यूपी में मिशन को पूरा करने में खामोशी से जुटी हैं बीजेपी के 'पांडव'

लखनऊ कहते हैं कि नई दिल्‍ली का रास्‍ता उत्‍तर प्रदेश होकर जाता है और देश की राजनीति के इस केंद्र पर कब्‍जे के लिए सत्‍ताधारी बीजेपी को वर्ष 2014 की अपेक्षा ज्‍यादा पुख्‍ता रणनीति के साथ मैदान में उतरना पड़ा है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 80 में से 71 सीटों पर कब्‍जा किया था लेकिन इस बार उसे एसपी-बीएसपी गठबंधन से कड़ी टक्‍कर मिल रही है। आइए जानते हैं कि वर्ष 2019 में जीत के लिए क्‍या है बीजेपी की रणनीति... राजनीतिक विश्‍लेषकों का मानना है कि 'उत्‍तर प्रदेश बीजेपी की नाक है।' सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्‍य में बीजेपी ने जोरदार प्रदर्शन करके पूरे देश को चौका दिया था। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 80 में से 71 सीटों पर जीत हासिल करके नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने का रास्‍ता साफ कर दिया था। बीजेपी के अलावा उसकी सहयोगी अपना दल को भी दो सीटें मिली थीं। इस तरह यूपी में एनडीए को 73 सीटें मिली थीं। 2019 में स्थिति 2014 की अपेक्षा काफी अलग वर्ष 2019 में स्थिति पिछले चुनाव की अपेक्षा काफी अलग है। दशकों तक एक-दूसरे की धुर विरोधी रही एसपी और बीएसपी एकसाथ आ गई हैं और उन्‍होंने आरएलडी के साथ गठबंधन बनाया है। इस महागठबंधन ने अब यूपी में बीजेपी के लिए करो या मरो की स्थिति पैदा कर दी है। इस महाचुनौती से निपटने के लिए बीजेपी ने अपनी 5 सदस्‍यीय टीम को मोर्चे पर लगा दिया है जो चुपचाप और पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है ताकि भगवा पार्टी यूपी में अपना स्‍थान बनाए रखने में सफल हो जाए। बीजेपी की इस चुनावी टीम को भरोसा है कि 'उत्‍तर प्रदेश में पार्टी पूरे देश को सुखद आश्‍चर्य में डाल देगी।' बीजेपी के चुनावी रणनीतिकारों में शामिल संघ के एक वरिष्‍ठ नेता ने जोर देकर कहा, 'बीजेपी एक यथार्थवादी पार्टी है। हम जानते हैं कि वर्ष 2014 की तरह पार्टी शानदार प्रदर्शन नहीं करने जा रही है लेकिन वर्ष 2019 में भी हमारा चुनाव परिणाम ऐसा नहीं होगा जिसे कोई हल्‍के में ले सके।' बीजेपी ने बनाई 5 सदस्‍यीय टीम बीजेपी की इस पांच सदस्‍यीय टीम में सुनील बंसल (मोदी की तरह पूर्णकालिक प्रचारक रहे), बीजेपी के दलित नेता और राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष दुष्‍यंत गौतम, मध्‍य प्रदेश के नेता डॉक्‍टर नरोत्‍तम मिश्रा, गुजरात के गोरधन झड़फिया और यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ शामिल हैं। यह टीम रणनीति बनाती है और इसकी रिपोर्ट सीधे पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह को भेजती है। टीम में शामिल एक सदस्‍य कहते हैं, 'यूपी में इस बार हमारे लिए सब आसान नहीं है। दिसंबर से जिस तरीके से हमने काम किया है, हमें विश्‍वास है कि यहां पर हम अच्‍छा परिणाम देने में सफल रहेंगे।' आरएसएस के नजदीकी एक और टीम मेंबर ने कहा, 'हमारी नियुक्ति के साथ ही हमारी चुनावी रणनीति शुरू हो गई थी। हम जानते हैं कि अमितभाई ने हमें चुना है और किसलिए चुना है।' गोरधन झड़फिया के नेतृत्‍व में इन सदस्‍यों को यूपी की जातिगत राजनीति को ध्‍यान में रखकर चुना गया है। यूपी में हार्दिक पटेल फैक्‍टर को खत्‍म करने के लिए पाटीदार नेता गोरधन झड़फिया को चुना गया। सारे दलित मायावती के पाले में न चले जाएं इसके लिए राजस्‍थान के बीजेपी नेता दुष्‍यंत गौतम को लाया गया। हिंदू वोटों को साधने का जिम्‍मा योगी के पास अपर कास्‍ट को साधने के लिए डॉक्‍टर नरोत्‍तम मिश्रा को चुना गया। इन दिनों यूपी में 'छोटे मोदी' कहे जा रहे सुनील बंशल को टीम का मेंबर बनाया गया। ये चारों लोग जहां बीजेपी के गैरपरंपरागत वोट बैंक को अपने साथ लाने के लिए रणनीति बना रहे हैं वहीं योगी आदित्‍यनाथ हिंदू वोट बैंक को पार्टी के साथ लाने पर काम कर रहे हैं। चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए आरएसएस ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है। बीजेपी ने राज्‍य की 80 सीटों को जोन में बांट दिया है। राष्‍ट्रवाद, हिंदुत्व, किसानों की बदहाली, जल संकट, जाति और बेरोजगारी, ये छह मुद्दे निर्धारित किए गए हैं। इसके बाद इन मुद्दों को हर सीट के साथ जोड़कर उसे नक्‍शे पर निशान लगाया गया है। स्‍वयंसेवकों और कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए ट्रेनिंग दी गई है कि वे इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएं। बीजेपी पेशेवर शोधकर्ताओं की मदद से हरेक सीट का सर्वे किया है। 28 सीटों पर फोकस कर रही है बीजेपी उदाहरण के लिए जिन जिलों में पानी का संकट है वहां पर हिंदुत्‍व प्रमुख मुद्दा नहीं है। जिन सीटों पर गठबंधन मजबूत है वहां पर जातियों का ध्‍यान रखा गया है। हर जगह मोदी और बेहतर कानून व्‍यवस्‍था मुद्दा है। हालांकि यह कहानी का केवल आधा हिस्‍सा है। जिन सीटों पर महागठबंधन और कांग्रेस टक्‍कर में हैं, वहां पर बीजेपी को बढ़त की उम्‍मीद है। बीजेपी ने ऐसी 18 सीटों की पहचान की है। अमेठी और रायबरेली में बीजेपी कड़ी टक्‍कर दे रही है लेकिन उसने मैनपुरी, फिरोजाबाद, आजमगढ़, कन्‍नौज, मुजफ्फरनगर और बागपत में बहुत ज्‍यादा जोर नहीं लगाने का फैसला किया है। बीजेपी उन 28 सीटों पर फोकस कर रही है जहां कांग्रेस ने बीजेपी के परंपरागत वोटबैंक जैसे अपर कास्‍ट, कुर्मी, कोइरी, लोध और शाक्‍य को टिकट दिया है। इन जातियों ने पिछले चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा आरएसएस के 200 कार्यकर्ताओं की टीम का नेतृत्‍व कर रहे हैं जो बाजी पलटने के लिए काम कर रही है। रोचक बात यह है कि बीजेपी के चुनाव प्रचार अभियान से राम मंदिर का मुद्दा गायब है।

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