दिल्ली: AAP को गरीबों से आस, कांग्रेस को दिख रही उम्मीद, बीजेपी की वोट बंटने पर नजर

नई दिल्ली लोकसभा चुनाव का सफर दिल्ली तक पहुंच गया है। रविवार को 7 राज्यों की 59 सीटों में से दिल्ली की सात सीटों पर भी वोटिंग होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव ने दिल्ली के राजनीतिक समीकरण को कांग्रेस के खिलाफ कर दिया और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का उदय हुआ। लेकिन 2019 के चुनाव में कांग्रेस राजधानी में अपनी खोई जमीन को फिर से पाने के लिए पूरी जोर लगा रही है। 2015 में एकतरफा जीत हासिल करते हुए दिल्ली में सरकार बनाने वाली AAP धीरे-धीरे अपनी चमक खो रही है, जबकि बीजेपी को ऐंटी-पार्टी वोटों के AAP और कांग्रेस में संभावित बंटवारे में फायदा दिख रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के बीच आखिरी वक्त तक गठबंधन को लेकर बातचीत चली लेकिन आखिरकार कोशिश नाकाम हो गई और कांग्रेस ने अपने दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतार दिया। कांग्रेस की तरफ से खुद पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली कांग्रेस प्रमुख शीला दीक्षित, अजय माकन, महाबल मिश्रा और जेपी अग्रवाल मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी ने भी राघव चड्ढा और आतिशी जैसे अपने लोकप्रिय चेहरों को चुनाव मैदा में उतारा जिन्हें राजधानी के सरकारी स्कूलों की सूरत 'बदलने' का श्रेय दिया जाता है। इनके अलावा दिलीप पांडे को भी AAP ने मैदान में उतारा है। 2014 में दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी ने हर्ष वर्धन और मनोज तिवारी समेत अपने 5 मौजूदा सांसदों पर दांव खेला है। पार्टी को उम्मीद है कि मोदी की लोकप्रियता और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पैदा हुई राष्ट्रवाद की लहर उसके पक्ष में काम करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में हुई सीलिंग पार्टी की चिंता बढ़ा रही है। AAP- कांग्रेस वोट शेयर बीजेपी ने दिल्ली में पिछली बार 46 प्रतिशत वोटों पर कब्जा किया था, जबकि AAP को 33 प्रतिशत और कांग्रेस को 15 प्रतिशत वोट मिले थे। हालांकि, 2015 में आम आदमी पार्टी ने 54 प्रतिशत वोटों पर कब्जा किया था। प्रेक्षकों का कहना है कि केजरीवाल की पार्टी और कांग्रेस का वोटर बेस एक ही है, जिनमें मुस्लिम, अनधिकृत कॉलोनियों के रहने वाले और मिडल क्लास का फ्लोटिंग सेक्शन शामिल है। कांग्रेस ने जहां वोटरों से अपील की है कि वे केजरीवाल पर भरोसा नहीं करें बल्कि शीला दीक्षित के विकास मॉडल में विश्वास जताएं, वहीं आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का आरोप लगा रही है। हालांकि, लग रहा है कि कांग्रेस अपनी खोई जमीन में से कुछ को वापस पा रही है। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के बाबरपुर के रहने वाले एक राशन दुकानदार मुस्तफा कहते हैं, 'मैंने AAP को वोट दिया था क्योंकि केजरीवाल ने बहुत सारी बातों का वादा किया था, लेकिन हमारे इलाके में पिछली बार अगर कोई विकास का काम हुआ तो वह शीला दीक्षित के दौर में हुआ था।' विकास पर बहस दिल्ली में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने अपने प्रचार में मुख्य तौर पर शीला दीक्षित के 15 सालों के कार्यकाल में हुए विकास को जोर-शोर से उठाया। दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी सरकारी स्कूलों में सुधार और मोहल्ला क्लीनिक, बिजली-पानी के सस्ते होने का श्रेय ले रही है। साउथ दिल्ली की एक अनधिकृत कॉलोनी दक्षिणपुरी की लता देवी कहती हैं, 'हमारा बिजली-पानी का बिल काफी कम हो गया है और उन्होंने हमारे स्कूलों को बेहतर बनाया है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि AAP ने काम किया है।' हालांकि, साउथ दिल्ली के ही फ्रेंड्स कॉलोनी के बिजनसमैन सुनील कपूर की राय इससे जुदा है। वह कहते हैं, 'मौजूदा सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं किया। हर जाड़ों में स्मॉग एक मुद्दा बन जाता है और जैसे ही जाड़ा खत्म होता है, लोग इसे भूल जाते हैं।' सीलिंग एक बड़ा मुद्दा नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने पर व्यापारी समुदाय पर असर पड़ा था। लेकिन अब यह इतना बड़ा मुद्दा नहीं है कि बीजेपी को इससे नुकसान हो। हालांकि, सीलिंग एक बड़ा मुद्दा जरूर है। कोर्ट के आदेश पर लाजपत नगर, करोल बाग और साउथ एक्सटेंशन जैसे पॉप्युलर ट्रेडिंग हबों में कई दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों की सीलिंग हुई। इसे लेकर बीजेपी को व्यापारी वर्ग की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। लाजपत नगर में कपड़ों के कारोबारी सागर कपूर कहते हैं, 'छोटे और मध्यम श्रेणी के कारोबारी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए क्योंकि दुकान ही उनकी आजीविका का साधन था। उनमें बहुत असंतोष है।' बीजेपी को परंपरागत रूप से ट्रेडर और बिजनस कम्यूनिटी का समर्थन मिलता रहा है, लेकिन सीलिंग के मुद्दे पर पार्टी बैकफुट पर नजर आती दिख रही है। कांग्रेस के अजय माकन को नई दिल्ली में बीजेपी की मौजूदा सांसद मीनाक्षी लेखी पर बढ़त दिख रही है जो ऐंटी-इन्कंबेंसी के साथ-साथ 'पहुंच से बाहर' रहने वाली नेता की अपनी छवि से जूझ रही हैं।

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