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परीक्षण के चौथे स्तर पर पहुंची सोरायसिस की दवा, कोरोना मरीजों पर दिए शानदार परिणाम

बायॉकोन (Biocon) कंपनी की चेयरपर्सन और एमडी किरण मजूमदार शॉ (Kiran Mazumdar Shaw) की तरफ से हाल ही यह जानकारी दी गई है कि सोरायसिस (Psoriasis) रोग की दवाई कोरोना के मरीजों पर शानदार रूप से सकारात्मक परिणाम दे रही है। यही वजह है कि कंपनी के यूएस बेस्ड बिजनस पार्टनर्स इस दवाई के अगले चरण के परीक्षण और परिणाम को लेकर बहुत अधिक उत्साहित हैं। इस स्थिति में आपके मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सोरायसिस जैसी स्किन डिजीज की दवाई कोविड-19 जैसी वायरस जनित बीमारी में कैसे अच्छे परिणाम दे रही है। आइए, इस उत्सुकता और इससे संबंधित सवालों के जवाब यहां जानते हैं... कोरोना नहीं मारता इंसान को! -सबसे पहले आपको यह बात समझनी होगी कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मौत कोरोना के कारण नहीं हो रही है। बल्कि इस वायरस की चपेट में आने के बाद, जिस तरह का रिऐक्शन हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता देती है, उससे व्यक्ति के शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की मृत्यु हो जाती है। क्या प्रतिक्रिया देता है शरीर? -जब कोरोना वायरस किसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है तो उस व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी ऐक्टिव हो जाती है। इस स्थिति में शरीर की जो टी-सेल्स होती हैं, उनका बहुत तेजी से निर्माण होने लगता है। टी-सेल्स शरीर की उन कोशिकाओं को कहते हैं, जो शरीर में पहुंचे किसी भी वायरस को पहचानकर उसे मारने का काम करती हैं। हो जाता है ऑटोइम्यून डिसऑर्डर -जब इम्यून सेल्स और टी-सेल्स का निर्माण शरीर में बहुत तेजी से होने लगता है तो इन कोशिकाओं का एक तूफान शरीर के अंदर पैदा हो जाता है। इस वजह से शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ जाती है। खासतौर पर सांस की नलियों और फेफड़ों में। इससे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। शरीर को ऑक्सीजन की जरूरी मात्रा नहीं मिल पाती और अचानक से शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। अपना ही दुश्मन बन जाता है शरीर -जब शरीर में इम्यून सेल्स का तूफान आता है (Cytokines Release Strom), उस स्थिति में कई सेल्स संक्रमित होकर वायरस को मारने की जगह अपने शरीर की ही अन्य कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। यह स्थिति ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कहलाती है। जब अपने शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता अपने शरीर के ही खिलाफ काम करने लगती है। बिगड़ने लगती है हालत -ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति के शरीर की हालत तेजी से गिरने लगती है। इस स्थिति में शरीर के कई ऑर्गन एक साथ या कोई एक ऑर्गन फेल हो जाता है, जो कोरोना संक्रमित मरीज की मृत्यु की वजह बन जाता है। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Disease) के दौरान जिस तरह की स्थितियां पैदा होती हैं, उसी तरह की कुछ स्थितियां सोरायसिस और दमा के दौरान भी कुछ मरीजों में देखने को मिलती हैं। ऐसे जगी उम्मीद -कोरोना के काम करने के तरीके का पूरी तरह पता चलने के बाद सोरायसिस की दवा पर काम करनेवाले एक्सपर्ट्स ने इस दवाई को कोरोना के लक्षणों पर प्रभावी दवाई के रूप में देखा और अप्रूवल मिलने के बाद आगे का काम शुरू किया। इस दवाई का नाम टोसीलिज़ुमाब (Tocilizumab) है। इसे एटिज़ुमैब (Atlizumab)नाम से भी जाना जाता है। -खास बात यह है कि यह दवाई भारत में एक अप्रूव्ड ड्रग है, जिसका उपयोग डॉक्टर्स कर रहे हैं। यह ऐंटिबॉडीज पर बहुत अच्छा रिजल्ट दे रही है। अब अगर यह दवाई अपने चौथे परीक्षण में भी पास हो जाती है तो उम्मीद कर सकते हैं कि भारतीयों द्वारा तैयार की गई एक बेहतरीन कोरोना वैक्सीन इस साल के अंत तक बाजार में आ जाएगी।

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