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केंद्र ने स्पष्ट किया- राज्य चाहे जो कह लें, लागू करना ही पड़ेगा नागरिकता कानून

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Act ) को अपने राज्यों में लागू करने को लेकर अब तक छत्तीसगढ़, केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश ने स्पष्ट कर दिया है कि यह उनके राज्य में लागू नहीं होगा. कानून को अपने राज्य में लागू ना करने को लेकर आधार बताया जा रहा है कि बीजेपी देश की सेक्यूलर साख को नुकसान पहुंचा रही है. हालांकि केंद्र का कहना है कि राज्य के पास ऐसा कोई भी अधिकार नहीं है कि वह केंद्र की सूची में आने वाले विषय 'नागरिकता' से जुड़ा कोई अपना फैसला कर सकें. CNN NEWS18 को गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ ने अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय सूची में आने विषयों के तहत बने कानून को लागू करने से राज्य इनकार नहीं कर सकते. अधिकारी ने बताया कि संविधान की सातवीं अनूसूची में तीन सूचियां हैं जिसमें संघ, राज्य और समवर्ती सूची शामिल हैं. इसके तहत संसद द्वारा पास किया गया कोई कानून जो संघ की सूची के विषय के तहत है, वह पूरे देश में लागू होगा. ममता बनर्जी शुरुआत से कर रहीं विरोध हालांकि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बुधवार को संसद द्वारा पारित किए जाने से पहले ही नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में आवाज उठाई थी, केरल और पंजाब में सीएम पिनाराई विजयन और सीएम अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को कहा कि वे कानून उनके राज्य में लागू किया जाने की अनुमति नहीं देंगे. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस कानून को भारत के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक चरित्र पर हमला करार देते हुए कहा कि उनके राज्य में इस तरह के'असंवैधानिक' कानून के लिए कोई जगह नहीं है.राज्य अपनाएंगे सविनय अवज्ञा का रास्ता! अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब विधानसभा में बहुमत के साथ कांग्रेस राज्य में लागू होने वाले 'असंवैधानिक' कानून को रोक देगी यह कानून बहुत ही विभाजनकारी प्रकृति का है.' ममता बनर्जी ने दोहराया है कि वह बंगाल में कानून को लागू नहीं होने देंगी और शुक्रवार को बताया कि वह 16 दिसंबर को कोलकाता में एक विरोध रैली करेंगी. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारों ने भी संकेत दिया है कि वे कानून को लागू नहीं करेंगे, लेकिन आधिकारिक तौर पर उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस आलाकमान के स्टैंड पर कायम रहेंगे. एमपी सरकार के सूत्रों ने कहा कि राज्य संवैधानिक स्थिति से अवगत हैं, लेकिन तर्क दिया कि राज्य की भूमिका को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता. एक अधिकारी ने कहा, 'सविनय अवज्ञा हमारे लिए उपलब्ध रास्ता है.

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