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कपिल सिब्बल बोले- मैं गांधी परिवार के खिलाफ नहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आवाज उठा रहा

नई दिल्ली, 20 नवंबर 2020,बिहार चुनावों में महागठबंधन को मिली हार और चुनावों में कांग्रेस के शर्मनाक प्रदर्शन पर तमाम राजनीतिक दलों ने टिप्पणी की. लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने जब वही बातें कहीं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाए तो देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की अंदरूनी कलह एक बार फिर सामने आ गई. अब एक-एक कर कांग्रेस के तमाम नेता सिब्बल पर पलटवार कर रहे हैं. कांग्रेस में चल रही इसी जुबानी जंग को लेकर इंडिया टुडे ने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का पक्ष जानने की कोशिश की. कपिल सिब्बल ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि दिक्कत ये है कि राहुल गांधी डेढ़ साल पहले यह बात साफ कर चुके हैं कि वे अब कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनना चाहते. उन्होंने यह भी कहा था कि मैं नहीं चाहता कि गांधी परिवार का कोई भी व्यक्ति उस पद पर काबिज हो. इस बात के डेढ़ साल बीत जाने के बाद मैं ये पूछता हूं कि कोई राष्ट्रीय पार्टी इतने लंबे समय तक अपने अध्यक्ष के बिना कैसे काम कर सकती है. मैंने पार्टी के भीतर आवाज उठाई थी. हमने अगस्त में चिट्ठी भी लिखी. लेकिन किसी ने हमसे बात नहीं की. मैं जानना चाहता हूं कि डेढ़ साल बाद भी हमारा अध्यक्ष नहीं है. कार्यकर्ता अपनी समस्या लेकर किसके पास जाएं. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई से बातचीत करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि एक राष्ट्रीय पार्टी के लिए यह कठिन स्थिति है और तब जब वह सबसे पुरानी पार्टी हो. मैं किसी की क्षमता पर उंगली नहीं उठा रहा पार्टी के संविधानों की बात कर रहा कि चुनाव होना चाहिए. अगर हम खुद अपने संगठनों में चुनाव नहीं करवाएंगे तो हम जो रिजल्ट चाहते हैं वो कैसे मिलेगा. यही बातें हमने अपनी चिट्ठी में कही थीं. सिब्बल बोले- लिखी गई थीं तीन चिट्ठियां, नहीं की किसी ने बात गांधी परिवार के खिलाफ जाने से जुड़े सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा कि मैंने यह कब कहा, मैं पार्टी फोरम में बात कैसे रखूं जब मैं कभी सीडब्ल्यूसी का हिस्सा नहीं रहा. पार्टी का कोई अध्यक्ष भी नहीं है. हमने अगस्त 2020 में जो चिट्ठी लिखी थी वो हमारी तीसरी चिट्ठी थी. गुलाम नबी जी इससे पहले दो चिट्ठियां लिख चुके थे. लेकिन फिर भी किसी ने हमसे बात नहीं की. इसलिए जब मुझे मौका मिला तो मैंने बात की. अधीर रंजन की टिप्पणी पर कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं उनकी बातों पर कुछ नहीं कहना चाहता. पश्चिम बंगाल में चुनाव हैं. उन्हें अपनी पूरी एनर्जी उस पर फोकस करनी चाहिए. अधीर को पता होना चाहिए कि चुनावों के दौरान पार्टी स्टार कैंपेनर की लिस्ट जारी करती है. अगर पार्टी ने मुझसे कहा होता कि आप जाइए और बिहार में प्रचार करिए तो मैं जरूर जाता. मेरा नाम स्टार कैंपेनर की लिस्ट में नहीं था. मुझे आश्चर्य है कि उनके जैसा बड़ा नेता और कांग्रेस के संसदीय दल का नेता इतनी छोटी बात नहीं समझता. फिलहाल मैं उन्हें यही सलाह दूंगा कि वो पश्चिम बंगाल के चुनावों पर फोकस करें. सिब्बल ने पूछा- पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का क्या कपिल सिब्बल ने कहा कि मैंने ये बातें इसलिए कहीं क्योंकि बिहार की हार ने कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ताओं को दिवाली के मौके पर घरों में कैद रहने के लिए मजबूर कर दिया. क्योंकि बाहर निकलने पर उन्हें टोंट सहने पड़ते कि तुम्हारी पार्टी को क्या हुआ, इतने कम वोट क्यों मिले. उन्होंने आगे कहा कि कोई नेता ये कह रहा है कि इससे कांग्रेस की भावना आहत हुई है. मैं पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का क्या. कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर कांग्रेस चुनावों में बेहतर प्रदर्शन नहीं करती है तो मेरी भावनाएं भी आहत होती हैं. मैं भी कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं. मैं काग्रेस के लाखों कार्यकर्ताओं की आवाज उठा रहा हूं. मैं गांधी परिवार की मुखालफत नहीं कर रहा हूं. मैं पार्टी की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बढ़ाने की बात कर रहा हूं. कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि हम 2014 में हारे कुछ नहीं हुआ, फिर हम 2019 में हारे कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ. चुनाव होते रहते हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी कम से कम अपने भविष्य के रास्ते पर तो ठीक से चले. शीर्ष नेतृत्व में बदलाव से जुड़े सवाल पर कपिल सिब्बल ने कहा कि जब हमारा नेता ही ये कह रहा है कि वो अध्यक्ष नहीं बनना चाहता तो मैं शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की बात क्यों करूंगा. राहुल गांधी खुद कह चुके हैं कि वो अध्यक्ष नहीं बनना चाहते.

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