बंगाल में ममता के दावों के बीच BJP को लेफ्ट पार्टियों के वोट मिलने की उम्मीद

कोलकाता पश्चिम बंगाल में आज 8 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है। मध्य बंगाल में आनेवाली इन 8 लोकसभा सीटों के बाद कोलकाता और दक्षिण की कई हाई प्रोफाइल सीटों पर वोटिंग होगी। 2016 के विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश के बदलते समीकरणों के लिहाज से ये 8 सीटें महत्वपूर्ण हैं। प्रदेश के कई बड़े नेताओं के लिए यहां अपनी सीट बचाने की चुनौती है। कांग्रेस उम्मीदवार और 4 बार से सांसद अधीर चौधरी इस बार बहरामपुर सीट से मुश्किल चुनौती का सामना कर रहे हैं। प्रदेश की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस के चौधरी को कड़ी टक्कर मिल रही है। बीजेपी के लिए भी ये 8 सीट महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी बंगाल में अपनी जमीन बनाने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटी है। बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो पर अपनी सीट बचाने का दबाव है। तृणमूल के कद्दावर नेता पार्टी के बीरभूम क्षेत्र के अध्यक्ष अनुब्रत मंडल बोलापुर और बीरभूम में उम्मीदवारों की जीत के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। बंगाल में सभी पार्टियों की जीत के लिए बेकरारी दिख रही राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिहाज से बंगाल में बीजेपी और टीएमसी दोनों ही बड़ी जीत दर्ज करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। टीएमसी सुप्रीमो प्रदेश में में 42 में से 42 सीट जीतने का दावा कर चुकी हैं। ममता केंद्र की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए बेकरार हैं और वह 42 सीटों पर जीत का दावा भी कर चुकी हैं। बीजेपी भी बंगाल में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है और प्रदेश में 23 सीटें जीतने का दावा कर चुकी है। बीजेपी के रणनीतिकारों के हवाले से कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के कारण सीटों के नुकसान की भरपाई बीजेपी बंगाल से करना चाहती हैं। बीजेपी और टीएमसी के बीच जीत के लिए लड़ाई इतनी टक्कर की है प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसक झड़प की भी खबरें आ चुकी हैं। ममता और बीजेपी अपनी रणनीति पर कर रहे काम ममता बनर्जी अपनी जीत के लिए विपक्ष के वोटों में बंटवारे की संभावना के कारण कर रही हैं। टीएमसी को उम्मीद है कि बीजेपी, सीपीएम और कांग्रेस में वोट बंटने के कारण टीएमसी को फायदा होगा। हालांकि, बीजेपी का फॉर्म्युला इससे अलग है। प्रदेश में ऐंटी-इनकम्बेंसी के माहौल को अपने पक्ष में कर वोटों में तब्दील करने की रणनीति बीजेपी की है। आम तौर पर यह फैक्टर विधानसभा चुनावों में ही नजर आता है। बीजेपी ने प्रदेश में प्रचार के लिए जोरदार अंदाज में पीएम नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और ममता बनर्जी के तुष्टिकरण की राजनीति के मुद्दे को उठाया है। बीजेपी को पिछले चुनावों में बढ़े वोट शेयर के कारण उम्मीद बीजेपी को प्रदेश में अपने बढ़े हुए वोट शेयर के कारण काफी उम्मीदें हैं। जिन 8 सीटों पर आज मतदान हो रहे हैं उनमें से 6 सीटों पर बीजेपी का वोट शेयर 12 से 17 फीसदी तक रहा है। हालांकि, इसके बदौलत त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी को सीटों के लिहाज से बड़ा फायदा नहीं हुआ। 2014 के चुनावों में लेफ्ट पार्टी के वोट बढ़े नहीं बल्कि एक बड़ा धड़ा लेफ्ट के वोट का बीजेपी को चला गया। लेफ्ट पार्टियों को जहां 12.5 फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ तो बीजेपी के वोट शेयर में 12% तक की वृद्धि दर्ज की गई। बीजेपी और तृणमूल दोनों को वोटों के पोलराइज होने की उम्मीद है। भगवा पार्टी की उम्मीद लेफ्ट से छिटके हुए वोटों पर टिकी है। हालांकि, इसके बाद भी ममता बनर्जी के लिए पहली बार ऐसी आशंका है कि उनकी पार्टी के वोट शेयर में कमी आ सकती है। हालांकि, इन सब आशंकाओं का एक पक्ष यह भी है कि मतदान के दिन कुछ हिस्सों में हिंसा भी हो सकती है। हिंसा की इसी आशंका को देखते हुए बंगाल के 98% पोलिंग बूथों पर सेंट्रल फोर्स तैनात की गई है।

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