taaja khabar..लुधियाना से आप के कैंडिडेट सुशील कुमार रिंकू बीजेपी में शामिल, एक विधायक भी बने भाजपाई..चुनाव आयोग ने सुप्रिया श्रीनेत और दिलीप घोष को जारी किया नोटिस, महिलाओं पर की थी आपत्तिजनक टिप्पणी..राजस्थान के लिए भाजपा के स्टार प्रचारक की लिस्ट जारी:पीएम मोदी समेत 10 केंद्रीय मंत्री उतरेंगे चुनावी मैदान में; इनमें 5 सीएम, राजे, राठौड़ और पूनिया भी शामिल..दिल्ली हाई कोर्ट से सीएम केजरीवाल को राहत नहीं, अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होगी

बढ़ सकती हैं अजित पवार की मुश्किलें, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में दायर होगी याचिका

मुंबई महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला ( Maharashtra state co cooperative bank scam ) मामले में राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस कोऑपरेटिव बैंक घोटाले की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ पूर्व मंत्री समेत पांच लोग प्रोटेस्ट याचिका दाखिल करेंगे। हजारों करोड़ रुपए के घोटाले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अजित पवार और अन्य 69 लोगों को क्लीन चिट दी थी। मुंबई सेशंस कोर्ट में कुछ दिन पहले ही क्लोजर रिपोर्ट भी पेश की गई है। मंगलवार को याचिका दायर की जाएगी मुंबई सेशन कोर्ट में मंगलवार को प्रोटेस्ट याचिका दायर की जाएगी। इस मामले में सुरेंद्र मोहन अरोरा, पूर्व मंत्री शालिनीताई पाटील, पूर्व विधायक मानिक राव जाधव समेत दो अन्य लोग मिलकर यह याचिका दायर करेंगे। 25000 करोड रुपए के इस कथित घोटाले की जांच रिपोर्ट में तत्कालीन संचालक मंडल पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। साल 2011 में रिजर्व बैंक ने तत्कालीन संचालक मंडल को बर्खास्त कर दिया था। इस मंडल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और मौजूदा उपमुख्यमंत्री अजित पवार, हसन मुश्रीफ समेत कई नेताओं के नाम थे। अजित पवार समेत 70 लोग आरोपी थे इस घोटाले में अजित पवार समेत 70 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 506, 409, 465 और 467 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस घोटाले में शिवसेना के नेता आनंद राव अडसूल, भाजपा के विजय सिंह मोहिते पाटील समेत अन्य दल के नेताओं के नाम थे। तत्कालीन अघाडी सरकार के समय यह घोटाला चर्चा में आया था। संचालक मंडल द्वारा नियमों का उल्लंघन करने की वजह से इस कॉपरेटिव बैंक का काफी नुकसान हुआ था। क्या है मामला महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में हुए इस घोटाले के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं सुरेंद्र अरोड़ा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई काफी दिनों से शुरू थी जिसकी सुनवाई पिछले वर्ष 31 जुलाई 2019 को पूरी हुई थी। साल 2005 से लेकर साल 2010 के दौरान बैंक ने भारी तादात में लोगों को लोन दिया था। इनमें से ज्यादातर लोन चीनी कारखानों और सूत बनाने वाली मिलों को दिया गया था। कर्ज देते समय नियमों का उल्लंघन भी बड़े पैमाने पर हुआ था। खास तौर पर कई नेताओं के कारखानों को यह लोन दिया गया था। लेकिन इस लोन की वसूली ना हो पाने की वजह से बैंक को काफी नुकसान हुआ।

Top News