अवैध प्रवासियों पर है ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधी जंग

बशीरघाट इच्छामति नदी भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा का निर्धारण करती है। हर साल दुर्गा पूजा के बाद दोनों देशों के हिंदू इस नदी के किनारे इकट्ठे होते हैं और मूर्ति विसर्जन करते हैं। यह मौका जहां भारत और बांग्लादेश के लोगों के बीच एकता दिखाता है, वहीं इस मौके का फायदा उठाकर काफी लोग अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्रवेश भी कर जाते हैं। हाल के सालों में दुर्गा पूजा के बाद सिक्यॉरिटी फोर्सेस ने भी यहां अपनी सक्रियता बढ़ा दी है लेकिन बांग्लादेशी आसानी से नदी पार कर भारत में आ जाते हैं। बशीरघाट और उससे सटे बनगांव को बॉर्डर से सटे सबसे मुख्य जिले माना जाता है जहां लाखों की संख्या में बांग्लादेशी हिंदू और मुस्लिम अवैध रूप से आकर बस गए हैं। अभी तक इस बात पर कोई हो-हल्ला नहीं हो रहा था मगर अब बीजेपी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने अवैध रूप से रह रहे प्रवासी मुस्लिमों को निकाले जाने के लिए एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक का मुद्दा पिछले कुछ दिनों में प्रमुखता से उठाया है। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में बशीरघाट में भी वोटिंग होनी है। इस इलाके में 50 पर्सेंट से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। इस मुद्दे को बीजेपी के उम्मीदवार सायंतन बसु भी कई बार अपने भाषणों में उठा चुके हैं। अब यह मुद्दा धीरे-धीरे ध्रुवीकरण करता दिखाई दे रहा है क्योंकि इलाके के कुछ छोटे होटल खुद को हिंदू बताने लगे हैं और बताते हैं कि उनके यहां बीफ नहीं बेचा जाता है। पिछले साल में बशीरघाट में 2 बार से ज्यादा सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि इस इलाके में उसे ध्रुवीकरण करने में सफलता मिलेगी। तृणमूल कांग्रेस ने इलाके में इदरिस अली को हटाकर पॉप्युलर ऐक्ट्रेस नुसरत जहां को आगे किया है जबकि कांग्रेस की ओर से काजी अब्दुर रहीम यहां चुनाव लड़ रहे हैं जिनके पिता अब्दुल गफ्फार इलाके के काफी सम्मानित सदस्यों में से एक रहे हैं। लेकिन इन चुनावों को सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की लड़ाई ज्यादा माना जा रहा है। ममता बनर्जी चुनावों में सीधे तौर पर विकास के मुद्दे उठा रही हैं और गायों व मानव तस्करी को रोकने का वादा भी कर रही हैं। उन्होंने प्रखरता से एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक का भी विरोध किया है जिससे वह मुस्लिम वोटरों की फेवरिट हो जाती हैं। इसके साथ ही वह बॉर्डर टाउन ताकी के विकास को भी जोर-शोर से बताती हैं जहां पिछले कुछ सालों में सरकारी कॉलेज और गेस्ट हाउस जैसी सुविधाएं हो गई हैं। इसके अलावा यहां परिवार और कपल वीकेंड के मौके पर घूमने भी आते हैं। बढ़ते पर्यटन से निश्चित तौर पर यहां की लोगों की आजीविका के साधनों में बढ़ोतरी हुई है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन इस इलाके में बड़े पैमाने पर गायों और मानवों की तस्करी भी की जाती है। हालांकि इलाके में तृणमूल मजबूत स्थिति में दिखती है लेकिन कुछ मामलों में उसे कड़े मुकाबले का भी सामना करना पड़ सकता है। जैसे कि नुसरत जहां की शिया पहचान एक मुद्दा बन सकता है। इलाके का हिंदू वोट 'राष्ट्रवाद' और 'विकास' के मुद्दे की ओर उन्मुख हो रहा है जो बीजेपी द्वारा जोर-शोर से उठाया जा रहा है। स्थानीय इलाके के छोटे व्यापारी नेमाई मंडल का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी हुई है हालांकि वह सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों की भी तारीफ करते हैं। उनका कहना है, 'वे (तृणमूल कांग्रेस) मोदी से बेहतर हैं जो हमें बांटने की कोशिश कर रहे हैं।' लेकिन उनसे ही कुछ दूर एक चाय बेचने वाले ने बताया, 'हम उम्मीद कर रहे हैं कि बीजेपी कब आती है और हमसे हमारा वोट मांगती है।'

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