CPEC की आलोचना करनेवालों को पाकिस्तान में दबाया जा रहा है: पूर्व US अधिकारी

वॉशिंगटन पाकिस्तान में चीन की मदद से बन रहे आर्थिक गलियारे का विरोध वहां की जनता भी कर रही है। हालांकि पाकिस्तानी लोग और मीडिया अरबों डॉलर के इस चीन-पाक आर्थिक गलियारे (CPEC) के खिलाफ बोलने से डरते हैं। ओबामा प्रशासन की एक पूर्व अधिकारी ने अमेरिकी सांसदों को बताया है कि पाकिस्तान में जो लोग कॉरिडोर की आलोचना करते हैं उनकी आवाज को दबाया जा रहा है। उन्हें न सिर्फ राष्ट्रविरोधी कहा जा रहा है बल्कि आतंकी भी साबित करने की कोशिश हो रही है। चीन का CPEC प्लान आपको बता दें कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाली 60 अरब डॉलर की लागत वाली सीपीईसी, ‘बेल्ट ऐंड रोड इनिशटिव’(BRI) की अहम परियोजना है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 2013 में सत्ता में आने के बाद बीआरआई की शुरुआत की थी। चीन के BRI प्रॉजेक्ट का उद्देश्य दक्षिणपूर्व एशिया, मध्य एशिया, गल्फ क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप के साथ जमीनी और समुद्री मार्गों का नेटवर्क खड़ा करना है। 'आलोचना का लेख मीडिया में भी मिलना मुश्किल' जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल फॉर अडवांस्ड इंटरनैशनल स्टडीज की शमीला चौधरी ने पिछले हफ्ते संसदीय समिति को बताया कि स्थानीय स्तर पर जो लोग सीपीईसी की आलोचना करते हैं, उन्हें अक्सर आतंकवादी करार दे दिया जाता है। ओबामा प्रशासन में सेवाएं दे चुकीं चौधरी ने कहा, ‘पाकिस्तानी मीडिया में आपको शायद ही कोई ऐसा लेख दिखेगा जिसमें सीपीईसी की आलोचना की गई हो। ऐसा बहुत दुर्लभ है।’ उन्होंने कहा, ‘उनके खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है। उनके खिलाफ बहुत बुरा किया जा सकता है इसलिए यह वास्तविक खतरा है।’ चौधरी ने कहा कि इसने नागरिक समाज और लोकतांत्रिक संस्कृति को पहले ही काफी नुकसान पहुंचाया है। कैसा है चीन का विकास मॉडल? चीन के विकास के मॉडल के संबंध में सांसदों के प्रश्नों के उत्तर में चौधरी ने कहा कि अमेरिका के सॉफ्ट पावर के बिल्कुल उलट चीन का विकास मॉडल लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ावा नहीं देता है। उन्होंने कहा कि चीन पाकिस्तान में धन कमाने के लिए है। उन्होंने आगे बताया, 'वे (चीनी) एनक्लेव्ज में रहते हैं और लोग इसे चीनी कॉलोनी भी कहते हैं। ये लोग अपने रेस्त्रां में ही खाने जाते हैं। यह सब चीजें चीन, पाक या चीन के किसी भी देश के साथ सहयोग के लिहाज से ठीक नहीं हैं। स्थानीय लोग इससे काफी चिंतित हैं।' 'चीनी मदद की जानकारी भी गोपनीय' सांसदों को चौधरी ने बताया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली चीनी वित्तीय सहायता गोपनीय रखी जा रही है और अब पाकिस्तान ने यह सूचना अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से साझा की है ताकि वह मौजूदा वित्तीय संकट से उबर सके। उन्होंने कहा, 'डील (IMF के साथ) लगभग पूरी हो चुकी है और मेरा ऐसा मानना है कि सूचना वास्तव में शेयर की जा रही है और ऐसे में आप जान रहे हैं लेकिन और ज्यादा चीजें शेयर करनी चाहिए।' अमेरिका का हित भी प्रभावित उन्होंने कहा कि सीपीईसी परियोजना भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों को बिगाड़कर अमेरिका के क्षेत्रीय हितों को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होंने कहा, 'चीन का निगरानी का प्रावधान, डेटा कलेक्शन की क्षमता और पाकिस्तानी सेना को नए सामान देने से- ऐसा लगता है कि इससे सुरक्षा स्थिति सुधर सकती है लेकिन ऐसी चीजें निजता के उल्लंघन, सूचना के दुरुपयोग और डेटा के गलत इस्तेमाल के खतरे को भी बढ़ा देती हैं।' चौधरी ने कहा कि सेना पहले से काफी शक्तिशाली हुई है और इसकी वजह भी चीन है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और वह अपने हिसाब से नियमों को भी बदलवा रहा है। जैसे, पाकिस्तान ने चीन से लोन किन शर्तों पर लिया है, यह पब्लिक को बताया नहीं गया है।

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