दंगे का पंगा अब पड़ेगा महंगा? यूपी में हिंसक प्रदर्शन करने वालों की अब ख़ैर नहीं?

नई दिल्ली: नागरिकता कानून के नाम पर यूपी के अलग-अलग शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुआ. जमकर तोड़फोड़ की गई. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया लेकिन ये सब करते वक्त दंगाइयों को इस बात का ज़रा भी अहसास नहीं हुआ होगा कि कभी इस नुकसान की भरपाई उनसे की जाएगी. योगी सरकार अब एक्शन में हैं और दंगाइयों से पैसा वसूलने का उसका पूरा प्लान तैयार है. बड़ा सवाल यही है कि क्या दंगाइयों के खिलाफ देश में योगी मॉडल जरूरी है? और दंगाइयों को पीड़ित बताकर हमदर्दी का खेल कब तक चलेगा? दंगाइयों पर योगी का 'एक्शन' नागरिकता पर हिंसा के बाद योगी सरकार दंगाइयों पर सख़्त है. आरोपियों के घरों पर पुलिस रिकवरी नोटिस भेज रही है. पुलिस ने करीब 100 लोगों को रिकवरी नोटिस भेजा है. आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की छापेमारी जारी है. लखनऊ में जिला प्रशासन ने 82 लोगों को नोटिस भेजा है. रामपुर प्रशासन ने 28 उपद्रवियों को वसूली का नोटिस भेजा है. गाज़ियाबाद में हिंसा में शामिल 80 लोगों को पुलिस की ओर से नोटिस दिया गया है. मुजफ्फरनगर में पुलिस ने दंगाइयों की दुकानें सील की गई हैं. हिंसा फैलाने के आरोप में 5400 लोगों को हिरासत में लिया गया है. हिंसा फैलाने के आरोप में 705 लोगों को जेल भेजा गया है. यूपी में हिंसा के दौरान 18 लोगों की मौत हुई है. यूपी में हिंसा के दौरान कार्रवाई में 269 पुलिस वाले घायल हुए. हिंसा रोकने के दौरान यूपी में 57 पुलिस वाले गोली लगने से घायल हुए. युपी पुलिस ने देश में बने 405 रिवॉल्वर और पिस्टल जब्त किए. करीब 100 लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हिंसा के लिए उकसाने पर गिरफ्तार किए गए हैं. हिंसक प्रदर्शनों पर कानून क्या कहता है? 1984 में प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट बनाया गया है. 6 महीने से 10 साल तक की जेल की सजा, जुर्माने का प्रावधान है. नुकसान के मुकदमों में सजा का औसत महज 29.8% है. किसने तोड़फोड़ की, आग लगाई ये साबित करना मुश्किल. NCRB के मुताबिक 14876 केस देश के कई अदालतों में लंबित हैं. सिर्फ हरियाणा, यूपी, तमिलनाडु में करीब 6300 केस लंबित हैं. हिंसक प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस कोर्ट किसी मामले पर खुद संज्ञान ले सकता है. कोर्ट नुकसान की पड़ताल कराने का आदेश दे सकता है. कोर्ट मुआवजे की व्यवस्था करने का सिस्टम बनाएगा. साजिशकर्ताओं, आयोजकों की जिम्मेदारी तय की जाएगी. हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट साजिशकर्ताओं, आयोजकों से जवाब मांगेगा.

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