वे 12 हस्तियां जिनके नाम पर पीएम नरेंद्र मोदी ने जारी किए हैं डाक टिकट

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पंचकूला में आयुष्मान भारत योजना के तहत योग अवॉर्ड दिए और 10 आयुष वेलनेस केंद्रों की शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने आयुष पद्धति की 12 कुशल हस्तियों के नाम पर डाक टिकट जारी किए। इनमें महात्मा गांधी के निजी चिकित्सक डॉ. दीनशॉ मेहता, पद्मभूषण राजवैद्य बृहस्पति देव त्रिगुणा, पद्मभूषण वैद्यभूषणम के राघवन थिरूमूलपाड और पद्मश्री डॉ. केजी सक्सेना शामिल हैं। राजवैद्य बृहस्पति देव त्रिगुणा आयुर्वेदिक चिकित्सक और विद्वान बृहस्पति देव नाड़ी निदान के कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा के जरिए आयुर्वेद ज्ञान को संरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। देव को 2003 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। वैद्य शास्त्री शंकर दाजी पदे आयुर्वेद लेखन, व्याकरण, तकनीकी दक्षता के लिए सम्मानित शंकर दाजी 75 से अधिक पुस्तकों और टिप्पणियों में योगदान दे चुके थे। उन्होंने 702 प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों की सूची भी बनाई। उन्होंने 1907 में त्रियंबकेश्वर में निखिल भारतीय आयुर्वेद सम्मेलन की स्थापना की। हकीम मोहम्मद कबीरूद्दीन 20वीं सदी के यूनानी शिक्षाविद और सबसे सफल लेखकों में से एक मोहम्मद कबीरुद्दीन ने महत्वपूर्ण पुस्तकों का उर्दू में अनुवाद कर यूनानी चिकित्सा में सबसे बड़ा योगदान दिया। उन्हें शहंशाह-ए-तस्निफात की उपाधि से नवाजा गया। वैद्य भास्कर विश्वनाथ गोखले कुशल शिक्षक प्रतिष्ठित आयुर्वेद चिकित्सक भास्कर एकीकृत चिकित्सा प्रणाली के प्रारंभिक पुरोधाओं में से एक रहे। भारत सरकार ने 1956 में जामनागर आयुर्वेद स्नातकोत्तर शिक्षण केंद्र का पहला प्रिंसिपल बनाया। वैद्यभूषणम के राघवन थिरूमूलपाड आयुर्वेद और संस्कृत के प्रतिष्ठित विद्वान राघवन 42 से ज्यादा किताबें प्रकाशित कर चुके थे। 1970 में उन्होंने आयुर्वेद मेडिकल प्रैक्टिशनर्स हॉस्पिटल ऐंड इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव सोसायटी की स्थापना की। उन्हें मरणोपरांत पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। डॉ. केजी सक्सेना डॉ. केजी सक्सेना भारत सरकार के पहले मानद होम्योपथी सलाहकार थे। उन्हें होम्योपथी की मान्यता और उन्नति के लिए अथक प्रयास करने के लिए जाना जाता है। उनके योगदान के लिए एनसी मेमोरियल चक्रवर्ती समिति ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार दिया। उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। वैद्य यादव जी त्रिकमजी आचार्य आयुर्वेद के सफल व्यवसायी त्रिकमजी आचार्य ने आयुर्वेद ग्रंथ माला ट्रस्ट की स्थापना कर ग्रथों के प्रामाणिक संस्करण प्रकाशित किए। उन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद संकाय का प्रधानाचार्य बनाया गया। स्वामी कुवलयानंद स्वामी कुवलयानंद को योग तकनीकों पर उनके शोधकार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने योग मीमांसा नाम की पत्रिका प्रकाशित की और 1924 में कैवल्यधाम योग संस्थान स्थापित किया। हकीम मोहम्मद अब्दुल अजीज लखनवी लखनवी एक अनुभवी चिकित्सक और टीचर थे। उन्होंने 1902 में लखनऊ में एक मेडिकल स्कूल की स्थापना की। भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों से छात्र और डॉक्टर अध्ययन के लिए उनके पास आते थे। डॉ. दीनशॉ मेहता डॉ. मेहता महात्मा गांधी के निजी चिकित्सक थे। उन्होंने पुणे नेचर क्योर क्लिनिक और सैनिटोरियम स्थापित करने में महात्मा गांधी की मदद की। यह आज नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ नैचुरॉपथी के नाम से जाना जाता है। वह भारत में प्राकृतिक चिकित्सा के पथ प्रदर्शक माने जाते हैं। महर्षि महेश योगी महेश योगी ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1955 में भारत यात्रा के दौरान शांति संदेश से 1000 अनुयायियों को प्रेरित किया। तिरू टीवी संबाशिवम पिल्लई पिल्लई ने सिद्ध साइक्लोपीडिक मेडिकल डिकश्नरी लिखी जिसके लिए उन्हें किंवदंती के रूप में सम्मानित किया जाता है।

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