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मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बनाया बीएसपी का नैशनल कोऑर्डिनेटर, भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

लखनऊ परिवारवाद पर अकसर दूसरे दलों को घेरने वालीं मायावती ने बीएसपी के संगठन में ताजा फेरबदल में अपनों को तरजीह दी है। माया ने भतीजे आकाश आनंद को नैशनल कोऑर्डिनेटर बनाया है, तो भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। इस तरह आकाश आनंद की बीएसपी में आधिकारिक एंट्री हो गई है। देश के सभी राज्यों में पार्टी को मजबूत करने के लिए आकाश आनंद को अहम जिम्मेदारी दी गई। बीएसपी कैडर में कोऑर्डिनेटर का सबसे बड़ा पद माना जाता है। ऐसे में मायावती ने इस फैसले से साफ कर दिया है कि पार्टी में उनके अपनों की दखल बढ़ने वाली है। सतीश चंद्र मिश्र को राज्यसभा में बीएसपी नेता सदन का पद दिया गया है। रामजी गौतम को भी नैशनल कोऑर्डिनेटर, दानिश अली लोकसभा में नेता सदन और गिरीश चंद्र को लोकसभा में मुख्य सचेतक बनाने का फैसला लिया गया है। रामजी गौतम भी मायावती के भतीजे हैं। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के नेतृत्व में रविवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में आयोजित मैराथन मीटिंग खत्म हो गई। मीटिंग में भतीजे आकाश आनंद को नैशनल कोऑर्डिनेटर बनाने, यूपी में 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की रणनीति के साथ ही कई अहम बातों पर चर्चा की गई और फैसले लिए गए। आकाश आनंद के आने से बीएसपी में कई बदलाव बीएसपी चीफ के ऐलान के बाद आकाश आनंद अब पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे। कहा जा रहा है कि पुरानी पद्धति पर काम कर रही बीएसपी में आकाश के आने के बाद से कई बदलाव आए। सामान्यता मीडिया और सोशल मीडिया से दूर रहने वाली मायावती अपने भतीजे के कहने पर ट्विटर पर आईं और लोकसभा चुनाव से पहले आधिकारिक अकाउंट बनाया। इतना ही नहीं, मायावती अब लगातार ट्विटर के जरिए विपक्ष पर हमला बोलती रहती हैं। आकाश अब पार्टी को युवा दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे। नंगे पैर बैठक में शामिल हुए नेता बीएसपी की बैठक सुबह दस बजे से थी लेकिन पार्टी के सभी नेता सुबह नौ बजे बैठक स्थल पर पहुंच गए। यहां पर इस बार एक खास बात नजर आई कि बैठक से पहले सारे नेताओं के मोबाइल फोन जमा करा लिए गए। यहां तक कि उनके जूते-चप्पल, पेन, पर्स, बैग और गले में पड़े ताबीज तक उतरवाकर मीटिंग हॉल में अंदर जाने दिया गया। उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे ताकत विधानसभा उपचुनाव मायावती के लिए बेहद अहम हैं। लोकसभा चुनाव बीएसपी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा और पार्टी के हिस्से में 10 सीटें आईं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली थी। ऐसे में इस चुनाव के नतीजे को अकेले मायावती के जनाधार से जोड़कर नहीं देखा जा रहा है। लोग मान रहे हैं कि बीएसपी अकेले चुनाव लड़तीं तो उन्हें दस सीटें नहीं मिलतीं। अब जबकि पार्टी एसपी से अलग होकर उपचुनाव लड़ रही है, तो नतीजों को सीधे तौर पर मायावती के राजनीतिक वजूद से जोड़कर देखा जाएगा। इस 13 सीटों पर होने हैं उपचुनाव बीएसपी की यह अहम मीटिंग में यूपी 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव से पहले हुई है। इनमें पांच सीटें वेस्ट यूपी की हैं। इन 13 में से 11 सीटें बीजेपी के पास थीं। वेस्ट यूपी की गंगोह (सहारनपुर), इगलास (अलीगढ़), रामपुर, टूंडला, चार विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जो विधायकों के एमपी बनने से खाली हुई हैं। उधर, मीरापुर (मुजफ्फरनगर) के बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल होने से यह सीट खाली हुई है। इसके अलावा गोविंदनगर (कानपुर), कैंट (लखनऊ), जैदपुर (बाराबंकी), मानिकपुर (चित्रकूट), बलहा (बहराइच), प्रतापगढ़, जलालपुर (आंबेडकरनगर) और हमीरपुर सीटों के लिए चुनाव होना हैं। हमीरपुर सीट से बीजेपी विधायक अशोक सिंह चंदेल को कोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसके बाद उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इस सीट पर भी उपचुनाव होना है।

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