महाराष्ट्र: शिवसेना को कोसते हुए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने किया इस्तीफे का ऐलान

मुंबई महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने शपथ लेने के महज तीन दिन बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज ही बुधवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने उसका इंतजार किए बगैर ही इस्तीफा दे दिया है। देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं यहां से सीधे गवर्नर हाउस जा रहा हूं और अपनी इस्तीफा उन्हें सौंप दूंगा। फडणवीस से पहले डेप्युटी सीएम अजित पवार ने भी इस्तीफा दे दिया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब फडणवीस से पूछा गया कि क्या अजित पवार से समर्थन लेने का फैसला गलत था तो उन्होंने कहा कि गलती हुई या नहीं, यह हम बाद में सोचेंगे। उन्होंने कहा, 'देखिए, चुनाव में वह चुन कर आए और एनसीपी ने उनको (अजित पवार) गुट नेता (विधायक दल का नेता) बनाया। अब सरकार बनाने के लिए गुट नेता की बात तो सुननी पड़ती है न? गलती हुई या नहीं, ये बाद में सोचेंगे।' माना जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को यह लग रहा था कि वे फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे और इसके चलते दोनों ने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे का ऐलान करने से पहले देवेंद्र फडणवीस ने सूबे में अस्थिरता का ठीकरा शिवसेना पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि हमने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और बहुमत हासिल किया था और हमें जनता ने 105 सीटें देकर ज्यादा समर्थन दिया। लेकिन, शिवसेना ने यह देखते हुए कि उसके बगैर सरकार नहीं बन सकती है तो वह सीएम की मांग पर अड़ गई, जबकि ऐसी कोई बात तय नहीं हुई थी। शिवसेना ने सरकार गठन के लिए हमसे बात करने की बजाय एनसीपी से बात की। यही नहीं, शिवसेना पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जिनके बारे में हमने सुना था कि वे मातोश्री से बाहर नहीं निकले, वे निकल-निकलकर तमाम लोगों से मिल रहे थे। शपथ से चौंकाया, लेकिन 3 दिन भी नहीं टिके शनिवार को दोनों नेताओं ने सभी को चौंकाते हुए सीएम और डेप्युटी सीएम की शपथ ली थी। तब देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि अजित पवार ने एनसीपी विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है और उनके पास बहुमत है। हालांकि कुछ देर बाद ही एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि यह अजित पवार का निजी फैसला है और पार्टी इससे सहमत नहीं है। इसके बाद उन्होंने ऐसा दबाव बनाया कि सरकार तीन दिन भी नहीं चल सकी। 162 विधायकों की परेड से विपक्ष ने दिखाया था दम यही नहीं अगले कुछ घंटों बाद ही शरद पवार ने शिवसेना के चीफ उद्धव ठाकरे के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपने पास नंबर होने का दावा किया। शनिवार शाम तक ही शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के साथ माने जा रहे उन करीब एक दर्जन विधायकों में से आधे लोगों को अपने खेमे में बुला लिया था। इसके अलावा, सोमवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने जब मुंबई के एक होटल में 162 विधायकों की परेड कराई तो अजित पवार को छोड़ कर एनसीपी के सभी विधायक मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ठोकी आखिरी कील तब से ही माना जा रहा था कि अब देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के लिए बहुमत साबित बेहद कठिन होगा। दोनों नेताओं की मुश्किलों में आखिरी कील ठोंकने का काम सुप्रीम कोर्ट ने किया, जब उसने बुधवार को ही फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। शीर्ष अदालत के फैसले के कुछ देर बाद ही अजित पवार ने सीएम को इस्तीफा दे दिया और फिर देवेंद्र फडणवीस ने भी पद त्याग दिया। इस तरह महाराष्ट्र में शनिवार से शुरू हुए नाटकीय घटनाक्रम का इस्तीफों के साथ पटाक्षेप हो गया। अजित को मनाने में जुटे हुए थे परिवार-पार्टी अजित पवार ने भले ही शनिवार को डेप्युटी सीएम की शपथ लेकर एनसीपी को झटका दिया था, लेकिन शरद पवार और परिवार के अन्य लोग उनसे लगातार वापसी की अपील करते रहे। एक तरफ शरद पवार अपने विधायकों को एकजुट कर रहे थे तो दूसरी तरफ अजित पवार से मिलने के लिए दूत भी भेज रहे थे। कहा जा रहा है कि मंगलवार को शरद पवार की पत्नी और सुप्रिया सुले के पति सदानंद ने अजित पवार से बात की और उन्हें वापसी के लिए राजी किया। राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, उसके बाद तीनों पार्टियां चर्चा करते-करते 10 दिन तक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तक तय नहीं कर पाईं। इनका मकसद बस बीजेपी को हटाकर सत्ता पाना था। उनकी वैचारिक भूमिका एक-दूसरे से मेल नहीं खाती थी। शिवसेना का हिंदुत्व अब सोनिया जी के चरणों में नतमस्त है। जब ये सरकार नहीं बना पाए ऐसे समय में अजित पवार ने हमें समर्थन देने की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम समर्थन देकर सरकार बनाना चाहते हैं। उनके समर्थन से हमने सरकार बनाई।"-इस्तीफा देते हुए बोले फडणवीस

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