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राहुल के बाद माया-अखिलेश से मिलेंगे चंद्रबाबू, कर्नाटक मॉडल पर केंद्र में सरकार की तैयारी?

लखनऊ लोकसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। इसके साथ ही 23 मई के संभावित नतीजों को लेकर अभी से जोड़-तोड़ की रणनीति पर काम भी शुरू गया है। कांग्रेस की ओर से हाल ही में यह संकेत दिए गए कि यदि उसे गठबंधन में पीएम का पद नहीं मिलता है, तब भी उसे कोई समस्या नहीं होगी। हालांकि बाद में कांग्रेस अपने बयान से पलट गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और अगर 5 साल सरकार चलाना है तो जाहिर है कि सबसे बड़ी पार्टी को ही मौका मिलना चाहिए। लेकिन, कांग्रेस के त्याग वाले बयान ने किसी भी दल को बहुमत न मिलने की स्थिति में सरकार गठन के इस समीकरण की चर्चा जरूर छेड़ दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र में कर्नाटक मॉडल पर सरकार बनाने की जुगत शुरू हो सकती है। एनडीए से अलग हुई तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू शनिवार सुबह राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे। यही नहीं उनका लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी मिलने का कार्यक्रम है। इस बीच जेडीएस के मुखिया एचडी देवेगौड़ा ने कांग्रेस के साथ मतभेद की अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि वे कांग्रेस को समर्थन के लिए तैयार हैं। ऐसे में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नतीजों के दौरान अपनी सरकार नहीं बनते देख कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद एच डी कुमारस्वामी राज्य के सीएम बने थे। माया-अखिलेश 23 के बाद खोलेंगे पत्ते! बता दें कि कांग्रेस चाहती है कि सभी गैर-एनडीए नेता नतीजों से पहले एक बार बैठक करें जबकि माया और अखिलेश ने नतीजों पहले किसी भी तरह के जोड़-तोड़ से अभी तक परहेज कर रखा है। वहीं, सूत्रों की मानें तो नायडू दोनों नेताओं को दिल्ली में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश करने वाले हैं। पीएम पद पर नायडू-माया की भी निगाहें दरअसल, कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना ज्यादा जरूरी है। इसलिए अगर पार्टी को पीएम पद नहीं भी मिलता है, तो उसे कोई समस्या नहीं होगी। हालांकि, इसके बाद आजाद अपने बयान से पलट गए थे लेकिन अटकलें लगनी शुरू हो गईं। कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी केंद्र में कर्नाटक मॉडल पर सरकार बनाने का विचार कर रही है। चंद्रबाबू नायडू और मायावती खुद को पीएम पद के दावेदारों के रूप में देखते हैं। अगर एनडीए को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो कांग्रेस ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं को पीएम पद पर काबिज होने का मौका दे सकती है। कर्नाटक में यूं बनी थी सरकार बता दें कि कर्नाटक में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी रही थी जबकि कांग्रेस दूसरे और जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) तीसरे स्थान पर थी। हालांकि, कांग्रेस और जेडीएस ने चुनाव के बाद गठबंधन कर लिया और कांग्रेस ने ज्यादा सीटें होने के बावजूद जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार किया। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से मिल रहे संकेतों के आधार पर यह माना जा रहा है कि ऐसा ही 23 मई को नतीजे आने के बाद करने का विचार हो सकता है। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष लामबंद अंतिम चरण के मतदान से एक दिन पहले तीनों नेताओं की बैठक इस ओर इशारा कर रही है। नायडू इससे पहले सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और आम आदमी पार्टी अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल से भी मिल चुके हैं। वह शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मिल सकते हैं। यहां तक कि नायडू अपने धुर प्रतिद्वंद्वी टीआरएस अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव तक के लिए संदेश दे चुके हैं कि वह टीआरएस या ऐसे किसी भी दल का स्वागत करने के लिए तैयार हैं जो बीजेपी के खिलाफ है। सूत्रों के मुताबिक नायडू, माया और अखिलेश की बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विपक्षी एकता का संदेश दिए जाने की संभावना है।

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