चंडीगढ़ PGIMER में क्लिनिकल ट्रायल शुरू, सफलता मिली तो तीन महीने में कोरोना की वैक्सीन

नई दिल्ली पूरी दुनिया कोरोना संकट से उबरने की जद्दोजहद में जुटी है। वायरस के संक्रमण की रोकथाम से लेकर इससे होने वाली बीमारी कोविड-19 के प्रभावी इलाज को लेकर शोध काफी जोर-शोर से चल रहा है। भारत में भी भिन्न-भिन्न दिशाओं में प्रयास हो रहे हैं। इस क्रम में चंडीगढ़ में कैडिला की एक दवा सेप्सिवाक पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है। यह दवा बैक्टीरिया से संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होती है। अब शोध में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या सेप्सिवाक कोविड-19 मरीजों के इलाज में भी कारगर साबित हो सकती है। तीन तरह के ट्रायल चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (PGIMER) में यह ट्रायल जारी है। ट्रायल प्रोग्राम के को-ऑर्डिनेटर डॉ. राम विश्वकर्मा ने बताया, 'PGIMER चंडीगढ़ में सेप्सिवाक को एक दवाई के रूप में इस्तेमाल किए जाने का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। हम उन बिना लक्षण वाले कोविड-19 मरीजों पर अलग से ट्रायल कर रहे हैं। उन्हें सेप्सिवाक को वैक्सीन के रूप में दिया जाएगा।' सफलता मिली तो तीन महीने में वैक्सीन उपलब्ध उन्होंने कहा कि अगर सेप्सिवाक ट्रायल में खरा उतरा तो लाखों लोगों की जिंदगियां बच जाएंगी। उन्होंने कहा, 'कोविड-19 किसी मरीज में एक महीने तक टिका रह सकता है। इसलिए तीसरा ट्रायल ठीक हो चुके या क्वारेंटाइन से निकले मरीजों पर किया जाएगा। उन्हें यह वैक्सीन के रूप में दिया जाएगा ताकि उनमें फिर से संक्रमण नहीं हो। यानी, सेप्सिवाक वैक्सीन के रूप में इलाज के साथ-साथ रोकथाम की भूमिका भी निभाएगी।' डॉ. विश्वकर्मा के मुताबिक अगर ट्रायल सफल रहा तो तीन महीने में कोविड-19 के इलाज के लिए यह दवा उपलब्ध करा दी जा सकती है। क्या है सेप्सिवाक ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (DCGI) ने PGIMER के अलावा दिल्ली और भोपाल एम्स को सेप्सिवाक के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी है। इन संस्थानों में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के सहयोग से मरीजों पर ट्रायल किया जाएगा। दरअसल, सेप्सिवाक का उपयोग कोविड-19 की बीमारी के मिलते-जुलते लक्षणों वाली बीमारियों में ही होता है। कैडिल फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने भी सीएसआईआर के सहयोग से सेप्सिवाक बनाया है। सेप्सिवाक का ही ट्रायल क्यों यह दवा एंटी ग्राम सेप्सिस के इलाज में काम आती है। इस बीमारी में भी मरीज को सांस लेने में तकलीफ और फेफेड़ों में दर्द की शिकायत होती है। सेप्सिवाक मूल रूप से मरीज का इम्यून सिस्टम मजबूत करती है। चूंकि अच्छे प्रतिरोधक क्षमता वालों पर कोविड-19 बीमारी का कुछ खास असर नहीं हो रहा है और वो बीमारी को मात देने में सफल हो रहे हैं, इसलिए यह जांच की जा रही है कि क्या सेप्सिवाक के जरिए कोविड-19 मरीजों का इम्यून सिस्टम भी बूस्ट किया जा सकता है।

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