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आईपीएस अधिकारी संजय अरोड़ा ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त के तौर पर कार्यभार संभाला

नयी दिल्ली,भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी संजय अरोड़ा ने सोमवार को दिल्ली पुलिस के आयुक्त पद का कार्यभार संभाला। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अरोड़ा के यहां जय सिंह मार्ग स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय पहुंचने पर पुलिस बल ने उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया। दिल्ली के पुलिस प्रमुख के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले ट्वीट में अरोड़ा ने कहा कि बल पुलिस व्यवस्था में नए मानक स्थापित करेगा। उन्होंने दिल्ली पुलिस आयुक्त के आधिकारिक ट्विटर हैंडल (अकाउंट) से ट्वीट किया, “आज, मैंने दिल्ली के पुलिस आयुक्त का पदभार संभाला। दिल्ली पुलिस की समृद्ध विरासत राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च नागरिक सेवाओं और बलिदानों से परिपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि साथ मिलकर हम इस भावना को आगे बढ़ाएंगे और पुलिसिंग (पुलिस व्यवस्था) के नए मानक स्थापित करेंगे।” 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की सेवानिवृत्ति होने के बाद केंद्र सरकार ने 57 वर्षीय अरोड़ा को रविवार को दिल्ली पुलिस का आयुक्त नियुक्त किया था। दिल्ली पुलिस के आयुक्त के तौर पर अरोड़ा की नियुक्ति केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उनके तमिलनाडु से एजीएमयूटी में अंतर कैडर प्रतिनियुक्ति को मंजूरी देने के बाद की गई। दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करती है और उसके अधिकारी अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित क्षेत्र (एजीएमयूटी) कैडर के होते हैं। अरोड़ा ने तमिलनाडु पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के पुलिस अधीक्षक के रूप में भी सेवाएं दी हैं, जिसका गठन चंदन तस्कर वीरप्पन को पकड़ने के लिए किया गया था और इस कार्यकाल के दौरान उन्हें बहादुरी के लिए मुख्यमंत्री के वीरता पदक से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 2002 और 2004 के बीच कोयंबटूर के पुलिस आयुक्त के रूप में कार्य किया। अरोड़ा को पिछले साल अगस्त में आईटीबीपी का महानिदेशक (डीजी) नियुक्त किया गया था। उन्होंने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भी अपनी सेवाएं दीं। अधिकारियों ने कहा कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के उदय के दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अरोड़ा ने विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लिट्टे ने श्रीलंका में तीन दशकों तक एक तमिल राष्ट्र के लिए अलगाववादी युद्ध का नेतृत्व किया था।

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