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भारत की चौतरफा रणनीति का असर, पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने लगे चीन के सैनिक

नई दिल्ली पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ जारी विवाद में भारत की चौतरफा रणनीति का असर दिखाई देने लगा है। 5 मई से ही आक्रामक रुख अपना रही चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) बीते तीन-चार दिनों से इलाके में कुछ विशेष हलचल नहीं कर रही है और शांत है। सूत्रों के मुताबिक, पीएलए ने उन इलाकों से पीछे हटना भी शुरू कर दिया है जहां उसने पिछले कुछ दिनों में अतिक्रमण किया था। ध्यान रहे कि भारत विवाद के जोर पकड़ने के बाद से चीन के साथ द्विपक्षीय बातचीत, एलएसी पर चीन के दबाव में न आकर उसकी सैन्य क्षमता की बराबरी और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का सहारा लेता रहा है। 2 किमी तक पीछे हटे चीनी सैनिक सूत्रों ने बताया, 'पीएलए की टुकड़ियां गलवान नाला इलाके से 2 किमी पीछे हट गई हैं। वहीं, अन्य जगहों पर उसने सैनिक बढ़ाने या आक्रामक रुख अख्तियार करने जैसी कुछ बड़ी गतिविधि नहीं की है।' हालांकि पेट्रोल पॉइंट 14, गोगरा पोस्ट और फिंगर-4 के पास अब भी चीनी सैनिक डटे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, गलवान नाला इलाके में चीनी सैनिक काफी आगे तक आ गए थे जबकि पहले कभी इस जगह पर कोई विवाद नहीं रहा है। जल्द तनाव खत्म होने की उम्मीद 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की बातचीत से पहले चीनी सैनिकों के रुख में यह बदलाव एक सकारात्मक संदेश देता है। वैसे विवाद शुरू होने के बाद से अब तक भारत और चीन के बीच 10-12 दौर की बातचीत हो चुकी है। बातचीत में चीनी वायु सेना द्वारा लद्दाख के पास के इलाकों में युद्धक विमानों की उड़ानों का मुद्दा भी उठाया गया। उच्चस्तरीय बातचीत भारत की तरफ से इस मीटिंग में भारतीय सेना की टीम की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह लीड कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसमें लेफ्टिनेंट जनरल के अलावा डिविजन कमांडर, एक लोकल ब्रिगेड कमांडर, एक एरिया कमांडिंग ऑफिसर के साथ दो ट्रांसलेटर सहित 1-2 और सेना के अधिकारी शामिल हो सकते हैं। चीन की तरफ से भी इस रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। चीनी सैनिकों ने किया समझौते का उल्लंघन 2013 में भारत और चीन के बीच हुए अग्रीमेंट के हिसाब से ग्रे जोन पर किसी भी देश का सैनिक रात नहीं गुजार सकता। दोनों जगह के सैनिक पेट्रोलिंग कर सकते हैं लेकिन वहां रुक नहीं सकते। ग्रे जोन वो एरिया हैं जहां भारत और चीन के अपने-अपने दावे हैं। हालांकि, चीनी सैनिकों ने इसका उल्लंघन किया और ग्रे जोन में आकर टेंट लगा लिए। भारत उसे अपना इलाका मानता है और चीन अपना। एक अधिकारी के मुताबिक भारत के सैनिक अभी भी डटे हैं और वह हालात सामान्य होने तक ढील नहीं बरतेंगे। 5 मई से तनावपूर्ण माहौल लद्दाख में पिछले महीने की 5 तारीख को और फिर सिक्किम में चार दिन बाद 9 तारीख को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई। सिक्किम का विवाद तो नहीं बढ़ा, लेकिन लद्दाख में एलएसी पर चीन ने आक्रमकता दिखाई और दबाव की रणनीति के तहत अपने सैनिक बढ़ाने शुरू कर दिए। सूत्रों ने बताया कि चीन ने एलएसी पर 5 हजार सैनिक भेज दिए। उसके कुछ सैनिक फिंगर एरिया समेत कुछ भारतीय क्षेत्रों में दाखिल हो गए। एलएसी पर चीन को मुहंतोड़ जवाब जवाब में भारत ने भी एलएसी पर अपने सैनिक बढ़ा दिए और चीन की बराबरी में हथियार, टैंक और युद्धक वाहनों को भी इलाके में तैनात कर दिए। इतना ही नहीं, भारत ने संयम के साथ बातचीत का रास्ता भी नहीं छोड़ा। इधर, अमेरिका ने इस विवाद में भारत का खुलकर साथ देते हुए चीन की विस्तारवादी नीति की आलोचना की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के ताकतवर देशों के ग्रुप-7 का विस्तार कर भारत को शामिल करने के संकेत दिए। उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत भी हुई। भारत के निर्माण कार्यों से बौखलाया चीन दरअसल, चीन सीमाई इलाके में भारत के आधारभूत ढांचों के तेज निर्माण से बौखला गया है। चीनी सैनिक भारत की निर्माण गतिविधियों के विरोध में भारतीय सैनिक के सामने बीते 5 मई से ही डटे हैं। चीन को भारतीय निर्माण कार्य से तब आपत्ति है जब वह खुद एलएसी से सटे अपने इलाके में तेजी से निर्माण कार्य कर रहा है। चीन चाहता है कि वह अपनी तरफ बुनियादा ढांचा मजबूत कर भारत पर सैन्य बढ़त बनाए रखे, लेकिन जब भारत ने उसकी इस मंशा पर पानी फेरना शुरू किया तो वह बौखला उठा और युद्ध जैसी नौबत खड़ी कर दी। चीन की एक और विडंबना देखिए- उसके हेलिकॉप्टर गलवान नाला इलाके में भारतीय पेट्रोलिंग लाइन के करीब उड़ान भरने लगे और जब जवाब में भारत ने अपना एयरक्राफ्ट भेजा तो चीन इसका विरोध करने लगा।

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