क्या भारतीय जवानों को चीनी सैनिकों ने हिरासत में लिया, सेना ने दिया ये जवाब

नई दिल्ली पिछले काफी दिनों से भारत और चीन के बीच गर्मागर्मी का माहौल बना हुआ है। इसी बीच खबर आई थी कि भारतीय सेना और चीन के सैनिकों के बीच झड़प भी हुई है, जिसके बाद कुछ भारतीय जवानों को चीन से हिरासत में ले लिया और फिर बाद में रिहा कर दिया। अब सेना की ओर से आधिकारिक बयान जारी कर ऐसी किसी भी रिपोर्ट को नकार दिया गया है। इतना ही नहीं सेना ने कहा है कि ऐसी खबरें राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। भारतीय सेना का जवाब भारतीय सेना की ओर से कहा गया कि चीन की ओर से भारतीय जवानों को हिरासत में नहीं लिया गया और न ही उनके हथियार छीने गए हैं। सेना के प्रवक्ता अपने बयान में कहा कि हम स्पष्ट रूप से इससे इनकार करते हैं। ऐसी खबरें राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। PTI के मुताबिक, गल्वान घाटी में चीन ने पिछले दो सप्‍ताह के भीतर करीब 100 टेंट गाड़ दिए हैं। वह मशीनरी भी यहां ला रहा है जो शायद बंकर्स बनाने में इस्‍तेमाल हो। भारत भी पैगोंग झील और गल्वान घाटी में सैनिकों की तैनाती लगातार बढ़ा रहा है। कई इलाकों में भारत की पोजिशन चीन से बेहतर है। बॉर्डर पर शक्ति-प्रदर्शन कर रहा चीन? चीन ने भारी संख्‍या में बॉर्डर डिफेंस रेजिमेंट (BDR) के जवानों को तैनात किया है। भारत ने भी 'मिरर डिप्‍लॉयमेंट' की रणनीति अपनाई है। इसका मतलब ये है कि चीन जितनी मैनपावर और रिसोर्सेज लगाएगा, भारत भी उसी टोन में जवाब देगा। चीन ने सिर्फ सैनिक ही नहीं बुलाए, झील में नावों की संख्‍या बढ़ा दी है। हवाई निगरानी के लिए गल्वान घाटी में हेलिकॉप्‍टर्स उड़ रहे हैं। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने करीब 1300 सैनिक यहां पर तैनात किए हैं। भारत भी उसी हिसाब से सैनिकों की तैनाती कर रहा है। टीओआई के मुताबिक, भारत ने लेह की इन्‍फैट्री डिजिवन की कुछ यूनिट्स को आगे भेजा है। कई और बटालियंस भी लद्दाख में मूव कराई गई हैं। कैसे बिगड़ते गए हालात? 5 मई को पूर्वी लद्दाख में करीब 250 चीनी सैनिक और भारतीय जवान आपस में भिड़ गए। इसमें दोनों ओर से करीब 100 सैनिक घायल हुए। कुछ दिन बाद, उत्‍तरी सिक्किम में फिर दोनों देशों के सैनिक भिड़े। इसके बाद से ही, पूर्वी लद्दाख तनाव का केंद्र बना हुआ है। यहां के दो पॉइंट्स पर फोकस है। पैंगोंग लेक और गल्वान घाटी। झील का उत्‍तरी किनारा हथेली जैसा है जिसके 8 भाग हैं जिसे आर्मी 'फिंगर्स' कहती है। भारत कहता है कि LAC 8वीं फिंगर से शुरू होती है जबकि चीन कहना है कि दूसरी से। चीन ने इस पॉइंट पर ब्‍लॉकिंग पॉइंट्स भी बना लिए हैं। भारत चौथी फिंगर तक के हिस्‍से को कंट्रोल करता है। चीन ने छह साल पहले, चौथे हिस्‍से पर परमानेंट कंस्‍ट्रक्‍शन की कोशिश की थी मगर भारत के कड़े विरोध के बाद उसे ढहा दिया गया। चीन की हरकतें कभी नहीं नहीं थमीं पिछले साल नवंबर में केंद्रीय रक्षा राज्‍य मंत्री श्रीपद नाइक ने संसद में बताया था कि साल 2016 में चीन की सेना ने 273 बार बॉर्डर पर आक्रामक रुख दिखाया। 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 426 हो गया, इसी साल डोकलाम विवाद हुआ था। 2018 में चीन ने 326 बार झड़प की। 2019 का डेटा अभी तक सरकार ने जारी नहीं किया है। क्‍या है LAC का विवाद? लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) की सीमाएं विवादित हैं। भारत कहता है कि LAC 3,488 किलोमीटर लंबी है जबकि चीन इसे 2,000 किलोमीटर लंबी ही मानता है। चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्‍सा नहीं मानता। लद्दाख और सिक्किम में LAC से लगे कई इलाकों पर चीन अपना अधिकार जताता है। दोनों सेनाएं LAC पर रेगुलर पैट्रोल करती हैं और कई बार सैनिकों में झड़प होती रहती है। हालांकि 1962 के बाद से हालात इतने तनावपूर्ण नहीं हुए थे कि बात युद्ध तक पहुंचे। 2017 में सिक्किम का डोकलाम विवाद जरूर भारत-चीन के बीच तल्‍खी की वजह बना था मगर करीब ढाई महीने में वो मसला सुलझा लिया गया था।

Top News