स की जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी। 15 फरवरी 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- यह स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। पढ़ें पूरी
नई दिल्ली,आम चुनाव 2024 और राज्य विधानसभाओं के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए चुनाव आयोग शनिवार 16 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। यह नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 3 बजे से होगी। इसे चुनाव आयोग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि 543 सीटों के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव 7 या 8 फेज में हो सकते हैं। इसके साथ ही ओडिशा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भी होगा। इसके साथ ही पूरे देश में आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। एक दिन पहले ही दो चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू की नियुक्ति गई है। दोनों ने शुक्रवार 15 मार्च को पदभार संभाला है। इसके बाद CEC राजीव कुमार समेत तीनों अधिकारियों ने चुनाव कार्यक्रम को लेकर बैठक की थी। राजनीतिक दल प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल न करें चुनाव आयोग ने 5 फरवरी को सभी राजनीतिक दलों को सलाह दी है कि चुनाव प्रचार अभियानों में बच्चों का इस्तेमाल किसी भी रूप में न करें। पार्टियों को भेजी गई एडवाइजरी में चुनाव पैनल ने पार्टियों और उम्मीदवारों से चुनावी प्रक्रिया के दौरान बच्चों से पोस्टर और पर्चे बांटने, नारेबाजी करने को लेकर जीरो टॉलरेंस जाहिर किया है। पढ़ें पूरी खबर... 2024 लोकसभा चुनाव में 97 करोड़ वोटर्स, 2 करोड़ नए मतदाता जुड़े 2024 लोकसभा चुनाव में 97 करोड़ लोग वोटिंग कर सकेंगे। चुनाव आयोग ने 8 फरवरी को सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के वोटर्स से जुड़ी स्पेशल समरी रिवीजन 2024 रिपोर्ट जारी की थी। आयोग ने बताया कि वोटिंग लिस्ट में 18 से 29 साल की उम्र वाले 2 करोड़ नए वोटर्स को जोड़ा गया है। 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या में 6% की बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयोग ने कहा- दुनिया में सबसे ज्यादा 96.88 करोड़ वोटर्स लोकसभा चुनावों में वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड हैं। साथ ही जेंडर रेशो भी 2023 में 940 से बढ़कर 2024 में 948 हो गया है।
मदन अरोड़ा।लोकसभा चुनाव की घोषणा से एक दिन पूर्व आए न्यूज़18 के सर्वे में मोदी के 400 पार का दावा पूरा होता दिख रहा है। 14 मार्च रात को दिखाए गए इस सर्वे के अनुसार एनडीए 400 पार होता दिख रहा है।उसे कुल 543 सीटों में से 411 सीट मिलने का अनुमान है।जबकि इंडी गठबंधन को मात्र 88 सीट और इसमें अगर ममता बनर्जी की टीएमसी की 17 सीट जोड़ लें तो कुल 105 सीट मिलती दिख रही हैं ।जबकि शेष अन्य को मात्र 27 सीट का अनुमान है। सर्वे की विशेष बात यह है कि एनडीए का पहली बार न केवल दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल में खाता खुलने जा रहा है, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में वह सत्तारूढ़ टीएमसी और बीजेडी से ज्यादा सीट ले जाता दिख रहा है।यही नहीं एनडीए केवल 16 राज्यों दिल्ली,पंजाब,हरियाणा,एमपी,हिमाचल प्रदेश, बिहार,केरल,तमिलनाडु,यूपी,कर्नाटक,असम,तेलंगाना,राजस्थान,उत्तराखंड,ओडिशा और छत्तीसगढ़ की कुल 363 सीट में से 272 सीट ले बहुमत से सरकार बना रहा है। ओडिशा में भाजपा को 13 जबकि सत्तारूढ़ बीजेडी को 8 सीट और कांग्रेस को शून्य सीट मिल रही है।झारखंड और आंध्रप्रदेश की 39 सीट मिला 402 में से एनडीए को 302 सीट मिल रही हैं।जबकि इंडी गठबंधन को 73 और अन्य को 27 सीट मिलती दिख रही हैं। पश्चिम बंगाल की 42 सीट में से अकेले भाजपा को 25 सीट जबकि सत्तारूढ़ टीएमसी को 17 सीट मिल रही हैं।महाराष्ट्र की 48 सीट में से एनडीए को 41 जबकि इंडी गठबंधन को मात्र 7 सीट मिल रही हैं।गुजरात में भाजपा फिर क्लीन स्वीप कर 26 सीट ले जा रही है।इन्हें मिला 21 राज्यों की 518 सीट में से एनडीए को 394 ,टीएमसी की 17 सीट मिला इंडी गठबंधन को 97 जबकि अन्य को 27 सीट मिल रही हैं।शेष जेके,पूर्वोत्तर और केंद्र शासित राज्यों,गोवा की कुल 25 सीट में से एनडीए को 17 जबकि इंडी गठबंधन को 8 सीट मिलती दिख रही हैं।कुल 543 सीट में से एनडीए को 411,टीएमसी और इंडी गठबंधन को 105 जबकि अन्य को 27 सीट मिलने की संभावना है।सर्वे के अनुसार आम आदमी पार्टी के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है।दिल्ली में सभी 7 सीट भाजपा को मिलने की संभावना हैं।यहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का तीसरी बार भी खाता नहीं खुल रहा।पंजाब में भी आप को बड़ा झटका लग रहा है।उसे मात्र 1 सीट मिलती लग रही है जबकि भाजपा को 3,कांग्रेस को 7 और अन्य को 2 सीट की संभावना है।यूपी में एनडीए को 77 और इंडी गठबंधन को 2 और बसपा को 1 सीट मिलती दिख रही है।राजस्थान ,हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सभी सीट भाजपा को जा रही हैं।बिहार में भी एनडीए को 38 और इंडी गठबंधन को 2 सीट मिल रही हैं।कर्नाटक में एनडीए को 25,इंडी गठबंधन को 3,तेलंगाना में एनडीए को 8,इंडी को 6,बीआरएस को 2,औवेशी को 1,तमिलनाडु में एनडीए को 5,इंडी गठबंधन को 30 अन्य को 4,केरल में एनडीए को 2,यूडीएफ को 14 और एलडीएफ को 4 सीट मिलती दिख रही हैं।छतीसगढ़ में भाजपा को 10 और कांग्रेस को 1 सीट,आंध्रप्रदेश में एनडीए 18,वाई एस आरपी को 7 जबकि इंडी को शून्य,झारखंड में भाजपा को 12 और इंडी गठबंधन को 2 और एमपी में भाजपा 28 जबकि कांग्रेस को 1 सीट मिलती दिख रही है।चुनावों में राम लहर, मोदी लहर और सीएए का असर साफ दिख रहा है ।जबकि राहुल गांधी की न्याय यात्रा और किसान आंदोलन का कोई भी असर नहीं दिख रहा है।अब तक जितने भी सर्वे आ चुके हैं वे सब एनडीए को 350+सीट ले जाता दिखा रहे हैं।इससे जाहिर है कि अबकी बार फिर मोदी सरकार ।
नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की है। नई कीमतें 15 मार्च 2024 यानी शुक्रवार सुबह 6 बजे से प्रभावी होंगी। हाल ही में तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) और कम्‍प्रेस्‍ड नैचुरल गैस (सीएनजी) की कीमतों में कटौती के साथ अटकलें लगाई जा रही थीं कि आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती हो सकती है। तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने बताया है कि उन्होंने देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव किया है। नई कीमतें शुक्रवार सुबह 6 बजे से लागू होंगी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी से उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा। डीजल से चलने वाले 58 लाख से ज्‍यादा भारी माल वाहनों, 6 करोड़ कारों और 27 करोड़ दोपहिया वाहनों की परिचालन लागत कम हो जाएगी। पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होने से लोगों को लाभ होगा।
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग को सौंपा था। चुनाव आयोग ने इलेक्शन बॉन्ड को लेकर एसबीआई की तरफ से मिले डाटा को समय सीमा से एक दिन पहले गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट से 15 मार्च को शाम 5 बजे से पहले डेटा अपलोड करने का आदेश मिला था। चुनाव आयोग ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए। उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 12 मार्च को आयोग के साथ आंकड़े साझा किए थे। शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को उसकी वेबसाइट पर आंकड़े अपलोड करने के लिए 15 मार्च शाम पांच बजे तक का समय दिया था। निर्वाचन आयोग ने ‘एसबीआई द्वारा प्रस्तुत चुनावी बॉण्ड के प्रकटीकरण’ पर विवरण दो भागों में रखा है। चुनाव निकाय की ओर से अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बॉण्ड के खरीदारों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक चुनावी बॉण्ड भुनाने वाली पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, द्रमुक, जेडीएस, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, राजद, आप और समाजवादी पार्टी शामिल हैं।
- लाखों रूपये की छात्रवृत्ति का हुआ वितरण, प्रतिभावना विद्यार्थियों के सपनो को मिली उडान हनुमानगढ़। ग्रेविटी इंस्टीट्यूट हनुमानगढ़ द्वारा जंक्शन में सपनों की उडान कार्यक्रम के तहत पुरूस्कार वितरण समारोह व केरियर गाईडेन्स सेमीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में ग्रेविटी द्वारा करवाई गई ओपर जीएसएटी 2024 परीक्षा में कक्षा 10 वीं टॉप 10 रहे 13 विद्यार्थियों व कक्षा 12 के टॉपर 10 विद्यार्थियों को नगद पुरूस्कार के चैक, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसी के साथ ग्रेविटी निदेशक प्रदीप पचार ने टॉप 10 में रहने वाले प्रतिभावान विद्यार्थियों को ग्रेविटी के माध्यम से लाखों रूपये की छात्रवृत्ति देने की धोषणा की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निदेशक ने कहा कि विद्यार्थी हो या अभिभावक, सबसे बड़ा सपना जीवन में सफलता का होता है, जिसकी शुरुआत करियर निर्माण के साथ होती है। अपने करियर के सपने को पूरा करने के लिए एक शिक्षक, मार्गदर्शक, पथ प्रदर्शक और हर कदम पर साथ रहकर आगे बढ़ाने वाला मेंटोर जरूरी होता है। ग्रेविटी इंस्टीट्यूट विद्यार्थियों के करियर का परफेक्ट कोच है। एक ऐसा संस्थान जहां विद्यार्थियों का सपना पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं। यही कारण है कि हनुमानगढ़ में इंजीनियरिंग या मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए पहली पसंद ग्रेविटी इंस्टीट्यूट है। ग्रेविटी करियर इंस्टीट्यूट ने नए सत्र में एडमिशन की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही नये बैच की तारीख भी घोषित की जा चुकी है। कक्षा 10 से 11वीं में जाने वाले विद्यार्थियों के बैच 14मार्च और 20 मार्च में शुरू होंगे। इसके अलावा, 12वीं (विज्ञान) पास विद्यार्थियों के लिए भी 27 मार्च और 1अप्रैल से बैच शुरू होंगे। प्री फाउंडेशन के कक्षा 8 से 10 तक के बैच 20 और 27 मार्च से शुरू होंगे। एडमिशन लेने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों के लिए जीएसएटी स्कॉलरशिप एडमिशन टेस्ट (जीएसएटी) 7 जनवरी 2023 को आयोजित किया गया। इस टेस्ट के ज़रिए स्टूडेंट को 10 से 90 प्रतिशत तक फीस में छूट दी गई हैं। इसके साथ ही ग्रेविटी में प्रवेश लेने पर अर्ली फ्री बेनिफिट (एरली, फी बेनीफेट) भी दिया जा रहा है। 17 मार्च तक प्रवेश लेने पर विद्यार्थियों को शुल्क में विशेष छूट दी जा रही है। नए सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही हनुमानगढ़ क्षेत्र के विद्यार्थी ग्रेविटी में एडमिशन को लेकर उत्साहित हैं। लगातार कॉल्स आ रहे हैं और विजिट शुरू हो चुकी है। जो विद्यार्थी बोर्ड क्लासेज में हैं, वे अपनी तैयारी में जुटे हैं और जो कक्षा 9 और 11 में है वे अपना एडमिशन तय कर रहे हैं, ताकि शुरुआती बैच में ही प्रवेश लेकर पढ़ाई जल्दी शुरू कर सकें। मजबूत होता सिस्टम हनुमानगढ़ के ग्रेविटी संस्थान और करियर इंस्टीट्यूट में अपने बच्चों को प्रवेश कराना, यह निवेश हनुमानगढ़ के साथ-साथ एजुकेशन इंडस्ट्री में पूरे हनुमानगढ़ के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा है। ग्रेविटी के मेनेजमेंट हैड मनोज चौधरी ने बताया कि लोकल का जुड़ाव ,हनुमानगढ़ ही नहीं पूरे क्षेत्र में कोचिंग के लिए बड़ा अध्याय साबित होगा, क्योंकि इससे कोचिंग पैटर्न को नई ऊंचाइयां मिलने वाली हैं। ग्रेविटी आईआईटी, नीट शिक्षा के क्षेत्र में और बेहतर काम कर रहा है। अब डिजिटल माध्यम से भी हनुमानगढ़ के विद्यार्थियों को शिक्षा देने की ओर अग्रसर है। तीन सालों से परिणाम की प्रगति ग्रेविटी टीम की मजबूती को दर्शाता है ग्रेविटी इंस्टीट्यूट में बेस्ट फैकल्टीज़ और बेस्ट स्टूडेंट्स के साथ सुरक्षित वातावरण भी है। यहां का माहौल स्टूडेंट फ्रेंडली है। आसपास के स्टूडेंट्स भी यहां आकर करियर बना रहे हैं। ग्रेविटी करियर इंस्टीट्यूट के प्रयासों से हनुमानगढ की छवि को अब करियर के साथ-साथ शिक्षानगरी के रूप में भी विख्यात करने की है। यहां सामान्य स्थितियों में तो विद्यार्थियों का ख्याल रखा ही जाता है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी ग्रेविटी ने कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। कोविड में ग्रेविटी शुरू आत की और प्रथम वर्ष में ही दो स्टूडेंट्स को मेडिकल बवससमहम में पहुंचाया ग्रेविटी के निदेशक प्रदीप पचार और कैलाश सीरवी ने बताया कि ग्रेविटी इंस्टीट्यूट में शिक्षा के साथ संस्कारों को भी प्राथमिकता दी जाती है। प्रयास यह रहता है कि स्टूडेंट डॉक्टर व इंजीनियर के साथ-साथ अच्छा इंसान भी बने। ग्रेविटी में अब कक्षा 8वीं से स्टूडेंट्स प्रवेश लेने लगे हैं और करियर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। प्री फाउंडेशन में कक्षा 9 से, 10 से ही प्रतियोगी- परीक्षा की तैयारी करवाई जाती है। इंजीनियरिंग (जेईई, मैन, जेईई एडवांस) व मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं( नीट-यूजी) के साथ-साथ नेशनल व इंटरनेशनल ओलम्पियाड, एनटीएसई(एनटीएसई) सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाती है। इसके साथ ही मोटिवेशनल, विद्यार्थी डवलपमेंट प्रोग्राम व डाउट कक्षाओं के माध्यम से सभी कक्षा तक के बच्चों के मस्तिष्क के विकास और बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रायोगिक और खेल के आधार पर बच्चों को तैयार किया जाता है। ग्रेविटी के निदेशक प्रदीप पचार ने बताया कि बच्चों की छोटी उम्र से प्रतिभा को निखारा जाए तो बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। ग्रेविटी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। हर घर में होगा डॉक्टर और इंजिनियर- ग्रेविटी के मार्केटिंग हैड दीपक गौड़ ने कहा कि हम चाहते हैं कि जो भी स्टूडेंट करियर बनाने की सोचें तो उसके सामने ग्रेविटी करियर इंस्टीट्यूट एक विकल्प के तौर पर रहेगा। हर क्षेत्र में श्रेष्ठ फैकल्टीज व श्रेष्ठ संसाधन उपलब्ध करवाकर श्रेष्ठ परिणाम देने के प्रयास किए जाएं नवाचार भी हो रहे ग्रेविटी में यहां के इंस्टीट्यूट की एचओडी और विषय विशेषज्ञ द्वारा मनोवैज्ञानिक के आधार पर स्टूडेंट्स की परफोरमेंस और उनकी क्षमता को परखा जा रहा है। इसके अलावा स्टूडेंट्स को किस प्रकार बेहतर भविष्य के लिए तैयार किया जा सकता है, उनकी समस्याएं क्या है और उन्हें हल करने में कितना समय लगता है ग्रेविटी करियर इंस्टीट्यूट की ओर से प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के लिए कक्षा 10 और 12 के लिए जीएसएटी-24 प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन करवाया गया, जिसमें श्रेष्ठ परिणामों के आधार पर नकद पुरस्कार व प्रवेश में स्कॉलरशिप दी गई। इसी तरह ळ-सेट में बच्चों की अकेडमिक उपलब्धियों के आधार पर उन्हें पुरस्कृत किया गया । सामाजिक सरोकार -- ग्रेविटी करियर इंस्टीट्यूट विद्यार्थियों के सपने पूरे करने के साथ-साथ सामाजिक सरोकार में भी आगे रहता है। छात्रवृत्ति स्कीम के माध्यम से निजी और सरकारी स्कूल के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को कम शुल्क पर शिक्षा दी जा रही है। इसी स्कीम के तहत सरकारी व निजी स्कूल की प्रतिभाओं का निशुल्क मार्गदर्शन किया जा रहा है।
नई दिल्ली,गृह मंत्री अमित शाह ने सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट (CAA) पर चल रही पॉलिटिक्स पर बात रखी। शाह ने CAA का विरोध कर रही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर कहा कि उन्हें शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच अंतर नहीं पता। न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में गृह मंत्री ने कहा, 'मैं ममता बनर्जी से अपील करता हूं कि राजनीति करने के लिए कई और मुद्दे भी हैं। कृपया बांग्लादेश से आने वाले बंगाली हिंदुओं का विरोध न करें। आप भी एक बंगाली हैं।' ममता बनर्जी ने कहा था कि वो CAA को लागू नहीं होने देंगी। उन्होंने बंगाल के लोगों से भी अपील की कि सिटिजनशिप के लिए अप्लाय ना करें। ऐसा करने से वे अवैध प्रवासियों की लिस्ट में आ जाएंगे और उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे। CAA पर शाह के इंटरव्यू की मुख्य बातें... 1. ममता बनर्जी को चैलेंज करता हूं शाह ने कहा, 'ममता बनर्जी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति कर रही हैं और लोग उनका साथ नहीं देंगे। मैं ममता बनर्जी को चैलेंज करता हूं कि वे बताएं इस एक्ट का कौन सा नियम किसी की नागरिकता छीन रहा है। वो सिर्फ वोट बैंक के लिए हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दूरी और डर बना रही हैं।' 2. CAA पर कांग्रेस का पक्ष साफ करें राहुल मैं राहुल से कहना चाहता हूं कि वे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर आएं और बताएं कि उन्हें और उनकी पार्टी को CAA से क्या परेशानी है। वे क्यों इसका विरोध कर रहे हैं। राजनीति में आपको अपने फैसलों के पीछे का कारण बताना पड़ता है। अगर CAA मेरी सरकार का फैसला है तो मुझे बताना होगा कि मेरी पार्टी का इस पर क्या स्टैंड है और ये देशहित में कैसे है। ऐसे ही आपको अपने विरोध का कारण बताना चाहिए। 3. केजरीवाल रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते AAP लीडर और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि ये कानून शरणार्थियों को नागरिकता देगा। ये खतरनाक है। लॉ एंड ऑर्डर बिगडे़गा। लूट और चोरियां बढ़ेंगी। शाह ने इस पर कहा, 'केजरीवाल को यह नहीं पता कि ये लोग पहले ही हमारे देश में शरणार्थी हैं। ये भारत में रह रहे हैं। ये वो लोग हैं, जो 2014 से पहले से यहां रह रहे हैं और ऐसे ही लोगों को नागरिकता मिलेगी। और अगर केजरीवाल इतने ही परेशान हैं तो वो बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते हैं। रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते। क्या वो लोग हमारे रोजगार नहीं ले रहे हैं? केजरीवाल केवल जैन, बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यकों की बात कर रहे हैं। विभाजन के बाद ये लोग लाखों की संपत्ति छोड़कर यहां आए हैं। हम उनकी समस्याएं क्यों नहीं सुनेंगे?' 4. नागरिकता का वादा कांग्रेस ने किया था शाह ने कहा, 'जो लोग भारत आए हैं, उन्होंने देश के विभाजन का फैसला नहीं लिया था। ये कांग्रेस का फैसला था। कांग्रेस ने उन लोगों से नागरिकता का वादा किया था। अब वो अपने वादे से पीछे हट रही है।' 5. भारत में अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं AIMIM लीडर असदुद्दीन ओवैसी ने CAA को एंटी मुस्लिम कहा है। इस पर गृह मंत्री ने कहा, 'यह भारतीय जनता पार्टी का कोई राजनीतिक खेल नहीं है। हमारे नेता मोदीजी और हमारी सरकार का दायित्व है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए लोगों को बराबर अधिकार दें। ऐसे लोग हमारे देश में शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं। यह उन्हें उन अधिकारों को देने का मुद्दा है, जो उनकी तीन पीढ़ियों से छीन लिए गए। हाल में मैं 41 बार बोल चुका हूं कि भारत में अल्पसंख्यकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। ये कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है।'
नई दिल्ली,गृह मंत्री अमित शाह ने सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट (CAA) पर चल रही पॉलिटिक्स पर बात रखी। शाह ने CAA का विरोध कर रही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर कहा कि उन्हें शरणार्थियों और घुसपैठियों के बीच अंतर नहीं पता। न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में गृह मंत्री ने कहा, 'मैं ममता बनर्जी से अपील करता हूं कि राजनीति करने के लिए कई और मुद्दे भी हैं। कृपया बांग्लादेश से आने वाले बंगाली हिंदुओं का विरोध न करें। आप भी एक बंगाली हैं।' ममता बनर्जी ने कहा था कि वो CAA को लागू नहीं होने देंगी। उन्होंने बंगाल के लोगों से भी अपील की कि सिटिजनशिप के लिए अप्लाय ना करें। ऐसा करने से वे अवैध प्रवासियों की लिस्ट में आ जाएंगे और उनके अधिकार छीन लिए जाएंगे। CAA पर शाह के इंटरव्यू की मुख्य बातें... 1. ममता बनर्जी को चैलेंज करता हूं शाह ने कहा, 'ममता बनर्जी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति कर रही हैं और लोग उनका साथ नहीं देंगे। मैं ममता बनर्जी को चैलेंज करता हूं कि वे बताएं इस एक्ट का कौन सा नियम किसी की नागरिकता छीन रहा है। वो सिर्फ वोट बैंक के लिए हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दूरी और डर बना रही हैं।' 2. CAA पर कांग्रेस का पक्ष साफ करें राहुल मैं राहुल से कहना चाहता हूं कि वे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर आएं और बताएं कि उन्हें और उनकी पार्टी को CAA से क्या परेशानी है। वे क्यों इसका विरोध कर रहे हैं। राजनीति में आपको अपने फैसलों के पीछे का कारण बताना पड़ता है। अगर CAA मेरी सरकार का फैसला है तो मुझे बताना होगा कि मेरी पार्टी का इस पर क्या स्टैंड है और ये देशहित में कैसे है। ऐसे ही आपको अपने विरोध का कारण बताना चाहिए। 3. केजरीवाल रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते AAP लीडर और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि ये कानून शरणार्थियों को नागरिकता देगा। ये खतरनाक है। लॉ एंड ऑर्डर बिगडे़गा। लूट और चोरियां बढ़ेंगी। शाह ने इस पर कहा, 'केजरीवाल को यह नहीं पता कि ये लोग पहले ही हमारे देश में शरणार्थी हैं। ये भारत में रह रहे हैं। ये वो लोग हैं, जो 2014 से पहले से यहां रह रहे हैं और ऐसे ही लोगों को नागरिकता मिलेगी। और अगर केजरीवाल इतने ही परेशान हैं तो वो बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते हैं। रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते। क्या वो लोग हमारे रोजगार नहीं ले रहे हैं? केजरीवाल केवल जैन, बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यकों की बात कर रहे हैं। विभाजन के बाद ये लोग लाखों की संपत्ति छोड़कर यहां आए हैं। हम उनकी समस्याएं क्यों नहीं सुनेंगे?' 4. नागरिकता का वादा कांग्रेस ने किया था शाह ने कहा, 'जो लोग भारत आए हैं, उन्होंने देश के विभाजन का फैसला नहीं लिया था। ये कांग्रेस का फैसला था। कांग्रेस ने उन लोगों से नागरिकता का वादा किया था। अब वो अपने वादे से पीछे हट रही है।' 5. भारत में अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं AIMIM लीडर असदुद्दीन ओवैसी ने CAA को एंटी मुस्लिम कहा है। इस पर गृह मंत्री ने कहा, 'यह भारतीय जनता पार्टी का कोई राजनीतिक खेल नहीं है। हमारे नेता मोदीजी और हमारी सरकार का दायित्व है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए लोगों को बराबर अधिकार दें। ऐसे लोग हमारे देश में शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं। यह उन्हें उन अधिकारों को देने का मुद्दा है, जो उनकी तीन पीढ़ियों से छीन लिए गए। हाल में मैं 41 बार बोल चुका हूं कि भारत में अल्पसंख्यकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। ये कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता है।'
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति ने निर्वाचन आयोग में दो आयुक्तों के खाली पदों पर भर्ती के लिए दो नामों पर मुहर लगा दी। समिति ने ज्ञानेश कुमार गुप्ता और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है। ये दोनों रिटायर्ड आईएस हैं। दोनों अलग-अलग समय में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से रिटायर्ड हुए हैं। निर्वाचन आयोग के दोनों आयुक्त के पद पहले अनूप चंद्र पाण्डेय के फरवरी में रिटायरमेंट और फिर हाल ही में अरुण गोयल के इस्तीफे से खाली हुए थे।कौन हैं. दोनों नए चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू.. अमित शाह के साथ काम कर चुके हैं ज्ञानेश कुमार ज्ञानेश कुमार केरल कैडर के रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं। वो केंद्रीय गृह मंत्रालय में कश्मीर डिविजन के उस वक्त इनचार्ज थे जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 खत्म किया था। 1988 बैच के आईएएस ज्ञानेश कुमार मई, 2022 में सहकारिता मंत्रालय के सचिव बनाए गए। उन्हें संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव पद से ट्रांसफर किया गया था। कुमार ने सहकारिता मंत्रालय में देवेंद्र कुमार सिंह को रिप्लेस किया था। सिंह भी केरल कैडर के ही आईएस थे जिन्हें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का महासचिव बनाया गया था। ज्ञानेश कुमार की सर्विस रिटायरमेंट एज के बाद भी बरकरार रखी गई थी। वो 31 जनवरी, 2024 को रिटायर हुए। ध्यान रहे कि पहले गृह मंत्रालय और फिर सहकारिता मंत्रालय, दोनों मंत्रालयों के सचिव के तौर पर उन्होंने मंत्री अमित शाह के साथ ही काम किया। शाह इन दोनों मंत्रालयों के मंत्री हैं। कौन हैं सुखबीर संधू, सुखबीर संधू 1998 बैच के रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर हैं। 2021 में पुष्कर सिंह धामी जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनाए गए तब प्रदेश के मुख्य सचिव के पद पर सुखबीर संधू ही थे। उससे पहले संधू राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के चेयरमैन और मानव संसाधन मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में अडिशनल सेक्रेटरी की भूमिका में भी रहे। सुखबीर संधू ने अमृतसर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी से इतिहास में एम डिग्री हासिल की है। उनके पास कानून की डिग्री भी है। संधू ने 'अर्बन रिफॉर्म्स' और 'म्यूनिसिपल मैनेजमेंट एंड कपैसिटी बिल्डिंग' पर रिसर्च पेपर्स भी लिखे हैं। लुधियाना नगर निगम के आयुक्त के तौर पर उनकी सेवाओं के लिए संधू को राष्ट्रपति मेडल से नवाजा गया था।
नई दिल्ली,लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार की शाम भाजपा की दूसरी लिस्ट जारी हुई। इसमें 72 नाम हैं। नागपुर से नितिन गडकरी, मुंबई नॉर्थ से पीयूष गोयल और हमीरपुर से अनुराग ठाकुर को टिकट दिया गया है। एक दिन पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने वाले मनोहर लाल करनाल से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा ने 2 मार्च को जारी पहली लिस्ट में 16 राज्य और दो UT से 195 कैंडिडेट्स के नाम जारी किए थे। पहले और दूसरी लिस्ट को मिलाकर पार्टी ने कुल 267 कैंडिडेट्स के नाम जारी कर दिए हैं। मध्यप्रदेश: 5 सीटों पर पर भी ऐलान, छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू मध्यप्रदेश की बाकी बची 5 सीटों पर भी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है। इंदौर से शंकर लालवानी और उज्जैन से अनिल फिरोजिया को टिकट दिया गया है। छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू, बालाघाट से भारती पारधी और धार से सावित्री ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया है। पूर्व पीएम देवेगौड़ा के दामाद को BJP ने दिया टिकट केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर एक बार फिर हमीरपुर से, प्रह्लाद जोशी कर्नाटक के धारवाड़ से, भगवंत खूबा महाराष्ट्र के बीदर और भारती प्रवीण पवार डिंडोरी से मैदान में होंगे। बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के दामाद सीएन मंजूनाथ को बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश से होगा। दिल्ली की दो सीटों पर सामने आए नाम बीजेपी ने पूर्वी दिल्ली से गौतम गंभीर की जगह हर्ष मल्होत्रा और उत्तर पश्चिम दिल्ली से हंसराज हंस की जगह योगेंद्र चंदौलिया को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने इससे पहले, दिल्ली की पांच में से चार सीट पर मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए थे। सिर्फ मनोज तिवारी को दोबारा उत्तर पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनाया था। बीजेपी की सेकंड लिस्ट की बड़ी बातें - बीजेपी ने जारी की उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट - उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से टिकट - बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट से उम्मीदवार - हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को करनाल लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया - नितिन गडकरी नागपुर से लड़ेंगे चुनाव - हिमाचल के हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर - कर्नाटक के हावेरी से पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई - धारवाड से केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को बनाया उम्मीदवार - केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को महाराष्ट्र के मुंबई (उत्तर) से टिकट - बीड से पंकजा मुंडे को टिकट किस दिग्गज का कटा टिकट? हालांकि बीजेपी ने महाराष्ट्र से दिग्गजों के नामों का ऐलान कर दिया है, लेकिन कई बड़े चेहरों के टिकट काट दिए हैं। बीड से सांसद प्रीतम मुंडे, उत्तरी मुंबई से बीजेपी सांसद गोपाल शेट्टी, जलगांव से सांसद उन्मेश पाटिल, मुंबई उत्तर पूर्व से सांसद मनोज कोटक और अकोला से सांसद संजय धोत्रे के टिकट काटे गए हैं। महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची उम्मीदवार- लोकसभा सीट हिना गावित-नंदुरबार सुभाष भामरे- धुले स्मिता वाघ- जलगांव रक्षा निखिल खडसे-रावेर अनूप धोत्रे- अकोला रामदास चंद्रभानजी तडस- वर्धा नितिन गडकरी-नागपुर सुधीर मुंगंटीवार-चंद्रपुर प्रतापराव पाटिल चिखलिकर- नांदेड़ रावसाहेब दानवे- जालना भारती प्रवीण पवार- डिंडौरी कपिल पाटिल- भिवंडी पीयूष गोयल- मुंबई उत्तर मिहिर कोटेचा- मुंबई उत्तर पूर्व मुरलीधर मोहोल- पुणे सुजय विखे- अहमदनगर सुधाकर श्रृंगारे- लातूर रणजीत सिंह नाइक निंबालकर- माढा संजयकाका पाटिल- सांगली पंकजा मुंडे- बीड हमीरपुर से अनुराग ठाकुर उम्मीदवार बीजेपी की नई लिस्ट में फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर को तीसरी बार टिकट मिला है। पौड़ी से बलूनी को उम्मीदवार बनाया गया है। सिरसा से अशोक तंवर, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह, फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर चुनाव मैदान में उतरेंगे। हमीरपुर से अनुराग ठाकुर, शिमला से सुरेश कुमार कश्यप को टिकट मिला है। मध्य प्रदेश से पांच उम्मीदवारों के नाम का एलान किया गया है। इसमें बालाघाट से भारती पारधी को टिकट दिया गया है। छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू, उज्जैन से अनिल फिरोजिया, धार से सावित्री ठाकुर और इंदौर से शंकर लालवानी को टिकट दिया गया है। भाजपा ने हरियाणा में इन छह लोकसभा सीटों पर नाम एलान किए है: सिरसा- अशोक तंवर करनाल- मनोहर लाल खट्टर भिवानी-महेंद्रगढ़ धर्मवीर सिंह गुरुग्राम-राव इंद्रजीत सिंह यादव फरीदाबाद-कृष्‍णपाल गुर्जर अंबाला- बंतो कटारिया
नई दिल्ली,स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के चेयरमैन दिनेश कुमार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट फाइल की। इसमें बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के 11 मार्च के निर्देश के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी उपलब्ध जानकारी चुनाव आयोग को दे दी गई है। SBI चेयरमैन ने कहा- हमने ECI को पेन ड्राइव में दो फाइलें दी हैं। एक फाइल में बॉन्ड खरीदने वालों की डिटेल्स हैं। इसमें बॉन्ड खरीदने की तारीख और रकम का जिक्र है। दूसरी फाइल में बॉन्ड इनकैश करने वाले राजनीतिक दलों की जानकारी है। लिफाफे में 2 PDF फाइल भी हैं। ये PDF फाइल पेन ड्राइव में भी रखी गई हैं, इन्हें खोलने के लिए जो पासवर्ड है, वो भी लिफाफे में दिया गया है। SBI के हलफनामे के अनुसार, एक अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 22 हजार 217 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए। इनमें से 22,030 बॉन्ड का पैसा राजनीतिक पार्टियों ने कैश करा लिया है। पार्टियों ने 15 दिन की वैलिडिटी के भीतर 187 बॉन्ड को कैश नहीं किया, उसकी रकम प्रधानमंत्री राहत कोष में ट्रांसफर कर दी गई। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बॉन्ड की जानकारी देने को कहा था इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में SBI की याचिका पर 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने करीब 40 मिनट सुनवाई की थी। SBI ने कोर्ट से कहा था- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया? सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा- SBI 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश दिया था। 4 मार्च को SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
पटन/दिल्ली: चिराग पासवान की फाइनल डील बीजेपी के साथ हो गई। इसका मतलब ये हुआ कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चिराग पासवान की बीजेपी के साथ सीट शेयरिंग हो गया। एनडीए के सदस्य के रूप में बुधवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ उन्होंने दिल्ली में मुलाकात की। इस मीटिंग में आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया गया। हालांकि, नंबर को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि उचित समय आने पर इसकी सूचना दी जाएगी। चिराग-बीजेपी में भी सीट शेयरिंग फाइनल पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजनीतिक गलियारों में चिराग पासवान की सीट शेयरिंग चर्चा में थी। चिराग पासवान और बीजेपी के रिश्तों में खटास की भी अटकलें लगाई गई थी। मगर, अब इस तरह की चर्चाओं पर विराम लगता दिख रहा है। चिराग पासवान ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वो एनडीए के साथ हैं और आगे भी रहेंगे। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में उनकी पार्टी के लिए सीट भी फाइनल हो गया है।
नई दिल्ली: नोटिफिकेशन जारी होते ही देशभर में सीएए का कानून लागू हो गया। एक ओर सत्ता पक्ष इसे लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष एक स्वर में इसके खिलाफ दिख रहा है। सरकार का पहले ही कहना था कि सीएए के नियम 2024 के चुनाव से पहले लागू कर दिए जाएंगे। इन सबके बीच सीएए को लेकर उन 5 बिंदुओं पर हम आज बात करेंगे जो आपके लिए जानना जरूरी है। आपके मन में भी कई तरह के सवाल उमड़-घुमड़ रहे होंगे। तो आइए 5 प्वाइंट्स में समझते हैं कि सीएए लागू होने से क्या होगा? 1. यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का एक रास्ता है। 2. इस कानून के तहत, विदेशी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता मिलने के लिए पिछले एक साल से भारत में रहना जरूरी है, साथ ही पिछले 14 सालों में से कम से कम 5 साल भारत में रहना चाहिए। पहले, विदेशियों को नागरिकता मिलने के लिए 11 साल तक भारत में रहना पड़ता था। 3. यह कानून भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कुछ इलाकों में लागू नहीं होता है। इन इलाकों में असम के ट्राइबल इलाके, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं. साथ ही, असम के कारबी आंगलोंग, मेघालय के गारो हिल्स, मिजोरम के चकमा जिले और त्रिपुरा के ट्राइबल इलाके जिले भी इसमें शामिल हैं। 4. इस कानून के लागू होने के बाद दूसरे देश से आए मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता नहीं दी जा सकती। हालांकि, सरकार का कहना है कि अन्य समुदायों के आवेदनों पर व्यक्तिगत रूप से विचार किया जाएगा। 5.सीएए के लिए अप्लाई करने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है। आवेदनकर्ताओं को यह बताना होगा कि वे किस साल भारत आए थे और उनके पास वैध दस्तावेज नहीं थे। इस प्रक्रिया में आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे।
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट आज जारी कर दी है। दूसरी लिस्ट में 43 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। गौरव गोगोई असम के जोरहाट से उम्मीदवार होंगे, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से नकुलनाथ को टिकट मिला है। राहुल कस्वा राजस्थान के चुरू से और वैभव गहलोत राजस्थान के जालौर से चुनाव लड़ेंगे। फूल सिंह बरैया मध्य प्रदेश के भिंड से चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, 'इस सूची में 43 उम्मीदवारों में से 10 जनरल उम्मीदवार, 13 ओबीसी उम्मीदवार, 10 एससी उम्मीदवार, 9 एसटी उम्मीदवार और 1 मुस्लिम उम्मीदवार हैं।' वेणुगोपाल ने कहा, 'हमने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची पहले ही घोषित कर दी है। आज, हम दूसरी सूची की घोषणा की हैं। कल सीईसी ने बैठक की और असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान से लगभग 43 नामों की सूची को मंजूरी दे दी थी। वेणुगोपाल ने कहा, 'कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई असम के जोरहाट से चुनाव लड़ेंगे। नकुलनाथ मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे। राहुल कस्वा राजस्थान के चुरू से चुनाव लड़ेंगे। वैभव गहलोत जालोर से चुनाव लड़ेंगे।'
राजस्थान के जैसलमेर में भारतीय वायुसेना का एक फाइटर जेट तेजस क्रैश हो गया है। यह फाइटर जेट युद्धाभ्यास में शामिल होने जा रहा था। हादसे में फाइटर जेट का पायलट सुरक्षित है। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन मौके के लिए रवाना हो गया है। बता दें कि जैसलमेर के पास पोकरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेना के युद्धाभ्यास में मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि हवा में लहराता हुआ तेजस जवाहर कॉलोनी में स्थित मेघवाल समाज के हॉस्टल में घुस गया। हादसे की सूचना पर पुलिस प्रशासन के आलाधिकारी मौके की ओर दौड़ पड़े। दोनों पायलट सुरक्षित फाइटर जेट के क्रैश होने से पहले दोनों पायलट उससे बाहर निकल गए थे। घटनास्थल के आसपास जैसे ही वहां फाइटर जेट के क्रैश होने की बात सामने आई तो भारी भीड़ जमा हो गई।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम CAA को लागू कर दिया है। इसके बाद से ही देशभर से इस पर मुद्दे पर अलग-अलग राय सामने आ रही है। आपको बता दें कि सीएए के माध्यम से केंद्र सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक आए प्रताड़ित हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारत की नागरिकता देगी। हालांकि, कई लोग इस बारे में गलत तथ्यों के साथ जानकारी भी साझा कर रहे हैं। ऐसे में यूपी पुलिस के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कड़ी चेतावनी जारी की है। CAA को लेकर पहले से तैयारी उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने साफ शब्दों में कहा है कि CAA के नाम पर कोई भी अगर गड़बड़ी करने की कोशिश करेगा तो उसपर कड़ी कारवाई होगी। डीजीपी ने कह है कि हमारी तैयारी CAA को लेकर पहले से है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि CAA से किसी की नागरिकता जा नहीं रही, बल्कि पड़ोसी देशों में धार्मिक कारणों से परेशान लोगो को नागरिकता मिलेगी। ये संख्या भी बहुत कम है। सोशल मीडिया पर खास नजर डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा है कि यूपी पुलिस की सोशल मीडिया पर खास नजर है। इसके अलावा संवेदनशील जगहों या जहां पहले हिंसा हुई थी वहां खास नजर रखी जा रही है। ड्रोन और सीसीटीवी की मदद से भी निगरानी की जा रही है। डीजीपी ने जानकारी दी है कि किसी स्थिति से निपटने के लिए PAC की 179 कंपनी और सीएपीएफ की 100 कंपनी तैयार है। सभी जिलों में अलर्ट डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी जिलों के अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने संवेदनशील जिलों में अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की है। साथ ही पूरे यूपी में पुलिस को फूट पेट्रोलिंग के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही पूरे राज्य में फुट पेट्रोलिंग के साथ ही प्रदेश में CCTV, ड्रोन कैमरों से निगरानी करने का भी निर्देश दिया गया है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी डीजीपी मुख्यालय से पैनी नजर बनाई जाएगी। डीजीपी कार्यालय ने कहा है कि इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। सोशल मीडिया पर भड़काऊ,आपत्तिजनक पोस्ट पर कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
महाराष्ट्र के नवी मुंबई में पुलिस ने भारत में अवैध रूप से रहने के आरोप में 8 बंग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एक गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए नवी मुंबई पुलिस की मानव तस्करी विरोधी इकाई ने सोमवार सुबह बेलापुर इलाके के शाहबाज गांव में एक फ्लैट पर छापेमारी की। सभी की उम्र 20-40 साल के बीच एनआरआई सागरी पुलिस थाने के अधिकारी ने कहा कि छापेमारी के दौरान उन्हें फ्लैट में बांग्लादेश की पांच महिलाएं और तीन पुरुष मिले। इन सभी की उम्र 20 से 40 वर्ष के बीच है। 4 साल से अवैध रूप से रह रहे थे उन्होंने बताया कि ये बंग्लादेशी नागरिक पिछले चार साल से बिना किसी वैध दस्तावेज के अवैध रूप से वहां रह रहे थे। पुलिस ने कहा कि आठों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके खिलाफ पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया। संवेदनशील इलाकों में कड़ी सुरक्षा बता दें कि CAA को दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी। हालांकि, इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इसके बाद यह कानून लागू नहीं हो सका था। अब सीएए कानून लागू होने के साथ संवेदनशील इलाकों में पुलिस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
पोरबंदर,गुजरात के तट से 6 पाकिस्तानियों को सर्च आपरेशन के दौरान पकड़ा गया है। गुजरात एटीएस, इंडियन कोस्ट गार्ड और एनसीबी के संयुक्त ऑपरेशन में इन 6 पाकिस्तानियों की धरपकड़ की गई है। इस दौरान इनके पास से 480 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई। पकड़े गए इन पाकिस्तानियों को पोरबंदर लाया जाएगा। कोस्ट गार्ड, एटीएस और एनसीबी ने मिलकर अब तक 3,135 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की है। जानकारी के अनुसार भारतीय तटरक्षक बल, एनसीबी और एटीएस द्वारा संयुक्त अभियान में 11-12 मार्च की रात को एक संयुक्त अभियान में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने खुफिया जानकारी के आधार पर एक पाकिस्तानी नाव को पकड़ा गया है। इसमें चालक दल के 6 सदस्य सवार थे। इनके पास से लगभग 480 करोड़ रुपये मूल्य के नशीले पदार्थ पकड़े गए। संयुक्त अभियान में पोरबंदर से लगभग 350 किलोमीटर दूर अरब सागर में की गई कार्रवाई में पाकिस्तानी नाव को पकड़ा गया। ऑपरेशन में आईसीजी, एनसीबी और एटीएस गुजरात के बीच अच्छे कॉर्डिनेशन के कारण ये नाव पकड़ी जा सकी। खुफिया इनपुट के आधार पर की गई कार्रवाई भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को विशिष्ट खुफिया इनपुट के बाद रणनीति बनाकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इसके तहत जहाजों को अरब सागर में तैनात किया गया। ICG ने अपने डोर्नियर विमान को संभावित क्षेत्रों में नाव को स्कैन करने और उसका पता लगाने का काम भी सौंपा। क्षेत्र में गहन खोज के बाद आईसीजी जहाज, एनसीबी और एटीएस गुजरात की टीमों के साथ उस स्थान पर पहुंचा गया, जहां अंधेरे में नाव संदिग्ध रूप से घूम रही थी। जांच में 80 किलो नशीली दवाएं जब्त आईसीजी जहाजों द्वारा चुनौती दिए जाने पर नाव ने टालमटोल करना शुरू कर दिया। तब आईसीजी जहाजों द्वारा चतुराई से पीछा किया गया और रुकने के लिए मजबूर किया गया। बोर्डिंग टीम प्रारंभिक जांच के लिए तुरंत जहाज पर चढ़ गई। वहां देखा तो 6 चालक दल सदस्य मौजूद थे। संयुक्त बोर्डिंग टीम द्वारा जांच के दौरान लगभग 80 किलोग्राम नशीली दवाएं पकड़ी गईं, जिनका मूल्य 480 करोड़ रुपए है। जब्त का पोरबंदर लाया जा रहा पाकिस्तानियों को नाव को चालक दल सहित पकड़ लिया गया है और आगे की जांच के लिए पोरबंदर लाया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों में एटीएस गुजरात और एनसीबी के साथ संयुक्त रूप से आईसीजी द्वारा की गई यह 10वीं गिरफ्तारी है। इसमें कुल 3135 करोड़ रुपये मूल्य का 517 किलोग्राम नशीले पदार्थ जब्त किया जा चुका है।
नई दिल्ली: इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अपनी याचिका में मुस्लिम लीग ने कहा है कि नागरिकता संशोधन नियम मनमाने हैं और केवल धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग को अनुचित लाभ देते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। IUML ने कहा, ‘...तो उनकी नागरिकता छीननी होगी’ याचिका में कहा गया है कि CAA के प्रावधानों को चुनौती देने वाली लगभग 250 याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं और यदि CAA को असंवैधानिक माना जाता है, तो एक असामान्य स्थिति उत्पन्न होगी। इसमें कहा गया है कि ऐसा होने की स्थिति में जिन लोगों को लागू अधिनियम और नियमों के तहत नागरिकता मिल गई होगी, उनकी नागरिकता छीननी होगी। इसमें कहा गया, “इसलिए CAA और लागू नियमों के कार्यान्वयन को तब तक के लिए स्थगित करना प्रत्येक व्यक्ति के सर्वोत्तम हित में है जब तक कि कोर्ट मामले का फैसला नहीं कर देता।’ पुनर्वास के लिए कानूनी बाधाओं को दूर करेगा CAA CAA पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर,2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों, यानी कि हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करता है। यह कानून पुनर्वास के लिए कानूनी बाधाओं को दूर करेगा और नागरिकता प्रदान कर दशकों से पीड़ित शरणार्थियों के लिए गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करेगा। यह कानून उन लोगों के लिए है जिन्होंने वर्षों से उत्पीड़न सहा है और जिनके पास भारत के अलावा दुनिया में कोई और शरण स्थल नहीं है। CAA के तहत कैसे मिलेगी भारत की नागरिकता? CAA के तहत भारतीय नागरिकता पाने के इच्छुक लोगों को आवेदन करने की तारीख से पहले देश में कम से कम 12 महीने तक रहना अनिवार्य है। नियमों में कहा गया है कि इन 12 महीनों से ठीक पहले के 8 वर्षों के दौरान भी आवेदकों द्वारा देश में कम से कम 6 साल बिताया गया हो, तभी उन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए पात्र माना जाएगा। नियमों के मुताबिक, आवेदकों को यह घोषणापत्र भी देना होगा कि वे मौजूदा नागरिकता को ‘अपरिवर्तनीय रूप से’ त्याग रहे हैं और वे ‘भारत को स्थायी घर’ बनाना चाहते हैं।
चंडीगढ़ : हरियाणा में नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के नए मुख्यमंत्री की शपथ ले ली है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। नायब सैनी के साथ किसी डिप्टी सीएम ने शपथ नहीं ली है। नायब कैबिनेट में कंवरपाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, रणजीत सिंह, जय प्रकाश दलाल और डॉ. बनवारी लाल ने मंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले मनोहर लाल खट्टर और उनकी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों ने मंगलवार को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को अपना इस्तीफा सौंप दिया। बाद में सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया। सैनी ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। सैनी को खट्टर का करीबी माना जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के गठबंधन में दरारें उभरने की अटकलों के बीच यह घटनाक्रम सामने आया है। कैबिनेट में खट्टर और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी के तीन मंत्रियों समेत 14 मंत्री शामिल थे। ओबीसी वर्ग से आते हैं नायब सैनी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से ताल्लुक रखने वाले सैनी कुरुक्षेत्र से सांसद हैं और पिछले साल अक्टूबर में ओम प्रकाश धनखड़ को हटाकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस बदलाव को ओबीसी समुदाय पर अपनी पकड़ मजबूत करने के भाजपा के प्रयास के तौर पर देखा गया था। राज्य में सबसे अधिक आबादी जाट समुदाय की है। माना जाता है कि इस समुदाय का वोट कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और इंडियन नेशनल लोकदल के बीच बंट जाता है। सैनी ने प्रदेश संगठन में कई पदों पर जिम्मेदारी संभाली है। वह भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा में भी कई दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। साल 2012 में उन्हें भाजपा ने अंबाला इकाई का जिला अध्यक्ष बनाया था और फिर साल 2014 में वह नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। वह हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री भी रहे हैं। साल 2019 में वह कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए। सोमवार को खट्टर की हुई तारीफ, आज चली गई कुर्सी बता दें कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले यह आश्चर्यजनक कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को हरियाणा में ही थे। गुरुग्राम में एक सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने खट्टर की जमकर तारीफ की थी। तब किसी को यह अंदाजा नहीं था कि अगले ही दिन खट्टर को इस्तीफा देना पड़ जाएगा। फिलहाल 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के 41, जबकि जजपा के 10 विधायक हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन को सात में से छह निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है। बहुमत के लिए 46 विधायकों की आवश्यकता है। जजपा का समर्थन न होने पर भी भाजपा सहज स्थिति में है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 30 विधायक हैं और इंडियन नेशनल लोकदल तथा हरियाणा लोकहित पार्टी का एक-एक विधायक है।
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा CAA का नोटिफिकेशन जारी करने के बाद अब गृह मंत्री अमित शाह ने इसके नियम भी जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही नागरिकता पाने के लिए अमित शाह ने एक फॉर्म भी जारी किया है। बता दें कि भारत सरकार 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों - हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी। इन कागजों की मदद से मिल जाएगी नागरिकता गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये गैर हिंदुओं को सबे पहले खुद को इन तीन देशों में से किसी का निवासी साबित करना होगा। इसके लिए वह वहां के पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, वहां के शैक्षणिक प्रमाण पत्र, वहां की सरकार की तरफ से जारी किए गए किसी भी तरह के प्रमाण पत्र या लाइसेंस, जमीन के दस्तावेज समेत कुछ भी ऐसे कागज दिखाने पड़ेंगे, जिससे यह साबित हो सके कि वह पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगनिस्तान के प्रताड़ित गैर मुस्लिम शरणार्थी हैं।
बरेली: इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा खां के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। बरेली में एडीजे प्रथम फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने सोमवार को आईएमसी प्रमुख को 13 मार्च ट्रक गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का पुलिस को आदेश जारी किया है। बता दें कि कोर्ट ने मौलाना तौकीर रजा को साल 2010 में बरेली में हुए दंगों का मास्टरमाइंड माना है। 13 मार्च को कोर्ट में हाजिर करने का आदेश कोर्ट ने सीओ सिटी प्रथम को 13 मार्च तक मौलना को गिरफ्तार करके कोर्ट में हाजिर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इससे पहले मौलाना को आज की सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया था। लेकिन उनकी कोई खोज खबर नहीं थी। इसके बाद रविवार को पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की। इस दौरान मौलाना के आवास पर ताला पड़ा हुआ पाया गया। इसके बाद कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। 2010 दंगों में आरोपी हैं मौलाना बता दें कि साल 2010 में जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान शहर में दो समुदायों के बीच हिंसा भड़की थी। कुतुबखाना बाजार चौराहे के पास सब्ज़ी मंडी में दंगाइयों ने करीब 20 दुकानों में आग लगा दी थी। इस दौरान पूरे बरेली शहर में सांप्रदायिक दंगे भड़कने की आशंका पैदा हो गई थी। शहर के सभी स्कूल, कॉलेज बंद करने के आदेश दे दिए गए थे। इस दौरान कई दिन तक पूरे शहर में कर्फ्यू लगा था। मौलाना को इन्हीं दंगों का मुख्य आरोपी माना गया है।
नई दिल्ली,इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने से जुड़े केस में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने करीब 40 मिनट में फैसला सुना दिया। SBI ने कोर्ट से कहा- बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने में हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहिए। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा- पिछली सुनवाई (15 फरवरी) से अब तक 26 दिनों में आपने क्या किया? करीब 40 मिनट की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा- SBI 12 मार्च तक सारी जानकारी का खुलासा करे। इलेक्शन कमीशन सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे वेबसाइट पर पब्लिश करे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगा दी थी। साथ ही SBI को 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने का निर्देश दिया था। 4 मार्च को SBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर इसकी जानकारी देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था। इसके अलावा कोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की उस याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें 6 मार्च तक जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ अवमानना का केस चलाने की मांग की गई थी।
हैदराबाद,तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्‌डी और उनके साथी मंत्रियों पर अपनी पार्टी कांग्रेस के दलित नेताओं से भेदभाव करने का आरोप लगा है। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दिख रहा है कि एक मंदिर में वे स्टूल पर बैठे हैं, जबकि दलित नेता डिप्टी सीएम मल्लू भट्‌टी विक्रमार्क और वन-पर्यावरण मंत्री कोंडा सुरेखा नीचे बैठी हैं। वीडियो सामने आने के बाद से तेलंगाना सीएम की आलोचना हो रही है। भारत राष्ट्र समिति पार्टी ने X पर पोस्ट करके तेलंगाना की कांग्रेस सरकार पर दलित नेताओं का अपमान करने का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि ये मंदिर नलगोंडा जिले का यदाद्री मंदिर है। BRS बोली- रेवंत रेड्‌डी ने दलित डिप्टी सीएम को नीचा दिखाया इस वीडियो के साथ भारत राष्ट्रीय समिति ने लिखा- मुख्यमंत्री और उनके साथियों ने यदाद्री मंदिर में दर्शन के दौरान डिप्टी सीएम भट्‌टी विक्रमार्क का बुरी तरह अपमान किया। रेवंत रेड्‌डी, कोमाटीरेड्‌डी वेंकट रेड्‌डी और उत्तम कुमार रेड्डी ने विक्रमार्क से ऊपर बैठकर उन्हें नीचा दिखाया। कौन हैं मल्लू भट्‌टी विक्रमार्क मल्लू भट्‌टी विक्रमार्क तेलंगाना के पहले दलित डिप्टी सीएम हैं। पिछले साल दिसंबर में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर उन्होंने रेवंत रेड्‌डी कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ ली थी। डिप्टी सीएम बनने से पहले विक्रमार्क तेलंगाना विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं। वे 2009 और 2014 में विधानसभा चुनाव जीते थे। खड़गे ने बीते साल भाजपा पर लगाया था फायदे के लिए दलित राष्ट्रपति चुनने का आरोप पिछले साल मई में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ना बुलाए जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा था- ऐसा लगता है कि मोदी सरकार सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए दलित और आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति बनाती है। भाजपा नेता कहते हैं कि हम एससी/एसटी को महत्व देते हैं, लेकिन वहां महत्व और सम्मान नहीं देते हैं जहां उन्हें दिया जाना चाहिए।
नई दिल्ली,भारत ने अपनी पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण कर लिया है। इसकी रेंज 5000 किमी है। यह मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस है। यानी इसे एक साथ कई टारगेट्स पर लॉन्च किया जा सकता है। इसका पहला परीक्षण अप्रैल 2012 में हुआ था, जबकि सोमवार का परीक्षण MIRV के साथ हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कामयबी पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमें अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है। 29 हजार 401 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है। ये भारत के पास मौजूद लंबी दूरी की मिसाइलों में से एक है। रेंज 5 हजार किलोमीटर है। अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम है। मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) से लैस है। यानी एक साथ कई टारगेट्स के लिए लॉन्च की जा सकती है। डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है। इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा। लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। इस्तेमाल भी बेहद आसान है, इस वजह से देश में कहीं भी इसकी तैनाती की जा सकती है। अग्नि-5 एक से ज्यादा वॉरहेड ले जा सकती है अग्नि-5 एक एडवांस्ड MIRV मिसाइल है। MIRV का अर्थ मल्टीपल इंडिपेंडेंटली-टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल है। ट्रेडिशनल मिसाइल में केवल एक वॉरहेड ले जाया जा सकता है, जबकि MIRV में मल्टीपल वॉरहेड एक साथ कैरी कर सकते हैं। वॉरहेड यानी, मिसाइल का अगला भाग जिसमें विस्फोटक होते हैं। इस खासियत के मायने ये हुए कि एक दूसरे से सैकड़ों किलोमीटर दूर मौजूद कई टारगेट्स को एक ही मिसाइल के जरिए तबाह किया जा सकता है। एक ही टारगेट पर मल्टीपल वॉरहेड को एक बार में लॉन्च भी किया जा सकता है। अमेरिका ने 1970 में विकसित की थी MIRV तकनीक MIRV तकनीक सबसे पहले अमेरिका ने 1970 में विकसित की थी। 20वीं सदी के अंत तक अमेरिका और सोवियत संघ दोनों के पास MIRV से लैस कई इंटरकॉन्टिनेंटल और सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलें थीं।
नई दिल्ली,केंद्र सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया है। CAA को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है। नागरिकता संशोधन कानून की 3 बड़ी बातें... 1. किसे मिलेगी नागरिकता: 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। 2. भारतीय नागरिकों पर क्या असर: भारतीय नागरिकों से CAA का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता। 3. आवेदन कैसे कर सकेंगे: आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है। बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक है। कयास थे कि पीएम मोदी CAA की अधिसूचना का ऐलान करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नोटिफिकेशन से पहले PM ने सोशल मीडिया X पर अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण पर DRDO के वैज्ञानिकों को बधाई दी। CAA को लेकर सरकार की तैयारी CAA के ऑनलाइन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार कर लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका ड्राई रन भी कर लिया है। सूत्रों ने कहा कि CAA इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं। गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में दो बार कह चुके थे कि CAA लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। यह देश का कानून है। इसे कोई रोक नहीं सकता। संसद ने CAA पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगाई थी। हालांकि, सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने की समय सीमा 8 बार बढ़ा चुकी है। CAA के नोटिफिकेशन के बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पुलिस अलर्ट पर है। DGP प्रशांत कुमार ने सभी जिलों की पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। पुराने लखनऊ के संवेदनशील इलाकों में पुलिस पैदल गश्त कर रही है। सीनियर अफसर भारी पुलिस फोर्स के साथ सड़कों पर उतरे हैं। पुराने लखनऊ में मार्च निकाला जाएगा। सभी थाना लेवल पर सुरक्षा व्यस्था बनाए रखने के निर्देश पुलिस कमिश्नर ने दिए है। पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय ने जश्न बनाया देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय ने सोमवार को जश्न मनाया। उत्तर 24 परगना के ठाकुरनगर में दावा किया कि यह उनका दूसरा स्वतंत्रता दिवस है। ये मूलत: पूर्वी पाकिस्तान के रहने हैं। ये भारत-पाक विभाजन के दौरान और बांग्लादेश के निर्माण के बाद भारत आ गए थे। बंगाल में इनकी आबादी 30 लाख से ज्यादा है। नादिया और बांग्लादेश की सीमा से लगे उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों की 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर इनका दखल है। योगी ने कहा- ये पीड़ित मानवता के लिए है पीड़ित मानवता के कल्याणार्थ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू करने का निर्णय ऐतिहासिक है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में मजहबी बर्बरता से पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के सम्मानजनक जीवन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मनुष्यता को आह्लादित करने वाले इस मानवीय निर्णय हेतु आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी का आभार एवं माननीय गृहमंत्री श्री @AmitShah जी का धन्यवाद! इस अधिनियम के अंतर्गत भारत की नागरिकता प्राप्त करने जा रहे सभी भाइयों-बहनों का हार्दिक अभिनन्दन!
कोलकाता,पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं से यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोपी TMC नेता शेख शाहजहां को टीएमसी ने 6 साल के लिए पार्टी से सस्पेंड कर दिया है। पार्टी के फैसले का ऐलान करते हुए टीएमसी लीडर डेरेक ओ' ब्रायन ने कहा कि एक पार्टी है, जो सिर्फ बोलती रहती है। तृणमूल जो कहती है, वो करती है। शेख को बंगाल पुलिस ने गुरुवार 29 फरवरी की सुबह नॉर्थ 24 परगना के मीनाखान इलाके से उसे गिरफ्तार किया गया। वह 55 दिन से फरार था। पुलिस ने उसे बशीरहाट कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। कोलकाता पुलिस ने जांच क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (CID) को सौंप दी है। साउथ बंगाल के ADG सुप्रतिम सरकार ने कहा कि वह 5 जनवरी को ED अफसरों पर हुए हमले के मुख्य आरोपियों में शामिल था। उसे इसी मामले में गिरफ्तार किया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि ED की टीम पर हमले में शेख शाहजहां ने अपनी भूमिका कबूल कर ली है। बेल के लिए वकील हाईकोर्ट पहुंचा, कोर्ट बोला- गिरफ्तार ही रहने दो गिरफ्तारी के तुरंत बाद शेख शाहजहां के वकील जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने कहा, "उसे गिरफ्तार ही रहने दो। अगले 10 साल तक ये आदमी आपको बहुत व्यस्त रखेगा। आपको इस केस के अलावा कोई और चीज देखने का मौका नहीं मिलेगा। उसके खिलाफ 42 केस दर्ज हैं। वो फरार भी था। जो कुछ भी आपको चाहिए, आप सोमवार को आइए। हमारे पास उसके लिए कोई सहानुभूति नहीं है।" संदेशखाली की CBI जांच पर हाईकोर्ट में सुनवाई सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट सोमवार को संदेशखाली मामले की जांच CBI को सौंपे जाने की याचिका पर सुनवाई करेगा। साउथ बंगाल के ADG सुप्रतिम सरकार ने बताया कि इस गिरफ्तारी में सेक्शुअल असॉल्ट का कोई मामला नहीं है। शाहजहां के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं। 7, 8 और 9 फरवरी को जो मामले दर्ज हुए हैं, वे सभी 2-3 साल पहले की घटनाओं के हैं, पर जांच-पड़ताल में समय लगेगा। शुभेंदु अधिकारी बोले- शाहजहां की पुलिस से डील, फाइव स्टार सुविधाएं मिलेंगीं पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि शेख शाहजहां को गिरफ्तार तो कर लिया गया है, लेकिन वह एक डील के तहत कल रात 12 बजे से ममता पुलिस की सुरक्षित कस्टडी में है। कल रात पुलिस उसे बेरमजूर-II में ग्राम पंचायत इलाके में ले गई थी, जहां उसने प्रभावशाली मध्यस्थों की मदद से ममता की पुलिस से डील की कि पुलिस कस्टडी और ज्यूडिशियल कस्टडी में उसकी अच्छे से देखभाल की जाएगी। जेल में उसे फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगीं। यहां तक कि उसे फोन भी दिया जाएगा जिसकी मदद से वह तोलामूल पार्टी को वर्चुअली चला सकेगा। भाजपा नेता सुकांत मजूमदार बोले- भाजपा ने दबाव डाला, तब सरकार ने गिरफ्तारी की शेख शाहजहां की गिरफ्तारी को लेकर बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि भाजपा की तरफ से लगातार इस मुद्दे पर प्रदर्शन किए गए, जिसकी वजह से बंगाल सरकार उसे गिरफ्तार करने को मजबूर हुई। सरकार तो अब तक शेख शाहजहां को आरोपी मानने से ही इनकार कर रही थी। शाहजहां और उसके दो साथियों पर महिलाओं से गैंगरेप का आरोप संदेशखाली में शेख शाहजहां और उसके दो साथियों शिबू हाजरा और उत्तम सरदार पर आरोप है कि वे महिलाओं का लंबे समय से गैंगरेप कर रहे थे। इस केस में शिबू हाजरा और उत्तम सरदार समेत 18 लोगों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। शाहजहां शेख TMC का डिस्ट्रिक्ट लेवल का नेता है। राशन घोटाले में ED ने 5 जनवरी को उसके घर पर रेड की थी। तब उसके 200 से ज्यादा सपोर्टर्स ने टीम पर अटैक कर दिया था। अफसरों को जान बचाकर भागना पड़ा। तभी से शाहजहां फरार था। हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा था- शाहजहां को गिरफ्तार करो​​​​​ शाहजहां शेख की गिरफ्तारी को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस शिवज्ञानम ने सोमवार को आदेश दिया था कि पुलिस हर हाल में 4 मार्च को अगली सुनवाई में शाहजहां को कोर्ट में पेश करे। उसकी गिरफ्तारी पर कोई स्टे नहीं है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि संदेशखाली में अत्याचार की घटनाओं की सूचना 4 साल पहले पुलिस को दी गई थी। यौन उत्पीड़न समेत 42 मामले हैं, लेकिन उनमें चार्जशीट दायर करने में चार साल लगा दिए गए। नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली में हुआ क्या है नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं ने TMC नेता शेख शाहजहां और उनके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया था। इसके बाद संदेशखाली में स्थानीय महिलाओं ने प्रदर्शन किया था। उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की थी। शाहजहां कैसे मजदूर से माफिया बना आरोपी शाहजहां संदेशखाली में कहां से आया, ये कोई नहीं जानता। 2000-2001 में वो मत्स्य केंद्र में मजदूर था। सब्जी भी बेची। फिर ईंट-भट‌्ठे पर काम करने लगा। यहीं उसने मजदूरों की यूनियन बनाई। फिर सीपीएम से जुड़ा। सिंगूर और नंदीग्राम आंदोलन में वामदलों की जमीन खिसकी तो 2012 में वो तृणमूल के तत्कालीन महासचिव मुकुल रॉय और उत्तर 24 परगना जिले के ताकतवर नेता ज्योतिप्रिय मलिक के सहारे पार्टी से जुड़ गया। जिस राशन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय शाहजहां को खोज रहा है, उसी केस में मलिक जेल में हैं। गांव वालों ने बताया कि शाहजहां के पास सैकड़ों मछली पालन केंद्र, ईंट भट्‌ठे, सैकड़ों एकड़ जमीन हैं। वो 2 से 4 हजार करोड़ की संपत्ति का मालिक है। ED अफसरों पर शेख समर्थकों ने ही हमला किया था पश्चिम बंगाल में कोरोना के दौरान कथित तौर पर हुए हजारों करोड़ रुपए के राशन घोटाले में ED ने 5 जनवरी को राज्य में 15 ठिकानों पर छापा मारा था। टीम नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव में शेख शाहजहां और शंकर अध्य के घर भी रेड डालने गई थी। इस दौरान उन पर TMC समर्थकों ने जानलेवा हमला किया था। इसमें तीन अधिकारी घायल हो गए थे। इसके बाद से शाहजहां फरार है। शेख शाहजहां के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। संदेशखाली केस को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 20 फरवरी को बंगाल सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- शुरुआती तौर पर ये साफ है कि टीएमसी नेता शाहजहां ने लोगों को नुकसान पहुंचाया। जिस शाहजहां पर रेप और जमीन हड़पने के आरोप हैं, ऐसा लगता है कि वो पुलिस की पहुंच से बाहर है।
शिमला,हिमाचल प्रदेश में सरकार की स्थिति और क्रॉस वोटिंग पर कांग्रेस ने 29 फरवरी की शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और हिमाचल सीएम सुखविंदर सुक्खू शामिल थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी और विधायकों के बीच सारे मतभेद सुलझा लिए गए हैं। सुक्खू सीएम बने रहेंगे। ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है। हमारे लिए अब लोकसभा चुनाव प्राथमिकता है। इससे पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद धर्मशाला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और बागी विधायक सुधीर शर्मा के समर्थकों में झड़प हो गई थी। उधर, पूर्व सीएम वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह ने विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया की सस्पेंशन की कार्रवाई पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा कि ये फैसला हाईकमान को लेना था। भाजपा ने भी अपने सभी विधायकों से कहा कि वे शिमला में ही रुके रहें। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि अयोग्य ठहराए गए विधायक जाहिर तौर पर हमारे होंगे। अगर प्रतिभा सिंह भाजपा में आती हैं तो उनका स्वागत है। वहीं, कांग्रेस के 6 बागी विधायकों ने स्पीकर के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है। बजट सेशन के दौरान सदन में मौजूद न रहने पर स्पीकर पठानिया ने गुरुवार सुबह इन्हें विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया था। बागी विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द करने के फैसले को चैलेंज किया है। कांग्रेस के इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करते हुए BJP उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में वोटिंग की थी, जिसकी वजह से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी हार गए थे। सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टला इस फैसले से हिमाचल की कांग्रेस सरकार गिरने का खतरा टल गया है। हिमाचल में कुल 68 विधायक हैं। इस फैसले के बाद कांग्रेस के पास अब 34 MLA बचे हैं। भाजपा के 25 विधायक हैं, जबकि 3 निर्दलीय हैं। अगर 3 निर्दलीय और भाजपा मिलते हैं तो भी 28 ही विधायक हो रहे हैं। अगर फ्लोर टेस्ट की नौबत आई तो कांग्रेस सरकार आसानी से बहुमत साबित कर लेगी। हालांकि, अगर विक्रमादित्य और उनका खेमा बगावत करता है तो फिर सरकार खतरे में आ जाएगी।
नई दिल्ली,वित्त वर्ष 2023-2024 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GDP ग्रोथ बढ़कर 8.4% पर पहुंच गई है। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के बेहतर परफॉर्मेंस से GDP बढ़ी है। नेशनल स्टैटिकल ऑफिस (NSO) ने आज यानी गुरुवार को ये आंकड़े जारी किए हैं। पिछली तिमाही में GDP 7.6% रही थी। उम्मीद से ज्यादा ग्रोथ की वजह मजबूत शहरी खपत, मैन्युफैक्चरिंग और उच्च सरकारी खर्च था। वहीं एक साल पहले यानी 2022-23 की तीसरी तिमाही में GDP महज 4.5% बढ़ी थी। GDP ग्रोथ RBI के अनुमान से बेहतर है। RBI ने तीसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान जताया था। मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ बढ़कर 11.6% हुई माइनिंग ग्रोथ सालाना आधार पर -1.4% से बढ़कर 7.5% हो गई। मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ सालाना आधार पर -4.8% से 11.6% हो गई। कंस्ट्रक्शन ग्रोथ सालाना आधार पर बिना किसी बदलाव के 9.5% रही। ग्रॉस वैल्यू ऐडेड 6.5% रहा सालाना आधार पर ग्रॉस वैल्यू ऐडेड यानी GVA 4.8% से बढ़कर 6.5% रहा। इसके अलावा अप्रैल से दिसंबर तक GVA ग्रोथ सालाना आधार पर 6.9% से बढ़कर 7.5% हो गई है। पिछली तिमाही में GVA 7.4% था पिछली तिमाही में ग्रॉस वैल्यू ऐडेड, यानी GVA दूसरी तिमाही में 7.4% रहा। इसका 6.8% रहने का अनुमान था। वहीं पहली तिमाही में GVA 7.8% रहा था। एक साल पहले समान तिमाही में ग्रोथ रेट 5.4% था। वित्तीय घाटा: ₹8.04 लाख करोड़ हो गया​​​​​​,​ लक्ष्य के 45% पर पहुंचा उधर, अप्रैल से अक्टूबर तक वित्तीय घाटा बजट बढ़कर 8.04 लाख करोड़ रुपए हो गया। ये बजट अनुमान का 45% है। वित्तीय घाटे का लक्ष्य 17.86 लाख करोड़ रुपए है। पिछले साल इसी अवधि में घाटा 2022-23 के बजट अनुमान का 45.6% था। सरकार आय के मुकाबले जितना ज्यादा खर्च करती है, उसे वित्तीय घाटा कहा जाता है। वित्त वर्ष 2024 में GDP ग्रोथ 6.4% रहने का अनुमान पिछले दिनों S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने GDP अनुमान जारी किया था। S&P ने वित्त वर्ष 2024 के लिए भारत के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) ग्रोथ अनुमान को बढ़ाकर 6.4% कर दिया है। पहले यह 6% था। मजबूत डोमेस्टिक मोमेंटम को इसका कारण बताया गया है। GDP क्या है? GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है। दो तरह की होती है GDP GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है। कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP? GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है। GVA क्या है? साधारण शब्दों में कहा जाए तो GVA से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है। नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर GDP में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है। अगर आप प्रोडक्शन के मोर्चे पर देखेंगे तो इसको नेशनल अकाउंट्स को बैलेंस करने वाला आइटम पाएंगे।
मदन अरोड़ा।लोकसभा चुनाव 2024 में किसकी सरकार आ रही है। क्या मोदी आ रहे हैं तीसरी बार।कितना असरकारी होगा इंडी गठबंधन।क्या मोदी को रोक पायेगा ये गठबंधन!किसान आंदोलन का कितना होगा असर।किसान मोदी से खुश या नाराज।इसे लेकर ज़ी न्यूज़ और matrize ने सभी 543 लोकसभा क्षेत्रों में किसान आंदोलन के दौरान 5 फरवरी से 27 फरवरी के बीच ओपिनियन पोल किया। पोल में देश के मतदाताओं को फिर तीसरी बार मोदी को आशीर्वाद देते हुए कांग्रेस और इंडी गठबंधन को बुरी तरह से नकार दिया है।चुनावों में किसान आंदोलन का भाजपा के खिलाफ कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा।किसान मोदी सरकार की किसानों के प्रति किए जा रहे कार्यों से संतुष्ट हैं।बात करें मोदी सरकार के खिलाफ नाराजगी और कामों की। 48 फीसदी आमजन मोदी से बहुत संतुष्ट तो 31 फीसदी संतुष्ट हैं।यानि 79 फीसदी जनता मोदी सरकार के कामों से संतुष्ट है ।मात्र 21 फीसदी ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।66 फीसदी का कहना है कि इंडी गठबंधन का कोई असर नहीं होगा।17 फीसदी का मानना है कि बहुत असर होगा और 11 फीसदी का कहना है कि थोड़ा असर हो सकता है।लोगों का मानना है कि एनडीए गठबंधन एक स्वाभाविक गठबंधन है जबकि इंडी गठबंधन अवसरवादी गठबंधन है।चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि ओपिनियन पोल के विपरीत मोदी की चुनावी रैलियों के बाद दक्षिण भारत में भाजपा और बेहतर करेगी।पश्चिम बंगाल में भाजपा को 42 फीसदी वोट के साथ 17 सीट और टीएमसी को मात्र एक फीसदी अतिरिक्त वोट कुल 43 फीसदी के साथ 24 सीट और इंडी गठबंधन को एक सीट मिल रही है। मोदी की रैली और सी ए ए लागू करने के बाद भाजपा का आंकड़ा बढ़ेगा।ओपिनियन पोल के अनुसार 2019 के मुकाबले अधिक सीटों के साथ मोदी फिर तीसरी बार आते साफ दिखाई दे रहे हैं और कांग्रेस सहयोगियों के साथ काफी पिछड़ती लग रही है।एनडीए को 377 ,इंडी गठबंधन को मात्र 94 और अन्य को 72 सीट मिलती दिख रही हैं।बात करें यूपी की तो इंडी गठबंधन का सफाया होता दिख रहा है।अमेठी के बाद कांग्रेस की एक मात्र बची रायबरेली की सीट भी गांधी परिवार से मुक्त होती दिख रही है।इंडी गठबंधन को 80 में से मात्र 2 जबकि भाजपा के एनडीए को 78 सीट जबकि बीएसपी का सफाया हो रहा है।राजस्थान में भाजपा सभी 25 सीट, गुजरात में तीसरी बार सभी 26 सीट ,छत्तीसगढ़ में सभी 11,उत्तराखंड में सभी 5 सीट के साथ क्लीन स्वीप कर रही है। मध्यप्रदेश में पिछले इतिहास को दोहराते हुए 29 में से 28 और कांग्रेस को मात्र 1 सीट।झारखंड में 14 में से भाजपा को 13 और इंडी गठबंधन को 1 सीट,ओडिशा में भाजपा को 11,बीजेडी को 9 और कांग्रेस को 1 सीट।बिहार में एनडीए को 37 जबकि इंडी को 3 सीट।पंजाब में भाजपा और कांग्रेस को 3-3 ,आप को 5,अकाली दल और अन्य को 1-1।जे एंड के में भाजपा को 2 और इंडी को 3 सीट।कर्नाटक में एनडीए को 23 और इंडी को 5।असम में एनडीए को 11,इंडी को 1 अन्य को 2।पूर्वोत्तर में एनडीए को 10,इंडी को 1।आंध्रप्रदेश में वाई एस आर पी को 19 और टीडीपी को 6 सीट।तेलंगाना में भाजपा 5,कांग्रेस 9,बीआरएस 3सीट।महाराष्ट्र में एनडीए को 45 और इंडी को मात्र 3 सीट।केरल में इंडी को लेफ्ट के साथ सभी 20 सीट।तमिलनाडू में एनडीए को 1,इंडी को 36 अन्य को 2 सीट।हिमाचल प्रदेश में भाजपा को 3 और कांग्रेस को 1 सीट।हरियाणा में एनडीए को 9 और इंडी को 1 सीट। गोवा भाजपा 2 और कांग्रेस ज़ीरो ।एक एक सीट वाले7 केंद्र शासित राज्यों पुडुचेरी में कांग्रेस 1,चंडीगढ़ भाजपा 1,अंडमान भाजपा1,दादर नगर हवेली भाजपा 1,लद्दाख 1 ,लक्षदीप इंडी सीट मिल रही है।दिल्ली में कांग्रेस और आप के गठबंधन का भाजपा की सीटों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा।भाजपा तीसरी बार सभी 7 सीट जीत रही है।यूपी ,महाराष्ट्र,बिहार में भी इंडी गठबंधन बुरी तरह फ्लॉप साबित हो रहा।पिछले 2019 के चुनाव के विपरीत इंडी ( यूपीए) गठबंधन की सीट कम हो रही है और कांग्रेस की सीट भी कम हो रही है। चुनाव बिश्लेषकों का मानना है कि एनडीए 400 सीट के करीब पहुंच सकता है।विपक्षी दलों के प्रायोजित किसान आंदोलन से मोदी को हराने की रणनीति भी पूरी तरह फ्लॉप होती साफ दिखाई दे रही है।ओपिनियन पोल से ये भी साफ दिख रहा है कि इंडी गठबंधन में शामिल दलों का राम मंदिर को लेकर की गई टिप्पणियां उनके लिए भारी पड़ रही हैं।
नई दिल्ली,2024 लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले गृह मंत्रालय नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना अगले महीने जारी कर सकता है। इसके बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि CAA के ऑनलाइन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार किया जा चुका है और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ड्राई रन पहले ही किया जा चुका है। सूत्रों ने कहा कि CAA इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में दो बार कह चुके हैं कि CAA लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। यह देश का कानून है। इसे कोई रोक नहीं सकता। संसद ने CAA पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगाई थी। हालांकि सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने की समय सीमा 8 बार बढ़ा चुकी है। 2019 में लोकसभा-राज्यसभा से बिल पास हो चुका 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद यह कानून की शक्ल ले चुका था। इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था। 1955 के कानून में बदलाव किया गया 2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (CAA) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी। कानून 3 देशों के प्रताड़ित हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता के लिए है... CAA से किसे मिलेगी नागरिकता: CAA के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे। CAA भारतीय नागरिकों को प्रभावित करेगा: भारतीय नागरिकों से इसका कोछ सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता। आवेदन के लिए क्या प्रक्रिया होगी: आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन रहेगी। आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज नहीं होंगे, तब भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि पांच साल से अधिक रखी गई है। अन्य विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह समय अवधि 11 साल से अधिक है। इन देशों के गैरकानूनी मुस्लिम इमिग्रेंट्स का क्या: CAA विदेशियों को निकालने के बारे में नहीं है। इसका गैरकानूनी शरणार्थियों को निकालने से लेना-देना नहीं है। ऐसे शरणार्थियों के लिए विदेशी अधिनियम 1946 और पासपोर्ट अधिनियम 1920 पहले से लागू हैं। दोनों कानूनों के तहत किसी भी देश या धर्म के विदेशियों का भारत में प्रवेश या निष्कासन किया जाता है। CAA को अब तक क्यों टालती रही सरकार: भाजपा शासित असम-त्रिपुरा में सीएए को लेकर आशंकाएं रही हैं। सबसे पहले विरोध भी असम में हुआ। सीएए में व्यवस्था है कि जो विदेशी 24 मार्च 1971 से पहले असम आकर बस गए, उन्हें नागरिकता दी जाए। इसके बाद बांग्लादेश अलग देश बन गया था। CAA को लेकर लोगों को क्या आशंका थी: सीएए को देश में एनआरसी यानी नेशनल सिटीजनशिप रजिस्टर बनने की सीढ़ी के तौर पर देखा गया। लोगों को आशंका थी कि विदेशी घुसपैठिया बताकर बड़ी संख्या में लोगों को निकाल बाहर किया जाएगा। पड़ोसी देश बांग्लादेश में आशंका व्यक्त की गई कि सीएए के बाद एनआरसी लागू होने से बड़ी संख्या में बांग्लादेशी शरणार्थी उसके यहां लौट आएंगे। किन राज्यों में विदेशियों को नागरिकता दी जा रही है? नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत 9 राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेट और गृह सचिवों को नागरिकता देने के अधिकार दिए गए हैं। ये राज्य हैं- गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र। चार राज्यों में CAA के विरोध में प्रस्ताव पारित हो चुका है CAA बिल के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद 4 राज्य इसके विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने दिसंबर 2019 में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि यह धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने-बाने के खिलाफ है। इसमें नागरिकता देने से धर्म के आधार पर भेदभाव होगा। इसके बाद पंजाब और राजस्थान सरकार ने विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। चौथा राज्य पश्चिम बंगाल था, जहां इस बिल के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। पश्चिम बंगाल की CM ने कहा था- बंगाल में हम CAA, NPR और NRC की अनुमति नहीं देंगे। 4 साल में 3,117 अल्पसंख्यकों को मिली नागरिकता गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दिसंबर 2021 में राज्यसभा में बताया था कि वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 के दौरान पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए कुल 3117 अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी गई। हालांकि आवेदन 8244 मिले थे। वहीं गृह मंत्रालय की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर 2021 में कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई।
महाराष्ट्र में कांग्रेस को एक और जोर का झटका लगा है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बसव राज पाटिल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों का कहना है कि वे आज या कल बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। बसव राज पाटिल अशोक चव्हाण के करीबी माने जाते हैं। वे पूर्व विधायक और पूर्व में मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस बोली कोई फर्क नहीं पड़ेगा मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बसवराज पाटिल मुरुमकर ने सोमवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। पाटिल 1999 से 2004 के बीच राज्य सरकार में मंत्री रहे थे। वह ओमेरगा-लोहारा और औसा विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अभिमन्यु पवार से हार गए थे। पाटिल से संपर्क नहीं हो सका, लेकिन कांग्रेस नेता अभय सालुंके ने बताया कि उनके पार्टी छोड़ने से कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वह 2019 के चुनाव में हारने के बाद से जनता के साथ संपर्क में नहीं थे। कांग्रेस के ये दिग्गज भी दे चुके हैं इस्तीफा इससे पहले अभी हाल में ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा ने भी कांग्रेस छोड़ दी थी। लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक सीनियर नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। अशोक चव्हाण ने बीजेपी तो मुरली देवड़ा ने एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना का दामन थाम लिया था। दोनों नेताओं को राज्यसभा का टिकट भी मिल गया।
दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आठंवा समन भेजा है। ईडी ने केजरीवाल को चार मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया है। अभी कुछ दिन पहले ही ईडी ने केजरीवाल को सातवीं बार समन भेजकर पूछताछ में शामिल होने के लिए कहा था लेकिन वे ईडी कार्यालय नहीं गए थे। आम आदमी पार्टी ने कहा कि जब मामला कोर्ट में है तो ईडी बार-बार समन क्यों भेज रही है। ईडी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। आप ने किया था ये दावा इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने दावा किया था कि केजरीवाल को अगले 3-4 दिन में ईडी गिरफ्तार कर लेगी। उन पर इंडिया गठबंधन से अलग होने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन आप इंडिया गठबंधन से अलग नहीं होगी। कोर्ट आदेश देगी तो ईडी के समक्ष पेश होउंगाः केजरीवाल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति संबंधी कथित घोटाले से मनी लांड्रिंग के मामले में सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं हुए। केजरीवाल ने कहा कि अगर अदालत इस संबंध में आदेश देगी तो वह ईडी के समक्ष पेश होंगे। यह सातवीं बार है, जब केजरीवाल ईडी के समन पर जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए। ईडी ने पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री को सातवां समन जारी कर उन्हें पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने पेश होने को कहा था। 16 मार्च को होगी सुनवाई आम आदमी पार्टी (आप) के कई नेताओं के साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के एक साल पूरा होने पर सोमवार को राजघाट पहुंचे मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आरोप लगाया कि ये समन उन्हें विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ छोड़ने के लिए दबाव डालने का एक ‘‘औजार’’ है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के घटकों दलों से नाता नहीं तोड़ेगी। समन पर केजरीवाल के पेश नहीं होने को लेकर ईडी ने अदालत का रुख किया, जिस पर अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को 16 मार्च को उसके समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है। आप संयोजक ने सवाल उठाया कि क्या केंद्र सरकार और ईडी को अदालत पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी ने खुद इस मामले में अदालत का रुख किया है और उन्हें अब अदालत के आदेश का इंतजार करना चाहिए।
बेंगलुरु: कर्नाटक में हुए राज्यसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। सूबे की 4 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हुए थे जिनमें से 3 कांग्रेस और एक बीजेपी के खाते में गई है। कांग्रेस की तरफ से पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन, मौजूदा राज्यसभा सदस्य जी. सी. चंद्रशेखर और सैयद नसीर हुसैन ने जीत दर्ज की है, जबकि बीजेपी के नारायण बंदगे ने अपना परचम लहराया है। NDA ने सूबे में जनता दल सेक्युलर के नेता कुपेंद्र रेड्डी को भी मैदान में उतारा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की जीत हुई हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में बहुत बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। बीजेपी ने दावा किया है कि इस चुनाव में उनके उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत हुई है। वहीं कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी की हार हुई है। दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले। बीजेपी ने टॉस के जरिए जीत का दावा किया है। यूपी में सपा के 7, SBSP के एक विधायक ने की क्रॉस वोटिंग सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में कुल 8 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की। इनमें से 7 विधायक समाजवादी पार्टी के एवं एक विधायक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का है। वहीं, समाजवादी पार्टी की विधायक महाराजी प्रजापति वोट डालने नहीं आईं। क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा के 7 विधायक राकेश पाण्डेय, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, मनोज पाण्डेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य हैं। वहीं, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के विधायक जगदीश नारायण राय ने सपा के लिये वोटिंग की।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में बहुत बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। बीजेपी ने दावा किया है कि इस चुनाव में उनके उम्मीदवार हर्ष महाजन की जीत हुई है। वहीं कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी की हार हुई है। दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले। बीजेपी ने टॉस के जरिए जीत का दावा किया है। राज्यसभा चुनाव में हारने पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि क्रॉस वोटिंग करने वाले 9 विधायक कल रात तक हमारे साथ थे। बता दें कि कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, जिसकी वजह से 34-34 का आंकड़ा आया। क्या है पूरा मामला? हिमाचल प्रदेश राज्यसभा सीट का चुनाव फंस गया था। दरअसल बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही उम्मीदवारों को 68 विधायकों में से 34-34 वोट मिले। बीजेपी पोलिंग एजेंट हेलीकॉप्टर के माध्यम से वोटिंग के लिए लाए गए बीमार कांग्रेस विधायक सुदर्शन बबलू के वोट को आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए वोट रद्द करवाने की मांग पर अड़े। फिर मामला इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को भेजा गया। जिसमें पर्ची निकाली गई और उसमें जीत हुई है। सीएम सुक्खू ने लगाए गंभीर आरोप हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस के 5 से 6 विधायकों को अगवा कर लिया गया और उन्हें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और हरियाणा पुलिस के काफिले में साथ ले जाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इन विधायकों के परिजन उनसे (विधायकों से) संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। ‘क्रॉस वोटिंग’ (पार्टी व्हिप से हटकर मतदान करने) को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस में जारी चिंताओं के बीच राज्य से राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए मतदान खत्म होने के कुछ घंटे बाद यह आरोप लगाया गया है। सुक्खू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि भाजपा गुंडागर्दी में लिप्त है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
देश की सियासत में एक कहावत है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है, और काफी हद तय यह सही भी है। लोकसभा की 543 सीटों में से 80 सीटें अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। पिछले 2 लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने इस सूबे में शानदार प्रदर्शन किया है, और यही वजह है कि केंद्र में दोनों ही बार उसकी बहुमत की सरकार बनी है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी क्या बीजेपी कमाल दिखा पाएगा, इसी सवाल पर जनता की नब्ज पकड़ने के लिए इंडिया टीवी ने CNX के साथ ओपिनियन पोल किया है यूपी में 2014 का भी रिकॉर्ड तोड़ेगी बीजेपी! जानें कितनी सीटें जीत सकती है पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर भी INDI अलायंस बेदम नजर आ रहा है। बीजेपी गठबंधन यहां सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर (SC) और गौतमबुद्धनगर की सीटों पर भी जीत दर्ज करता दिख रहा है। इस तरह यूपी की 80 में से 78 सीटें NDA के खाते में जा सकती हैं। रोहिलखंड में इस बार क्लीन स्वीप करेगा NDA रोहिलखंड की अगली 6 सीटें अमरोहा, बदायूं, आंवला, बरेली, पीलीभीत और शाहजहांपुर (SC) हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक, इन सभी 6 सीटों पर बीजेपी का परचम लहरा सकता है। इस तरह देखा जाए तो रोहिलखंड की सभी 11 सीटें बीजेपी गठबंधन के खाते में जा सकती हैं। रोहिलखंड की मुस्लिम बहुल सीटों पर भी बीजेपी का बोलबाला अब आते हैं रोहिलखंड की मुस्लिम बहुल 5 सीटों पर। इन 5 सीटों में बिजनौर, नगीना (SC), मुरादाबाद, रामपुर और सम्भल शामिल हैं। ओपिनियन पोल को मुताबिक, इन सभी सीटों पर इस बार बीजेपी का परचम लहरा सकता है। बता दें कि सम्भल की सीट से सपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का आज ही निधन हुआ है। मध्य यूपी की 14 में से 13 सीटें जीतेगी बीजेपी मध्य यूपी की बची हुई 4 सीटों कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर और फतेहपुर की सीटों का ओपिनियन पोल भी चौंका रहा है। इसके मुताबिक, इन सभी सीटों पर बीजेपी गठबंधन की जीत हो सकती है। इस तरह देखा जाए तो सेंट्रल यूपी की 14 में से 13 सीटें बीजेपी के खाते में जाने का अनुमान है। मैनपुरी का गढ़ एक बार फिर नहीं ढा पाएगी बीजेपी अब आते हैं मध्य यूपी की फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, फर्रूखाबाद और इटावा सीटों पर। इनमें से मैनपुरी की सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर बीजेपी की जीत हो सकती है। मैनपुरी की सीट पर एक बार फिर समाजवादी पार्टी का परचम लहरा सकता है। इस प्रकार ओपिनियन पोल में अब तक दिखाई गई 57 में से 55 सीटों पर एनडीए की जीत हो सकती है। मध्य यूपी में भी रफ्तार से दौड़ रहा बीजेपी का विजय रथ बुंदेलखंड के बाद सेंट्रल यूपी या मध्य यूपी की 5 सीटों अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी का भी ओपिनियन पोल सामने आ गया है। बीजेपी ने पिछले चुनावों में ये पांचों सीटें कम से कम 2 लाख वोटों के अंतर से जीती थीं, और इस बार भी ये सभी सीटें बीजेपी के खाते में जा सकती हैं। बुंदेलखंड में क्लीन स्वीप करेगी BJP बुंदेलखंड में लोकसभा की 4 सीटें हैं। इन चारों सीटों के नाम जालौन, झांसी, हमीरपुर और बांदा हैं और ये सभी फिलहाल बीजेपी के पास हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक, इन सभी चारों सीटों पर बीजेपी एक बार फिर जीत दर्ज करेगी। अवध की सभी 14 सीटों पर हो सकता है BJP का कब्जा अवध की अगली 4 सीटें हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, मोहनलालगंज भी बीजेपी के पास हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक, बीजेपी अवध की इन चारों सीटों पर एक बार फिर से जीत दर्ज कर सकती है। सुल्तानपुर से सीतापुर तक लहराएगा बीजेपी का परचम अब आते हैं अवध की अगली 5 सीटों पर। सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, खीरी, धौरहरा और सीतापुर की सीटों पर पिछले चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी और इस बार भी ये सीटें बीजेपी के पास रहने की पूरी संभावना है। अमेठी के बाद अब रायबरेली में भी होगी कांग्रेस की हार! पूर्वांचल के बाद अब नंबर है अवध का। यहां की कुल 5 सीटों, अयोध्या, बाराबंकी (SC), लखनऊ, रायबरेली और अमेठी का ओपिनियन पोल सामने आ चुका है। बीजेपी इस इलाके में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। इसका मतलब यह है कि अमेठी के बाद अब रायबरेली भी कांग्रेस के हाथ से जा सकता है। पूर्वांचल की 29 में से 28 सीटें जीतेगा NDA पूर्वांचल की बाकी 4 सीटों का ओपिनियन पोल भी सामने आ चुका है। इसके मुताबिक, बांसगांव (SC), लालगंज (SC), घोसी और सलेमपुर की सीटों पर बीजेपी अपना परचम लहरा सकती है। इस तरह देखा जाए तो पूर्वांचल की 29 में से 28 सीटों पर NDA की जीत हो सकती है। गोंडा से लेकर महाराजगंज तक बजेगा बीजेपी का डंका पूर्वांचल की गोंडा, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर और महाराजगंज सीटों का ओपिनियन पोल भी सामने आ चुका है। इसके मुताबिक, इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का परचम लहरा सकता है। पूर्वांचल की 20 में से 19 सीटों पर हो सकता है बीजेपी गठबंधन का कब्जा पूर्वांचल की कौशाम्बी, फूलपुर, प्रयागराज, आंबेडकर नगर और श्रावस्ती सीटों का ओपिनियन पोल भी सामने आ गया है। इसके मुताबिक, इन सभी सीटों पर बीजेपी गठबंधन का परचम लहरा सकता है। 2019 में श्रावस्ती की सीट बहुजन समाज पार्टी ने जीती थी। पूर्वांचल में बरकरार है मोदी लहर, ताजा स्कोर 14-1 अब आते हैं पूर्वांचल की अगली 5 सीटों पर जो भदोही, मिर्जापुर, राबर्ट्सगंज, बहराइच और कैसरगंज हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक, इन पांचों सीटों पर बीजेपी गठबंधन को जीत दर्ज करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। 3 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार जबकि मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज की सीट पर अपना दल के कैंडिडेट जीत दर्ज कर सकते हैं। इस तरह अभी तक पूर्वांचल की 15 में से 14 सीटें बीजेपी के खाते में जाती दिख रही हैं। गाजीपुर से वाराणसी तक बीजेपी गठबंधन का बोलबाला पूर्वांचल की गाजीपुर, जौनपुर, मछलीशहर (SC), चंदौली, वाराणसी सीटों का ओपिनियन पोल भी सामने आ गया है। ओपिनियन पोल के मुताबिक, इन पांचों सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत हो सकती है, और विपक्षी गठबंधन का खाता भी खुलने के आसार नहीं हैं। आजमगढ़ की सीट पर लहरा सकता है समाजवादी पार्टी का परचम पूर्वांचल की 5 सीटों बलिया, देवरिया, आजमगढ़, गोरखपुर और कुशीनगर का ओपिनियन पोल सामने आ चुका है। ओपिनियन पोल के मुताबिक, आजमगढ़ की सीट समाजवादी पार्टी के खाते में जा सकती है जबकि बाकी की चारों सीटों पर बीजेपी गठबंधन का परचम लहरा सकता है।
पटना: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस को मंगलवार को बड़ा झटका लगा है। विधानसभा कार्यवाही में शामिल होने पहुंचे राजद-कांग्रेस के तीन विधायकों ने आज अपना पाला बदल लिया है। लालू यादव की पार्टी राजद की विधायक संगीता कुमारी और कांग्रेस के दो विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरभ ने अपना पाला बदल लिया है। तीनों नेता आज बीजेपी खेमे में नजर आए। संगीता कुमारी भगवा चोला ओढ़ कर सम्राट चौधरी के साथ विधानसभा पहुंची। राजद की संगीता कुमारी कैमूर जिले की मोहनिया सीट से विधाय हैं। वहीं सिद्धार्थ सौरभ विक्रम सीट और मुरारी गौतम चेनारी सीट से विधायक हैं। राजद विधायक रामानुज ने कहा कि हमारे विधायक तोड़े जा रहे हैं। विधायकों को धमकी देकर तोड़ा जा रहा है। देश में आराजकता का माहौल है। सम्राट चौधरी के साथ विधानसभा में तीनों विधायक की एंट्री बीजेपी के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी आज बिहार विधानसभा में महागठबंधन के तीन नेताओं के साथ विधानसभा पहुंचे। सम्राट चौधरी के साथ राजद की विधायक संगीता कुमारी मौजूद थी, उनके कंधे पर बीजेपी का भगवा पटका नजर आ रहा था। वहीं कांग्रेस के दो विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरभ सम्राट चौधरी के साथ पीछे-पीछे विधानसभा के भीतर गए। बताते चलें इन तीनों विधायकों के अलावा दो और विधायकों के पाला बदलने का अनुमान लगाया जा रहा है, माना जा रहा है कि बीजेपी ने महागठबंधन में बड़ी सेंधमारी कर दी है।
लखनऊः लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को धार देने में जुट गए हैं। वहीं, चुनाव लड़ने की आस जगाए बैठे नेता भी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसी बीच यूपी में हो रहे राज्यसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। कल तक जो विधायक अपनी पार्टी नेता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे और आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता से उखाड़ फेंकने की बात कर रहे थे, आज राज्यसभा की वोटिंग के दौरान वो विधायक अपनी पार्टी से बगावत करते दिख रहे हैं। इनमें से एक सपा विधायक मनोज पांडेय ने पार्टी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देकर अखिलेश यादव को गहरा झटका दे दिया है। इसके बाद से सपा विधायक को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं चलने लगी हैं। इसी बीच यूपी विधानसभा से एक तस्वीर सामने आई है जिसमें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के साथ समाजवादी पार्टी के बागी विधायक विक्ट्री का साइन दिखाते नजर आ रहे हैं। इसमें सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह, राकेश पांडे, अभय सिंह, मनोज पांडे, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी, महराजी प्रजापति और आशुतोष मौर्य खड़े दिखाई दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सपा के सभी बागी विधायकों को मतदान के लिए अपने साथ ले गए थे। सपा के इन सभी विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट किया है। वहीं सपा विधायक व अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने सपा कैंडिडेट को वोट करने का दावा किया है। सूत्रों के अनुसार सुभासपा के दो विधायकों के क्रॉस वोटिंग की है। जबकि सपा के 8 विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने का दावा किया जा रहा है। इस तरह बीजेपी उम्मीदवार संजय सेठ की जीत लगभग तय मानी जा रही है। वहीं उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि हमारे आठों प्रत्याशी जीत रहे हैं, सभी मतदाताओं और विधायकों का समर्थन और आशीर्वाद भाजपा के साथ है। उधर सूत्रों का दावा है कि रायबरेली की ऊंचाहार विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक मनोज कुमार पांडेय को रायबरेली सीट से मौका दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि मनोज पांडेय बीते कुछ दिनों से समाजवादी पार्टी के संपर्क में नहीं थे। ना ही सोमवार को समाजवादी पार्टी की ओर से बुलाई गई विधायकों की बैठक और डिनर में शामिल हुए थे। मनोज पांडेय के अलावा सपा विधायक अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, राकेश पांडेय समेत अन्य विधायक भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे। इन विधायकों के बैठक में ना शामिल होने के बाद से क्रॉस वोटिंग का खतरा सताने लगा था।
नई दिल्ली,राज्यसभा की 15 सीटों पर वोटों की गिनती शुरू हो गई है। सुबह 9 बजे से जारी वोटिंग 4 बजे खत्म हो गई थी। 3 राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में मतदान हुआ था। देर शाम तक नतीजे आने की उम्मीद है। राज्यसभा चुनाव को लेकर 27 फरवरी की सुबह से ही गहमा-गहमी रही। वोटिंग शुरू होने के कुछ देर बाद ही यूपी में सपा के चीफ व्हिप और विधायक मनोज कुमार पांडे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वहीं, दोपहर बाद खबर आई कि यूपी में सपा के 7 विधायकों ने NDA को वोट दिया है। ये विधायक राकेश पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, विनोद चतुर्वेदी, मनोज पांडेय, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य हैं। हिमाचल में कांग्रेस के MLA के भाजपा के पक्ष में पाला बदलने की बात कही जा रही है। मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि कर्नाटक में भाजपा विधायक एसटी सोमशेखर ने कांग्रेस उम्मीदवार को वोट दिया। भाजपा के चीफ व्हिप डोड्डनगौड़ा जी पाटिल ने ये जानकारी दी। डोड्डनगौड़ा ने ये भी कहा कि सोमशेखर पर कार्रवाई होगी। उत्तर प्रदेश की 10, कर्नाटक की 4 तो हिमाचल प्रदेश की एक सीट पर चुनाव हैं। तीनों ही राज्यों में क्रॉस वोटिंग की आशंका है। वजह है- 15 सीटों पर 18 कैंडिडेट मैदान में हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के 8 विधायकों पर सस्पेंस है। 15 राज्यों में राज्यसभा की 56 सीटें खाली हैं, जिनमें से 12 राज्यों की 41 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं। हिमाचल में सरकार पर खतरा? हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 9 विधायकों पर क्रॉस वोटिंग यानी भाजपा के पक्ष में वोटिंग की बात सामने आ रही है। राज्य में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कल (28 फरवरी) को बजट पेश होना है। फिर देखेंगे कि स्थिति क्या है। मुझे लगता है कि सरकार बहुमत खो चुकी है। हिमाचल में कांग्रेस सरकार असफल- भाजपा के राज्यसभा कैंडिडेट हिमाचल प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कहा- मैं सौभाग्यशाली हूं कि भाजपा ने मुझे उम्मीदवार बनाया। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद देना चाहता हूं। कांग्रेस की बात करूं तो वे दिमाग खो चुके हैं। राज्य में उनकी सरकार नाकाम रही है। उनके विधायक और राज्य के लोग सरकार से दुखी हैं। राजनीति में आरोप तो लगेंगे- सपा चीफ व्हिप रहे मनोज पांडे सपा के चीफ व्हिप रहे मनोज कुमार पांडे ने खरीद-फरोख्त के आरोप पर कहा- राजनीति में हैं तो आरोप लगेंगे ही। जिस भगवान रूपी जनता ने हमें चुना है, सिर्फ उसी के बारे में सोचना है। कुकुरमुत्ते हर पार्टी में हो सकते हैं- क्रॉस वोटिंग पर सपा नेता रामगोपाल यादव क्रॉस वोटिंग को लेकर सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा- जैसे बरसात के मौसम में कुकुरमुत्ते उग आते हैं, फिर खत्म हो जाते हैं, ऐसे कुकुरमुत्ते हर पार्टी में होते हैं। बीजेपी में भी हैं। पहचान में गड़बड़ी किसी से भी हो सकती है। हमारे जिन उम्मीदवारों को जीतना है, वे जीत रहे हैं। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को 102 वोट मिल चुके हैं। चुनाव में तो यही होता है। चुनाव के बाद जनता डिसाइड कर लेती है कि किसे रहना है और किसे नहीं।
फर्रुखाबाद: कांग्रेस के सीनियर लीडर और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद पार्टी से बगावत करने की तैयारी में दिख रहे हैं। वह इस बात से नाराज हैं कि जिस फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से वह चुनाव लड़ते हैं, उसे सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत समाजवादी पार्टी को दे दिया गया है। इस सीट से समाजवादी पार्टी ने नवल किशोर शाक्य को अपना उम्मीदवार भी बना दिया है। बता दें कि सपा और कांग्रेस ने ‘INDI’ अलायंस के तहत बुधवार को प्रदेश में सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा कर दी, जिसके तहत राज्य की 80 सीट में से कांग्रेस रायबरेली और अमेठी सहित 17 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। खुर्शीदने X पर कहा, झुकूंगा नहीं फर्रुखाबाद की लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में जाने से नाराज सलमान खुर्शीद ने ‘X’ पर कुछ ऐसा लिख दिया जिसके बाद उनकी बगावत की अटकलें लगने लगी हैं। खुर्शीद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, ‘फर्रुखाबाद से मेरे रिश्तों को कितने इम्तहान का सामना करना पड़ेगा? सवाल मेरा नहीं, पर हमारे सब के मुस्तकबिल का है, आने वाली नस्लों का है। किस्मत के फैसलों के सामने कभी झुका नहीं। टूट सकता हूं, झुकूंगा नहीं। तुम साथ देने का वादा करो, मैं नगमे सुनाता रहूं।’ सियासी पंडितों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में सलमान खुर्शीद निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। सूबे की इन 17 सीटों पर लड़ेगी कांग्रेस बता दें कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का एलान सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने एक ज्वॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में की। पांडे ने कहा कि कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि राज्य की बाकी 63 सीटों पर सपा और गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। सपा प्रदेश अध्यक्ष पटेल ने कहा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया सहित 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी। प्रियंका गांधी को दिया गठबंधन का क्रेडिट पटेल ने कहा कि बताया कि सपा ने मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का इरादा जाहिर किया था जिसे कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस गठबंधन को अंजाम तक पहुंचने में बहुत अहम भूमिका अदा की है। वह उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराने के लिए सभी पार्टियों को एक साथ लाने का जो प्रयास कर रही हैं, इसके लिए वह उनका आभार प्रकट करते हैं। यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस अपने प्रत्याशियों की सूची कब तक जारी करेगी, पांडे ने कहा कि पार्टी नेतृत्व विचार विमर्श के बाद इसे जल्द ही जारी करेगा।
नई दिल्ली: बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मणिपुर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक इस बार अपने ही बुने जाल में फंस गए हैं।वे हीरो बनने के चक्कर में ज़ीरो बनने के हालात में पहुंच गए हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जाल बुनते बुनते उसी में खुद फंस गए हैं।उन्होंने जिन दो फाइलों में 300 करोड़ की रिश्वत दिए जाने के आरोप लगाए थे।उन्हीं फाइलों में वे खुद फंसते दिख रहे हैं। गुरुवार को सीबीआई ने मलिक के परिसरों पर छापेमारी की।किरु हाइड्रो प्रोजेक्ट से जुड़े चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट के पूर्व अधिकारियों के ठिकानों पर भी सीबीआई ने छापे मारे।कार्रवाई मलिक के बागपत स्थित पैतृक घर,गुरुग्राम के तीन फ्लैट्स, दिल्ली स्थित आरके पुरम,द्वारका,और एशियन गेम्स विलेज स्थित परिसर और दफ्तर के अलावा मुम्बई,बिहार,जम्मू काश्मीर,पंजाब,हरियाणा और राजस्थान के जयपुर,जोधपुर सहित 5 शहरों में भी की गई।सीबीआई प्रवक्ता के अनुसार तलाशी के दौरान भारी नगदी जमा,सावधि जमा में निवेश,विभिन्न शहरों में सम्पतियों में निवेश,डिजिटल और दस्तावेजी साक्ष्य के सबूत मिले हैं। मलिक ने छापे पर आगबबूला होते हुए कहा था कि उन्हें मेरे यहाँ से पांच जोड़ी कुर्ता पजामा के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।पर छापों में कुर्ता पजामों के अलावा जो कुछ मिला है वो उन्हें केजरीवाल की तरह जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए काफी है। दरअसल मामला किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर प्रस्तावित किरु हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए2019 में 2200 करोड़ का ठेका देने में हुए भ्रष्टाचार का है।मलिक ने अक्टूबर 2021 में आरोप लगाया था कि राज्यपाल रहते किरु हाइड्रो प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए उन्हें 300 करोड़ रिश्वत की पेशकश की गई थी।इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीबीआई ने 20 अप्रैल 2022 को दो केस दर्ज किए।इनमें से एक केस चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया था।आरोप था कि चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट की बोर्ड की बैठक में टेंडर प्रक्रिया को रद्द कर दोबारा टेंडर का निर्णय लिया गया था।लेकिन ऐसा न कर टेंडर निजी कम्पनी पटेल इंजीनियरिंग को दे दिया गया।सीबीआई ने मलिक से पिछले साल पूछताछ की थी।एजेंसी ने पिछले साल अप्रैल मई में छापे मारे थे।इस साल 29 जनवरी को भी सी वी पीपी एल के यहां छापे मारे थे और कुछ महत्वपूर्ण सबूत जुटाए थे। दरअसल मलिक के ख्वाब बहुत ऊंचे थे जिनके पंख मोदी ने काट दिए ।जिसके बाद मलिक अपना आपा खो बैठे और कश्मीर से हटाए जाने के बाद राज्यपाल के संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद वे सरकार पर हमले करते रहे।वे लगातार किसानों,युवाओं और आतंकवादियों को सरकार के खिलाफ हिंसात्मक हमले बोलने के लिए उकसाते आ रहे थे।मीडिया का एक बड़ा वर्ग और मोदी विरोधी विपक्ष के कई नेता लगातार उन्हें पहाड़ पर चढ़ाते रहे।जिसकी वजह से अपने ही बुने जाल में आज मलिक बुरी तरह से फंस गए हैं।हीरो बनने के चक्कर में जीरो बन गए हैं। सत्यपाल मलिक ने कई ऐसा बयान दिए जिन पर विवाद हो गया। हैरत की बात है कि कई बार उन्होंने अपने बयानों के लिए माफी मांगी, खुद को ही झूठा बताया और माना कि उनसे गलती हुई, ऐसा नहीं करना चाहिए था। सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर किया गया तो वह जैसे भड़क गए और मोदी सरकार पर गंभीर से गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जवानों की लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया तो अमित शाह की तरफ से गलत दावा कर दिया। यह अलग बात है कि मलिक ने आगे जाकर माफियां भी मांगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में उन्हें 300 करोड़ रुपये घूस का ऑफर मिला था। मलिक एक इंटरव्यू में ऐसा आरोप मढ़ते हैं और दूसरे इंटरव्यू में माफी मांग लेते हैं। ऐसा एक बार नहीं, बल्कि बार-बार हुआ है। आरोपों-प्रत्यारोपों से इतर मलिक ने नेताओं के खिलाफ आतंकियों और किसानों को भड़काने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि उन्होंने इंदिरा गांधी के हत्या का हवाला देकर सरकार को धमकी देने और किसानों को भड़काने के प्रयास किए। अब उनके ही एक बयान के मामले में सीबीआई ने जो मामले दर्ज किए थे, उसी सिलसिले में उनके ठिकानों पर छापेमारी की। मलिक आज भी खुद को ही सर्टिफिकेट दे रहे हैं कि वो तो खांटी ईमानदार हैं जितना कि चौधरी चरण सिंह थे। खैर, आइए जानते हैं सत्यपाल मलिक ने कैसे-कैसे दावे किए और कब-कब माफियां मांगीं। ​पुलवामा अटैक पर सत्यपाल के सनसनीखेज दावे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि सीआरपीएफ ने जवानों के मूवमेंट के लिए एयरक्राफ्ट मांगा था लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय देने से इनकार कर दिया था। मलिक ने कहा कि उनसे मांग की जाती तो सीआरपीएफ को हर हाल में ही एयरक्राफ्ट दिया जाता। पांच विमानों की ही तो जरूरत थी। मलिक ने दावा किया था, 'पीएम मोदी ने पुलवामा अटैक के बाद जिम कॉर्बेट पार्क से मुझे कॉल किया था तो मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि यह हमारी गलती से हुआ है। इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि तुम चुप रहो और किसे से कुछ नहीं कहो।' मलिक ने यह भी दावा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने को कहा था। उन्होंने कहा, 'तभी मैं समझ गया था कि सरकार पूरा ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ने वाली है।' ध्यान रहे कि 14 फरवरी, 2019 को दोपहर बाद करीब 3 बजे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने श्रीनगर-जम्मू नैशनल हाइवे पर सीआरपीएफ के काफिले को बम विस्फोट से उड़ा दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ ने अपने 40 जवान खो दिए थे। वो यहीं नहीं रुके और यहां तक कह दिया था कि पीएम मोदी ने पुलवामा हमले की त्रासदी का चुनावों में फायदा उठाया और लोगों से कहा कि जब वो वोट दें तो पुलवामा को याद रखें। उन्होंने कहा, 'मैं जनता से एक बार फिर कहता हूं कि इस बार वोट करते समय पुलवामा के शहीदों को याद रखें।' ​पीएम मोदी घमंडी और फिर बयान से मुकरे मलिक सत्यपाल मलिक ने जनवरी 2022 में हरियाणा के दादरी में दावा किया कि पीएम मोदी ने किसानों के मुद्दे पर उनसे बड़ी घमंड से बात की थी। उन्होंने कहा 'वो (PM) बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए। (पीएम ने कहा) तुम तो * मरती है तो चिट्ठी भेजते हो। मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे थे क्योंकि आप उनकी वजह से राजा बने हुए हो, इसको लेकर मेरा उनसे झगड़ा हो गया।' मलिक ने दावा किया कि इसके बाद प्रधानमंत्री ने उनसे अमित शाह से मिलने को कहा। उन्होंने दावा किया, 'अमित शाह ने कहा सत्यपाल इनकी अक्ल मार रखी है लोगों ने, तुम बेफिक्र रहो, तुम आते रहो हमसे मिलते रहो...' इसके बाद उन्होंने कहा कि वो ईमानदार हैं, इसलिए अबतक आईटी और ईडी की कार्रवाई से बचे हैं। बाद में अंग्रेजी वेबसाइट द वायर को 14 फरवरी, 2023 को दिए इंटरव्यू में अमित शाह के बयान के अपने दावे पर पलट गए और खुद से स्वीकार किया कि उन्होंने झूठ बोला था। मलिक ने कहा, 'मैंने अमित शाह से संबंधित बयान के बारे में पूरी तरह झूठ बोला था। उन्होंने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा। मैं इस बयान को वापस लेता हूं। उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा।' इसी मुद्दे को लेकर जब इंटरव्यू ले रहे करण थापर ने मलिक से दोबारा पूछा तो उन्होंने फिर स्वीकार किया कि उन्होंने झूठ बोला था। ​रिश्वत के ऑफर का दावा और फिर मांग ली माफी मलिक ने 17 अक्टूबर, 2021 को राजस्थान के झुंझनू में कहा था कि जब वो जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे तो दो फाइलों पर साइन करने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की डील का ऑफर मिला था। मलिक के इस दावे के पीछे आरएसएस, बीजेपी, पीडीपी और अंबानी का नाम जुड़ा। उन्होंने बताया कि दो फाइलों पर साइन करने के लिए उन्होंने 150-150 करोड़ रुपये रिश्वत का ऑफर मिला था। उन्होंने कहा कि उन तक यह ऑफर सचिवों के जरिए पहुंचा था। मलिक ने दावा किया उन्होंने इस ऑफर के जवाब में कहा था, 'पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और उन्हें लेकर वापस चले जाएंगे, लेकिन रिश्वतखोरी नहीं करूंगा।' बाद में दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में मलिक ने आरएसएस से माफी मांग ली। उन्होंने कहा कि जिस शख्स ने मुझे फाइल दी थी, उसने खुद को आरएसएस से जुड़ा बताया था, इसलिए मैंने आरएसएस का नाम लिया। उन्होंने मान कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। फिर उन्होंने बताया, 'मैंने प्रधानमंत्री मोदी को इसकी पूरी जानकारी दे दी थी और उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर समझौता करने की कोई जरूरत नहीं है।' भ्रष्ट नेताओं के दावे पर भी मलिक ने मानी गलती जम्मू-कश्मीर के करगिल में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि प्रदेश के नेता भ्रष्ट हैं। उन्होंने आतंकियों से नेताओं को मारने को भी उकसाया था। उन्होंने कहा, 'आतंकी आम नागरिकों को मारते हैं। पुलिस के जवानों को मारते हैं। एसपीओ को मारते हैं। अरे भाई, अपने ही लोगों को क्‍यों मारते हो? उन्‍हें मारो जिन्‍होंने तुम्‍हारे मुल्‍क को लूटा है, जिन्‍होंने कश्‍मीर की सारी दौलत लूटी है। आपने क्‍या इनमें से किसी को मारा है? ये फिजूल में अपनी जान गंवा रहे हैं। इससे कुछ नहीं निकलना। बंदूक से कुछ नहीं निकलेगा। लिट्टे भी कुछ नहीं कर पाया बंदूक के दम पर।' इस पर जब नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जताई तो मलिक ने उन्हें अपरिपक्व ठहरा दिया। वो बोले, 'वे राजनीति में परिपक्व नहीं हैं और हर चीज पर ट्वीट करते हैं, उनके ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाओं को देखिए, आपको पता चल जाएगा।' अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था, 'ये व्यक्ति जाहिर तौर पर एक संवैधानिक पद पर बैठा एक जिम्मेदार आदमी है और आतंकियों से भ्रष्ट कहे जाने वाले राजनेताओं को मारने के लिए कहता है। शायद इस व्यक्ति को गैर-कानूनी हत्याओं और कंगारू कोर्ट की मंजूरी देने से पहले दिल्ली में अपनी छवि के बारे में पता लगाना चाहिए।' अब्दुल्ला की इस तीखी प्रतिक्रिया पर मलिक घुटने पर आ गए और सफाई में कहा कि उन्होंने ये बातें तो हताशा में कही थीं। उन्होंने कहा, 'मैंने जो भी कहा वह यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण गुस्से और हताशा में दिया गया बयान था।' फिर उन्होंने माना कि उन्होंने ऐसा करके गलत किया था। मलिक बोले, 'एक राज्यपाल के रूप में मुझे ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय वैसी ही है जो मैंने कहा था। कई राजनेता और बड़े नौकरशाह यहां भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।' ऐसे दावे कि गृहयुद्ध हो जाए जम्मू-कश्मीर के करगिल में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि प्रदेश के नेता भ्रष्ट हैं। उन्होंने आतंकियों से नेताओं को मारने को भी उकसाया था। उन्होंने कहा, 'आतंकी आम नागरिकों को मारते हैं। पुलिस के जवानों को मारते हैं। एसपीओ को मारते हैं। अरे भाई, अपने ही लोगों को क्‍यों मारते हो? उन्‍हें मारो जिन्‍होंने तुम्‍हारे मुल्‍क को लूटा है, जिन्‍होंने कश्‍मीर की सारी दौलत लूटी है। आपने क्‍या इनमें से किसी को मारा है? ये फिजूल में अपनी जान गंवा रहे हैं। इससे कुछ नहीं निकलना। बंदूक से कुछ नहीं निकलेगा। लिट्टे भी कुछ नहीं कर पाया बंदूक के दम पर।' इस पर जब नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जताई तो मलिक ने उन्हें अपरिपक्व ठहरा दिया। वो बोले, 'वे राजनीति में परिपक्व नहीं हैं और हर चीज पर ट्वीट करते हैं, उनके ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाओं को देखिए, आपको पता चल जाएगा।' अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था, 'ये व्यक्ति जाहिर तौर पर एक संवैधानिक पद पर बैठा एक जिम्मेदार आदमी है और आतंकियों से भ्रष्ट कहे जाने वाले राजनेताओं को मारने के लिए कहता है। शायद इस व्यक्ति को गैर-कानूनी हत्याओं और कंगारू कोर्ट की मंजूरी देने से पहले दिल्ली में अपनी छवि के बारे में पता लगाना चाहिए।' अब्दुल्ला की इस तीखी प्रतिक्रिया पर मलिक घुटने पर आ गए और सफाई में कहा कि उन्होंने ये बातें तो हताशा में कही थीं। उन्होंने कहा, 'मैंने जो भी कहा वह यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण गुस्से और हताशा में दिया गया बयान था।' फिर उन्होंने माना कि उन्होंने ऐसा करके गलत किया था। मलिक बोले, 'एक राज्यपाल के रूप में मुझे ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय वैसी ही है जो मैंने कहा था। कई राजनेता और बड़े नौकरशाह यहां भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।' ऐसे दावे कि गृहयुद्ध हो जाए 2023 की जुलाई में हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा हुई तो सत्यपाल मलिक ने इसे बीजेपी का षडयंत्र बता दिया। अगस्त 2023 में दिल्ली के कंस्टिट्यूशन क्लब में बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि ये हिंसा अनायास नहीं भड़की थी बल्कि सांप्रदायिक भेदभाव पैदा करने के लिए सात-आठ जगहों पर सुनियोजित तरीके से हमले किए गए थे। उन्होंने दावा किया था कि 2024 लोकसभा चुनाव तक ऐसे हमले और बढ़ेंगे। इसी तरह 12 जून, 2022 को जयपुर में राष्ट्रीय जाट संसद में सत्यपाल मलिक ने कहा, 'अडानी ने किसानों की फसल सस्ते दाम पर खरीदने और महंगे दामों पर बेचने के लिए पानीपत में बड़ा गोदाम बनाया है। अडानी का ऐसा गोदाम उखाड़ फेंको। डरने की जरूरत नहीं है, मैं आपके साथ जेल चलूंगा। अडानी और अंबानी मालदार कैसे हो गए हैं? जब तक इन लोगों पर हमला नहीं होगा, तब तक ये लोग रुकेंगे नहीं।' सोचिए, इसे किसानों को भड़काने की कार्रवाई नहीं कहेंगो तो और क्या है ये? मलिक ने मार्च 2022 में किसानों को हिंसा करने के लिए उकसाया। 12 मार्च, 2022 को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो वो उन्हें मनवाने के लिए हिंसा का रास्ता अपना सकते हैं। दिल्ली को मेरी सलाह है कि उनके साथ न भिड़े, वे खतरनाक लोग हैं। किसान जो चाहते हैं, उसे हासिल कर के रहेंगे।' ​मलिक ने की आतंकियों की वाहवाही तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद सत्यपाल मलिक का एक वीडियो नवंबर 2021 में वायरल हुआ। उस वीडियो में मलिक कह रहे थे कि यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए होते तो उनका हाल इंदिरा गांधी जैसा होता। उस वीडियो में मलिक के बयान से साफ हो रहा था कि वो इंदिरा गांधी और जनरल वैद्य की हत्या को जायज ठहराते हुए हत्यारों की तारीफ कर रहे थे। उन्होंने धमकी देते हुए कहा था किअगर आपको लगता है कि किसान प्रदर्शनकारी अपने आप वापस चले जाएंगे तो ये आपकी गलतफहमी है।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए आप और कांग्रेस में गठबंधन तो तय हो गया है, लेकिन एक सीट पर अभी भी उलझन वाली स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग तय माने जा रहे हैं। वहीं आप की ओर से अभी इसे लेकर पत्ते नहीं खोले गए हैं। एक उत्तर पश्चिमीसीट दोनों पार्टी की पसंद सूत्र बताते हैं कि नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली पर आम आदमी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी। जबकि पूर्वी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक और उत्तर पश्चिमी दिल्ली में से किन्हीं तीन सीटों से मैदान में कांग्रेस उतरेगी। उत्तर पश्चिमी सीट दोनों ही पार्टियों की पसंद बताई जा रही है। बैठक में सुलझ सकता मसला 2019 के चुनाव पर गौर करें तो उत्तर पश्चिमी सीट पर आप दूसरे नंबर पर रही थी, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत भी जब्त हो गई थी। बावजूद इसके इस सीट पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिार्जुन खरगे की भी दिलचस्पी बताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार को दोनों पार्टियों के बीच बैठक में यह उलझन भी सुलझ जाएगी। एक-दो दिन में हो सकता एलान गठबंधन की औपचारिक घोषणा शुक्रवार शाम तक या शनिवार को हो सकती है। उधर सूत्र बताते हैं कि चांदनी चौक सीट से कांग्रेस पूर्व सांसद जय प्रकाश अग्रवाल या वहां से पूर्व विधायक अलका लांबा को प्रत्याशी बना सकती है। उत्तर पूर्वी दिल्ली से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली या पूर्व सांसद संदीप दीक्षित पर दाव खेल सकती है। केजरीवाल भी लड़ेंगे चुनाव ? इसी तरह उत्तर पश्चिमी दिल्ली से पार्टी पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान या पूर्व सांसद उदित राज को टिकट देने पर विचार कर रही है। आम आदमी पार्टी के सूत्रों की मानें तो पश्चिमी दिल्ली सीट से पार्टी पूर्व सांसद महाबल मिश्रा को टिकट दे सकती है। दक्षिणी दिल्ली सीट से विधायक दिलीप पांडेय पर दाव खेला जा सकता है। नई दिल्ली सीट से मेयर शैली ओबेराय या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं भी प्रत्याशी हो सकते हैं। इसी तरह पूर्वी दिल्ली से पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को चुनाव लड़वाया जा सकता है।
नई दिल्ली: बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मणिपुर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने कई ऐसा बयान दिए जिन पर विवाद हो गया। हैरत की बात है कि कई बार उन्होंने अपने बयानों के लिए माफी मांगी, खुद को ही झूठा बताया और माना कि उनसे गलती हुई, ऐसा नहीं करना चाहिए था। सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर किया गया तो वह जैसे भड़क गए और मोदी सरकार पर गंभीर से गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जवानों की लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया तो अमित शाह की तरफ से गलत दावा कर दिया। यह अलग बात है कि मलिक ने आगे जाकर माफियां भी मांगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में उन्हें 300 करोड़ रुपये घूस का ऑफर मिला था। मलिक एक इंटरव्यू में ऐसा आरोप मढ़ते हैं और दूसरे इंटरव्यू में माफी मांग लेते हैं। ऐसा एक बार नहीं, बल्कि बार-बार हुआ है। आरोपों-प्रत्यारोपों से इतर मलिक ने नेताओं के खिलाफ आतंकियों और किसानों को भड़काने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि उन्होंने इंदिरा गांधी के हत्या का हवाला देकर सरकार को धमकी देने और किसानों को भड़काने के प्रयास किए। अब उनके ही एक बयान के मामले में सीबीआई ने जो मामले दर्ज किए थे, उसी सिलसिले में उनके ठिकानों पर छापेमारी की। मलिक आज भी खुद को ही सर्टिफिकेट दे रहे हैं कि वो तो खांटी ईमानदार हैं जितना कि चौधरी चरण सिंह थे। खैर, आइए जानते हैं सत्यपाल मलिक ने कैसे-कैसे दावे किए और कब-कब माफियां मांगीं। ​पुलवामा अटैक पर सत्यपाल के सनसनीखेज दावे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि सीआरपीएफ ने जवानों के मूवमेंट के लिए एयरक्राफ्ट मांगा था लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय देने से इनकार कर दिया था। मलिक ने कहा कि उनसे मांग की जाती तो सीआरपीएफ को हर हाल में ही एयरक्राफ्ट दिया जाता। पांच विमानों की ही तो जरूरत थी। मलिक ने दावा किया था, 'पीएम मोदी ने पुलवामा अटैक के बाद जिम कॉर्बेट पार्क से मुझे कॉल किया था तो मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि यह हमारी गलती से हुआ है। इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि तुम चुप रहो और किसे से कुछ नहीं कहो।' मलिक ने यह भी दावा किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने भी उन्हें चुप रहने को कहा था। उन्होंने कहा, 'तभी मैं समझ गया था कि सरकार पूरा ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ने वाली है।' ध्यान रहे कि 14 फरवरी, 2019 को दोपहर बाद करीब 3 बजे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने श्रीनगर-जम्मू नैशनल हाइवे पर सीआरपीएफ के काफिले को बम विस्फोट से उड़ा दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ ने अपने 40 जवान खो दिए थे। वो यहीं नहीं रुके और यहां तक कह दिया था कि पीएम मोदी ने पुलवामा हमले की त्रासदी का चुनावों में फायदा उठाया और लोगों से कहा कि जब वो वोट दें तो पुलवामा को याद रखें। उन्होंने कहा, 'मैं जनता से एक बार फिर कहता हूं कि इस बार वोट करते समय पुलवामा के शहीदों को याद रखें।' ​पीएम मोदी घमंडी और फिर बयान से मुकरे मलिक सत्यपाल मलिक ने जनवरी 2022 में हरियाणा के दादरी में दावा किया कि पीएम मोदी ने किसानों के मुद्दे पर उनसे बड़ी घमंड से बात की थी। उन्होंने कहा 'वो (PM) बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए। (पीएम ने कहा) तुम तो *** मरती है तो चिट्ठी भेजते हो। मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा आपके लिए ही तो मरे थे क्योंकि आप उनकी वजह से राजा बने हुए हो, इसको लेकर मेरा उनसे झगड़ा हो गया।' मलिक ने दावा किया कि इसके बाद प्रधानमंत्री ने उनसे अमित शाह से मिलने को कहा। उन्होंने दावा किया, 'अमित शाह ने कहा सत्यपाल इनकी अक्ल मार रखी है लोगों ने, तुम बेफिक्र रहो, तुम आते रहो हमसे मिलते रहो...' इसके बाद उन्होंने कहा कि वो ईमानदार हैं, इसलिए अबतक आईटी और ईडी की कार्रवाई से बचे हैं। बाद में अंग्रेजी वेबसाइट द वायर को 14 फरवरी, 2023 को दिए इंटरव्यू में अमित शाह के बयान के अपने दावे पर पलट गए और खुद से स्वीकार किया कि उन्होंने झूठ बोला था। मलिक ने कहा, 'मैंने अमित शाह से संबंधित बयान के बारे में पूरी तरह झूठ बोला था। उन्होंने मुझसे कभी कुछ नहीं कहा। मैं इस बयान को वापस लेता हूं। उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा।' इसी मुद्दे को लेकर जब इंटरव्यू ले रहे करण थापर ने मलिक से दोबारा पूछा तो उन्होंने फिर स्वीकार किया कि उन्होंने झूठ बोला था। ​रिश्वत के ऑफर का दावा और फिर मांग ली माफी मलिक ने 17 अक्टूबर, 2021 को राजस्थान के झुंझनू में कहा था कि जब वो जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे तो दो फाइलों पर साइन करने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की डील का ऑफर मिला था। मलिक के इस दावे के पीछे आरएसएस, बीजेपी, पीडीपी और अंबानी का नाम जुड़ा। उन्होंने बताया कि दो फाइलों पर साइन करने के लिए उन्होंने 150-150 करोड़ रुपये रिश्वत का ऑफर मिला था। उन्होंने कहा कि उन तक यह ऑफर सचिवों के जरिए पहुंचा था। मलिक ने दावा किया उन्होंने इस ऑफर के जवाब में कहा था, 'पांच जोड़ी कुर्ता-पायजामा लेकर आया था और उन्हें लेकर वापस चले जाएंगे, लेकिन रिश्वतखोरी नहीं करूंगा।' बाद में दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में मलिक ने आरएसएस से माफी मांग ली। उन्होंने कहा कि जिस शख्स ने मुझे फाइल दी थी, उसने खुद को आरएसएस से जुड़ा बताया था, इसलिए मैंने आरएसएस का नाम लिया। उन्होंने मान कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। फिर उन्होंने बताया, 'मैंने प्रधानमंत्री मोदी को इसकी पूरी जानकारी दे दी थी और उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर समझौता करने की कोई जरूरत नहीं है।' भ्रष्ट नेताओं के दावे पर भी मलिक ने मानी गलती जम्मू-कश्मीर के करगिल में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि प्रदेश के नेता भ्रष्ट हैं। उन्होंने आतंकियों से नेताओं को मारने को भी उकसाया था। उन्होंने कहा, 'आतंकी आम नागरिकों को मारते हैं। पुलिस के जवानों को मारते हैं। एसपीओ को मारते हैं। अरे भाई, अपने ही लोगों को क्‍यों मारते हो? उन्‍हें मारो जिन्‍होंने तुम्‍हारे मुल्‍क को लूटा है, जिन्‍होंने कश्‍मीर की सारी दौलत लूटी है। आपने क्‍या इनमें से किसी को मारा है? ये फिजूल में अपनी जान गंवा रहे हैं। इससे कुछ नहीं निकलना। बंदूक से कुछ नहीं निकलेगा। लिट्टे भी कुछ नहीं कर पाया बंदूक के दम पर।' इस पर जब नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जताई तो मलिक ने उन्हें अपरिपक्व ठहरा दिया। वो बोले, 'वे राजनीति में परिपक्व नहीं हैं और हर चीज पर ट्वीट करते हैं, उनके ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाओं को देखिए, आपको पता चल जाएगा।' अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था, 'ये व्यक्ति जाहिर तौर पर एक संवैधानिक पद पर बैठा एक जिम्मेदार आदमी है और आतंकियों से भ्रष्ट कहे जाने वाले राजनेताओं को मारने के लिए कहता है। शायद इस व्यक्ति को गैर-कानूनी हत्याओं और कंगारू कोर्ट की मंजूरी देने से पहले दिल्ली में अपनी छवि के बारे में पता लगाना चाहिए।' अब्दुल्ला की इस तीखी प्रतिक्रिया पर मलिक घुटने पर आ गए और सफाई में कहा कि उन्होंने ये बातें तो हताशा में कही थीं। उन्होंने कहा, 'मैंने जो भी कहा वह यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण गुस्से और हताशा में दिया गया बयान था।' फिर उन्होंने माना कि उन्होंने ऐसा करके गलत किया था। मलिक बोले, 'एक राज्यपाल के रूप में मुझे ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय वैसी ही है जो मैंने कहा था। कई राजनेता और बड़े नौकरशाह यहां भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।' ऐसे दावे कि गृहयुद्ध हो जाए जम्मू-कश्मीर के करगिल में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि प्रदेश के नेता भ्रष्ट हैं। उन्होंने आतंकियों से नेताओं को मारने को भी उकसाया था। उन्होंने कहा, 'आतंकी आम नागरिकों को मारते हैं। पुलिस के जवानों को मारते हैं। एसपीओ को मारते हैं। अरे भाई, अपने ही लोगों को क्‍यों मारते हो? उन्‍हें मारो जिन्‍होंने तुम्‍हारे मुल्‍क को लूटा है, जिन्‍होंने कश्‍मीर की सारी दौलत लूटी है। आपने क्‍या इनमें से किसी को मारा है? ये फिजूल में अपनी जान गंवा रहे हैं। इससे कुछ नहीं निकलना। बंदूक से कुछ नहीं निकलेगा। लिट्टे भी कुछ नहीं कर पाया बंदूक के दम पर।' इस पर जब नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जताई तो मलिक ने उन्हें अपरिपक्व ठहरा दिया। वो बोले, 'वे राजनीति में परिपक्व नहीं हैं और हर चीज पर ट्वीट करते हैं, उनके ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाओं को देखिए, आपको पता चल जाएगा।' अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था, 'ये व्यक्ति जाहिर तौर पर एक संवैधानिक पद पर बैठा एक जिम्मेदार आदमी है और आतंकियों से भ्रष्ट कहे जाने वाले राजनेताओं को मारने के लिए कहता है। शायद इस व्यक्ति को गैर-कानूनी हत्याओं और कंगारू कोर्ट की मंजूरी देने से पहले दिल्ली में अपनी छवि के बारे में पता लगाना चाहिए।' अब्दुल्ला की इस तीखी प्रतिक्रिया पर मलिक घुटने पर आ गए और सफाई में कहा कि उन्होंने ये बातें तो हताशा में कही थीं। उन्होंने कहा, 'मैंने जो भी कहा वह यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण गुस्से और हताशा में दिया गया बयान था।' फिर उन्होंने माना कि उन्होंने ऐसा करके गलत किया था। मलिक बोले, 'एक राज्यपाल के रूप में मुझे ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी, लेकिन मेरी व्यक्तिगत राय वैसी ही है जो मैंने कहा था। कई राजनेता और बड़े नौकरशाह यहां भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।' ऐसे दावे कि गृहयुद्ध हो जाए ऐसे दावे कि गृहयुद्ध हो जाए ➤ 2023 की जुलाई में हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक हिंसा हुई तो सत्यपाल मलिक ने इसे बीजेपी का षडयंत्र बता दिया। अगस्त 2023 में दिल्ली के कंस्टिट्यूशन क्लब में बोलते हुए उन्होंने दावा किया कि ये हिंसा अनायास नहीं भड़की थी बल्कि सांप्रदायिक भेदभाव पैदा करने के लिए सात-आठ जगहों पर सुनियोजित तरीके से हमले किए गए थे। उन्होंने दावा किया था कि 2024 लोकसभा चुनाव तक ऐसे हमले और बढ़ेंगे। ➤ इसी तरह 12 जून, 2022 को जयपुर में राष्ट्रीय जाट संसद में सत्यपाल मलिक ने कहा, 'अडानी ने किसानों की फसल सस्ते दाम पर खरीदने और महंगे दामों पर बेचने के लिए पानीपत में बड़ा गोदाम बनाया है। अडानी का ऐसा गोदाम उखाड़ फेंको। डरने की जरूरत नहीं है, मैं आपके साथ जेल चलूंगा। अडानी और अंबानी मालदार कैसे हो गए हैं? जब तक इन लोगों पर हमला नहीं होगा, तब तक ये लोग रुकेंगे नहीं।' सोचिए, इसे किसानों को भड़काने की कार्रवाई नहीं कहेंगो तो और क्या है ये? ➤ मलिक ने मार्च 2022 में किसानों को हिंसा करने के लिए उकसाया। 12 मार्च, 2022 को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो वो उन्हें मनवाने के लिए हिंसा का रास्ता अपना सकते हैं। दिल्ली को मेरी सलाह है कि उनके साथ न भिड़े, वे खतरनाक लोग हैं। किसान जो चाहते हैं, उसे हासिल कर के रहेंगे।' ​मलिक ने की आतंकियों की वाहवाही तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद सत्यपाल मलिक का एक वीडियो नवंबर 2021 में वायरल हुआ। उस वीडियो में मलिक कह रहे थे कि यदि कृषि कानून वापस नहीं लिए गए होते तो उनका हाल इंदिरा गांधी जैसा होता। उस वीडियो में मलिक के बयान से साफ हो रहा था कि वो इंदिरा गांधी और जनरल वैद्य की हत्या को जायज ठहराते हुए हत्यारों की तारीफ कर रहे थे। उन्होंने धमकी देते हुए कहा था किअगर आपको लगता है कि किसान प्रदर्शनकारी अपने आप वापस चले जाएंगे तो ये आपकी गलतफहमी है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राजनीति में एक बार फिर बदलाव हुआ है। 7 सालों के बाद प्रदेश की राजनीति फिर उसी ध्रुव पर पहुंचती दिख रही है, जहां वर्ष 2017 में थी। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 से पहले प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। लेकिन, लोकसभा चुनाव 2014 की हार के बाद प्रदेश की राजनीति पर उनकी पकड़ कमजोर हुई थी। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के उभार को रोकने के लिए अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने हाथ मिलाया। पूरे प्रदेश में 'दो लड़कों की जोड़ी' के कमाल की चर्चा खूब हुई। कभी भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर इस गठबंधन को रचने और जमीन पर उतरने में बड़ी भूमिका निभाते दिखे थे। यूपी चुनाव 2017 में गठबंधन कोई कमाल नहीं दिखा पाई। इसके बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की राहें अलग हो गई। सात सालों के बाद अब अखिलेश यादव और राहुल गांधी एक बार फिर साथ आ गए हैं। इस गठबंधन के पीछे इस बार बड़ी भूमिका प्रियंका गांधी की रही है। गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी 63 और कांग्रेस 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। वाराणसी समेत उन सीटों से सपा अपने उम्मीदवार हटाएगी, जो गठबंधन के तहत कांग्रेस के पाले में गई है। बुधवार को कांग्रेस- सपा के संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में इस संबंध में बड़ा ऐलान किया गया। 2017 चुनाव परिणाम के बाद अलग हुई थी राह यूपी चुनाव 2017 के नतीजों के बाद दोनों दलों की राहें अलग हुईं तो इसके बाद से फिर कभी एक साथ नहीं दिखे। इस बीच तीन चुनाव हुए। तीनों में कांग्रेस लगातार पिछड़ती चली गई। समाजवादी पार्टी भी अपनी पुरानी स्थिति को पाने में इस दौरान कामयाब नहीं हो पाई। यूपी चुनाव 2022 में रिकॉर्ड वोट शेयर को छोड़ दें तो अखिलेश यादव के लिए पिछले तीन चुनाव कुछ खास परिणाम नहीं दे पाए हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर समाजवादी पार्टी ने अपने स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश की। हालांकि, पार्टी को उस स्तर की सफलता नहीं मिली। हां, बहुजन समाज पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन का लाभ जरूर उठाया। पार्टी ने 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार जिता लिए। कांग्रेस के सामने संकट बड़ा 2014 में दो लोकसभा सीटें अमेठी और रायबरेली जीतने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2019 में आधे पर रह गई। अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार गए। रायबरेली से सोनिया गांधी केवल अपना सीट बचाने में कामयाब रही थीं। लोकसभा चुनाव 2024 में सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है। हालांकि गठबंधन के तहत अमेठी और रायबरेली दोनों सीटें कांग्रेस के पाले में गई हैं। कांग्रेस के सामने प्रदेश में राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने की चुनौती रही है। कांग्रेस को प्रदेश में सपा के साथ की सबसे अधिक जरूरत थी। इस कारण पार्टी 17 सीटों पर ही चुनाच लड़ने को तैयार हो गई। पहले अखिलेश ने कांग्रेस को 11 सीटें ऑफर की थी। जयंत चौधरी के गठबंधन से अलग होने के बाद माना जा रहा है कि उनको जाने वाली 6 सीटें भी कांग्रेस को दी गई हैं। 10 साल में 28 से 2 पर कांग्रेस कांग्रेस को पिछले वर्षों में लगातार झटके लगे हैं। यूपी में बड़ी राजनीतिक पकड़ रखने वाली कांग्रेस को पिछले तीन विधानसभा चुनावों में लगातार झटके लगे। यूपी चुनाव 2012 में कांग्रेस ने करीब 11.7 फीसदी वोट शेयर के साथ 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यूपी चुनाव 2017 में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद भी पार्टी महज 6.25 फीसदी वोट हासिल कर सकी। पार्टी के 114 उम्मीदवारों में से केवल 7 ही जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। यूपी चुनाव 2022 में 2.33 फीसदी वोट शेयर के साथ केवल 2 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 399 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इसके बाद भी पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने में सफल नहीं हो पाई। वहीं, 2017 मं 21.82 फीसदी वोट पाने वाली सपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में 32.06 फीसदी वोट हासिल किया। पांच सालों में पार्टी 47 से 111 सीटों तक पहुंच गई।
कोलकाता,‘13 साल हो गए, ये सब होते-होते। शाहजहां शेख और उसके लोगों को जो औरत अच्छी लगती, पार्टी की मीटिंग के बहाने ऑफिस में बुला लेते। दो दिन, तीन दिन, चार दिन, जब तक मन होता, ऑफिस में ही रखते। कोई महिला बुलाने पर नहीं आती, तो उसे घर से उठा लेते। 3-4 बार मुझे भी ऑफिस में बुलाया। पहले तो मैं नहीं गई, लेकिन उन लोगों ने मेरे पति को उठवा लिया। उसे मारा-पीटा। मैं क्या करती।' पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में ऐसी सैकड़ों कहानियां हैं। इन कहानियों में सिर्फ विक्टिम बदलती हैं, आपबीती सभी की एक जैसी है। नॉर्थ 24 परगना जिले में आने वाला संदेशखाली ममता बनर्जी की पार्टी TMC के नेता शाहजहां शेख का एरिया है। शाहजहां और उसके दो साथियों शिबू हाजरा और उत्तम सरदार पर आरोप है कि वे महिलाओं का गैंगरेप कर रहे थे। इस केस में शिबू हाजरा और उत्तम सरदार समेत 18 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। शाहजहां शेख अभी फरार है। शाहजहां की गिरफ्तारी न होने पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को हैरानी जताई। कहा कि जो व्यक्ति इस समस्या का मूल कारण बताया जा रहा है, उसे अब तक पकड़ा नहीं जा सका है। इस पूरे मामले को समझने के लिए दैनिक भास्कर संदेशखाली पहुंचा। शाहजहां शेख पर आरोप लगाने वाली महिलाओं से मिला और उनकी आपबीती सुनी। हमने 4 विक्टिम से बात की, इनमें तीन ने अपने साथ रेप और सेक्शुअल हैरेसमेंट का दावा किया, वहीं एक ने कहा कि मेरे साथ गलत काम नहीं हुआ, लेकिन उन लोगों ने मेरी जमीन हड़प ली। पढ़िए ये रिपोर्ट- महिलाएं सड़कों पर नारे लगा रहीं, शाहजहां शेख छोड़बो न विक्टिम महिलाएं 7 फरवरी से संदेशखाली के पात्रोपाड़ा में प्रदर्शन कर रही हैं। वे नारे लगाती हैं, शाहजहां शेख, छोड़बो न, छोड़बो न। हमने उनसे पूछा, ये आंदोलन कब तक चलेगा? जवाब मिला- जब तक शाहजहां शेख गिरफ्तार नहीं हो जाता। शाहजहां शेख फरार, लोग बोले- कहीं नहीं गया, संदेशखाली में ही है शाहजहां शेख TMC का डिस्ट्रिक्ट लेवल का नेता है। राशन घोटाले में ED ने 5 जनवरी को उसके घर रेड की थी। तब शाहजहां के 200 से ज्यादा सपोर्टर्स ने टीम पर अटैक कर दिया। अफसरों को जान बचाकर भागना पड़ा। उल्टा पश्चिम बंगाल पुलिस ने ED के अफसरों पर केस दर्ज कर लिया। तभी से शाहजहां शेख फरार है। हालांकि संदेशखाली के लोगों का कहना है कि वो कहीं नहीं गया, यही हैं। हमने लोगों से शाहजहां शेख के घर का पता पूछा। उन्होंने बताया पात्रोपाड़ा में जिस जगह आंदोलन चल रहा है, वहां से करीब 2 किमी दूर उसकी कोठी बनी है। हम इस कोठी तक गए, वहां पता चला कि ये कोठी काजी आमिर की है। हमने कोठी का गेट खटखटाया, लेकिन दरवाजा खुला नहीं। अंदर से तेज आवाज आई, यहां कोई नहीं है। गेट नहीं खुला तो हम लौटकर पात्रोपाड़ा वापस आ गए। यहां उन महिलाओं से मिले जिन्होंने शाहजहां और उसके लोगों पर आरोप लगाया है। 18 साल की हो या 40 साल की, जो अच्छी लगती, उसे उठा लेते पात्रोपाड़ा की एक महिला बताती हैं, 'शाहजहां शेख के लोग जबरदस्ती पार्टी ऑफिस में बुलाते थे। यहां पार्टी की मीटिंग होती थी, जिसमें गांव के सभी लोगों को जाना होता है। जो नहीं जाता, उसके साथ वे मारपीट करते थे। मीटिंग के बाद मर्दों को घर भेज देते थे, औरतों को वहीं रोक लेते थे। उनके साथ गलत हरकतें करते थे। कोई महिला ऑफिस आने से मना करती, तो उसके पति को उठा लेते थे।' क्या कम उम्र की लड़कियों के साथ भी ये सब होता था? महिला कहती है, 'छोटी बच्चियों के साथ तो ये सब नहीं हुआ, लेकिन 18 साल, 20 साल की लड़कियों और 30-40 साल की महिलाओं के साथ हो रहा था। किसी भी उम्र की हो, जो महिला उन्हें अच्छी लगी, वो उसे उठा लेते थे।' क्या शाहजहां शेख इसमें डायरेक्ट इन्वॉल्व होता है? हां, शेख, हाजरा और उत्तम सरदार तीनों ये सब करते हैं। आपने पुलिस को क्यों नहीं बताया? महिला जवाब देती हैं, ‘मैं 2-3 बार थाने गई थी, लेकिन पुलिस तो उनकी है न, हमारी नहीं सुनती। उन्होंने हमारी शिकायत नहीं लिखी।’ हम कहते थे- घर में बच्चे हैं, जाने दीजिए, तब भी नहीं सुनते थे हम एक विक्टिम से बात कर ही रहे थे, तभी दूसरी महिला बोल पड़ी। वे कहती हैं, 'हम उनसे कहते थे कि हमें घर जाना है। घर में छोटे बच्चे हैं, उनके लिए खाना बनाना है। तब भी नहीं जाने देते थे। उनका जो मन करता, वही करते थे।’ तभी पहली विक्टिम भी बोल पड़ती है, 'मेरी भी डेढ़ बीघा जमीन उनके कब्जे में है। एक पैसा नहीं दिया। हम गरीब लोग हैं। जमीन चली जाएगी तो हम क्या खाएंगे।' दो-तीन दिन तक ऑफिस में रखा, पुलिस-सरकार सब उनकी एक और विक्टिम कहती हैं, 'वो लोग औरतों को दफ्तर में बिठाकर रखते थे। कितने दिन रखेंगे, कोई तय नहीं। 5-6 महीने पहले मेरे साथ यही हुआ था। पुलिस और सरकार दोनों उनकी हैं।’ चौथी विक्टिम ने बताया, 'शाहजहां के लोगों ने मेरी जमीन हड़प ली। मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ, लेकिन जमीन तो चली गई। वे लोग किसी को भी उठा लेते हैं। मैं भी कब तक बचूंगी।' संदेशखाली के अलावा कुछ विक्टिम तुसीखाली और तिमोरा बाजार में भी रहती हैं।। तिमोरा बाजार में एक ग्रॉसरी शॉप में बैठी महिला से हमने शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार के बारे में पूछा। वे कहती हैं, ‘शेख, हाजरा और सरदार बहुत ताकतवर लोग हैं। अमी मार देबो। वे यहां के डॉन हैं। उनकी सरकार है। हम गरीब मानुष बोले, तो मारे जाएंगे।’ ममता सरकार ने SIT बनाई, महिलाओं का आरोप- जांच के नाम पर परेशान कर रहे मामला बढ़ने पर पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई है। CID में तैनात DIG सोमा दास मित्रा इसे लीड कर रही हैं। टीम की बाकी मेंबर भी महिलाएं हैं। ये टीम पीड़ित महिलाओं से बात कर रिपोर्ट बनाएगी। उनकी आपबीती सुनेगी, ताकि सभी फैक्ट इकट्ठे हो सकें। SIT ने महिलाओं से मुलाकात की है। हालांकि महिलाओं का आरोप है कि टीम हमसे एक ही सवाल कई बार करती है। उनका ध्यान हमारी आपबीती जानने से ज्यादा इस बात पर है कि हमें अपनी बातों में उलझा लें। एक महिला से SIT तीन बार पूछताछ कर चुकी है। वे कहती हैं- 'टीम की मेंबर पूछती हैं कि क्या हुआ था, डिटेल में बताओ। कोई जांच कराई थी क्या। कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं है। कुछ दवा तो ली होगी। घर में किसे बताया, पति को पता है। कहां हुआ सब कुछ, कैसे हुआ। बस यही सवाल घुमा-घुमाकर पूछ रहे हैं। पुलिस सपोर्ट नहीं करती, हमें डराती है।' दूसरी महिला कहती हैं, 'एक ही बात हम कितनी बार कहें। सब तो बता चुके हैं। हमने तो मीडिया को भी सब बता दिया। अगर पूछना है तो पहले शाहजहां शेख को पकड़ें और उससे पूछें। हाजरा से पूछें, उत्तम सरदार से पूछें।' 'टीम में शामिल पुलिस अधिकारी एक ही सवाल कई तरह से पूछती हैं। बार-बार पूछने पर घबराहट में कुछ अलग भी निकल जाता है। तब कहती हैं, तुमने ये तो नहीं कहा था। हमसे चुप रहने को कहती हैं। बोलती हैं- ये सब लोग तो चले जाएंगे, हमेशा साथ नहीं रहेंगे। तुम्हें यहीं रहना है।’ सेक्शुअल हैरेसमेंट की करीब 30 शिकायतें, FIR सिर्फ एक सोर्स के मुताबिक, अब तक सेक्शुअल हैरेसमेंट की सिर्फ एक FIR हुई है। हालांकि अब तक करीब 30 शिकायतें सामने आ चुकी हैं। नेशनल वुमन कमीशन की अध्यक्ष रेखा शर्मा 19 फरवरी को संदेशखाली पहुंची थीं। उसी दिन ये सभी शिकायतें हुई हैं। सोशल वर्कर पियाली दास शिकायत दर्ज कराने में महिलाओं की मदद कर रही हैं। वे बताती हैं, 'सभी शिकायतें सेक्शुअल अब्यूज की हैं। इनमें लिखा है कि कैसे महिलाओं को रात में उठा ले जाते थे। गंदे इशारे करते थे। उनके साथ गंदा काम करते थे।' क्या कोई शिकायत रेप या गैंगरेप की हुई है? पियाली कहती हैं, ‘रात में महिलाओं को उठा ले जाते थे। साथ में रखते थे। अब इससे ज्यादा हम क्या कहें, क्या शिकायत करें।' अब तक 18 लोग अरेस्ट, SP बोले- शाहजहां के खिलाफ शिकायत नहीं बसीरहाट के SP हुसैन मेहदी रहमान ने शनिवार को कहा था कि संदेशखाली केस में शाहजहां शेख के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिली है। TMC नेता शिबू हाजरा की गिरफ्तारी के साथ मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या 18 हो गई है। शिबू हाजरा को बसीरहाट के नजात इलाके से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस शिकायतों के आधार पर जांच कर रही है। एक विक्टिम के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के बाद केस में गैंगरेप की धारा 376 (D) और हत्या की कोशिश की धारा 307 जोड़ी गई है। कोर्ट की परमिशन से BJP नेता शुभेंदु अधिकारी संदेशखाली पहुंचे हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच से परमिशन मिलने के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी मंगलवार को संदेशखाली पहुंचे। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सोमवार को शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने की इजाजत दी थी। इसके खिलाफ बंगाल सरकार डिवीजन बेंच गई थी। शुभेंदु अधिकारी ने संदेशखाली में स्थानीय महिलाओं से बात की। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अनुभव रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं। उनकी जमीनें हड़प ली गईं, उनका शोषण किया गया और सब कुछ पुलिस-प्रशासन की मदद से हुआ। यहां की स्थिति भयावह है और अराजकता का उदाहरण है। अधिकारी के साथ BJP विधायक शंकर घोष भी संदेशखाली पहुंचे थे। इससे पहले पुलिस ने शुभेंदु अधिकारी को संदेशखाली से 2 किलोमीटर दूर धमाखाली में रोक दिया। TMC से BJP में आए शुभेंदु अधिकारी को शायद इसका अंदाजा था, इसीलिए उनके वकील पहले से तैयार थे। एक घंटे के अंदर उन्होंने कोर्ट से ऑर्डर ले लिया। वे रास्ते भर लोगों से मिलते हुए आगे बढ़े। आंदोलन वाली जगह तक आने में उन्हें करीब 2 घंटे लग गए। ममता बोलीं- महिलाओं ने FIR नहीं कराई, BJP उन्हें भड़का रही ममता बनर्जी ने रविवार को BJP पर आरोप लगाया था कि वो संदेशखाली की महिलाओं को भड़का रही है। एक पब्लिक मीटिंग में उन्होंने कहा कि महिलाओं ने एक भी FIR नहीं लिखवाई है। इन महिलाओं को BJP भड़का रही है। दैनिक भास्कर ने इस पर संदेशखाली से TMC के विधायक सुकुमार महतो से बात करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मैं हिंदी या इंग्लिश मीडिया से बात नहीं करूंगा, सिर्फ बांग्ला में बात करूंगा। इसके बाद हमने DG राजीव कुमार को भी फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। नदिया में बच्ची से गैंगरेप से संदेशखाली तक, TMC के नेता आरोपी संदेशखाली की तरह ही एक मामला अप्रैल, 2022 में भी हुआ था। तब नदिया जिले में 14 साल की एक बच्ची से गैंगरेप हुआ था। बच्ची की मौत हो गई थी। दैनिक भास्कर ने उस वक्त भी ग्राउंड से रिपोर्ट की थी। इस केस में TMC से जुड़े गांव के उप-सरपंच का बेटा आरोपी था। पुलिस ने मामले को ऑनर किलिंग का एंगल दे दिया था। तब CM ममता बनर्जी ने बच्ची के गैंगरेप से पहले ही प्रेग्नेंट होने का दावा किया था। तब इतना बड़ा आंदोलन नहीं हुआ, लेकिन इस बार महिलाएं गुस्से में हैं। हमने एक महिला से पूछा, अचानक इतनी हिम्मत कहां से आई? उन्होंने जवाब दिया, ED ने शाहजहां के घर रेड मारी थी, तब लगा हमारी आवाज सुनी जाएगी। शाहजहां शेख कंडक्टर रहा, सब्जियां बेचीं, अब सालाना कमाई 20 लाख रुपए पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले में शाहजहां की पहचान मछुआरों के लीडर, कारोबारी, डॉन और जमीन माफिया की है। नॉर्थ 24 परगना में विधायक और सांसद से ज्यादा पॉपुलर शाहजहां शेख है। वह 1999 में सवारी ढोने वाली गाड़ी में कंडक्टर का काम करता था। इसी दौरान लोकल मार्केट में सब्जियां भी बेचीं। कुछ दिन बाद शाहजहां ने ड्राइवर की नौकरी छोड़ दी और गुंडा बन गया। जमीन के सौदे करने लगा। शाहजहां के चाचा मुस्लिम शेख CPI (M) के लोकल लीडर थे। उनकी मदद से वो पॉलिटिक्स में आ गया। जरूरतमंदों की मदद करने की वजह से लोग उसे पसंद करने लगे। सैकड़ों लड़कों को मोबाइल और बाइक देकर उसने अपने सिंडिकेट में शामिल कर लिया। 2011 में शाहजहां शेख ने CPI (M) छोड़ दी और TMC में शामिल हो गया। इसी दौरान वो ममता सरकार में मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का करीबी बना। इलाके में शाहजहां का इतना दबदबा था कि लोग आपसी झगड़े और जमीन के विवाद सुलझाने उसके पास आने लगे।
अंबाला/चंडीगढ़,पंजाब के किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर से दिल्ली कूच करने का प्लान 2 दिन के लिए टाल दिया है। किसान नेता सरवण पंधेर ने कहा कि अगले 2 दिन हम रणनीति बनाएंगे। किसानों ने खनौरी बॉर्डर पर किसान की मौत और तनावपूर्ण हालात के बाद ये फैसला लिया है। वहीं, खनौरी-दातासिंहवाला बॉर्डर पर भी किसानों की तरफ से सफेद झंडा लहराया गया, इसके जवाब में प्रशासन ने भी सफेद झंडा लहरा दिया। फिलहाल दोनों तरफ से शांति बनी हुई है। इससे पहले दिनभर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच टकराव चला। पुलिस ने रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले छोड़कर किसानों को दिनभर रोका। इधर खनौरी बॉर्डर पर एक युवा किसान की मौत हो गई। किसान पंजाब के बठिंडा का रहने वाला था। उसके अलावा 12 अन्य किसान भी घायल हैं, इनमें से दो की हालत गंभीर है। वहीं टोहाना बॉर्डर पर तैनात एसआई विजय कुमार की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वहीं, जींद के पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार ने बताया- किसान आंदोलन के दौरान कुछ लोगों ने धान की पराली में आग लगाकर और मिर्ची डाल दी। इसके बाद पुलिस पर हमला कर दिया। धुआं ज्यादा होने की वजह से काफी किसानों ने तलवार, भालों और गंडासों से पुलिस पर हमला किया। हमले में 12 पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। शंभू बॉर्डर पर लगातार आंसू गैस छोड़े जाने से किसान आंदोलन के कोऑर्डिनेटर सरवण पंधेर को आंसू गैस का एक्सप्लोजर हुआ है, उन्हें प्रदर्शन स्थल से बाहर ले जाया गया। आंदोलन के दूसरे बड़े नेता जगजीत डल्लेवाल को भी आंसू गैस की वजह से सांस लेने में प्रॉब्लम हुई है। उन्हें भी बाहर ले जाया गया। इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने फिर से किसानों को बातचीत का न्योता भेजा। इससे पहले 4 बार बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला है। किसान आंदोलन का आज 9वां दिन था। इस दौरान अलग-अलग वजहों से तीन पुलिसकर्मियों समेत 6 की मौत हो चुकी है।
नई दिल्ली: पीएम मोदी कल जम्मू के दौरे पर होंगे। यहां से पीएम मोदी 3 नए आईआईएम यानी आईआईएम जम्मू, आईआईएम बोधगया और आईआईएम विशाखापत्तनम का उद्घाटन करेंगे। साथ ही आईआईटी भिलाई, आईआईटी तिरुपति, आईआईटी जम्मू, आईआईआईटीडीएम कांचीपुरम भी राष्ट्र को समर्पित परियोजनाओं में शामिल है। पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) का उद्घाटन भी करेंगे। आइए जानते हैं पीएम मोदी के अब तक के कार्यकाल में कितने एम्स, आईआईएम और आईआईटी देश को मिले हैं। मोदी के कार्यकाल में देश को कितने AIIMS मिले? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि 2014 के बाद 15 एम्स उनकी सरकार में स्वीकृत हुए हैं। साथ ही पीएम ने दावा किया कि आजादी के बाद साल 2014 तक जहां 380 मेडिकल कॉलेज बनाए गए, वहीं उनकी सरकार के 10 बरसों ही में 300 मेडिकल कॉलेज बना दिए गए। अभी हाल फिलहाल में कितने और एम्स देश को मिलने वाले हैं? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा है कि पिछले 60 सालों में देश में सिर्फ 6 एम्स थे लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में एक हफ्ते में 7 एम्स देश को समर्पित किया जा रहा है। 10 हजार करोड़ की लागत से तैयार सभी सात एम्स देश के स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूती देंगे और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेंगे। डॉ. मांडविया ने बताया कि 25 फरवरी को देश में पांच एम्स राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा, जिसमें राजकोट एम्स (गुजरात), मंगलगीरी एम्स (आंध्रप्रदेश), रायबरेली एम्स (उत्तर प्रदेश), कल्याणी (पश्चिम बंगाल) एम्स और भटिंडा एम्स शामिल है। इन सभी एम्स को विकसित करने पर केन्द्र सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। रेवाड़ी एम्स में क्या खास है? 203 एकड़ में बनाए जाने वाले रेवाड़ी एम्स में 750 बिस्तर, 30 ट्रामा बेड, 75 आईसीयू बेड, 16 ऑपरेशन थियेटर, 15 सुपर स्पेशलिटी विभाग, सीटी स्कैन, एमआरआई, लैब की सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें शैक्षणिक भवन भी बनाए जाएंगे, जिसमें मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, 500 सीट वाला ऑडिटोरियम, आयुष ब्लॉक -30 बिस्तर होंगे। इसके साथ 150 लोगों के लिए रात्रि आश्रय भी होगा। इसके साथ आवासीय इकाइयां, छात्रावास भी बनाए जाएंगे। लगभग 1646 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले इस एम्स से हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के लोगों को लाभ होगा। 2014 के बाद कितने आईआईटी कॉलेज बने हैं? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया है कि 2014 के बाद से देश में बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा के नए संस्थान स्थापित किए गए हैं जिनमें 7 आईआईटी, 16 आईआईआईटी, 7 आईआईएम, 15 एम्स और 390 विश्वविद्यालय शामिल हैं। भारत में कुल कितने आईआईएम हैं? भारत में 21 आईआईएम हैं जो विभिन्न एमबीए, पीजीपी, पीजीडीएम, कार्यकारी एमबीए और फेलोशिप कार्यक्रम पेश करते हैं (इनमें नया आईआईएम मुंबई शामिल है)। शीर्ष 3 आईआईएम सबसे पुराने परिसर हैं। IIM अहमदाबाद और IIM कलकत्ता की स्थापना 1961 में हुई थी। IIM बैंगलोर की स्थापना 12 साल बाद 1973 में हुई थी। 2014 से 2023 तक कितने हवाई अड्डे बने हैं? देश में परिचालन हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से दोगुनी होकर 2023 में 148 हो गई है। इस वृद्धि का श्रेय हवाई अड्डों और विमानन बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकार के लगातार प्रयासों को दिया जा सकता है।
पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पिछले 7 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच रविवार (18 जनवरी) को चौथे दौर की बैठक हुई। मीटिंग में सरकार ने 4 फसलों पर MSP देने का प्रस्ताव दिया। किसान संगठनों ने इस पर दो दिन विचार करके 20 फरवरी की शाम को अपना फैसला सुनाने की बात कही है। सरकार का प्रस्ताव: सरकार की तरफ से किसानों से बात करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार मक्का, कपास, अरहर और उड़द पर MSP देने को तैयार है। अगले 5 साल तक चारों फसलों की खरीद सहकारी सभाओं के जरिए होगी। नैफेड और NCCF से 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट होगा। किसानों की मांगें: किसान सभी फसलों को MSP पर खरीद के लिए कानून की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि फसलों की कीमतें स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएं। इसके अलावा किसानों ने मिर्च, हल्दी और दूसरे मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन की मांग भी की है। आगे क्या होगा: किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि सभी जत्थेबंदियों से 19 और 20 फरवरी को विचार-विमर्श करेंगे। इसके बाद 20 की शाम को अपना फैसला बता देंगे। 21 की सुबह 11 बजे तक दिल्ली कूच को स्टैंडबाय पर रखा है। हरियाणा के जींद में सोमवार को किसान भवन में संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा की बैठक हुई। इसमें किसान नेता फूल सिंह श्योकंद, मनदीप नथवान, प्रहलाद भैरोखेडा मौजूद रहे और सर्वसम्मति से मांग की गई कि गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा किया जाए। इसके अलावा यह फैसला भी लिया गया कि संयुक्त किसान मोर्चा 21 को भाजपा जिला कार्यालयों का घेराव करेगा और पुतले फूंकेगा। 22 फरवरी की राष्ट्रीय बैठक में भविष्य के आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। किसान नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार ने देश के किसानों की एमएसपी सी 2 प्लस 50 प्रतिशत देने, बिजली कानून रद्द करने, कर्जा मुक्ति, लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों को न्याय देने की मांग पर विश्वासघात किया है। इसलिए मोर्चा राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अपने आंदोलन को जारी रखे हुए है। संयुक्त किसान मोर्चा इस संघर्ष को मजबूत करने के लिए सभी किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों, सामाजिक संगठनों को एकजुट करने का प्रयास भी करेगा।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से पार्टी तेजी से आगे बढ़ी है। उन्होंने पिछले दशक में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की सराहना की जो पार्टी संगठन के लिए नई उपलब्धियों से भरा रहा है। नड्डा ने यहां दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में मौजूद प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद मोदी सरकार ‘हैट्रिक’ लगायेगी और लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखेगी। यहां प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन की दो दिवसीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नड्डा सहित केंद्रीय मंत्री, पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री, राज्यों के मंत्री, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पदाधिकारी, सांसद और विधायक सहित लगभग 11,500 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। भाजपा के अधिवेशन में क्या बोले जेपी नड्डा? नड्डा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा, ‘‘हमें 370 से अधिक सीट हासिल करनी हैं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को 400 सीट का आंकड़ा पार करना है।’’ उन्होंने पार्टी सदस्यों से आह्वान किया कि वे इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा लगा दें ताकि पार्टी अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ दे। नड्डा ने जब प्रधानमंत्री के कार्यकाल की मुख्य बातों का उल्लेख करते हुए महिला आरक्षण कानून और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का जिक्र किया तो देशभर से आये हजारों पार्टी प्रतिनिधियों ने खड़े होकर मोदी के समर्थन में नारे लगाये। अपने संबोधन में, नड्डा ने कहा कि वर्ष 2014 में पांच राज्यों में भाजपा की सरकार थी, लेकिन फिलहाल 12 राज्यों में भाजपा और 17 राज्यों में राजग सत्तारूढ़ है। भाजपा को लेकर नड्डा ने दिया बयान उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2022 में बड़ी जीत के साथ उत्तर प्रदेश में दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता बरकरार रखी, उत्तराखंड में भी पार्टी लगातार दूसरी बार सत्तारूढ हुई और हाल में तीन राज्यों - छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीता। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा 2021 के विधानसभा चुनावों में 10 प्रतिशत वोट और तीन सीट से बढ़कर 38.5 प्रतिशत वोट और 77 सीट पर पहुंच गई है। उन्होंने दावा किया कि पार्टी अगली बार राज्य में सत्ता में आएगी। उन्होंने कहा कि पार्टी पहली बार असम सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों में सत्ता में आई और तेलंगाना में उसका मत प्रतिशत दोगुना हो गया। दक्षिण भारत में पार्टी की मौजूदगी सीमित होने के तर्क को खारिज करते हुए, नड्डा ने कहा, ‘‘कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) हर जगह है। यह एक अखिल भारतीय पार्टी है।’’
अंबाला,किसान आंदोलन का आज (17 फरवरी) को 5वां दिन है। पंजाब के किसान दिल्ली जाने की जिद को लेकर शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन के दौरान हार्ट अटैक से एक किसान और दम घुटने से एक सब इंस्पेक्टर की मौत हो चुकी है। पंजाब का सबसे बड़ा किसान संगठन BKU (उगराहां) भी आंदोलन में कूद गया है। यूनियन ने शनिवार से 2 दिन के लिए पंजाब में सभी टोल फ्री करा दिए हैं। पंजाब भाजपा प्रधान सुनील जाखड़, पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह और बरनाला में BJP नेता केवल ढिल्लों के घर के बाहर किसानों ने तंबू गाड़कर धरना शुरू कर दिया है। हरियाणा में BKU (चढ़ूनी) की तरफ से तहसीलों में ट्रैक्टर मार्च निकाले जा रहे हैं। वहीं किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के कोऑर्डिनेटर सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार चाहे तो अध्यादेश लाकर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दे सकती है। बाद में संसद में बिल लाकर इसे कानून की शक्ल दे सकते हैं। ऐसा पहले कई मामलों में किया भी जा चुका है। उधर, किसान संगठनों की मांगों पर कल रविवार (18 फरवरी) को चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच चौथी वार्ता होगी। इससे पहले हुई 3 वार्ता बेनतीजा रहीं। किसानों के समर्थन में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने किसानों के संघर्ष को अपना दृढ़ समर्थन देने की घोषणा की है। कमेटी ने कहा है कि संघर्षरत किसानों को जिस भी तरह की मदद की जरूरत होगी, दिल्ली कमेटी उसे मुहैया कराएगी। आज यानी शनिवार को समिति अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह व महासचिव जगदीप सिंह काहलों ने कहा- सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पहले भी किसानों के संघर्ष के दौरान दृढ़ समर्थन दिया था और प्रत्येक में आवश्यक सहायता प्रदान की थी। वैसे भी हम किसान संघर्ष का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं क्योंकि किसान ही देश का अन्नदाता है। यह देखना दुखद और हृदय विदारक है कि लोग अपने ही देश में अपनी राजधानी तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राकेश टिकैत बोले- टिकैत परिवार की एक कुर्बानी गोली लगने से जाए किसान नेता राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली में हुई भारतीय किसान यूनियन की पंचायत में शामिल हुए। इस दौरान टिकैत ने कहा कि हम चाहते हैं कि टिकैत परिवार की एक कुर्बानी इस किसान आंदोलन में गोली लगने से जाए। टिकैत ने कहा कि 21 फरवरी को उत्तर प्रदेश की तहसीलों में एक दिन का प्रदर्शन होगा। 26 और 27 फरवरी को ट्रैक्टर लेकर हरिद्वार से लेकर गाजीपुर तक खड़े रहेंगे। टिकैत ने MSP से महंगाई बढ़ने के दावे को अफवाह करार दिया। टिकैत ने कहा कि भाजपा इस बार 400 पार की बात कह रही है तो फिर इलेक्शन क्यों हो रहे हैं?। विपक्ष को जेलों में बंद क्यों किया जा रहा है।
नई दिल्ली,इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल ने शुक्रवार को दोपहर 12.30 बजे कांग्रेस के फ्रीज खातों पर लगी रोक हटा दी है। एक घंटे पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया। कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि इनकम टैक्स ने यूथ कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी से 210 करोड़ रुपए की रिकवरी मांगी है। माकन ने कहा- हमें गुरुवार को जानकारी मिली कि बैंकों ने पार्टी के द्वारा जारी किए गए चेक रोक दिए हैं। वे हमारे चेक क्लियर नहीं कर रहे। कांग्रेस पार्टी के खाते भी फ्रीज कर दिए गए हैं। इसके अलावा क्राउड फंडिंग वाले अकाउंट को भी फ्रीज कर दिया गया है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा- अभी हमारे पास बिजली का बिल भरने के लिए और अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। अकाउंट फ्रीज होने के कारण न केवल भारत जोड़ो न्याय यात्रा, बल्कि पार्टी की सभी राजनीतिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। यह लोकतंत्र को फ्रीज करने जैसा है। माकन के 10 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस सिलसिलेवार पढ़ें... आप लोगों को आज सुबह-सुबह बहुत ही चिंताजनक और निराशाजनक खबर शेयर करने के लिए बुलाया है। आप लोगों को जानकर आश्चर्य होगा और सही मायने में दुख भी होगा। हिन्दुस्तान के अंदर लोकतंत्र पूरी तरह से खत्म हो गया है। लोकतंत्र की तालाबंदी हो गई है। हम लोगों को परसों (14 फरवरी) यह जानकारी मिली कि हम लोग जो चेक जारी कर रहे, बैंक उसे क्लियर नहीं कर रहे हैं। उसके ऊपर जब हम लोगों ने आगे छानबीन की तो हमें बताया गया कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के अकाउंट्स फ्रीज कर दिए गए हैं। कांग्रेस पार्टी के अकाउंट्स पर तालाबंदी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्शन बॉन्ड के जरिए मिले जिन पैसों को असंवैधानिक कर दिया है, उसे भाजपा खुलेआम खर्च कर रही है। ऐसे में देश में लोकतंत्र कहां से रह पाएगा। चुनाव से ठीक पहले अगर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी का पैसा फ्रीज कर दिया जाता है तो इससे बड़ी दुख की बात कुछ नहीं हो सकती। क्या हमारे देश के अंदर एक पार्टी का ही सिस्टम रहेगा। क्या देश के अंदर वन पार्टी पॉलिटिक्स रहेगी। बाकी दलों के अकाउंट्स फ्रीज हो जाएंगे। बाकी दलों को क्या रहने का अधिकार नहीं है। ये 2018-19 के इनकम टैक्स रिटर्न के बेस पर 210 करोड़ की रिकवरी मांगी गई है। अभी 2024 चल रहा है और लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके क्या कारण हैं। दो कारण हैं। पहला कारण: हम लोगों को 31 दिसंबर 2019 तक अपने अकाउंट सबमिट करने थे। शायद 40 दिन लेट अकाउंट सबमिट किया गया। अक्सर लोग 10-15 दिन लेट हो जाते हैं। दूसरा कारण: 2018-2019 इलेक्शन का साल था। उस समय 199 करोड़ रुपए की रसीद कांग्रेस पार्टी के पास थी, जो खर्च हुई थी। उसमें से केवल 14 लाख 40 हजार रुपए हमारे सांसद और विधायकों ने अपनी एक महीने की तनख्वाह कैश में जमा करवाई थी। इसी वजह से कांग्रेस पार्टी पर 210 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगा दी गई है। 5 साल पहले की घटना को लेकर चुनाव से ठीक पहले हमारे अकाउंट्स फ्रीज कर दिए जाते हैं। ये बहुत शर्म की बात है। हमारी मांग है कि भाजपा ने असंवैधानिक रूप से जो पैसे अपने अकाउंट में डाले हैं, उसे सील किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इन पैसों को असंवैधानिक तरीके से इकट्‌ठा करना बताया है। इसे सील करना चाहिए। हम लोगों ने इनकम टैक्स अपीलेट में एक अर्जी लगाई है। इस पर सुनवाई हो रही है। और हम ये उम्मीद करते हैं कि हमारे देश की ज्यूडिशियरी हमारे लोकतंत्र की रक्षा करेगी।
अंबाला,पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच का आज (16 फरवरी) चौथा दिन है। शंभू बॉर्डर पर आज फिर हंगामा हुआ। किसानों ने बैरिकेडिंग की तरफ बढ़ने की कोशिश की तो हरियाणा पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले बरसा दिए। शरीर पर गोले फटने की वजह से कई किसानों को चोटें आई हैं। उधर, अंबाला में तैनात GRP के SI हीरालाल की मौत हो गई। इसकी वजह आंसू गैस के गोले से दम घुटना बताई जा रही है। शुक्रवार सुबह शंभू बॉर्डर पर धरने में आए गुरदासपुर के किसान ज्ञान सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई। खनौरी बॉर्डर पर पुलिस पर हमला करने के आरोप में किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ समेत 6 पर FIR दर्ज की गई है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा और मजदूर संघ ने आज ग्रामीण भारत बंद बुलाया। इसमें गांवों में दुकानें बंद करने और किसानों के खेतों में काम न करने को कहा गया। हरियाणा, पंजाब और हिमाचल में 4 बजे तक बाजार बंद रहे। रोडवेज की बसें नहीं चलीं। राजस्थान में हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बंद का असर रहा। BKU (चढ़ूनी) के कार्यकर्ताओं ने हरियाणा के कई टोल नाकों को 12 से 3 बजे तक फ्री कराया। पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने आंदोलन में शामिल होने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि कल(शनिवार) से 2 दिन के लिए पंजाब के सभी टोल फ्री कराए जाएंगे। इसके अलावा भाजपा नेता पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ और केवल ढिल्लो के घर का घेराव करेंगे। वहीं, गुरुवार 15 फरवरी को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच तीसरे दौर की बातचीत ​भी बेनतीजा रही। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने एमएसपी पर कानून बनाने के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया। जिसमें किसान और सरकार दोनों के प्रतिनिधि होंगे। किसान नेता एमएसपी गारंटी पर अड़े रहे। मीटिंग में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पीयूष गोयल, नित्यानंद राय के साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद रहे। अब रविवार 18 फरवरी शाम 6 बजे फिर से बैठक होगी। तब तक दोनों पक्षों ने शांति बनाए रखने का आश्वासन दिया है। किसान आंदोलन को लेकर पंजाब के भाजपा नेता रवि ग्रेवाल ने पार्टी छोड़ दी। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को BJP की प्राथमिक सदस्यता और मोगा जिले की धर्मकोट विधानसभा के संयोजक के पद से इस्तीफा भेजा। ग्रेवाल ने कहा कि पंजाब के किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हरियाणा की भाजपा सरकार ने पहले तो किसानों को पंजाब-हरियाणा की सीमा पर रोक दिया। वहीं, अब शांतमयी प्रदर्शन कर रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं।
नई दिल्ली: उपराज्यपाल के अभिभाषण में बाधा डालने को लेकर भाजपा के 7 विधायकों को शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। बता दें कि भाजपा के विधायकों ने गुरुवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण के दौरान कई बार व्यवधान डाला था, क्योंकि वे अरविंद केजरीवाल सरकार को निशाना बनाना चाहते थे। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष राम निवास गोयल ने व्यवधान का मामला विशेषाधिकार समिति को भी भेज दिया। आप विधायक ने सदन में रखा प्रस्ताव आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने इस मुद्दे पर कार्रवाई की मांग को लेकर सदन में प्रस्ताव रखा, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया। दिलीप पांडे ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने गुरुवार को योजनाबद्ध तरीके से उपराज्यपाल के अभिभाषण को बाधित किया, जिससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंची। उन्होंने कहा कि “यह अभूतपूर्व और दुर्भाग्यपूर्ण था।” उन्होंने नियम पुस्तिका पढ़ते हुए कहा कि विपक्षी सदस्यों के आचरण से सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इन विधायकों को किया गया निलंबित विधानसभाध्यक्ष गोयल ने दिलीप पांडे के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने की बात कही। समिति की रिपोर्ट आने तक नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी को छोड़कर भाजपा के सात सदस्यों को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। इसके बाद गोयल ने 7 विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, अजय महावर, ओपी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल वाजपेई, जीतेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता को सदन के कक्ष से बाहर जाने के लिए कहा। नेता प्रतिपक्ष बिधूड़ी विरोध जताते हुए सदन से बाहर चले गए। ये है पूरा मामला गोयल ने गुरुवार को बजट सत्र के पहले दिन उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण के दौरान बार-बार बाधा पहुंचाने के लिए भाजपा विधायकों को मार्शल के माध्यम से सदन से बाहर भेज दिया था। विधानसभा के अधिकारियों ने बताया था कि सक्सेना ने जब अपना अभिभाषण शुरू किया और शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया तो भाजपा विधायक व पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों के वित्तपोषण का मुद्दा उठाते हुए उन्हें रोक दिया। भाजपा के अन्य विधायकों ने अभिभाषण के दौरान पानी की कमी, आयुष्मान भारत योजना को लागू न करने, अस्पतालों की खराब स्थिति और बिजली दरों को लेकर अभिभाषण में बाधा पहुंचाई।
नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपनी सरकार का बजट पेश किया। विधानसभा में बजट पेश होने के बाद राज्य सरकार विवादों में घिर गई है। बजट के बाद विधानसभा में ही विपक्षी विधायकों द्वारा इसका विरोध किया जाने लगा और अब इसे कांग्रेस के तुष्टीकरण वाला बजट कहा जा रहा है। इसके पीछे की वजह यह है कि सिद्धारमैया सरकार ने अपने बजट में वक्फ बोर्ड और ईसाइयों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं, जबकि हिंदू मंदिरों को लेकर बजट में कोई खास राशि का जिक्र नहीं किया गया है। सरकार ने किया मंगलौरप में हज भवन बनाने का ऐलान कर्नाटक सरकार ने अपने बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान वक्फ संपत्तियों के लिए किया है। वहीं, 200 करोड़ रुपये ईसाई समुदाय के लिए और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए 20 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा 10 करोड़ रुपए की लागत से भव्‍य हज भवन बनाने की भी घोषणा की गई है जो कि मंगलौर में बनाया जाएगा। अल्पसंख्यक समुदायों खासकर मुस्लिम और ईसाइयों के लिए इस बजट में बड़ी संख्या में घोषणाएं की गई हैं। कर्नाटक विधानसभा में बजट के दौरान विपक्षी दलों ने इसी वजह से कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। सरकारी खजाने में सालाना 450 करोड़ रुपये देते हैं मंदिर हैरान करने वाली बात यह है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में वक्फ संपत्ति और ईसाई समुदाय के लिए 330 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, लेकिन हिंदू समुदाय के लिए बजट में किसी भी तरह का कोई जिक्र न होने की बात कही जा रही है। बता दें कि कर्नाटक एक ऐसा राज्य है, जहां मुजराई (हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती) विभाग द्वारा नियंत्रित 'ए और बी' यानी की बड़े और छोटे श्रेणी के 400 के करीब मंदिरों से हिंदू भक्तों द्वारा दिया जाने वाला सालाना औसतन दान 450 करोड़ रुपये सरकार के खजाने में जाता है। हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में चाहते हैं सिद्धारमैया कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार हिंदू मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने वाले किसी भी विधेयक का विरोध करते आई है। इसके साथ ही हिंदू मंदिरों से हर साल इतना धन सरकार के खजाने में जाने के बाद भी सरकार की तरफ से बजट में इन मंदिरों के विकास या अन्य के लिए राशि का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय सेना को अत्याधुनिक और ताकतवर बनाने के लिए वो हर कदम उठा रहे हैं, जो इसके लिए जरूरी है। भारत-पाकिस्तान से लेकर भारत-चीन और अन्य देशों से लगी सीमाओं पर सेना की ताकत बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने सुरंगों, हवाई पट्टियों, पुलों, सड़कों आदि का बड़ा जाल बिछा दिया है। साथ ही सेना को अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से सुसज्जित कर दिया है। पीएम मोदी सेना को लगातार आत्मनिर्भर और ताकतवर बनाते जा रहे हैं। इस दिशा में प्रधानमंत्री के निर्देश पर जल-थल से लेकर नभ तक सेना की ताकत बढ़ाने के लिए एक और बड़े कदम का ऐलान किया गया है। इससे भारतीय सेना और भी अधिक ताकतवर बनकर उभरेगी। लगातार मजबूत होती भारतीय सेना की ताकत को देखकर पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य ताकतवर देश भी हैरान हैं। इंडियन आर्मी को को ताकतवर बनाने के लिए पीएम मोदी की महत्वाकांक्षा के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों की समग्र युद्ध क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए बहुउद्देश्यीय समुद्री विमान सहित 84,560 करोड़ रुपये के पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को शुक्रवार को मंजूरी देकर अपने इरादे जता दिए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। इसके बाद सेना और आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित हो जाएगी। इन उपकरणों से लैस होगी सेना डीएसी द्वारा मंजूर किए गए प्रस्तावों में नई पीढ़ी की टैंक रोधी बारूदी सुरंग, वायु रक्षा सामरिक नियंत्रण रडार, भारी वजन वाले टॉरपीडो, मध्यम दूरी के समुद्री टोही और बहुउद्देश्यीय समुद्री विमान, उड़ान रिफ्यूलर विमान आदि शामिल हैं। इन हथियारों और उपकरणों के सेना में शामिल होने के बाद जल, थल से लेकर नभ तक सेना की ताकत कई गुना और बढ़ जाएगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की निगरानी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए मध्यम दूरी के समुद्री टोही और बहुउद्देश्यीय समुद्री विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी। इसने कहा कि वायु रक्षा प्रणालियों को मजबूत करने के उद्देश्य से वायु रक्षा सामरिक नियंत्रण रडार की खरीद के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। मंत्रालय ने कहा कि डीएसी ने भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं और पहुंच को बढ़ाने के वास्ते ‘फ्लाइट रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट’ की खरीद के लिए आवश्यक स्वीकृति (एओएन) प्रदान की है।
सीबीएसई बोर्ड 10वीं-12वीं की परीक्षाएं संचालित की जा रही हैं। वहीं, दिल्ली में किसान आंदोलन भी कर रहे हैं। जिसके चलते दावा किया जा रहा था कि बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। लेकिन अब बोर्ड ने इस पर स्पष्टीकरण जारी किया है और कहा कि बोर्ड परीक्षाएं स्थगित नहीं की गई है। सोशल मीडिया पर जो नोटिस वायरल हो रही है वह फेक है। ऐसे में स्टूडेंट्स और पैरेंट्स नोटिस पर विश्वास न करें। फेक नोटिस में एग्जाम स्थगित होने का किया गया है दावा फर्जी सर्कुलर में कहा गया है कि सीबीएसई बोर्ड परीक्षा 2024 को किसानों के चल रहे विरोध के कारण स्थगित कर दिया गया है। हालांकि, सीबीएसई ने स्पष्ट किया कि बोर्ड द्वारा ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सोशल मीडिया पर जो खबर वायरल हो रही है, वह पूरी तरह फर्जी है। ऐसे में नोटिस पर विश्वास न करें।
चंडीगढ़: किसान आंदोलन के चौथे दिन एक बार फिर से पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। किसानों ने एक बार फिर से आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने कार्रवाई की। इसके चलते स्थिति एक बार फिर से तनावपूर्ण हो गई। हरियाणा पुलिस के जवानों ने किसानों को आगे नहीं बढ़ने दिया। किसान पंजाब से हरियाणा में प्रवेश करके दिल्ली की तरफ से बढ़ना चाहते हैं। किसान संगठनों ने फैसला किया है जब तक सरकार के साथ बातचीत चल रही है तब किसान एक सीमा से आगे नहीं जाएंगे। तीन दौर की वार्ता विफल किसान और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच अब तक तीन दौर की बातचीत विफल हो चुकी है। शंभू बार्डर पर पुलिस की तरफ से कहा जा रहा है किसान धैर्य से काम लें, वे सरकार के साथ बातचीत से समाधान निकालें, आगे बढ़ने की कोशिश न करें। 15 फरवरी को चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों की मौजूदगी में किसाना संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी। इसके बाद कोई नतीजा नहीं निकल पाया था। आज संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद का बुलाया है। यह बंद 12 बजे से चार बजे तक के लिए था।
कोलकाता,पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं ने TMC नेता शेख शाहजहां और उनके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। इस मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा- ममता बनर्जी TMC के गुंडों को संरक्षण दे रही हैं। ईरानी ने सोमवार को कहा- संदेशखाली की महिलाओं ने अपनी व्यथा बांग्ला में शेयर किया है। देश के कई लोग इसे समझ नहीं पाए होंगे। मैं आपको इसे बताती हूं। उन्होंने कहा- TMC के गुंडे घर-घर जाकर देखते थे कि किस घर की कौन सी औरत सुंदर है। कौन कम उम्र की है? महिलाओं ने आरोप लगाया है कि TMC के लोग उन्हें रात में उठा कर लेकर चले जाते थे। जब तक TMC वाले नहीं चाहते थे, तब तक इन औरतों को नहीं छोड़ा जाता था। ईरानी के मुताबिक महिलाओं ने बताया- TMC के गुंडे ज्यादातर हिंदू परिवार की महिलाओं को टारगेट करते थे। ईरानी ने घटना को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा- ममता हिंदुओं के नरसंहार के लिए जानी जाती हैं। वह अपने गुट के पुरुषों को महिलाओं से अभद्रता करने की अनुमति दे रही हैं। देश के लोग इसे चुपचाप कैसे देख सकते हैं। ममता राजनीतिक फायदों के लिए जातियों की गरिमा का सौदा कर रही हैं। राज्यपाल बोले- संदेशखाली में स्थिति भयावह और चौंकाने वाली उधर, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस सोमवार को सुबह केरल से कोलकाता पहुंचे और सीधे नॉर्थ 24 परगना जिले के संदेशखाली रवाना हो गए। बोस ने कहा कि संदेशखाली में स्थिति भयावह और चौंकाने वाली है। बोस जब संदेशखाली पहुंचे तो TMC समर्थकों ने हाथों में बैनर लेकर उनके खिलाफ प्रदर्शन किया। बोस ने संदेशखाली पर राज्य सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है। उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में हुआ क्या है दरअसल, पिछले कुछ दिनों से संदेशखाली में स्थानीय महिलाएं प्रदर्शन कर रहीं है। उन्होंने TMC नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों पर उनकी जमीनों पर कब्जा करने का आरोप लगाया है। महिलाओं ने शेख शाहजहां की गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने एक अन्य TMC नेता शिव प्रसाद हाजरा के खेत और फॉर्म हाउस में आग भी लगा दी।
कोलकाता। पुलिस ने नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी और पार्टी के 66 अन्य विधायकों को बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में जाने से सोमवार दोपहर को रोक दिया। पुलिस ने इलाके में आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला देते हुए नेताओं को रोका। स्थानीय लोगों से मिलने जाने वाले थे कई नेता इससे पहले संदेशखाली में अशांति के मद्देनजर बंगाल विधानसभा में विरोध प्रदर्शन करने पर विपक्ष के नेता अधिकारी सहित भाजपा के छह विधायकों को सदन से निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के बाद सुवेंदु अधिकारी अन्य भाजपा विधायकों के साथ संदेशखाली के उन स्थानीय लोगों से मिलने के लिए बस में चढ़े, जिन्होंने तृणमूल कांग्रेस के फरार नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। बसंती राजमार्ग पर रोका गया अधिकारी ने कहा कि प्राधिकारियों ने निषेधाज्ञा और बशीरहाट के पुलिस अधीक्षक के उस पत्र का हवाला देते हुए हमें बसंती राजमार्ग पर रोक दिया, जिसमें दावा किया गया है कि मेरे संदेशखाली जाने से क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की समस्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह बेतुकी बात है। कानून-व्यवस्था की समस्या का हवाला देकर मुझे संदेशखाली से 65 किलोमीटर दूर कैसे रोका जा सकता है? हम सच्चाई को दबाने की राज्य सरकार की इस कोशिश की निंदा करते हैं। चार घंटे बाद भाजपा विधायक वहां से लौट आए। 15 फरवरी को फिर जाएंगे संदेशखाली सुवेंदु ने कहा कि भाजपा विधायक 15 फरवरी को फिर संदेशखाली जाएंगे। संदेशखाली में महिलाओं ने पिछले दिनों विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि स्थानीय टीएमसी नेता शेख शाहजहां और उसके गिरोह ने उनका यौन उत्पीड़न किया तथा उनकी जमीन के बड़े हिस्से पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया।
असम के सीएम हेमंत बिस्वा शर्मा ने बड़ी घोषणा की है। उन्होंने सोमवार को जानकारी दी है कि असम में कुल 1.59 लाख लोगों को विदेशी घोषित किया गया है। वहीं, असम में करीब 96,000 लोगों को संदिग्ध यानी D वोटर्स की श्रेणी में रखा गया है। सीएम शर्मा के पास में ही राज्य का गृह विभाग भी है। उन्होंने बताया है कि 100 विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी), जो राज्य में डी-मतदाताओं की नागरिकता के मुद्दे से निपटते हैं, वर्तमान में राज्य में कार्यरत हैं। 96 हजार से अधिक मामले लंबित असम के सीएम हेमंत बिस्वा सोमवार को विधानसभा में विपक्षी पार्टी एआईयूडीएफ के विधायक अमीनुल इस्लाम के सवाल का जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जानकारी दी है कि अधिकरणों ने राज्य में 31 दिसंबर 2023 तक 1,59,353 लोगों को विदेशी घोषित किया है। उन्होंने बताया है कि विदेशी (नागरिक) अधिकरण ने पिछले साल के अंत तक 3,37,186 मामलों का निपटारा किया है और 96,149 मामले विभिन्न अधिकरणों में लंबित हैं। 96 हजार से अधिक संदिग्ध मतदाता सीएम हेमंत बिस्वा ने कांग्रेस विधायक शरमन अली अहमद के एक सवाल का जवाब देते हुए विधानसभा में बताया कि आंकड़ों के मुताबिक, आज की तारीख में राज्य में 96,987 संदिग्ध मतदाता हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 41,275 संदिग्ध मतदाताओं को विदेशी (नागरिक) अधिकरण का नोटिस मिलना अभी बाकी है।
पटना: बिहार विधानसभा में भले ही नीतीश कुमार ने विश्वास मत जीत लिया हो, लेकिन सियासी गलियारों में उथलपुथल अभी भी जारी है। ताजा मामला पटना से सामने आया है। यहां के कोतवाली थाने में जेडीयू की विधायक बीमा भारती और दिलीप राय के अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई गई है। क्या है पूरा मामला? जेडीयू की विधायक बीमा भारती और दिलीप राय के अपहरण की एफआईआर जेडीयू के विधायक सुधांशु शेखर ने दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जेडीयू के विधायक डॉ संजीव और तेजस्वी यादव के करीबी ठेकेदार सुनील कुमार राय ने मिलकर दोनों विधायकों का अपहरण किया है। 10-10 करोड़ का क्या मामला है? सुधांशु शेखर ने FIR में ये आरोप भी लगाया है कि JDU विधायकों को तोड़ने के लिए 10-10 करोड़ का ऑफर दिया जा रहा था। तेजस्वी के करीबी सुनील कुमार ने ये ऑफर दिया था। FIR दर्ज कराने वाले विधायक सुधांशु शेखर अभी मुख्यमंत्री आवास में मौजूद हैं। राजगीर से जेडीयू विधायक कौशल किशोर का बड़ा दावा राजगीर से जेडीयू विधायक कौशल किशोर के पास भी 5 करोड़ का ऑफर आया था, राजद नेता शक्ति यादव ने उन्हें फोन किया था। कौशल किशोर ने खुद फोन पर इस बात की पुष्टि की है। गौरतलब है कि बिहार की सियासत में आज बड़ा दिन था। विधानसभा में नीतीश कुमार ने विश्वास मत हासिल किया। डिप्टी स्पीकर को जोड़कर 130 वोट विश्वास मत के पक्ष में पड़े। वहीं विश्वास मत पर वोटिंग से विपक्ष ने वॉकआउट कर लिया।
स्मार्टफोन कई हद तक एक जरूरी डिवाइस है। इसकी मदद से ऑनलाइन क्लासेस समेत कई तरह के कामकाज किए जा सकते हैं। हालांकि कुछ रिपोर्ट में मोबाइल फोन बर्बादी की वजह बन रहा है। एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि करीब 42 फीसद डेंटल स्टूडेंट दिन में करीब 8 घंटे मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सर्वे हैदराबाद और उसके आसपास के इलाकों में किया गया है। स्मार्टफोन के बुरे प्रभाव रिपोर्ट की मानें, तो स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से नींद की क्वॉलिटी पर असर पड सकता है। इससे लोगों के दिमाग पर असर पड़ रहा है। शोध में दावा किया गया है कि सोशल नेटवर्किंग की बुरी लत की वजह से स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बुरी लत बढ़ रही है। स्मार्टफोन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल रात में हो रहा है, जबकि नॉन एडिक्टेड यूजर्स शाम में स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल स्मार्टफोन कम इस्तेमाल करने वाले लोगों की मेंटल हालत ज्यादा स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों से अच्छी है। सोशल मीडिया, एजूकेशन कंटेंट ब्राउजिंग, और प्रेशर की वजह से फोन के गलत इस्तेमाल की लत बढ़ रही है। महिलाओं के बीच स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल देखा गया है, जिसका आंकड़ा करीब 79 फीसद है। सोशल मीडिया नेटवर्किंग की वजह से 44 फीसद स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज के लिए 37.5 फीसद फोन इस्तेमाल किया जा रहा है।
पटना: नीतीश कुमार सबके हैं! पटना में इस तरह के पोस्टर आपने जरूर देखा होगा। इतना ही नहीं, जेडीयू नेता भी कहते हैं नीतीश कुमार सबके हैं। मतलब साफ है कि नीतीश कुमार इधर ( BJP ) रहें या उधर ( RJD ), जेडीयू अध्यक्ष सबके साथ रहते हैं। कुछ इसी तरह का संकेत उन्होंने आज बिहार विधानसभा में दी। सदन में बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि इधर वाला हमेशा आपका साथ देगा। मतलब साफ है कि भले ही नीतीश कुमार एनडीए के साथ आ गए हैं, लेकिन आरजेडी को छोड़े नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई समस्या होगी तो बताइयेगा, समाधान करेंगे। चिंता मत कीजिएगा, हम सबका ख्याल रखेंगे। नीतीश कुमार ने क्या कहा बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हमने सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव रखा, जिसपर विभिन्न नेताओं ने अपनी राय रखी है। सीएम जैसे ही बोलना शुरू किए विपक्षी दल हंगामा करने लगे। इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि अगर नहीं सुनना चाहते हैं तो सीधे वोटिंग करा दिया जाए। हम सबकी बात सुने हैं। हमको 2005 से काम करने का मौका मिला। उससे पहले इनके पिताजी और माताजी को सरकार चलाने का मौका मिला। याद कीजिए कहीं कोई रोड था क्या? कोई शाम के बाद घर से निकल पाता था क्या? ये मुस्लिम की बात करते हैं, आए दिन हिंदू-मुस्लिम का विवाद होता था। हमने हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा बंद कराया। 2005 से पहले का इतिहास जानो, जो 15 साल में मुस्लिमों को न्याय नहीं मिला, हमने आने के बाद कार्रवाई की। कितना डेवलपमेंट हुआ है। नीतीश ने आगे कहा कि महिलाएं 11-12 बजे तक घूमती थी। कितनी महिलाएं पढ़ती थी। आज मैट्रिक तक लड़का-लड़की बराबर है। कितना काम हम लोगों ने किया है। हमने इनको मौका दो बार किया है। 2010 में हमने जो तय किया इन लोगों ने भी तय किया कि वही सब होगा। जब 2015 में साथ में आए तो 7 निश्चय की बात की, तो कोई इधर उधर नहीं किया। 7 निश्चय मेरा आइडिया था, जिसे आपने स्वीकार किया। पहले गड़बड़ नहीं किए, लेकिन कुछ दिन के बाद देखा कि ये लोग ठीक काम नहीं कर रहे हैं, तब हम लोग फिर से वापस इन लोगों का साथ दिया। उसके बाद फिर 2020 में जब हमने 7 निश्चय 2 तय किया तो इन लोगों ने पूरा का पूरा साथ दिया। जब आप लोग साथ में आए तो 7 निश्चय 2 का काम हो रहा था तो आप लोग इसका क्रेडिट ले रहे हैं। इधर-उधर करने लगे थे: नीतीश कुमार नीतीश ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर नियुक्तियां हो रही थी तो शिक्षा के मंत्री कौन थे। जो शिक्षा के बारे में पहले तय हो गया था। वही हो रहा था, तो जबरदस्ती शिक्षा ले लिए। एक बार कांग्रेस ने शिक्षा मंत्रालय लिया था, लेकिन इधर उधर नहीं किया। जब आप शिक्षा लिए तो हर बार गड़बड़ करते थे। हर बार हम रोक देते थे। इसलिए ये सब बात मत करिए। जब ये लोग साथ थे, तो हमने सबको एकजुट करने के लिए यहां मीटिंग भी किया। हम इनलोगों को कह रहे थे कि सभी छह पार्टियों हैं। हमने एक पार्टी को एक सीट देने की बात कही। बाकी उनको दो दीजिए। कांग्रेस को ये लोग दो सीट देना चाहते थे, लेकिन हमने कहा कि उनके 19 विधायक हैं इसलिए कांग्रेस को दो से ज्यादा मिलना चाहिए। उसके बाद बाकी की पार्टियों को 2 ही मिला। ये लोग बराबर आकर मुझसे कहते थे, लेकिन ये लोग देने नहीं दिए।
लखनऊः राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के मुखिया जयंत चौधरी आखिरकार एनडीए में शामिल हो गए। बीते कई दिनों से उनके भाजपा के साथ जाने की अटकलें थीं। चौधरी चरण सिंह को केंद्र सरकार द्वारा भारत रत्न की घोषणा के बाद से ये तय माना जा रहा था कि जयंत चौधरी इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ देंगे और भाजपा नीत एनडीए के साथ चले जाएंगे। अब इस खबर पर मुहर लग गई है। जयंत चौधरी आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ खड़े दिखाई देंगे। इसे लेकर जयंत चौधरी ने कहा कि मैंने अपने सारे विधायकों से बात कर ली है। हमें अल्प समय में यह फैसला लेना पड़ा क्योंकि परिस्थितियां ऐसी थीं। उन्होंने कहा कि हमारे सभी विधायक और कार्यकर्ता इस फैसले में हमारे साथ हैं। बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाने के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा था, 'कोई कसर रहती है? आज मैं किस मुंह से इनकार करूं आपके सवालों का?' मोदी की सराहना करते हुए चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और समर्पण से एक ऐसा निर्णय लिया गया, जो पिछली कोई भी सरकार नहीं ले पाई थी। यह देश के लिए एक बड़ा दिन है। यह मेरे लिए एक भावनात्मक और यादगार क्षण है। मैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, भारत सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने दूरदर्शिता दिखाते हुए यह निर्णय लिया और (चौधरी चरण सिंह को) भारत रत्न से सम्मानित किया। सम्मान को भाजपा के साथ आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से जोड़े जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हम चुनाव जीतें या हारें, मैं गठबंधन में जा रहा हूं या नहीं, यह सवाल नहीं है, आज का फैसला पीढ़ियों तक याद रखा जाने वाला फैसला है। अगर यह कांग्रेस पार्टी का बयान है तो मैं इसकी आलोचना करता हूं।”
अबू धाबी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं। इसे दोनों देशो के संबंधों में मील के पत्थर की तरह देखा जा रहा है। भारत और यूएई के संबंध सहस्राब्दियों पुराने हैं। मसालों, गहनों, इत्रों और कपड़ों के व्यापार से शुरू हुए ये संबंध अब ऊर्जा, कूटनीति और सामरिक संबंधों तक पहुंच चुके हैं। भारत-यूएई साझेदारी 21वीं सदी के एक निर्णायक गठबंधन के रूप में भी उभरी है। भारत और यूएई के बीच संबंधों में तेजी 2014 के बाद दिखनी शुरू हुई, जब पीएम मोदी ने सत्ता संभाली। 2015 में पीएम मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात की ऐतिहासिक यात्रा भी की, जिसने राजनयिक संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की। इसके बाद दौरों, समझौतों और तारीफों का सिलसिला शुरू हुआ, जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत किया है। भारत-यूएई संबंधों में कब आई गर्माहट संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान 2017 में गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर भारत पधारे। भारत और यूएई के रिश्तों में गर्माहट तब और ज्यादा बढ़ गई, जब अल नायहान ने 2019 में पीएम मोदी को प्रतिष्ठित ऑर्डर ऑफ जायद से सम्मानित किया। भारत और यूएई के रिश्तों की मजबूती को इसी से समझा जा सकता है कि दोनों नेता अक्सर प्रोटोकॉल को तोड़कर एक दूसरे का स्वागत करते हैं। इतना ही नहीं, पीएम मोदी हमेशा ही यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को "भाई" कहकर संबोधित करते हैं। भारत-यूएई व्यापार कहां तक पहुंचा 1962 के पहले तक यूएई खजूर, मोती और मछलियों के व्यापार तक सीमित था। लेकिन, जैसे ही यूएई में तेल की खोज हुई, उसने पूरी कहानी ही बदल दी। यूएई ने तेल के कारोबार के जरिए विकास की अद्वितीय गाथा लिखी, जिसने बड़े-बड़ों देशों को पीछे छोड़ दिया। 1990 के दशक में यूएई खाड़ी देशों में एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरा। 1970 तक भारत और यूएई का द्विपक्षीय व्यापार 180 मिलियन डॉलर था, जो 2021-22 में जबरदस्त बढ़त के साथ 73 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। भारत और यूएई के बीच 2022 में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) को साइन किया गया। दोनों देशों ने अगले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को वस्तुओं के क्षेत्र में 100 बिलियन डॉलर और सेवाओं के क्षेत्र में 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का संकल्प लिया है। कूटनीति में भी दोनों देश बने दोस्त ऐसा नहीं है कि भारत और यूएई के संबंध अब सेचुरेशन प्वाइंट तक पहुंच चुके हैं। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा में यूएई अहम भागीदार है। भारत इस गलियारे के जरिए यूरोप तक व्यापार करने का सपना सजाए हुए है। वित्तीय क्षेत्र में दोनों देशों ने 2023 में एक बड़ा समझौता किया था। इस समझौते के तहत भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने डॉलर को छोड़कर रुपया और दिरहम में व्यापार की हामी भरी थी। इसके अलावा 2024 के संयुक्त विजन दस्तावेज के साथ दोनों देश फिनटेक, क्लीन एनर्जी, जलवायु परिवर्तन पर एक साथ काम करने जा रहे हैं। 2021 में इजरायल और अमेरिका के साथ गठित I2U2 समूह में भी भारत और यूएई शामिल हैं।
नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय में राज्यों में उपमुख्यमंत्रियों को हटाने को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ ने कहा कि एक उप-मुख्यमंत्री राज्‍य सरकार में सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण मंत्री होता है और इस पद का संवैधानिक अर्थों में कोई वास्तविक संबंध नहीं है। यह केवल एक लेबल है- सीजेआई इस मामले में सुनवाई करते हुए सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “यह केवल एक लेबल है। भले ही आप किसी को डिप्टी सीएम कहें, लेकिन संवैधानिक दर्जा तो मंत्री का ही है। किसी व्यक्ति विशेष की उपमुख्यमंत्री पद से संबद्धता का संवैधानिक अर्थों में कोई वास्तविक संबंध नहीं है। वे उच्च वेतन नहीं लेते हैं, वे मंत्रिपरिषद के किसी भी अन्य सदस्य की तरह हैं।” संविधान में केवल मुख्यमंत्री पद का प्रावधान वहीं न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने कहा कि भारत के संविधान के तहत ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई प्रावधान किए बिना राज्य सरकारों में उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में सार नहीं है और इसे खारिज किया जाना चाहिए। वकील मोहन लाल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 164 में केवल मुख्यमंत्रियों की नियुक्ति का प्रावधान है और उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति का राज्यों के नागरिकों या जनता से कोई लेना-देना नहीं है। याचिका में क्या कहा था? इसमें कहा गया है कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति से बड़े पैमाने पर जनता में भ्रम पैदा होता है और राजनीतिक दलों द्वारा काल्पनिक विभाग बनाकर गलत और अवैध उदाहरण स्थापित किए जा रहे हैं क्योंकि उपमुख्यमंत्री कोई भी स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते हैं, लेक‍िन उन्हें मुख्यमंत्रियों के बराबर दिखाया जाता है। कई राज्यों में है उपमुख्यमंत्री बता दें कि इस समय देश के ज्यादातर राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाए हुए हैं। हालांकि यह कोई संवैधानिक पद नहीं है लेकिन इसे राजनीतिक रूप से संतुष्ट करने के लिए माना जाता है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान और कर्नाटक समेत कई अन्य राज्यों में उपमुख्यमंत्री बने हुए हैं।
मुंबई: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले महाराष्ट्र कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस वर्किंग कमिटी के सदस्य अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की संभावना है। राजनीति गलियारों में चर्चा है कि अगर चव्हाण बीजेपी में शामिल होते हैं तो ये कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा। संभावना है कि बीजेपी उन्हें राज्यसभा भेजेगी। दरअसल अशोक चव्हाण ने इस्तीफा देने से पहले आज सुबह विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मुलाकात की। कहा जा रहा है कि चव्हाण ने नार्वेकर से मुलाकात की और इस्तीफे की प्रक्रिया को समझा। चव्हाण यह कहकर नार्वेकर के कार्यालय से चले गए कि मैं फिर आऊंगा। इसलिए चव्हाण के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया। उधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। एक दिन पहले हुई थी कांग्रेस की बैठक महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चेनीथल्ला कल मुंबई में थे। मुंबई में महाराष्ट्र कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस बैठक में अशोक चव्हाण भी मौजूद थे। अब उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई है।
पटनाः बिहार में नीतीश सरकार की ओर से विश्वास मत हासिल करने के पहले स्पीकर अवधि बिहारी चौधरी को पद से हटाने का अश्विस प्रस्ताव पारित हो गया। विधानसभा में स्पीकर की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 125 वोट मिले, जबकि विपक्ष में 112 वोट मिले। 3 आरजेडी विधायकों के ट्रेजरी बेंच पर बैठने पर जताई आपत्ति स्पीकर के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव का पहले ध्वनिमत से पारित हो गया। हालांकि मतदान की प्रक्रिया को लेकर आरजेडी की ओर से सवाल भी उठाया गया। दूसरे सदन के सदस्य को बाहर भेजने की मांग की गई। इससे पहले जेडीयू विधायक डॉ. संजीव भी विधानसभा पहुंचे। उन्होंने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वो नाराज नहीं है, लेकिन अपनी बातों को लेकर नेतृत्व को अवगत करा दिया गया। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान आरजेडी को लगा बड़ा झटका इससे पहले विधानसभा में आरजेडी को तीसरा झटका लगा। सूर्यगढ़ा के आरजेडी विधायक प्रह्लाद यादव भी सत्ता पक्ष की ट्रेजरी बेंच पर नजर आए। इससे पहले आरजेडी विधायक चेतन आनंद और नीलम देवी भी सत्तापक्ष की ओर चली गईं। तेजस्वी यादव ने आरजेडी विधायकों को सत्ता पक्ष में बैठाने पर आपत्ति दर्ज कराई।
कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पश्चिम बंगाल यूनिट ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 35 पर जीत दर्ज करने का बीजेपी ने लक्ष्य रखा है। इन 35 सीटों की जीत के टारगेट के लिए भ्रष्टाचार के मुद्दे से हटकर बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) जैसे भावनात्मक मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया है। बीजेपी की रणनीति पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' से अलग होकर अकेले लड़ने के तृणमूल कांग्रेस के फैसले पर आधारित है। इस कदम ने भाजपा के भीतर टीएमसी विरोधी वोट हासिल करने की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। भाजपा को 2014 में 17 प्रतिशत वोट मिले थे जो 2019 में बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया जिसके परिणामस्वरूप उसे 18 लोकसभा सीटें मिली थीं। बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से आंतरिक कलह और चुनावी झटकों के बावजूद ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने की भाजपा की कोशिशें रंग नहीं लाई हैं। लोकसभा की 42 में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करते हुए बीजेपी अब राम मंदिर और सीएए जैसे भावनात्मक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। मतदाताओं से एकजुट होने की अपील बीजेपी की प्रदेश महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने कहा, 'राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और सीएए लागू करना दोनों ही पार्टी के अहम मुद्दे हैं।' उन्होंने कहा, 'दोनों मुद्दे भावनात्मक हैं और लोग इससे जुड़ सकते हैं।' बीजेपी सांसद और राज्य के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने इन मुद्दों की भावनात्मक अपील का उल्लेख करते हुए हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने और खासतौर से मतुआ समुदाय की शरणार्थी चिंता को हल करने में इनके ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया। ऐसे मदद करेगा राम मंदिर मुद्दा दिलीप घोष ने कहा, 'सीएए लागू करने के वादे ने भाजपा की चुनावी सफलता में एक अहम भूमिका निभाई है।' उन्होंने कहा, 'राम मंदिर के मुद्दे ने पहले भी भाजपा को फायदा पहुंचाया है और इस बार भी यह पश्चिम बंगाल समेत देशभर के हिंदुओं को एकजुट करने में हमारी मदद करेगा।' शांतनु ठाकुर मतुआ समुदाय के राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी का एक अहम हिस्सा मतुआ समुदाय के लोग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में धार्मिक उत्पीड़न से भागकर 1950 से पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं। उनका एकजुट होकर मतदान करना उन्हें एक अहम मतदाता वर्ग बनाता है खासतौर से सीएए पर भाजपा के रुख को देखते हुए। सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के वादों पर भरोसा करते हुए मतुआ समुदाय ने 2019 में राज्य में सामूहिक रूप से भाजपा के लिए वोट किया था।केंद्री य मंत्री और मतुआ समुदाय के नेता शांतनु ठाकुर ने हाल में कहा था कि सीएए को जल्द ही लागू किया जाएगा टीएमसी ने दिया यह जवाब बीजेपी को यह भी लगता है कि पश्चिम बंगाल में 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) गठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने के टीएमसी के फैसले से उसे टीएमसी विरोधी वोट मिलने में मदद मिलेगी। भाजपा की रणनीति का जवाब देते हुए टीएमसी को मतदाताओं से अपनी अपील पर अब भी भरोसा है और वह भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति को अप्रभावी बताकर खारिज कर रही है। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, 'मतदाता पश्चिम बंगाल में भाजपा के विभाजनकारी हथकंडों को नाकाम कर ममता बनर्जी का समर्थन करेंगे।' राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम ने कहा कि भावनात्मक मुद्दों पर भाजपा की निर्भरता उसकी संगठनात्मक कमजोरियों से पैदा हुई है। उन्होंने कहा, 'राम मंदिर, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और सीएए जैसे मुद्दे पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव में हावी रहेंगे।'
नई दिल्ली: इस बार के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से लेकर तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव का पूरा ध्यान रखा है। बीजेपी ने जातीय समीकरण को साधा है। वहीं, टीएमसी ने भी बंगाल में मतुआ संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाली ममता बाला ठाकुर को ऊपरी सदन में भेजने का फैसला कर आम चुनाव से पहले एक बड़ा दांव खेला है। दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन को संसद के उच्च सदन में भेजने की तैयारी है। वहीं सोनिया को भी पार्टी ऊपरी सदन के रास्ते ही संसद पहुंचाना चाहती है। बीजेपी का जातीय समीकरण वाला दांव बीजेपी ने इसबार बिहार के दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी को ऊपरी सदन के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया है। इसके अलावा सरोज पांडेय को भी दोबारा नहीं भेजा रहा है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले जातीय समीकरण पर खास ध्यान दिया है और नए चेहरों पर दांव लगाया है। यूपी के 7 पूर्व राज्यसभा सांसदों में से केवल सुंधाशु त्रिवेदी को फिर से ऊपरी सदन भेजा जा रहा है। इसके अलावा पार्टी ने आरपीएन सिंह को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। पार्टी ने नए चेहरों के साथ-साथ जातीय समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा है। राज्यसभा की जगह 'जनसभा' जाएंगे बीजेपी नेता? केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और पार्टी के प्रवक्ता अनिल बलूनी की जगह नए चेहरों को भगवा दल ने ऊपरी सदन भेजा है। माना जा रहा है कि ये दोनों नेता लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं। कुछ दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा से जनसभा वाला बयान दिया था। उनके इस बयान के बाद ही कयास लगाए जाने लगे थे कि इसबार के चुनाव में कुछ नेताओं को लोकसभा के समर में पार्टी उतार सकती है। रघुराम पर कांग्रेस लगाएगी दांव? कांग्रेस गलियारे में इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि पार्टी पूर्व आरबीआई गर्वनर रघुराम को राज्यसभा कैंडिडेट बना सकती है। इसके अलावा देश की सबसे पुरानी पार्टी अपनी पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा भेज सकती है। पार्टी राज्यसभा कैंडिडेट पर आज ऐलान कर सकती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य वजहों से सोनिया लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। इसलिए पार्टी उन्हें ऊपरी सदन भेजने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बताया कि रघुराम को पार्टी महाराष्ट्र या कर्नाटक से ऊपरी सदन भेज सकती है।
बीजेपी ने राज्यसभा के लिए यूपी से सात प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सूची में फिलहाल कोई पैराशूट चेहरा नहीं है, सभी यूपी से ताल्लुक रखते हैं। सूची में जिन नामों को जगह दी गई है, उनमें सात में से छह नाम संगठन या सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर चुके चेहरे हैं। उम्मीदवारों के नामों के जरिए बीजेपी ने जातीय समीकरण तो साधे ही हैं, कार्यकर्ताओं का हौसला बनाए रखने की भी कोशिश की है। सूची में पिछली बार के नौ में से आठ चेहरे जगह नहीं पा सके हैं। सिर्फ बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है।​ समीकरण और 'हौसला' दोनों साधने पर जोर पिछली बार आंध्र प्रदेश के जीवीएल नरसिम्हा राव को यूपी से राज्यसभा भेजा गया था। बीजेपी ने इस बार पूर्वांचल से चार प्रत्याशी, दो पश्चिम से और एक अवध क्षेत्र से बनाया है। इस बार सूची में जातीय समीकरण साधने के सबसे ज्यादा पिछड़ों को तरजीह दी गई है। इनमें एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक क्षत्रिय के अलावा चार पिछड़ों (एक कुर्मी और एक मौर्य, एक जाट और एक बिंद) को जगह दी गई है। सूची में इस बार दो ब्राह्मणों (अशोक वाजपेयी और सुधांशु त्रिवेदी) की बजाए एक को ही जगह दी गई है, वहीं एक भी दलित, राजभर और यादव शामिल नहीं है। माना जा रहा है कि ओम प्रकाश राजभर के बीजेपी के आने के बाद अब दूसरी पिछड़ी जातियों को तरजीह दी जा रही है। मथुरा से तीन बार सांसद रह चुके हें तेजवीर सिंह मथुरा के तीन बार के सांसद और कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन रहे तेजवीर सिंह जाट बिरादरी के हैं। वह मथुरा से टिकट चाह रहे थे, लेकिन इस बार उन्हें राज्यसभा प्रत्याशी बनाया गया है। केशव मौर्य के करीबी हैं अमर पाल मौर्य बीजेपी प्रदेश संगठन में दो बार महामंत्री रह चुके अमर पाल मौर्य कभी मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती के करीबी माने जाते थे। संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले अमरपाल डिप्टी सीएम केशव मौर्य के भी करीबी हैं। 2022 में उन्हें बीजेपी ने ऊंचाहार से टिकट दिया पर वह हार गए। इस बार वह फिर से प्रदेश महामंत्री बनाए गए थे। वह कई अभियानों के प्रभारी भी हैं। पिछड़े वर्ग से आने वाले अमरपाल को इस बार राज्यसभा प्रत्याशी बनाया गया है। आगरा के मेयर रह चुके हैं नवीन जैन बीजेपी के पूर्व सह कोषाध्यक्ष नवीन जैन आगरा के मेयर रह चुके हैं। इस बार सीट रिजर्व होने की वजह से उन्हें मेयर का टिकट नहीं मिला था। आगरा एक्सप्रेस-वे बनाने वाले और एक निर्माण कंपनी के अगुआ नवीन जैन पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। मनोज सिन्‍हा की करीबी मानी जाती हैं संगीता बलवंत​ संगीता बलवंत बिंद भी अति पिछड़े वर्ग से आती हैं। उन्हें भी प्रत्याशी बनाया गया है। जम्मू कश्मीर के गर्वनर मनोज सिन्हा की करीबी मानी जाने वाली संगीता 2017 में गाजीपुर सदर सीट से विधायक बनीं तो उन्हें सहकारिता राज्यमंत्री बनाया गया था। इस बार वह चुनाव हार गई थीं। संगीता यूपी महिला बाल एवं विकास समिति की सभापति भी रह चुकी हैं। इसके बाद भी वह पार्टी के लिए काम कर रही थीं। साधना सिंह को मिला धैर्य रखने का इनाम बीजेपी ने पार्टी में संगठन में काम करने वाले और धीरज न खोने वालों को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। भाजपा ने 2022 के चुनाव में चंदौली के मुगलसराय से प्रत्याशी रहीं साधना सिंह का टिकट काटकर रमेश जायसवाल को प्रत्याशी बना दिया था। क्षत्रिय बिरादरी से आने वाली साधना सिंह ने धैर्य नहीं खोया और पार्टी के लिए काम करती रहीं। उन्होंने अपनी राजनीति व्यापारी संगठनों के लिए काम करके शुरू की थी। कुशीनगर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे आरपीएन सिंह कांग्रेस छोड़कर 2022 में बीजेपी में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को भी राज्यसभा प्रत्याशी बनाया गया है। वह कुशीनगर से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे। बीजेपी ने कांग्रेस से आए आरपीएन को राज्यसभा भेजकर यह जताने की कोशिश तो की है कि वह अपना वादा जरूर पूरा करती है। अब माना जा रहा है कि कुशीनगर से पार्टी अपने ही किसी चेहरे को चुनाव लड़ाएगी।
मेंढर/जम्मू: भारतीय सेना के जवानों ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास एक पाकिस्तानी ड्रोन पर गोलाबारी की। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन रविवार देर रात भारतीय क्षेत्र में कुछ देर मंडराने के बाद पाकिस्तान की ओर लौट गया। उन्होंने बताया कि इलाके में तलाशी अभियान जारी है। सेना की ओर से बताया गया कि मेंढर के नार मनकोट इलाके में दुश्मन के ड्रोन की गतिविधि देखी गई। इसके बाद नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों ने उसे गिराने के लिए उस पर कम से कम तीन गोलियां चलाईं। अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सैनिकों की गोलीबारी के बाद ड्रोन पाकिस्तान की ओर लौट गया। उन्होंने बताया कि इलाके में तलाशी अभियान जारी है। ड्रोन देखे जाने की संख्या में इजाफा दरअसल पिछले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर सीमा के पास ड्रोन देखे जाने की संख्या में इजाफा हुआ है। इन ड्रोनों का उपयोग दुश्मन की ओर से आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए भारतीय क्षेत्र के अंदर ड्रग्स और हथियार गिराने के लिए किया जाता है। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बल सीमा पार से ऐसे सभी प्रयासों को विफल करने के लिए हाई अलर्ट बनाए हुए हैं।
नई दिल्ली: देश साल 2024 में प्रवेश कर चुका है। इसके साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां भी शुरू हो गई हैं। लोकसभा चुनाव में मुकाबला एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन है। मोदी सरकार से मुकाबले लिए खड़ा विपक्षी गठबंधन ही कमजोर होता जा रहा है। चुनाव को बमुश्किल 3 महीने ही बचे हैं लेकिन अभी तक सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पाई है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच पंजाब में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत ना हो पाने के बावजूद, दोनों पार्टियों ने दिल्ली में साथ आने पर इनकार नहीं किया है। आप (आम आदमी पार्टी) और कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में 7 सीटों के लिए गठबंधन की बातचीत अभी भी चल रही है। दोनों पार्टियों ने इस संभावना को अभी पूरी तरह खारिज नहीं किया है। 'आप' ने सभी बातचीत जल्द से जल्द खत्म करने की जिम्मेदारी कांग्रेस पर डाली है, ताकि चुनाव प्रचार शुरू किया जा सके। पंजाब में अलग-अलग, दिल्ली में साथ-साथटाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आम आदमी पार्टी ने बताया कि हम INDIA गठबंधन के साथ मजबूती से जुड़े हैं। हमारा साझा लक्ष्य बीजेपी को हराना है। अगर हमें बीजेपी को हराना है तो समय बहुत जरूरी है। हम उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस सीट बंटवारे की बातचीत जल्दी से जल्दी खत्म कर लेगी। पंजाब के बारे में आप ने कहा, 'शुरुआत में, हम और कांग्रेस की स्थानीय इकाइयों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का पक्ष लिया था, इसलिए हमने उनके फैसले का सम्मान किया है। अन्य राज्यों के बारे में बातचीत अभी जारी है।'
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस ने आगामी राज्यसभा भेजने के लिए चार नामों की घोषणा कर दी है। टीएमसी ने वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष, पार्टी नेता सुष्मिता देव, नदीमुल हक और ममता बाला ठाकुर के नामों की रविवार को घोषणा की। टीएमसी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि हमें आगामी राज्यसभा चुनावों के लिए सागरिका घोष, सुष्मिता देव, मोहम्मद नदीमुल हक और ममता बाला ठाकुर की उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। टीएमसी ने कहा कि हम उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं और आशा करते हैं कि वे हर भारतीय के अधिकारों की रक्षा के लिए अदम्य भावना और मुखर होने की तृणमूल की स्थायी विरासत को बनाए रखने की दिशा में काम करें। बता दें कि पश्चिम बंगाल में राज्यसभा की पांच सीटों पर चुनाव होंगे। इन पांच सीटों में से एक सीट पर भाजपा की जीत तय है। वहीं बाकी की चार सीटों पर टीएमसी को जीत मिल सकती है। यही वजह है कि टीएमसी ने अभी चार नामों का ही एलान किया है। सुष्मिता देव को टीएमसी ने एक बार फिर राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। नदीमुल हक को भी दोबारा राज्यसभा भेजा जाएगा। वहीं पत्रकार सागरिका घोष को पहली बार राज्यसभा जाने का मौका मिल रहा है। इनका कार्यकाल हो रहा समाप्त दरअसल तृणमूल कांग्रेस के अबीर बिस्वास, सुभाशीष चक्रवर्ती, नदीमुल हक, शांतनु सेन और कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी का कार्यकाल दो अप्रैल को समाप्त हो रहा है। राज्यसभा सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों की संख्या 216 है। इनके आधार पर चार सीटों पर टीएमसी की जीत तय है। भाजपा के 67 विधायक हैं और भाजपा को भी एक सीट पर जीत मिल सकती है।
लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दी है। बीजेपी की नजर सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई है, वहीं समाजवादी पार्टी भी पूरी ताकत के साथ सत्ताधारी दल को टक्कर देने की तैयारी कर रही है। उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें आती हैं। बीजेपी ने 2024 में सभी 80 सीटों पर विजय हासिल करने का लक्ष्य रखा है जिसके लिए हर संभव कोशिश संगठन और सरकार के द्वारा किया जा रहा है। रविवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया है की सरकार के कार्यों का लेखा जोखा तैयार करके घर- घर जाएंगे। जिसको लेकर गांव चलो अभियान शुरू किया जा रहा है। 5 मार्च तक किसान मोर्चा करेगा परिक्रमा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने बताया कि इस अभियान में सीएम योगी समेत संगठन और सरकार के सभी लोग शामिल होंगे। रविवार को दोनों डिप्टी सीएम 24 घंटे के प्रवास पर रहेंगे। जिसमें केशव मौर्य अयोध्या के एक गांव में और ब्रजेश पाठक बाराबंकी के एक गांव में प्रवास करेंगे। वहीं सोमवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा किसान मोर्चे के कार्यक्रम में मुजफ्फरनगर से शुरुआत करेंगे। किसान मोर्चा के गांव परिक्रमा कार्यक्रम 12 जनवरी से 5 मार्च तक चलेगा। जिसमें गांव- गांव में चौपाल की जाएगी। वहीं केंद्रीय नेतृत्व से तय होने के बाद सीएम योगी समेत सभी लोग 24 घंटे के लिए एक गांव में प्रवास पर रहेंगे। 47 हजार स्थानों पर पहुंच चुके हैं कार्यकर्ता भारतीय जनता पार्टी पूरी मजबूती के साथ अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश में जुटी है यही वजह है हर गांव के प्रभारी अपने ड्यूटी गांव में प्रवास करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि 1 लाख 72 हज़ार गांव और शहरी स्थानों पर पार्टी के कार्यकर्ता नेता संपर्क करेंगे और 24 घंटे तक गांव में प्रवास करेंगे। वहीं 27 जनवरी को इस कार्यक्रम को लेकर कार्यशाला भी आयोजित की गई थी। 7 जनवरी से 10 फरवरी तक ये अभियान चल रहा है और अबतक 47 हजार स्थानों तक पार्टी के कार्यकर्ता पहुंचे हैं।
हल्द्वानी: उत्तराखंड मेंहल्द्वानी हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक और उसका बेटा पुलिस के हाथ आ गये हैं। इसके अलावा पुलिस ने सपा नेता के भाई को भी हल्द्वानी हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया है। हल्द्वानी हिंसा मामले में पुलिस ने अभीतक तीन मुकदमे दर्ज किए हैं। वही 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें 19 नामजद समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में वनभूलपुरा क्षेत्र में अवैध मदरसा और मस्जिद को हटाने को लेकर उपद्रवियों द्वारा हिंसा की गई थी। वहीं उपद्रवियों की हिंसा की आग में झुलसे हल्द्वानी से कर्फ्यू हटाया गया। घटना वाले क्षेत्र बनभूलपुरा में यह कर्फ्यू अग्रिम आदेशों तक जारी रहेगा। वहीं मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। नैनीताल जिले के एएससपी पहलाद राय मीणा ने बताया कि हमारे द्वारा तीन एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें पांच लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि अन्य लोगों की गिरफ्तारी को लेकर भी पुलिस टीम में लगी हुई है। जल्द ही अन्य अभियुक्तों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। एसएसपी ने बताया कि मुख्य अभियुक्त अब्दुल मलिक को गिरफ्तारी कर लिया गया है। अवैध निर्माण का कार्य अब्दुल मलिक व उसके बेटे के द्वारा ही किया गया था। अवैध अतिक्रमण हटाने के दौरान सबसे ज्यादा विरोध भी अब्दुल मलिक के द्वारा ही किया गया था।
नई दिल्ली,संसद में बजट सेशन के आखिरी दिन शनिवार को राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने श्वेत पत्र पर चर्चा करते हुए एक बार फिर यूपीए सरकार पर निशाना साधा। वित्त मंत्री ने कहा- कांग्रेस को गुड़ का गोबर करना आता है। इन्होंने यूपीए शासनकाल में पूर्वोत्तर को पूरी तरह से भुला दिया था। पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा सांसद रहे, वहीं कुछ कर लेते। निर्मला सीतारमण ने 8 फरवरी को लोकसभा में भारतीय अर्थव्यवस्था पर 59 पेज का श्वेत पत्र पेश किया था। जिस पर उन्होंने 9 फरवरी को स्पीच दी। इसमें बताया गया है कि जब 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। बाद में मोदी सरकार ने कठोर फैसले लिए, जिससे अर्थव्यवस्था पटरी पर आई। वित्त मंत्री बोलीं- वाजपेयी सरकार में मुद्रास्फीति 4% से नीचे थी सत्र के आखिरी दिन भी वित्त मंत्री ने यूपीए सरकार के दौरान खराब अर्थव्यवस्था का जिक्र किया। राज्यसभा में सीतारमण ने कहा- बार-बार हमारे सामने आंकड़े उछाले जाते हैं। मुद्रास्फीति यह है, मुद्रास्फीति वह है। मैं सिर्फ यह बताना चाहती हूं कि अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार के आखिरी साल में मुद्रास्फीति 4% से नीचे थी। लेकिन उन्हें (कांग्रेस) गुड़ को गोबर करनै में महारत हासिल है। 2004 में, जब प्रधानमंत्री वाजपेयी की एनडीए सरकार ने आपको 4% से नीचे मुद्रास्फीति के साथ इसे सौंपा था, तो आपने इसके साथ क्या किया? लापरवाह राजकोषीय नीति और फिजूलखर्ची ने इसे बर्बाद कर दिया। मोदी सरकार में पूर्वोत्तर को मिला दूसरा रेलवे स्टेशन वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर पूर्वोत्तर राज्यों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया। सीतारमण ने कहा- स्वतंत्र भारत के इतिहास में मोदी शासनकाल में पूर्वोत्तर हिस्से में देश को दूसरा रेलवे स्टेशन मिला, लेकिन आप (कांग्रेस) तो पूर्वोत्तर को भूल बैठे थे। कम से कम आप याद रखें कि डॉ. मनमोहन सिंह खुद असम से 28 साल तक राज्यसभा सांसद थे, आपको वहां थोड़ा काम करना चाहिए था। आज, जब हम श्वेत पत्र ला रहे हैं, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि हम अर्थव्यवस्था को एक निश्चित स्तर पर ले आए हैं और वह स्तर हमें विश्वास दिलाता है कि अब हम यह कह सकते हैं अगले कुछ सालों में, जैसा कि पीएम मोदी कहते हैं कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी। यह दावा यूं ही नहीं है।
नई दिल्ली,गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) लागू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि CAA देश का एक्ट है, इसे हम यकीनन नोटिफाई करेंगे। इसे चुनाव से पहले नोटिफाई किया जाएगा और चुनाव से पहले इसे लागू भी किया जाएगा। इसे लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए। अमित शाह ने शनिवार को ET नाउ-ग्लोबल बिजनेस समिट में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने CAA लागू करने का वादा किया था। जब कई देशों में अल्पसंख्यक लोगों पर अत्याचार हो रहे थे, तो कांग्रेस ने रिफ्यूजियों को भरोसा दिलाया था कि वे भारत आ सकते हैं। उन्हें यहां की नागरिकता दी जाएगी, लेकिन अब कांग्रेस अपनी बात से मुकर रही है। गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश के अल्पसंख्यक समुदायों, खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को उकसाया जा रहा है। CAA किसी की सिटिजनशिप नहीं छीन सकता है, क्योंकि इसमें ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। CAA ऐसा एक्ट है जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अत्याचार सह रहे रिफ्यूजियों को नागरिकता दिलाएगा। अलग-अलग मुद्दों पर अमित शाह की 9 बड़ी बातें... 1. लोकसभा चुनाव 2024 पर: आजाद भारत का ये पहला ऐसा चुनाव होगा, जिसमें भारत को महान राष्ट्र बनाने के एजेंडे पर चुनाव लड़ा जाएगा और जनता का फैसला भी महान भारत के मुद्दे पर ही आएगा। पीएम मोदी ने 2047 तक आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत का एजेंडा देश की जनता के सामने रखा है। मेरा मानना है कि 2047 से पहले पीएम मोदी के तीसरे टर्म में ही इसका ज्यादातर काम पूरा कर लिया जाएगा। जहां तक चुनाव के नतीजों का सवाल है, उसमें कोई सस्पेंस नहीं बचा है। जिनके सामने हमें चुनाव लड़ना है, वे भी संसद में आश्वस्त दिखते हैं कि इस बार भी उन्हें विपक्ष में ही बैठना है। 2. भाजपा की विचारधारा पर: भाजपा अपनी विचारधारा, अपने एजेंडा और अपने कार्यक्रम के साथ अडिग है। कई साथी आते हैं, कई साथी चले जाते हैं। भाजपा ने कभी किसी साथी को NDA से नहीं निकाला है, हमने हमेशा गठबंधन का धर्म निभाया है। हमारी विचारधारा जनसंघ की स्थापना से लेकर आज तक एक ही है और भविष्य में भी इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। ये विचारधारा जिसे भी सही लगती है, वो हमारे साथ आए तो उनका स्वागत हैं। 3. NDA बनाम I.N.D.I अलायंस पर: ये चुनाव NDA बनाम I.N.D.I गठबंधन नहीं बल्कि घोर निराशा और उज्ज्वल भविष्य के बीच है। ये चुनाव भ्रष्टाचार से युक्त शासन और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के बीच में है। ये चुनाव आतंकवादियों के साथ बातचीत की पॉलिसी वालों और आतंकवाद को खत्म करने की पॉलिसी वालों के बीच में है। 4. श्वेत पत्र पर: श्वेत पत्र से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। सिर्फ UPA 1 और UPA 2 में ही 12 लाख करोड़ के घोटाले करके इन्होंने जनता में एक निराशा का माहौल बना दिया था। आज 10 साल बाद हमारे विरोधी भी हम पर 1 पैसे के भी घोटाले का आरोप नहीं लगा सकते, इस प्रकार का शासन हमने दिया है। 5. पीएम मोदी की जाति पर हुई कंट्रोवर्सी पर: मैं देश के सामने साफ करना चाहता हूं कि मोदी जी की जाति गुजरात में 25 जुलाई, 1994 को लिस्ट की गई। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेस के ही छबील दास मेहता थे। नरेंद्र मोदी उस समय तक एक भी चुनाव नहीं लड़े थे। 6. राहुल गांधी पर: राहुल गांधी की पॉलिसी है- झूठ बोलो, सार्वजनिक रूप से बोलो और बार-बार बोलो। ये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पीएम मोदी जैसे नेता की जाति पर कोई चर्चा कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा है कि मैं OBC हूं और ओबीसी एक वर्ग होता है, जाति नहीं ये शायद राहुल गांधी जी को उनके अध्यापकों ने नहीं पढ़ाया। 7. भारत रत्न पर: जिन 3 महापुरुषों को शुक्रवार को भारत रत्न दिया गया है, उन्होंने अपने अपने समय में देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज देश में किसानों की भूमि अगर उनके नाम पर है तो इसका संपूर्ण यश चौधरी चरण सिंह जी को जाता है, क्योंकि जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तो वो कम्युनिस्ट पैटर्न पर सामूहिक खेती की योजना लेकर आए थे, तब चौधरी चरण सिंह अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने इसका विरोध किया और कांग्रेस छोड़ दी थी। 8. राम मंदिर पर: लगभग 500 साल से दुनियाभर के लोग मानते थे कि प्रभु राम का मंदिर वहीं बनना चाहिए जहां उनका जन्म हुआ था। बहुत सारे आंदोलन हुए, कानूनी लड़ाई लड़ी गई, लेकिन वर्षों तक इस मामले को दबाया गया, कभी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण और कभी कानून व्यवस्था का भय दिखाकर दबाया गया। राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद कोई हार-जीत का सवाल नहीं आया और न ही किसी ने जुलूस निकाला। आज गौरव के साथ भव्य राम मंदिर बन गया है। 9. पीएम मोदी की पॉलिसी पर: नरेंद्र मोदी सरकार की पॉलिसी बहुत साफ है- सबके साथ संवाद करना, लेकिन संवाद के बाद भी अगर कोई हथियार लेकर देश में अशांति फैलाता है, तो उसके साथ कठोर से कठोर कार्रवाई करना, ये हमारी स्पष्ट नीति है। हमारे ही समय में (2019-24) पूर्वोत्तर में 20 से अधिक शांति समझौते हुए हैं। 9 हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने हथियार डालकर सरेंडर किया और वे मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। कई सीमा विवाद हमारी सरकार ने सुलझाए हैं। शाह ने कोलकाता में कहा था- CAA को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता पिछले साल दिसंबर में कोलकाता में एक रैली के दौरान भी गृह मंत्री ने कहा था कि CAA को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। शाह ने घुसपैठ, भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा और तुष्टीकरण के मुद्दों पर ममता बनर्जी काे घेरा था। उन्होंने लोगों से ममता सरकार को बंगाल से हटाने और 2026 विधानसभा चुनाव में भाजपा को चुनने का आग्रह किया था। वहीं, 12 दिन पहले केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा था कि मैं गांरटी देता हूं कि देशभर में 7 दिनों के अंदर नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो जाएगा। बनगांव से भाजपा के सांसद ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक रैली को संबोधित कर रहे थे।
नई दिल्ली,गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) लागू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि CAA देश का एक्ट है, इसे हम यकीनन नोटिफाई करेंगे। इसे चुनाव से पहले नोटिफाई किया जाएगा और चुनाव से पहले इसे लागू भी किया जाएगा। इसे लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होना चाहिए। अमित शाह ने शनिवार को ET नाउ-ग्लोबल बिजनेस समिट में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने CAA लागू करने का वादा किया था। जब कई देशों में अल्पसंख्यक लोगों पर अत्याचार हो रहे थे, तो कांग्रेस ने रिफ्यूजियों को भरोसा दिलाया था कि वे भारत आ सकते हैं। उन्हें यहां की नागरिकता दी जाएगी, लेकिन अब कांग्रेस अपनी बात से मुकर रही है। गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश के अल्पसंख्यक समुदायों, खासतौर पर मुस्लिम समुदाय को उकसाया जा रहा है। CAA किसी की सिटिजनशिप नहीं छीन सकता है, क्योंकि इसमें ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। CAA ऐसा एक्ट है जो बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अत्याचार सह रहे रिफ्यूजियों को नागरिकता दिलाएगा। अलग-अलग मुद्दों पर अमित शाह की 9 बड़ी बातें... 1. लोकसभा चुनाव 2024 पर: आजाद भारत का ये पहला ऐसा चुनाव होगा, जिसमें भारत को महान राष्ट्र बनाने के एजेंडे पर चुनाव लड़ा जाएगा और जनता का फैसला भी महान भारत के मुद्दे पर ही आएगा। पीएम मोदी ने 2047 तक आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत का एजेंडा देश की जनता के सामने रखा है। मेरा मानना है कि 2047 से पहले पीएम मोदी के तीसरे टर्म में ही इसका ज्यादातर काम पूरा कर लिया जाएगा। जहां तक चुनाव के नतीजों का सवाल है, उसमें कोई सस्पेंस नहीं बचा है। जिनके सामने हमें चुनाव लड़ना है, वे भी संसद में आश्वस्त दिखते हैं कि इस बार भी उन्हें विपक्ष में ही बैठना है। 2. भाजपा की विचारधारा पर: भाजपा अपनी विचारधारा, अपने एजेंडा और अपने कार्यक्रम के साथ अडिग है। कई साथी आते हैं, कई साथी चले जाते हैं। भाजपा ने कभी किसी साथी को NDA से नहीं निकाला है, हमने हमेशा गठबंधन का धर्म निभाया है। हमारी विचारधारा जनसंघ की स्थापना से लेकर आज तक एक ही है और भविष्य में भी इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। ये विचारधारा जिसे भी सही लगती है, वो हमारे साथ आए तो उनका स्वागत हैं। 3. NDA बनाम I.N.D.I अलायंस पर: ये चुनाव NDA बनाम I.N.D.I गठबंधन नहीं बल्कि घोर निराशा और उज्ज्वल भविष्य के बीच है। ये चुनाव भ्रष्टाचार से युक्त शासन और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के बीच में है। ये चुनाव आतंकवादियों के साथ बातचीत की पॉलिसी वालों और आतंकवाद को खत्म करने की पॉलिसी वालों के बीच में है। 4. श्वेत पत्र पर: श्वेत पत्र से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। सिर्फ UPA 1 और UPA 2 में ही 12 लाख करोड़ के घोटाले करके इन्होंने जनता में एक निराशा का माहौल बना दिया था। आज 10 साल बाद हमारे विरोधी भी हम पर 1 पैसे के भी घोटाले का आरोप नहीं लगा सकते, इस प्रकार का शासन हमने दिया है। 5. पीएम मोदी की जाति पर हुई कंट्रोवर्सी पर: मैं देश के सामने साफ करना चाहता हूं कि मोदी जी की जाति गुजरात में 25 जुलाई, 1994 को लिस्ट की गई। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री कांग्रेस के ही छबील दास मेहता थे। नरेंद्र मोदी उस समय तक एक भी चुनाव नहीं लड़े थे। 6. राहुल गांधी पर: राहुल गांधी की पॉलिसी है- झूठ बोलो, सार्वजनिक रूप से बोलो और बार-बार बोलो। ये बड़े दुर्भाग्य की बात है कि पीएम मोदी जैसे नेता की जाति पर कोई चर्चा कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा है कि मैं OBC हूं और ओबीसी एक वर्ग होता है, जाति नहीं ये शायद राहुल गांधी जी को उनके अध्यापकों ने नहीं पढ़ाया। 7. भारत रत्न पर: जिन 3 महापुरुषों को शुक्रवार को भारत रत्न दिया गया है, उन्होंने अपने अपने समय में देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज देश में किसानों की भूमि अगर उनके नाम पर है तो इसका संपूर्ण यश चौधरी चरण सिंह जी को जाता है, क्योंकि जब जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तो वो कम्युनिस्ट पैटर्न पर सामूहिक खेती की योजना लेकर आए थे, तब चौधरी चरण सिंह अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने इसका विरोध किया और कांग्रेस छोड़ दी थी। 8. राम मंदिर पर: लगभग 500 साल से दुनियाभर के लोग मानते थे कि प्रभु राम का मंदिर वहीं बनना चाहिए जहां उनका जन्म हुआ था। बहुत सारे आंदोलन हुए, कानूनी लड़ाई लड़ी गई, लेकिन वर्षों तक इस मामले को दबाया गया, कभी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण और कभी कानून व्यवस्था का भय दिखाकर दबाया गया। राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद कोई हार-जीत का सवाल नहीं आया और न ही किसी ने जुलूस निकाला। आज गौरव के साथ भव्य राम मंदिर बन गया है। 9. पीएम मोदी की पॉलिसी पर: नरेंद्र मोदी सरकार की पॉलिसी बहुत साफ है- सबके साथ संवाद करना, लेकिन संवाद के बाद भी अगर कोई हथियार लेकर देश में अशांति फैलाता है, तो उसके साथ कठोर से कठोर कार्रवाई करना, ये हमारी स्पष्ट नीति है। हमारे ही समय में (2019-24) पूर्वोत्तर में 20 से अधिक शांति समझौते हुए हैं। 9 हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने हथियार डालकर सरेंडर किया और वे मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। कई सीमा विवाद हमारी सरकार ने सुलझाए हैं। शाह ने कोलकाता में कहा था- CAA को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता पिछले साल दिसंबर में कोलकाता में एक रैली के दौरान भी गृह मंत्री ने कहा था कि CAA को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। शाह ने घुसपैठ, भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा और तुष्टीकरण के मुद्दों पर ममता बनर्जी काे घेरा था। उन्होंने लोगों से ममता सरकार को बंगाल से हटाने और 2026 विधानसभा चुनाव में भाजपा को चुनने का आग्रह किया था। वहीं, 12 दिन पहले केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा था कि मैं गांरटी देता हूं कि देशभर में 7 दिनों के अंदर नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो जाएगा। बनगांव से भाजपा के सांसद ठाकुर दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक रैली को संबोधित कर रहे थे।
मेरठ: केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को भारतरत्न देने का ऐलान किया है। आरएलडी और जाट समाज पिछले तीन दशक से किसान नेता चरण सिंह को भारतरत्न देने की मांग कर रहा था। लोकसभा चुनाव से पहले चरण सिंह को भारतरत्न देकर बीजेपी ने अपना इरादा साफ कर दिया है। वेस्टर्न यूपी के जाट नेता जयंत चौधरी इंडिया में बने रहेंगे या एनडीए के पार्टनर बनेंगे, इस पर भी कन्फ्यूजन लगभग खत्म हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के पहले जयंत चौधरी को भारी भरकम पैकेज ऑफर किया है। इस पैकेज में इतने ऑफर हैं, जिससे जयंत चौधरी अगले पांच साल तक केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्ता का सुख ले सकते हैं। दूसरी ओर अखिलेश यादव की ओर से उन्हें सात लोकसभा सीटों का ऑफर मिला है। समाजवादी पार्टी ने कई सीटों पर सपा के सिंबल पर आरएलडी के कैंडिडेट उतारने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि आरएलडी के नेता ने दावा किया है कि पार्टी अभी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। छोटे चौधरी अभी इंडिया और एनडीए के ऑफर को तौल रहे हैं। जयंत का एनडीए में रास्ता साफ करने के लिए केंद्र सरकार ने चौधरी चरण सिंह को भारतरत्न देने का ऐलान कर दिया है। गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देकर नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को एनडीए में लाने की राह खोल दी थी।
नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, आर्थिक सुधारों के जनक पीवी नरसिम्हा राव और मशहूर कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। पीएम मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी। कुछ दिन पहले ही सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की घोषणा की थी। पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है। पीएम मोदी ने नरसिम्हा राव के बारे में सम्मान की घोषणा के साथ लिखा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे पूर्व प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव गारू को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में, नरसिम्हा राव गारू ने विभिन्न क्षमताओं में बड़े पैमाने पर भारत की सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। पीएम ने लिखा कि उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखने में सहायक था। पीएम मोदी ने आगे लिखा कि प्रधान मंत्री के रूप में नरसिम्हा राव गारू का कार्यकाल महत्वपूर्ण कदमों के लिए याद किया जाता है। उन्होंने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया। इससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।
हल्द्वानी: नैनीताल जिले के हल्द्वानी के वनभूलपुरा इलाके में हुए उपद्रव पर उत्तराखंड सरकार कड़ी नजर बनाए हुए है। उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी शुक्रवार को हल्द्वानी घटनास्थल वनभुलपुरा क्षेत्र में पहुंचकर उपद्रवियों द्वारा फूंकी गई पुलिस चौकी का निरक्षण किया। उन्होंने कहा कि उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं। मुख्य सचिव कहा कि में मौके के निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ब्रीफ किया जाएगा। इसके बाद जो भी करवाई करनी होगी, वो मीडिया को ब्रीफ की जाएगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी बताया कि अभी हम निरक्षण के लिए पहुंचे है। इसके बाद एक्शन प्लान किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि जो मीडियाकर्मी इस हमले में घायल हुए हैं, मैं आशा करती हूं वह जल्द ही स्वस्थ हो जाए। 300 से ज्यादा लोग घायल गौरतलब है कि इस उपद्रव में पुलिस के अनुसार 3 लोगों की मौत हुई है, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हैं। उत्तराखंड में इस उपद्रव के बाद हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। नैनीताल जिले के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में सरकारी जमीन से अवैध मदरसे और मस्जिद को हटाने के दौरान हुए उपद्रव पर उत्तराखंड की धामी सरकार सख्त है। सीएम धामी ने देहरादून में अफसरों के साथ हाई लेवल की मीटिंग कर उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। एक-एक उपद्री की हो रही पहचान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि पथराव और आगजनी करने वाले एक-एक उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। वहीं पुलिस द्वारा शुक्रवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली जा रही है। मौके पर आईआरबी की बटालियन, सीआरपीएफ के जवान भी मौके पर मौजूद हैं। पुलिस की माने तो उपद्रवियों से निपटने के लिए पुलिस पूरी तरीके से तैयार है। वहीं मौके पर आग के हवाले किए गए वाहनों को पुलिस-प्रशासन द्वारा उठाए जा रहा है।
बरेलीः उत्तर प्रदेश के बरेली में मौलाना तौकीर रजा ने जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया है। हल्द्वानी हिंसा और ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले के खिलाफ रजा ने विरोध का ऐलान किया था। इसके बाद उनके समर्थन में तमाम लोग सड़कों पर आ गए। इस दौरान रजा के विवादित बयान से माहौल और अशांत हो गया है। जुमे की नमाज के बाद रजा के समर्थन में तमाम लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इसे लेकर प्रशासन भी चौकन्ना हो गया है। बरेली और आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। तौकीर रजा समेत 20 लोगों को नोटिस जारी किया गया है। हल्द्वानी हिंसा पर दिया विवादित बयान दरअसल, बनभूलपुरा के इंदिरा नगर क्षेत्र में मलिक के बगीचे में बने अवैध मदरसे और नमाज स्थल को नगर निगम की टीम ने जेसीबी मशीन लगाकर ध्वस्त कर दिया। इस दौरान मौके पर नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय, सिटी मैजिस्ट्रेट ऋचा सिंह, उप जिलाधिकारी परितोष वर्मा समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान मलिक के बगीचे के आसपास रहने वाले तमाम कथित अराजक तत्वों ने पुलिस और प्रशासन के ऊपर पथराव कर दिया जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस दौरान वहां मौजूद कई पत्रकारों को भी चोटें आयीं। अराजक तत्वों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और फिर हल्का बल प्रयोग किया। हल्द्वानी की घटना के बाद इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल यानी आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि हमें अपने देश से प्यार है इसलिए हमने अब तक चुप्पी साधे रखी थी। हमारी चुप्पी को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। अब पानी सिर से ऊपर हो गया है। लोकतंत्र में अगर हमारी बात नहीं सुनी जाएगी तो ऐसी आजादी हमें नहीं चाहिए। तौकीर रजा ने कहा कि आज देश में ऐसी सरकार शासन कर रही है, जो हमारी आवाज दबा रही है। हल्द्वानी हिंसा पर तौकीर रजा ने कहा कि हमारी आवाज को अब दबाया नहीं जा सकता है। मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि हम किसी बुलडोजर को अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। रजा ने जुमे की नमाज के बाद गिरफ्तारी का ऐलान किया है। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि देश में नफरत का माहौल बना दिया गया है। हम सब की जिम्मेदारी है कि अपनी इबादतगाहों को बचाए रखने के लिए संविधान में दिए अधिकार के साथ हम शांतिपूर्वक अपना विरोध दर्ज कराएं। मौलाना रजा ने कहा कि हमसे बोलने का अधिकार छीना जा रहा है। जुल्म को किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार की स्थिति हम नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम जब कुछ नहीं कर सकते तो ऐसी आजादी से बेहतर जेल जाना है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर नई बहस छेड़ दी है। राहुल गांधी ने दावा किया है कि पीएम मोदी का जन्म ओबीसी वर्ग में नहीं हुआ था। वे गुजरात की तेली जाति में पैदा हुए थे। इस समुदाय को बीजेपी ने साल 2000 में ओबीसी का टैग दिया था। उनका जन्म सामान्य जाति में हुआ था। केंद्र की बीजेपी सरकार की आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वे (पीएम मोदी) कभी जातीय जनगणना नहीं होने देंगे क्योंकि उनका जन्म ओबीसी में नहीं हुआ, उनका जन्म सामान्य जाति में हुआ है। राहुल गांधी का दावा लोगों को बेवकूफ बना रही बीजेपी राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी की जाति को लेकर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे इसलिए पता है कि क्योंकि पीएम मोदी कभी भी गरीब, किसानों और पिछड़े वर्ग के लोगों का हाथ नहीं पकड़ते। ये सिर्फ अडाणी का हाथ पकड़ते हैं। अडाणी का नाम लेकर बीजेपी को घेरा राहुल गांधी ने कहा कि देश में आज भयंकर सामाजिक अन्याय हो रहा है। आप GST भरते हैं और मजा अडानी जैसे लोग उठाते हैं। क्योंकि अडानी खदान ख़रीदता है, सड़क और पुल के टेंडर लेता है, मीडिया को कंट्रोल करता है। फिर उसी की मीडिया हम से पूछती है कि आप जातिगत जनगणना की बात क्यों कर रहे हैं? जातिगत जनगणना को लेकर राहुल ने पीएम मोदी को घेरा राहुल ने कहा कि मैंने जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय की बात की तो पीएम मोदी ने कहा- देश में सिर्फ दो जातियां हैं-अमीर और गरीब। अगर दो जातियां हैं तो आप क्या हैं? गरीब तो आप हैं नहीं। आप करोड़ों का सूट पहनते हैं। दिन में कई बार कपड़े बदलते हैं, फिर झूठ बोलते हैं कि मैं ओबीसी वर्ग का आदमी हूं।

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