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झाड़ू' और 'हाथी' की एंट्री से कितना बिगड़ सकता है पंजे-कमल का खेल? राजस्थान चुनाव से पहले बदलने लगा माहौल

जयपुर: राजस्थान की सियासी (Rajasthan Politics) स्थिति पर नजर डालें तो हर पांच साल में यहां सत्ता परिवर्तन होता रहा है। हर पांच साल में कांग्रेस और बीजेपी बारी-बारी से सरकार बनाती रही है। हालांकि, दो राजनीतिक रंगों के प्रभुत्व वाले इस राज्य में इस बार क्या सियासी समीकरण बदलने जा रहे। ये सवाल इसलिए उठे हैं क्योंकि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी समेत 3 दलों ने राज्य की सभी 200 सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इनमें आप के अलावा आरएलपी और बीएसपी शामिल हैं। तीनों ही दलों के राज्य की सभी 200 सीट पर चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद हालात बदलते दिख रहे हैं। राजस्थान में इस बार क्या होगा खेला? आगामी चुनाव में दावेदारी को लेकर आम आदमी पार्टी, बीएसपी और आरएलपी ही नहीं हैं। असदुद्दीन ओवैसी जैसे राजनीतिक खिलाड़ी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) जैसी पार्टियों ने भी आगामी चुनाव को दिलचस्प बनाते हुए मैदान में कूदने की घोषणा की है। ऐसे में संयुक्त विपक्ष का गठबंधन 'I.N.D.I.A' है, जो राजस्थान में राजनीतिक समीकरणों को अलग बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। माया की पार्टी ने कर दिया बड़ा ऐलान बहुजन समाज पार्टी ने सभी 200 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। पार्टी के छह विधायक दलबदलू साबित हुए हैं। पिछले दो कार्यकाल में उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिला लिया है। हालांकि, इस बार बीएसपी के निश्चित रूप से सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं। वो 'I.N.D.I.A' का हिस्सा हैं और बीजेपी को चुनौती दे रही है। हनुमान बेनीवाल ने भी संभाला मोर्चा इसी तरह नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के तीन विधायक हैं। RLP ने भी सभी 200 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। आरएलपी बीजेपी की सहयोगी थी। लेकिन, कृषि कानून विवाद के कारण उनकी राहें अलग हो गईं। फिलहाल हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी में अकेले पारी खेल रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी का सदस्यता अभियान 31 जुलाई से 31 अगस्त तक चल रहा है। इस अभियान को लेकर पूरे राज्य में उत्साह है। पार्टी के नेता राज्य का दौरा कर रहे हैं। हम बारीकी से नजर रख रहे हैं और फीडबैक भी ले रहे हैं। RLP बिगाड़ेगी बीजेपी-कांग्रेस का गेम! हनुमान बेनीवाल ने आगे कहा कि हमारी कार्य समिति भी जल्द ही लॉन्च की जाएगी। हालांकि, उन्होंने आरएलपी के इंडिया गठबंधन से हाथ मिलाने पर चुप्पी साध ली। आप प्रवक्ता योगेंद्र गुप्ता ने कहा कि हमारी बैठक इस सप्ताह होगी, जहां हम चुनावों के लिए की जाने वाली बड़ी पहलों पर चर्चा करेंगे। हमारी टीम तैयार है, जमीनी स्तर पर सर्वे किया जा रहा है। इंडिया समूह से गठबंधन करके हम बीजेपी को करारा जवाब देंगे। AAP की एंट्री से कितने बिगड़ेंगे समीकरण आम आदमी पार्टी ने कहा कि बांटो और राज करो की राजनीति के कारण बीजेपी राजस्थान में जीत रही है। इस बार विपक्ष एकजुट है। बीजेपी के पास लगभग 36 फीसदी वोट शेयर हैं। जबकि, विपक्ष के पास 63 प्रतिशत का संयुक्त वोट शेयर है। इन सबके बीच बीजेपी विभाजित स्थिति में है। केवल प्रधानमंत्री मोदी सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करने के लिए कुछ मौकों पर राज्य का दौरा कर रहे हैं। पार्टी के नेता अति आत्मविश्वास में हैं और हर पांच साल के बाद सत्ता हस्तांतरित होने की राजनीतिक प्रवृत्ति पर भरोसा करते हैं। बीजेपी-कांग्रेस की क्या रहेगी रणनीति दूसरी तरफ कांग्रेस खेमे में भी सबकुछ ठीक नहीं है। लंबे समय से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दरार बनी हुई है। राहुल गांधी की हाल की राज्य यात्रा के दौरान सचिन पायलट को पहले बोलने के लिए आमंत्रित किया गया तो सवाल उठाए गए। राहुल गांधी का अशोक गहलोत के करीब न बैठना इस बात की ओर इशारा करता है कि आलाकमान की दिलचस्पी कहां है। तीनों नेताओं की एक साथ ली गई कोई तस्वीर भी नहीं थी जैसा कि अतीत में कई मौकों पर देखा जा चुका है। पायलट-गहलोत में किस पर भरोसा करेगी कांग्रेस एक कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसा लगता है कि हाईकमान का संदेश है कि पायलट को पहले बोलना चाहिए क्योंकि वह उन्हें एक संपत्ति मानता है। ऐसे में उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी में मनमुटाव गहरा रहा है। कांग्रेस भी अपने संकट से गुजर रही है, ऐसे में आम आदमी पार्टी राज्य में पैठ बना सकती है। असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम वोटों को पार्टी से छीनकर कांग्रेस को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे परोक्ष रूप से बीजेपी को भी मदद मिल सकती है। राज्य में छोटे राजनीतिक दलों की पैठ को देखते हुए इस बार का विधानसभा चुनाव अब भारत के इस राज्य में दो दलों के लिए राजनीतिक गतिशीलता नहीं रह गया है।

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