मध्य प्रदेश में कब होगा फ्लोर टेस्ट? सुप्रीम कोर्ट में बोली राज्य सरकार, विधायकों को बनाया गया बंधक

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट तुरंत कराने के राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की अर्जी पर सुनवाई के दौरान तमाम वकीलों ने जोरदार दलीलें पेश की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने बेंगलुरु में विधायकों को बंधक बना रखा है। कांग्रेस ने कहा कि जब तक इस्तीफा दे चुके विधायकों की सीटों पर चुनाव न हो जाए, तब तक के लिए फ्लोर टेस्ट टाल दिया जाए। जब कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि केवल 6 विधायकों को ही इस्तीफे क्यों स्वीकार किए तो वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे मंत्री थे। इस बीच, शिवराज सिंह की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने इसे कांग्रेस की चाल बताई। कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे: आज सुनवाई नहीं हुई तो आसमान नहीं गिर जाएगा। कांग्रेस पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाई है और अब उनके विधायकों को बंधक बना लिया गया है। बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह: किसी को किसी ने बंधक नहीं बनाया है। दवे: 16 विधायकों को रिलीज किया जाना चाहिए। विधायक अपने असेंबली इलाके में लोगों के सेवा के लिए होते हैं। वह इस्तीफा देकर इस तरह से नहीं जा सकते हैं। इन विधायकों को रिलीज करने का आदेश दिया जाए इन्हें अपहृत किया गया है। ये अजीबोगरीब स्थिति है। लोगों ने कांग्रेस को 114 सीटें दी और बीजेपी 109 सीटें जीत पाई। सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया। एक स्थायी सरकार 18 महीने से चल रही है। जब गुजरात के एमएलए को बेंगलूर शिफ्ट किया गया तब बीजेपी ने सीआरपीएफ और आईटी डिपार्टमेंट से रेड कराया था। पीएम ने कांग्रेस मुक्त भारत ओपनली कहा है। लेकिन क्या लोकतंत्र में विधायकों की अनुपस्थिति में फ्लोर टेस्ट की इजाजत हो सकती है। क्या हम इस तरह की जिम्मेदारी चाहते हैं। स्पीकर की जिम्मेदारी है कि वह इस्तीफे की वैधता और सत्यता को परखें। सीएम गायब हुए एमएलए को लेकर चिंतित हैं। बीजेपी एक जिम्मेदार पार्टी है क्या ऐसी पार्टी से हम इस तरह की बातें उम्मीद करेंगे। कल को किसी भी पार्टी के विधायक का अपहरण कर लिया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट आकर कहा जाएगा कि फ्लोर टेस्ट कराया जाए क्योंकि सरकार बहुमत में नहीं है। अदालत को इस तरह की अर्जी पर विचार नहीं करना चाहिए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: अदालत पूरे मामले को देख रही है। दवे: आज सवाल ये है कि पैसे और ताकत के बल पर कुछ लोग लोकतांत्रिक सिद्धांत को खत्म करने में लगे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए। स्पीकर की ड्यूटी है कि वह देखे कि इस्तीफा अपनी मर्जी से हुआ है या नहीं। इस मामले को संवैधानिक बेंच को रेफर किया जाना चाहिए ताकि इस तरह की हरकत दोबारा न हो। गवर्नर बीजेपी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं उनसे उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष रहें। (गवर्नर के कामकाज पर हम सवाल उठाते हुए) क्या इस तरह से गवर्नर ऑफिस काम करता है। गवर्नर कहते हैं कि हम आश्वस्त हैं कि आप बहुमत खो चुके हैं ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट करें। गवर्नर कैसे जानते हैं कि बहुमत खो चुके हैं क्या उन्होंने किसी की सुनवाई की? दवे: (गवर्नर और कमलनाथ के बीच के लेटर पढते हुए) इस तरह की अर्जी को विचार नहीं करना चाहिए। अगर वह लड़ाई चाहते हैं तो कोर्ट के बाहर लड़ें। लेकिन सुप्रीम कोर्ट फोरम का इस्तेमाल इस तरह के केस के लिए नहीं होना चािहए। लेटर कहता है कि विधायक को बेंगलुरु में रखा गया है। स्पीकर आखिरी में मास्टर होता है। लेकिन गवर्नर ने स्पीकर के अधिकार को लांघने की कोशिश की है। जस्टिस चंद्रचूड़: जब मैने संवैधानिक नैतिककता की बात कही थी तो आलोचना हुआ था लेकिन बीआर आंबेडकर ने इसका इस्तेमाल किया है इसका मतलब है कि संवैधानिक सिद्धांत संवैधानिक नैतिकता से चलाया जा सकता है। दवे: गवर्नर कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी बहुमत खो चुकी है। कैसे गवर्नर ऑफिस इस बात को जानती है। वह किसी के बारे में अवगत कैसे हैं। जहां तक संवैधानिक नैतिकता का सवाल है तो बीजेपी पूरी तरह से संवैधानिक नैतिकता को खत्म करने पर तुली हुई है। स्थायी सरकार बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट है। गवर्नर का ये काम नहीं है कि रात में सीएम या स्पीकर को कहें कि वह क्या करें। सुप्रीम कोर्ट: क्या 22 विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो चुका है। राज्य सरकार के विकील अभिषेक मनु सिंघवी: छह का इस्तीफा स्वीकार हुआ है। दवे: मूल सवाल ये है कि कैसे गवर्नर फ्लोर टेस्ट के लिए कह सकता है। वह इस बात का फैसला नहीं ले सकते। शिवराज सिंह चौहान के वकील मुकुल रोहतगी: कांग्रेस वही पार्टी है जिसने 1975 में इमर्जेंसी लगाई थी। पार्टी सिर्फ सत्ता में बने रहना चाहती है। विधायक ने इस्तीफा दे दिया है और वह जनता के पास दोबारा जाना चाहते हैं। ये दलबदल कानून का मामला नहीं है। गवर्नर राज्य के संवैधानिक मुखिया हैं और उनकी ड्यूटी है कि वह राज्य में सरकार सुनिश्चित करें। संविधान के तहत ये उनका दायित्व है। कांग्रेस लोकतंत्र की हत्या 1975 में कर चुकी है। ये अजीब जिरह है कि उपचुनाव हो और फ्लोर टेस्ट हो। जस्टिस चंद्रचूड़: मामले में स्पीकर को पहले इस्तीफा स्वीकार करना होगा। ये जज की तरह नहीं है कि इस्तीफा उनके हाथ में है इस मामले में स्पीकर को संतुष्ट होना है। इस्तीफे को स्पीकर द्वारा टेस्ट किया जाना होता है।

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