2 से 5 लाख रुपए देकर करा रहे धर्म परिवर्तन:25 से ज्यादा लोगों का अब तक धर्म बदलवाया; 3 साल से चल रहा सेंटर
भरतपुर,भरतपुर में पिछले 4 दिनों में धर्म परिवर्तन के दो मामले सामने आ चुके हैं। बीमार और गरीब लोगों को टारगेट बनाकर धर्म परिवर्तन का ये घिनौना धंधा चलाया जा रहा है।
लोगों को गुमराह कर और लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जा रहा है। पिछले दो-तीन साल से ये सेंटर चलाए जा रहे हैं।
मामले में इंवेस्टिगेशन के लिए भास्कर टीम भरतपुर के पीपला गांव पहुंची। यहां जांच में सामने आया कि गांव के 25 से ज्यादा लोगों को झांसे में लेकर धर्म परिवर्तन करा चुके हैं।
इनके पास पास्टर (पादरी) का सर्टिफिकेट, लभाना मिनिस्ट्री के दो प्रमाण पत्र हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में सामने आया है कि लभाना मिनिस्ट्री नाम की संस्था को इटली से फंडिंग हो रही थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
जांच में पता लगा कि ऐसे ही सेंटर भरतपुर के कंजोली, गुंडवा, बझेरा, नोंह बडामदी, बहनेरा,रूपवास, जघीना सहित बयाना में भी चल रहे हैं।
पूरे गांव में धर्म परिवर्तन की चर्चा
भरतपुर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर पीपला गांव है। गांव में पहुंचने से पहले ही हमने धर्म परिवर्तन कराने की बात पूछी तो लोग सुनकर हैरान रह गए। पहले हम वर्तमान सरपंच बृजलता के घर पर पहुंचे। उनके बेटे हरेंद्र सिंह की शादी थी। उनके परिवार से घर पर कोई नहीं मिला।
हमने गांव के कुछ लाेगों से बात की। पता लगा कि दो से तीन साल से यहां पर सेंटर चला रहा है। पूर्व सरपंच राजाराम के पास पहुंचे, लेकिन वे भी नहीं मिले। पूरे गांव में बीमारी ठीक करने के बहाने धर्म परिवर्तन कराने की चर्चा बनी हुई थी। हम गांव में एक चौपाल पर पहुंचे तो काफी संख्या में पंच सहित कई लोग बैठे मिले।
हफ्ते में दो दिन चल रहा सेंटर
चौपाल पर मौजूद लोगों ने बताया कि पुलिस ने बुधवार को पीपला गांव में पहुंच कर दबिश दी। उनके साथ विहिप और बजरंग दल की टीम भी थी।
वहां पर गांव में एक सेंटर चल रहा था। सेंटर सप्ताह में दो दिन बुधवार और रविवार को चलाया जा रहा था। पुलिस घर पहुंची तो काफी लोग वहां से निकल कर भाग गए।
वहां 50 से ज्यादा लोग मौजूद थे। जो दो से तीन गाड़ियों में भरकर आगरा सहित अन्य आसपास के गांवों से आए थे।
दो साल से चल रहा था सेंटर
गांव के सौरव ने बताया कि हर बुधवार और रविवार को दो से तीन गाड़ियों में भरकर लोग यहां पर आते हैं। एक अलग से कीर्तन मंडली भी आती है।
हरिओम ने बताया कि वाल्मीकि मोहल्ले में सेंटर चल रहा है। अजय सिंह और उसके परिवार के लोग सेंटर चला रहे थे।
अजय सिंह रूपवास के पास श्रीनगर गांव का रहने वाला है। यहां पर दो साल पहले ही आया था। तब से ही सेंटर चलाने लगा है। उसकी पत्नी और भाभी भी उसकी मदद करती है।
बीमारी ठीक करने का दावा और राशन का लालच
सत्संग का नाम लेकर लोगों को बुलाते हैं। कोई बीमारी है तो उसे सही कर देने का दावा करते हैं।
ये ईसाई धर्म के बारे में प्रचार और प्रसार करते है और हिंदू देवी-देवताओं के बारे में गलत बातें करते हैं।
सत्संग सभा में जो लोग आते हैं, उन्हें राशन (आटा, दाल, चावल, चीनी) भी देते हैं। गांव में अभी ऐसे सौ से ज्यादा लोग हैं जो धर्म परिवर्तन करा चुके हैं।
ये बाहर के लोग है जो अब गांव में रहने लगे हैं। ऋषि ने बताया कि आगरा की ओर से 40 से ज्यादा लोग हर सप्ताह आते है।
सुबह 11 बजे से लेकर 3 बजे तक सत्संग करते है। नए-नए लोगों को बुलाते है। गांव के भी कुछ लोगों को शामिल करते हैं।
पड़ोसी बोला : मुझे भी कई बार लालच दिया, मैंने मना कर दिया
अजय सिंह के पड़ोसी भी घटना को लेकर काफी हैरान है। विष्णकुमार ने बताया कि मुझे भी बोला था कि तुम भी जुड़ जाओ। तब मैंने मना कर दिया था।
इसके कुछ दिनों के बाद मुझे इंफेक्शन हो गया था। तब भी काफी प्रेशर किया था कि सत्संग में आना शुरू कर दो। बीमारी ठीक हो जाएगी। काफी फायदा मिलेगा, लेकिन मैंने मना कर दिया था।
विष्णु ने बताया कि जब भी ये लोग आते है तो बड़े-बड़े स्पीकर लगाते है। माइक से गाने गाते है। प्रभु यीशू का नाम लेते है।
दो लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक लालच
गांव के लोगों ने बताया कि लोगों को धर्म परिवर्तन कराने पर दो लाख रुपए से लेकर पांच लाख रुपए देते हैं। खुद अजय पहले आगरा में सभा में शामिल होने के लिए जाता था।
तूहीराम पूर्व सरपंच ने बताया कि अजय सिंह को पहले भी कई बार समझाया था। लेकिन वह नहीं माना। लोगों को गुमराह करके ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहता था।
गांव में पूरी तरह से शांति थी, लेकिन एक घटना से माहौल खराब हो रहा है। हमें पहले भी अजय की कई बार शिकायत मिली थी। उसे समझाया भी गया था। इसके अलावा एक अन्य महिला भी गांव में सेंटर चला रही है।
घर में सेंटर पर पहुंचे तो मिले रिश्तेदार
गांव के लोगों से बातचीत के बाद हम सेंटर पहुंचे। अजय सिंह के घर गली में पूछताछ करते हुए पहुंचे। उनके पड़ोस के लोगों ने मामले के बारे में पूछताछ की। अजय के घर पहुंचे तो काफी महिलाएं और बच्चे मौजूद थे।
अजय के रिश्तेदार पप्पू ने बताया कि मैं साढू लगता हूं। पुलिस को मौके से कुछ मिला नहीं है। अजय गांव में डेढ़ साल पहले आया था।
रूपवास के श्रीनगर में रहता था। वहां पर कुछ पारिवारिक झगड़ा हो गया था। तब से गांव में ही रहता है। वह पत्थर का काम करता है। उसने किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया है।
उस पर सारे झूठे इल्जाम लगाए गए हैं। उसकी जमानत हो गई है। फिलहाल किसी की मौत हो गई है उसमें गमी में शामिल होने के लिए गया है।
अजय सिंह बन चुका था पादरी
जांच में पता लगा कि अजय सिंह खुद पादरी बन चुका था। पुलिस को उसके पास से पादरी होने का सर्टिफिकेट मिला है। एक इलाज करने का सर्टिफिकेट ऑफ थियोलॉजी भी मिला है। इसी से बीमार लोगों का इलाज किया जाता है।
साथ ही दो प्रमाण पत्र जीसस लभाना मिनिस्ट्री के भी मिले हैं। जो भरतपुर में करीब 8 सेंटर चला रही है।
एसपी मृदुल कच्छावा ने बताया कि पीपला गांव में धर्मपरिवर्तन की सूचना पर पुलिस ने कार्रवाई की थी। उनके घर से कई सर्टिफिकेट मिले है। उनके अकाउंट की जांच की जा रही है। उनके पास कहां से फंड आता था और कौन भेजता था। राजस्थान में उत्तरप्रदेश व असम की तरह कोई कानून अलग से नहीं है।
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