असीमानंद बोले, मैं अदालत से हुआ बरी, ध्वस्त हुई हिंदू आतंकवाद की थिअरी
नई दिल्ली
हाल ही में समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में बरी हुए स्वामी असीमानंद ने कहा कि हिंदू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ा गया, उन्हें हिंदू और भगवा आतंकवाद का प्रतीक बना दिया गया था। लेकिन एक के बाद एक तीनों ही ब्लास्ट मामलों से वह बरी हुए। उनका बरी होना न सिर्फ उनके लिए बल्कि हिंदू व भगवा आतंकवाद की धारणा को भी खत्म करता है। ऐसी ही कई बातों पर स्वामी असीमानंद ने नवभारत टाइम्स खुलकर बातचीत की...
सवाल: आप समझौता ब्लास्ट से भी बरी हो चुके हैं। आपके खिलाफ तीन-तीन ब्लास्ट के मामले चले। एक समय आपके अलग-अलग नाम होते थे आखिर आपकी सच्चाई क्या है?
जवाब: मैं पश्चिम बंगाल से हूं। वहीं मेरी पढ़ाई लिखाई हुई। वहां की यूनिवर्सिटी से मैने एमएससी (फिजिक्स) की पढ़ाई की। फिर मैं राम कृष्णन परमहंस आश्रम में जाने लगा वहां विवेकानंद के सिद्धांत से प्रभावित हुआ। स्वामी परमानंद से दीक्षा ली और फिर वहां मेरा नाम स्वामी असीमानंद रखा गया। इससे पहले मेरा नाम नव कुमार सरकार था। मै जनजातियों की सेवा में लग गया। इस दौरान पता चला कि जनजाति समुदाय के लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है। मैने उनके बीच हिंदुत्व के बारे में जागरुकता पैदा की और लोगों ने घर वापसी शुरू कर दी। इसके साथ ही मैने धर्म परिवर्तन का विरोध किया। इसी कारण मुझे झूठे मामले में तत्कालीन सरकार ने फंसाना शुरू किया।
सवाल: समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में आपका नाम कैसे आया। आपके बारे में कहा जाता रहा कि आप उन दिनों छिपे हुए थे?
जवाब: ऐसा नही है कि मै कभी भी छिपा। मैं तो अपने आश्रम में था। उन दिनों भी मेरा मोबाइल ऐक्टिवेट था। अगर छिपना होता तो मोबाइल क्यों ऐक्टिव रखता। मैने टीवी में देखा कि ब्लास्ट मामले में पुलिस मेरी तलाश कर रही है। मुझे हिंदू आतंकवाद का प्रतीक बनाया गया। मुझे 19 नवंबर 2010 को हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया। मुझ पर समझौता ब्लास्ट का झूठा आरोप लगाया गया।
सवाल: लेकिन गिरफ्तारी के बाद आपने तो गुनाह भी कबूल लिए थे?
जवाब: पुलिस ने मेरे साथ अत्याचार किया। मैं अपना गुनाह कबूल कर लूं, इसके लिए टॉर्चर किया गया। इस टॉर्चर से भी मैंने हार नहीं मानी। इसके बाद वे मेरे भाई को जबरन उठा लाए और मुझे धमकी दी कि मेरी मां को भी वह वहां लाएंगे। मैंने तब उनसे कहा कि आप जैसा कहते हैं मैं करने के लिए तैयार हूं और मैने गुनाह कबूल कर लिया, जो पुलिस के दबाव में किया गया था। उन्होंने कहा कि पुलिस के साथ-साथ मैजिस्ट्रेट के सामने भी गुनाह कबूल करना होगा और इसके लिए उन्होंने कबूलनामा लिखकर दिया ताकि मैं उसे याद कर सकूं और मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में दोहरा सकूं। पुलिस ने वह झूठा कबूलनामा तैयार किया और उसे मैंने याद कर मैजिस्ट्रेट के सामने बोला ताकि मेरी मां और भाई को प्रताड़ित न होना पड़े। लेकिन यह सब षडयंत्र था और आखिर में कोर्ट के सामने मैं बरी हुआ, यह बात साबित हो गई कि मैं निर्दोष था। देखा जाए तो मुझे एक-एक कर तीनों ही मामलों मक्का मस्जिद ब्लास्ट, अजमेर ब्लास्ट और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट से बरी किया गया क्योंकि पुलिस ने गलत तरीके से मुझे फंसाया था।
सवाल: आपका कहना है कि आपको हर मामले में फंसाया गया?
जवाब: बिल्कुल। मुझे तब सरकारी तंत्र ने फंसाया। तब की सरकार ने हिंदू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ा था। एक के बाद एक तीन ब्लास्ट में मेरा नाम जोड़ा गया। मुझे मुख्य आरोपी बनाया गया। यह बताने की कोशिश की गई कि हिंदू आतंकवाद या फिर भगवा आतंकवाद के प्रतीक हैं असीमानंद। लेकिन मुझे विश्वास था कि मैं निर्दोष हूं मेरा इन बातों से कोई लेना देना नहीं था और इसी कारण मैं आखिरकार अदालत से बरी हुआ। तमाम आरोप झूठे साबित हो गए। मेरा कबूलनामा जो इन्होंने दबाव देकर लिखवाया गया था, आखिरकार वह भी झूठा साबित हुआ। हिंदू आतंकवाद बोलकर न सिर्फ मुझे बल्कि समाज की बदनामी हुई थी, लेकिन अदालत पर मेरा पूरा भरोसा था और अदालत ने जब मुझे इस मामले से बरी किया तो हिंदू और भगवा आतंकवाद जैसे नैरेटिव गलत साबित हुए।
सवाल: आपका कहना है कि आपको हर मामले में फंसाया गया?
जवाब: बिल्कुल। मुझे तब सरकारी तंत्र ने फंसाया। तब की सरकार ने हिंदू आतंकवाद का नैरेटिव गढ़ा था। एक के बाद एक तीन ब्लास्ट में मेरा नाम जोड़ा गया। मुझे मुख्य आरोपी बनाया गया। यह बताने की कोशिश की गई कि हिंदू आतंकवाद या फिर भगवा आतंकवाद के प्रतीक हैं असीमानंद। लेकिन मुझे विश्वास था कि मैं निर्दोष हूं मेरा इन बातों से कोई लेना देना नहीं था और इसी कारण मैं आखिरकार अदालत से बरी हुआ। तमाम आरोप झूठे साबित हो गए। मेरा कबूलनामा जो इन्होंने दबाव देकर लिखवाया गया था, आखिरकार वह भी झूठा साबित हुआ। हिंदू आतंकवाद बोलकर न सिर्फ मुझे बल्कि समाज की बदनामी हुई थी, लेकिन अदालत पर मेरा पूरा भरोसा था और अदालत ने जब मुझे इस मामले से बरी किया तो हिंदू और भगवा आतंकवाद जैसे नैरेटिव गलत साबित हुए।
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सवाल: आपके साथ अगर गलत हुआ तो आपने पहले ये सब क्यों नहीं कहा?
जवाब: मैं पहले अपनी बात कैसे कह सकता था। मैंने अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखा। वैसे भी जब तक कोर्ट दोषी करार न दे तब तक संविधान कहता है कि आरोपी निर्दोष होता है। मैं पहले दिन से निर्दोष था और आखिर में बरी हुआ। लेकिन बरी होने से पहले मैं अपनी बात लोगों के सामने नहीं रख सकता था। अब चूंकि मैं बरी हो चुका हूं इसलिए अपनी बात रख रहा हूं कि मेरे साथ क्या-क्या हुआ और कैसे मुझे टॉर्चर से गुजरना पड़ा था।
सवाल: साध्वी प्रज्ञा ने भी दावा किया है कि उन्हें फंसाया गया है और टॉर्चर भी किया गया। हालांकि उन्हें बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है। इसके पीछे क्या मकसद है?
जवाब: उनको उम्मीदवार बनाया जाना नैरेटिव को तोड़ने के लिए है। पिछली सरकार ने जिस तरह से हमें झूठे मामले में फंसाया और आखिरकर कोर्ट से न्याय मिला। अब पब्लिक जवाब देगी। एक गलत अवधारणा हिंदू व भगवा आतंकवाद की फैलाई गई थी, उसका जवाब जरूरी है। साध्वी प्रज्ञा का चुनाव लड़ाना उसी का जवाब है।
सवाल: आपने अब अपने बारे में क्या सोचा है आगे क्या करना है। आप चुनाव लड़ना चाहते हैं?
जवाब: मैं पहले भी समाज सेवा में था और आगे भी वही करता रहूंगा। फिलहाल मैं इसी में लगा हुआ हूं। वैसे मैं वेस्ट बंगाल से हूं और वहां के जो हालात हैं, वह चिंतनीय है। जहां तक साध्वी प्रज्ञा की तरह चुनाव लड़ने का सवाल है तो अगर पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए कहा तो जरूर लड़ूंगा।
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