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किसान, MSME और आत्मनिर्भर भारत: कैबिनेट के फैसलों को पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया ऐतिहासिक

नई दिल्ली कोरोना काल में थम गई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, आत्मनिर्भर भारत और किसानों के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को कई अहम फैसले लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन फैसलों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इनसे अन्नदाताओं, मजदूरों और श्रमिकों के जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव आएंगे। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि सरकार के इन फैसलों से किसानों, रेहड़ी-पटरी वालों और MSME को जबरदस्त लाभ पहुंचने वाला है। लिखें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट के फैसलों का जिक्र करते हुए कई सिलसिलेवार ट्वीट्स किए। उन्होंने लिखा, 'जय किसान के मंत्र को आगे बढ़ाते हुए कैबिनेट ने अन्नदाताओं के हक में बड़े फैसले किए हैं। इनमें खरीफ की 14 फसलों के लिए लागत का कम से कम डेढ़ गुना एमएसपी देना सुनिश्चित किया गया है। साथ ही 3 लाख रुपये तक के शॉर्ट टर्म लोन चुकाने की अवधि भी बढ़ा दी गई है।' रेहड़ी-पटरी वालों के लिए 'पीएम स्वनिधि योजना' पीएम स्वनिधि योजना का जिक्र करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने लिखा, 'देश में पहली बार सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों और ठेले पर सामान बेचने वालों के रोजगार के लिए लोन की व्यवस्था की है। पीएम स्वनिधि योजना से 50 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। इससे ये लोग कोरोना संकट के समय अपने कारोबार को नए सिरे से खड़ा कर आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देंगे।' MSME सेक्टर के बारे में पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने के लिए हमने न केवल MSMEs सेक्टर की परिभाषा बदली है, बल्कि इसमें नई जान फूंकने के लिए कई प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। इससे संकटग्रस्त छोटे और मध्यम उद्योगों को लाभ मिलेगा, साथ ही रोजगार के अपार अवसर सृजित होंगे।' मोदी सरकार ने किए कई बड़े ऐलान इससे पहले पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें एमएसएमई क्षेत्र के लिए कई ऐतिहासिक घोषणाएं की गईं। ये फैसले एमएसएमई, किसान और रेहड़ी पटरी वालों के जीवन पर प्रभाव डालने वाले हैं। एमएसएमई को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा गया है, जिसकी संख्या करीब 6 करोड़ है। कोविड की महामारी के बाद पीएम ने एमएसएमई की आत्मनिर्भरता को पहचाना और उसे पैकेज भी दिया गया, ताकि वह संभल सकें। देखा जाए तो मोदी सरकार की घोषणाओं से 66 करोड़ लोगों को फायदा होगा, जिसमें 55 करोड़ खेती पर निर्भर लोग हैं, जबकि 11 करोड़ ऐसे लोग हैं जो एमएसएमई में काम कर रहे हैं। nbt

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