असम: NRC के अंतिम प्रकाशन के खिलाफ ABVP और हिंदू जागरण मंच का अभियान

गुवाहाटी असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) जारी किए जाने में केवल 11 दिन बचे हैं और हजारों लोगों का भविष्य इस बात को लेकर अनिश्चित है कि उनका नाम लिस्ट में शामिल होगा या नहीं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े संगठनों ने अंतिम लिस्ट प्रकाशित होने से पहले गुवाहाटी में मुहिम छेड़ दी है। छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने मांग की है कि अच्छी तरह जांचने-परखने और त्रुटिहीन होने के बाद ही नागरिकता रजिस्टर को प्रकाशित किया जाए। लिखें एबीवीपी-हिंदू जागरण मंच का प्रदर्शन सोमवार को एबीपीवी के कार्यकर्ताओं ने एनआरसी कोऑर्डिनेटर के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने इस दौरान मांग की कि अंतिम लिस्ट जारी किए जाने से पहले हर आवेदन को दोबारा वेरिफाइ (सत्यापित) किया जाए। उधर बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोगों का नाम भी एनआरसी में शामिल न किए जाने की आशंका के बाद हिंदू जागरण मंच ने दो दिन पहले असम के 30 में से 22 जिलों में विरोध प्रदर्शन तेज कर दिए थे। संगठन ने अंतिम एनआरसी को प्रकाशित करने पर रोक लगाने की मांग की है, जिससे कोई अवैध प्रवासी इसमें शामिल न हो सके। सोनोवाल सरकार भी प्रक्रिया के खिलाफ हिंदू जागरण मंच के अध्यक्ष मृणाल कुमार लस्कर ने कहा, 'जो एनआरसी हमें 31 अगस्त को मिलने वाला है, उसमें कई वास्तविक भारतीय नागरिकों को जगह नहीं मिलेगी। अगर यह अपने वर्तमान स्वरूप में प्रकाशित होता है तो हम इसके खिलाफ अभियान छेड़ेंगे। चूंकि डेटा के दुरुपयोग के मामले भी हैं लिहाजा दोबारा सत्यापन जरूरी है।' सर्बानंद सोनोवाल की अगुआई वाली बीजेपी सरकार भी एनआरसी को अपडेट किए जाने की प्रक्रिया की आलोचना करती रही है। राज्य सरकार की दलील है कि नागरिकता के दावों को अच्छी तरह दोबारा सत्यापित किए बगैर फुलप्रूफ एनआरसी का प्रकाशन नहीं हो सकता। 'हम दूसरा जम्मू-कश्मीर नहीं चाहते' बीजेपी विधायक शिलादित्य देव का कहना है, 'बंटवारे के शिकार बहुत से हिंदू परिवार और उनके वंशज एनआरसी में जगह नहीं बना सके हैं। अगर फाइनल एनआरसी में उन्हें नहीं शामिल किया जाता है तो इससे असम की पहचान और संस्कृति पर गंभीर असर पड़ेगा। हम दूसरा जम्मू-कश्मीर नहीं चाहते, इसलिए हम दोबारा सत्यापन की मांग कर रहे हैं।' पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम लिस्ट सार्वजनिक होने से पहले एनआरसी आवेदनों को दोबारा वेरिफाइ कराने की मांग वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। 2010 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान सर्वोच्च अदालत की निगरानी में एनआरसी को अपडेट किए जाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। एनआरसी प्रकाशित करने के पक्ष में AASU ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) ने 70 के दशक में विदेशी नागरिकों के खिलाफ मुहिम की अगुआई की थी, जिसकी परिणति असम समझौते (असम अकॉर्ड) के रूप में हुई थी। हिंदूवादी संगठनों के उलट आसू तय समय पर ही अंतिम एनआरसी प्रकाशित किए जाने के पक्ष में है। आसू के महासचिव लुरिन्ज्योति गोगोई का कहना है, 'सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दोबारा सत्यापन की मांग खारिज कर दी है। जो लोग एनआरसी की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं होने देना चाहते हैं, उनकी इसके पीछे राजनीतिक मंशा है। वर्तमान विरोध प्रदर्शन एनआरसी को अपडेट करने से रोकने की कोशिश है। अगर एनआरसी में विदेशी शामिल होते हैं तो सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए, क्योंकि इस प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारी उसी से संबंधित हैं।'

Top News