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यूएई में हिंदू मंदिर... कट्टर इस्लामिक देश में भगवा लहराने के पीछे की कहानी, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

अबू धाबी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं। इसे दोनों देशो के संबंधों में मील के पत्थर की तरह देखा जा रहा है। भारत और यूएई के संबंध सहस्राब्दियों पुराने हैं। मसालों, गहनों, इत्रों और कपड़ों के व्यापार से शुरू हुए ये संबंध अब ऊर्जा, कूटनीति और सामरिक संबंधों तक पहुंच चुके हैं। भारत-यूएई साझेदारी 21वीं सदी के एक निर्णायक गठबंधन के रूप में भी उभरी है। भारत और यूएई के बीच संबंधों में तेजी 2014 के बाद दिखनी शुरू हुई, जब पीएम मोदी ने सत्ता संभाली। 2015 में पीएम मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात की ऐतिहासिक यात्रा भी की, जिसने राजनयिक संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की। इसके बाद दौरों, समझौतों और तारीफों का सिलसिला शुरू हुआ, जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत किया है। भारत-यूएई संबंधों में कब आई गर्माहट संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान 2017 में गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर भारत पधारे। भारत और यूएई के रिश्तों में गर्माहट तब और ज्यादा बढ़ गई, जब अल नायहान ने 2019 में पीएम मोदी को प्रतिष्ठित ऑर्डर ऑफ जायद से सम्मानित किया। भारत और यूएई के रिश्तों की मजबूती को इसी से समझा जा सकता है कि दोनों नेता अक्सर प्रोटोकॉल को तोड़कर एक दूसरे का स्वागत करते हैं। इतना ही नहीं, पीएम मोदी हमेशा ही यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को "भाई" कहकर संबोधित करते हैं। भारत-यूएई व्यापार कहां तक पहुंचा 1962 के पहले तक यूएई खजूर, मोती और मछलियों के व्यापार तक सीमित था। लेकिन, जैसे ही यूएई में तेल की खोज हुई, उसने पूरी कहानी ही बदल दी। यूएई ने तेल के कारोबार के जरिए विकास की अद्वितीय गाथा लिखी, जिसने बड़े-बड़ों देशों को पीछे छोड़ दिया। 1990 के दशक में यूएई खाड़ी देशों में एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरा। 1970 तक भारत और यूएई का द्विपक्षीय व्यापार 180 मिलियन डॉलर था, जो 2021-22 में जबरदस्त बढ़त के साथ 73 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। भारत और यूएई के बीच 2022 में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) को साइन किया गया। दोनों देशों ने अगले पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार को वस्तुओं के क्षेत्र में 100 बिलियन डॉलर और सेवाओं के क्षेत्र में 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का संकल्प लिया है। कूटनीति में भी दोनों देश बने दोस्त ऐसा नहीं है कि भारत और यूएई के संबंध अब सेचुरेशन प्वाइंट तक पहुंच चुके हैं। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा में यूएई अहम भागीदार है। भारत इस गलियारे के जरिए यूरोप तक व्यापार करने का सपना सजाए हुए है। वित्तीय क्षेत्र में दोनों देशों ने 2023 में एक बड़ा समझौता किया था। इस समझौते के तहत भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने डॉलर को छोड़कर रुपया और दिरहम में व्यापार की हामी भरी थी। इसके अलावा 2024 के संयुक्त विजन दस्तावेज के साथ दोनों देश फिनटेक, क्लीन एनर्जी, जलवायु परिवर्तन पर एक साथ काम करने जा रहे हैं। 2021 में इजरायल और अमेरिका के साथ गठित I2U2 समूह में भी भारत और यूएई शामिल हैं।

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