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इन्सेफलाइटिस: मुजफ्फरपुर का दर्द- 'हम मूर्ख नहीं हैं, लीची खाने से नहीं हो रहीं मौतें'

मुजफ्फरपुर बिहार में रहने वाले कोई भी ऐसे महिला या पुरुष नहीं हैं, जिन्होंने लीची से मौतों या उसके सिद्धांत के बारे में न सुना हो। कहा जा रहा है कि लीची में विषाक्त पदार्थ हैं और उसे खाने के कारण मुजफ्फरपुर और आस-पास के जिलों में बच्चों की मौतें हो रही हैं। वहीं ग्रामीण इस बात से नाराज हैं कि मीडिया लीची खाकर मरने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। रक्सा गांव में चिकन बेचने वाले मोहम्मद जाफरुल ने कहा कि जब हम जानते हैं कि लीची हमारे बच्चों को मार सकती है तो हम उन्हें क्यों खाने देंगे? क्या हम यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सतर्क नहीं होंगे कि हमारे बच्चे विषाक्त लीची न खाएं? एक अन्य तर्क है कि यह संभव था कि यदि माता-पिता दोनों मजदूरी करते हैं, असुरक्षित बच्चे, विशेष रूप से आस-पास रहने वाले या लीची के बागों में काम करने वाले लोग फल खा रहे होते। हालांकि गांववाले जोर देकर कहते हैं कि एईएस (अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) के मामले सिर्फ उनके ही गांव से नहीं आ रहे। गांव में कपड़ा बेचने का काम करने वाले मोहम्मद शरीफ आलम के बेटे की मौत एईएस से हो गई है। वह कहते हैं कि लीची द्वारा कथित तौर पर होने वाली मौतों और एईएस के सभी समाचारों को देखकर, कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को लीची खाने की अनुमति क्यों देगा? उन्होंने कहा कि हम लीची के खेतों के पास नहीं रहते हैं। वह खुद इतने बूढ़े हैं कि न तो खुद लीची लेने जा सकते हैं और न ही बच्चों को भेज सकते हैं। उनके बेटे ने लीची नहीं खाई फिर भी उसकी मौत हो गई। मीडिया गांवों में जागरूकता की कमी को उजागर करता रहा है और यह तर्क देता है कि जागरूकता अभियानों से एईएस के मामलों को तेजी को रोका जा सकता है। गांव वाले विशेषज्ञों से नाराज हैं और मीडिया यह मानने को तैयार नहीं है कि कि परिवार अब बच्चों को लीची खाने की अनुमति नहीं दे रहे। लोग कह रहे हैं कि लीची से उनके बच्चे बीमार नहीं पड़ रहे हैं। उनका खुद यह मानना है कि मौतों के पीछे भीषण गर्मी है। घुटनों पर चलने वाली मीना अस्पताल में भर्ती है और उनके परिजन कहते हैं कि उनकी बेटी जिस दिन बीमार हुई उसके एक रात पहले उसने खाना नहीं खाया था। उनकी पांच साल की बेटी अनुष्का मिर्गी और बुखार के साथ एसकेसीएचएम के बाल चिकित्सा आईसीयू में भर्ती है। घरवालों ने कहा कि उसने भी लीची नहीं खाई थी। हां वह बीमार पड़ने से एक दिन पहले तेज धूप में खेली थी।

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