डिफेंस में मेक इन इंडिया! देसी कं‍पनियों से 3,300 करोड़ की खरीद को मोदी सरकार ने दी मंजूरी

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर 2019,डिफेंस सेक्टर में 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने 3,300 करोड़ रुपये के स्वदेशी प्रतिरक्षा साजो-सामान को खरीदने की मंजूरी दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले रक्षा खरीद परिषद (DAC) ने इसे मंजूरी दी है. इस‍ काउंसिल की बैठक सोमवार को हुई थी. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, भारतीय उद्योगों द्वारा स्वदेशी स्तर पर विकसित, डिजाइन और तैयार किए जा रहे तीन प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है. जिन तीन प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है, उनमें तीसरी पीढ़ी के 2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) और टी-72 तथा टी-90 टैंकों के लिए ऑक्सिलरी पावर यूनिट (APU) शामिल हैं. तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सेना को सशस्त्र संघर्ष के दौरान 'दागो और भूल जाओ' और 'टॉप अटैक' जैसी क्षमताएं देंगे. APU के तहत फायर कट्रोल सिस्टम और नाइट फाइटिंग कैपेबिलिटीज के कई अपग्रेड शामिल किए जाएंगे. क्यों दिया जा रहा स्वदेशी को बढ़ावा रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'दोनों प्रोजेक्ट मेक-2 कैटेगरी के तहत आगे बढ़ेंगे और इनसे निजी क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा.' गौरतलब है कि भारत को हजारों करोड़ रुपये के रक्षा साजो-सामान आयातित करने पड़ते हैं, जो काफी महंगे होते हैं. इसलिए सरकार स्वदेशी स्तर पर महत्वपूर्ण सैन्य साजो-सामान के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. यही नहीं, रक्षा बल इसलिए भी घरेलू प्रतिरक्षा उद्योग को बढ़ावा देने का समर्थन कर रहे हैं ताकि आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो सके और रक्षा निर्यात को बढ़ावा मिल सके. रक्षा मंत्रालय के अनुमानों के मुताबि​क, भारत अगले पांच वर्षों में अपने रक्षा निर्यात (defence exports) में तीन गुना बढ़ोतरी की संभावना देख रहा है. सेना प्रमुख ने हाल में कहा कि 2024 तक भारत का रक्षा निर्यात मौजूदा 11,000 करोड़ से बढ़कर करीब 35,000 करोड़ प्रतिवर्ष हो सकता है. भारत के सुरक्षा बल अपनी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने और रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए एक मजबूत घरेलू रक्षा उद्योग के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं. अब जटिल सैन्य साजो-सामान भी बनाएंगी निजी कंपनियां रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, 'पहली बार रक्षा मंत्रालय ने जटिल सैन्य साजो-सामान के विकास और निर्माण की जिम्मेदारी भारतीय निजी कंपनियों को दी है. तीसरा स्वदेशी प्रोजेक्ट पहाड़ों और ऊंचे अक्षांश वाले इलाकों के लिए खास तरह का इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सिस्टम विकसित करने का है. इसका डिजाइन और विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया है और इसका उत्पादन निजी कंपनी द्वारा किया जाएगा.

Top News