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गांवों में क्यों तेजी से बढ़ रहा कोरोना संक्रमण, लोगों की लापरवाही पड़ रही भारी

नई दिल्ली। गांवों में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इसका एक कारण प्रवासियों का अपने गांवों में लौटना और जांच कराने में आनाकानी भी है। वहीं, पिछले साल सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट आने तक व्यक्ति निगरानी में रहता था। इस बार सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट आने तक वे घूम रहे हैं।। दैनिक जरूरतों के लिए लोगों का शहर आना-जाना लगा रहता है। नाइट कर्फ्यू के बावजूद इसमें बहुत अंकुश नहीं लग पाया है। कुछ राज्यों में तो पाबंदी के बीच किसानों, व्यापारियों व कर्मचारियों के धरने भी चल ही रहे हैं। मास्क न पहनने के मामले में लापरवाही जारी है। यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में 25 से 30 फीसद संक्रमित उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हुई अब तक की जांच में लगभग 25 से 30 प्रतिशत लोग कोरोना से संक्रमित मिले हैं, हालांकि जिलों में इनका प्रतिशत कहीं ज्यादा है तो कहीं कम। अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में जांच नियोजित ढंग से नहीं शुरू हो पाई है। जांच केंद्रों का भी अभाव है। कुछ जिलों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच केंद्र अवश्य बनाए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी बहुत कम आइसोलेशन सेंटर बने हैं। पहले होली और बाद में गेहूं की कटाई, शादी विवाह और पंचायत चुनाव के लिए प्रवासियों की वापसी भी गांवों में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ने का कारण है। पंचायत चुनाव में कोविड प्रोटोकाल के नियमों और शारीरिक दूरी के नियमों का खुला उल्लंघन, शादी विवाह की खरीदारी के लिए शहरों में जाना, भीड़ में रहना और बिना जांच के ही वापसी ने तेजी से संक्रमण बढ़ाया है। बिहार और झारखंड में तेजी से बढ़ रहे मामले बिहार के ग्रामीण इलाकों में पिछले वर्ष अगस्त से ही कोरोना संक्रमण के मामले शहरी इलाकों से अधिक होने लगे थे। जुलाई, 2020 में कोरोना के जो मरीज मिले थे, उनमें 10 फीसद ही ग्रामीण थे, लेकिन अगस्त में गांव के लोगों में संक्रमण की दर 60 फीसद हो गई। बाद में कोरोना के मामले घटते गए। 2021 में होली के पहले फिर गांवों में खतरा बढ़ा। ग्रामीण क्षेत्रों में होली और उसके बाद शादी-जनेऊ जैसे आयोजनों में लोगों ने शामिल होना बंद नहीं किया हैं। पांच मई से बिहार में लाकडाउन लगा है। ऐसे में स्थिति में सुधार की उम्मीद है। यही हाल झारखंड का है। यहां की लगभग 35 फीसद ग्रामीण आबादी कोरोना की चपेट में है। खासकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के हाट-बाजारों में लोगों का जमावड़ा लग रहा है। कोविड को लेकर सरकार के स्तर से जारी दिशानिर्देशों का यहां अपेक्षाकृत अनुपालन नहीं हो पा रहा है। गांव स्तर पर अभी भी टीकाकरण की व्यवस्था नहीं हो सकी है। जहां व्यवस्था है वहां टीकाकरण के प्रति ग्रामीण अपेक्षाकृत उदासीन हैं। पंजाब और हरियाणा में लाकडाउन का पालन भी गांवों में न के बराबर पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर 58 फीसद और शहरों में 42 फीसद है। तीन मई तक पंजाब में 9,472 लोगों की जान कोरोना के कारण गई। इनमें से ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े लोग 5494 हैं। भर्ती करने की स्थिति में मरीज शहरों का ही रुख कर रहे हैं। वहीं हरियाणा में मास्क और शारीरिक दूरी की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। लाकडाउन का पालन भी गांवों में न के बराबर है। कोरोना टेस्टिंग के लिए भी ग्रामीण खुद ही आगे नहीं आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में मामले बढ़ने के बाद सख्ती अन्य राज्यों में बंदी के चलते ग्रामीण भी वापस घरों में लौटे हैं। हालांकि उनकी जांच जम्मू के रेलवे स्टेशन में हुई, लेकिन वह संक्रमित होने के बाद क्वारंटाइन केंद्र के स्थान पर अपने घरों में जाकर आइसोलेट हुए। जम्मू और श्रीनगर शहरों में जब संक्रमण के मामले बढ़ना शुरू हुए तो इसके बाद स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन सक्रिय हुआ और उसने ग्रामीण क्षेत्रों में भी टेस्ट करना शुरू किए। अब कुल मामलों में तीस फीसद के करीब ग्रामीण क्षेत्रों से ही आ रहे हैं। अब मामले बढ़ने के बाद सख्ती जरूर की जा रही है। उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में समारोहों में जुटी भीड़ के कारण भी फैला संक्रमण उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का कोई अलग आंकड़ा तो नहीं रखा है, लेकिन अनुमान है कि शहरी क्षेत्रों में संक्रमण 80 फीसद तो ग्रामीण में 20 फीसद है। संक्रमण का मुख्य कारण गांवों में होने वाले विवाह व धार्मिक समारोह के साथ ही बाहर से आने वाले प्रवासी भी हैं। यहां होने वाले समारोह में कोरोना की गाइडलाइन का अनुपालन नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं, विभिन्न राज्यों में कोरोना कर्फ्यू को देखते हुए प्रवासी अपने गांवों को लौट रहे हैं। वहीं हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों मीं भी कोरोना के लगभग 55 फीसद मामले आए हैं। प्रदेश में 15.44 लाख लोगों की कोविड-19 जांच हो चुकी है। इनमें से 1.08 लाख पॉजिटिव आए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शादियों व अन्य समारोहों में जुटी भीड़ के कारण भी संक्रमण अधिक फैला। कई जगह पुलिस की सख्ती भी कम है। मध्य प्रदेश में संक्रमण बढ़ने का कारण प्रवासियों की आवाजाही स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन का फोकस शहरी मरीजों पर बना रहा और ग्रामीण इलाकों में जांच आदि में ढिलाई रही। मसलन शिवपुरी जैसे छोटे जिले में ही संक्रमण दर 35 फीसद तक है। गांवों में संक्रमण बढ़ने की वजह अन्य प्रदेशों से प्रवासियों की आवाजाही का जारी रहना भी है। गांवों में पिछली लहर की तरह उन्हें क्वांरटाइन किए जाने या उनकी स्कैनिंग के कोई इंतजाम नहीं दिखे। हालांकि कुछ गांवों ने अपने स्तर पर ये प्रयास किए, लेकिन सरकारी अमला लापरवाह बना रहा। सर्वाधिक संक्रमित महाराष्ट्र से बसों की आवाजाही बंद हुई तो लोग छोटे वाहनों से आते रहे। उत्तर प्रदेश और राजस्थान से तो बसें कुछ दिन पहले प्रतिबंधित की गईं। राज्य सरकार ने शराब की दुकानें खोलने का फैसला लिया। ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण बढ़ने का मुख्य कारण -शहरों से लौट रहे हैं लोग बरत रहे है लापरवाही। -सैंपल लेने के बाद निगरानी का अभाव -दैनिक जरूरतों के लिए शहरी इलाकों में आना-जाना -मास्क पहनने और शारीरिक दूरी में जमकर लापरवाही -शादी, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में सख्ती का अभाव -पिछले साल के मुकाबले ज्यादा क्वारंटाइन सेंटर नहीं -पिछले साल के मुकाबले ग्रामीण जागरूक नहीं

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