अमेरिकी एयरबेसों पर ईरानी मिसाइलों का हमला, इराक ने लीक की जानकारी?

बगदाद ईरान ने अपने कमांडर की मौत का बदला लेने के लिए बीती रात इराक में अमेरिकी बेसों पर ताबड़तोड़ कई मिसाइलें दागीं। उसने दावा भी किया है कि इस हमले में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए हैं। हालांकि अमेरिका ने इसे खारिज करते हुए किसी भी सैनिक के मारे जाने की पुष्टि नहीं की है। ऐसे में यह जानना काफी दिलचस्प है कि क्या ईरान ने गलत टारगेट चुने या अमेरिकी सैनिकों को पहले से ही हमले की भनक मिल गई थी? इराक को पहले ही बता दियाथा ईरान ने हमले के कुछ घंटे बाद अब इराकी पीएम ने बताया है कि ईरान ने बीती रात हुए हमले के बारे में उन्हें जानकारी पहले ही दे दी थी। इराकी पीएम के प्रवक्ता ने बताया कि पीएम अब्देल को तेहरान से एक फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि अपने टॉप जनरल की हत्या का बदला लेने के लिए जवाबी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि क्या इराकी पीएम ने अमेरिका को यह जानकारी लीक कर दी। इराकी पीएम का कहना है कि उन्हें यह जरूर बताया गया था कि अमेरिकी फोर्सेज की लोकेशन को ही टारगेट किया जाएगा लेकिन किस जगह पर हमला होगा, यह स्पष्ट तौर पर नहीं बताया गया था। खबर यह भी है कि रात में अपने बेसों पर हमले होने के बाद अमेरिका से इराकी पीएम को फोन आया था और हालात की जानकारी ली गई थी। मेरीलैंड से इराक में सैनिकों को किया गया अलर्ट अमेरिकी अधिकारियों की मानें तो उनके आधुनिक डिटेक्शन सिस्टम की बदौलत सैनिकों को पहले ही मिसाइल हमले की चेतावनी मिल गई थी, जिससे वे अपने बंकर में जाकर छिप गए। एक अधिकारी ने बताया है कि अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के जरिए इराक में मौजूद अमेरिकी सैनिकों को खतरे को लेकर अलर्ट कर दिया गया था। दरअसल, अमेरिका के मेरीलैंड स्थित फोर्ट मेड बेस पर मिसाइलों की लॉन्चिंग को लेकर रियल टाइम में सूचनाएं इकट्ठा की जाती हैं। 600 मील थी मिसाइलें तभी... डेली मेली की रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा सूत्रों ने बताया कि जब मिसाइलें 600 मील दूर थीं, तभी सैनिकों को वॉर्निंग मिल गई थी और वे अपने-अपने बंकरों में जा छिपे। ईरान ने स्थानीय समयानुसार बुधवार तड़के ऐन अल-असद और एरबिल बेस पर दर्जनभर मिसाइलें दागीं। राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप ने न सिर्फ अमेर‍िकी सैन‍िकों के हताहत होने की खबर का खंडन किया है बल्कि सैन्य अधिकारी ने बताया है कि पेंटागन के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम ने सैनिकों को संभावित खतरे को लेकर अलर्ट कर दिया था। कैसे सूचनाएं जुटाता है अमेरिका मेरीलैंड में नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी का एक बेस मौजूद है, जो ऐसी जानकारियां इकट्ठा करता है। डिफेंस स्पेशल मिसाइल ऐंड एरोस्पेस सेंटर ने अलग-अलग रेंज के सैटलाइट्स, रेडार और हीट डिटेक्शन का इस्तेमाल करते हुए बीती रात ईरान के मिसाइल हमले की खुफिया सूचनाएं जुटाई थीं। आपको बता दें कि अमेरिकी एयर बेस पर हमले के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने देश को संबोधित किया और कमांडर सुलेमानी को याद किया। उन्होंने कहा कि हमला सफल रहा और हमने पिछली रात अमेरिका के घमंड पर तमाचा जड़ दिया है। खामेनेई ने यह भी कहा कि जनरल सुलेमानी की शहादत को ईरान कभी नहीं भूलेगा। कैसे काम करता है यह सेंटर - मेरीलैंड के NSA मुख्यालय में स्थित डिफेंस स्पेशल मिसाइल ऐंड एस्ट्रोनॉटिक्स सेंटर 1964 से पेंटागन के तहत काम करता है। - यह दिन के 24 घंटे और साल के 365 दिन ऐक्टिव रहता है। - 1970 के दशक में इस सेंटर से सोवियत मिसाइलों और स्पेस लॉन्च के बारे में जानकारी जुटाई जाती थी। - बाद में यह ग्लोबल डिटेक्शन सिस्टम के तौर पर काम करने लगा। - 1991 में गल्फ वॉर के समय यह सेंटर काफी चर्चा में रहा था।

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