ममता सरकार ने केंद्रीय बलों की तैनाती पर उठाए सवाल, चुनाव आयोग को लिखा पत्र

नई दिल्ली, 14 मई 2019,पश्चिम बंगाल सरकार ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. पश्चिम बंगाल सरकार के सचिव अत्री भट्टाचार्य ने चुनाव में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया है. चुनाव आयोग से अनुरोध किया गया है कि बंगाल में केंद्रीय सशस्त्र बलों की नियुक्ति को वह खुद देखें. इसके अलावा स्थानीय अधिकारियों का भी त्वरित प्रक्रिया दल (QRT) में नहीं होने पर सवाल उठाए गए हैं. चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा गया है कि चुनाव के दौरान केंद्रीय सशस्त्र बलों (CAPF) की नियुक्ति पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं. 12 मई को CAPF के द्वारा की गई फायरिंग से आप वाकिफ होंगे. इस प्रकार की पांच घटनाएं हुईं. इसके अलावा जानकारी मिली कि CAPF के जवानों के मतदाताओं से खराब व्यवहार किया और बिना किसी कारण के लाठीचार्ज भी किया. पत्र में कहा कि पहले शिकायत मिली कि CAPF ने लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने के लिए जरूरत से ज्यादा जवान लगा दिए गए, मतदाताओं को डराने के लिए CAPF का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 4 चरण के चुनाव के दौरान CAPF ने पनरुई और बीरभूम जिले के दुबराजपुर में हवाई फायरिंग की. चौथे चरण के चुनाव के दौरान करीमपुर, नादिया में 78वीं बटालियन ने इलेक्शन बूथ से 200 मीटर दूर खड़े मतदाताओं की पिटाई की. पांचवें चरण के चुनाव के दौरान हावड़ा में सांसद पर सुरक्षाबलों का इस्तेमाल किया गया. हथियारों के साथ CAPF जवान पोलिंग बूथ में घुस गए, जबकि ऐसा करना आचार संहिता का उल्लंघन है. इसमें ध्यान दिया जाए कि छठे चरण के चुनाव के दौरान CAPF के द्वारा लाठीचार्ज और फायरिंग की गई. पहले चरण के चुनाव में त्वरित प्रतिक्रिया टीम में किसी भी स्थानीय अधिकारी को शामिल नहीं किया गया. बाहर से आई किसी भी फोर्स को अपनी ड्यूटी करने में परेशानी होती है क्योंकि वह स्थानीय भाषा और इलाके की जानकारी नहीं होती. परिणामस्वरूप शिकायत के एक घंटे बाद भी त्वरित प्रतिक्रिया टीम मौके पर नहीं पहुंची क्योंकि उन्हें इलाके की जानकारी ही नहीं थी. पत्र में लिखा कि CAPF को अतिरिक्त संसाधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में उनके साथ एक लोकल ऑफिसर होता है जो स्थानीय मतदाता से बात कर सके. इसलिए मैं गुजारिश है कि त्वरित प्रतिक्रिया टीम में किसी भी लोकल ऑफिसर के नहीं होने की जांच की जाए.

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