CAA, NRC, NPR: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- इनमें दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं

CAA, NRC, NPR: गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- इनमें दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं नई दिल्ली केंद्र सरकार नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) और नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के बीच संबंध जोड़कर किसी तरह की अफवाह न फैलाई जाए, इसकी आशंका खारिज करने के लिए सक्रिय हो गई है। इसी क्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में स्पष्ट कहा कि दोनों के बीच दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, 'दोनों में मूलभूत अंतर है। एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है। इसके आधार पर अलग-अलग योजनाओं के आकार बनते हैं। लेकिन, एनआरसी में हर व्यक्ति से प्रूफ मांगा जाता है कि आप किस आधार पर भारत के नागरिक हैं।' अमित शाह ने और क्या-क्या कहा, NPR सिर्फ योजनाओं का आकार तय करने के लिए' शाह ने कहा कि नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) और नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के बीच कोई संबंध नहीं है। मैं आज स्पष्ट तौर पर बता रहा हूं। देशव्यापी एनआरसी पर बहस की कोई जरूरत ही नहीं है क्योंकि अभी इस पर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है। इस पर न कोई कैबिनेट में चर्चा हुई और न ही संसद में। दोनों प्रक्रिया का एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है और न दोनों प्रक्रिया का एक-दूसरे के सर्वे में उपयोग हो सकता है। एनपीआर के लिए अभी जो प्रक्रिया चलेगी, उसका उपयोग कभी भी एनआरसी के लिए नहीं हो सकता है। दोनों कानून भी अलग हैं। उन्होंने कहा कि एनपीआर की जरूरत इसलिए है कि हर 10 साल में अंतरराज्यीय स्तर पर जनगणना में जबर्दस्त उथल-पुथल होती है। एक राज्य के लोग दूसरे राज्य में जाकर बस जाते हैं। जो लोग दूसरे राज्य में बसे हैं, उनकी जरूरतों के मुताबिक योजनाओं का आधार एनपीआर होगा। NPR में कोई प्रूफ देने की जरूरत नहीं' ये प्रक्रिया बीजेपी सरकार ने शुरू नहीं की। यूपीए सरकार ने 2004 में एक कानून बनाया और 2010 की जनगणना के साथ एनपीआर सर्वे हुआ। इस बार फिर जनगणना के साथ एनपीआर की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। इसके अंदर देश में रहने वाला हर कोई भी व्यक्ति एक ऐप में अपनी जानकारी देगा। दी गई जानकारी के सपॉर्ट में कोई दस्तावेज नहीं देना होगा। अगर आपके पास कुछ जानकारी नहीं है तो आप उसे कोष्ठक को खाली छोड़ सकते हैं। इस बार घर का क्षेत्रफल कितना है, आपके घर में पशुधन कितना है? ऐसी जानकारी इस बार नहीं मांगी जा रही है। इसमें एक भी सवाल ऐसा नहीं है कि क्या आप भारत के नागरिक हैं? इमसें यह पूछा जा रहा है कि आप यहां कब से रह रहे हैं? पॉलिटिक्स और कम्यूनिकेशन में अंतर होता है' पॉलिटिक्स और कम्यूनिकेशन में अंतर होता है। हमने नोटिफिकेशन निकाला 31 जुलाई, 2019 को। सारे राज्य भी नोटिफिकेशन निकाल चुके हैं। यह कम्यूनिकेशन है। पॉलिटिक्स यह है कि सीएए के कारण बवाल खड़ा हुआ, अब यह बवाल थमता जा रहा है क्योंकि सबलोग इसे समझने लगे हैं तो अब एनपीआर का बवाल खड़ा करो। 31 जुलाई, 2019 को नोटिफिकेशन आ गया था। तब सीएए आया ही नहीं था। अब तक कई राज्यों ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। हमारा प. बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों से आग्रह है कि वे अपने राज्यों की गरीब आबादी को सरकारी योजनाओं से दूर नहीं रखें। इन दोनों राज्यों ने एनपीआर की प्रक्रिया रोक दी है। जब उनसे पूछा कहा गया कि अगर गैर बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों ने एनपीआर लागू करने से इनकार कर दिया, तो आप क्या करेंगे, तो अमित शाह ने कहा कि एनपीआर से किसी को कोई दिक्कत नहीं है. इसको लेकर मैं राज्यों के मुख्यमंत्रियों को समझाने की पूरी कोशिश करूंगा. NPR की प्रक्रिया कांग्रेस ने शुरू की, ये BJP के घोषणापत्र में भी नहीं कांग्रेस ने साल 2010 में एनपीआर की प्रक्रिया शुरू की थी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एनपीआर में आधार नंबर देने में कोई हर्ज नहीं हैं. एनपीआर न हमारे घोषणापत्र में शामिल है. जब उनसे पूछा गया कि अगर एनपीआर में किसी का नाम शामिल होने से रह जाता है, तो क्या उसकी नागरिकता चली जाएगी, तो अमित शाह ने कहा कि मैं यह बात बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूं कि एनपीआर में किसी का नाम शामिल नहीं होने से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. यह एनआरसी से अलग है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन सियासी है. इसको लेकर विरोध प्रदर्शन उन राज्यों में नहीं हुए, जहां सबसे ज्यादा घुसपैठिए रहते हैं. डिटेंशन सेंटर को लेकर क्या-क्या बोले अमित शाह? डिटेंशन सेंटर को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर कोई दूसरे देश से गैर कानूनी तरीके से आ जाता है, तो उसको जेल में नहीं रखा जाता है, उसको डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है. डिटेंशन सेंटर का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं हैं. अमित शाह ने कहा कि असम में सिर्फ एक डिटेंशन सेंटर है. हालांकि इसको लेकर मैं कंफर्म नहीं हूं, लेकिन इतना साफ कर देता हूं कि जो भी डिटेंशन सेंटर हैं, वो मोदी सरकार में नहीं बनाए गए हैं. इतना ही नहीं, जो डिटेंशन सेंटर बने भी हैं, वो संचालित नहीं हैं. CAA और NRC पर फैले अफवाह का डर दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के बीच संबंध होने की अफवाह फैलने से पूरा देश जल उठा। हर राज्य में सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हुए और कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी, आगजनी, तोड़फोड़ के जरिए भारी तबाही मचाई। सरकार को डर है कि अगर एनपीआर और एनआरसी में भी संबंध जोड़ दिया गया तो देश फिर से उबल सकता है। यही वजह है कि सरकार ने सक्रियता दिखाते हुए आशंकाएं दूर करने का प्रयास किया।

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