इलाज के लिए दिल्ली आने वालों को नहीं रोकेगी सरकार, HC का निर्देश- नोटिफिकेशन जारी करें

नई दिल्ली, 04 जून 2020, राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बाद राज्य सरकार ने बॉर्डर सील करने का फैसला किया था. जिसके बाद दिल्ली में सिर्फ जरूरी क्षेत्रों के लोगों को पास के बाद एंट्री मिलने की इजाजत है. लेकिन इसके खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसपर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि जो लोग इलाज करवाने के लिए दिल्ली आना चाहते हैं, उन्हें सरकार ना रोके और इस बारे में नोटिफिकेशन भी जारी करे. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने HC को बताया कि जिन लोगों को इलाज कराने के लिए दिल्ली आना है उनको ई-पास दिए जा रहे हैं. जिन्हें इलाज कराना है और जरूरी काम से आना है, उन्हें दिल्ली आने की मनाही नहीं है. सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली सरकार इसको लेकर नोटिफिकेशन अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे. इसकी जानकारी लोगों को दी जाए. हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में यह तय हुआ है कि दिल्ली द्वारा जारी किए गए पास के अलावा अगर नोएडा-गाजियाबाद समेत NCR के शहरों का प्रशासन कोई पास देता है, तो वो भी मान्य होंगे. गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने बीते दिनों एक हफ्ते के लिए बॉर्डर सील किए थे, जिसपर विवाद हुआ था. अब सरकार ने हाई कोर्ट को बताया गया है कि ये फैसला सिर्फ एक हफ्ते के लिए है, जिसकी समीक्षा होगी. ये याचिका सिर्फ पब्लिसिटी के लिए दायर की गई है. इस दौरान अदालत ने कहा कि जिन लोगों को दिल्ली आने से रोका जा रहा है, वो कोर्ट में याचिका लगाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन इस याचिका का निपटारा किया जा रहा है. दरअसल, इस याचिका में कहा गया था कि दिल्ली की सीमा सील करने से सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है. दिल्ली सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों के नागरिकों को भी दिल्ली में केंद्रीय अस्पताल पहुंचने के बुनियादी अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है. याचिकाकर्ता ने कहा कि देश में दोहरी नागरिकता का नियम नहीं है. हर कोई इस देश का नागरिक है और सभी को किसी भी स्थान पर रहने और किसी भी स्थान पर चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठाने का अधिकार है. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में काम करने वाले नागरिकों और एनसीआर में रहने और किसी अन्य राज्य में रहने वाले नागरिकों को इलाज के अधिकार से वंचित करना असंवैधानिक है.

Top News