कोरोना के खिलाफ कैसे जंग लड़ रहा है देश? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिपोर्ट

नई दिल्ली, 27 अप्रैल 2020, देश भर में लॉकडाउन के तीन हफ्ते के भीतर राहत शिविरों और खाद्य शिविरों पर निर्भर लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. गृह मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर दो स्टेटस रिपोर्ट्स के विश्लेषण से पता चलता है कि शेल्टर होम्स में प्रवासी मजदूरों/बेघरों की संख्या अप्रैल मध्य तक दोगुनी हो गई. जबकि खाने के लिए कतार में लगने वाले लोगों की संख्या 1.34 करोड़ है. गृह मंत्रालय की ओर से दायर ताजा स्टेटस रिपोर्ट 12 अप्रैल तक उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है, जबकि पहले की रिपोर्ट 31 मार्च के आंकड़ों के साथ दर्ज की गई थी. राहत शिविरों पर निर्भर प्रवासी/दिहाड़ी मजदूरों की संख्या इन दो रिपोर्टों के बीच दो हफ्ते की अवधि में लगभग दोगुनी हो गई. 12 अप्रैल को 37,978 राहत शिविरों में लगभग 14.3 लाख लोग रह रहे थे. 1.34 करोड़ से अधिक लोगों को राहत शिविरों और खाद्य वितरण शिविरों के माध्यम से खाना दिया जा रहा है. 31 मार्च की स्थिति को देखें तो 21,064 राहत शिविरों में 6.6 लाख लोगों को रखा गया था. वहीं 22.8 लाख लोग खाने की कतारों में लगे थे. सरकार के मुताबिक गंभीर आर्थिक तनाव महसूस कर रही बड़ी आबादी की मदद के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं. केंद्र ने 80 करोड़ से अधिक लोगों (भारत की कुल आबादी का दो तिहाई हिस्सा) के लिए योजना बनाई है जिसमें 5 किलोग्राम मुफ्त राशन- (आटा और चावल) प्रतिमाह दिया जाएगा. वहीं 19.4 करोड़ परिवारों को प्रति माह 1 किलो मुफ्त दाल मिलेगी. लगभग 13.62 करोड़ श्रमिकों को कवर करते हुए मनरेगा के तहत मजदूरी में 20 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. इसके अलावा, ईपीएफओ, जन धन खाता रखने वाली महिलाओं, भवन और अन्य निर्माण मे लगे रजिस्टर्ड मजदूरों के लिए फंड जारी किए जा चुके हैं. हेल्थकेयर और टेस्टिंग हलफनामे में यह भी कहा गया है कि Covid-19 की टेस्टिंग क्षमता भी ‘खासी बढ़ी’ है. सुप्रीम कोर्ट में दायर दो स्टेटस रिपोर्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि देश में 3 हफ्ते के लॉकडाउन के अंदर सभी जरूरत की चीज़ों के अनुमानों को संशोधित किया गया और सरकार की ओर से इन्हें बढ़ाया गया. सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में, 12 अप्रैल तक के डेटा के आधार पर गृह मंत्रालय ने दिखाया है कि जनवरी 2020 में टेस्टिंग के लिए सिर्फ़ एक लैब कार्यरत थी. वहीं 9 अप्रैल तक ऐसी लैब्स की संख्या बढ़कर 139 हो गई. गृह मंत्रालय की ओर से 31 मार्च को दाखिल किए गए हलफनामे में दिखाई गई संख्या में भी उछाल है. 31 मार्च तक देश में 118 टेस्टिंग लैब्स उपलब्ध थीं. दिलचस्प है कि लैब्स की संख्या 31 मार्च से 9 अप्रैल के बीच बढ़ी. लेकिन, दोनों रिपोर्टों में हर दिन 'टेस्टिंग क्षमता ' 15.000 टेस्ट पर ही बनी रही. इन सरकारी लैब्स के अलावा,प्राइवेट लैब्स को भी टेस्टिंग के लिए आगे लाया गया. 31 मार्च के हलफनामे के अनुसार, 47 प्राइवेट लैब्स को टेस्टिंग करने की अनुमति दी गई. वहीं 9 अप्रैल के डेटा ने टेस्टिंग के लिए अनुमोदित प्राइवेट लैब्स की संख्या 67 तक पहुंचना बताया. हालांकि कलेक्शन सेंटर्स दोनों रिपोर्ट में 20,000 पर ही बने रहे. देश में गंभीर Covid-19 मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक वेंटिलेटर्स खरीदने के आदेश जारी किए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, कुल 52,094 वेंटिलेटर्स का आदेश दिया गया है, जिनमें से 10,500 की आपूर्ति 30 अप्रैल तक की जानी है. इसके अलावा, 18,000 वेंटिलेटर्स 30 मई तक डिलीवरी के लिए निर्धारित हैं. वहीं 20,000 वेंटिलेटर्स की डिलीवरी 30 जून तक तय है. लगभग 3500 वेंटिलेटरों की आखिरी किस्त के लिए कोई नियत तारीख नहीं दी गई है. मंजूर किए गए वेंटिलेटर्स की संख्या भी 31 मार्च के हलफनामे में अनुमानित 40,000 थी. जो 12 अप्रैल के हलफनामे में बढ़ाकर 52,000 कर दी गई. ये आंकड़े भारत में समस्या की गंभीरता को दर्शाती है. यहां तक ​​कि सरकार ने सर्वोच्च अदालत को आश्वासन दिया है कि सभी क्षेत्रों और पहलुओं पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है. प्रवासी मजदूरों और Covid-19 की तैयारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं भी दाखिल हुई हैं जिन पर सोमवार को सुनवाई निर्धारित थी.

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