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शाहीन बाग का असर? मुस्लिम सीटों पर प्रचार करने नहीं जा रहे केजरीवाल

नई दिल्ली, 31 जनवरी 2020,नागकरिकता संशोधन कानून के खिलाफ करीब 50 दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाएं धरने पर बैठी हुई हैं, जिससे नोएडा-कालिंदी कुंज मार्ग बाधित है. बीजेपी नेता शाहीन बाग को दिल्ली में चुनावी मुद्दा बनाकर ध्रुवीकरण की सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं तो केजरीवाल मुस्लिम हितैषी की छवि बनाने से बच रहे हैं. यही वजह है कि केजरीवाल अभी तक दिल्ली के मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनावी प्रचार के लिए नहीं उतरे है जबकि वोटिंग में महज एक सप्ताह ही बचा है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनावी मैदान में उतरी है. केजरीवाल अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं. दिल्ली की अलग-अलग सीटों पर जाकर वो चुनाव प्रचार कर माहौल बनाने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन अभी तक किसी मुस्लिम बहुल सीट पर वो प्रचार नहीं पहुंचे हैं. दिल्ली में करीब 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. दिल्ली की कुल 70 में से 8 विधानसभा सीटें मुस्लिम बहुल माना जाती हैं. केजरीवाल ने दिल्ली की बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, और मटिया महल सीट पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं. इन सीटों पर 45 से 60 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं और यहां आम आदमी पार्टी की कांग्रेस से सीधी टक्कर मानी जा रही है. आम आदमी पार्टी भले ही कह रही हो कि दिल्ली में सीएए-एनआरसी चुनावी मुद्दा नहीं है, लेकिन मुस्लिम इलाकों में इन्हीं मुद्दों की वजह से सियासी शोर सुनाई नहीं दे रहा है. दिल्ली के तकरीबन सभी मुस्लिम इलाकों में सीएए-एनआरसी के लेकर विरोध प्रदर्शन जारी हैं. ओखला विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले शाहीन बाग और जामिया में तो पिछले एक ड़ेढ़ महीने से ज्यादा से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. महिलाएं रात-दिन धरने पर बैठी हैं. साथ ही सीलमपुर, जाफराबाद और मुस्तफाबाद इलाके में भी कई दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहा है. दिल्ली में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है और शाहीन बाग के मुद्दे को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं. इतना ही नहीं बीजेपी के नेता केजरीवाल पर सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलनों का चलाने का लगातार आरोप लगा रही है, लेकिन आम आदमी पार्टी अपने आपकों इस दूर रख रही है ताकि उस पर मुस्लिम परस्ती का आरोप न लग सके. यही वजह है कि केजरीवाल अपने आपको को मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार से दूर रखे हुए हैं. बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय की दिल्ली में पहली पसंद AAP बनी थी. मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने कांग्रेस के दिग्गजों को करारी मात देकर कब्जा जमाया था. मुस्लिम बहुल की चार विधानसभा सीटें AAP जीतने में कामयाब रही थी. केजरीवाल ने जीतकर आए चार मुस्लिम विधायकों में से एक को मंत्री भी बनाया था.

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