आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को 'कारोबारी घराने' की तरह चलाता है मसूद

नई दिल्ली पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मौलाना मसूद अजहर अपने आतंकी संगठन को एक 'पारिवारिक कारोबार' की तरह चलाता है। मसूद संगठन के ऑपरेशन और वित्त पर नियंत्रण करने के लिए ऐसा करता है। यह जानकारी उस खुफिया डोजियर के हवाले से सामने आ रही है, जिसे भारत ने चीन समेत कई देशों को सौंपा है। डोजियर के मुताबिक, अजहर के परिवार के कम से कम 16 सदस्य इस संगठन का हिस्सा हैं, जिसे उसके बेटे अब्दुल्ला और वलीउल्लाह उर्फ वली भी शामिल हैं। इनका अफगानिस्तान में तालिबान से भी मेलजोल है। मसूद के तीन भतीजे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ के बाद मारे जा चुके हैं। डोजियर के मुताबिक, जब पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान ने मसूद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो भारत ने जवाब में भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर उसके आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इसके बाद दबाव में मसूद को 'बहावलपुर में नजरबंद बनाया गया'। डोजियर में कहा गया है कि मसूद को हाल ही में इस्लामाबाद के सेफ हाउस में शिफ्ट किया गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाना भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। मसूद पर प्रतिबंध लगने के बाद उसपर कई तरह की वैश्विक पाबंदी लग गई है। भारत कई सालों से मसूद को संयुक्त राष्ट्र से वैश्विक आतंकी घोषित कराने की कोशिश कर रहा था। डोजियर में कहा गया है कि जैश-ए-मोहम्मद संगठनात्मक संरचना देखकर साफ पता चलता है कि इसमें टॉप के पदों पर मसूद के परिवार के लोगों का ही नियंत्रण है, जिनके कहने पर संगठन के लोग अपने ऑपरेशन करते हैं। इसमें कहा गया है, 'मसूद की दूसरी पीढ़ी भी इस संगठन में काफी आगे तक सक्रिय है, इन लोगों की पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में काफी प्रॉपर्टी है, इसमें मरकज सुभानअल्लाह, एक मदरसा, ट्रेनिंग कैंप, जैसी प्रॉपर्टियां शामिल हैं।' भाई और बहनोई अहम पदों पर मसूद के साथ संगठन के अहम फैसले उसके भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ, इब्राहिम अजहर और बहनोई युसूफ अजहर शामिल हैं। इन तीनों ने ही पाकिस्तानी आरोपियों के साथ मिलकर दिसंबर 1999 में भारत के विमान को अगवा किया था। प्लेन में अगवा किए गए लोगों को 7 दिन तक बंदी बनाकर रखा गया था। अपहरणकर्ताओं की शर्त थी कि मसूद और दो अन्य आतंकियों को छोड़ने पर ही वे प्लेन को छोड़ेंगे। इसके बाद ही मसूद अजहर ने अलकायदा के ओसामा बिन लादेन, तालिबान के पूर्व संस्थापक मुल्ला उमर की मदद से जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की। डोजियर के मुताबिक, अब्दुल रऊफ जैश का पूरा कामकाज देखता है, इब्राहिम जैश का ऑपरेशनल कमांडर है और अफगानिस्तान ऑपरेशन की देखरेख करता है। इसके अलावा युसूफ जैश के बालाकोट (जिसे भारत ने तबाह किया) और मर्कज सैयद अहमद शहीद ट्र्रेनिंग कैंप का काम देखता है। मसूद का बड़ा भाई भी इसमें शामिल अहजर का बड़ा भाई मोहम्मद ताहिर जैश का सीनियर नेता माना जाता है। चार अन्य संबंधी इसी संगठन के बहावलपुर स्थित ट्रेनिंग कैंप मर्कज उस्मान अली का हिस्सा हैं। अजहर का एक और बहनोई अब्दुल रशीद मर्कज उस्मान अली का प्रशासनिक और ट्रेनिंग का काम देखता है। तीसरा बहनोई मोहम्मद अनस, स्टोर इंचार्ज है, चौथा बहनाई मंसूद अहमद जैश की डिफेंस विंग का प्रमुख है। एक भाई मुखपत्र का संपादक इसके अलावा एक अन्य भाई जैश की छात्र ईकाई अल मुराबितून का प्रमुख और जैश के मुखपत्र का चीफ एडिटर है। एक और भाई मोहम्मद अम्मार अल-कलम साप्ताहिक का सुपरवाइजर है। एक अन्य बहनोई हाफिज जमील मर्कज सुभानअल्लाह में प्रशासनिक काम देखता है। दूसरी पीढ़ी के लोग सक्रिय दूसरी पीढ़ी की बात करें तो अजहर का बेटा अब्दुल्ला कश्मीर और अफगानिस्तान में कई ऑपरेशन में शामिल रह चुका है, वलीउल्लाह अभी 'जिहाद की ट्रेनिंग' ले रहा है। भतीजे हुजैफा ने मर्कज उसमान में ट्रेनिंग ली और ओसामा मर्कज उस्मान का कामकाज देखता है और अफगानिस्तान ऑपरेशन में शामिल रहता है। एक अन्य भतीजा अताउल्लाह काशिफ जिहाद के लिए उपदेश का काम करता है। मसूद के तीन भतीजे उस्मान हैदर, मुहम्मद उमर और ताल्हा रशीद कश्मीर में एक एनकाउंटर में भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए थे। बड़े ऑपरेशन के फैसले लेता है मसूद डोजियर में कहा गया है कि अजहर अवने भाई और ऑपरेशनल कमांडर रऊफ के साथ आतंकियों को तैनात करने के फैसले लेता है। उनके निर्देश पर ही बड़े आतंकी हमले होते हैं और कई बड़े आतंकी भारत में घुसपैठ करते हैं। अजहर समुद्र में आतंकी गतिविधियों के लिए भी 'समुद्र जिहाद' नाम से कोर्स चलाता है, इस कोर्स को 2018 में ही मर्कज सुभानअल्लाह में शुरू किया गया था।

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