संगठन के माहिर जेपी नड्डा बने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जानें- कैसा रहा अब तक का सियासी सफर

नई दिल्ली जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) बीजेपी के नए अध्यक्ष निर्वाचित कर लिए गए हैं। उनका कार्यकाल 2022 तक होगा। पार्टी के संगठन चुनाव प्रभारी राधामोहन सिंह ने उनके निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा करते हुए कहा, 'भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की सारी संवैधानिक प्रक्रियाएं को पूरी कर ली गई हैं। जगत प्रकाश नड्डा 2019 से 2022 के लिए सर्वानुमति से अध्यक्ष चुन लिए गए हैं।' राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर निवर्तमान अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत पार्टी के तमाम नेताओं ने नड्डा को बधाई दी। इससे पहले, बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने जेपी नड्डा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव संगठन चुनाव प्रभारी राधामोहन सिंह को सौंपा था। नड्डा का निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुनाजाना पहले से ही तय माना जा रहा था। अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से ही बीजेपी के वर्किंग प्रेजिडेंट के तौर पर काम संभाल रहे जेपी नड्डा अब पूर्ण अध्यक्ष हो चुके हैं। लो-प्रोफाइल रहने वाले और बड़ेबोले बयानों से दूर रहने वाले जेपी नड्डा भले ही करिश्माई नेता न माने जाते हों, लेकिन संगठन पर उनकी पकड़ हमेशा रही। आइए जानते हैं, कैसा रहा जेपी नड्डा का सियासी सफऱ... मूल रूप से हिमाचली और बिहार में जन्मे जेपी नड्डा लंबे समय से बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा हैं। पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पहुंचने वाले जेपी नड्डा का जन्म 2 दिसंबर, 1960 को पटना में हुआ था। पटना में ही स्कूलिंग से लेकर बीए तक की पढ़ाई की पढ़ाई की। यहीं वह आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े थे। इसके बाद वह अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश लौटे और एलएलबी किया। पटना से शिमला तक छात्र राजनीति का अनुभव हिमाचल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान वह छात्र राजनीति में ऐक्टिव रहे और फिर बीजेपी में एंट्री ली। वह तीन बार बीजेपी के टिकट पर हिमाचल विधानसभा पहुंचे। 1993-98, 1998 से 2003 और फिर 2007 से 2012 तक वह विधायक रहे। यही नहीं 1994 से 1998 तक वह प्रदेश की विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के नेता भी रहे। कभी धूमल के मंत्री थे, आज शीर्ष नेता पहली बार अहम जिम्मेदारी उन्हें 2008 में मिली, जब प्रेम कुमार धूमल सरकार में वह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बने। उस वक्त वह भले ही धूमल के मंत्री थे, लेकिन अगले कुछ सालों में उनका कद ऐसा बढ़ा कि आज वह बीजेपी के अध्यक्ष हैं और पार्टी के सीनियर नेताओं में से एक हैं। 1991 से ही हैं पीएम मोदी के करीबी जेपी नड्डा को पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी लोगों में से एक माना जाता है। इसकी वजह शायद यह भी है कि 1991 में जिस दौर में जेपी नड्डा युवा मोर्चा की कमान संभाल रहे थे, तब पीएम मोदी पार्टी के महासचिव थे। माना जाता है कि दोनों नेताओं के बीच तभी से करीबी है। फिर जब पीएम नरेंद्र मोदी का कद राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ा तो जेपी नड्डा ने भी उनके साथ लगातार ऊंचाई हासिल की। पहली बार 2010 में राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री हिमाचल में विधायक और मंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके जेपी नड्डा पहली बार 2010 में दिल्ली की राजनीति में आए, जब नितिन गडकरी ने उन्हें महासचिव की जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। संगठन के आदमी के तौर पर चर्चित नड्डा को पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद कैबिनेट में शामिल किया। अमित शाह को गुजरात से लाकर अध्यक्ष बनाया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय छोड़ बने कार्यकारी अध्यक्ष नरेंद्र मोदी सरकार 2019 में दोबारा वापस आई और शाह को कैबिनेट में गृह मंत्री का ओहदा दिया गया। लेकिन सवाल यह था कि आखिर पार्टी कौन संभालेगा। एक बार फिर से पीएम मोदी ने नड्डा पर भरोसा जताया और वह जुलाई, 2019 में स्वास्थ्य मंत्रालय छोड़ संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर आ गए। यूपी में कमाल के बाद और बढ़ा नड्डा का कद जेपी नड्डा के कद में तब अप्रत्याशित इजाफा हुआ, जब उन्होंने 2019 में राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण राज्य यूपी में 62 लोकसभा सीटें पार्टी को दिलाईं। वह सूबे में चुनावी रणनीति का जिम्मा संभाल रहे थे, जहां 2014 में बीजेपी को अकेले दम पर 71 सीटें मिली थीं। SP-बीएसपी गठबंधन के बाद भी दिलाई बड़ी जीत एसपी और बीएसपी में गठबंधन के चलते पिछले प्रदर्शन को दोहराना चुनौती था, लेकिन पार्टी को 62 सीटें मिलीं। यह प्रदर्शन जेपी नड्डा के कद को राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ाने वाला साबित हुआ। यही वजह थी कि जब शाह को गृह मंत्रालय मिला तो कार्यकारी अध्यक्ष के नाते उन्हें लाया गया।

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