क्या है पिंजरा तोड़ ग्रुप जिसकी दो सदस्य हुईं दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार

नई दिल्ली पिंजरा तोड़ ग्रुप (Pinjra Tod Group) से जुड़ीं दो छात्राओं को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान देवांगना और नताशा के तौर पर हुई है। इन पर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा से जुड़े होने का आरोप है। जब से ये दोनों लड़कियां गिरफ्तार हुई हैं, तब से लोगों के मन में एक सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर ये पिंजरा तोड़ ग्रुप क्या है (What is Pinjra Tod Group)? क्या है पिंजरा तोड़ ग्रुप? पिंजरा तोड़ ग्रुप कॉलेज की छात्राओं का एक संगठन है, जिसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेजों की लड़कियां भी हैं। ये संगठन कॉलेज हॉस्टल के नियमों के खिलाफ काम करता है। दिल्ली में सीएए को लेकर हुई हिंसा में कई बार इस संगठन का नाम सामने आया है। इस ग्रुप में कॉलेज की मौजूदा छात्राएं तो होती ही हैं, साथ ही उस कॉलेज से पढ़कर निकल चुकी छात्राएं भी होती हैं। इस ग्रुप की छात्राओं की मांग होती है कि हॉस्टल और पीजी में महिला छात्रों पर कम से कम प्रतिबंध हों। इस ग्रुप की महिलाओं का तर्क होता है कि महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर उनके अधिकार नहीं छीनने चाहिए। महिलाओं को पूरी आजादी से जीने का हक होना चाहिए। कैसे बना पिंजरा तोड़ ग्रुप? जब 2015 में गर्मी की छुट्टियों के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी खुली तो जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्राओं ने एक नोटिस जारी किया, जिसके तहत लड़कियों को 8 बजे से बाद बाहर रहने की इजाजत नहीं थी। दिल्ली महिला आयोग ने इसका विरोध किया और पूछा कि यूनिवर्सिटी ने ऐसा फैसला क्यों लिया। उसी दौरान महिला छात्रों के एक समूह ने महिला आयोग की प्रतिक्रिया को देखते हुए अन्य यूनिवर्सिटी के नियम-कायदों पर भी सवाल उठाने शुरू किए। यहीं से पिंजरा तोड़ ग्रुप की शुरुआत हुई, जो छात्राओं पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों, उनके पीजी और हॉस्टल का किराया अधिक होने आदि के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया। विवादों में भी रहा पिंजरा तोड़ 20 फरवरी 2019 को महिलाओं के एक ग्रुप ने पिंजरा तोड़ से किनारा करने की घोषणा की थी। आरोप था कि ये ग्रुप सवर्ण हिंदू महिलाओं का ही एक ग्रुप है, जो उन महिलाओं के बारे में नहीं सोचता है जिनके साथ धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाता है।

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