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तीन स्‍टेप और कोरोना साफ, ऐसे काम करती है ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन

तीन स्‍टेप और कोरोना साफ, ऐसे काम करती है ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीनऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल के अगले दौर में पहुंच चुकी है। अगर बड़े पैमाने पर होने वाले ट्रायल में भी यह उतनी ही असरदार रही तो मेडिकल जगत में यह एक तरह का अजूबा ही होगा। आज तक कोई भी वैक्‍सीन बीमारी सामने आने के सालभर में डेवलप नहीं हो सकी है। ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन आम सर्दी-जुकाम वाले वायरस (Adenovirus) का एक कमजोर रूप है। इसे जेनेटिकली इंजीनियर किया गया है ताकि इंसानों में यह अपनी कॉपीज न बनाए। जब इसे कोरोना के स्‍पाइक प्रोटीन के साथ किसी को दिया जाता है, तो यह स्‍पाइक प्रोटीन्‍स का एक बिल्‍ड-अप तैयार करती है। शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम इसे पहचान लेता है और फ‍िर ऐंटीबॉडीज बनाना शुरू कर देता है। फेल 1-2 ट्रायल के मुताबिक, वैक्‍सीन के सिंगल डोज से 95% वालंटिअर्स में महीने भर के भीतर ऐंटीबॉडीज 4 गुना बढ़ गईं। आइए जानते हैं कि ये वैक्‍सीन कैसे बनती है और काम करती है। स्‍टेप 1: लगाते हैं स्‍पाइक प्रोटीन का पता वैक्‍सीन बनाने के लिए सबसे पहले कोरोना वायरस स्‍पाइक प्रोटीन के जेनेटिक कोड का पता लगाया गया। इसके लिए जीन सीक्‍वेंसिंग की मदद ली गई। स्‍टेप 2: कमजोर वायरस से बनी वैक्‍सीन वैक्‍सीन के भीतर मौजूद adenovirus कमजोर और जेनेटिकली मॉडिफाइड हैं ताकि उससे इंसानों को इन्‍फेक्‍शन न हो। इससे वैक्‍सीन स्‍पाइक प्रोटीन तैयार करती है। स्‍टेप 3: वैक्‍सीन शरीर पर कुछ यूं करती है असर वैक्‍सीन देने के बाद शरीर में स्‍पाइक प्रोटीन्‍स बनते हैं जिसकी वजह से इम्‍यून सिस्‍टम उनके खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनाने लगता है। एक बार इम्‍यून सिस्‍टम स्‍पाइक प्रोटीन्‍स को पहचान ले तो वह कोरोना वायरस इन्फेक्‍शन का मुकाबला कर सकता है। रेस में सबसे आगे हैं जेनेटिकली मॉडिफाइड वैक्‍सीन्‍स कोविड-19 के लिए कई तरह की वैक्‍सीन पर काम चल रहा है। लेकिन रेस में सबसे आगे जो वैक्‍सीन हैं, वे जेनेटिकली इंजीनियर्ड वैक्‍सीन्‍स ही हैं। जैसे चीन की CanSino Biologics भी ऐडवांस्‍ड ट्रायल स्‍टेज में है। इनका मेन मकसद ऐंटीबॉडीज बनाना है ताकि वायरस जब हमें इन्‍फेक्‍ट करने की कोशिश करे तो वें उसका खात्‍मा कर सकें। हालांकि आज तक कोई भी adenovirus वैक्‍सीन इंसानों पर यूज के लिए अप्रूव नहीं हुई है। कब तक आ जाएगी यह वैक्‍सीन? रेगुलेटरी और लाइसेंसिंग अप्रूवल के लिए वैक्‍सीन को ऐडवांस्‍ड फेज 2 और 3 ट्रायल्‍स से गुजरना होगा। यूके में 10,000 लोगों पर ट्रायल चल रहा है। ब्राजील और साउथ अफ्रीका में भी इंसानों पर ट्रायल हो रहे हैं। अमेरिका में 30 हजार लोगों पर एक बड़ी स्‍टडी होने वाली है। एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक, अगर सबकुछ ठीक रहता है तो इस साल के आखिर तक वैक्‍सीन मिल सकती है। अस्‍त्राजेनेका ने कहा है कि वह 2 बिलियन से ज्‍यादा डोज सरकारों और एजेंसियों को सप्‍लाई करेगी।

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