taaja khabar..CJI को वकीलों का पत्र, मोदी बोले-धमकाना कांग्रेस की संस्कृति:600 वकीलों ने चीफ जस्टिस से कहा- न्यायपालिका खतरे में है, दबाव से बचाना होगा ..अरविंद केजरीवाल की बढ़ी ED रिमांड, कोर्ट में सीएम ने खुद दी दलीलें..लोकसभा चुनाव लड़ेंगे फिल्म स्टार गोविंदा? एकनाथ शिंदे की शिवसेना में हुए शामिल..केजरीवाल को CM पद से हटाने वाली याचिका खारिज, जानें दिल्ली HC ने क्या कहा..प्रकाश आंबेडकर ने संजय राउत पर बोला हमला, बोले- 'आपने पीठ में छुरा घोंपने का काम किया'..रक्षामंत्री बोले- सरकार अग्निवीर योजना में बदलाव को तैयार:सेना को युवाओं की जरूरत; कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया, कहा- ये यूथ से धोखा..

काष्ठ मूर्तिकार मांडण ने शीशम की लड़की से 3 मिलीमीटर का बनाया हल, ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ दर्ज, जिला कलक्टर ने दी शुभकामनाएं

हनुमानगढ़। त्रिलोकचंद माण्डण एक उत्कृष्ठ काष्ठमूर्तिकार है इनकी कलाकृतियां अपने आप में अनुपम उदाहरण है। जिले में कला एवं संस्कृति के विकास में ऐसे कलाकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये विचार गुरूवार को जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने त्रिलोकचंद माण्डण को तीन मिलीमीटर लम्बाई के लकड़ी के हल बनाये जाने पर ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड के पंजीयन प्रमाण-पत्र की ऑनलाईन प्राप्त प्रति की हॉर्ड कॉपी सौंपते हुए प्रकट किए। काष्ठमूर्तिकार श्री माण्डण ने जिला कलक्टर को नववर्ष की बधाई देते हुए उन्हें अपनी कलाकृति ‘चरखा’ भेंट की। इस अवसर पर जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी सुरेश बिश्रोई व श्रवण सुथार उपस्थित रहे। क्या है कलाकृतिरू- आर्टिस्ट त्रिलोकचंद माण्डण के अनुसार ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड की ओर से वर्ष २०२० के अंक में पंजीबद्ध (रजिस्टर्ड) की गई यह कलाकृति एक साधारण लकड़ी (शीशम) से तैयार किया गया हल है जिसकी लम्बाई ३ मिलीमीटर है। इससे पूर्व सबसे छोटा लकड़ी का हल ५ मिलीमीटर में आर्टिस्ट पार्वती सुथार जोधपुर ने तैयार किया था। कलाकर के अनुसार यह पुस्तक वैश्विक रिकॉर्ड दर्ज होने पर प्रमाण पत्र जारी करती है। त्रिलोकचन्द माण्डण दो वैश्विक रिकॉर्ड पहले भी बना चुके हैं। इससे पूर्व आर्टिस्ट त्रिलोकचन्द माण्डण ६ एम.एम. की हाथ की चक्की (फ्लोर मिल) तथा ४ एम.एम. अंगूठी (रिंग) तैयार कर वैश्विक रिकॉर्ड बना चुके है। कलाकार परिचयरू- कलाकार त्रिलोकचंद माण्डण नोहर तहसील के ढण्ढ़ेला गांव के निवासी है। ये गांव में ही निवास कर काष्ठ कलाकृतियां तैयार करते है। इनकी कलाकृतियों में लकड़ी की मूर्तियां देवी देवताओं से लेकर सन्तों, क्रांतिकारियों, महापुरूषों व हर किसी व्यक्ति की प्रतिमा बनाने में सक्षम है। इसके अलावा राजस्थानी सभ्यता और संस्कृति से जुड़े अनेक प्रतिमान और प्रतीक, अशोक स्तम्भ व लोगों व रोजमर्रा के कार्य में आने वाले बर्तन, गहने व अन्य कलाकृतियां तैयार करते है। बेजोड़ है इनकी कलारू- ये साधारण लकड़ी शीशम आदि से कलाकृतियां बनाते हैं। जो केवल हाथ के औजार से तैयार करते है। बिना किसी जोड़ के तैयार इनकी कलाकृतियां बेजोड़ होती है। देशभर में इस तरह के कलाकार नाम मात्र है। इनकी कलाकृतियों में जीवतंता व भाव भंगिमा पाई जाती है। कलाकार की अभिलाषारू- कलाकर त्रिलोकचंद माण्डण इन कलाकृतियों का निमार्ण करके एक म्यूजियम बनाना चाहते है। ये कलाकृतियों को आमतौर पर विक्रय नहीं करते है। समय-समय पर प्रशासनिक अधिकारियों, मुख्यमंत्री व मंत्रियों, न्यायाधिपतियों आदि को कलाकृतियां भेंट करके इस कला को केन्द्र व राज्य सरकार से प्रोत्साहित किये जाने की मांग करते रहते है। इनकी अभिलाषा है कि श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिला कृषि प्रधान होने के साथ-साथ कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है। इस क्षेत्र से कला एवं संस्कृति पर कार्य कर यहां से ऐसे कलाकार तैयार कर विदेशों में कलाकृतियां निर्यात कर विदेशी मुद्रा के भण्डार भरे जा सकते है। ये कला सीखने के इच्छुक लोगों को कला सीखाना चाहते है। परन्तु किसी प्रकार का राजकीय प्रोत्साहन न होने की वजह से लोग सीख नहीं रहे हैं। दर्जनों सम्मान मिल चुके हैरू- त्रिलोकचन्द माण्डण को देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं से दर्जनों पुस्कार व सम्मान मिल चुके है। कई संगठनों ने इनको राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा पुरस्कार दिये जाने की मांग उठाई है।

Top News