इस्तीफे पर अड़े रहे राहुल तो क्या गांधी परिवार से बाहर का कोई होगा अध्यक्ष ?
नई दिल्ली, 24 मई 2019,लोकसभा चुनाव 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर में कांग्रेस सहित विपक्ष का पूरी तरह से सफाया हो गया है. बीजेपी 303 सीटों के साथ सत्ता में एक बार फिर वापसी की है. जबकि राहुल गांधी के नेतृत्व में उतरी कांग्रेस को जबरदस्त हार का मुंह देखना पड़ा है. कांग्रेस 52 सीटों पर सिमट गई है. लोकसभा की हार को स्वीकार करते हुए राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की.
हालांकि राहुल के इस्तीफे पर कांग्रेस की कार्यसमिति फैसला करेगी, लेकिन ज्यादातर संभावना है कि ये पेशकश महज औपचारिकता तक ही सीमित रह जाएगी. इसके बावजूद राहुल गांधी अपने इस्तीफे पर अगर इसी तरह से अड़े रहे औैर उनका इस्तीफा स्वीकार होता है तो सवाल उठता है कि फिर पार्टी की बागडोर किसके हाथों सौंपी जाएगी?
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के सामने पार्टी अध्यक्ष से इस्तीफा देने की पेशकश की. इसके बाद सोनिया गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने समझाया कि ये सब बातें पार्टी फोरम में रखनी चाहिए, जिसके बाद राहुल गांधी रुके. हालांकि राहुल गांधी गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही इस्तीफा देना चाहते थे. इसके बाद सोनिया ने प्रियंका गांधी को राहुल के घर भेजा.
सोनिया और प्रियंका के समझाने के बाद तय हुआ शनिवार को पार्टी की होने वाली cwc की बैठक में राहुल इस्तीफे की पेशकश करेंगे. यही वजह रही कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब राहुल गांधी यह पूछा गया कि क्या वह इस्तीफा देंगे? इस पर राहुल ने कहा, 'कार्यकारिणी की हमारी एक बैठक होगी. आप इस्तीफे के मुद्दे को मेरे और कार्यकारिणी के बीच छोड़ दें.'
लोकसभा चुनाव के नतीजों पर मंथन के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक शनिवार को होने जा रही है. माना जा रहा है कि इस बैठक में राहुल गांधी हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पहले हार की समीक्षा के लिए एक कमेटी गठित कर सकती है, जिस प्रकार 2014 में हार के बाद ए के एंटोनी के नेतृत्व में गठित की गई थी.
इसके बाद भी राहुल गांधी यदि अपने इस्तीफे के फैसले पर अड़े रहते हैं तो ऐसी हालत में पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल होगा कि पार्टी की कमान किसे सौंपी जाएगी? इस फेहरिस्त में हाल ही में सक्रिय राजनीति में एंट्री करने वाली प्रियंका गांधी का नाम सबसे आगे आता है. ऐसे में महज तीन महीने में पार्टी की कमान प्रियंका गांधी को सौंपी जाएगी तो फिर बीजेपी वंशवाद की राजनीति को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो सकती है.
गांधी परिवार वंशवाद की परछाई से अपने आपको अलग रखने के लिए कांग्रेस कोई दूसरा बड़ा कदम उठाने पर विचार कर सकती है. राजीव गांधी की हत्या के बाद जिस प्रकार कांग्रेस की कमान पीवी नरसिम्हा राव और उसके बाद सीताराम केसरी को सौंपी गई थी. इससे पहले भी कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के से बाहर के सदस्य के हाथों में रह चुकी है.
गौरतलब है कि कांग्रेस की खोई सियासी जमीन को तलाशने के लिए राहुल गांधी ने एड़ी चोटी का जोर लगाया. लोकसभा चुनाव में 2 माह 8 दिन के चुनाव प्रचार में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने 148 रैलियां की थी. इस दौरान उन्होंने करीब 1.25 किमी की यात्राएं की और देश भर में 52 सीटें आईं.
राहुल गांधी ने सबसे अधिक 21 रैली उत्तर प्रदेश में की है और पार्टी महज एक सीट जीत सकी है. मध्य प्रदेश में 18 रैली की एक सीट आई, राजस्थान में 13 रैली कोई सीट नहीं मिली. केरल में 12 रैली की 15 सीटें मिलीं. बिहार में आठ रैली की और एक सीट मिली. झारखंड में चार रैलियां किया और एक सीट ही जीत सके. ऐसे में हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की है, लेकिन यह संभावना बहुत कम है कि उनका इस्तीफा स्वीकार हो.
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