साउथ चाइना सीः विशेषज्ञों ने चीन को किया आगाह, US से निपटने को 1000 परमाणु बम की जरूरत होगी

पेइचिंग साउथ चाइना सी में अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन को विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि उसे परमाणु मुखास्त्रों की संख्या बढ़ानी चाहिए। विशेषज्ञों ने अमेरिकी सेना के हमले से बचने के लिए एच-20 स्ट्रैटेजिक स्टील्थ बॉमर और बलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करने वाले जेएल-3 सबमरीन की जरूरत पर जोर दिया है। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका, साउथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी और ताइवान स्ट्रेट में हर तरह के वॉरशिप और वॉरप्लेन भेजकर पेइचिंग पर दबाव बना रहा है। अखबार के संपादक हू शिजिन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका से निपटने के लिए चीन को अपने परमाणु मुखास्त्रों की संख्या बढ़ाकर 1000 करनी होगी। अमेरिकी शिप के अभ्यास से डरा चीन अखबार ने रॉयटर्स की रिपोर्ट के हवाले कहा है कि पेंटागन, चीनी मिलिटरी की गतिविधि को रोकने के लिए साउथ चाइना सी में तोमहॉक क्रूज मिसाइल तैनात करने जा रहा है। 1 मई से ही अमेरिका ने ईस्ट चाइना सी में तीन बार बी-1बी स्ट्रैटेजिक बॉमर भेजा है। वहीं, अमेरिका के परमाणु क्षमता संपन्न एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसए थियोडोर रूजवेल्ट और यूएसएस अमेरिका ऐम्बिबियस असॉल्ट शिप ने 15 मार्च को साउथ चाइना सी में अभ्यास किया है। कोरोना वायरस महामारी के बीच चीनी विशेषज्ञ सॉन्ग झॉन्गपिंग ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका चीन पर दबाव डाल रहा है और उसे धमका भी रहा है। अमेरिका बैटलफील्ड पर परमाणु हथियार तैनात कर रहा है, इसलिए चीन को अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ानी होगी। 'चीन की नो फर्स्ट यूज पॉलिसी' क्या चीन और परमाणु मुखास्त्र और डीएफ-41 मिसाइल तैयार करेगा? और क्या चीन अमेरिका के साथ हथियारों से संबंधित संधि करेगा? इस सवाल पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनिंग ने शुक्रवार को कहा कि बड़े देशों को जिम्मेदारी को महत्व देना चाहिए और रणनीतिक परमाणु हथियारों को घटाने पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन हमेशा से 'नो फर्स्ट यूज' पॉलिसी पर यकीन करता रहा है।

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